फेक न्यूज (झूठा समाचार) : फेक न्यूज के प्रसार में प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग

प्रश्न: जहां प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग ने फेक न्यूज़ (झूठे समाचारों) के प्रसार को बढावा दिया है, वहीं प्रौद्योगिकी की सहायता से ही इस खतरे पर अंकुश भी लगाया जा सकता है। सविस्तार वर्णन किजिए।

दृष्टिकोण

  • संक्षेप में फेक न्यूज (झूठा समाचार) को परिभाषित कीजिए।
  • फेक न्यूज के प्रसार में प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग कैसे किया जाता है, संक्षेप में बताइए।
  • प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से इस पर अंकुश लगाने हेतु सुझाव दीजिए।

उत्तर

फेक न्यूज या झूठा समाचार, एक प्रकार का समाचार या कहानी होती है जिसे जानबूझकर लोगों में गलतफहमी पैदा करने, उन्हें धोखा देने या नकारात्मक रूप से प्रभावित करने के लिए बनाई जाती है। फेक न्यूज का उद्देश्य लोगों के विचारों को प्रभावित करना, राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाना या भ्रम उत्पन्न करना होता है। प्राय: यह ऑनलाइन प्रकाशकों के लिए एक लाभदायक व्यवसाय हो सकता है। फेक न्यूज भ्रामक होता है क्योंकि इसे परम्परागत समाचार, सोशल मीडिया या फेक न्यूज से सम्बंधित वेबसाइटों के तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया जाता है।

प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग ने फेक न्यूज के प्रसार में सहयोग किया है क्योंकि:

  • सोशल मीडिया प्लेटफार्मों जैसे कि ट्विटर, व्हाट्सएप और फेसबुक तक लोगों की अधिकाधिक पहुंच और सोशल मीडिया पर मानव व्यवहार की विशिष्टता, फेक न्यूज के प्रसार को आसान बनाते हैं।
  • फेक न्यूज की प्रकृति स्वाभाविक रूप से सामाजिक होती है क्योंकि इसमें अफवाह और दावे शामिल होते हैं; जबकि समाचार दावे का केवल अभिकथन होता है। तकनीक केवल एक बटन के क्लिक के साथ इसे शेयर करने में मदद करती है, जो सूचनाओं की बाढ़ (information inundation) की स्थिति उत्पन्न कर देती है।
  • कृत्रिम बुद्धि का उपयोग फेक न्यूज के प्रसार को तीव्र करता है क्योंकि हिट्स (hits) की संख्या किसी विशेष न्यूज की लोकप्रियता का निर्धारण करती है। ऑनलाइन टूल द्वारा कस्टम ऑडियंस (परम्परागत दर्शकों) सृजित करने के लिए उपयोगकर्ता की सूचनाओं का उपयोग किया जा सकता हैं और उनके लिए विशेष न्यूज तैयार की जा सकती है।

फेक न्यूज के प्रसार पर अंकुश लगाने हेतु तकनीक का उपयोग निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है:

  • फेसबुक जैसी सोशल मीडिया वेबसाइट हिंसक या अश्लील सामग्री से संबंधित फेक न्यूज को सीमित करने के लिए मशीन लर्निंग तकनीकों को कार्यान्वित कर रही हैं।
  • ‘द फेक न्यूज चैलेंज’ एक ओपन सोर्स सहयोग है जो झूठे समाचारों के खतरे पर अंकुश लगाने के लिए कृत्रिम बुद्धि और मैनुअल तथ्यात्मक जाँच का उपयोग करता है।
  • कई ऑनलाइन कम्युनिटीज और पोर्टल यह सत्यापित करने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं कि समाचार वास्तविक है या फेक।
  • अग्रेषित संदेशों को हाइलाइट करने के लिए लेबलिंग जैसी विशेषता, सन्देश प्राप्तकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत के रूप में कार्य कर सकती है ताकि कंटेंट को अंधाधुंध तरीके से आगे प्रेषित न किया जाए।
  • “तकनीकी बोध” (techno cognition) जैसे अंतःविषयक दृष्टिकोण का उपयोग करना। तकनीकी बोध इस विचार पर आधारित है कि सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित फेक न्यूज से होने वाले नुकसान और ध्रुवीकरण को शून्य करने के लिए इनफार्मेशन आर्किटेक्ट में मनोविज्ञान, व्यवहारिक अर्थशास्त्र और दर्शनशास्त्र के सिद्धांतों को शामिल किया जाना चाहिए।

अंततः फेक न्यूज को नियंत्रित करने की वास्तविक चुनौती स्वयं व्यक्ति है। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर जवाबदेहिता, उत्तरदायित्व, सतर्कता से समाचारों को पढ़ने, पूछताछ करने और तथ्यों की जांच को प्रोत्साहित करना फेक न्यूज पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए एक प्रभावकारी उपाय है।

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