आधुनिक भारत टेस्ट 8
आधुनिक भारत टेस्ट 8
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न एन.सी.ई.आर.टी. पर आधारित है|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsब्रिटिश काल में किन प्रांतों को प्रेसीडेंसी कहा जाता था?1. बंगाल
2. मध्य प्रांत
3. बंबई
4. पंजाब
कूटCorrect
व्याख्याः शासन की सुविधा के लिये अंग्रेज़ों ने भारत को कई प्रांतों में बाँट रखा था। इनमें से बंगाल, मद्रास और बंबई प्रांतों को प्रेसीडेंसी कहा जाता था। इन प्रेसीडेंसियों का प्रशासन गवर्नर तीन सदस्यों वाली एक कांउसिल की सहायता से चलाता था और उनकी नियुक्ति सम्राट करता था।
Incorrect
व्याख्याः शासन की सुविधा के लिये अंग्रेज़ों ने भारत को कई प्रांतों में बाँट रखा था। इनमें से बंगाल, मद्रास और बंबई प्रांतों को प्रेसीडेंसी कहा जाता था। इन प्रेसीडेंसियों का प्रशासन गवर्नर तीन सदस्यों वाली एक कांउसिल की सहायता से चलाता था और उनकी नियुक्ति सम्राट करता था।
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Question 2 of 20
2. Question
1 points19वीं सदी की प्रेसीडेंसियों और प्रांतीय सरकारों के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये:
1. प्रांतीय सरकारों को प्रेसीडेंसियों की सरकारों से अधिक शक्ति प्राप्त थी।
2. प्रांतों का शासन गवर्नर जनरल द्वारा चलाया जाता था।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन असत्य हैं।
- भारत में शासन की सुविधा के लिये अंग्रेज़ों ने इसे प्रांतों में बाँटा हुआ था जिसमे से बंगाल, मद्रास और बंबई प्रांतों को प्रेसीडेंसी कहा जाता था। प्रेसीडेंसियों की सरकारों को दूसरी प्रांतीय सरकारों से अधिक अधिकार और शक्तियाँ प्राप्त थीं।
- प्रेसीडेंसियों का प्रशासन एक गवर्नर तीन सदस्यों वाली एक काउंसिल की सहायता से चलाता था। जबकि दूसरे प्रांतों का शासन गर्वनर-जनरल द्वारा नियुक्त लेफ्टिनेंट गवर्नर और चीफ कमिश्नर चलाते थे।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन असत्य हैं।
- भारत में शासन की सुविधा के लिये अंग्रेज़ों ने इसे प्रांतों में बाँटा हुआ था जिसमे से बंगाल, मद्रास और बंबई प्रांतों को प्रेसीडेंसी कहा जाता था। प्रेसीडेंसियों की सरकारों को दूसरी प्रांतीय सरकारों से अधिक अधिकार और शक्तियाँ प्राप्त थीं।
- प्रेसीडेंसियों का प्रशासन एक गवर्नर तीन सदस्यों वाली एक काउंसिल की सहायता से चलाता था। जबकि दूसरे प्रांतों का शासन गर्वनर-जनरल द्वारा नियुक्त लेफ्टिनेंट गवर्नर और चीफ कमिश्नर चलाते थे।
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Question 3 of 20
3. Question
1 points1861 के इंडियन काउंसिल एक्ट के तहत गठित इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
Correct
व्याख्याः चौथा कथन असत्य है। 1861 के इंडियन काउंसिल एक्ट में गवर्नर जनरल की काउंसिल के कानून बनाने की शक्ति को बढ़ा दिया गया और उसे इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल नाम दिया गया। इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल को कोई वास्तविक अधिकार प्राप्त नहीं थे। यह एकमात्र सलाहकार समिति थी,जो सरकार की पूर्व अनुमति के बिना किसी भी महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं प्रशासन के कार्यों पर विचार नहीं कर सकती थी। दूसरे शब्दों में लेजिस्लेटिव काउंसिल का एक्ज़िक्यूटिव काउंसिल पर कोई नियंत्रण नहीं था।
Incorrect
व्याख्याः चौथा कथन असत्य है। 1861 के इंडियन काउंसिल एक्ट में गवर्नर जनरल की काउंसिल के कानून बनाने की शक्ति को बढ़ा दिया गया और उसे इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल नाम दिया गया। इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल को कोई वास्तविक अधिकार प्राप्त नहीं थे। यह एकमात्र सलाहकार समिति थी,जो सरकार की पूर्व अनुमति के बिना किसी भी महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं प्रशासन के कार्यों पर विचार नहीं कर सकती थी। दूसरे शब्दों में लेजिस्लेटिव काउंसिल का एक्ज़िक्यूटिव काउंसिल पर कोई नियंत्रण नहीं था।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsभारत में स्थानीय स्वशासन का आरंभ किस वायसराय के काल में हुआ?
Correct
व्याख्याः स्थानीय स्वशासन की दिशा में बहुत हिचकिचाते हुए एक कदम 1882 में लॉर्ड रिपन की सरकार ने उठाया। एक सरकारी प्रस्ताव में ग्रामीण,नगरीय और स्थानीय संस्थाओं द्वारा जिनके अधिकांश सदस्य गैर-अधिकारी हों, स्थानीय मामलों के प्रबंध की एक नीति निर्धारित की गई।
Incorrect
व्याख्याः स्थानीय स्वशासन की दिशा में बहुत हिचकिचाते हुए एक कदम 1882 में लॉर्ड रिपन की सरकार ने उठाया। एक सरकारी प्रस्ताव में ग्रामीण,नगरीय और स्थानीय संस्थाओं द्वारा जिनके अधिकांश सदस्य गैर-अधिकारी हों, स्थानीय मामलों के प्रबंध की एक नीति निर्धारित की गई।
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Question 5 of 20
5. Question
1 points1857 की क्रांति के बाद सेना के पुनर्गठन के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
Correct
व्याख्याः तीसरा कथन गलत है। ब्रिटिशों ने 1858 के बाद सेना का सावधानी के साथ पुनर्गठन किया, जिसका उद्देश्य था विद्रोह न होने देना। अधिकारी वर्ग से भारतीयों को बाहर रखने की पुरानी नीति का सख्ती से पालन किया गया। 1914 तक कोई भी भारतीय कभी सूबेदार के पद से ऊपर नहीं उठ सका।
Incorrect
व्याख्याः तीसरा कथन गलत है। ब्रिटिशों ने 1858 के बाद सेना का सावधानी के साथ पुनर्गठन किया, जिसका उद्देश्य था विद्रोह न होने देना। अधिकारी वर्ग से भारतीयों को बाहर रखने की पुरानी नीति का सख्ती से पालन किया गया। 1914 तक कोई भी भारतीय कभी सूबेदार के पद से ऊपर नहीं उठ सका।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsइंडियन सिविल सर्विस की परीक्षा को उत्तीर्ण करने वाले पहले भारतीय कौन थे?
Correct
व्याख्याः ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में प्रशासन में अधिकार और उत्तरदायित्व के सारे पदों पर इंडियन सिविल सर्विस के सदस्य ही नियुक्त होते थे। 1863 में यह परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले पहले भारतीय सत्येन्द्रनाथ ठाकुर थे,जो रवीन्द्रनाथ ठाकुर के बड़े भाई थे।
Incorrect
व्याख्याः ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में प्रशासन में अधिकार और उत्तरदायित्व के सारे पदों पर इंडियन सिविल सर्विस के सदस्य ही नियुक्त होते थे। 1863 में यह परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले पहले भारतीय सत्येन्द्रनाथ ठाकुर थे,जो रवीन्द्रनाथ ठाकुर के बड़े भाई थे।
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Question 7 of 20
7. Question
1 points1857 के विद्रोह के बाद ब्रिटिशों ने किन्हें “लड़ाकू” जाति घोषित किया?1. पंजाबियों
2. बिहारियों
3. गोरखा
4. पठानों
कूट :Correct
व्याख्याः 1857 की क्रांति के बाद सेना की भर्ती में जाति, क्षेत्र और धर्म के आधार पर भेदभाव किया जाने लगा। यह कहानी गढ़ी गई कि भारतीयों में कुछ ‘लड़ाकू’ जातियाँ और कुछ ‘गैर- लड़ाकू’ जातियाँ हैं। अवध, बिहार, मध्य भारत और दक्षिण भारत के सैनिकों ने ही आरंभ में अंग्रेज़ों की भारत विजय में सहायता की थी, पर 1857 के विद्रोह में उनके भाग लेने के कारण उनको गैर-लड़ाकू घोषित कर दिया गया। अब बड़ी संख्या में उनको सेना में भर्ती करना बंद कर दिया गया। दूसरी ओर विद्रोह को कुचलने में सहायता देने वाले पंजाबियों, गोरखों और पठानों को लड़ाकू जाति घोषित किया गया और इनको बड़ी संख्या में सेना में भर्ती किया जाने लगा
Incorrect
व्याख्याः 1857 की क्रांति के बाद सेना की भर्ती में जाति, क्षेत्र और धर्म के आधार पर भेदभाव किया जाने लगा। यह कहानी गढ़ी गई कि भारतीयों में कुछ ‘लड़ाकू’ जातियाँ और कुछ ‘गैर- लड़ाकू’ जातियाँ हैं। अवध, बिहार, मध्य भारत और दक्षिण भारत के सैनिकों ने ही आरंभ में अंग्रेज़ों की भारत विजय में सहायता की थी, पर 1857 के विद्रोह में उनके भाग लेने के कारण उनको गैर-लड़ाकू घोषित कर दिया गया। अब बड़ी संख्या में उनको सेना में भर्ती करना बंद कर दिया गया। दूसरी ओर विद्रोह को कुचलने में सहायता देने वाले पंजाबियों, गोरखों और पठानों को लड़ाकू जाति घोषित किया गया और इनको बड़ी संख्या में सेना में भर्ती किया जाने लगा
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Question 8 of 20
8. Question
1 points1857 के विद्रोह के बाद ब्रिटिशों द्वारा भारतीय रजवाड़ों के संबंध में अपनाई गई नीति के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये:
1. भारतीय राज्यों को हड़पने की नीति का त्याग कर दिया गया।
2. उत्तराधिकारी गोद लेने के अधिकार को मान्यता प्रदान की गई।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः 1857 के पहले अंग्रेज़ भारतीय राज्य हड़पने का कोई अवसर नहीं चूकते थे। 1857 के विद्रोह के बाद यह नीति छोड़ दी गई। अनेक भारतीय शासक अंग्रेज़ों के वफादार ही नहीं रहे बल्कि विद्रोह को कुचलने में उनकी सक्रिय सहायता भी की। इन शासकों की वफादारी का ब्रिटिश सरकार ने इनाम इस घोषणा के रूप में दिया कि उनके उत्तराधिकारी गोद लेने के अधिकार को मान्यता दी जाएगी तथा भविष्य में उनके राज्यों का कभी भी अधिग्रहण नहीं किया जाएगा।
Incorrect
व्याख्याः 1857 के पहले अंग्रेज़ भारतीय राज्य हड़पने का कोई अवसर नहीं चूकते थे। 1857 के विद्रोह के बाद यह नीति छोड़ दी गई। अनेक भारतीय शासक अंग्रेज़ों के वफादार ही नहीं रहे बल्कि विद्रोह को कुचलने में उनकी सक्रिय सहायता भी की। इन शासकों की वफादारी का ब्रिटिश सरकार ने इनाम इस घोषणा के रूप में दिया कि उनके उत्तराधिकारी गोद लेने के अधिकार को मान्यता दी जाएगी तथा भविष्य में उनके राज्यों का कभी भी अधिग्रहण नहीं किया जाएगा।
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Question 9 of 20
9. Question
1 pointsब्रिटिशों द्वारा 1858 के बाद अपनाई गई नीतियों के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये:
1. बाँटों और राज करो की नीति को आगे बढ़ाया।
2. समाज सुधारकों का समर्थन करने की नीति को आगे बढ़ाया।
3. भारतीय राजाओं, जमींदारों और भू-स्वामियों के प्रति मित्रतापूर्ण व्यवहार की नीति अपनाई।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। अंग्रेज़ों ने भारत पर विजय, भारतीय शासकों की फूट का लाभ उठाकर और उन्हें एक-दूसरे से लड़ाकर प्राप्त की थी। 1858 के बाद उन्होंने जनता के खिलाफ राजाओं को, एक जाति के खिलाफ दूसरी जाति को और सबसे अधिक मुसलमानों के विरुद्ध हिंदुओं को खड़ा करके “बाँटों और राज करो” की नीति को जारी रखने का फैसला किया।
- दूसरा कथन असत्य है। अंग्रेज़ों ने समाज सुधारकों की सहायता करने की पुरानी नीति छोड़ दी। उनका मत था कि समाज सुधार का कदम 1857 के विद्रोह का एक प्रमुख कारण था। इसलिये धीरे-धीरे उन्होंने रूढ़िवादियों का पक्ष लेना आरंभ कर दिया और समाज सुधारकों का समर्थन बंद कर दिया।
- तीसरा कथन सत्य है। अंग्रेज़ों ने भारतीयों के सबसे प्रतिक्रियावादी वर्गों जैसे- राजाओं, जमींदारों और भूस्वामियों की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया। इन वर्गों का ब्रिटिशों ने उभरते हुए जन-आंदोलनों और राष्ट्रवादी आंदोलनों के खिलाफ उपयोग करने का प्रयास किया।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। अंग्रेज़ों ने भारत पर विजय, भारतीय शासकों की फूट का लाभ उठाकर और उन्हें एक-दूसरे से लड़ाकर प्राप्त की थी। 1858 के बाद उन्होंने जनता के खिलाफ राजाओं को, एक जाति के खिलाफ दूसरी जाति को और सबसे अधिक मुसलमानों के विरुद्ध हिंदुओं को खड़ा करके “बाँटों और राज करो” की नीति को जारी रखने का फैसला किया।
- दूसरा कथन असत्य है। अंग्रेज़ों ने समाज सुधारकों की सहायता करने की पुरानी नीति छोड़ दी। उनका मत था कि समाज सुधार का कदम 1857 के विद्रोह का एक प्रमुख कारण था। इसलिये धीरे-धीरे उन्होंने रूढ़िवादियों का पक्ष लेना आरंभ कर दिया और समाज सुधारकों का समर्थन बंद कर दिया।
- तीसरा कथन सत्य है। अंग्रेज़ों ने भारतीयों के सबसे प्रतिक्रियावादी वर्गों जैसे- राजाओं, जमींदारों और भूस्वामियों की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया। इन वर्गों का ब्रिटिशों ने उभरते हुए जन-आंदोलनों और राष्ट्रवादी आंदोलनों के खिलाफ उपयोग करने का प्रयास किया।
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Question 10 of 20
10. Question
1 points19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में ब्रिटिशों द्वारा शिक्षित भारतीयों के प्रति अपनाई गई शत्रुता की नीति के प्रमुख कारण थे-1. ब्रिटिशों के खिलाफ़ सशस्त्र संघर्ष।
2. ब्रिटिश शासन के साम्राज्यवादी चरित्र का विश्लेषण करना।
3. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना।
4. आधुनिक कल-कारखानों की स्थापना करना।
कूटःCorrect
व्याख्याः केवल दूसरा और तीसरा ही कथन सत्य है। 1833 के बाद भारत सरकार ने आधुनिक शिक्षा को जमकर प्रोत्साहन दिया। 1857 के विद्रोह मे शिक्षित भारतीयों के भाग न लेने पर अनेक अंग्रेज़ अधिकारियों ने उनकी प्रशंसा की थी, परन्तु शिक्षित भारतीयों के प्रति यह अनुकूल सरकारी दृष्टिकोण जल्द ही बदल गया। इसका कारण है अनेक लोग हाल में प्राप्त आधुनिक ज्ञान का उपयोग करके ब्रिटिश शासन के साम्राज्यवादी चरित्र का विश्लेषण करने लगे थे और उन्होंने प्रशासन में भारतीयों की भागीदारी की मांगे सामने रखी थीं। इसलिये जब वे जनता के बीच राष्ट्रवादी आंदोलन का संगठन करने लगे और 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की तो अधिकारी उच्च शिक्षा के पक्के दुश्मन बन बैठे।
Incorrect
व्याख्याः केवल दूसरा और तीसरा ही कथन सत्य है। 1833 के बाद भारत सरकार ने आधुनिक शिक्षा को जमकर प्रोत्साहन दिया। 1857 के विद्रोह मे शिक्षित भारतीयों के भाग न लेने पर अनेक अंग्रेज़ अधिकारियों ने उनकी प्रशंसा की थी, परन्तु शिक्षित भारतीयों के प्रति यह अनुकूल सरकारी दृष्टिकोण जल्द ही बदल गया। इसका कारण है अनेक लोग हाल में प्राप्त आधुनिक ज्ञान का उपयोग करके ब्रिटिश शासन के साम्राज्यवादी चरित्र का विश्लेषण करने लगे थे और उन्होंने प्रशासन में भारतीयों की भागीदारी की मांगे सामने रखी थीं। इसलिये जब वे जनता के बीच राष्ट्रवादी आंदोलन का संगठन करने लगे और 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की तो अधिकारी उच्च शिक्षा के पक्के दुश्मन बन बैठे।
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Question 11 of 20
11. Question
1 pointsभारत में श्रम सुधार संबंधी पहला कानून इंडियन फैक्टरी एक्ट 1881 में बना। यह मुख्यतः संबंधित था-
Correct
व्याख्याः भारत में पहला इंडियन फैक्टरी एक्ट 1881 में बनाया गया। यह कानून मुख्यतः बाल श्रम से संबंधित था। इसमें कहा गया कि 7 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कारखानों में नहीं लगाया जाएगा और 7 से 12 वर्ष तक के बच्चों से प्रतिदिन 9 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जाएगा।
Incorrect
व्याख्याः भारत में पहला इंडियन फैक्टरी एक्ट 1881 में बनाया गया। यह कानून मुख्यतः बाल श्रम से संबंधित था। इसमें कहा गया कि 7 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कारखानों में नहीं लगाया जाएगा और 7 से 12 वर्ष तक के बच्चों से प्रतिदिन 9 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जाएगा।
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Question 12 of 20
12. Question
1 points19वीं सदी में ब्रिटिश सरकार द्वारा अपनाए गए श्रम सुधारों का प्रमुख कारण था-
Correct
व्याख्याः 19वीं सदी में आधुनिक कारखानों और बागानों के मज़दूरों की हालत बहुत दयनीय थी। यूं तो भारत की ब्रिटिश सरकार पूंजीपतियों की समर्थक थी, फिर भी उसे आधुनिक कारखानों की बुरी स्थिति के प्रभावों को कम करने के लिये आधे मन से कुछ कदम उठाने पड़े, जो एकदम अपर्याप्त थे। इन कारखानों में से अधिकांश भारतीयों के थे। ब्रिटेन के उद्योपति श्रम सुधारों के लिये दबाव डाल रहे थे क्योंकि उन्हें डर था कि भारत में मज़दूरी कम होने के कारण भारतीय उद्योगपति भारतीय बाज़ार में उन्हें जल्द ही प्रतियोगिता में पीट देंगे।
Incorrect
व्याख्याः 19वीं सदी में आधुनिक कारखानों और बागानों के मज़दूरों की हालत बहुत दयनीय थी। यूं तो भारत की ब्रिटिश सरकार पूंजीपतियों की समर्थक थी, फिर भी उसे आधुनिक कारखानों की बुरी स्थिति के प्रभावों को कम करने के लिये आधे मन से कुछ कदम उठाने पड़े, जो एकदम अपर्याप्त थे। इन कारखानों में से अधिकांश भारतीयों के थे। ब्रिटेन के उद्योपति श्रम सुधारों के लिये दबाव डाल रहे थे क्योंकि उन्हें डर था कि भारत में मज़दूरी कम होने के कारण भारतीय उद्योगपति भारतीय बाज़ार में उन्हें जल्द ही प्रतियोगिता में पीट देंगे।
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsभारतीय मज़दूरों की दशा सुधारने के संबंध में 1881 में बना पहला इंडियन फैक्टरी एक्ट तथा 1891 में बना दूसरा इंडियन फैक्टरी एक्ट को किन औद्योगिक क्षेत्रों में लागू नहीं किया गया?
Correct
व्याख्याः श्रम सुधार के क्षेत्र ब्रिटिश सरकार द्वारा पहला इंडियन फैक्टरी एक्ट 1881 में बनाया गया जो बाल श्रम से संबंधित था तथा दूसरा इंडियन फैक्टरी एक्ट 1891 में बनाया गया जो मज़दूरों को साप्ताहिक छुट्टी तथा महिलाओं को काम के घंटे सुनिश्चित करने से संबंधित था।
चाय और कॉफी के जिन बागानों के मालिक अंग्रेज़ थे, उन पर इन दोनों में से कोई भी कानून नहीं लागू किया गया उल्टे विदेशी बागान मालिकों को मज़दूरों का अत्यधिक निर्मम शोषण करने में सरकार ने हर तरह से सहायता दी।
Incorrect
व्याख्याः श्रम सुधार के क्षेत्र ब्रिटिश सरकार द्वारा पहला इंडियन फैक्टरी एक्ट 1881 में बनाया गया जो बाल श्रम से संबंधित था तथा दूसरा इंडियन फैक्टरी एक्ट 1891 में बनाया गया जो मज़दूरों को साप्ताहिक छुट्टी तथा महिलाओं को काम के घंटे सुनिश्चित करने से संबंधित था।
चाय और कॉफी के जिन बागानों के मालिक अंग्रेज़ थे, उन पर इन दोनों में से कोई भी कानून नहीं लागू किया गया उल्टे विदेशी बागान मालिकों को मज़दूरों का अत्यधिक निर्मम शोषण करने में सरकार ने हर तरह से सहायता दी।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से किसे भारतीय प्रेस का मुक्तिदाता कहा जाता है?
Correct
व्याख्याः 1835 में चार्ल्स मेटकाफ ने भारतीय प्रेस को प्रतिबंधों से मुक्त कर दिया था। इस कदम का शिक्षित भारतीयों ने उत्साहपूर्वक स्वागत किया था। इसी कारण चार्ल्स मेटकाफ को भारतीय प्रेस का मुक्तिदाता कहा जाता है।
Incorrect
व्याख्याः 1835 में चार्ल्स मेटकाफ ने भारतीय प्रेस को प्रतिबंधों से मुक्त कर दिया था। इस कदम का शिक्षित भारतीयों ने उत्साहपूर्वक स्वागत किया था। इसी कारण चार्ल्स मेटकाफ को भारतीय प्रेस का मुक्तिदाता कहा जाता है।
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Question 15 of 20
15. Question
1 points1878 में लॉर्ड लिटन द्वारा लागू किये गए वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये:1. इस कानून के द्वारा भारतीय प्रेस की आज़ादी पर कड़ी पाबंदी लगाई गई।
2. यह कानून मुख्यतः अमृत बाज़ार पत्रिका के लिये लगाया गया था।
3. इस कानून के द्वारा भारतीय रजवाड़ों की आलोचना पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः भारतीय राष्ट्रवादी लोग धीरे-धीरे प्रेस का इस्तेमाल जनता में राष्ट्रवादी चेतना जगाने के लिये और सरकार की प्रतिक्रियावादी नीतियों की कड़ी आलोचना करने के लिये करने लगे। इस कारण भारतीय प्रेस की आजादी को कम करने के लिये 1878 में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट बनाया गया। इस कानून ने भारतीय भाषाओं के समाचार पत्रों की आजादी पर कड़ी बंदिशें लगाई।
- लॉर्ड लिटन द्वारा लागू किया गया वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट, 1878 मुख्यतः अमृत बाजार पत्रिका के लिये लाया गया था, जो बांग्ला सामाचार-पत्र था। इससे बचने के लिये यह पत्रिका रातों-रात अंग्रेज़ी भाषा की पत्रिका में बदल गई।
Incorrect
व्याख्याः भारतीय राष्ट्रवादी लोग धीरे-धीरे प्रेस का इस्तेमाल जनता में राष्ट्रवादी चेतना जगाने के लिये और सरकार की प्रतिक्रियावादी नीतियों की कड़ी आलोचना करने के लिये करने लगे। इस कारण भारतीय प्रेस की आजादी को कम करने के लिये 1878 में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट बनाया गया। इस कानून ने भारतीय भाषाओं के समाचार पत्रों की आजादी पर कड़ी बंदिशें लगाई।
- लॉर्ड लिटन द्वारा लागू किया गया वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट, 1878 मुख्यतः अमृत बाजार पत्रिका के लिये लाया गया था, जो बांग्ला सामाचार-पत्र था। इससे बचने के लिये यह पत्रिका रातों-रात अंग्रेज़ी भाषा की पत्रिका में बदल गई।
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Question 16 of 20
16. Question
1 pointsअंग्रेज़ों को नेपाल के साथ युद्ध के बाद किन क्षेत्रों पर अधिकार प्राप्त हुए?
1. गढ़वाल तथा कुमाऊँ
2. सिक्किम
3. अरुणाचल
4. मसूरी
कूटःCorrect
व्याख्याः भारतीय साम्राज्य को उसकी प्राकृतिक भौगोलिक सीमा तक फैलाने की अंग्रेज़ों की धुन के साथ पहले उनका उत्तर में स्थित नेपाल से टकराव हुआ। 1814 में दोनों के बीच युद्ध आरंभ हो गया। अंग्रेज़, नेपालियों से हर मामले में श्रेष्ठ थे। अंत में नेपाल की सरकार को ब्रिटेन की शर्तों पर बातचीत करनी पड़ी। नेपाल को गढ़वाल तथा कुमाऊँ के जिले छोड़ने पड़े तथा तराई के क्षेत्रों पर भी अपना दावा त्यागना पड़ा। उसे सिक्किम से भी हट जाना पड़ा। इस समझौते से भारतीय साम्रज्य हिमालय तक फैल गया। ब्रिटिशों को हिल स्टेशन बनाने के लिये शिमला, मसूरी और नैनीताल जैसे महत्त्वपूर्ण स्थान भी मिल गए।
Incorrect
व्याख्याः भारतीय साम्राज्य को उसकी प्राकृतिक भौगोलिक सीमा तक फैलाने की अंग्रेज़ों की धुन के साथ पहले उनका उत्तर में स्थित नेपाल से टकराव हुआ। 1814 में दोनों के बीच युद्ध आरंभ हो गया। अंग्रेज़, नेपालियों से हर मामले में श्रेष्ठ थे। अंत में नेपाल की सरकार को ब्रिटेन की शर्तों पर बातचीत करनी पड़ी। नेपाल को गढ़वाल तथा कुमाऊँ के जिले छोड़ने पड़े तथा तराई के क्षेत्रों पर भी अपना दावा त्यागना पड़ा। उसे सिक्किम से भी हट जाना पड़ा। इस समझौते से भारतीय साम्रज्य हिमालय तक फैल गया। ब्रिटिशों को हिल स्टेशन बनाने के लिये शिमला, मसूरी और नैनीताल जैसे महत्त्वपूर्ण स्थान भी मिल गए।
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Question 17 of 20
17. Question
1 pointsयंडाबू की संधि’ किसके बीच हुई थी?
Correct
व्याख्याः 1824 में ब्रिटिश भारत के शासकों ने बर्मा के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। मई 1824 में ब्रिटिश नौसेना ने समुद्र के रास्ते रंगून पर अधिकार कर लिया और राजधानी अवा से 45 मील दूर तक पहुँच गए। यंडाबू की संधि के द्वारा फरवरी 1826 में दोनों के बीच शांति स्थापित हुई।
Incorrect
व्याख्याः 1824 में ब्रिटिश भारत के शासकों ने बर्मा के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। मई 1824 में ब्रिटिश नौसेना ने समुद्र के रास्ते रंगून पर अधिकार कर लिया और राजधानी अवा से 45 मील दूर तक पहुँच गए। यंडाबू की संधि के द्वारा फरवरी 1826 में दोनों के बीच शांति स्थापित हुई।
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Question 18 of 20
18. Question
1 points19वीं सदी में बर्मा और ब्रिटिश भारत के टकराव के प्रमुख कारण थे-
1. सीमा संबंधी झड़प।
2. ब्रिटिश व्यापारियों की बर्मा के जंगली संसाधनों पर नज़र।
3. ब्रिटिश वस्तुओं के लिये बर्मा का बाज़ार।
कूटःCorrect
व्याख्याः उपरोक्त सभी कारण सत्य हैं।
- 19वीं सदी में बर्मा और ब्रिटिश भारत का टकराव सीमा संबंधी टकराव से शुरू हुआ। बर्मा के सम्राट के उत्तराधिकारी बादोवपाय ने 1785 में अराकान और 1813 में मणिपुर के सीमावर्ती राज्यों पर अधिकार किया और इस प्रकार बर्मा की सीमा को ब्रिटिश भारत की सीमा तक फैला दिया। पश्चिम की ओर बढ़ना जारी रखते हुए उसने 1822 में असम को जीत लिया। अराकान और असम पर बर्मा की विजय के बाद बर्मा और बंगाल की अस्पष्ट सीमाओं पर लगातार झड़पों का एक युग आरंभ हो गया, जिसके परिणामस्वरूप 1824 में ब्रिटिश भारत के शासकों ने बर्मा के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया।
- 1852 में जो दूसरा बर्मा युद्ध छिड़ा, वह लगभग पूरी तरह ब्रिटेन के व्यापारिक लोभ का परिणाम था। बर्मा के जंगल संबंधी संसाधनों पर ब्रिटिश व्यापारियों की लालची निगाहें बहुत पहले से लगी हुई थी। लकड़ी का व्यापार करने वाले ब्रिटिश फर्मों ने अब ऊपरी बर्मा के जंगलों की इमारती लकड़ी में दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी थी।
- अंग्रेज़ों को लगा कि बर्मा की विशाल जनसंख्या ब्रिटेन के सूती कपड़ों और दूसरे औद्योगिक मालों की बिक्री के लिये बहुत बड़ा बाजार उपलब्ध करा सकती है। इस कारण से भी अंग्रेज़ बर्मा के व्यापारिक क्षेत्रों पर अपना कब्ज़ा चाह रहे थे।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त सभी कारण सत्य हैं।
- 19वीं सदी में बर्मा और ब्रिटिश भारत का टकराव सीमा संबंधी टकराव से शुरू हुआ। बर्मा के सम्राट के उत्तराधिकारी बादोवपाय ने 1785 में अराकान और 1813 में मणिपुर के सीमावर्ती राज्यों पर अधिकार किया और इस प्रकार बर्मा की सीमा को ब्रिटिश भारत की सीमा तक फैला दिया। पश्चिम की ओर बढ़ना जारी रखते हुए उसने 1822 में असम को जीत लिया। अराकान और असम पर बर्मा की विजय के बाद बर्मा और बंगाल की अस्पष्ट सीमाओं पर लगातार झड़पों का एक युग आरंभ हो गया, जिसके परिणामस्वरूप 1824 में ब्रिटिश भारत के शासकों ने बर्मा के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया।
- 1852 में जो दूसरा बर्मा युद्ध छिड़ा, वह लगभग पूरी तरह ब्रिटेन के व्यापारिक लोभ का परिणाम था। बर्मा के जंगल संबंधी संसाधनों पर ब्रिटिश व्यापारियों की लालची निगाहें बहुत पहले से लगी हुई थी। लकड़ी का व्यापार करने वाले ब्रिटिश फर्मों ने अब ऊपरी बर्मा के जंगलों की इमारती लकड़ी में दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी थी।
- अंग्रेज़ों को लगा कि बर्मा की विशाल जनसंख्या ब्रिटेन के सूती कपड़ों और दूसरे औद्योगिक मालों की बिक्री के लिये बहुत बड़ा बाजार उपलब्ध करा सकती है। इस कारण से भी अंग्रेज़ बर्मा के व्यापारिक क्षेत्रों पर अपना कब्ज़ा चाह रहे थे।
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Question 19 of 20
19. Question
1 pointsब्रिटिश भारत की सरकार का अफगानिस्तान के साथ संघर्ष करने का प्रमुख उद्देश्य था-
Correct
व्याख्याः अफगानिस्तान के साथ भारत की ब्रिटिश सरकार के दो युद्ध हुए। ब्रिटिश दृष्टिकोण से अफगानिस्तान की भौगोलिक स्थिति बहुत ही महत्त्वपूर्ण थी। रूस की ओर से संभावित सामरिक चुनौती का सामना करना तथा मध्य एशिया में ब्रिटेन के व्यापारिक हितों को आगे बढ़ाने के लिये अफगानिस्तान भारत की सीमा के बाहर एक महत्त्वपूर्ण देश था।
Incorrect
व्याख्याः अफगानिस्तान के साथ भारत की ब्रिटिश सरकार के दो युद्ध हुए। ब्रिटिश दृष्टिकोण से अफगानिस्तान की भौगोलिक स्थिति बहुत ही महत्त्वपूर्ण थी। रूस की ओर से संभावित सामरिक चुनौती का सामना करना तथा मध्य एशिया में ब्रिटेन के व्यापारिक हितों को आगे बढ़ाने के लिये अफगानिस्तान भारत की सीमा के बाहर एक महत्त्वपूर्ण देश था।
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Question 20 of 20
20. Question
1 points1857 के विद्रोह के प्रमुख कारण थे-1. ब्रिटिशों द्वारा देश का आर्थिक शोषण।
2. प्रशासन के निचले स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार।
3. लॉर्ड डलहौजी द्वारा अवध का विलय।
कूटःCorrect
व्याख्याः
- ब्रिटिश शासन के प्रति व्याप्त जन-असंतोष ने ही एक जन-विद्रोह का रूप ले लिया जिसकी परिणति 1857 की क्रांति के रूप में सामने आई। जन-असंतोष का संभवतः सबसे महत्त्वपूर्ण कारण अंग्रेज़ों द्वारा देश का आर्थिक शोषण तथा देश के परंपरागत आर्थिक ढांचे का विनाश था। जिसने बड़ी संख्या में परंपरागत ज़मींदारों, किसानों, दस्तकारों तथा हस्त-शिल्पयों को निर्धनता के मुँह में झोंक दिया।
- निचले स्तर पर प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार ने साधारण जनता को बुरी तरह प्रभावित किया। विद्रोह के कारणों की चर्चा करते हुए 1859 में एक ब्रिटिश अधिकारी विलियम एडवर्ड ने लिखा कि ‘पुलिस को जनता कोढ़ के समान समझती थी’।
- लॉर्ड डलहौजी ने 1856 में अवध को ब्रिटिश शासन में मिला लिया। पूरे भारत में तथा खासतौर पर अवध में इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई। विशेष रूप से, इसके कारण अवध में और कंपनी की सेना में विद्रोह का वातावरण बन गया।
Incorrect
व्याख्याः
- ब्रिटिश शासन के प्रति व्याप्त जन-असंतोष ने ही एक जन-विद्रोह का रूप ले लिया जिसकी परिणति 1857 की क्रांति के रूप में सामने आई। जन-असंतोष का संभवतः सबसे महत्त्वपूर्ण कारण अंग्रेज़ों द्वारा देश का आर्थिक शोषण तथा देश के परंपरागत आर्थिक ढांचे का विनाश था। जिसने बड़ी संख्या में परंपरागत ज़मींदारों, किसानों, दस्तकारों तथा हस्त-शिल्पयों को निर्धनता के मुँह में झोंक दिया।
- निचले स्तर पर प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार ने साधारण जनता को बुरी तरह प्रभावित किया। विद्रोह के कारणों की चर्चा करते हुए 1859 में एक ब्रिटिश अधिकारी विलियम एडवर्ड ने लिखा कि ‘पुलिस को जनता कोढ़ के समान समझती थी’।
- लॉर्ड डलहौजी ने 1856 में अवध को ब्रिटिश शासन में मिला लिया। पूरे भारत में तथा खासतौर पर अवध में इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई। विशेष रूप से, इसके कारण अवध में और कंपनी की सेना में विद्रोह का वातावरण बन गया।