वैश्वीकरण : वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप समाजों में असमानता बढ़ने के कारण
प्रश्न: समाजों में असमानता बढ़ाने के लिए वैश्वीकरण की प्राय: आलोचना की जाती है। पर्याप्त उदाहरणों के साथ इस तर्क का परीक्षण कीजिए।
दृष्टिकोण
- वैश्वीकरण की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप समाजों में असमानता बढ़ने के कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
वैश्वीकरण को वस्तुओं, सेवाओं, पूंजी, प्रौद्योगिकी, विचारों, सूचना, कानूनी प्रणालियों और व्यक्तियों के निर्बाध सीमा-पार विनिमय के रूप में जाना जाता है। वैश्वीकरण में वृद्धि के साथ यह अपेक्षा की गई थी कि विकास का लाभ समाज के प्रत्येक वर्ग को प्राप्त होगा, लेकिन कम से कम विकासशील देशों के दृष्टान्तों से पर्याप्त प्रमाण मिलते हैं कि वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप न्यायसंगत संवृद्धि प्राप्त नहीं हुई है।
वैश्वीकरण और असमानता में वृद्धि
वैश्वीकरण ने भारत में लिंग, वर्ग, जाति, क्षेत्र, धर्म और नृजातीयता आधारित असमानता को बढ़ावा दिया है।
उदाहरण के लिए:
- मेट्रोपोलिस-सेटेलाइट संबंध: अधिक विकसित क्षेत्रों के विकास के लिए अत्यंत पिछड़े और जनजातीय क्षेत्रों के संसाधनों का तीव्रता से दोहन किया जा रहा है। उदाहरण के लिए वेदांता समूह द्वारा नियामगिरि पहाड़ियों में खनन का मामला।
- आय संबंधी असमानता: थॉमस पिकेट्टी के अनुसार, भारत में आय संबंधी असमानता वर्ष 1922 से अपने उच्चतम स्तर तक पहुंच गई है।
- राष्ट्रीय संपत्ति में असमानता: विगत दो दशकों में, धनी देशों से निर्धन देशों को प्राप्त विदेशी विकास सहायता 50-80 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष है। इसी अवधि में, प्रत्येक वर्ष निर्धन देशों से धनी देशों को लगभग 500-800 बिलियन डॉलर की अवैध धनराशि का स्थानांतरण किया जाता है।
- श्रम संबंधी असमानता: वैश्वीकरण के कारण लाभ में वृद्धि हेतु सस्ते श्रम की अत्यधिक मांग उत्पन्न हुई है। 90 प्रतिशत से अधिक भारतीय श्रमिक अविनियमित असंगठित क्षेत्र में नियोजित हैं।
- जाति और धर्म आधारित असमानताएँ: वैश्वीकरण और इसके परिणामस्वरूप विशेष जाति श्रेणी में क्रीमी लेयर या समृद्ध लोगों की संसाधनों तक बेहतर पहुंच के कारण जातिगत उप-समूहों के अंतर्गत असमानताओं में वृद्धि हुई है।
कृषि पर प्रभाव: कृषि में हरित क्रांति जैसे उपायों के साथ, समृद्ध किसान और अधिक अमीर बन गए, जबकि निर्धन किसान इसके लाभ प्राप्त करने में असफल रहे है। भारत में छोटे और सीमांत किसानों की संख्या 85% हैं और 1997 से अब तक 2,00,000 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है।
पर्यावरण संबंधी असमानताएँ: बड़े पैमाने पर परिवहन, प्रौद्योगिकी का उपयोग, औद्योगीकरण से प्रदूषित होते जल निकाय, गैर-संधारणीय प्रथाओं में विस्तार आदि वैश्वीकरण के कुछ सामान्य परिणाम हैं, जो निर्धन क्षेत्रों को और अधिक असुरक्षित बनाकर पारिस्थितिकीय स्थिति को ख़राब कर रही हैं।
वैश्वीकरण ने मानव तस्करी को भी तीव्र कर दिया है। इस प्रकार, इसने मानव को वस्तुओं के रूप में परिवर्तित कर दिया है जो अंतरराष्ट्रीय बाजारों में क्रय एवं विक्रय किए जा रहे हैं।
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि वैश्वीकरण ने जीवन के बेहतर मानकों और बेहतर चिकित्सा सुविधाओं जैसे विभिन्न लाभों में वृद्धि की, लेकिन वैश्वीकरण प्रेरित असमानताओं ने भी लाखों लोगों के समक्ष असुरक्षित स्थिति उत्पन्न की है।
Read More
- वैश्वीकरण की प्रक्रिया का संक्षिप्त विवरण : उपभोक्तावादी संस्कृति ने वैश्वीकरण की प्रक्रिया में, विशेषकर भारतीय शहरों के विकास को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- निबंध: क्या विश्व वैश्वीकरण की विपरीत धारा का साक्षी बन रहा है? (Essay: Is the world witnessing the opposite of globalization? )
- भारत के लिए वैश्वीकरण और मुक्त व्यापार के महत्व पर चर्चा
- वैश्वीकरण : भारतीय समाज के सन्दर्भ में राष्ट्रीय संप्रभुता, स्थानीय संस्कृति और सामाजिक-आर्थिक स्थिरता पर इसके प्रभाव
- संस्कृति पर वैश्वीकरण के प्रभाव : भारतीय संस्कृति के विविध पहलू