1. शरीर के जोड़ों में गठिया रोग (आर्थराइटिस) निम्नलिखित में से किसके जमाव से होता है?
(a) यूरिया
(b) यूरिक अम्ल
(c) एल्बुमिन
(d) कोलेस्ट्रॉल
[U.P.P.C.S. (Mains) 2013]
उत्तर – (b) यूरिक अम्ल
- गढ़िया रोग शरीर के जोड़ों में यूरिक अम्ल के जमाव से होता है।
- जब कभी गुर्द से मूत्र कम अथवा मूत्र अधिक बनने से सामान्य स्तर भंग होता है, तो यूरिक अम्ल का रक्त स्तर बढ़ जाता है और यूरिक अम्ल के क्रिस्टल भिन्न-भिन्न जोड़ों पर जमा हो जाते हैं।
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2. मिलावटी सरसों के तेल में पके भोजन को खाने वाले लोगों में होने वाली खतरनाक ‘ड्राप्सी’ का कारण निम्न में से कौन-सा एक नहीं हो सकता है (जैसा कि भारत में हुआ)?
(a) आर्जीमोन तेल मिलावट
(b) सरसों के तेल के सायनायड अंश
(c) धान की भूसी की तेल मिलावट
(d) उजला रंग करने वाली मिलावट
[U.P. Lower Sub. (Pre) 1998]
उत्तर – (c) धान की भूसी की तेल मिलावट
- घातक ड्रॉप्सी (Dropsy) रोग होने के कारणों में सरसों के तेल में आर्जीमोन तेल का मिलावट, सरसों के तेल के सायनायड अंश, उजला रंग करने वाली मिलावट इत्यादि शामिल हैं, जबकि धान की भूसी की तेल मिलावट इसका कारण नहीं है।
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3. “यह एकल कोशिका के रूप में उत्पन्न होता है और ऐसे निर्दयी रोग का रूप धारण कर लेता है, जिससे प्रतिवर्ष लाखों लोग मौत के घाट उतर जाते हैं। पर वैज्ञानिक धैर्यपूर्वक इसके रहस्यों का उद्घाटन करने में लगे हैं और इसके विरुद्ध संघर्ष एक नाटकीय मोड़ पर पहुंच गया लगता है…….. के विरुद्ध युद्ध में नई खोजें श्रेष्ठतर चिकित्सा के लिए विश्वास और आशा का संचार कर रही है।”
ऊपर के उद्धरण में निर्दिष्ट रोग है-
(a) कैसर
(b) एड्स
(c) यक्ष्मा
(d) अल्जाइमर रोग
[I.A.S. (Pre) 1995]
उत्तर – (a) कैसर
- कैंसर (Cancer) एक प्रकार की असंगठित ऊतक वृद्धि की बीमारी है, जो कोशिकाओं में अनियंत्रित विभाजन तथा विकास के कारण होती है।
- यह एक अत्यन्त ही घातक रोग है, जो उन सभी अंगों में हो सकता है, जिनकी कोशिकाएं विभाजन की क्षमता रखती हैं।
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4. एंथोफोबिया निम्न का डर है-
(a) अधिकारी का
(b) अग्नि का
(c) पुष्पों का
(d) कुत्तों का
[R.A.S./R.T.S (Pre) 1999]
उत्तर – (c) पुष्पों का
- एंथोफोबिया (Anthophobia) शब्द की व्युत्पत्ति ग्रीक भाषा ‘एंथॉस'(Anthos = Flower) तथा फोबॉस (Phobos = Fear) से हुई है, जिसमें पुष्पों तथा पुष्यों के विभिन्न भाग जैसे दलपुंज इत्यादि से भरा उत्पन्न होता है।
- किसी वस्तु या घटना के प्रति असंगत तथा काल्पनिक भय का होना फोबिया (phobia) कहलाता है।
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5. वातोत्माद (हिस्टीरिया) रोग सामान्यतः किस वर्ग में होता है?
(a) विवाहित महिलाएं
(b) बूढ़ी महिलाएं
(c) जवान महिलाएं
(d) जवान पुरुष, महिलाएं
[U.P. P.C.S. (Pre) 1991]
उत्तर – (c) जवान महिलाएं
- वातोत्माद अर्थात हिस्टीरिया (Hysteria) नामक रोग सामान्यतः उन महिलाओं को अधिक होता है, जो कि जवान तथा अविवाहित होती हैं, क्योंकि यह तंत्रिका तंत्र संबंधी रोग है जिसमें महिलाओं में घबराहट, बेचैनी एवं बेहोशी के लक्षण दिखते हैं।
- बाद में शादी हो जाने पर यह रोग स्वतः ही ठीक हो जाता है।
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6. ‘सिलिकॉसिस’ एक है-
(a) गुर्दा संबंधित बीमारी
(b) यकृत संबंधित बीमारी
(c) फेफड़े संबंधित बीमारी
(d) अव्यवस्थित तंत्रिका
[Uttarakhand U.D.A.L.D.A. (Pre) 2007]
उत्तर – (c) फेफड़े संबंधित बीमारी
- सिलिकॉसिस, फेफड़े से संबंधित रोग है। धूल कणों में उपस्थित सिलिका श्वसन के द्वारा मनुष्य के फेफड़ों में पहुंच जाता है।
- सिलिका के नियमित रूप से फेफड़ों में पहुंचने से यह रोग हो जाता है।
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7. सही जोड़े बनाइए तथा नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए:
(A) रक्ताल्पता (एनीमिया) |
(1) विटामिन ‘बी’ की कमी |
(B) गला घोंटू (ग्वावटर) |
(2) लौह-तत्व की कमी |
(C) रतौंधी (नाइट-ब्लाइंडनेस) |
(3) आयोडीन की कमी |
(D) बेरी-बेरी |
(4) विटामिन ‘ए’ की कमी |
कूट :
ABCD
(a)2,1,3,4
(b)2,3,4,1
(c)1,2,3,4
(d)2,4,3,1
[M.P.P.C.S. (Pre) 2008]
उत्तर – (b) 2,3,4,1
- सही सुमेलन इस प्रकार है:
रक्ताल्पता (एनीमिया) |
लौह-तत्व की कमी |
गला घोंटू (ग्वायटर) |
आयोडीन की कमी |
रतौंधी (नाइट-ब्लाइंडनेस) |
विटामिन ‘ए’ की कमी |
बेरी-बेरी |
विटामिन ‘बी’ को कमी |
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8. किस तत्व की कमी से घेघा रोग हो जाता है?
(a) नाइट्रोजन
(b) कैल्शियम
(c) आयोडीन
(d) फॉस्फोरस
[U.P.P.C.S. (Pre) 2007, M.P.P.C.S. (Pre) 1997]
उत्तर – (c) आयोडीन
- आयोडीन (lodine) की कमी होने से शरीर के गले में चैधा (Goitre) नामक रोग हो जाता है।
- इससे गरदन फूलकर मोटी, कॉलर (Collar) जैसी दिखाई देने लगती है।
- आयोडीन के स्रोत दूध, समुद्री भोजन तथा आयोडीन युक्त नमक (lodised Salt) हैं।
- यह थाइरोक्सिन (Thyroxin) हॉर्मोन का महत्वपूर्ण घटक है।
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9. आयोडीन उन बीमार व्यक्तियों को दी जाती है. जो पीड़ित होते हैं।
(a) गठिया से (रह्यूमेटिज्म)
(b) रतौंधी से
(c) रिकेट्स से
(d) घेघा से
[U.P.P.C.S. (Mains) 2007]
उत्तर – (d) घेघा से
- चेचा (Goitre) रोग आयोडीन की कमी से होता है, अतः इस रोग से पीड़ित व्यक्तियों को आयोडीन दी जाती है।
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10. उन देशों में जहां के लोगों का मुख्य खाद्यान्न पालिश किया हुआ चावल है, लोग पीड़ित हैं-
(a) चर्मग्राह (पेलेग्रा) से
(b) बेरी-बेरी से
(c) स्कर्वी से
(d) ऑस्टांमैलेशिया से
[U.P.P.C.S. (Pre.) 2010]
उत्तर – (b) बेरी-बेरी से
- बेरी-बेरी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाली व्याधि है, जो मुख्यतः आहार में थायमीन (विटामिन B) की कमी से होती है।
- पॉलिश किए हुए चावल में थायमीन बहुत ही अल्प मात्रा में पाया जाता है।
- अतः इसका सेवन करने वाले व्यक्तियों में बेरी-बेरी रोग होने की संभावना प्रबल होती है।
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11. मानव आहार में पॉलिश किए हुए चावल के उपयोग से निम्नलिखित रोग हो जाता है-
(a) सूखा रोग
(b) रक्ताल्पता
(c) घेघा
(d) बेरी-बेरी
[U.P. P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर – (d) बेरी-बेरी
- पॉलिश किए हुए चावल में थायमीन बहुत ही अल्प मात्रा में पाया जाता है।
- अतः इसका सेवन करने वाले व्यक्तियों में बेरी-बेरी रोग होने की संभावना प्रबल होती है।
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12. बीमारी पता करने के यंत्र MRI का मतलब होता है-
(a) चुंबकीय रेजोनेन्स सूचकांक
(b) चुंबकीय रिजोलुशन सूचना
(c) चुंबकीय रेजोनेन्स चित्रीकरण
(d) उपरोक्त सभी
[U.P.P.C.S. (Mains) 2008]
उत्तर – (c) चुंबकीय रेजोनेन्स चित्रीकरण
- एमआरआई यानी ‘चुंबकीय रेजोनेन्स चित्रीकरण (MRI -Magnetic Resonance Imaging) तकनीक में चुंबकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगों का प्रयोग कर शरीर के भीतरी अंगों की विस्तृत तस्वीर ली जाती है।
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13. एमआरआई निम्न में से क्या है?
(a) मैग्नेटिक रेकॉर्ड ऑफ इंटेस्टाइन्स
(b) मैग्नेटिक रिकॉर्डिंग ऑफ इन्वेस्टिगेशंस
(c) मैग्नेटिक रेज़ोनेन्स इमेजिंग
(d) मैग्नेटिक रेज़ोनेन्स इन इंटेस्टाइन्स
[U.P.P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर – (c) मैग्नेटिक रेज़ोनेन्स इमेजिंग
- एमआरआई यानी ‘चुंबकीय रेजोनेन्स चित्रीकरण (MRI -Magnetic Resonance Imaging) है।
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14. BMD परीक्षण किया जाता है, पहचान करने के लिए-
(a) डेंगू को
(b) मलेरिया को
(c) ऑस्टियोपोरोसिस को
(d) एड्स को
[U.P.P.C.S. (Pre) 2011]
उत्तर – (c) ऑस्टियोपोरोसिस को
- BMD परीक्षण ऑस्टियोपोरोसिस (अस्थिरंध्रता) रोग की पहचान के लिए किया जाता है।
- ऑस्टियोपोरोसिस हड्डी का एक रोग है, जिसमें फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।
- इस रोग में अस्थि खनिज घनत्व (BMD: Bone Mineral Density) कम हो जाता है तथा अस्थि सूक्ष्म-संरचना नष्ट हो जाती है।
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15. BMD परीक्षण किया जाता है-
(a) गठिया हेतु
(b) अस्थिरंध्रता हेतु
(c) अस्थिमलैसिया हेतु
(d) इनमें से कोई नहीं
[U.P.P.C.S. (Mains) 2014]
उत्तर – (b) अस्थिरंध्रता हेतु
- BMD परीक्षण ऑस्टियोपोरोसिस (अस्थिरंध्रता) रोग की पहचान के लिए किया जाता है।
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16. BMD परीक्षण का पूर्ण रूप क्या है?
(a) बोन मैरो डेसिटी
(b) बोन मिनरल डेंसिटी
(c) बोन मैरो डेफिसियेंसी
(d) बोन मैरो डिफरेन्शियेशन
[U.P.P.C.S. (Mains) 2015]
उत्तर – (b) बोन मिनरल डेंसिटी
- (BMD: Bone Mineral Density) बोन मिनरल डेंसिटी BMD परीक्षण का पूर्ण रूप है।
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17. रक्त में ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन (HbA1c) का मापन निम्नलिखित में से किसके प्रबंधन के लिए लागदायक है?
(a) रक्ताल्पता
(b) हीमोफिलिया
(c) मधुमेह
(d) उच्ब रक्त चाप
[U.P.B.E.O. (Pre) 2019]
उत्तर – (c) मधुमेह
- रक्त में ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन (HbA1c) का मापन मधुमेह प्रबंधन के लिए लाभदायक है।
- इसके द्वारा रक्त में पिछले आठ से बारह सप्ताह की शुगर की मात्रा का पता लगाया जाता है।
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18. जो मनुष्य यह नहीं समझ पाता कि कब उसे भोजन करना रोक देना चाहिए, वह पीड़ित है-
(a) बुलीमिया से
(b) मधुमेह रो
(c) ऐनोरेक्सिया नर्वासा से
(d) अतिअम्लता से
[U.P.P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर – (a) बुलीमिया से
- बुलीमिया नर्वोसा एक प्रकार का भोजन संबंधी विकार है।
- बुलीमिया से इस्त व्यक्ति बहुत कम समय में बहुत अधिक मात्रा में मोजन का सेवन कर लेता है और फिर वजन वृद्धि से बचने के लिए मत-त्याग आदि माध्यमों से ग्रहण किए गए भोजन का त्याग करने के लिए प्रयासरत रहता है।
- बुलीमिया से ग्रस्त व्यक्ति ऐसा महसूस करता है कि उसका इस बात पर कोई नियंत्रण नहीं है कि उसे कितना भोजन करना है।
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19. इटाई-इटाई रोग किसके दीर्घकालीन विपाक्तन से होता है?
(a) पारव
(b) निकिल
(c) कैडमियम
(d) सीसा
[U.P.P.C.S. (Mains) 2008]
उत्तर – (c) कैडमियम
- इटाई-इटाई रोग कैडमियम के दीर्घकालीन विषाक्तन से होता है।
- सर्वप्रथम यह रोग जापान के टोयामा प्रांत में देखा गया।
- खनन कार्य के द्वारा नदियों में कैडमियम के विमोचन से यह रोग फैला।
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20. शरीर में किस स्थिति को कैंसर कहते हैं?
(a) स्वस्थ सेलों को बनना बंद होना, जिससे क्रमशः मृत्यु हो जाती है।
(b) जहरीले रसायनों का शरीर के किसी भाग में एकत्र होना औरअंततः मृत्यु होना।
(c) सेलों का अनियंत्रित बहुगुणन होना, इससे स्वस्थ सेलों का चम घुटना और अंततः मृत्यु होना।
(d) शरीर में घाव या ट्यूमर होने से दिमाग का काम बंद करना और अंततः मृत्यु होना।
[M.P.P.C.S. (Pre) 1996]
उत्तर – (c) सेलों का अनियंत्रित बहुगुणन होना, इससे स्वस्थ सेलों का चम घुटना और अंततः मृत्यु होना।
- करार (Cancer) की अवस्था में कोशिकाओं (Cells) का अनियंत्रित बहुगुणन (Multiplication) होता है तथा ये कोशिकाएं पोषक पदार्थों की इतनी अधिक खपत करने लगती हैं कि शरीर की सामान्य कोशिकाओं को पोषक पदायों की पूर्ति नहीं हो पाती है।
- अतः शरीर की कोशिकाएं शनैः-शनैः शीण होकर समाप्त होने लगती है।
- कैंसर के रोगी की मृत्यु इसी कारण होती है।
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21. ‘ब्लू बेबी’ नामक प्रदूषण कारित बोनारी पीने वाले जल में निम्न में से किसके अधिक विद्यमान होने के कारण होती है?
(a) फलोराइड
(b) क्लोराइड
(c) नाइट्रेट
(d) आर्सेनिक
[U.P.P.C.S. (SpL) (Mains) 2004,R.A.S./RTS (Pre) 2010]
उत्तर – (c) नाइट्रेट
- न्यू बेबी सिड्रोम रोग से बच्चों के प्रभावित होने की संभावना तब होती है, जब जल में नाइट्रेट की मात्रा 10ppm से अधिक होती है।
- इससे बच्चे के होंठ एवं शरीर का रंग नौला पढ़ने लगता है।
- यह नाइट्रेट हीमोग्लोबिन से क्रिया करके उसकी ऑक्सीजन परिवहन की क्षमता को कम कर देता है, जिसने शासन किया सुचारू रूप से संपादित नहीं हो पाती है।
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22. रक्त में निम्न की अधिकता से ब्लू बेबी सिंड्रोम’ नामक बीमारी होती है:
(a) आवरन
(b) लेठ
(c) मिथेमोग्लोबिन
(d) नाइट्रेट
[M.P.P.C.S. (Prev) 2014]
उत्तर – (c) मिथेमोग्लोबिन
- ब्लू बेबी सिंड्रोम (मिथेमोग्लोबिनोनिया) शरीर में ऑक्सीजन का परिवहन करने की रक्त की क्षमता के घटने का परिणाम होता है।
- पेयजल में नाइट्रेट की अधिकता इसका सबसे आम कारण है।
- प्रमुख रूप से नवजात शिशु इस रोग से प्रभावित होते हैं।
- शरीर में नाइट्रेट नाइट्राइट में परिवर्तित हो जाते हैं।
- ये नाइट्राइट लाल रक्त कणिकाओं में उपस्थित हीमोग्लोबिन से अभिक्रिया करके मिथेमोग्लोबिन का निर्माण करते हैं।
- मिथेमोग्लोबिन की अधिकता से शरीर की कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सजन प्राप्त नहीं होती और यही स्थिति ब्लू बेबी सिंड्रोम है।
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23. रक्त में निम्नलिखित में से किसकी उपस्थिति के कारण ‘ब्लू बेबी सिंड्रोम’ होता है?
(a) हीमोग्लोबिन
(b) मिथेोग्लोबिन
(c) लेड
(d) नाइट्रेट
[U.P.P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर – (b) मिथेोग्लोबिन
- मिथेमोग्लोबिन की अधिकता से शरीर की कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सजन प्राप्त नहीं होती और यही स्थिति ब्लू बेबी सिंड्रोम है।
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24. चिकित्सकीय माषा में ‘गोल्डेन ऑदर’ का संबंध है-
(a) कैंसर के अंतिम चरण से
(b) गर्म में शिशु की जानकारी से
(c) हृदयाघात से
(d) वास्तव में बच्चे के जन्म लेने से
[U.P.P.C.S. (Mains) 2014]
उत्तर – (c) हृदयाघात से
- दिल का दौरा पड़ने (Heart attack) के पहले घंटे को गोल्डेन ऑवर के नाम से जाना जाता है।
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25. बीटा-ब्लॉकर एक ओषधि है. बचाने हेतु-
(a) हृदयाघात से
(b) प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने से
(c) चिरकालिक मधुमेह से
(d) इनमें से करई नहीं
[U.P.P.C.S. (Mains) 2014]
उत्तर – (a) हृदयाघात से
- बीटा-ब्लॉकर एक ऐसी ओषधि है, जिसका उपयोग हृदयाघात और उच्च रक्तचाप (hyperiension) से बचाने के लिए किया जाता है।
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26. हृदय की यड़कन नियंत्रित करने के लिए निम्न में से कौन-सा खनिज आवश्यक है?
(a) सोडियम
(b) गंधक
(c) पोटेशियम
(d) लोहा
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2003, U.P.P.C.S. (SpL) (Mains) 2004, U.P.P.C.S. (Mains) 2008]
उत्तर – (c) पोटेशियम
- पोटेशियम हृदय की धड़कन एवं नाही संस्थान के कार्यों को संचालित करता है।
- मांस, मछली, अनाज, फल, सब्जियां इत्यादि पोटेशियम (K) के अच्छे खोत हैं।
- फॉस्फोरस हड्डियों के विकास के लिए आवश्यक है।
- लौह तत्व की कमी से रक्ताल्पता (Anaemia) रोग होता है।
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27. निम्नलिखित में से कौन-सा पोटेशियन अल्पता से संबद्ध है?
(a) नृक्क क्षति तथा पेशीय लकवा
(b) निम्न रक्तचाप
(c) रक्ताल्पता
(d) जोड़ों में व्यथा तथा धूमिल दृष्टि
[U.P. Lower Sub. (Spl.) (Pre) 2003, U.P. Lower Sub. (Pre) 2002,U.P.P.C.S. (Pre) 2001]
उत्तर – (b) निम्न रक्तचाप
- शरीर में पोटैशियम (Potassium) की कमी से निम्न रक्त बाप (Low Blood pressure) की बीमारी हो जाती है।
- पोटेशियम एक खनिज लवण (Minerals) है, जिसका मुख्य स्रोत (Source) मांस, दूध, अनाज, फल तथा सब्जिया है एवं इस खनिज लवण की दैनिक जावश्यकता 2 ग्राम होती है।
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28. यदि मूत्र में एल्बुमिन आ रहा हो, तो ऐसे व्यक्ति के निम्न में से किस एक अंग के फेल हो जाने से पीड़ित होने की संभावना होती है?
(a) यकृत
(b) वृक्क
(c) हृदय
(d) प्लीहा
[U.P. Lower Suh. (Pre) 1998]
उत्तर – (b) वृक्क
- मूत्र (Urine) में सामान्यतः 95% जल, 3% अनावश्यक लवणों के आयन, 2.6% यूरिया, 0.3% क्रोटिनीन तथा सूक्ष्म माझ में यूरिकः अम्मल तथा अन्य अनावश्यक और अपशिष्ट पदार्थ होते हैं अर्थात मूत्र ऐसे तत्वों का संयुक्त उताव है।
- इसमें एल्बुमिन (Albumin) जो एक में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है, की उपस्थिति एवं उसके प्रभाव से वृक्क (Kidney) के फेल हो जाने की आशंका होती है।
- लंबे समय तक उपवास रखने का सर्वाधिक प्रभाव गुर्दे या वृक्क पर पड़ता है।
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29. लंबे समय तक उपवास रखने का सर्वाधिक प्रभाव शरीर के किस अंग पर पड़ता है?
(a) हृदय पर
(b) आंत पर
(c) फेफड़े पर
(d) गुर्दे पर
[U.P.P.CS. (Mains) 2013]
उत्तर – (d) गुर्दे पर
- लंबे समय तक उपवास रखने का सर्वाधिक प्रभाव गुर्दे या वृक्क पर पड़ता है।
|
30. सूची-1 को सूची-11 के साथ सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिए-
सूची-1
(रेडियो समस्थानिक) |
सूची-11
(निदान सूचक उपयोग) |
(A) आर्सेनिक-74 |
1. थायरॉइड ग्रंथि की सक्रियता |
(B) कोबॉट-60 |
2. रक्त व्यतिक्रम |
(C) आयोडीन-131 |
3. ट्यूमर |
(D) सोडियम-24 |
4. कैसर |
कूट :
ABCD
(a)1,2,3,4
(b)4,3,1,2
(c)3,4,1,2
(d)4,3,2,1
[U.P.P.C.S. (Pre) 2003, 2001, U.P. U.D.A/LD.A. (Pre) 2002, U.P. Lower Suh. (Spl.) (Pre) 2003]
उत्तर – (c) 3,4,1,2
- सुमेलित क्रम है-
आर्सेनिक-74 |
ट्यूमर की पहचान |
कोबॉल्ट-60 |
कैंसर |
आयोडीन-131 |
थायरॉइड ग्रंथि सक्रियता |
सोडियम-24 |
रक्त व्यतिक्रम |
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31. ट्यूमर की पहचान हेतु प्रयुक्त रेडियोधर्मी समस्थानिक है।
(a) आयोडीन 131
(b) कोॉल्ट-60
(c) आर्सेनिक-74
(d) सोडियम-14
[U.P.P.C.S. (Mains) 2003]
उत्तर – (c) आर्सेनिक-74
- ट्यूमर की पहचान हेतु प्रयुक्त रेडियोधर्मी समस्थानिक आर्सेनिक-74 है।
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32. निम्नलिखित में कौन-सा सुमेलित नहीं है?
(a) कोबॉल्ट-60 |
शरीर के अंतरंग के अर्थच का उपचार |
(b) आयोडीन-131 |
थायरॉइड अर्बुद का उपबार |
(c) फॉस्फोरस-32 |
श्वेतरक्तता का उपचार |
(d) गोल्ड-198 |
रेटिना गोषों का उपचार |
[U.P.P.C.S. (Mains) 2010]
उत्तर – (d) फॉस्फोरस-32 – श्वेतरक्तता का उपचार
- गोल्ड-198 सोने का रेडियोएक्टिव आइसोटोप है, जिसका प्रयोग कैरार उपचार में किया जाता है।
- अन्य युग्म सुमेलित है।
|
33. निम्नलिखित रेडियो-तत्वों में से किसका उपयोग मनुष्य के शरीर में रक्त प्रवाह की गति के मापन में किया जाता है?
(a) रेडियो-फॉस्फोरस
(b) रेडियो-आयोडीन
(c) रेडियो-आयरन
(d) रेडियो-सोडियम
[U.P.P.C.S. (Mains) 2012]
उत्तर – (d) रेडियो-सोडियम
- मनुष्य के शरीर में रक्त प्रवाह की गति के मापन हेतु रेडियो सोडियम का प्रयोग किया जाता है।
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34. ऑकोजीन संबंधित है-
(a) तपेदिक से
(b) पीलिया से
(c) कर्क रोग से
(d) अविज्बर से
[56 to 59 B.P.S.C. (Pre) 2015]
उत्तर – (c) कर्क रोग से
- ऑकेजीन एक असामान्य जौन है, जो कि जैनार (कर्क रोग) के लिए उत्तरदायी होता है।
- सर्वप्रथम इसकी पहचान एरुबारसी (SRC) के रूप में की गई थी।
- वर्ष 1970 में खोजा गया यह घटक मुर्गियों में कैंसर वायरस का चटक था, जिसे रौरा सकीमा वायरस का नाम दिया गया था।
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35. कोबॉल्ट-60 आमतौर पर विकिरण चिकित्सा में प्रयुक्त होता है. क्योंकि यह उत्सर्जित करता है-
(a) अल्फा किरणे
(b) बरौटा किरण
(c) गामा किरणों
(d) एका किरणे
[I.A.S. (Pre) 1999, Jharkhand P.C.S. (Pre) 2010, U.P.P.S.C. (GIC) 2010]
उत्तर – (c) गामा किरणों
- कोबॉल्ट-600, कोबॉल्ट का सिंथेटिक रेडियोधर्मी आइसोटोप है।
- कोबाल्ट पर न्यूट्रीनों की बमबारी के फलस्वरूप गामा किरण उलार्जित होती हैं।
- यही कारण है कि यह विकिरण विकित्सा में प्रयुक्त होता है।
- इसका उपयोग कैंसर के इलाज में किया जाता है।
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36. ट्यूमर संसूचित करने में प्रयुक्त रेडियो समस्थानिक है-
(a) As-74 (आर्बनिक-74)
(b) Co-60 (कोबॉल्ट-60)
(c) Na-24 (सोडियम-24)
(d) C-14 (कार्बन-14)
[U.P. U.D.ALD.A. (SpL.) (Pre) 2010, U.P. Lower Sub. (Pre) 2013]
उत्तर – (a) As-74 (आर्बनिक-74)
- ट्यूमर संसूचित करने में प्रयुक्त रेडियो समस्थानिक आर्सेनिक 74 है।
- परिसंचरण तंत्र में रक्त के थक्के का पता लगाने के लिए सोडियम-24 का, कैनर के उपचार में कोबील्ट-60 का तथा जीवों (पौधों एवं जनुओं) के अवशेषों का पता लगाने में कार्बन-14 का प्रयोग किया जाता है।
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37. रक्त कैसर को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किया जाने वाता रेडियोधर्मी समस्थानिक है-
(a) फॉरफोरस-32
(b) कोबल्ट-60
(c) आयोडीन-131
(d) सोडियम-24
[R.A.S/R.T.S. (Pre) 1999, UP.P.C.S. (Mains) 2012]
उत्तर – (a) & (b) फॉरफोरस-32 & कोबल्ट-60
- रेडियो फॉस्फोरस (P12) तथा कोबॉल्ट-60 का उपयोग ल्यूकेमिया (एक प्रकार का रक्त कैंसर) के इलाज में किया जाता है।
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38. रक्त कैंसर (ल्यूकेनिया) की रोकथाम में प्रयोग किए जाने वाला रेडियो समस्थानिक है
(a) आयोडीन 13M
(b) सोडियम 24
(c) फॉस्फोरस – 32
(d) कोबाल्ट 60
(e) उपरोक्त में से कोई नहीं। उपरोक्त में से एक से अधिक
[B.P.S.C. (Pre) Exam, 2016]
उत्तर – (e) उपरोक्त में से कोई नहीं। उपरोक्त में से एक से अधिक
- रेडियो फॉस्फोरस (P12) तथा कोबॉल्ट-60 का उपयोग ल्यूकेमिया (एक प्रकार का रक्त कैंसर) के इलाज में किया जाता है।
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39. निम्नलिखित में से किसका उपयोग रक्त केसर के उपचार में किया जाता है?
(a) आयोडीन-131
(b) सोडियम-24
(c) फॉस्फोरस-32
(d) कोबॉल्ट-60
[UP.P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर – (c) & (d) फॉस्फोरस-32 & कोबॉल्ट-60
- रेडियो फॉस्फोरस (P12) तथा कोबॉल्ट-60 का उपयोग ल्यूकेमिया (एक प्रकार का रक्त कैंसर) के इलाज में किया जाता है।
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40. मांसपेशियों में दर्द के उपचार में उपयोग किया जाने वाला विकिरण है-
(a) इंफ्रारेड
(b) माइक्रोवेव
(c) यूवी
(d) एक्स-रे
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/ उपर्युक्त में से एक से अधिक
[66″ B.P.S.C. (Pre) 2020]
उत्तर – (a) इंफ्रारेड
- इंफ्रारेड विकिरण (Infrared Radiation – IR) या अवरक्त विकिरण का उपयोग मांसपेशियों में दर्द के उपचार में किया जाता है।
- इंफ्रारेड लैंप विद्युत उपकरण है, जिनसे इंफ्रारेड विकिरण उत्सर्जित की जाती है।
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41. ल्यूकेनिया एक प्रकार का कैंसर है, जिसने असाधारण बढ़ोत्तरी होती है-
(a) अस्थि कोशिकाओं की संख्या में
(b) प्लेटलेट की संख्या में
(c) ताल रक्त कोशिकाओं की संख्या में
(d) श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या में
[U.P.P.CS. (Pre) 2016]
उत्तर – (d) श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या में
- ल्यूकेमिया एक प्रकार का रक्त कैसर है, जिसमें रुधिर में श्वेत रक्त कणिकाओं की संख्या आवश्यकता से अधिक बढ़ जाती है।
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42. तीव्रता एवं प्रयुक्तता के आधार पर निम्नलिखित में से कौन-सा कर्क रोग उत्पन्न कर सकता है तथा उसका उपचार भी करता है?
(a) बाडू
(b) एल्कोहॉल
(c) उहवनीय विकिरण
(d) पराबैंगनी किरणे
[56° to 59 B.P.S.C. (Pre) 2015]
उत्तर – (c) उहवनीय विकिरण
- आयनीय विकिरण ही वह कारक है, जो कर्क रोग उत्पन्न कर सकता है और उपचार में भी बयुक्त होता है।
- विकिरण चिकित्सा में कैंसर की कोशिकाओं और संकुचित गांठ को नष्ट करने के लिए आयनीकरण, विकिरण का उपयोग किया जाता है।
- अनुरोधानों से स्पष्ट हो गया है कि निम्न एवं मध्यम विकिरण एक्सपोजर (exposure) नो कैनार नहीं होता है, लेकिन लंबे समय तक विकिरण के प्रयोग से कैंसर हो सकता है।
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43. सभी प्रकार के कैसर की चिकित्सा हेतु निम्नलिखित में से कौन-सा उपचार नवीनतम है?
(a) त्रिविम अनुरुय विकिरण चिकित्सा (3D CRT)
(b) प्रतिरक्षात्मक चिकित्सा (इम्यूनोविरैपी)
(c) तीव्रता अधिभिभित विकिरण चिकित्रा (आई.एम.आर. टी.)
(d) अणु-लक्षित चिकित्सा
[U.P.P.C.S. (Mains) 2017]
उत्तर – (c) तीव्रता अधिभिभित विकिरण चिकित्रा (आई.एम.आर. टी.)
- प्रश्नगत विकल्पों में सभी प्रकार के कैंसर की चिकित्सा हेतु आई.एम. शर. टी. अर्थात तीव्रता अधिमिश्रित विकिरण विकित्सा (Intensity Modulated Radiotherapy) नवीनतम है।
- यह चिकित्सा पद्धति स्वस्थ कोशिकाओं को क्षति में सुरक्षित करते हुए कैंसर प्रभावित कोशिकाओं को नष्ट करने में चिकित्सक की सहायता करता है।
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44. ‘सेरेब्रल पाल्सी’ एक मस्तिष्क संबंधी विकार है, जो सामान्यतया पाया जाता है:
(a) वृद्धी में
(b) यूग नशेड़ियों में
(c) छोटे बच्चों में
(d) केवल महिलाओं में
[U.P.P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर – (c) छोटे बच्चों में
- प्रमस्तिष्क अंगधात् या प्रमरितष्क पक्षाघात या सेरेब्रल पाल्सी एका प्रमस्तिष्क संबंधी विकार है।
- यह विकार विकसित होते मस्तिष्क के मोटर कंट्रॉल सेंटर (संचलन नियंत्रण केंद्र) में हुई किसी क्षति के कारण होता है।
- यह बीमारी मुख्यतः गर्भधारण, बच्चे के जन्म के समय और तीन वर्ष तक की आयु के बच्चों को होती है।
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45. अल्जाइमर (Alzheimer) रोग में मानव शरीर का कौन-सा अंग प्रभावित होता है?
(a) कान
(b) मस्तिष्क
(c) आख
(d) पेट
[R.A.S/R.T.S. (Pre) 2003, Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2005]
उत्तर – (b) मस्तिष्क
- अल्जाइमर (Alzheimer) नामक रोग में मानव शरीर कर प्रभावित होने वाला अंग (Organs) मस्तिष्क है, जिसमें मनुष्य की स्मरण क्षमता श्रीण हो जाती है।
- अधिकांशतया यह रोग भनुष्यों में 48-65 वर्ष के बाद होता है।
- सर्वप्रथम इस बीमारी को जर्मन न्यूरोलॉजिस्ट (Nurologist) डॉ. ए. एलोइस अल्जाइमर ने पहचाना था।
- एन्जाइमर रोग दो प्रकार का होता है, जिसमें एक वंशानुक्रम से प्राप्त होने वाला, जबकि दूसरा मनुष्य की बाद की आयु में प्रकट होने कला है।
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46. हाल ही में वैज्ञानिकों ने उस प्रोटीन की खोज कर ली है, जो मस्तिष्क के खतरनाक रोग अल्जाइमर को उत्पन्न करता है। निम्नलिखित में से वह कौन-सा प्रोटीन है?
(a) एमीलाइड मोनोप्रोटीन
(b) एमीलाइड मल्टीप्रोटीन
(c) एमीलाइन प्रीकर्सर प्रोटीन
(d) एमीलाइड लेप्टिक प्रोटीन
[UP. UDA/LD.A. (Pre) 2013]
उत्तर – (c) एमीलाइन प्रीकर्सर प्रोटीन
- वह प्रोटीन, जो मस्तिष्क के खतरनाक रोग अल्जाइमर को उत्पन्न करता है. वह है बीटा-एमीलाइड प्रोकरीर प्रोटीन (B-amyloid precursor protein)
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47. पार्किंसन बीमारी के उपचार के विकास के लिए किराको नोबेल पुरस्कार दिया गया?
(a) आर्वीस कार्लसन
(b) जॉन एक एडों
(c) रॉबर्ट बी. सफलीन
(d) वाल्टर कोहन
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं उपर्युक्त में से एक से अधिक
[66″ B.P.S.C. (Pre) 2020]
उत्तर – (a) आर्वीस कार्लसन
- फर्किनसन बीमारी के उपचार के विकास के लिए स्वीडिश न्यूरोसाइंटिस्ट आर्वीड कार्लसन को वर्ष 2000 के फिजियोलॉजी और मेडिसिन’ में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- उन्होंने खोजा कि डोपामाइन मस्तिष्क में एक महत्वपूर्ण न्यूरोट्रांसमीटर है और पार्किंसन रोग के दौरान मस्तिष्क के बेसल गैग्लिया में डोपामाइन उत्पन्न करने वाले तंत्रिका कोशिकाओं का क्षय होने लगता है, जो शरीर में कंपकपी (Tremor), अकड़न (Rigidity) तथा गति अक्षमता (Akinesia) का कारण बनता है।
- उनके शोध में यह ज्ञात हुआ कि पार्किंसन रोग मस्तिष्क के कुछ भाग में डोपामाइन की कमी के कारण होता है और इसके लिए एक कारगर ओषधि (L-dopa) विकसित किया जा सकता है।
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48. मनुष्य के अंगों में से, हानिकारक विकिरणों से सबसे कम सुप्रभाव्य अंग है-
(a) आँख
(b) हृदय
(c) मस्तिष्क
(d) फेफड़ा
[U.P.P.C.S. (Pre) 1999, 2011]
उत्तर – (c) मस्तिष्क
- विकिरणों (Radiations) के माध्यम से सर्वाधिक हानि आंख को होती है किंतु उसमें सबसे कम प्रभावित मस्तिष्क (Brain) होता है।
- पराबैगनी विकिरणों (UV-Radiations) के कारण जिराडर्मा पिगमेन्टोसम (Xeroderma Pigmentosum) नामक त्वचा का रोग हो जाता है।
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49. ब्रेन की बीमारी को पहचाना जाता है-
(a) ई.ई.जी
(b) ई.ई.सी.
(c) ई.एम.जी.
(d) ई.के.जी.
[U.P.P.C.S. (Pre) 1993]
उत्तर – (a) ई.ई.जी
- विद्युत मस्तिक लेख (Electro Encephalo Graphy – EEG) द्वारा ब्रेन (मस्तिष्क) की विभिन्न प्रकार की बीमारी जैसे मिरगी, मस्तिष्क कैन्सर, मस्तिष्क की टी. बी. इत्यादि को जाना जा सकता है।
- इंसबर्गर नामक वैज्ञानिक ने मनुष्य की खोपड़ी पर जो इलेक्ट्रोडों को रखकर मस्तिष्कঞ্চ। में पैदा होने वाली तरंगों को रिकॉर्ड किया, जिन्हें ग्राफ के रूप में व्यक्त किया जाता है।
- इसी को विद्युत मस्तिष्क लेख (EEG) कहते हैं।
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50. ई.ई.जी. से जिस अंग की कार्य-प्रणाली प्रकट होती है, वह है:
(a) इवम
(b) मस्तिष्क
(c) कान
(d) यकृत
[U.P. P.C.S. (SpL) (Pre) 2008]
उत्तर – (b) मस्तिष्क
- विद्युत मस्तिक लेख (Electro Encephalo Graphy – EEG) द्वारा ब्रेन (मस्तिष्क) की विभिन्न प्रकार की बीमारी जैसे मिरगी, मस्तिष्क कैन्सर, मस्तिष्क की टी. बी. इत्यादि को जाना जा सकता है।
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51. खुजलाने से खाज मिटती है, क्योंकि-
(a) इससे त्वचा की बाहरी धूल हट जाती है।
(b) इससे रोगाणु मर जाते हैं।
(c) इससे कुछ तंत्रिकाएं उदौप्त होती हैं, जो मस्तिष्क को प्रतिहिस्टामिन रसायनों का उत्सव बढ़ाने का निर्देश देती है।
(d) इससे खुजली उठान्न करने वाले एंजाइमों का दमन होता है।
[I.A.S. (Pre)1993]
उत्तर – (c) इससे कुछ तंत्रिकाएं उदौप्त होती हैं, जो मस्तिष्क को प्रतिहिस्टामिन रसायनों का उत्सव बढ़ाने का निर्देश देती है।
- खुजलाने से खाज मिटती है, क्योंकि इससे कुछ तंत्रिकाएं उदीप्त (Stimulate) होती है, यो कि मस्तिष्क को प्रतिहिस्टामिन (Antihistamine) रसायन उत्पादन बढ़ाने का निर्देश देती हैं।
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52. एनोस्सिया कहते हैं।
(a) स्वाद संवेदना की कमी को
(b) छान संवेदना की कमी को
(c) स्पर्श संवेदना की कमी कडे
(d) ऊष्मा संवेदना की कमी को
[U.P.P.C.S. (Pre) 2011]
उत्तर – (b) छान संवेदना की कमी को
- एनोरिमया या अचाणता या गंध-उद्याहाता में मनुष्य की सूचने की शक्ति का नाम हो जाता है।
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53. सूची-1 को सूची-11 के साथ सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
सूची-1 (रोग) |
सूची-II (कारण) |
A. खैरा |
1. विटामिन सी की महानता |
B. एनीमिया |
2. आयोडीन की महानता |
C. ग्वाइटर (गलघोटा) |
3. लौह की महानता |
D. स्कर्वी |
4. जस्ते की मलानता |
कूट:
ABCD
(a)1,2,3,4
(b)2,1,4,3
(c)3,4,1,2
(d)4,3,2,1
[U.P.P.C.S. (Mains) 2005]
उत्तर – (d) 4,3,2,1
- सुमेलित क्रम इस प्रकल है-
खैरा |
जस्ते को म्लानता |
एनीमिया |
लौह की महानता |
ग्वाइटर (गलघोटा) |
आयोडीन की महानता |
स्कर्वी |
विटामिन सी की ग्लानता |
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54. मिनीमाता व्याधि निम्न धातु की हानिकारक मात्रा के कारण हुई:
(a) बोरोन
(b) निकल
(c) आर्सेनिक
(d) पारा (Mercury)
[U.P.P.S.C. (R.L) 2014]
उत्तर – (d) पारा (Mercury)
- मिनीमाता रोग शरीर में पारा (Hg) की अधिकता के कारण होती है।
- मारंभ में यह जापान की मिनीमाता की खाड़ी में पारा समन्वित मछलियां खाने से हुई थी, इसलिए इसे ‘मिनीमाता व्याधि की संज्ञा दी गई।
- इरा रोग के कारण शरीर के अंग होंठ तथा जीभ काम करना बंद कर देते है।
- साथ ही बहरापन, आंखों का प्रेधलापन तथा मानसिक असंतुलन मी पैदा होता है।
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55. मिनीमाता व्याधि का मुख्य कारण है:
(a) आर्सेनिक विषाक्तता
(b) सीसा विषाक्तता
(c) पारद विषाक्तता
(d) कैडमियम विषाक्तता
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर – (c) पारद विषाक्तता
- मिनीमाता रोग शरीर में पारा (Hg) की अधिकता के कारण होती है।
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56. जापान की 1953 में होने वाली मिनिमाटा व्यामि हुई थी, उन मछलियों को खाने से जो संक्रमित थी-
(a) निकिल द्वारा
(b) सीसे द्वारा
(c) पारद द्वारा
(d) कैडमियम द्वारा
[U.P.P.C.S. (Pre) 2008, UP. Lower Sub. (Pre) 2004]
उत्तर – (c) पारद द्वारा
- मिनिमाटा व्याधि सर्वप्रथम जापान के मिनिनाटा शहर में ज्ञात हुई थी।
- यह व्याधि औद्योगिक संदूषित जल में मिथाइल मरकरी (Methyl Mercury) की निकासी से मिनिमाटा खाड़ी और शिरानुई सागर (Shiranui Sea) में मछलियों के प्रदूषित होने से हुई थी।
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57. एलर्जी के कारण कौन-सी बीमारी होती है?
(a) जायबिटीज
(b) हैजा
(c) रिंग बार्ग
(d) अस्थमा
[M.P.P.C.S. (Pre) 1991]
उत्तर – (d) अस्थमा
- एलजी (Allergy) वस्तु विशेष के प्रति मनुधा की अत्यधिक संवेदनशीलता है, जो सामान्य मनुधाई में नहीं पाई जाती है।
- ओषधि, परागकण, धूलकण, रासायनिक पदार्थ इत्यादि एलर्जी का कारण बनते है, जिन्हें एलर्जन (Allergens) कहते हैं।
- इनके कारण शरीर में अस्थमा (दमा), ज्वर, सिरदर्द, सर्दी इत्यादि रोग हो जाते हैं।
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58. कौन-सा प्रदूषण नॉक-नी-सिंड्रोम’ के लिए उत्तरदायी है?
(a) फ्लोराइड
(b) मरकरी/पारा
(c) सैनिक
(d) कैडमियम
[M.P.P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर – (a) फ्लोराइड
- जल में फ्लोराइड प्रदूषण नॉक-नी-सिंड्रोम (Knock-knee- syndrome) या गेनू वैलगम (Genu Valgum) के लिए उत्तरदायी होता है।
- फ्लोराइड प्रदूषण हॉटुगों के लिए विषाक्त प्रभाव उत्पन्न करता है, जो कि हड्डियों को कमजोरी, फ्रेक्चर और स्थायी विरूपण का कारण बनता है।
- रिकेट्स और ऑस्टियोकाड्रोडिस्प्लेरिया के कारण भी यह सिंड्रोम हो सकता है।
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59. यदि एक व्यक्ति केवल दूध, अंडों एवं रोटी का आहार करता तो उसको रोग हो सकता है-
(a) स्कर्वी का
(b) रिकेट्स का
(c) रतौंधी का
(d) मेरेमस का
[R.A.S/R.TS. (Pre) 1999]
उत्तर – (a) स्कर्वी का
- यदि व्यक्ति सिर्फ दूध, अंडा तथा रोटी का सेवन करता है, तो उसके शरीर में विटामिन-C की कमी हो जाएगी, जिसके परिणामस्वरूप उसमें स्कर्वी रोग (Scurvy Disease) हो जाएगा।
- स्कर्वी में सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव धानों के न भरने का होता है तथा इस रोग में दूसरे महलापूर्ण प्रभाव में हड्डी तथा दांतों की वृद्धि रुक जाती है।
|
60. निम्नलिखित में से कौन स्कर्वी रोग के इलाज में उपयोगी है?
(a) आम
(b) पपीता
(c) आंवला
(d) बेर
[U.P.P.C.S. (Pre) 2011]
उत्तर – (c) आंवला
- स्कर्वी विटामिन सी की कमी के कारण होने कला रोग है। ये विटामिन मानव में कोलेजन के निर्माण के लिए आवश्यक होता है।
- इस रोग में शरीर में खासकर जांघ और पैर में चकले पड़ जाते हैं।
- रोग बढ़ने पर समूहे सूज जाते हैं और फिर दांत गिरने लगते हैं।
- साई रसवार फल जैसे- आंवला, नारंगी, नींबू, संतरा, अंगूर, टमाटर इत्यानि विटामिन सी के अच्छे स्रोत हैं।
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61. रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ‘तुकोरिकन’ (Lukoskin) नामक एक औषधि विकसित की है। इसका इस्तेमाल _______के उपचार में किया जा रहा है।
(a) ल्यूकोडर्मा
(b) ल्यूकोरिया
(c) ल्यूकेमिया
(d) फेफड़ों का कैंसर
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2016]
उत्तर – (a) ल्यूकोडर्मा
- तुकोरिकन ल्यूकोडर्मा के इलाज हेतु विकसित एक हर्बल औषधि है।
- इसे हल्द्वानी (उत्तराखंड) स्थित बीआरडीओ की एक प्रयोगशाला ‘रक्षा जैव-ऊन्जों अनुसंधान संस्थान (DIBER) द्वारा विकसित किया गया है।
- उल्लेखनीय है कि ल्यूकोडर्मा (सदेव चाग) एक त्वचा रोग है।
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62. सूची-(1) तथा सूची (11) का सुनेल कीजिए और सूचियों के नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए-
(A) मलेरिया |
1. बोन मैरो (अस्थि मज्जा) |
(B) फाइलेरिया |
2. मस्तिष्क |
(C) इंसेफेलाइटिस |
3. मांसपेशियां |
(D) ल्यूकेमिया |
4. लसीका ग्रंथि |
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5.रक्त कोशिकाएं |
कूट:
ABCD
(a)5,3,2,1
(b)5,4,2,1
(c)4,3,5,1
(d)5,4,1,2
[I.A.S. (Pre) 1997, U.P.P.C.S. (Pre) 1998, U.PU.D.A/LL.D.A. (Mains) 2010]
उत्तर – (b) 5,4,2,1
- सुमेलित क्रम इस प्रकार है:
मलेरिया |
रक्त कोशिकाए |
फाइलेरिया |
लसीका ग्रंथि |
इन्सेफेलाइटिस(मस्तिष्क शोथ) |
मस्तिष्क |
ल्यूकेमिया (शोतरक्तता) |
बोन मैरो (अस्थि मज्जा) |
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63. सूची-1 को सूची-II से सुमेलित कीजिए और सूचियों के नीचे दिए गए कूटों की सहायता से सही उत्तर का चुनिए:
सूची-1(व्यादि) |
सूची-11(कारण) |
A. मेरैरमस |
1. दीर्घकालीन उपवास |
B. ववाशियोरकर |
2. प्रोटीन अल्पता |
C. टी.वी |
3. जीवाणु संक्रमण |
D. हेपेटाइटिस थी |
4. विषाणु संक्रमण |
कूट:
ABCD
(a)1,2,3,4
(b)2,1,3,4
(c)4,2,3,1
(d)2,4,1,3
[U.P.P.C.S. (Pre) 2010]
उत्तर – (a) 1,2,3,4
- दीर्घकालीन उपचारा अथवा मुखमरी की अवस्था में ऊर्जा की पूर्ति हेतु शरीर में उसकी और घोटींस का विखेदन होता है. जिसके परिणामस्वरूप बसा ऊतकों तथा पेशियों का क्षय होने लगता है।
- इसके शिवहर व्यक्ति दुबले और कमजोर ही उकते हैं, आंखें भीतर धंस जाती है, बाल झड़ने लगते हैं तथा त्वचा पर झुर्रियां पड़ जाती है।
- इस रोग को मैरेस्मस का रोग कहते हैं।
- भारत जैसे विकासशील देशों में यह रोग बच्वों में अधिक पाया जाता है।
- पीड़ित बच्चों की वृद्धि रुक जाती है।
- जबकि भोजन में लगातार प्रोटीस की कमी रहे तो सरीर कमजोर हो जाता है, पैर तथा पेट फूल जाता है, त्वचा सूखी व पपड़ीवार हो जकती है. रोगी सुस्त एवं कुंठित रहने लगता है।
- इन्हीं सब लक्षणों को सम्मिलित रूप से क्वाफियोरकर का रोग कहते हैं।
- काशियोस्कर रोग में पीड़ित को पर्याप्त मात्रा में भोजन तो मिलता है, परंतु उसमें प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा नहीं होती।
- जबकि मेरेस्मस उपवास के कारण रोगी के शरीर में प्रोटीन सहित ऊर्जा के सभी स्रोतों का अभाव होता है।
- तपेदिक (IB: Tuberculosis) माइकोबैक्टिरियम ट्यूबरक्यूलोसिस (MTB) नामक जीवाणु से होने वाला रोग है।
- हेपेटाइटिस बी एक संक्रामक रोग है, जो हेपेटाइटिस बी विषाणु (HBV) द्वारा होता है।
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64. बच्चों में प्रोटीन की न्यूनता के कारण जो रोग उत्पन्न होता है.वह है-
(a) मेरैस्मस
(b) पैलाड़ा
(c) बेरी-बेरी
(d) रिकेट्स
[U.P. P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर – (a) मेरैस्मस
- बच्चों में प्रोटीन की न्यूनता के कारण मेरैस्मस रोग उत्पन्न होता है।
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65. निम्नलिखित में से किसमें सुमेल है?
(a) मोतियाबिद |
आंत |
(b) पीलिया |
यकृत |
(c) टायफॉइड |
फेफड़े |
(d) निमोनिया |
आंखें |
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2005]
उत्तर – (b) पीलिया – यकृत
- सुमेलित क्रम इस प्रकार है-
मोतियाबिद |
आंखें |
पीलिया |
यकृत |
टायफॉइड |
आंत |
निमोनिया |
फेफड़े |
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66. अबिंदुकता एक बीमारी है-
(a) कानों की
(b) आंखों की
(c) नाक की
(d) गले की
[U.P.P.C.S. (Mains) 2004]
उत्तर – (b) आंखों की
- अबिदुकता आंखों से जुड़ी बीमारी है।
- इस रोग से प्रभावित व्यक्ति की दृश्यता में कमी के जाती है और वह ऊपर-नीचे एवं बाएं-चाएं की वस्तुओं को उचित ढंग से नहीं देख पाता है।
- इस बीमारी से मुक्ति हेतु बेलनाकार लैस का प्रयोग किया जाता है।
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67. मायोपिया किस अंग का दोष है?
(a) हृदय
(b) कर्म
(c) नेत्र
(d) वृक्क
[M.P.P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर – (c) नेत्र
- मायोपिया (Myopia) या निकट दृष्टि दोष आंखों में होने वाली एक समस्या है, जिसमें निकट की वस्तु साफ-साफ दिखती है, पर दूर की वस्तु स्पष्ट नहीं दिखाई पड़ती।
- जिन लोगों को 1.2 मीटर की दूरी के बाद चीजें धुंधली दिखाई देती है, उन्हें इस समस्या से प्रभावित माना जाता है।
|
68. दृष्टि दोष ‘मायोपिया’ वाला व्यक्ति देख सकता है-
(a) नजदीक स्थित वस्तु को स्पष्ट रूप से
(b) दूर स्थिति वस्तु को स्पष्ट रूप से
(c) नजदीक एवं दूर स्थित वस्तुओं को स्पष्ट रूप से
(d) न ही नजदीक की और न ही दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से
[U.P.P.C.S. (Pre) (Re. Exam) 2015]
उत्तर – (a) नजदीक स्थित वस्तु को स्पष्ट रूप से
- मायोपिया (Myopia) या निकट दृष्टि दोष आंखों में होने वाली एक समस्या है, जिसमें निकट की वस्तु साफ-साफ दिखती है, पर दूर की वस्तु स्पष्ट नहीं दिखाई पड़ती।
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69. निकट दृष्टि दोष को ठीक किया जाता है-
(a) उत्तल लेंस प्रयुक्त करके
(b) अवतल लैस प्रयुक्त करके
(c) समतल अवतल लैस प्रयुक्त करके
(d) समतल कांच प्रयुक्त करके
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2003]
उत्तर – (b) अवतल लैस प्रयुक्त करके
- निकट दृष्टि दोष (Near sightedness) को अवतल लेंस (Concave lens) प्रयुक्त करके ठीक किया जाता है।
- इस प्रकार के दृष्टि दोष में नेत्र में गोलक के कुछ बड़े हो जाने या कार्निया अथवा लेंस के अधिक उत्तल हो जाने के कारण फोकस बिंदु तथा रेटिना के बीच की दूरी बढ़ जाती है।
- अतः पास की वस्तुएं तो साफ, किंतु दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई देती है।
- इसमें वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर न बनकर कुछ आगे बन जाता है।
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70. दूरदृष्टि से पीड़ित व्यक्ति को कठिनाई होती है-
(a) दूर की वस्तु स्पष्ट देखने में
(b) पास की वस्तु स्पष्ट देखने में
(c) दूर व पास दोनों की वस्तु देखने में
(d) इनमें से कोई नहीं
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2003]
उत्तर – (b) पास की वस्तु स्पष्ट देखने में
- दूरदृष्टि दोष (Long sightedness) को हाइपरमेट्रोपिया (Hyper- metropia) भी कहते हैं, जिससे पीड़ित व्यक्ति को पास की वस्तु स्पष्ट देखने में कठिनाई होती है।
- इसमें सिर्फ दूर की वस्तुओं को ही साफ देखा जा सकता है, क्योंकि पास की वस्तुओं से आयी प्रकाशीय किरणें अपवर्तन के बाद केंद्रीभूत होने से पहले ही दृष्टिपटल (Retina) पर पड़ जाती हैं, अर्थात फोकस बिंदु दृष्टि पटल के पीछे हो जाता है।
- इस प्रकार के दृष्टिदोष में नेत्रगोलक का व्यास कम हो जाता है।
- तथा इसके उपचार के लिए उत्तल लेंस (Convex Lens) का चश्मा लगाया जाना चाहिए।
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71. दूर दृष्टि दोष में प्रतिबिंब निम्नलिखित पर बनता है-
(a) रेटिना पर
(b) रेटिना के आगे
(c) रेटिना के पीछे
(d) अन्य बिंदु पर
[R.O./A.R.O. (Mains) Exam. 2017]
उत्तर – (c) रेटिना के पीछे
- दूर दृष्टि दोष से पीड़ित कोई व्यक्ति दूर की वस्तुओं को तो स्पष्ट देख सकता है, परंतु निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख पाता।
- ऐसे दोष युक्त व्यक्ति का निकट बिंदु, सामान्य निकट बिंदु (25 सेमी.) से दूर हट जाता है।
- इस दृष्टि दोष में पास रखी वस्तु से आने वाली प्रकाश किरणें दृष्टिपटल (रेटिना) के पीछे फोकसित होती हैं।
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72. आंख के किस भाग में ‘अंध बिंदु’ या ‘पीत बिंदु’ पाए जाते हैं?
(a) कॉर्निया
(b) लेंस
(c) आयरिस
(d) दृष्टिपटल
[U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2008]
उत्तर – (d) दृष्टिपटल
- पीत बिंदु (Yellow spot) आंख के दृष्टिपटल (Retina) के मध्य में स्थित एक अंडाकार बिंदु है।
- यहीं दृष्टि संवेदन सबसे तीव्र होता है।
- अंध बिंदु वह स्थान है, जहां दृष्टि तंत्रिका (Optic nerve) रेटिना को अधि-बिम्ब (Optic-disc) पर बेचती है।
- इस स्थान पर प्रकाश संवेदनाओं को ग्रहण करने वाली फोटोरिसेप्टर कोशिकाओं का अभाव होता है।
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73. रेटिना अपवृद्धि है-
(a) पोन्स वेरोलाई की
(b) मध्यमस्तिष्क की
(c) अग्र मस्तिष्कपश्च की
(d) उन्मस्तिष्क की
[R.A.S/R.T.S. (Re. Exam) (Pre) 2013]
उत्तर – (c) अग्र मस्तिष्कपश्च की
- रेटिना अग्र मस्तिष्कपश्व की एक अपवृद्धि के रूप में विकसित होता है।
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74. मनुष्य की आंख में प्रकाश तरंगें किस स्थान पर स्नायु उद्वेगों में परिवर्तित होती हैं?
(a) कनीनिका (कार्निया)
(b) नेत्रतारा
(c) अक्षपट (रेटिना)
(d) लेस
[U.P.P.C.S. (Pre) 1997]
उत्तर – (c) अक्षपट (रेटिना)
- मनुष्य की आंख में प्रकाश तरंगें अक्ष पटल (रेटिना) पर स्नायु उद्वेगों के रूप में ही रूपांतरित होती हैं।
- वस्तु की उल्टी प्रतिमूर्ति (Image) नेत्र के रेटिना पर पड़ती है।
- रेटिना की संवेदी कोशिकाएं संवेदित होती है तथा दृक तंत्रिकाएं इस संवेदना को मस्तिष्क में पहुंचा देती हैं, जिसे मस्तिष्क अपनी विश्लेषण शक्ति द्वारा वस्तु के प्रतिबिम्ब के रूप में अनुभव करता है।
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75. यदि आंख का लेंस अपारदर्शी हो जाए, तो आंख का रोग कहा जाता है-
(a) निकट दृष्टि
(b) दृष्टि वैषम्य
(c) ग्लूकोमा
(d) मोतियाबिंद
[Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Pre) 2007]
उत्तर – (d) मोतियाबिंद
- मोतियाबिंद रोग आंख के लेंस के अपारदर्शी होने पर होता है।
- निकट दृष्टि दोष में दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई पड़ती हैं।
- दृष्टि वैषम्य रोग में कॉर्निया या आंख का लेंस पूर्णरूप से गोलाकार नहीं होता है तथा ग्लूकोमा बीमारी में आंख के पीछे स्थित दृश्य तंत्रिका धीरे-धीरे नष्ट हो जाती है।
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76. मोतियाबिंद द्वारा मानव नेत्र का निम्नलिखित में से कौन-सा भाग प्रभावित होता है?
(a) परितारिका
(b) दृष्टि पटल
(c) स्वच्छ मंडल
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
[U.P.P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर – (d) उपरोक्त में से कोई नहीं
- आंख की पुतली के पीछे एक लेंस होता है, जो केंद्र पर मोटा होता है।
- मोतियाबिंद होने पर नेत्र दृष्टि धुंधली हो जाती है।
- यह नेत्र लेंस के धुंधला हो जाने के कारण होता है।
- इसके निदान हेतु अपारदर्शी लेंस – को हटा कर नया कृत्रिम लेंस लगा दिया जाता है।
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77. सूची-1 (ओषध-रसायन) को सूची-II (उनके प्रयोग) से सुमेलित कीजिए और सूचियों के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
सूची-1 |
सूची-II |
(A) एट्रोपीन |
1. स्थानीय संज्ञाहरण |
(B) ईथर |
2. हृदय की तकलीफ |
(C) नाइट्रोग्लिसरीन |
3. तारा विस्फारण |
(D) पाइरेचिन |
4. मच्छर नियंत्रण |
कूट :
ABCD
(a)1,3,2,4
(b)1,3,4,2
(c)3,1,4,2
(d)3,1,2,4
[I.A.S. (Pre) 1999]
उत्तर – (d) 3,1,2,4
- एट्रोपीन (Atropine) एक ट्रोपेन एल्केलायड है, जिसे एट्रोपा वैलाडोना नामक पौधे से प्राप्त किया जाता है, जिसका उपयोग नेत्र की तारा विस्फारण (Dilation of Pupil) में किया जाता है।
- ईथर (Ether) एक रासायनिक यौगिक है, जिसका सामान्य सूत्र R-O-R है तथा इसका उपयोग स्थानीय संज्ञाहरण में किया जाता है।
- नाइट्रोग्लिसरीन (Nitroglycerine) भी एक रासायनिक यौगिक है जो कि रंगहीन, तैलीय, भारी तथा विस्फोटक-युक्त है, जिसे नाइट्रेटिंग ग्लिसरॉल से प्राप्त किया जाता है तथा इसका उपयोग हृदय की तकलीफ जैसे एन्जाइना तथा हार्ट अटैक की तकलीफ इत्यादि में किया जाता है, जबकि पाइरेथ्रिन (Pyrethrin) का उपयोग मच्छर नियंत्रण में करते है तथा इसे क्राइसेन्धिमम सिनेरेरीफोलियम (Chrysanthemum cinerariifolium) नामक पादप से प्राप्त करते हैं।
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78. मानव आंखों की पुतली जिस एल्केलायड के अति तनु विलयन से फैलायी जाती है, वह है-
(a) एफेड्रिन
(b) इक्वेनिल
(c) एट्रापिन
(d) एड्रिनलीन
[U.P.P.S.C. (R.I.) 2014]
उत्तर – (c) एट्रापिन
- मानव आंखों की पुतली एट्रापिन एल्केलायड के अति तनु विलयन से फैलायी जाती है।
- अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।
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79. स्लीप एप्निया एक भयंकर निद्रादोष है. जिसमें लोग-
(a) निद्रा में चलते हैं, बिना इस ज्ञान के कि वे क्या कर रहे हैं।
(b) निद्रा में आखें आधी खुली होती हैं।
(c) निद्रा में बार-बार थोड़ी-थोड़ी देर के लिए श्वास बाधित होता रहता है।
(d) निद्रा में तीव्र गति से खर्राटे लेते हैं।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर – (c) निद्रा में बार-बार थोड़ी-थोड़ी देर के लिए श्वास बाधित होता रहता है।
- ‘स्लीप एप्निया’ एक निद्रा संबंधी विकार है, जिसमें नींद में श्वसन प्रवाह बार-बार थोड़ी-थोड़ी देर के लिए बाधित होता रहता है।
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80. बायोलॉजिकल रीसर्फेसिंग एक आधुनिक शल्य तकनीक है, जिसके द्वारा उपचार करते हैं-
(a) घुटने के जोड़ों का
(b) एड़ी के जोड़ों का
(c) नितंब के जोड़ों का
(d) कशेरुकी जोड़ों का
[U.P.P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर – (*)
- हड्डियों के जोड़ में उनके सिरों पर चिकने एवं लचीले ऊतक की परत चढ़ी होती है, जिसे ‘कार्टिलेज’ (Cartilage) कहते हैं।
- यह दोनों हड्डियों के बीच एक गहरी की तरह कार्य करती है, जिस पर हड्डियां आसानी से घूमती हैं।
- आयु-वृद्धि या चोट आदि कारणों से कार्टिलेज घिसने लगता है और हड्डियां आपस में रगड़ खाने लगती है, जिससे जोड़ों में दर्द और जकड़न रहने लगती है।
- इस रोग को संधिवात (Osteoarthritis) कहते हैं।
- गंभीर रोगियों में संपूर्ण जोड़ प्रतिस्थापन’ (Total Joint Re- placement) इसका एकमात्र इलाज है।
- हालांकि आजकल संपूर्ण जोड़ प्रतिस्थापन के विकल्प के तौर पर केवल जोड़ों की ‘गठिया वाली सतह’ (Arthritic Surface) को ही बदलने की सुविधा भी चिकित्सा विज्ञान में उपलब्ध है, जिसे ‘ज्वाइंट रिसर्फसिंग’ या बायोलॉजिकल रिसर्फसिंग’ के नाम से जाना जाता है।
- घुटनों, कंधों, नितंबों, एड़ी जैसे कशेरुकी प्राणियों के शरीर के जोड़ों का उपचार इस आधुनिक शल्य तकनीक द्वारा किया जाता है।
- इस प्रकार उत्तर के तौर पर दिए गए चारों विकल्पों में से किसी भी एक का चयन किया जा सकता है।
- उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने प्रारंभ में जो उत्तर-कुंजी (Answer Key) जारी की थी, उसमें इस प्रश्न का उत्तर विकल्प (a) माना था, परंतु बाद में जारी संशोधित उत्तर-कुंजी में इस प्रश्न को मूल्यांकन से बाहर कर दिया।
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81. शरीर में लोहे की कमी से कौन-सी बीमारी हो जाती है?
(a) रिकेट्स
(b) रक्तक्षीणता
(c) स्कर्वी
(d) अधिरक्तस्राव
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1993, Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Pre) 2007]
उत्तर – (b) रक्तक्षीणता
- शरीर में लोहे (Iron) की कमी से रक्तक्षीणता (Anaemia) की बीमारी हो जाती है।
- मानव शरीर को लोहे की प्रतिदिन आवश्यकता 12-20 मिग्रा. होती है तथा इसका स्रोत मांस, अंडे, फलियां, अनाज तथा हरी सब्जियां हैं।
- यह हीमोग्लोबिन (Hb) तथा साइटोक्रोम (Cytochrome) एंजाइम का महत्वपूर्ण घटक है।
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82. शरीर के अंदर लौह की कमी से उत्पन्न होने वाला रोग है-
(a) वर्णाधता
(b) रतौंधी
(c) स्क्तहीनता
(d) तपेदिक
[U.P.P.C.S. (Pre) (Re. Exam) 2015]
उत्तर – (c) स्क्तहीनता
- शरीर में लोहे (Iron) की कमी से रक्तक्षीणता (Anaemia) की बीमारी हो जाती है।
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83. मदिरा के अतिशय सेवन से कौन-सा रोग होता है?
(a) अपैन्डिसाइटिस
(b) विषाणु यकृत-शोध
(c) पित्ताशय-पाषाण
(d) यकृत का सूषणरोग
[U.P.P.C.S. (Mains) 2008]
उत्तर – (d) यकृत का सूषणरोग
- अत्यधिक मात्रा में मदिरा के सेवन से लीवर सिरोसिस या यकृत का सूषण रोग हो जाता है।
- इस रोग में यकृत कोशिकाएं बड़े पैमाने पर नष्ट हो जाती है और उनके स्थान पर फाइबर तंतुओं का निर्माण हो जाता है।
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84. ओरल सबम्युकस फाइब्रोसिस बीमारी का कारण है
(a) मदिरापान
(b) तंबाकू धूम्रपान
(c) तंबाकू युक्त गुटखा
(d) लाल मांस का सेवन
[U.P.P.C.S. (Mains) 2014]
उत्तर – (c) तंबाकू युक्त गुटखा
- यह मुंह में सूजन और मुंह के अंदर फाइब्रोसिस ऊतकों से जुड़ा एक दुर्लभ विकार है।
- यह बीमारी मुंह के अंदर blistering और छालों, लालिमा के साथ शुरू होता है और अंत में कड़ी रेशेदार ऊतक के रूप में बदल जाता है।
- मुंह के अंदर का भाग कठोर हो जाता है, जिसके कारण खाने, बोलने और मुंह खोलने जैसे मौखिक कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है।
- यह बीमारी एशियाई और भारतीय क्षेत्रों में तंबाकू युक्त गुटखा चबाने से जुड़ा है।
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85. पीलिया से दुष्प्रभावित होता है-
(a) अग्न्याशय
(b) आमाशय
(c) यकृत
(d) छोटी आंत
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2006]
उत्तर – (c) यकृत
- पीलिया (Jaundice) एक घातक रोग है, जिसमें यकृत (Liver) प्रभावित होता है।
- इस रोग में यकृत कोशिकाएं रुधिर से बिलिरुबिन (Bilirubin) को ग्रहण नहीं कर पाती है।
- अतः पीला बिलिरुबिन रुधिर में ही रहकर पूरे शरीर में फैल जाता है तथा इसमें त्वचा एवं नेत्र पीले पड़ जाते हैं।
- उपयुक्त उपचार के अभाव में रोगी की मृत्यु हो सकती है।
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86. कौन-सी बीमारी सबसे कम संक्रामक है?
(a) मम्स
(b) कालरा
(c) तपेदिक
(d) पीलिया
[M.P.P.C.S. (Pre) 1992]
उत्तर – (d) पीलिया
- प्रश्नगत बीमारियों में मम्स, कालरा एवं तपेदिक संक्रामक रोग हैं, जबकि पीलिया अपने आप में एक संक्रामक रोग नहीं है।
- पीलिया रोग (Jaundice) में त्वचा एवं नेत्र पीली पड़ जाती हैं, मूत्र पीला-हरा-सा एवं मल भूरा हो जाता है।
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87. निम्न में से कौन संक्रामक बीमारी नहीं है?
(a) एड्स
(b) छोटी माता
(c) गलसुआ
(d) परिसर्प सरल (हरपीज)
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2010]
उत्तर – (*)
- उक्त प्रश्न के दिए गए विकल्पों में सभी चारों बीमारियां संक्रामक (Infections) की श्रेणी में आती हैं।
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88. मुर्गियों में रिकेट्स रोग किस विटामिन की कमी के कारण होता है?
(a) विटामिन D
(b) विटामिन A
(c) विटामिन B
(d) विटामिन E
[M.P.P.C.S. (Pre) 2006]
उत्तर – (a) विटामिन D
- विटामिन D प्रायः सभी प्राणियों की हड्डियों के लिए उपयोगी है, जिसकी कमी से रिकेट्स रोग होता है।
- यह रोग मुर्गियों में ही नहीं मनुष्यों में भी होता है।
- विटामिन D प्रायः दूध, अंडों तथा सूरज की किरणों से प्राप्त किया जा सकता है।
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89. ब्राइट्स रोग शरीर के किस भाग को प्रभावित करता है?
(a) गुर्दा
(b) तिल्ली
(c) हृदय
(d) यकृत
[U.P. P.C.S. (Pre) 1991]
उत्तर – (a) गुर्दा
- ब्राइट्स रोग (Bright’s Disease) को यूरेमिया (Uremia) भी कहते हैं तथा यह शरीर में गुर्दे या वृक्क (Kidney) को प्रभावित करता है।
- इस रोग में वृक्कों की कार्यिकी (Physiology) गड़बड़ हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप रुधिर में यूरिया (Urea) की मात्रा बढ़ जाती है।
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90. फुफ्फुसधूलिमयता (न्यूमोकोनिओसिस) से वे श्रमिक रोगग्रस्त होते हैं, जो मुख्यतः कार्यरत हैं-
(a) चर्मशोधन शालाओं में
(b) कोयला खनन उद्योग में
(c) मद्य निर्माण शालाओं में
(d) सीसा उद्योग में
[I.A.S. (Pre) 2005]
उत्तर – (b) कोयला खनन उद्योग में
- फुफ्फुसधूलिमयता (न्यूमोकोनिओसिस) से वे श्रमिक रोगग्रस्त होते हैं, जो मुख्यतः कोयला खनन उद्योग में कार्यरत हैं।
- इसमें श्रमिकों के फेफड़े (Lungs) प्रभावित होते हैं तथा सांस लेने में तकलीफ होती है।
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91. गलती से रामू किसी इंजेक्शन को अधिक मात्रा में लगा लेता है, जिसके कारण उसे ऐंठन, मिर्गी, बेहोशी हो जाती है। अंततः कुछ समय पश्चात उसकी मृत्यु हो जाती है। इसका कारण है-
(a) रक्त में अवसामान्य शर्करा सांद्रता
(b) रक्त में अत्यधिक शर्करा सांद्रता
(c) रक्त में ग्लाइकोजन का अभाव
(d) रक्त में कैल्शियम आयनों का अभाव
[R.A.S/R.T.S. (Pre) 1994-95]
उत्तर – (a) रक्त में अवसामान्य शर्करा सांद्रता
- यदि किसी मनुष्य के रुधिर में अवसामान्य शर्करा सांद्रता उत्पन्न हो जाती है, तो उसे ऐंठन, मिर्गी और बेहोशी हो जाती है।
- ऐसे मनुष्य की कुछ समय पश्चात मृत्यु हो जाती है।
- शरीर में इंसुलिन नामक हों मौन रक्त में शर्करा (Sugar) का नियमन करता है।
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92. ‘मैडकाऊ’ रोग का कारक है:
(a) जीवाणु
(b) विषाणु
(c) कवक
(d) प्रायॉन्स
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2009]
उत्तर – (d) प्रायॉन्स
- मैडकाऊ रोग मवेशियों के मस्तिष्क को प्रभावित करने वाला एक घातक रोग है।
- मस्तिष्क में उपस्थित प्रॉयन (Prion) नामक विकृत प्रोटीन इस रोग का कारक है।
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93. इंटरफेरॉन का प्रयोग किया जाता है, नियंत्रण के लिए-
(a) कैंसर
(b) मधुमेह
(c) टी.बी.
(d) टायफॉइड
[U.P.P.S.C. (GIC) 2010]
उत्तर – (a) कैंसर
- इंटरफेरॉन एक प्रकार का प्रोटीन है।
- इंटरफेरॉन एल्फा-2 ए का प्रयोग गुर्दे एवं रक्त कैंसर के उपचार के लिए किया जाता है।
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94. बीमारी जिसमें उच्च मात्रा में रक्त में यूरिक अम्ल प्रधान रूप में पाया जाता है, वह है-
(a) ऑर्थराइटिस
(b) गठिया (गाउट)
(c) संधिवात्
(d) रुमेटी (रयुमैटिक) हृदय
[U.P.P.C.S. (Mains) 2009]
उत्तर – (b) गठिया (गाउट)
- गठिया में रोगी की गांठों में असह्य दर्द होता है।
- यह रोग खून में यूरिक अम्ल के अत्यधिक उच्च मात्रा में पाए जाने से होता है।
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95. निम्न में से कौन-सा रोग वैक्सिनेशन द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है?
(a) मधुमेह
(b) पोलियो
(c) काली खांसी
(d) चेचक
[U.P.P.C.S. (Mains) 2005]
उत्तर – (a) मधुमेह
- प्रश्नगत रोगों में से पोलियो, काली खांसी और चेचक को तो वैक्सिनेशन द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है, परंतु मधुमेह के लिए वैक्सिनेशन नहीं होता है।
- मधुमेह अग्न्याशय से संबंधित रोग है, जो इंसुलिन का पर्याप्त स्राव नहीं होने के कारण होता है।
- इस रोग में शर्करा की मात्रा रक्त और मूत्र में आ जाती है।
- इंसुलिन का पर्याप्त मात्रा में स्राव नहीं होने पर यकृत में ग्लाइकोजन संचित नहीं हो पाता और रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है।
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96.निम्नलिखित में से कौन-कौन से मधुमेह से संबंधित हैं, जो प्रौढ़ों का एक सामान्य रोग है?
1. रक्त में शर्करा का उच्च स्तर
2. रक्त में शर्करा का निम्न स्तर
3. रक्त में इंसुलिन की निम्न मात्रा
4. रक्त में इंसुलिन की अधिक मात्रा
नीचे दिए हुए कूट का प्रयोग करते हुए सही उत्तर का चयन कीजिए-
कूट :
(a) 2 और 4
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1 और 3
[I.A.S. (Pre) 1996]
उत्तर – (d) 1 और 3
- अग्न्याशय की लैंगरहस की द्वीपिकाओं (Islets of Langerhans) की बीटा कोशिकाओं (B-cells) से जब अल्प मात्रा में इंसुलिन (Insulin) का स्राव होता है, तो रक्त में शर्करा (Sugar) की मात्रा बढ़ जाती है. जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति में मधुमेह रोग (Diabetes) की संभावना बढ़ जाती है।
- यह रोग सामान्यतया प्रौढ़ व्यक्तियों (Adults Man) में होता है।
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97. किस अंग की कुसंक्रिया के कारण मधुमेह रोग होता है?
(a) अग्न्याशय
(b) यकृत
(c) गुर्वा
(d) पित्ताशय
[U.P. Lower Sub. (Mains) 2015]
उत्तर – (a) अग्न्याशय
- अग्न्याशय की लैंगरहस की द्वीपिकाओं (Islets of Langerhans) की बीटा कोशिकाओं (B-cells) से जब अल्प मात्रा में इंसुलिन (Insulin) का स्राव होता है, तो रक्त में शर्करा (Sugar) की मात्रा बढ़ जाती है. जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति में मधुमेह रोग (Diabetes) की संभावना बढ़ जाती है।
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98. निम्नलिखित में से किसके बीज मधुमेह के रोगी को रक्त शर्करा का स्तर सामान्य बनाए रखने में लाभ पहुंचाते हैं?
(a) धनिये के बीज
(b) सरसों के बीज
(c) जीरे के बीज
(d) मेथी के बीज
[I.A.S. (Pre) 1993]
उत्तर – (d) मेथी के बीज
- मेथी (Methi) एक आवृत्तबीजी गादग है, जिसका बीज मधुमेह (Diabetes) के रोगी की रक्त शर्करा (Blood Sugar) को सामान्य बनाये रखने में लाभ पहुंचाता है।
- इसके अलावा यह पौधा शरीर में कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) तथा ट्राइग्लिसराइड को कम करता है।
- यह स्तन तथा कोलन के कैंसर से बचाव में भी उपयोगी होता है, क्योंकि मेथी के पौधे का मुख्य उपयोग पाचन में सहायता से है।
- भारतवर्ष में मेथी के बीज को मेथी का दाना कहा जाता है, जो कि पुष्प में निषेचन के बाद बीजाण्ड (Ovule) से निर्मित होता है।
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99. ब्रिटिश अनुसंधानों द्वारा उद्घाटित किया गया है कि करी पत्ता भारत का देशज है और फार्मास्युटिकल कंपनियों के लिए कई अरब डॉलर के उत्पादन की क्षमता रखता है। किस रोग के इलाज के लिए करी पत्ता का दावा किया जाता है?
(a) रक्त चाप
(b) मलेरिया
(c) मधुमेह
(d) क्षय रोग
[U.P.P.C.S. (Mains) 2004]
उत्तर – (c) मधुमेह
- ब्रिटिश अनुसंधानों द्वारा उद्घाटित किया गया है कि करी पत्ता भारत का देशज है और फार्मास्युटिकल कंपनियों के लिए कई अरब डॉलर के उत्पादन की क्षमता रखता है।
- यह मधुमेह के इलाज के लिए उपयोगी है।
- मधुमेह, इंसुलिन हॉर्मोन की कमी के कारण होने वाली बीमारी है।
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100. मधुमेह के उपचार हेतु प्रयुक्त हॉर्मोन इंसुलिन का आविष्कार किया थाः
(a) एफ.जी. बैन्टिंग ने
(b) श्लीडेन एवं श्वान ने
(c) ब्राउन ने
(d) हुक ने
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2006]
उत्तर – (a) एफ.जी. बैन्टिंग ने
- सन् 1923 में कनाडा के दो वैज्ञानिकों बैन्टिंग तथा बेस्ट ने मैक्लियोड नामक वैज्ञानिक की सहायता से, इंसुलिन नामक हॉर्मोन का सक्रिय सतु तैयार किया, जिसके लिए बैन्टिंग तथा मैक्लियोड को नोबेल पुरस्कार (1923) दिया गया।
- इंसुलिन हॉर्मोन का संबंध रुधिर में ग्लूकोज के नियमन से है।
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101.Cu-T का सर्वसामान्य दुष्प्रभाव है-
(a) रक्तस्राव
(b) दर्द
(c) वेधन
(d) ओणि प्रदाहक रोग
[U.P.P.C.S. (Mains) 2014]
उत्तर – (a) रक्तस्राव
- Cu-T का सर्वसामान्य दुष्प्रभाव है- रक्तस्राव।
- पहली बार रक्तस्राव एक सामान्य समस्या है, जब Cu-T लगाया जाता है।
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102. एम्फाइसीमा एक ऐसी व्याधि है, जो पर्यावरणीय प्रदूषण द्वारा होती है और इससे प्रभावित मानव अंग है-
(a) यकृत
(b) वृक्क
(c) फुफ्फुस (फेफडे)
(d) मस्तिष्क
[U.P. Lower Sub.(Pre) 2008]
उत्तर – (c) फुफ्फुस (फेफडे)
- एम्फाइसीमा एक प्रकार का ‘क्रॉनिक प्रतिरोधी फुफ्फुसीय रोग’ (COPD: Chronic Obstructive Pulmonary Disease) है, जिसमें मनुष्य का फेफड़ा प्रभावित होता है।
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103. हृदयाघात में निम्नलिखित का सही क्रम क्या होता है?
1. वाहिका के आंतरिक द्वार का संकीर्ण हो जाना
2. तंतु ऊतक से ‘चकत्ते’ और कोलेस्ट्रॉल
3. रक्त और ऑक्सीजन की अपर्याप्त पूर्ति
4. हृदयधमनियों में रक्त के थक्कों का पहुंचना
नीचे दिए हुए कूटों से उत्तर का चयन कीजिए:
(a) 1,2,3,4
(b) 2,4,1,3
(c) 2,3,1,4
(d) 4,2,1,3
[I.A.S. (Pre) 1994]
उत्तर – (b) 2,4,1,3
- हृदयाघात (Heart attack) में तंतु ऊतक (Fibrous Tissue) से चकत्ते और कोलेस्ट्रॉल (Cholestrol) एवं अन्य लिपिड पदार्थों के जमा हो जाने (Atherosclerosis) से हृदय धमनियों में रक्त का थक्का (clotting) पहुंच जाता है तथा उसमें वाहिका के आंतरिक द्वार संकीर्ण हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप शरीर में रक्त (Blood) तथा ऑक्सीजन की अपर्याप्त पूर्ति होती है।
- मोटापा, अत्यधिक तनाव, धूम्रपान, वसायुक्त आहार इत्यादि इस रोग के प्रमुख कारण होते हैं तथा इसके उपचार हेतु रुधिर स्कंदनरोधी (Anticoagulant) ओषधियों का उपयोग किया जाता है।
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104. एस्पिरिन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) यह न्यूरोलॉजिकली (तंत्रकीय रूप में) सक्रिय दवा है।
(b) एस्पिरीन मादक दर्दनाशक दवाओं के अंतर्गत आता है।
(c) यह दर्द से राहत में प्रभावी है।
(d) यह खून में धक्के नहीं जमने देता है।
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2013]
उत्तर – (b) एस्पिरीन मादक दर्दनाशक दवाओं के अंतर्गत आता है।
- एस्पिरिन, जिसे एसिटिल सैलिसिलिक एसिड भी कहते हैं, एक न्यूरोलॉजिकली सक्रिय दवा है, जो अक्सर हल्के वर्षों से छुटकारा पाने के लिए दर्दनिवारक, ज्वरशामक तथा शोध-निरोधी दवा के रूप में प्रयोग में लाई जाती है।
- एस्पिरिन का प्रयोग लंबे समय के लिए कम मात्रा में हृदयाघात, मस्तिष्क-आघात और रक्त के थक्कों की रोकथाम के लिए भी किया जाता है।
- एस्पिरिन मादक दर्दनाशक दवाओं के अंतर्गत नहीं आता है।
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105. निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?
(a) क्लोरोमाइसेटिन |
टाइफॉयडनाशी |
(b) क्रिस्टल वॉयलेट |
पूतिरोधी |
(c) क्वीनीन |
मलेरियारोधी |
(d) एस्पिरिन |
निश्चेतक |
[R.O./A.R.O. (Pre) Exam, 2017]
उत्तर – (d) एस्पिरिन – निश्चेतक
- सही सुमेलन इस प्रकार है-
क्लोरोमाइसेटिन |
टायफॉइडनाशी |
क्रिस्टल वॉयलेट |
पूतिरोधी |
क्वीनीन |
मलेरियारोधी |
एस्पिरिन |
दर्द निवारक |
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106. कोरोनरी धमनी बाई-पास सर्जरी में जो रक्तवाहिका ग्राफ्ट हेतु प्रयोग में लाई जाती है. वह होती है-
(a) पांव से ली गई शिरा
(b) अग्र हस्त से ली गई धमनी
(c) सीने छाती के वक्षस्थान से ली गई धमनी
(d) इनमें से कोई भी
[U.P.P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर – (d) इनमें से कोई भी
- जब कोई हृदय धमनी अवरुद्ध हो जाती है, तो शल्य क्रिया द्वारा शरीर के किसी अन्य भाग से नस निकालकर उसे हृदय की धमनी में अवरुद्ध हुए स्थान के समानांतर जोड़ कर हृदय में निर्वाध रक्त प्रवाह हेतु वैकल्पिक ‘रक्त-पथ’ (by-pass) बना देते हैं।
- इसी शल्य क्रिया तकनीक को बाई-पास सर्जरी कहते हैं।
- प्रायः छाती के अंदर से ‘मेमेरी धमनी (Mammary Artery) या हाथ से ‘रेडियल धमनी’ (Radial Artery) या पैर से ‘सेफनस वेन’ (Saphenous Vein) निकालकर हृदय की धमनी से जोड़ी जाती है।
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107. अस्पताल के निम्नलिखित में से किस विभाग में ‘कैथ लैब’ होगी ?
(a) पैथोलॉजी विभाग में
(b) शल्य चिकित्सा विभाग में
(c) कार्डियोलॉजी विभाग में
(d) न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग में
[U.P.P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर – (c) कार्डियोलॉजी विभाग में
- प्रायः अस्पताल के हृदय रोग विभाग’ (Cardiology Department) में कैथ लैब’ (Catheterization Laboratory) होती है।
- ‘कोरोनरी धमनी रोग’ (Coronary Artery Disease) की पहचान एवं उसके उपचार हेतु विभिन्न परीक्षणों एवं प्रक्रियाओं को संपादित करने के लिए चिकित्सक इस लैब का प्रयोग करते हैं।
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108. भारत में आज रोग निवारण कार्य के लिए जिस पोषणहीनता स्थिति को परम अग्रता देना आवश्यक है, वह है-
(a) स्कर्वी
(b) रिकेट्स
(c) जीरोष्यैल्मिया
(d) पैलाझा
[I.A.S. (Pre) 1996]
उत्तर – (c) जीरोष्यैल्मिया
- जीरोष्यैत्मिया (Xeropthalmia-dry Eyes) नेत्र में विटामिन-ए या रेटिनॉल (Retinol) की कमी से होने वाला एक प्रमुख रोग है, जिसमें नेत्र की कॉर्निया (Cornea) की कोशिकाएं सूखने लगती हैं तथा शल्की भवन (Keratinization) हो जाता है और दृष्टि क्षमता प्रभावित हो जाती है।
- अतः इस पर ध्यान देना अत्यावश्यक है।
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109. सहज प्रणाली का परिवर्द्धन निम्नलिखित में से कौन-सा है?
(a) प्रणाली का कार्य
(b) प्रणाली का विकास
(c) प्रणाली की स्वपोषी क्रिया
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[53 to55 B.P.S.C. (Pre) 2011]
उत्तर – (c) प्रणाली की स्वपोषी क्रिया
- सहज प्रणाली मुख्य तंत्रिका प्रणाली का एक भाग है।
- यह सहज प्रकार्यों को नियंत्रित करती है।
- अतः सहज प्रणाली के विकास को प्रणाली की स्व-पोषी प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
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110. कलायखंज, अधिक मात्रा में खाने से होता है:
(a) खेसरी दाल के
(b) सरसों के तेल के
(c) परिमार्जित चावल के
(d) चुंबी के
[I.A.S. (Pre) 1999]
उत्तर – (a) खेसरी दाल के
- खेसरी दाल (Khesari Pulse) को भोजन के रूप में अत्यधिक उपयोग किए जाने से शरीर में कलायखंज (Lathyrism) नामक रोग हो जाता है।
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111. ओषधि वितरण में काम आने वाले खाली सम्पुट (Blank Capsules) बने होते हैं:
(a) अण्ड-श्वेतक के
(b) गाँद के
(c) मांडी के
(d) श्लेष के
[U.P. P.C.S. (Pre) 2001]
उत्तर – (*)
- औषधि वितरण में काम आने वाली वेजेटेरियन खाली सम्पुट (Blank capsules) मांडी (starch) से, जबकि ‘नॉन वेजेटेरियन’ खाली सम्पुट श्लेष (Gelatin) से निर्मित होते हैं, जो कि पेट में जाकर आसानी से गल जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप दवा बिना किसी अवरोध के शरीर में पहुंच जाती है।
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112. ‘अपरूपांतरण’ (Metastasis) एक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा-
(a) ओषधियों के प्रभाव में कोशिकाओं का द्रुत-विभाजन होता है।
(b) रक्त या लसीका तंत्र में कैंसर कोशिकाएं दूसरे स्थानों या अंगों तक फैलती हैं।
(c) कोशिका-नामिकों में गुणसूत्र ऐनोफ्रेज ध्रुवों तक जाने के पहले संलग्न होते हैं।
(d) कैंसर कोशिकाओं में और अधिक विभाजन का सफलतापूर्वक संदमन किया जाता है।
[I.A.S. (Pre) 2001]
उत्तर – (b) रक्त या लसीका तंत्र में कैंसर कोशिकाएं दूसरे स्थानों या अंगों तक फैलती हैं।
- कैंसर कोशिकाओं का शरीर के एक अंग से दूसरे निकटवर्ती अंग में फैलना ‘अपरूपांतरण’ (Metastasis) कहलाता है।
- कई महीनों या वर्षों तक कैंसर कोशिकाएं शरीर के एक हिस्से में रहती हैं और धीरे-धीरे बढ़ती हैं।
- यहां तक कैसर पहले स्टेज का होता है।
- फिर यह कोशिकाएं अपने अगल-बगल की स्वस्थ कोशिकाओं को प्रभावित करती हैं, तो यह उस अंग के ‘लिम्फ नोड’ तक पहुंच जाती हैं।
- यहां कैंसर द्वितीय स्टेज का होता है।
- लिम्फ नोड या रक्त वाहिनियां इन कोशिकाओं को शरीर के दूसरे हिस्सों तक पहुंचाने लगती हैं, यह कैंसर का तीसरा स्टेज है, इसे ही ‘मेटास्टेसिस’ (अपरूपांतरण) कहते हैं।
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