ई-गवर्नेस: शासन का एक अवयव (E-Governance as a Component of Governance)

परिचय

ई-गवर्नेस (इलेक्ट्रॉनिक गवर्नेस) का आशय सरल, उत्तरदायी, तीव्र, अनुक्रियाशील और पारदर्शी शासन को प्राप्त करने हेतु सरकारी कार्य पद्धति की प्रक्रियाओं में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) का अनुप्रयोग करना है। यह शासन के लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु लोगों, प्रक्रियाओं, सूचना और प्रौद्योगिकी को एकीकृत करता है।

यह वर्तमान सरकार को परिवर्तित कर रहा है तथा स्मार्ट गवर्नेस को बढ़ावा दे रहा है, जैसे :

  • S – सरल (Simple): सरकार के नियमों एवं प्रक्रियाओं का सरलीकरण कर उन्हें उपयोगकर्ताओं हेतु अनुकूल बनाना।
  • M- नैतिक (Moral): चूँकि भ्रष्टाचार-विरोधी एवं सतर्कता एजेंसियों में सुधार हो रहा है इसलिए अधिकारियों में नैतिकता और
    मूल्यों का समावेश किया जाना चाहिए।
  • A – जवाबदेहिता (Accountability): सूचना और संचार प्रौद्यौगिकी (ICT) प्रदर्शन के मापदंडों को निर्धारित करने में सहायता करता है तथा कुशलतापूर्वक इनका मापन भी करता है।
  • R- अनुक्रियाशील (Responsive): लोगों के अनुरूप कुशल सेवा वितरण प्रणाली और सरकार।
  • T- पारदर्शी (Transparent): इसके माध्यम से गोपनीय सूचनाएं पब्लिक डोमेन में आ जाती हैं जिससे सार्वजनिक एजेंसियों
    में समता और विधि के शासन को बढ़ावा मिलता है।

स्मार्ट (SMART) गवर्नेस सक्षम करता है:

  • जन सहभागिता
  • जवाबदेहिता तथा कुशलता
  • पारदर्शिता
  • उपयोगकर्ता के अनुकूल सरकारी प्रक्रियाएं
  • पदानुक्रमिक अवरोधों तथा लालफीताशाही की समाप्ति
  • बेहतर सेवा वितरण

क्रियान्वयन से संबंधित कुछ मुद्दे

ई-गवर्नेस के उद्भव तथा सेवा वितरण के अन्य मॉडल की उपस्थिति के बावजूद, अभी भी विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन से संबंधित कुछ मुद्दे विद्यमान हैं, जैसे:

  • समरूप अथवा समान तरह के मुद्दों को नियंत्रित करने वाले कानूनों की बहुलता।
  • अत्यधिक संख्या में अनुमोदन/स्वीकृतियों की आवश्यकता का होना।
  • समरूप अथवा समान मुद्दों पर विभिन्न प्राधिकरणों द्वारा स्वीकृति/अनुमोदन की आवश्यकता।
  • निवेशक तथा प्राधिकरणों के मध्य विभिन्न अनुबंधों की बहुलता।
  • मंजूरी तथा स्वीकृति में पारदर्शिता का अभाव।
  • कई विभागों/एजेंसियों को बड़ी संख्या में विवरण और सूचनाएं प्रदान करना।
  • संबंधित विभागों के मध्य संचार एवं सूचनाओं को बहुत कम साझा किया जाना।

जवाबदेहिता को बढ़ावा देने और योजनाओं के प्रभावी एवं कुशल क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने हेतु, हाल ही में विभिन्न ई-गवर्नेस पहलों को लागू कर सरकार द्वारा विभिन्न कदम उठाए गए हैं।

सार्वजनिक वित्त प्रबन्धन प्रणाली (Public Finance Management System)

  • यह एक वेब आधारित सॉफ़्टवेयर एप्लीकेशन है, जिसे महालेखा नियंत्रक (CGA) कार्यालय द्वारा विकसित और कार्यान्वित किया
    गया है।
  • इसके अंतर्गत केंद्रीय योजनाओं और केंद्र प्रायोजित योजनाओं के साथ-साथ वित्त आयोग के अनुदान सहित अन्य व्यय शामिल किये गए हैं।
  • यह सरकारी योजनाओं के लिए वित्तीय प्रबंधन मंच (फाइनेंसियल मैनेजमेंट प्लेटफ़ॉर्म) के साथ-साथ भुगतान सह लेखांकन (पेमेंट कम एकाउंटिंग) नेटवर्क के रूप में कार्य करता है। इसे कोर बैंकिंग प्रणाली के साथ एकीकृत किया गया है तथा यह पूरे देश में RBI सहित 170 बैंकों से संबद्ध (interface) है।

 ई-विधान मिशन मोड परियोजना (E-Vidhan Mission Mode Project)

  • यह भारत में राज्य विधानमंडलों की कार्यप्रणाली को कागज़-मुक्त बनाने तथा उसके डिजिटलीकरण हेतु एक मिशन मोड
    परियोजना है।
  • यह विधानसभा की कार्य-प्रणाली को पूर्णतः स्वचालित बनाने वाली सार्वजनिक वेबसाइट, सुरक्षित वेबसाइट, सदन के एप्लीकेशनों
    तथा मोबाइल एप्स का एक सॉफ्टवेयर समूह है।
  • संसदीय कार्य मंत्रालय, इस परियोजना हेतु नोडल मंत्रालय है।
  • इस परियोजना के कार्यान्वयन हेतु निर्मित रणनीति के मुख्य घटकों में से एक केंद्र तथा राज्य, दोनों ही स्तरों पर परियोजना
    निगरानी इकाइयों का निर्माण करना है।
  • हिमाचल प्रदेश, ई-विधान वेबसाइट का उपयोग करने वाला तथा एक मोबाइल ऐप लांच करने वाला प्रथम राज्य बना।

 ई-समीक्षा (E-Samiksha)

  • ई-समीक्षा एक ऑनलाइन निगरानी तथा अनुपालन तंत्र है। इसे कैबिनेट सचिवालय द्वारा राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) की तकनीकी सहायता से विकसित किया गया है।
  • इसका उपयोग, परियोजनाओं और नीतिगत पहलों की प्रगति की निगरानी करने और रियल टाइम में कैबिनेट सचिव और प्रधानमंत्री द्वारा विभिन्न मंत्रालयों के कार्यों की जांच करने के लिए किया जाता है।
  • एक ई-पत्राचार सुविधा प्रारंभ की गयी है जो ई-मेल और SMS के माध्यम से बैठकों की सूचना और एजेंडा, सर्कुलर, पत्र इत्यादि भेजती है। इस प्रकार यह ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेस’ के सिद्धांत को बढ़ावा देता है।
  • दक्षता में वृद्धि, पारदर्शिता लाने, जवाबदेही सुनिश्चित करने, तथा गवर्नमेंट से गवर्नमेंट, बिज़नेस से गवर्नमेंट और गवर्नमेंट से
    बिज़नेस के बीच संचार में सुधार के लिए ई-समीक्षा पोर्टल का निर्माण किया गया है।

यूनीफाइड प्लानिंग एंड एनालिसिस इंटरफ़ेस (UPAAI)

UPaAI (यूनिफाइड प्लानिंग एंड एनालिसिस इंटरफ़ेस) या अंग्रेजी में ‘सॉल्यूशन’, जो संसद सदस्यों को उनके राज्यों में विकास कार्यों को ट्रैक करने में सहायता करेगा।

महत्व

  • यह ऐप प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए अवसंरचना एवं सामाजिक संकेतकों से सम्बंधित आंकड़ों का एक समेकित प्लेटफॉर्म प्रदान
    करेगी।
  • यह सांसद को उसके निर्वाचन क्षेत्र से संबंधित जिलेवार सूचनाएं प्रदान करेगी तथा MPLAD निधियों व किसी अन्य केंद्रीय योजना से संबंधित बेहतर निर्णय लेने में उनकी सहायता करेगी।
  • इसकी निगरानी प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा की जाएगी और यह डिजिटल इंडिया पहल के अनुरूप है।
  • अगले चरण में, राज्य योजनाओं को सम्मिलित करने के लिए इसका विस्तार किया जाएगा और यह जिलाधिकारियों एवं विधायकों को एक मंच पर लाएगा।

 राष्ट्रीय ई-शासन योजना (NATIONAL E-GOVERNANCE PLAN)

  • यह योजना वर्ष 2006 में प्रारम्भ की गई थी। यह योजना राष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक सेवाओं की आपूर्ति में सुधार करने तथा उन
    तक पहुँचने की प्रक्रिया को सरलीकृत करने हेतु ई-शासन पहलों पर केन्द्रित है।
  • मूल रूप से इसमें 27 मिशन मोड परियोजनाओं (MMPs) को शामिल किया गया था। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय ई-शासन योजना के तहत मुख्य सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी अवसंरचना का निर्माण किया गया था। इसके अंतर्गत स्टेट डेटा सेंटर्स, स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क, स्टेट सर्विस डिलीवरी गेटवे, मोबाइल सेवा तथा ई-गवर्नेस एप स्टोर शामिल
    किए गए हैं।
  • ई-शासन योजना ने अनेक क्षेत्रों में आधारभूत सूचना प्रौद्योगिकी अवसंरचना को सुदृढ़ किया है तथा बढ़ते राजनीतिक समर्थन के
    कारण इसकी स्थिति में सुधार हुआ है। यद्यपि यह विभिन्न मुद्दों से ग्रसित है:
नवीन प्रौद्योगिकियों को अपनाना प्रक्रियाओं में परिवर्तन राष्ट्रीय ई-शासन योजना के क्रियान्वयन में सुधार
  • उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे कि मोबाइल,क्लाउड आदि का लाभ प्राप्त नहीं किया गया है।
  • कमजोर निगरानी एवं मूल्यांकन व्यवस्था।
  • सर्वाधिक महत्वपूर्ण सूचना प्रौद्योगिकी अवसंरचना का समुचित प्रयोग न हो पाना।
  • योजनाओं, परियोजनाओं इत्यादि में सरकारी प्रोसेस रिइंजीनियरिंग का अभाव।
  • अनुपयुक्त डाटाबेस तथा एप्लीकेशन्स।
  • एकीकरण एवं पारस्परिकता  का  अभाव।
  • मौजूदा मिशन मोड प्रोजेक्ट (MMPs) के सीमित कार्यक्षेत्र ।
  • विभिन्न MMPs की  समावेशी प्रकृति।
  • प्रोजेक्टों की कार्यावधि में  अनावश्यक वृद्धि।
  • अंतिम बिंदु तक कनेक्टिविटी का अभाव।
  • इन मुद्दों के समाधान हेतु वर्ष 2014 में ई-क्रांति फ्रेमवर्क (या राष्ट्रीय ई-शासन योजना 2.0) प्रारंभ किया गया। ई-क्रांति का दृष्टिकोण “गवर्नेन्स के कायाकल्प के लिए ई-गवर्नेन्स का कायाकल्प” है। ई-क्रांति कार्यक्रम के अंतर्गत 44 MMPs शामिल हैं जिन्हें
    केंद्र, राज्य और एकीकृत परियोजनाओं में समूहबद्ध किया गया है।

ई-क्रांति के मुख्य सिद्धांत निम्नलिखित हैं:

  • परिवर्तन, न कि रूपांतरण, एकीकृत सेवाएं न कि व्यक्तिगत सेवाएं,
  • प्रत्येक MMP में सरकारी प्रोसेस रिइंजीनियरिंग को अनिवार्य करना,
  • क्लाउड बाई डिफाल्ट,
  • मोबाइल प्रथम,
  • भाषा का स्थानीयकरण,
  • मांग पर ICT बुनियादी ढांचा,
  • फास्ट ट्रैक स्वीकृति,
  • मानकों और प्रोटोकॉल की अनिवार्यता,
  • नेशनल GIS (जियो-स्पेशियल सूचना प्रणाली) तथा
  • सुरक्षा और इलेक्ट्रोनिक डाटा संरक्षण।

 

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