आधुनिक भारत टेस्ट 9
आधुनिक भारत टेस्ट 9
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न एन.सी.ई.आर.टी. पर आधारित है|
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Question 1 of 20
1. Question
1 points1857 की क्रांति में किन समूहों की भागीदारी रही?
1. किसान
2. ज़मींदार
3. धर्मोपदेशक, पंडित और मौलवी
4. हस्त-शिल्पी
कूटःCorrect
व्याख्याः
- 1857 की क्रांति में लाखों-लाख किसान, दस्तकार तथा सिपाही एक साल से अधिक समय तक बहादुरी से लड़े। अंग्रेज़ों द्वारा अपनाई गई आर्थिक नीति ने बहुत बड़ी संख्या में किसानों, दस्तकारों, हस्त-शिल्पियों और साथ ही बड़ी संख्या में परंपरागत ज़मींदारों तथा मुखिया लोगों को निर्धनता के मुँह में झोंक दिया।
- भारत में अंग्रेज़ों का अधिकार जमने से जो लोग सांस्कृतिक गतिविधियों के ज़रिये जीविका कमाते थे, वे भी बर्बाद हो गए। भारतीय शासक कला और साहित्य के संरक्षक थे और विद्वानों, धर्मगुरुओं तथा फकीरों आदि की सहायता करते थे। जब देशी शासकों पर अंग्रेज़ों का अधिकार हो गया, तब जो लोग इन पर निर्भर थे गरीबी के चंगुल में जा फँसे। धर्मोपदेशक, पंडितों और मौलवियों ने, जो यह महसूस कर रहे थे कि उनका पूरा भविष्य खतरे में है, विदेशी शासन के प्रति घृणा पैदा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
Incorrect
व्याख्याः
- 1857 की क्रांति में लाखों-लाख किसान, दस्तकार तथा सिपाही एक साल से अधिक समय तक बहादुरी से लड़े। अंग्रेज़ों द्वारा अपनाई गई आर्थिक नीति ने बहुत बड़ी संख्या में किसानों, दस्तकारों, हस्त-शिल्पियों और साथ ही बड़ी संख्या में परंपरागत ज़मींदारों तथा मुखिया लोगों को निर्धनता के मुँह में झोंक दिया।
- भारत में अंग्रेज़ों का अधिकार जमने से जो लोग सांस्कृतिक गतिविधियों के ज़रिये जीविका कमाते थे, वे भी बर्बाद हो गए। भारतीय शासक कला और साहित्य के संरक्षक थे और विद्वानों, धर्मगुरुओं तथा फकीरों आदि की सहायता करते थे। जब देशी शासकों पर अंग्रेज़ों का अधिकार हो गया, तब जो लोग इन पर निर्भर थे गरीबी के चंगुल में जा फँसे। धर्मोपदेशक, पंडितों और मौलवियों ने, जो यह महसूस कर रहे थे कि उनका पूरा भविष्य खतरे में है, विदेशी शासन के प्रति घृणा पैदा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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Question 2 of 20
2. Question
1 points1857 में भारत का गवर्नर जनरल कौन था?
Correct
व्याख्याः 1857 के विद्रोह के समय भारत का गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग था।
Incorrect
व्याख्याः 1857 के विद्रोह के समय भारत का गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग था।
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Question 3 of 20
3. Question
1 points1857 की क्रांति के धार्मिक कारणों के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये:1. ईसाई मिशनरियों द्वारा हिंदू तथा इस्लाम धर्म पर तीखा प्रहार करना।
2. मंदिर और मस्जिदों की ज़मीनों पर कर लगाना।
3. ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय समाज सुधारकों की सलाह पर सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध कानून बनाना।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- 1857 में ब्रिटिश शासन के विरोध में जनता के खड़े होने का एक प्रमुख कारण लोगों की यह धारणा थी कि इस शासन के कारण उनका धर्म खतरे में है। इस भय का कारण था ईसाई मिशनरियों द्वारा भारतीय लोगों को ईसाई बनाने का प्रयास करना तथा ये लोग हिंदू धर्म और इस्लाम पर सार्वजनिक रूप से तीखा और भोंडा प्रहार करते थे।
- पहले के भारतीय शासकों ने मंदिर और मस्जिद से जुड़ी ज़मीन को, उनके पुजारियों या सेवा-संस्थाओं को कर से मुक्त रखा था। अब इनसे कर वसूलने की सरकारी नीति से भी लोगों की धार्मिक भावनाओं को चोट लगी।
- अनेक लोगों की रूढ़िवादी धार्मिक और सामाजिक भावनाएँ उन मानवतावादी उपायों के कारण भड़की जो सरकार ने भारतीय समाज सुधारकों की सलाह पर किये। सती-प्रथा का उन्मूलन विधवा-पुनर्विवाह संबंधी कानून तथा लड़कियो के लिये पश्चिमी शिक्षा की व्यवस्था इन लोगों को ऐसे ही अनधिकृत हस्तक्षेप की तरह लगे।
Incorrect
व्याख्याः
- 1857 में ब्रिटिश शासन के विरोध में जनता के खड़े होने का एक प्रमुख कारण लोगों की यह धारणा थी कि इस शासन के कारण उनका धर्म खतरे में है। इस भय का कारण था ईसाई मिशनरियों द्वारा भारतीय लोगों को ईसाई बनाने का प्रयास करना तथा ये लोग हिंदू धर्म और इस्लाम पर सार्वजनिक रूप से तीखा और भोंडा प्रहार करते थे।
- पहले के भारतीय शासकों ने मंदिर और मस्जिद से जुड़ी ज़मीन को, उनके पुजारियों या सेवा-संस्थाओं को कर से मुक्त रखा था। अब इनसे कर वसूलने की सरकारी नीति से भी लोगों की धार्मिक भावनाओं को चोट लगी।
- अनेक लोगों की रूढ़िवादी धार्मिक और सामाजिक भावनाएँ उन मानवतावादी उपायों के कारण भड़की जो सरकार ने भारतीय समाज सुधारकों की सलाह पर किये। सती-प्रथा का उन्मूलन विधवा-पुनर्विवाह संबंधी कानून तथा लड़कियो के लिये पश्चिमी शिक्षा की व्यवस्था इन लोगों को ऐसे ही अनधिकृत हस्तक्षेप की तरह लगे।
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Question 4 of 20
4. Question
1 points1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण था-
Correct
व्याख्याः 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण धार्मिक था। नई एनफील्ड राइफल का उपयोग सबसे पहले सेना में ही आरंभ किया गया। इसकी कारतूसों पर चर्बी सने कागज़ का खोल चढ़ा होता था और कारतूस को राइफल में भरने से पहले उसके सिरों को दाँतों से काटना पड़ता था। कुछ उदाहरणों में इस खोल में गाय और सुअर की चर्बी का प्रयोग किया गया था। इससे हिंदू तथा मुसलमान सिपाही दोनों भड़क उठे।
Incorrect
व्याख्याः 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण धार्मिक था। नई एनफील्ड राइफल का उपयोग सबसे पहले सेना में ही आरंभ किया गया। इसकी कारतूसों पर चर्बी सने कागज़ का खोल चढ़ा होता था और कारतूस को राइफल में भरने से पहले उसके सिरों को दाँतों से काटना पड़ता था। कुछ उदाहरणों में इस खोल में गाय और सुअर की चर्बी का प्रयोग किया गया था। इससे हिंदू तथा मुसलमान सिपाही दोनों भड़क उठे।
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Question 5 of 20
5. Question
1 points1857 के विद्रोह का आरंभ कहाँ से हुआ था?
Correct
व्याख्याः विद्रोह का आरंभ 10 मई 1857 को दिल्ली से 36 मील दूर मेरठ में हुआ। फिर यह तेज़ी से बढ़ता हुआ पूरे उत्तर भारत में फैल गया। जल्द ही उत्तर में पंजाब से लेकर दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान तक एक विस्तृत भू-भाग इसकी चपेट में आ गया।
Incorrect
व्याख्याः विद्रोह का आरंभ 10 मई 1857 को दिल्ली से 36 मील दूर मेरठ में हुआ। फिर यह तेज़ी से बढ़ता हुआ पूरे उत्तर भारत में फैल गया। जल्द ही उत्तर में पंजाब से लेकर दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान तक एक विस्तृत भू-भाग इसकी चपेट में आ गया।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:1. मंगल पांडे ने ग्वालियर विद्रोह किया था।
2. 1857 के विद्रोहियों ने बहादुर शाह जफ़र को भारत का बादशाह घोषित किया।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। मंगल पांडे बैरकपुर छावनी के एक नौजवान सिपाही थे,जिनको अकेले विद्रोह करने तथा अपने अधिकारियों पर हमला करने के कारण 29 मार्च 1857 को फाँसी दे दी गई।
- दूसरा कथन सत्य है। 1857 के बागी सिपाहियों ने बूढ़े और शक्तिहीन बहादुर शाह ज़फर को भारत का सम्राट घोषित कर दिया। दिल्ली जल्द ही इस महान विद्रोह का केन्द्र बन गई तथा बहादुर शाह इसके महान प्रतीक बन गए।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। मंगल पांडे बैरकपुर छावनी के एक नौजवान सिपाही थे,जिनको अकेले विद्रोह करने तथा अपने अधिकारियों पर हमला करने के कारण 29 मार्च 1857 को फाँसी दे दी गई।
- दूसरा कथन सत्य है। 1857 के बागी सिपाहियों ने बूढ़े और शक्तिहीन बहादुर शाह ज़फर को भारत का सम्राट घोषित कर दिया। दिल्ली जल्द ही इस महान विद्रोह का केन्द्र बन गई तथा बहादुर शाह इसके महान प्रतीक बन गए।
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsदिल्ली में प्रतीक रूप में विद्रोहियों के नेता बादशाह बहादुर शाह थे, परंतु वास्तविक नियंत्रण एक सैनिक समिति के हाथों में था। इस समिति का प्रमुख कौन था?
Correct
व्याख्याः दिल्ली, 1857 के विद्रोह का केन्द्र थी। दिल्ली में प्रतीक रूप में कहने को विद्रोह के नेता बादशाह बहादुरशाह थे, परंतु वास्तविक नियंत्रण एक सैनिक समिति के हाथों में था क्योंकि बहादुर शाह बूढ़ा और एक शक्तिहीन शासक था। इस समिति के प्रमुख जनरल बख्त खाँ थे। इन्होंने बरेली के सैनिकों का नेतृत्व किया था तथा उनको दिल्ली ले आए थे। ब्रिटिश सेना में वे तोपखाने के एक मामूली सूबेदार थे।
Incorrect
व्याख्याः दिल्ली, 1857 के विद्रोह का केन्द्र थी। दिल्ली में प्रतीक रूप में कहने को विद्रोह के नेता बादशाह बहादुरशाह थे, परंतु वास्तविक नियंत्रण एक सैनिक समिति के हाथों में था क्योंकि बहादुर शाह बूढ़ा और एक शक्तिहीन शासक था। इस समिति के प्रमुख जनरल बख्त खाँ थे। इन्होंने बरेली के सैनिकों का नेतृत्व किया था तथा उनको दिल्ली ले आए थे। ब्रिटिश सेना में वे तोपखाने के एक मामूली सूबेदार थे।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsसूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजियेः
सूची-I
(क्रांतिकारियों के नाम)सूची-II
(स्थान)A. नाना साहब 1. बिहार B. बेगम हज़रतमहल 2. झाँसी C. महारानी लक्ष्मीबाई 3. लखनऊ D. कुंवर सिंह 4. कानपुर कूटः
Correct
व्याख्याः
- कानपुर में विद्रोहियों के नेता नाना साहब थे,जो अंतिम पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे। सिपाहियों की सहायता से अंग्रेज़ों को कानपुर से खदेड़कर नाना साहब ने स्वयं को पेशवा घोषित कर दिया।
- लखनऊ में विद्रोह का नेतृत्व अवध की बेगम हज़रत महल कर रही थीं। उन्होंने अपने नाबालिग बेटे बिरजीश कद्र को अवध का नवाब घोषित कर दिया। लखनऊ के सिपाहियों तथा अवध के किसानों और जमींदारों की सहायता से बेगम ने अंग्रेज़ों के खिलाफ चौतरफा युद्ध छेड़ दिया।
- 857 के विद्रोह के महान नेताओं में भारतीय इतिहास की महानतम वीरांगनाओं में से एक थीं- झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई। झाँसी की गद्दी के उत्तराधिकार के मसले पर रानी विद्रोहियों से आ मिलीं।
- बिहार में विद्रोह के प्रमुख नेता कुंवर सिंह थे, जो आरा के पास जगदीशपुर के एक तबाह और असंतुष्ट ज़मींदार थे।
Incorrect
व्याख्याः
- कानपुर में विद्रोहियों के नेता नाना साहब थे,जो अंतिम पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे। सिपाहियों की सहायता से अंग्रेज़ों को कानपुर से खदेड़कर नाना साहब ने स्वयं को पेशवा घोषित कर दिया।
- लखनऊ में विद्रोह का नेतृत्व अवध की बेगम हज़रत महल कर रही थीं। उन्होंने अपने नाबालिग बेटे बिरजीश कद्र को अवध का नवाब घोषित कर दिया। लखनऊ के सिपाहियों तथा अवध के किसानों और जमींदारों की सहायता से बेगम ने अंग्रेज़ों के खिलाफ चौतरफा युद्ध छेड़ दिया।
- 857 के विद्रोह के महान नेताओं में भारतीय इतिहास की महानतम वीरांगनाओं में से एक थीं- झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई। झाँसी की गद्दी के उत्तराधिकार के मसले पर रानी विद्रोहियों से आ मिलीं।
- बिहार में विद्रोह के प्रमुख नेता कुंवर सिंह थे, जो आरा के पास जगदीशपुर के एक तबाह और असंतुष्ट ज़मींदार थे।
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Question 9 of 20
9. Question
1 points1857 के विद्रोह के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
Correct
व्याख्याः पहला कथन असत्य है। कानपुर में विद्रोहियों के नेता नाना साहब की ओर से लड़ने का भार मुख्यतः उनके विश्वसनीय सेवक तात्या टोपे के सिपाहियों पर था। अपनी देशभक्ति, शौर्यमय युद्ध तथा कुशल छापामार कार्यवाहियों के कारण तात्या टोपे का नाम इतिहास में अमर है।
Incorrect
व्याख्याः पहला कथन असत्य है। कानपुर में विद्रोहियों के नेता नाना साहब की ओर से लड़ने का भार मुख्यतः उनके विश्वसनीय सेवक तात्या टोपे के सिपाहियों पर था। अपनी देशभक्ति, शौर्यमय युद्ध तथा कुशल छापामार कार्यवाहियों के कारण तात्या टोपे का नाम इतिहास में अमर है।
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Question 10 of 20
10. Question
1 points1857 के विद्रोह के दौरान अंग्रेज़ों ने सर्वप्रथम किस शहर पर दोबारा कब्ज़ा किया?
Correct
व्याख्याः अंग्रेज़ों ने एक लंबे तथा भयानक युद्ध के बाद सबसे पहले 20 सितंबर 1857 को दिल्ली पर दोबारा कब्ज़ा कर लिया। बूढ़े सम्राट बहादुर शाह बंदी बना लिये गए। उनके राजकुमार पकड़कर वहीं मार दिये गए। सम्राट पर मुकदमा चला तथा उन्हें निर्वासित कर रंगून भेज दिया गया।
Incorrect
व्याख्याः अंग्रेज़ों ने एक लंबे तथा भयानक युद्ध के बाद सबसे पहले 20 सितंबर 1857 को दिल्ली पर दोबारा कब्ज़ा कर लिया। बूढ़े सम्राट बहादुर शाह बंदी बना लिये गए। उनके राजकुमार पकड़कर वहीं मार दिये गए। सम्राट पर मुकदमा चला तथा उन्हें निर्वासित कर रंगून भेज दिया गया।
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Question 11 of 20
11. Question
1 points1857 के विद्रोह में किन भारतीय शासकों ने विद्रोह को कुचलने के लिये ब्रिटिशों का साथ दिया?
1. ग्वालियर के सिंधिया
2. हैदराबाद के निज़ाम
3. भोपाल के नवाब
4. नेपाल के राजा
कूटःCorrect
व्याख्याः भारतीय रजवाड़ों के अधिकांश शासक तथा बड़े ज़मींदार स्वार्थी थे एवं अंग्रेज़ों की शक्ति से भयभीत थे और वे विद्रोह में शामिल नहीं हुए। इसके विपरीत ग्वालियर के सिंधिया, इंदौर के होल्कर, हैदराबाद के निज़ाम, जोधपुर के राजा तथा दूसरे राजपूत शासक, भोपाल के नवाब, पटियाला, नाभा और जींद के सिख शासक तथा पंजाब के दूसरे सिख सरदार, कश्मीर के महाराजा, नेपाल के राजा और उनके बड़े ज़मींदारों ने विद्रोह को कुचलने में अंग्रेज़ों की सक्रिय सहायता की। वास्तव में भारतीय शासकों में एक प्रतिशत से भी अधिक शासक विद्रोह में शामिल नहीं हुए।
Incorrect
व्याख्याः भारतीय रजवाड़ों के अधिकांश शासक तथा बड़े ज़मींदार स्वार्थी थे एवं अंग्रेज़ों की शक्ति से भयभीत थे और वे विद्रोह में शामिल नहीं हुए। इसके विपरीत ग्वालियर के सिंधिया, इंदौर के होल्कर, हैदराबाद के निज़ाम, जोधपुर के राजा तथा दूसरे राजपूत शासक, भोपाल के नवाब, पटियाला, नाभा और जींद के सिख शासक तथा पंजाब के दूसरे सिख सरदार, कश्मीर के महाराजा, नेपाल के राजा और उनके बड़े ज़मींदारों ने विद्रोह को कुचलने में अंग्रेज़ों की सक्रिय सहायता की। वास्तव में भारतीय शासकों में एक प्रतिशत से भी अधिक शासक विद्रोह में शामिल नहीं हुए।
-
Question 12 of 20
12. Question
1 points1857 के विद्रोह की असफलता के प्रमुख कारण थे-1. यह भारतीय समाज के सभी अंगों तथा वर्गों को अपनी चपेट में नहीं ले सका।
2. यह विद्रोह भारत के सभी भागों में नहीं फैल सका।
3. विद्रोह सत्ता पर अधिकार के बाद लागू किये जाने वाले सामाजिक विकल्प से रहित था।
4. विद्रोहियों का अति राष्ट्रवाद की भावना से प्रेरित होना।
कूटःCorrect
व्याख्याः 1857 के विद्रोह की असफलता के कारण-
- 1857 के विद्रोह को जनता का व्यापक समर्थन प्राप्त था। फिर भी यह पूरे देश को या भारतीय समाज के सभी अंगों तथा वर्गों को अपनी चपेट में नहीं ले सका। इस विद्रोह में केवल बेदखल तथा असंतुष्ट शासक जो एक प्रतिशत से भी कम थे शामिल हुए। इसके अलावा उच्च तथा मध्य वर्गों के अधिकांश लोग विद्रोहियों के आलोचक थे। आधुनिक शिक्षा प्राप्त भारतीयों ने भी विद्रोहियों का साथ नहीं दिया। विद्रोही जिस प्रकार अंधविश्वासों का प्रयोग करते या प्रगतिशील सामाजिक उपायों का विरोध करते थे, उससे ये भारतीय बिदककर दूर हो गए।
- इसी तरह बंबई, कलकत्ता तथा मद्रास के बड़े व्यापारियों ने भी अंग्रेज़ों का साथ दिया। कारण कि उनका अधिकांश मुनाफा अंग्रेज़ व्यापारियों के साथ होने वाले विदेशी व्यापार तथा आर्थिक संबंधों से होता था।
- 1857 का विद्रोह दक्षिण भारत तथा पूर्वी और पश्चिमी भारत के अधिकांश भागों में नहीं फैल सका क्योंकि इन क्षेत्रों में पहले ही अनेक विद्रोह हो चुके थे।
- विद्रोहियों के पास आधुनिक अस्त्र-शस्त्र तथा अन्य युद्ध सामग्री का अभाव था। सिपाही बहादुर तथा स्वार्थ रहित तो थे मगर उनमें अनुशासन की कमी थी।
- विद्रोहियों के पास एक भविष्योन्मुख कार्यक्रम, सुसंगत विचारधारा, राजनीतिक परिप्रेक्ष्य या भावी समाज और अर्थव्यवस्था के प्रति एक स्पष्ट दृष्टिकोण का अभाव था। विद्रोह सत्ता पर अधिकार के बाद लागू किये जाने वाले किसी सामाजिक विकल्प से रहित था।
- चौथा कथन असत्य है। भारत इस समय आधुनिक राष्ट्रवाद से अपरिचित था। विद्रोहियों में अपने क्षेत्र या राजसत्ता के प्रति प्रेम अधिक था। किसी अखिल भारतीय हित की चेतना का उदय अभी नहीं हुआ था।
Incorrect
व्याख्याः 1857 के विद्रोह की असफलता के कारण-
- 1857 के विद्रोह को जनता का व्यापक समर्थन प्राप्त था। फिर भी यह पूरे देश को या भारतीय समाज के सभी अंगों तथा वर्गों को अपनी चपेट में नहीं ले सका। इस विद्रोह में केवल बेदखल तथा असंतुष्ट शासक जो एक प्रतिशत से भी कम थे शामिल हुए। इसके अलावा उच्च तथा मध्य वर्गों के अधिकांश लोग विद्रोहियों के आलोचक थे। आधुनिक शिक्षा प्राप्त भारतीयों ने भी विद्रोहियों का साथ नहीं दिया। विद्रोही जिस प्रकार अंधविश्वासों का प्रयोग करते या प्रगतिशील सामाजिक उपायों का विरोध करते थे, उससे ये भारतीय बिदककर दूर हो गए।
- इसी तरह बंबई, कलकत्ता तथा मद्रास के बड़े व्यापारियों ने भी अंग्रेज़ों का साथ दिया। कारण कि उनका अधिकांश मुनाफा अंग्रेज़ व्यापारियों के साथ होने वाले विदेशी व्यापार तथा आर्थिक संबंधों से होता था।
- 1857 का विद्रोह दक्षिण भारत तथा पूर्वी और पश्चिमी भारत के अधिकांश भागों में नहीं फैल सका क्योंकि इन क्षेत्रों में पहले ही अनेक विद्रोह हो चुके थे।
- विद्रोहियों के पास आधुनिक अस्त्र-शस्त्र तथा अन्य युद्ध सामग्री का अभाव था। सिपाही बहादुर तथा स्वार्थ रहित तो थे मगर उनमें अनुशासन की कमी थी।
- विद्रोहियों के पास एक भविष्योन्मुख कार्यक्रम, सुसंगत विचारधारा, राजनीतिक परिप्रेक्ष्य या भावी समाज और अर्थव्यवस्था के प्रति एक स्पष्ट दृष्टिकोण का अभाव था। विद्रोह सत्ता पर अधिकार के बाद लागू किये जाने वाले किसी सामाजिक विकल्प से रहित था।
- चौथा कथन असत्य है। भारत इस समय आधुनिक राष्ट्रवाद से अपरिचित था। विद्रोहियों में अपने क्षेत्र या राजसत्ता के प्रति प्रेम अधिक था। किसी अखिल भारतीय हित की चेतना का उदय अभी नहीं हुआ था।
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsभारतीय पुनर्जागरण का प्रथम नेता किसे कहा जाता है?
Correct
व्याख्याः राजा राममोहन राय भारतीय पुनर्जागरण के मुख्य नेता थे जिन्हें आधुनिक भारत का प्रथम नेता मानना एकदम उचित है। वे पहले भारतीय थे जिन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त बुराइयों के विरोध में आंदोलन चलाया। अपने देश और जनता के प्रति गहरे प्रेम से प्रेरित होकर आजीवन उनके सामाजिक, धार्मिक, बौद्धिक और राजनीतिक नवोत्थान के लिये राजा राममोहन राय ने कठिन परिश्रम किया। राजा राममोहन राय को ‘भारतीय पुनर्जागरण का पिता’, ‘भारतीय राष्ट्रवाद का पैगम्बर’, ‘आधुनिक भारत का पिता’ आदि नाम से जाना जाता है।
Incorrect
व्याख्याः राजा राममोहन राय भारतीय पुनर्जागरण के मुख्य नेता थे जिन्हें आधुनिक भारत का प्रथम नेता मानना एकदम उचित है। वे पहले भारतीय थे जिन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त बुराइयों के विरोध में आंदोलन चलाया। अपने देश और जनता के प्रति गहरे प्रेम से प्रेरित होकर आजीवन उनके सामाजिक, धार्मिक, बौद्धिक और राजनीतिक नवोत्थान के लिये राजा राममोहन राय ने कठिन परिश्रम किया। राजा राममोहन राय को ‘भारतीय पुनर्जागरण का पिता’, ‘भारतीय राष्ट्रवाद का पैगम्बर’, ‘आधुनिक भारत का पिता’ आदि नाम से जाना जाता है।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsराजा राममोहन राय के संबंध में नीचे दिये गए कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?
1. उन्होंने मूर्तिपूजा और निरर्थक धार्मिक कृत्यों के प्रचलन का विरोध किया।
2. उन्होंने सती प्रथा के विरुद्ध सामाजिक आंदोलन चलाया।
3. उन्होंने एकेश्वरवाद का समर्थन किया।
कूटःCorrect
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- राजा राममोहन राय जीवन भर बंगाल के हिन्दुओं में प्रचलित धार्मिक और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ ज़ोरदार संघर्ष चलाया। विशेष रूप से उन्होंने मूर्तिपूजा, जाति की कट्टरता और निरर्थक धार्मिक कृत्यों के प्रचलन का ज़ोरदार विरोध किया।
- राजा राममोहन राय महिलाओं के पक्के समर्थक थे। उन्होंने सती प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध आजीवन संघर्ष किया। इन्हीं के प्रयासों के फलस्वरूप ही विलियम बैंटिक ने सती प्रथा को गैर कानूनी घोषित किया।
- राजा राममोहन राय की धारणा थी कि सभी प्रमुख प्राचीन हिन्दू धर्मग्रंथों ने एकेश्वरवाद की शिक्षा दी है। उन्होंने एकेश्वरवाद के समर्थन में कई पुस्तक-पुस्तिकाएँ भी लिखीं।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- राजा राममोहन राय जीवन भर बंगाल के हिन्दुओं में प्रचलित धार्मिक और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ ज़ोरदार संघर्ष चलाया। विशेष रूप से उन्होंने मूर्तिपूजा, जाति की कट्टरता और निरर्थक धार्मिक कृत्यों के प्रचलन का ज़ोरदार विरोध किया।
- राजा राममोहन राय महिलाओं के पक्के समर्थक थे। उन्होंने सती प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध आजीवन संघर्ष किया। इन्हीं के प्रयासों के फलस्वरूप ही विलियम बैंटिक ने सती प्रथा को गैर कानूनी घोषित किया।
- राजा राममोहन राय की धारणा थी कि सभी प्रमुख प्राचीन हिन्दू धर्मग्रंथों ने एकेश्वरवाद की शिक्षा दी है। उन्होंने एकेश्वरवाद के समर्थन में कई पुस्तक-पुस्तिकाएँ भी लिखीं।
-
Question 15 of 20
15. Question
1 points1829 में राजा राममोहन राय के द्वारा स्थापित ब्रह्म समाज का मुख्य उद्देश्य था-
Correct
व्याख्याः राजा राममोहन राय ने 1829 में ब्रह्म समाज नाम की एक नई धार्मिक संस्था की स्थापना की जिसको बाद में ब्रह्म समाज कहा गया। इसका उद्देश्य हिंदू धर्म को स्वच्छ बनाना और एकेश्वरवाद की शिक्षा देना था। नई संस्था के दो आधार थे तर्कशक्ति और वेद तथा उपनिषद्। उसे अन्य धर्मों की शिक्षाओं को भी समाहित करना था। ब्रह्म समाज ने मानवीय प्रतिष्ठा पर ज़ोर दिया, मूर्तिपूजा का विरोध किया तथा सती प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों की आलोचना की।
Incorrect
व्याख्याः राजा राममोहन राय ने 1829 में ब्रह्म समाज नाम की एक नई धार्मिक संस्था की स्थापना की जिसको बाद में ब्रह्म समाज कहा गया। इसका उद्देश्य हिंदू धर्म को स्वच्छ बनाना और एकेश्वरवाद की शिक्षा देना था। नई संस्था के दो आधार थे तर्कशक्ति और वेद तथा उपनिषद्। उसे अन्य धर्मों की शिक्षाओं को भी समाहित करना था। ब्रह्म समाज ने मानवीय प्रतिष्ठा पर ज़ोर दिया, मूर्तिपूजा का विरोध किया तथा सती प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों की आलोचना की।
-
Question 16 of 20
16. Question
1 points1817 में कलकत्ता में प्रसिद्ध हिंदू कॉलेज की स्थापना किसने की?
Correct
व्याख्याः डेविड हेअर ने 1817 में कलकत्ता में प्रसिद्ध हिंदू कॉलेज की स्थापना की। वह 1800 में एक घड़ीसाज के रूप में भारत आया था, मगर उसने अपनी सारी जिंदगी देश में आधुनिक शिक्षा के प्रसार में लगा दी।
Incorrect
व्याख्याः डेविड हेअर ने 1817 में कलकत्ता में प्रसिद्ध हिंदू कॉलेज की स्थापना की। वह 1800 में एक घड़ीसाज के रूप में भारत आया था, मगर उसने अपनी सारी जिंदगी देश में आधुनिक शिक्षा के प्रसार में लगा दी।
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Question 17 of 20
17. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:1. राजा राममोहन राय ने भारतीय विद्या और पाश्चात्य सामाजिक तथा भौतिक विज्ञान की पढ़ाई के लिये वेदांत कॉलेज की स्थापना की।
2. राजा राममोहन राय ने अपनी पुस्तक ‘गिफ्ट टू मोनोथेसिस्ट’ (एकेश्वरवादियों का उपहार) में एकेश्वरवाद के पक्ष में तर्क दिये।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- राजा राममोहन राय ने 1825 में एक वेदांत कॉलेज की स्थापना की जिसमें भारतीय विद्या और पाश्चात्य सामाजिक तथा भौतिक विज्ञान की पढ़ाई की सुविधाएँ उपलब्ध थी।
- राजा राममोहन राय ने 1809 में फारसी में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘गिफ्ट टू मोनोथेसिस्ट’ (एकेश्वरवादियों का उपहार) लिखी, जिसमें उन्होंने अनेक देवताओं में विश्वास के विरुद्ध और एकेश्वरवाद के पक्ष में वज़नदार तर्क दिये।
Incorrect
व्याख्याः
- राजा राममोहन राय ने 1825 में एक वेदांत कॉलेज की स्थापना की जिसमें भारतीय विद्या और पाश्चात्य सामाजिक तथा भौतिक विज्ञान की पढ़ाई की सुविधाएँ उपलब्ध थी।
- राजा राममोहन राय ने 1809 में फारसी में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘गिफ्ट टू मोनोथेसिस्ट’ (एकेश्वरवादियों का उपहार) लिखी, जिसमें उन्होंने अनेक देवताओं में विश्वास के विरुद्ध और एकेश्वरवाद के पक्ष में वज़नदार तर्क दिये।
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Question 18 of 20
18. Question
1 points‘यंग बंगाल आंदोलन’ का आरंभ किसने किया?
Correct
व्याख्याः उन्नीसवीं सदी के तीसरे दशक के अंतिम वर्षों के दौरान बंगाली बुद्धिजीवियों के बीच एक आमूल परिवर्तकारी प्रवृत्ति पैदा हुई। यह प्रवृत्ति राजा राममोहन राय की अपेक्षा अधिक आधुनिक थी, जिसे यंग बंगाल आंदोलन के नाम से जाना जाता है। इस आंदोलन का नेता और प्रेरक नौजवान एंग्लो इंडियन हेनरी विवियन डेरोज़ियो था।
Incorrect
व्याख्याः उन्नीसवीं सदी के तीसरे दशक के अंतिम वर्षों के दौरान बंगाली बुद्धिजीवियों के बीच एक आमूल परिवर्तकारी प्रवृत्ति पैदा हुई। यह प्रवृत्ति राजा राममोहन राय की अपेक्षा अधिक आधुनिक थी, जिसे यंग बंगाल आंदोलन के नाम से जाना जाता है। इस आंदोलन का नेता और प्रेरक नौजवान एंग्लो इंडियन हेनरी विवियन डेरोज़ियो था।
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Question 19 of 20
19. Question
1 points‘यंग बंगाल आंदोलन’ के संदर्भ में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये:1. इस आंदोलन के नेता हेनरी विवियन डेरोज़ियो फ्राँसीसी क्रांति से प्रेरित था।
2. इस आंदोलन ने अपने क्रांतिकारी विचारों के कारण भारतीय समाज के पिछड़े वर्गों का समर्थन हासिल किया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। यंग बंगाल आंदोलन के प्रेरक और नेता हेनरी विवियन डेरोज़ियो ने महान फ्राँसीसी क्रांति से प्ररेणा ली और अपने जमाने के अत्यंत क्रांतिकारी विचारों को अपनाया। वह एक अत्यंत प्रतिभाशाली शिक्षक थे।
- दूसरा कथन असत्य है। डेरोज़ियो को उसकी क्रांतिकारिता के कारण 1831 में हिंदू कॉलेज से हटा दिया गया। उसके अनुयायियों ने पुरानी और ह्रासोन्मुख प्रथाओं, कृत्यों और रिवाज़ो की घोर आलोचना की। उन्होंने नारी शिक्षा की मांग की किन्तु वे किसी आंदोलन को जन्म देने में सफल नही हुए क्योंकि उनके विचारों के फलने-फूलने के लिये सामाजिक स्थितियाँ उपयुक्त नहीं थी। उस समय भारतीय समाज में ऐसा कोई और वर्ग या समूह नहीं था जो उनके प्रगतिशील विचारों का समर्थन करता। यही नहीं, वे जनता के साथ अपने संपर्क नहीं बना सके। वस्तुतः उनकी क्रांतिकारिता किताबी थी।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। यंग बंगाल आंदोलन के प्रेरक और नेता हेनरी विवियन डेरोज़ियो ने महान फ्राँसीसी क्रांति से प्ररेणा ली और अपने जमाने के अत्यंत क्रांतिकारी विचारों को अपनाया। वह एक अत्यंत प्रतिभाशाली शिक्षक थे।
- दूसरा कथन असत्य है। डेरोज़ियो को उसकी क्रांतिकारिता के कारण 1831 में हिंदू कॉलेज से हटा दिया गया। उसके अनुयायियों ने पुरानी और ह्रासोन्मुख प्रथाओं, कृत्यों और रिवाज़ो की घोर आलोचना की। उन्होंने नारी शिक्षा की मांग की किन्तु वे किसी आंदोलन को जन्म देने में सफल नही हुए क्योंकि उनके विचारों के फलने-फूलने के लिये सामाजिक स्थितियाँ उपयुक्त नहीं थी। उस समय भारतीय समाज में ऐसा कोई और वर्ग या समूह नहीं था जो उनके प्रगतिशील विचारों का समर्थन करता। यही नहीं, वे जनता के साथ अपने संपर्क नहीं बना सके। वस्तुतः उनकी क्रांतिकारिता किताबी थी।
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Question 20 of 20
20. Question
1 points‘देवेन्द्रनाथ ठाकुर’ द्वारा किस संगठन की स्थापना की गई?
Correct
व्याख्याः राजा राममोहन राय के विचारों के प्रचार के लिये रवीन्द्रनाथ ठाकुर के पिता देवेन्द्रनाथ ठाकुर ने 1839 में तत्त्वबोधिनी सभा की स्थापना की। तत्त्वबोधिनी सभा और उसके मुख्य पत्र ‘तत्त्वबोधिनी पत्रिका’ ने बंगला भाषा में भारत के सुव्यवस्थित अध्ययन को बढ़ावा दिया।
Incorrect
व्याख्याः राजा राममोहन राय के विचारों के प्रचार के लिये रवीन्द्रनाथ ठाकुर के पिता देवेन्द्रनाथ ठाकुर ने 1839 में तत्त्वबोधिनी सभा की स्थापना की। तत्त्वबोधिनी सभा और उसके मुख्य पत्र ‘तत्त्वबोधिनी पत्रिका’ ने बंगला भाषा में भारत के सुव्यवस्थित अध्ययन को बढ़ावा दिया।