जीवाणु जनित रोग – अध्यायवार पिछले वर्षों के प्रश्न व्याख्या के साथ

1. निम्नलिखित कथनों में से कौन-से सही है? सही उत्तर का चयन नीचे दिए कूट से कीजिए:

1. मानव शरीर में ऊर्विका (फीमर) सबसे लंबी अस्थि है।
2. हैजा रोग जीवाणु के द्वारा होता है।
3. ‘एथलीट फुट’ रोग विषाणु के द्वारा होता है।

कूट :

(a) 1, 2 और 3
(b) 1 और 3
(c) 1 और 2
(d) 2 और 3

[U.P.P.C.S. (Pre) 2008]

उत्तर – (c) 1 और 2

  • मानव शरीर में ऊर्विका (फीमर) सबसे लंबी अस्थि है।
  • हैजा रोग, विब्रियो कॉलेरी नामक जीवाणु के द्वारा होता है।
  • एथलीट फुट’ रोग ट्राइकोफाइटोन (Trichophyton) नामक कवक के द्वारा होता है।
  • यह एक संक्रामक रोग है।

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2. भोजन विषाक्तता का कारण होता है-

(a) ई. कोलाई
(b) सैल्मोनेला बैसिलाई
(c) स्यूडोमोनास
(d) कैन्डिया

[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2005]

उत्तर – (b) सैल्मोनेला बैसिलाई

  • सैल्मोनेला वैसिलाई (Salmonella bacilli) नामक जीवाणु के कारण मोजन विषालता (Food Poisoning) होती है।
  • यह विशेष जीवाणु ब्राम निगेटिव, नॉन स्पोर फार्मिंग तथा रॉड (Rod) के आकार का होता है. जिसके चारों ओर कशामिका (Flagella) पाई जाती है।

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3. भोजन का विषाक्त होना (बाटुलिज्म) किस स्पीशीज के संदूषण से उत्पन्न होता है?

(a) एजोटोबैक्टर के
(b) लैक्टो बैसिलस के
(c) क्लॉस्ट्रिडियम के
(d) राइजोबियम के

[U.P. Lower Sub. (Pre) 2013]

उत्तर – (c) क्लॉस्ट्रिडियम के

  • बाटुलिज्म रोग क्लॉस्ट्रिडियम बाटुलिनम नामक ग्राम-पॉजिटिव जीवाणु के द्वारा उत्पन्न विष (भोजन विषतता) के कारण होता है।

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4. बॉटुलिज्म है-

(a) भोज्य पदार्थ से होने वाला संक्रमण
(b) भोज्य-पदार्थ से होने वाला विषैलापन
(c) जल-जनित संक्रमण
(d) जल-जनित विषैलापन

[U.P.P.C.S. (Pre) 2021]

उत्तर – (b) भोज्य-पदार्थ से होने वाला विषैलापन

  • बाटुलिज्म रोग क्लॉस्ट्रिडियम बाटुलिनम नामक ग्राम-पॉजिटिव जीवाणु के द्वारा उत्पन्न विष (भोजन विषतता) के कारण होता है।

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5. डी.पी.टी. वैक्सीन का प्रयोग किन बीमारियों के लिए किया जाता है?

(a) डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटेनस
(b) पोलियो, डिप्थीरिया, तपेदिक
(c) टिटेनस, तपेदिक, पोलियो
(d) तपेदिक, टाइफाइड, पोलियो

[M.P.P.C.S. (Pre) 1992]

उत्तर – (a) डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटेनस

  • रोहिणी या डिप्थीरिया (Diphtheria), काली खांसी (कुकुर-खांसी) (Whooping cough) तथा टिटेनस (Tetanus) या धनुष्टंकार से बचाव हेतु नवजात शिशु को डी.पी.टी. वैक्सीन (D.P.T. Vaccine) दिया जाता है।
  • ध्यातव्य है कि उक्त तीनों रोग जीवाणुजन्य हैं, जो कि क्रमशः कोरिनीबैक्टीरियम डिप्थीरी, हीमोफिलस परट्यूसिस (बोर्डटेला परट्‌यूसिस) तथा क्लॉस्ट्रिडियम टिटेनी द्वारा होते हैं।

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6. डी.पी.टी. का टीका निम्नलिखित में से किससे सुरक्षा हेतु दिया जाता है?

(a) टिटेनस, पोलियो, प्लेग
(b) टी.बी. पोलियो, डिफ्थीरिया
(C) डिप्थीरिया,कुकुर-खांसी,टिटेनस
(d) डिफ्थीरिया, पोलियो, कुष्ठ रोग

[U.P.P.C.S. (Mains) 2013]

उत्तर – (c) डिप्थीरिया,कुकुर-खांसी,टिटेनस

  • रोहिणी या डिप्थीरिया (Diphtheria), काली खांसी (कुकुर-खांसी) (Whooping cough) तथा टिटेनस (Tetanus) या धनुष्टंकार से बचाव हेतु नवजात शिशु को डी.पी.टी. वैक्सीन (D.P.T. Vaccine) दिया जाता है।

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7. D.P.T. का टीका निम्न में से किसके काम नहीं आता है?

(a) डिप्थीरिया
(b) पोलियो
(c) हूपिंग कफ (काली खांसी)
(d) टिटेनस

[UP.P.S.C. (GIC) 2010]

उत्तर – (b) पोलियो

  • D.P.T. का टीका पोलियो के काम नहीं आता है।

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8. भारत में न्यूमोकोकल संयुग्मी वैक्सीन (Pneumococcal Conjugate Vaccine) के उपयोग का क्या महत्व है?

1. ये वैक्सीन न्यूमोनिया और साथ ही तानिकाशोथ और सेप्सिन के विरुद्ध प्रभावी हैं।
2. उन प्रतिजैविकियों पर निर्भरता कम की जा सकती है, जो ओषध-प्रतिरोधी जीवाणुओं के विरुद्ध प्रभावी नहीं हैं।
3. इन वैक्सीन के कोई गौण प्रमाव (side effects) नहीं हैं और न ही ये वैक्सीन कोई प्रत्यूर्जता संबंधी अभिक्रियाएं (allergic reactions) करती हैं।

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए?

(a) केवल ।
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

[I.A.S. (Pre) 2020]

उत्तर – (b) केवल 1 और 2

  • भारत सहित अधिकांश देशों में न्यूमोकोकल संयुग्मी वैक्सीन (Pneumococcal Conjugate Vaccine) या PCV13° 13 प्रकार के न्यूमोकोंकस जीवाणुओं से उत्पन्न विभिन्न बीमारियों में प्रभावी है. जिसमें न्यूमोनिया, तानिकाशोथ या मेनिन्जाइटिस तथा सेप्सिन शामिल हैं।
  • वर्ष 2010 से ‘PCV7’ के स्थान पर ‘PCV13’ का उपयोग होने लगा था।
  • इसके उपयोग से उन प्रतिजैविकियों पर निर्भरता कम की जा सकती है, जो ओषध प्रतिरोधी जीवाणुओं के विरुद्ध प्रभावी नहीं हैं।
  • इन वैक्सीन से साइड इफेक्ट व एलर्जी की भी संभावनाएं होती हैं।

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9. निम्न द्वारा होने वाली बीमारियों के लिए सल्फा दवाइयां किसके लिए कारगर हैं?

(a) जीवाणु
(b) कीट
(c) विटामिन की कमी
(d) ग्रंथि की खराबी

[R.A.S/R.T.S. (Pre) 1996]

उत्तर – (a) जीवाणु

  • जीवाणुओं (Bacteria) द्वारा होने वाली बीमारियों के लिए सल्फा दवाइयों (Sulpha Drugs) का प्रयोग किया जाता है।
  • यह संश्लिष्ट दवाओं का एक समूह है, जिसके अंतर्गत सल्फोनामाइड, सल्पामेराजाइन, सल्फाडायजिन इत्यादि हैं।
  • प्रॉन्टोसिल (Prontosil), सिबाजोल (Cibazole) आदि सल्फोनामाइड दवाओं के प्रकार है।
  • सर्वप्रथम सल्फाइम्स प्रॉन्टोसिल की खोज वर्ष 1932 में की गई थी।

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10. निम्नलिखित में से कौन-सा एक सल्फा ओषधि है ?

(a) पेनिसिलिन
(b) स्ट्रेप्टोमाइतीन
(c) सिवाजोल
(d) एस्पिरीन

[U.P.P.C.S. (Mains) 2017]

उत्तर – (c) सिवाजोल

  • प्रॉन्टोसिल (Prontosil), सिबाजोल (Cibazole) आदि सल्फा दवाइयों (Sulpha Drugs) के प्रकार है।

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11. निम्नलिखित में से एंटीबायोटिक है-

(a) पेनिसिलिन
(b) ऐस्पिरिन
(c) पैरासीटामोज
(d) सल्फाडायाजीन
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं उपर्युक्त में से एक से अधिक

[63 B.P.S.C. (Pre) 2017]

उत्तर – (e) उपर्युक्त में से कोई नहीं उपर्युक्त में से एक से अधिक

  • उपर्युक्त विकल्पों में पेनिसिलिन तथा सल्फाडायाजीन एंटीबायोटिक हैं।
  • एंटीबायोटिक का उपयोग बैक्टीरिया जनित रोगों के उपचार के लिए किया जाता है।
  • अतः अभीष्ट उत्तर (e) उपर्युक्त में से एक से अधिक सही हैं।

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12. निम्नलिखित प्रतिसूक्ष्मजीवी ओषधियों में से कौन-सी यक्ष्मा और कुष्ठ दोनों की चिकित्सा के लिए उपयुक्त है?

(a) आइसोनियाजिड
(b) एमिनोसैलिसिलिक एसिड
(c) स्ट्रेप्टोमाइसीन
(d) रिकैम्पिसीन

[I.A.S. (Pre) 1995]

उत्तर – (b) एमिनोसैलिसिलिक एसिड

  • P-एमिनोसैलिसिलिक एसिड (P-Aminosalicylic Acid) नामक प्रतिसूक्ष्म जीवी ओषधि यक्ष्मा (T.B.) तथा कुष्ठ रोग जैसे जीवाणुजन्य (Bacterial) रोगों की चिकित्सा के लिए उपयुक्त है।

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13. एंटीबायोटिक दवा का उदाहरण है-

(a) ऐस्पिरिन
(b) पैरासीटामॉल
(c) क्लोरोकीन
(d) पेनिसिलिन
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/उपर्युक्त में से एक से अधिक

[66 B.P.S.C. (Pre) (Re. Exam) 2020]

उत्तर – (d) पेनिसिलिन

  • एंटिबायोटिक दवा का प्रयोग जीवाणुजन्य (Bacterial) रोगों के उपचार में किया जाता है।
  • प्रश्नगत विकल्पों में पेनिसिलिन एंटिबायोटिक दवा है।
  • इसे पेनिसिलियम नोटेटन नामक (Penicillium chrysogenum) कवकों से प्राप्त किया जाता है।

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14. निम्नलिखित में से कौन-से, भारत में सूक्ष्मजैविक रोगजनकों में बहु-ओषध प्रतिरोध के होने के कारण है?

1. कुछ व्यक्तियों में आनुवंशिक पूर्ववृत्ति (जेनेटिक प्रीडिस्पोजीशन) का होना
2. रोगों के उपचार के लिए प्रतिजैविकों (एटिबॉयोटिक्स) की गलत खुराकें लेना
3. पशुधन फार्मिंग में प्रतिजैविकों का इस्तेमाल करना
4. कुछ व्यक्तियों में चिरकालिक रोगों की बहुलता होना

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-

(a) 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) 1, 3 और 4
(d) 2.3 और 4

[I.A.S. (Pre) 2019]

उत्तर – (b) केवल 2 और 3

  • भारत में सूक्ष्मजैविक रोगजनकों (Microbial Pathogens) में बहु-ओषध प्रतिरोध (Multi-drug resistance) उत्पन्न होने के प्रमुख कारण है-
    (i) सूक्ष्मजैविकों में उत्परिवर्तन (Mutation), जीन हस्तांतरण, प्रतिरोधी जीनों के विकास आदि के माध्यम से होने वाले परिवर्तना
    (ii) गलत रोग-निवान, जिसके कारण रोगी को चिकित्लाक कभी-कभी अनावश्यक सूक्ष्मजीवरोधी औषधियां ने देते हैं।
    (iii) रोगी द्वारा उपचार के लिए प्रतिजैनिकों का कोर्स पूरा नहीं करना या उनकी गलत खुराक लेना, बगैर बॉक्टरी सलाह के दवाएं जेना।
    (iv) पशुधन फार्मिंग में प्रतिजैविकों का बढ़ता प्रयोग।
    (v) फॉर्मास्युटिकल उद्योग एवं अस्पतालों के अशोधित कबरे द्वारा पर्यावरणीय संदूषण।

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15. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, आज के समय में सर्वाधिक संख्या में लोगों के प्राण लेने वाला रोग है-

(a) एड्स
(b) यक्ष्मा (TB)
(c) मलेरिया
(d) एमोला

[I.A.S. (Pre) 1996]

उत्तर – (b) यक्ष्मा (TB)

  • यक्ष्मा (तपेनिक या क्षय रोग) एक संक्रामक रोग है, जिसका कारक माइ‌कोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु है।
  • इस रोग में मनुष्य का फेफड़ा (Lungs) प्रभावित होता है।
  • इसमें रोगी को ज्वर, लगातार खांसी, खून के साथ बलगम का आना, सांस फूलना इत्यादि लक्षण प्रवर्शित होते हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, आधुनिक समय में यह रोग सर्वाधिक मनुष्यों की मृत्यु का कारण है तथा भारत में भी इसका प्रकोप काफी अधिक है।
  • यह आनुवंशिक रोग नहीं है।

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16. प्रतिवर्ष 5 लाख भारतीय एक रोग से मरते हैं। इसकी पहचान करें-

(a) इन्सेफेलाइटिस
(b) एस
(c) कैन्तर
(d) क्षय रोग

[40 B.P.S.C. (Pre) 1995]

उत्तर – (d) क्षय रोग

  • यक्ष्मा (तपेनिक या क्षय रोग) एक संक्रामक रोग है, जिसका कारक माइ‌कोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु है।
  • इस रोग में मनुष्य का फेफड़ा (Lungs) प्रभावित होता है।
  • इसमें रोगी को ज्वर, लगातार खांसी, खून के साथ बलगम का आना, सांस फूलना इत्यादि लक्षण प्रवर्शित होते हैं।

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17. निम्न में, कौन-सा रोग जीवाणुओं से उत्पन्न होता है?

(a) तपेनिक
(b) इनालूएन्
(c) पोलियो
(d) मलेरिया

[Uttarakhand P.C.S. (Mains) 2006, U.P.P.C.S. (Mains) 2010]

उत्तर – (a) तपेनिक

  • तपेनिक रोग जीवाणुओं से उत्पन्न होता है।

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18. तपेदिक रोग का कारण है. एक-

(a) जीवाणु
(b) विषाणु
(c) करक
(d) प्रोटोजो

[U.P.P.C.S. (Mains) 2004]

उत्तर – (a) जीवाणु

  • यक्ष्मा (तपेनिक या क्षय रोग) एक संक्रामक रोग है, जिसका कारक माइ‌कोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु है।

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19. निम्नलिखित में से कौन सही सुमेलित नहीं है?

(a) स्वप्रतिरक्षित रोग संधिकत नधिशोथ
(b) आनुवंशिक रोग क्षयरोग
(c) पामा रोग चिचड़ी
(d) मानसिक रोग मनोविचलता

[U.P.R.O/ARO. (Pre) 2016]

उत्तर – (b) आनुवंशिक रोग – क्षयरोग

  • यक्ष्मा (तपेनिक या क्षय रोग) एक संक्रामक रोग है, जिसका कारक माइ‌कोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु है।
  • इस रोग में मनुष्य का फेफड़ा (Lungs) प्रभावित होता है।
  • इसमें रोगी को ज्वर, लगातार खांसी, खून के साथ बलगम का आना, सांस फूलना इत्यादि लक्षण प्रवर्शित होते हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, आधुनिक समय में यह रोग सर्वाधिक मनुष्यों की मृत्यु का कारण है तथा भारत में भी इसका प्रकोप काफी अधिक है।
  • यह आनुवंशिक रोग नहीं है।

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20. क्षय रोग (टीबी) के परीक्षण हेतु विशिष्ट परीक्षण है-

(a) राबर्ट कर परीक्षण
(b) विडाल का परीक्षण
(c) कान् का परीक्षाण
(d) मैटॉक्स कर परीक्षण

[U.P. Lower Sub. (Mains) 2015]

उत्तर – (d) मैटॉक्स कर परीक्षण

  • तपेदिक के संक्रमण के परीक्षण हेतु टीबी रक्त परीक्षण (TB Blood Test) किया जाता है, इसे ही मेंटॉक्स ट्यूबर क्यूलिन त्वचा परीक्षण’ कहते हैं।
  • इस परीक्षण में हाथ के निचले हिस्से की त्वचा में ट्यूबर क्यूलिन नामक तरल की अल्य मात्रा इंजेक्शन के रूप में लगाई जाती है।
  • इंजेक्शन लगाने के 48-72 घंटे बाद हाथ पर इसके प्रभावों (Reaction) का अध्ययन किया जाता है।

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21. टिटेनस नामक रोग निम्न नाम से भी जाना जाता है:

(a) गैग्रीन
(b) शिंगल्स
(c) लॉक्जा
(d) काली खांसी

[U.P.P.C.S. (SpL.) (Mains) 2008]

उत्तर – (c) लॉक्जा

  • टिटेनस या धनुष्टंकार वह रोग है, जिसमें रोगी का शरीर धनुष की तरह टेढ़ा होकर अकड़ जाता है।
  • यह एक घातक संक्रामक रोग है, जो क्लॉस्ट्रीडियम टिटेनी नामक जीवाणु के कारण होता है।
  • यह रोग लॉक्जा (Lock-Jaw) नाम से भी जाना जाता है।

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22. निम्न में से कौन संक्रमित मच्छर के काटने से नहीं होता है?

(a) प्लेग
(b) पीत ज्वर
(c) मलेरिया
(d) डेंगू

[U.P.P.C.S. (Pre) 1997]

उत्तर – (a) प्लेग

  • प्लेग (Plague) एक संक्रामक या संसर्ग रोग (Infectious Disease) है, जो कि विशेष जीवाणु पाश्चुरेला पेस्टिस (Pasteurella pestis) द्वारा होता है।
  • इसमें मच्छर का कोई योगदान नहीं है।
  • यह रोग सर्वप्रथम चूहे को हुआ था।
  • चूहों के शरीर पर पिस्सू रहते हैं, जो इनका संदूषित रक्त चूषते हैं, फलतः रोग के जीवाणु पिस्सुओं में पहुंच जाते हैं और पिस्सुओं के काटने से रोग के जीवाणु शरीर में पहुंचकर प्लेग रोग उत्पन्न कर देते हैं।

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23. निम्नांकित जोड़ों में किसका सुमेल है?

(a) निमोनिया फेफड़े
(b) मोतियाबिंद थायरॉइड ग्रंथि
(c) पीलिया आंख
(d) मधुमेह यकृत

[U.P.P.C.S. (Pre) 1996]

उत्तर – (a) निमोनिया-फेफड़े

  • निमोनिया (Pneumonia) फेफड़े का एक रोग है, जो कि स्ट्रेप्टोकोक्स न्यूमोनी नामक जीवाणु द्वारा होता है।
  • इसमें रोगी को ठंड लगकर बुखार आता है।
  • अन्य विकल्पों में मोतियाबिंद आंख का और पीलिया-यकृत का रोग है तथा मधुमेह (Diabetes) इंसुलिन नामक हॉर्मोन की कमी से होता है।
  • इंसुलिन (Insulin) का स्राव अग्न्याशय (Pancreas) की लेंगरहँस की द्वीपिकाओं की बीटा-कोशिकाओं (B-cells) द्वारा किया जाता है।

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24. सुमेलित कीजिए-

(A) वायु द्वारा (1) टिटेनस
(B) पानी द्वारा (2) टी. बी.
(C) संपर्क द्वारा (3) कॉलरा (हैजा)
(D) घाव द्वारा (4) सिफलिस

कूट :

ABCD

(a) 1,2,3,4
(b) 2,3,4,1
(c) 3,4,1,2
(d) 4,1,2,3

[U.P. P.C.S. (Pre) 1999]

उत्तर – (b) 2,3,4,1

  • सुमेलित क्रम इस प्रकार है:
    वायु द्वारा टी. बी.
    पानी द्वारा कॉलरा (हैजा)
    संपर्क से सिफलिस
    घाव द्वारा टिटेनस

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25.  सुमेलित कीजिए:

(A) प्लेग (1) आंतों को प्रभावित करता है।
(B) फाइलेरिया (2) पिस्सुओं के काटने से फैलता है।
(C) बेरी-बेरी (3) मच्छरों से होता है।
(D) टायफॉइड (4) विटामिन ‘बी’ की कमी से होता है।

कूट :

ABCD

(a)2,1,3,4
(b)3,4,1,2
(c)4,1,2,3
(d)2,3,4,1

[M.P.P.C.S. (Pre) 1995]

उत्तर – (d) 2,3,4,1

  • सुमेलित कम इस प्रकार है:
    प्लेग पिस्सुओं के काटने से फैलता है।
    फाइलेरिया मच्छरों से फैलता है।
    बेरी-बेरी विटामिन ‘बी’ की कमी से होता है।
    टायफॉइड आंतों को प्रभावित करता है।

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26. निम्न में ब्रॉड स्पेक्ट्रम ओषधि है-

(a) क्लोरेम्फेनीकॉल
(b) पेरासिटामॉल
(c) जाइलोकेन
(d) क्लरोक्रिन

[R.A.S/R.T.S. (Pre) 1999]

उत्तर – (a) क्लोरेम्फेनीकॉल

  • ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक ऐसी ओषधियों का समूह है, जो जीवाणु जनित विभिन्न प्रकार के रोगों के प्रति प्रभावी होती है।
  • ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक, नैरो स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक के विपरीत ग्राम-पॉजिटिव और ब्राम-निगेटिव दोनों प्रकार के जीवाणुओं के विरुद्ध प्रभावी होती है।
  • क्लोरेम्फेनीकॉल (Chloramphenicol), जिसे क्लोरोनाइट्रोमाइसिन (Chloronitromycin) के नाम से भी जाना जाता है, एक ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक है।

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27. निम्नलिखित में से कौन प्रतिजैविक ओषधि है?

(a) क्वीनीन
(b) सल्फागुआनिडीन
(c) क्लोरेम्फेनीकॉल
(d) एस्प्रिन
(e) उपरोक्त में से कोई नहीं। उपरोक्त में से एक से अधिक

[B.P.S.C. (Pre) Exam, 2016]

उत्तर – (e) उपरोक्त में से कोई नहीं। उपरोक्त में से एक से अधिक

  • क्लोरेम्फेनीकॉल (Chloramphenicol) एक प्रतिजैविक (Antibiotic) ओषधि है, जिसका उपयोग बैक्टीरियल इंफेक्शन के उपचार में किया जाता है।
  • सल्फागुआनिडीन एक प्रकार का सल्फोनामाइड प्रतिजैविक (Sulfonamide Antibiotic) है, जो जीवाणुरोधी एजेंट (Antibacterial agent) के रूप में कार्य करता है।

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28. दंतक्षय का मुख्य कारण है मुख के भीतर होने वाले जीवाणु व-

(a) प्रोटीन के खाद्य कणों के मध्य अंतर्व्यवहार
(b) कार्बोहाइड्रेट के खाद्य कणों के मध्य अंतर्व्यवहार
(c) वसा के खाद्य कणों के मध्य अंतर्व्यवहार
(d) सलाद के खाद्य कणों के मध्य अंतर्व्यवहार

[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2005]

उत्तर – (b) कार्बोहाइड्रेट के खाद्य कणों के मध्य अंतर्व्यवहार

  • दंतक्षय (Tooth Decay) का मुख्य कारण सूक्ष्म जीवों जैसे जीवाणु तथा कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) के खाद्य कणों जो दांतों के मध्य फंसे रहते हैं, के मध्य अंतव्यवहार होता है।
  • अतः दांतों की नियमित खूब अच्छी तरह सफाई आवश्यक है।

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29. दंत-क्षय का कारण है-

(a) वायरल संक्रमण
(b) दूषित पानी
(c) बैक्टीरियल संक्रमण
(d) वंशानुगत कारण

[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2013]

उत्तर – (c) बैक्टीरियल संक्रमण

  • दंतक्षरण या दंत-क्षय एक ऐसी बीमारी है, जिसमें जीवाण्विक प्रक्रियाएं दांत की सख्त संरचना (दंत-बल्क, दंत ऊतक और दंत-मूल) को क्षतिग्रस्त कर देती हैं।
  • ये ऊतक क्रमशः टूटने लगते हैं, जिसमें दांतों में छिद्र उत्पन्न हो जाते हैं।
  • दंत-क्षय के लिए उत्तरदायी जीवाणु है- स्ट्रेप्टोकॉकस म्युटॉन्स और लैक्टोबैसिलस।

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30. छिछले हैंडपंप से पानी पीने वाले लोगों को नीचे लिखे सभी रोगों के होने की संभावना है. सिवाय-

(a) हैजा (Cholera) के
(b) टायफॉइड (Typhoid) के
(c) कामला (Jaundice) के
(d) फ्लुओरोसिस (Fluorosis) के

[I.A.S. (Pre) 1996]

उत्तर – (d) फ्लुओरोसिस (Fluorosis) के

  • हैजा (Cholera), टायफॉइड (Typhoid) तथा कामला या पीलिया (Jaundice), रोग छिछले हैंडपंप से पानी अर्थात दूषित जल पीने पर होने की संभावना होती है, जबकि फ्लुओरोसिस (Fluorosis) होने का मुख्य कारण है जल में फ्लोराइड (Flouride) की अधिकता।
  • देश की लगभग 5 प्रतिशत जनसंख्या फ्लोराइड विषाक्तता की चपेट में है।
  • इससे दांत खराब हो जाते हैं।
  • आधुनिक अनुसंधान के परिणाम यह भी दर्शाते हैं कि फ्लोराइड का अधिक अनुग्रहण कैंसरकारी (Carcinogenesis) भी हो सकता है।

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31. निम्नलिखित रोगों में से एक जो पानी के प्रदूषण की वजह से नहीं है?

(a) टायफॉइड
(b) हेपेटाइटिस-बी
(c) पीलिया
(d) हैजा

[R.A.S./R.T.S. (Re. Exam) (Pre) 2013]

उत्तर – (b) हेपेटाइटिस-बी

  • हैजा (Cholera), टायफॉइड (Typhoid) तथा कामला या पीलिया (Jaundice), रोग छिछले हैंडपंप से पानी अर्थात दूषित जल पीने पर होने की संभावना होती है,जबकि हेपेटाइटिस-बी पानी के प्रदूषण की वजह से नहीं  होता है।

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32. निम्न में से कौन-सा जल-जनित रोग है?

(a) चेचक
(b) मलेरिया
(c) हैजा
(d) तपेदिक

[U.P.P.C.S. (Pre) (Re. Exam) 2015]

उत्तर – (c) हैजा

  • हैजा एक संक्रामक आंत्रशोध है, जो विब्रियो कॉलेरी नामक जीवाणु के कारण होता है।
  • मनुष्यों में इसका संचरण इस जीवाणु द्वारा दूषित भोजन या पानी को ग्रहण करने के माध्यम से होता है।

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33. टायफॉइड तथा कॉलरा विशिष्ट उदाहरण हैं-

(a) संक्रामक रोगों के
(b) बायु-जन्य रोगों के
(c) जल-जन्य रोगों के
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं

[56th to 59 B.P.S.C. (Pre) 2015]

उत्तर – (c) जल-जन्य रोगों के

  • टायफॉइड तथा कॉलरा जल-जन्य रोगों के उदाहरण हैं।
  • टायफॉइड रोग का कारण सैल्मोनेला टाइफी तथा कॉलरा का कारण विक्रियोकॉलेरी नामक जीवाणु होता है।
  • पीने के जल के उचित उपचार द्वारा इन्हें फैलने से रोका जा सकता है।

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34. बी. सी. जी. का टीका निम्न में से किसमें लगाया जाता है?

(a) निमोनिया
(b) काली खांसी
(c) टिटेनस
(d) यक्ष्मा (T.B.)

[U.P.P.C.S. (Pre) 1990]

उत्तर – (d) यक्ष्मा (T.B.)

  • बी. सी. जी. (बैसिलस काल्मेट ग्यूरीन) का टीका तपेदिक या राजयक्ष्मा (टी. बी.) के बचाव के लिए शिशु के जन्म के तुरंत बाद लगाया जाना चाहिए।
  • यह टीका यदि जन्म के तुरंत बाद न लगाया गया हो, तो शिशु के जन्म से 12 माह के अंदर तक दिया जा सकता है, किंतु जन्म के बाद जितनी अवधि व्यतीत होती जाएगी प्रभाविता उतनी ही कम होती जाएगी।
  • जन्म के 12 माह के बाद बी. सी. जी. टीका लगाने का कोई फायदा नहीं है।

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35. बी. सी. जी. वैक्सीन का इस्तेमाल किसकी रोकथाम के लिए किया जाता है?

(a) छोटी चेचक
(b) टाइफॉइड
(c) क्षयरोग
(d) प्लेग
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं उपर्युक्त में से एक से अधिक

[66 B.P.S.C. (Pre) (Re. Exam) 2020]

उत्तर – (c) क्षयरोग

  • बी. सी. जी. (बैसिलस काल्मेट ग्यूरीन) का टीका तपेदिक या राजयक्ष्मा (टी. बी.) के बचाव के लिए शिशु के  लगाया जाता है।

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36. बी.सी.जी. का टीका नवजात शिशु को कितने दिन के भीतर लगाना चाहिए?

(a) 6 माह
(b) सात दिन
(c) जन्म के तुरंत बाद
(d) 48 दिन

[U.P.P.C.S. (Pre) 1991]

उत्तर – (c) जन्म के तुरंत बाद

  • बी. सी. जी. (बैसिलस काल्मेट ग्यूरीन) का टीका तपेदिक या राजयक्ष्मा (टी. बी.) के बचाव के लिए शिशु के जन्म के तुरंत बाद लगाया जाना चाहिए।

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37. कुष्ठ रोग उत्पन्न किया जाता है:

(a) जीवाणु द्वारा
(b) विषाणु द्वारा
(c) कवक द्वारा
(d) प्रोटोजोआ द्वारा

[U.P.P.S.C. (GIC) 2010]

उत्तर – (a) जीवाणु द्वारा

  • कुष्ठ रोग एक संक्रामक रोग है, जो माइकोबैक्टीरियम लेप्री और माइकोबैक्टीरियम लेप्रोमटॉसिस नामक जीवाणुओं के कारण होता है।

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38. निम्न सभी बीमारियों का कारण ‘वायरस’ होता है, सिवाय एक को छोड़ कर, जो है-

(a) पीलिया
(b) इंफ्लुएंजा
(c) गलसुआ
(d) आंत्र-ज्वर

[U.P. Lower Sub. (Pre) 2008]

उत्तर – (d) आंत्र-ज्वर

  • गलसुआ या कण्डमाला रोग विकट विषाणुजनित बीमारी है, जो पैरोटिड ग्रंथि को कष्टदायक रूप से बड़ा कर देती है।
  • पीलिया तथा इंफ्लुएंजा भी विषाणुजनित रोग हैं। आंत्र-ज्वर सैल्मोनेला टॉइफी नामक जीवाणु से होता है।

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