आकांक्षी जिलों के रूपांतरण कार्यक्रम के संदर्भ में परिचय
प्रश्न: ‘आकांक्षी जिलों के रूपांतरण’ कार्यक्रम की व्यापक रुपरेखा की पहचान करते हुए, व्याख्या कीजिए कि यह पिछड़ेपन से निपटने के लिए किस प्रकार नवीन रणनीति अपनाता है।
दृष्टिकोण
- आकांक्षी जिलों के रूपांतरण कार्यक्रम के संदर्भ में कुछ आधारभूत जानकारी प्रदान करते हुए परिचय दीजिए।
- इस कार्यक्रम की मुख्य विशेषताओं को रेखांकित कीजिए।
- चर्चा कीजिए कि इस कार्यक्रम द्वारा अपनाई गई नवीन विशेषताएँ और रणनीतियाँ पूर्व के कार्यक्रमों से कैसे भिन्न है।
उत्तर
‘आकांक्षी जिलों के रूपांतरण’ कार्यक्रम (ADP) को 28 राज्यों में 115 जिलों के रूपांतरण पर केंद्रित किया गया है। ये जिले देश की जनसंख्या के 20% से अधिक का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस कार्यक्रम में 8,600 से अधिक ऐसी ग्राम पंचायतों को कवर किया गया है, जिनमें कुछ विकास मानकों के आधार पर न्यूनतम प्रगति देखी गयी है (जैसे वामपंथी अतिवाद से प्रभावित जिले )तथा जो निम्नस्तरीय कनेक्टिविटी से प्रभावित हैं। यह कार्यक्रम अपने नागरिकों के जीवन स्तर में वृद्धि करने और सभी के लिए सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करने हेतु प्रतिबद्ध है।
कार्यक्रम की व्यापक रूपरेखा है:
- अभिसरण (Convergence): यह सरकार के सभी स्तरों को एक साथ लाता है जिसमें ऑपरेशन का संचालन करने वाले केंद्र और राज्य अधिकारियों से लेकर नवाचारी उपायों का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन करने वाले जिलाधिकारी तक शामिल हैं।
- सहयोग (Collaboration): यह केंद्र और राज्य सरकारों, विभिन्न फाउंडेशन और सिविल सोसाइटी के मध्य एक सहयोगात्मक है। विभिन्न स्वैच्छिक संगठनों के साथ साझेदारी के माध्यम से इस कार्यक्रम को विभिन्न दृष्टिकोणों, तकनीकी कौशलों और जमीनी अनुभवों से लाभ प्राप्त होता है।
- प्रतिस्पर्धा (Competition): यह प्रतिस्पर्धी संघवाद के सिद्धांत को जिला प्रशासन के स्तर तक कार्यान्वित करता है। यह स्थानीय सरकारों के स्तर पर स्वायत्तता प्रदान करता है। प्रत्येक जिले को केंद्रित क्षेत्रों के आधार पर स्थान प्रदान किया जाएगा, जो सरलता से परिमाणात्मक लक्ष्य क्षेत्रों में विभाजित होते हैं।
एकीकृत कार्यक्रम योजना आदि जैसे पिछले कार्यक्रमों के विपरीत, ADP में पिछड़ेपन का समाधान करने के लिए निम्नलिखित नई विशेषताएं सम्मिलित हैं:
- रियल टाइम डाटा संग्रहण: नीति आयोग ने जिलों में रियल टाइम प्रगति की निगरानी के लिए एक डैशबोर्ड का निर्माण किया है और चयनित प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों के बारे में डेटा एकत्रित, वितरित और प्रसारित करने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किए हैं।
- स्थानीय सरकार को अधिक स्वायत्तता: चूंकि स्थानीय सरकार जिलों की जटिलताओं को समझने की एक विशिष्ट स्थिति में है, इसलिए स्थानीय सरकार को लचीले व्यय घटकों आदि के रूप में अधिक स्वायत्तता दी जाती है।
- सहयोगी दृष्टिकोण: इस कार्यक्रम को जिलों में विकास करने के उपायों को डिजाइन करने, कार्यान्वित करने और उनकी निगरानी करने के लिए सरकार के तीन स्तरों अर्थात् केंद्र, राज्य और जिला प्रशासन की आवश्यकता होती है। इसमें जिलाधिकारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- अभिवृत्ति में परिवर्तन: जिलों को पिछड़े के बजाय आकांक्षी के रूप में वर्णित किया गया है ताकि उन्हें संकट और निराशा के क्षेत्रों की अपेक्षा अवसरों एवं आशा के द्वीप के रूप में देखा जाए।
- आउटपुट के बजाय सामाजिक- आर्थिक आउटकम पर ध्यान केन्द्रण: इस कार्यक्रम के लिए कोई वित्तीय पैकेज या बड़ी मात्रा में कोष का आवंटन नहीं किया गया है। वस्तुतः इसका उद्देश्य विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के संसाधनों का लाभ उठाना है,जो पहले से ही कुशल रूप में मौजूद हैं। यह कार्यक्रम आउटपुट के बजाय पांच मुख्य आयामों में 49 संकेतकों के आधार पर सामाजिक-आर्थिक आउटकम पर ध्यान केन्द्रित करता है। ये स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, वित्तीय समावेशन, कृषि और जल संसाधन, कौशल विकास और अवसंरचना इत्यादि हैं।
- सिविल सोसाइटी के साथ साझेदारी: इस कार्यक्रम ने सिविल सोसाइटी को भी शामिल किया गया है और साझेदारी के लिए कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के साधन का लाभ भी उठाया है जो नये विचार और नई ऊर्जा लाएगी।
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