सरकार की संसदीय प्रणाली का संक्षिप्त वर्णन
प्रश्न: यद्यपि भारत में सरकार की संसदीय प्रणाली मुख्य रूप से ब्रिटिश संसदीय मॉडल पर आधारित है तथापि यह कभी भी ब्रिटिश प्रणाली की प्रतिकृति नहीं बनी। सविस्तार वर्णन कीजिए।
दृष्टिकोण:
- सरकार की संसदीय प्रणाली का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- भारतीय संसदीय प्रणाली एवं ब्रिटिश संसदीय प्रणाली के मध्य अंतर को रेखांकित कीजिए।
उत्तरः
भारतीय संविधान केंद्र एवं राज्यों, दोनों में संसदीय सरकार की स्थापना हेतु प्रावधान करता है। संसदीय प्रणाली विधायिका एवं कार्यपालिका के मध्य सहयोग तथा समन्वय के सिद्धांत पर आधारित होती है, न कि इन दोनों अंगों के मध्य शक्तियों के कठोर एवं सुस्पष्ट पृथक्करण पर।
भारत द्वारा ब्रिटिश मॉडल पर आधारित सरकार की संसदीय प्रणाली को अपनाया गया है। अतः दोनों देशों की प्रणालियों की कुछ साझा विशेषताएं हैं, जैसे:
- नाममात्र एवं वास्तविक कार्यपालिका की उपस्थिति
- विधायिका के प्रति कार्यपालिका का सामूहिक उत्तरदायित्व
- कार्यपालिका के सदस्यों का विधायिका का सदस्य भी होना
- निम्न सदन का विघटन
- प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बहुमत प्राप्त दल का शासन
यद्यपि, भारतीय संसदीय प्रणाली कभी भी ब्रिटिश मॉडल की प्रतिकृति नहीं बनी तथा भारत में इस प्रणाली की विशेषताओं को भारतीय राजव्यवस्था के अनुरूप संशोधित करते हुए अपनाया गया है। अतः दोनों देशों की संसदीय प्रणालियों के मध्य कुछ मूलभूत अंतर निम्नलिखित हैं:
- संवैधानिक संप्रभुता को अपनाया गया, न कि संसदीय संप्रभुता को- ब्रिटेन में संसद एक सर्वोच्च संस्था है तथा वह बिना किसी प्रतिबंध के संविधान में संशोधन कर सकती है। इसके विपरीत भारत में लिखित संविधान, संघीय प्रणाली, न्यायिक समीक्षा और मौलिक अधिकार संसद की शक्ति को सीमित करते हैं।
- निर्वाचित नाममात्र का कार्यकारी प्रमुख- भारत में राष्ट्र का प्रमुख एक निर्वाचित व्यक्ति अर्थात् राष्ट्रपति होता है (सरकार की गणतांत्रिक प्रणाली)। दूसरी ओर ब्रिटेन में राष्ट्र का प्रमुख एक वंशानुगत व्यक्ति होता है (राजशाही)।
- प्रधानमंत्री को निम्न सदन का सदस्य होना आवश्यक नहीं- भारत में प्रधानमंत्री संसद के किसी भी सदन का सदस्य हो सकता है, परंतु ब्रिटेन में प्रधानमंत्री को अनिवार्यतः निम्न सदन (अर्थात् हाउस ऑफ़ द पीपुल्स) का सदस्य होना चाहिए।
- मंत्री बनने हेतु संसद की सदस्यता आवश्यक नहीं– भारत में यदि कोई व्यक्ति संसद का सदस्य नहीं है, तब भी वह छह माह की अवधि के लिए मंत्री पद ग्रहण कर सकता है (इससे अधिक अवधि तक पद पर बने रहने के लिए उसे संसद के किसी भी सदन में निर्वाचित होना होगा)। इसके विपरीत ब्रिटेन में केवल सांसद ही मंत्री पद ग्रहण कर सकते हैं।
- मंत्रियों का कोई विधिक उत्तरदायित्व नहीं है– भारत में मंत्रियों का व्यक्तिगत या विधिक उत्तरदायित्व नहीं होता हैअर्थात् उन्हें आधिकारिक अधिनियमों को प्रतिहस्ताक्षरित (काउंटरसाइन) करने की आवश्यकता नहीं होती है। इसके विपरीत ब्रिटेन में ऐसी प्रणाली विद्यमान है जिसमें प्रत्येक मंत्री पारित अधिनियमों के प्रति व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होता है।
- शैडो कैबिनेट की अनुपस्थिति- शैडो कैबिनेट, ब्रिटिश कैबिनेट प्रणाली की एक विशेषता है। इसका गठन विपक्षी दल द्वारा किया जाता है, ताकि सत्तारूढ़ मंत्रिमंडल को संतुलित करने के साथ-साथ भविष्य में मंत्रालयों का कार्यभार संभालने हेतु अपने सदस्यों को तैयार किया जा सके। भारत में ऐसी कोई संस्था मौजूद नहीं है।
इन विशेषताओं के आधार पर, यह स्पष्ट होता है कि भारतीय संसदीय प्रणाली एवं ब्रिटिश संसदीय प्रणाली के मध्य कई अंतर विद्यमान हैं। अतः भारतीय प्रणाली पूर्ण रूप से ब्रिटिश प्रणाली पर आधारित नहीं है।