केस स्टडीज : समाज के विस्तृत हित
प्रश्न: कई भारतीय शहर घरेलू अपशिष्ट के प्रबंधन की एक बड़ी समस्या का सामना कर रहे हैं। अपशिष्ट की अत्यधिक मात्रा का अर्थ यह है कि भू-भराव स्थल ओवर कैपेसिटी (अति क्षमता) की समस्या का सामना कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर, इस समस्या का समाधान करने के लिए निर्मित वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट्स (अपशिष्ट-से-ऊर्जा संयंत्र) भी अपनी अकुशलता और जहरीले प्रदूषकों के विमोचन के कारण कड़ी आलोचना का सामना कर रहे हैं। लोगों द्वारा अपशिष्ट निपटान की विधि को इस समस्या के पीछे उत्तरदायी मुख्य कारणों में से एक के रूप में पहचाना गया है। सरकार ने अपशिष्ट के निपटान, संग्रह और उपचार के संबंध में नियमों को अधिसूचित किया है और अतीत में कई जागरुकता अभियान चलाए थे। फिर भी, समस्या नियंत्रण में आती नहीं प्रतीत हो रही है। ऐसी परिस्थिति को देखते हुए, निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
(a) सामान्य रूप से समाज के विस्तृत हितों को प्रभावित करने वाले अपशिष्ट निपटान जैसे मुद्दों के प्रति लोगों की उदासीनता के पीछे आप क्या कारण मानते हैं?
(b) विभिन्न हितधारकों की पहचान कीजिए और इस मुद्दे को हल करने में उनकी भागीदारी का महत्व बताइए।
दृष्टिकोण
- उपर्युक्त मामले का संक्षेप में वर्णन कीजिए और केस स्टडी में उठाए गए मुद्दों पर चर्चा कीजिए।
- अपशिष्ट निपटान के प्रति नागरिकों की उदासीनता के लिए उत्तरदायी कारणों का उल्लेख कीजिए।
- इस मुद्दे से संबंधित हितधारकों की पहचान कीजिए और इस संबंध में उनकी भागीदारी के महत्व का विश्लेषण कीजिए।
- उपर्युक्त बिंदुओं के आधार पर एक आशावादी टिप्पणी के साथ निष्कर्ष दीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त मामले में शहरी भारत में अपशिष्ट निपटान और प्रबंधन संबंधी मुद्दे को प्रदर्शित किया गया है, जिसने पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य दोनों के समक्ष खतरा उत्पन्न कर दिया है।
वर्तमान में, सरकार द्वारा अपनाई जाने वाली अपशिष्ट प्रबंधन रणनीतियों को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जैसे कि भू-भराव स्थलों का उनकी क्षमता से अधिक भराव (ओवर कैपेसिटी), वेस्ट-टू-एनर्जी (अपशिष्ट-से-ऊर्जा संयंत्र) के संदर्भ में अकुशलता और जहरीले प्रदूषकों का उत्सर्जन आदि। यद्यपि ये मुद्दे संपूर्ण समाज को प्रभावित कर रहे हैं, किन्तु अभी भी लोग अपशिष्ट के निपटान, संग्रह और उपचार के सम्बन्ध में अधिसूचित नियमों के प्रति उदासीन हैं। यह मौजूदा परिस्थितियों में विद्यमान सभी चुनौतियों में से सबसे बड़ी चुनौती है।
(a) अपशिष्ट निपटान के प्रति लोगों की उदासीनता के पीछे निम्नलिखित कारकों को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है:
- सामाजशास्त्रीय कारक: परंपरागत रूप से, भारत में अपशिष्ट निपटान के कार्य को निम्न जातियों के व्यक्तियों द्वारा किया जाता था, जिसके कारण अपशिष्ट निपटान के कार्य को एक निम्न स्तरीय एवं निषिद्ध कार्य माना जाने लगा।
- लोगों में केवल अपने घर को स्वच्छ रखने’ की अभिवृत्ति: अधिकांश लोग सार्वजनिक स्थानों की स्वच्छता के साथ समझौता करते हुए केवल अपने घर को स्वच्छ रखते हैं। यही कारण है कि उन्हें इस बात की अनुभूति नहीं होती है कि यह उनके जीवन को कुछ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीकों से प्रभावित कर सकता है।
- जागरुकता और राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव: जन सामान्य अनुचित अपशिष्ट निपटान के स्वास्थ्य संबंधी खतरों और अन्य नकारात्मक प्रभावों को लेकर संवेदनशील नहीं है। अपशिष्ट प्रबंधन पर राजनीतिक रूप से भी पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
- इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान न दिया जाना: अपशिष्ट सम्बन्धी मूल्य श्रृंखला की संग्रहण और परिवहन प्रणालियों में निचले स्तर पर पृथक्करण तंत्र (अपशिष्ट की प्रकृति के अनुसार उसे अलग करना) को सम्मिलित नहीं किया गया है। इसके परिणामस्वरूप निवासियों और संग्रहकर्ताओं को निर्धारित प्रक्रिया का अनुपालन करने हेतु कोई प्रोत्साहन प्राप्त नहीं होता
- परिस्थितिजन्य कारक: सुविधा एवं सूचनाओं का अभाव, पुनर्चक्रण के लिए शर्तों की विद्यमानता और विकल्पों की उपस्थिति, अपशिष्ट का उचित प्रकार से निपटान न करके धन बचाने की प्रवृत्ति आदि।
- संरचनात्मक बाधाएँ: संसाधनों के अभाव और अपशिष्ट निपटान स्थलों तक अपेक्षाकृत अपर्याप्त पहुंच के कारण अनुचित तरीके से अपशिष्ट का निपटान करने की प्रवृत्ति में वृद्धि होती है।
(b)
सम्मिलित विभिन्न हितधारक | हितधारकों को सम्मिलित करने का महत्त्व |
जन सामान्य (General Public) |
|
कचरा उठाने वाले (rag pickers) |
|
अपशिष्ट उपचार संयंत्र (Waste Treatment Plants) |
|
सरकार (Government) |
|
गैर-सरकारी संगठन (NGO) |
|
स्वास्थ्य पेशेवर (Health Professionals) |
|
मीडिया |
|
राजनीतिक नेताओं,प्रसिद्ध अभिनेतओ,शिक्षाविदो जैसे रोल मोडल | इनके द्वरा अपशिष्ट प्रबंधन संदर्भ में सकारात्मक कदम आरम्भ करने जागरुकता फैलाने किया जा सकता है। |
भारत में उचित अपशिष्ट प्रबंधन हेतु अन्य नीतिगत पहलों के समान ही व्यवहार परिवर्तन भी महत्वपूर्ण है। इस संदर्भ में, सामाजिक एवं व्यवहार परिवर्तन संचार (SBCC) को समग्र रणनीति का केन्द्रीय आधार बनाया जाना चाहिए। इस दिशा में स्वच्छता की प्राप्ति हेतु सामूहिक व्यवहार परिवर्तन पर केंद्रित ‘स्वच्छ भारत मिशन’ जैसी पहले एक सकारात्मक कदम हैं।
Read More
- केस स्टडीज- प्रशासनिक, बाजार (आर्थिक) और नैतिक दृष्टिकोण
- केस स्टडीज: विभिन्न हितधारक और उनके हित
- केस स्टडीज : नैतिक मुद्दे
- केस स्टडीज : विभिन्न हितधारक और उनकी प्रमुख चिंतायें
- केस स्टडीज-हितधारक और मुद्दों के समाधान