आधुनिक भारत टेस्ट 7
आधुनिक भारत टेस्ट 7
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न एन.सी.ई.आर.टी. पर आधारित है|
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Question 1 of 20
1. Question
1 points“सेफ्टी वाल्व” के सिद्धांत का संबंध किससे है?
Correct
व्याख्याः
- “सेफ्टी वाल्व” के सिद्धांत का संबंध भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना से है। कहा जाता है कि कांग्रेस की स्थापना के पीछे ए.ओ.ह्यूम का प्रमुख उद्देश्य शिक्षित भारतीयों में बढ़ रहे असंतोष की सुरक्षित निकासी के लिये एक “सेफ्टी वाल्व” बनाना था। वे असंतुष्ट राष्ट्रवादी शिक्षित वर्गों तथा असंतुष्ट किसान जनता के आपसी मेल को रोकना चाहते थे।
- मगर यह “सेफ्टी वाल्व” का सिद्धांत सच्चाई का बहुत छोटा अंश है और यह पूरी तरह अपर्याप्त तथा भ्रामक था। राष्ट्रीय कांग्रेस सबसे बढ़कर राजनीतिक चेतना-प्राप्त भारतीयों की इस आकांक्षा का प्रतिनिधित्व करती थी कि उनकी आर्थिक और राजनीतिक प्रगति के लिये कार्यरत एक राष्ट्रीय संगठन बनाया जाए।
Incorrect
व्याख्याः
- “सेफ्टी वाल्व” के सिद्धांत का संबंध भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना से है। कहा जाता है कि कांग्रेस की स्थापना के पीछे ए.ओ.ह्यूम का प्रमुख उद्देश्य शिक्षित भारतीयों में बढ़ रहे असंतोष की सुरक्षित निकासी के लिये एक “सेफ्टी वाल्व” बनाना था। वे असंतुष्ट राष्ट्रवादी शिक्षित वर्गों तथा असंतुष्ट किसान जनता के आपसी मेल को रोकना चाहते थे।
- मगर यह “सेफ्टी वाल्व” का सिद्धांत सच्चाई का बहुत छोटा अंश है और यह पूरी तरह अपर्याप्त तथा भ्रामक था। राष्ट्रीय कांग्रेस सबसे बढ़कर राजनीतिक चेतना-प्राप्त भारतीयों की इस आकांक्षा का प्रतिनिधित्व करती थी कि उनकी आर्थिक और राजनीतिक प्रगति के लिये कार्यरत एक राष्ट्रीय संगठन बनाया जाए।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना दिसंबर 1885 में हुई।
2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अधिवेशन का आयोजन बंबई में किया गया।
3. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अधिवेशन की अध्यक्षता ए.ओ. ह्यूम ने की थी।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला एवं दूसरा कथन सत्य हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना एक सेवानिवृत्त अंग्रेज़ सिविल सर्वेंट ए.ओ. ह्यूम द्वारा 1885 में की गई। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अधिवेशन का आयोजन बंबई में किया गया।
- तीसरा कथन गलत है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अधिवेशन की अध्यक्षता डब्ल्यू.सी.बनर्जी ने की थी।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला एवं दूसरा कथन सत्य हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना एक सेवानिवृत्त अंग्रेज़ सिविल सर्वेंट ए.ओ. ह्यूम द्वारा 1885 में की गई। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अधिवेशन का आयोजन बंबई में किया गया।
- तीसरा कथन गलत है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अधिवेशन की अध्यक्षता डब्ल्यू.सी.बनर्जी ने की थी।
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Question 3 of 20
3. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. ‘सेफ्टी वाल्व’ सिद्धांत के विरुद्ध कांग्रेस नेताओं ने ‘तड़ित चालक’ का सिद्धांत दिया।
2. एनी बेसेंट भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष थीं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- कांग्रेस की स्थापना को कुछ लोगों ने ‘सेफ्टी वाल्व’ की संज्ञा दी थी तो कांग्रेस के आरंभिक नेताओं ने इसके विरुद्ध ‘तड़ित चालक’ का सिद्धांत दिया। कांग्रेस नेताओं का तर्क था कि उन्होंने जान-बूझकर ह्यूम की सहायता इसलिये ली कि वे राजनीतिक कार्यकलाप के आरंभ में ही अपने प्रयासों के प्रति सरकार से शत्रुता मोल नहीं लेना चाहते थे।
- दिसंबर 1917 को कलकत्ता अधिवेशन की अध्यक्षता श्रीमती एनी बेसेंट ने की थी जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष थीं।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- कांग्रेस की स्थापना को कुछ लोगों ने ‘सेफ्टी वाल्व’ की संज्ञा दी थी तो कांग्रेस के आरंभिक नेताओं ने इसके विरुद्ध ‘तड़ित चालक’ का सिद्धांत दिया। कांग्रेस नेताओं का तर्क था कि उन्होंने जान-बूझकर ह्यूम की सहायता इसलिये ली कि वे राजनीतिक कार्यकलाप के आरंभ में ही अपने प्रयासों के प्रति सरकार से शत्रुता मोल नहीं लेना चाहते थे।
- दिसंबर 1917 को कलकत्ता अधिवेशन की अध्यक्षता श्रीमती एनी बेसेंट ने की थी जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष थीं।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsआरंभिक राष्ट्रवादी नेताओं के कार्यक्रम और कार्यकलाप के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः1. इन नेताओं ने देश की राजनीतिक मुक्ति के लिये ब्रिटिशों के साथ संघर्ष किया।
2. इन नेताओं का साम्राज्यवाद की अर्थशास्त्रीय आलोचना करना महत्त्वपूर्ण राजनीतिक कार्य था।
3. इन नेताओं ने न्यायिक अधिकारों को कार्यकारी अधिकारों से अलग करने की मांग की।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः केवल पहला कथन असत्य है। आरंभिक राष्ट्रवादी नेताओं का विश्वास था कि देश की राजनीतिक मुक्ति के लिये सीधी लड़ाई लड़ना अभी व्यावहारिक नहीं है। जो कुछ व्यावहारिक था, वह यह था कि राष्ट्रीय भावनाओं को जगाया जाए तथा मज़बूत किया जाए। बड़ी संख्या में भारतीय जनता को राष्ट्रवादी राजनीति की धारा में लाया जाए और राजनीतिक आंदोलन के लिये उन्हें शिक्षित किया जाए।
Incorrect
व्याख्याः केवल पहला कथन असत्य है। आरंभिक राष्ट्रवादी नेताओं का विश्वास था कि देश की राजनीतिक मुक्ति के लिये सीधी लड़ाई लड़ना अभी व्यावहारिक नहीं है। जो कुछ व्यावहारिक था, वह यह था कि राष्ट्रीय भावनाओं को जगाया जाए तथा मज़बूत किया जाए। बड़ी संख्या में भारतीय जनता को राष्ट्रवादी राजनीति की धारा में लाया जाए और राजनीतिक आंदोलन के लिये उन्हें शिक्षित किया जाए।
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Question 5 of 20
5. Question
1 points1889 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा बनाई गई ब्रिटिश समिति ने “इंडिया” नामक पत्रिका निकालना आरंभ किया। इस पत्रिका के प्रकाशन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
Correct
व्याख्याः आरंभिक राष्ट्रवादी नेता ब्रिटिश सरकार तथा ब्रिटिश जनमत को प्रभावित करना चाहते थे। नरमपंथी राष्ट्रवादियों का विश्वास था कि ब्रिटिश जनता और संसद भारत के साथ न्याय करना चाहती थीं, मगर उन्हें यहाँ की वास्तविक स्थिति की जानकारी नहीं थी। इस उद्देश्य से नरमपंथी राष्ट्रवादियों ने ब्रिटेन में जमकर प्रचार-कार्य किया। भारतीय पक्ष को सामने रखने के लिये प्रमुख भारतीयों के दल ब्रिटेन भेजे गए। 1889 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक ब्रिटिश समिति बनाई गई। इस समिति ने 1890 में “इंडिया” नामक एक पत्रिका निकालना प्रारंभ किया ताकि ब्रिटिश संसद तथा जनता को भारतीय स्थिति से अवगत कराया जा सके।
Incorrect
व्याख्याः आरंभिक राष्ट्रवादी नेता ब्रिटिश सरकार तथा ब्रिटिश जनमत को प्रभावित करना चाहते थे। नरमपंथी राष्ट्रवादियों का विश्वास था कि ब्रिटिश जनता और संसद भारत के साथ न्याय करना चाहती थीं, मगर उन्हें यहाँ की वास्तविक स्थिति की जानकारी नहीं थी। इस उद्देश्य से नरमपंथी राष्ट्रवादियों ने ब्रिटेन में जमकर प्रचार-कार्य किया। भारतीय पक्ष को सामने रखने के लिये प्रमुख भारतीयों के दल ब्रिटेन भेजे गए। 1889 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक ब्रिटिश समिति बनाई गई। इस समिति ने 1890 में “इंडिया” नामक एक पत्रिका निकालना प्रारंभ किया ताकि ब्रिटिश संसद तथा जनता को भारतीय स्थिति से अवगत कराया जा सके।
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Question 6 of 20
6. Question
1 points‘कांग्रेस का महल भरभरा रहा है और भारत में रहते हुए मेरी मुख्य महत्त्वाकांक्षा यह है कि मैं शांति के साथ इसे मरने में सहयोग दे सकूँ।’उपरोक्त कथन निम्नलिखित में से किसने कहा था?
Correct
व्याख्याः लॉर्ड कर्जन ने 1890 में विदेश सचिव को बतलाया कि ‘कांग्रेस का महल भरभरा रहा है और भारत में रहते हुए मेरी मुख्य महत्त्वाकांक्षा यह है कि मैं शांति के साथ इसे मरने में सहयोग दे सकूँ।’
Incorrect
व्याख्याः लॉर्ड कर्जन ने 1890 में विदेश सचिव को बतलाया कि ‘कांग्रेस का महल भरभरा रहा है और भारत में रहते हुए मेरी मुख्य महत्त्वाकांक्षा यह है कि मैं शांति के साथ इसे मरने में सहयोग दे सकूँ।’
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. 1905 तक भारत के राष्ट्रीय आंदोलन पर नरमपंथी राष्ट्रवादी नेताओं का वर्चस्व था।
2. ब्रिटिश सरकार द्वारा 1892 में पारित भारतीय परिषद कानून नरमपंथी राष्ट्रवादियों के दबाव का परिणाम था।
3. आरंभिक राष्ट्रीय आंदोलन का सामाजिक आधार काफी व्यापक था।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। 1905 तक भारत के राष्ट्रीय आंदोलन पर उन लोगों का वर्चस्व था जिनको प्रायः नरमपंथी राष्ट्रवादी कहा जाता है। ‘कानून की सीमा में रहकर सांविधानिक आंदोलन तथा धीरे-धीरे, व्यवस्थित ढंग से राजनीतिक प्रगति’ – इन शब्दों में नरमपंथियों की राजनीतिक कार्यपद्धति को संक्षेप में समझा जा सकता है।
- दूसरा कथन भी सत्य है। नरमपंथी राष्ट्रवादियों के आंदोलन के दबाव में ब्रिटिश सरकार को 1892 में भारतीय परिषद कानून पास करना पड़ा। इस कानून द्वारा शाही विधायी परिषद तथा प्रांतीय परिषदों में सदस्यों की संख्या बढ़ा दी गई।
- तीसरा कथन गलत है। आरंभिक राष्ट्रीय आंदोलन की बुनियादी कमज़ोरी संकुचित सामाजिक आधार थी। वास्तव में जनता में नेताओं की कोई राजनीतिक आस्था नहीं थी।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। 1905 तक भारत के राष्ट्रीय आंदोलन पर उन लोगों का वर्चस्व था जिनको प्रायः नरमपंथी राष्ट्रवादी कहा जाता है। ‘कानून की सीमा में रहकर सांविधानिक आंदोलन तथा धीरे-धीरे, व्यवस्थित ढंग से राजनीतिक प्रगति’ – इन शब्दों में नरमपंथियों की राजनीतिक कार्यपद्धति को संक्षेप में समझा जा सकता है।
- दूसरा कथन भी सत्य है। नरमपंथी राष्ट्रवादियों के आंदोलन के दबाव में ब्रिटिश सरकार को 1892 में भारतीय परिषद कानून पास करना पड़ा। इस कानून द्वारा शाही विधायी परिषद तथा प्रांतीय परिषदों में सदस्यों की संख्या बढ़ा दी गई।
- तीसरा कथन गलत है। आरंभिक राष्ट्रीय आंदोलन की बुनियादी कमज़ोरी संकुचित सामाजिक आधार थी। वास्तव में जनता में नेताओं की कोई राजनीतिक आस्था नहीं थी।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से किस अधिनियम के द्वारा अंग्रेज़ों ने भारत में सर्वप्रथम परोक्ष (अप्रत्यक्ष) निर्वाचन प्रणाली की शुरुआत की?
Correct
व्याख्याः भारत में सर्वप्रथम परोक्ष(अप्रत्यक्ष) निर्वाचन प्रणाली की शुरुआत इंडियन काउंसिल एक्ट, 1892 के द्वारा हुई।
Incorrect
व्याख्याः भारत में सर्वप्रथम परोक्ष(अप्रत्यक्ष) निर्वाचन प्रणाली की शुरुआत इंडियन काउंसिल एक्ट, 1892 के द्वारा हुई।
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Question 9 of 20
9. Question
1 pointsब्रिटिशों द्वारा भारत में मुक्त व्यापार की नीति को कब लागू किया गया?
Correct
व्याख्याः अंग्रेज़ों द्वारा 1813 में भारत के ऊपर एकतरफा मुक्त व्यापार की नीति लाद दी गई।
Incorrect
व्याख्याः अंग्रेज़ों द्वारा 1813 में भारत के ऊपर एकतरफा मुक्त व्यापार की नीति लाद दी गई।
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Question 10 of 20
10. Question
1 points18वीं तथा 19वीं शताब्दी में भारतीय दस्तकारों और शिल्पकारों के पतन के प्रमुख कारण थे-
1. इंग्लैंड से आयात की जाने वाली मशीन निर्मित सस्ती वस्तुएँ।
2. ब्रिटेन तथा यूरोप में भारतीय वस्तुओं के आयात पर लगाए गए उच्च आयात-शुल्क।
3. भारतीय शासकों पर ब्रिटिशों का शासन।
4. भारत में रेलवे का विकास।
कूटःCorrect
व्याख्याः भारतीय दस्तकारों और शिल्पकारों के पतन के प्रमुख कारण थे-
1. इंग्लैंड से आयात की जाने वाली मशीन निर्मित वस्तुओं के साथ भारतीय वस्तुओं की प्रतिद्वंदिता। जिसके कारण सूत कातने तथा सूती कपड़ा बुनने के उद्योगों को सबसे अधिक धक्का लगा।
2. अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी के दौरान ब्रिटेन तथा यूरोप में भारतीय वस्तुओं के आयात पर उच्च आयात शुल्क तथा अन्य प्रतिबंध लगाए गए।
3. भारतीय शासक और उनके राजदरबारी, जो शहरी हस्तशिल्प की वस्तुओं के मुख्य ग्राहक थे, धीरे-धीरे उनके लुप्त हो जाने से इन उद्योगों को बड़ा धक्का लगा। जैसे सैनिक सामान तथा हथियार जिनकी आपूर्ति भारतीयों द्वारा की जाती थी ब्रिटिश सरकार द्वारा इनकी आपूर्ति करने से भारतीय हस्तशिल्पियों का पतन हुआ।
4. भारतीय उद्योगों, विशेषकर ग्रामीण दस्तकार उद्योगों की बर्बादी रेलवे के बनते ही काफी तेज़ी से हुई। रेलवे द्वारा ब्रिटिश विनिर्मित वस्तुओं को सुदूर गाँवों में पहुँचाने में सहायता मिली।Incorrect
व्याख्याः भारतीय दस्तकारों और शिल्पकारों के पतन के प्रमुख कारण थे-
1. इंग्लैंड से आयात की जाने वाली मशीन निर्मित वस्तुओं के साथ भारतीय वस्तुओं की प्रतिद्वंदिता। जिसके कारण सूत कातने तथा सूती कपड़ा बुनने के उद्योगों को सबसे अधिक धक्का लगा।
2. अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी के दौरान ब्रिटेन तथा यूरोप में भारतीय वस्तुओं के आयात पर उच्च आयात शुल्क तथा अन्य प्रतिबंध लगाए गए।
3. भारतीय शासक और उनके राजदरबारी, जो शहरी हस्तशिल्प की वस्तुओं के मुख्य ग्राहक थे, धीरे-धीरे उनके लुप्त हो जाने से इन उद्योगों को बड़ा धक्का लगा। जैसे सैनिक सामान तथा हथियार जिनकी आपूर्ति भारतीयों द्वारा की जाती थी ब्रिटिश सरकार द्वारा इनकी आपूर्ति करने से भारतीय हस्तशिल्पियों का पतन हुआ।
4. भारतीय उद्योगों, विशेषकर ग्रामीण दस्तकार उद्योगों की बर्बादी रेलवे के बनते ही काफी तेज़ी से हुई। रेलवे द्वारा ब्रिटिश विनिर्मित वस्तुओं को सुदूर गाँवों में पहुँचाने में सहायता मिली। -
Question 11 of 20
11. Question
1 pointsऔपनिवेशिक काल में भारतीय कृषकों की बर्बादी के प्रमुख कारण थे-
1. उच्च भू-राजस्व
2. नई कानून प्रणाली तथा नई कानून राजस्व नीति
3. कृषि का वाणिज्यीकरण
4. अव-औद्योगीकरण (de- industrialization)
कूटःCorrect
व्याख्याः ब्रिटिश शासन के अंतर्गत किसान धीरे-धीरे दरिद्र हो गए, जिसके प्रमुख कारण थे-
1. ब्रिटिश शासकों की आरंभ से ही अधिकतम भू-राजस्व वसूलने की नीति रही। उच्च भू-राजस्व का निर्धारण इसलिये विनाशकारी साबित हुआ क्योंकि उसके बदले किसानों को कोई प्रतिफल प्राप्त नहीं हुआ तथा सरकार ने कृषि सुधार पर बहुत कम धन खर्च किया।
2. नई कानून प्रणाली तथा नई कानून नीति से महाजनों को किसानों के शोषण में बहुत मदद मिली। अंग्रेज़ी राज से पहले महाजन ग्राम समुदाय के अधीन होता था। वस्तुतः ब्रिटिश भू-राजस्व व्यवस्था ने ज़मीन को हस्तांतरण के योग्य बनाकर महाजनों या ज़मींदारों को ज़मीन हड़पने तथा मनमाना भू-राजस्व वसूलने में समर्थ बना दिया। उन्नीसवीं सदी के अंत तक महाजन ग्रामीण क्षेत्र के लिये मुख्य अभिशाप तथा किसानों की दरिद्रता का प्रमुख कारण बन गया।
3. कृषि के बढ़ते हुए वाणिज्यीकरण ने भी महाजन सह-सौदागर को किसान का शोषण करने में मदद दी। गरीब किसान को फसल तैयार होते ही जो भी कीमत मिले उसी पर अपनी पैदावार बेचने के लिये मज़बूर किया जाता था।
4. भारत में अव-औद्योगीकरण होने तथा आधुनिक उद्योगों के अभाव के कारण कृषि पर अत्यधिक बोझ बढ़ गया, क्योंकि दस्तकार, शिल्पकार व अन्य क्षेत्रों में कार्यरत लोग जीविका चलाने के लिये कृषि की ओर मुड़े। फलतः उत्पादन में वृद्धि तो नहीं हुई बल्कि उस पर निर्भर लोगों की संख्या ज़रूर बढ़ गई। फलतः पतनशील कृषि अर्थव्यवस्था और भी जर्जर हो गई।Incorrect
व्याख्याः ब्रिटिश शासन के अंतर्गत किसान धीरे-धीरे दरिद्र हो गए, जिसके प्रमुख कारण थे-
1. ब्रिटिश शासकों की आरंभ से ही अधिकतम भू-राजस्व वसूलने की नीति रही। उच्च भू-राजस्व का निर्धारण इसलिये विनाशकारी साबित हुआ क्योंकि उसके बदले किसानों को कोई प्रतिफल प्राप्त नहीं हुआ तथा सरकार ने कृषि सुधार पर बहुत कम धन खर्च किया।
2. नई कानून प्रणाली तथा नई कानून नीति से महाजनों को किसानों के शोषण में बहुत मदद मिली। अंग्रेज़ी राज से पहले महाजन ग्राम समुदाय के अधीन होता था। वस्तुतः ब्रिटिश भू-राजस्व व्यवस्था ने ज़मीन को हस्तांतरण के योग्य बनाकर महाजनों या ज़मींदारों को ज़मीन हड़पने तथा मनमाना भू-राजस्व वसूलने में समर्थ बना दिया। उन्नीसवीं सदी के अंत तक महाजन ग्रामीण क्षेत्र के लिये मुख्य अभिशाप तथा किसानों की दरिद्रता का प्रमुख कारण बन गया।
3. कृषि के बढ़ते हुए वाणिज्यीकरण ने भी महाजन सह-सौदागर को किसान का शोषण करने में मदद दी। गरीब किसान को फसल तैयार होते ही जो भी कीमत मिले उसी पर अपनी पैदावार बेचने के लिये मज़बूर किया जाता था।
4. भारत में अव-औद्योगीकरण होने तथा आधुनिक उद्योगों के अभाव के कारण कृषि पर अत्यधिक बोझ बढ़ गया, क्योंकि दस्तकार, शिल्पकार व अन्य क्षेत्रों में कार्यरत लोग जीविका चलाने के लिये कृषि की ओर मुड़े। फलतः उत्पादन में वृद्धि तो नहीं हुई बल्कि उस पर निर्भर लोगों की संख्या ज़रूर बढ़ गई। फलतः पतनशील कृषि अर्थव्यवस्था और भी जर्जर हो गई। -
Question 12 of 20
12. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. ब्रिटिश शासन के आरंभ में बंगाल तथा मद्रास के पुराने ज़मींदार तबाह हो गए।
2. ब्रिटिश काल में ज़मींदारी प्रथा के प्रसार के कारण बिचौलियों का उदय हुआ।
3. ज़मींदार तथा भू-स्वामियों ने स्वतंत्रता के लिये भारतीयों के संघर्ष का समर्थन किया।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। ब्रिटिश शासन के आरंभिक दशकों में बंगाल तथा मद्रास के पुराने ज़मींदार तबाह हो गए। ऐसा खासकर सबसे ऊँची बोली लगाने वालों को ही राजस्व वसूली के अधिकार नीलाम करने की वॉरेन हेस्टिंग्स की नीति के कारण हुआ। भू-राजस्व का भारी बोझ और वसूली संबंधी सख्त कानून, जिसके तहत राजस्व की अदायगी में विलंब होने पर ज़मींदारों की संपत्तियाँ बड़ी कठोरता से नीलाम कर दी गई।
- दूसरा कथन सत्य है। ज़मींदारी प्रथा के प्रसार की एक उल्लेखनीय विशेषता थी बिचौलियों का उदय। ज़मींदारों तथा नए भू-स्वामियों ने लगान वसूल करने के अपने अधिकार को लाभदायक शर्तों पर अन्य इच्छुक लोगों को दे दिया। अतः इस प्रक्रिया की एक शृंखला बन गई जिससे वास्तविक किसान तथा सरकार के बीच लगान पाने वाले अनेक बिचौलिये आ गए।
- तीसरा कथन असत्य है। ज़मींदार तथा भू-स्वामी संरक्षित राज्यों के राजाओं के साथ विदेशी शासकों के राजनीतिक समर्थक बन गए तथा इन्होंने उदीयमान राष्ट्रीय आंदोलन का विरोध किया क्योंकि इनको महसूस हुआ कि इनका अस्तित्व ब्रिटिश शासन से ही है।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। ब्रिटिश शासन के आरंभिक दशकों में बंगाल तथा मद्रास के पुराने ज़मींदार तबाह हो गए। ऐसा खासकर सबसे ऊँची बोली लगाने वालों को ही राजस्व वसूली के अधिकार नीलाम करने की वॉरेन हेस्टिंग्स की नीति के कारण हुआ। भू-राजस्व का भारी बोझ और वसूली संबंधी सख्त कानून, जिसके तहत राजस्व की अदायगी में विलंब होने पर ज़मींदारों की संपत्तियाँ बड़ी कठोरता से नीलाम कर दी गई।
- दूसरा कथन सत्य है। ज़मींदारी प्रथा के प्रसार की एक उल्लेखनीय विशेषता थी बिचौलियों का उदय। ज़मींदारों तथा नए भू-स्वामियों ने लगान वसूल करने के अपने अधिकार को लाभदायक शर्तों पर अन्य इच्छुक लोगों को दे दिया। अतः इस प्रक्रिया की एक शृंखला बन गई जिससे वास्तविक किसान तथा सरकार के बीच लगान पाने वाले अनेक बिचौलिये आ गए।
- तीसरा कथन असत्य है। ज़मींदार तथा भू-स्वामी संरक्षित राज्यों के राजाओं के साथ विदेशी शासकों के राजनीतिक समर्थक बन गए तथा इन्होंने उदीयमान राष्ट्रीय आंदोलन का विरोध किया क्योंकि इनको महसूस हुआ कि इनका अस्तित्व ब्रिटिश शासन से ही है।
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?1. ब्रिटिश सरकार ने कृषि के सुधार और आधुनिकीकरण की जिम्मेदारी अपने ऊपर नहीं ली।
2. ब्रिटिश सरकार ने बंगाल, बिहार, उड़ीसा और सिंध में कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिये कृषि कॉलेज की स्थापना की।
कूटःCorrect
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। ब्रिटिश सरकार ने कृषि के सुधार और आधुनिकीकरण की कोई भी ज़िम्मेदारी अपने ऊपर लेने से इनकार कर दिया। ब्रिटिश सरकार का सारा ध्यान केवल भू-राजस्व प्राप्त करने में था।
- ब्रिटिश शासन काल में कृषि शिक्षा पूर्णतया उपेक्षित थी। 1939 में पूरे भारत में केवल छः कृषि कॉलेज थे। बंगाल, बिहार, उड़ीसा और सिंध में एक भी कृषि कॉलेज नहीं था। अतः दूसरा कथन असत्य है।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। ब्रिटिश सरकार ने कृषि के सुधार और आधुनिकीकरण की कोई भी ज़िम्मेदारी अपने ऊपर लेने से इनकार कर दिया। ब्रिटिश सरकार का सारा ध्यान केवल भू-राजस्व प्राप्त करने में था।
- ब्रिटिश शासन काल में कृषि शिक्षा पूर्णतया उपेक्षित थी। 1939 में पूरे भारत में केवल छः कृषि कॉलेज थे। बंगाल, बिहार, उड़ीसा और सिंध में एक भी कृषि कॉलेज नहीं था। अतः दूसरा कथन असत्य है।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsभारत में पहली कपड़ा मिल कहाँ स्थापित की गई?
Correct
व्याख्याः भारत में पहली कपड़ा मिल 1853 में कावसजी नाना भाई ने बंबई में शुरू की और पहली जूट मिल 1855 में रिशरा ‘बंगाल’ में स्थापित की गई। भारत में पहली कपड़ा मिल 1853 में कावसजी नाना भाई ने बंबई में शुरू की और पहली जूट मिल 1855 में रिशरा ‘बंगाल’ में स्थापित की गई।
Incorrect
व्याख्याः भारत में पहली कपड़ा मिल 1853 में कावसजी नाना भाई ने बंबई में शुरू की और पहली जूट मिल 1855 में रिशरा ‘बंगाल’ में स्थापित की गई। भारत में पहली कपड़ा मिल 1853 में कावसजी नाना भाई ने बंबई में शुरू की और पहली जूट मिल 1855 में रिशरा ‘बंगाल’ में स्थापित की गई।
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Question 15 of 20
15. Question
1 pointsकथनः औपनिवेशिक काल में अधिकतर आधुनिक भारतीय उद्योगों पर ब्रिटिश पूंजी लगी हुई थी।
कारणः ब्रिटिश पूंजीपति भारतीय उद्योगों में ऊँचे मुनाफे की संभावनाओं के कारण आकर्षित हुए।
कूटःCorrect
व्याख्याः भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान अधिकतर आधुनिक भारतीय उद्योगों पर ब्रिटिश पूंजी का स्वामित्व या नियंत्रण था। क्योंकि ब्रिटिश पूंजीपति भारतीय उद्योगों में ऊँचे मुनाफे की संभावनाओं के कारण उसकी ओर आकर्षित हुए थे। भारत में श्रम अत्यंत सस्ता था, कच्चा माल तुरंत और सस्ती दरों पर उपलब्ध था तथा तैयार वस्तुओं के लिये भारत और उसके पड़ोसियों का विशाल बाज़ार उपलब्ध था।
Incorrect
व्याख्याः भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान अधिकतर आधुनिक भारतीय उद्योगों पर ब्रिटिश पूंजी का स्वामित्व या नियंत्रण था। क्योंकि ब्रिटिश पूंजीपति भारतीय उद्योगों में ऊँचे मुनाफे की संभावनाओं के कारण उसकी ओर आकर्षित हुए थे। भारत में श्रम अत्यंत सस्ता था, कच्चा माल तुरंत और सस्ती दरों पर उपलब्ध था तथा तैयार वस्तुओं के लिये भारत और उसके पड़ोसियों का विशाल बाज़ार उपलब्ध था।
-
Question 16 of 20
16. Question
1 pointsभारतीय उद्यमियों को ब्रिटिश शासन के दौरान किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता था?1. ब्रिटिश मैनेजिंग एजेंसी।
2. बैंक से मिलने वाली पूंजी की विभेदकारी दर।
3. रेलवे भाड़े की दरों में असमानता।
4. देश में भारी या पूंजीगत वस्तुओं के उद्योगों का अभाव।
कूटःCorrect
व्याख्याः
- भारतीय पूंजीपतियों को आरंभ से ही ब्रिटिश मैनेजिंग एजेंसियों के सामने झुकना पड़ता था। अनेक स्थितियों में भारतीय कंपनियों पर भी विदेशी स्वामित्व और नियंत्रण वाली मैनेजिंग एजेंसियों का दबदबा होता था।
- भारतीय उद्योगपतियों को बैंकों से ऋण मिलने में भी कठिनाई होती थी। अधिकतर बैंकों पर ब्रिटिश पूंजीपतियों का प्रभाव था। अगर भारतीयों को कर्ज़ मिलते भी तो उन्हें ऊँची दरों पर ब्याज देना पड़ता था, जबकि विदेशी काफी आसान शर्तों पर कर्ज़ ले सकते थे।
- भारत सरकार की रेलवे नीति ने भी भारतीय उद्योगों के प्रति भेदभाव किया। आयातित वस्तुओं की अपेक्षा भारतीय वस्तुओं का वितरण कठिन और खर्चीला था।
- भारतीयों द्वारा उद्योग स्थापित करने में एक अन्य गंभीर कठिनाई यह थी कि देश में भारी या पूंजीगत वस्तुओं के उद्योगों का लगभग पूरा अभाव था। इन उद्योगों के बिना अन्य उद्योगों का तेज़ व स्वतंत्र विकास नहीं हो सकता है।
Incorrect
व्याख्याः
- भारतीय पूंजीपतियों को आरंभ से ही ब्रिटिश मैनेजिंग एजेंसियों के सामने झुकना पड़ता था। अनेक स्थितियों में भारतीय कंपनियों पर भी विदेशी स्वामित्व और नियंत्रण वाली मैनेजिंग एजेंसियों का दबदबा होता था।
- भारतीय उद्योगपतियों को बैंकों से ऋण मिलने में भी कठिनाई होती थी। अधिकतर बैंकों पर ब्रिटिश पूंजीपतियों का प्रभाव था। अगर भारतीयों को कर्ज़ मिलते भी तो उन्हें ऊँची दरों पर ब्याज देना पड़ता था, जबकि विदेशी काफी आसान शर्तों पर कर्ज़ ले सकते थे।
- भारत सरकार की रेलवे नीति ने भी भारतीय उद्योगों के प्रति भेदभाव किया। आयातित वस्तुओं की अपेक्षा भारतीय वस्तुओं का वितरण कठिन और खर्चीला था।
- भारतीयों द्वारा उद्योग स्थापित करने में एक अन्य गंभीर कठिनाई यह थी कि देश में भारी या पूंजीगत वस्तुओं के उद्योगों का लगभग पूरा अभाव था। इन उद्योगों के बिना अन्य उद्योगों का तेज़ व स्वतंत्र विकास नहीं हो सकता है।
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Question 17 of 20
17. Question
1 pointsदीनबंधु मित्र ने अपना नाटक ‘नील-दर्पण’ किस विषय-वस्तु के संदर्भ में लिखा है?
Correct
व्याख्याः नील से रंग बनाने का उद्योग भारत में अठारहवीं सदी के अंत में शुरू हुआ। नील उत्पादक किसानों पर अत्याचार का सजीव चित्रण प्रसिद्ध बंगला लेखक दीनबंधु मित्र ने 1860 में अपने नाटक “नील दर्पण” में किया।
Incorrect
व्याख्याः नील से रंग बनाने का उद्योग भारत में अठारहवीं सदी के अंत में शुरू हुआ। नील उत्पादक किसानों पर अत्याचार का सजीव चित्रण प्रसिद्ध बंगला लेखक दीनबंधु मित्र ने 1860 में अपने नाटक “नील दर्पण” में किया।
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Question 18 of 20
18. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. भारत में नील की खेती मुख्य रूप से बंगाल और बिहार में की जाती थी।
2. अमेरिका में नील का अत्यधिक उत्पादन तथा ब्रिटेन को निर्यात के कारण भारत में इसकी खेती बंद कर दी गई।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः दूसरा कथन असत्य है। जर्मनी में संश्लिष्ट रंग (कृत्रिम रंग) के आविष्कार से भारतीय नील उद्योग को बड़ा धक्का लगा और धीरे-धीरे इसका ह्रास हो गया।
Incorrect
व्याख्याः दूसरा कथन असत्य है। जर्मनी में संश्लिष्ट रंग (कृत्रिम रंग) के आविष्कार से भारतीय नील उद्योग को बड़ा धक्का लगा और धीरे-धीरे इसका ह्रास हो गया।
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Question 19 of 20
19. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:1. 1858 में ब्रिटिश संसद द्वारा कानून बनाकर भारत का शासन ब्रिटिश सम्राट को दे दिया गया।
2. 1858 के कानून के तहत भारत में शासन का अधिकार वायसराय को दे दिया गया।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- 1858 में ब्रिटिश संसद द्वारा पारित एक कानून के तहत शासन का अधिकार ईस्ट इंडिया कंपनी से लेकर ब्रिटिश सम्राट को दे दिया।
- 1858 के कानून से पहले भारत पर सत्ता कंपनी के डायरेक्टरों और बोर्ड ऑफ कंट्रोल की थी, पर अब शासन का भार ब्रिटिश सरकार के एक मंत्री अथवा सेक्रेटरी ऑफ स्टेट (भारत सचिव) कहा जाता था, को दे दिया गया। यह भारत सचिव ब्रिटिश केबिनेट का सदस्य होता था और संसद के प्रति उत्तरदायी होता था। इस तरह भारत पर सत्ता अंततः ब्रिटिश संसद के हाथों में थी।
Incorrect
व्याख्याः
- 1858 में ब्रिटिश संसद द्वारा पारित एक कानून के तहत शासन का अधिकार ईस्ट इंडिया कंपनी से लेकर ब्रिटिश सम्राट को दे दिया।
- 1858 के कानून से पहले भारत पर सत्ता कंपनी के डायरेक्टरों और बोर्ड ऑफ कंट्रोल की थी, पर अब शासन का भार ब्रिटिश सरकार के एक मंत्री अथवा सेक्रेटरी ऑफ स्टेट (भारत सचिव) कहा जाता था, को दे दिया गया। यह भारत सचिव ब्रिटिश केबिनेट का सदस्य होता था और संसद के प्रति उत्तरदायी होता था। इस तरह भारत पर सत्ता अंततः ब्रिटिश संसद के हाथों में थी।
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Question 20 of 20
20. Question
1 points1858 में ब्रिटिश संसद द्वारा पारित कानून के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये:1. भारत के गवर्नर जनरल को वायसराय की पदवी दे दी गई।
2. गवर्नर जनरल के साथ एक एक्ज़िक्यूटिव काउंसिल (कार्यकारी परिषद) का गठन किया गया।
3. गवर्नर जनरल एक्ज़िक्यूटिव काउंसिल के महत्त्वपूर्ण फैसले मानने के लिये बाध्य था।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः केवल तीसरा कथन असत्य है। भारत के लिये 1858 के कानून के तहत यह व्यवस्था की गई थी की गवर्नर जनरल के साथ एक एक्ज़िक्यूटिव काउंसिल (कार्यकारी परिषद) होगी जिसके सदस्य विभिन्न विभागों के प्रमुख और गवर्नर जनरल के आधिकारिक सलाहकार होगे।
यह कांउसिल सारे महत्त्वपूर्ण विषयों पर विचार करके बहुमत से निर्णय लेती थी, हालाँकि गवर्नर जनरल कांउसिल के किसी भी महत्त्वपूर्ण फैसले को रद्द कर सकता था।
Incorrect
व्याख्याः केवल तीसरा कथन असत्य है। भारत के लिये 1858 के कानून के तहत यह व्यवस्था की गई थी की गवर्नर जनरल के साथ एक एक्ज़िक्यूटिव काउंसिल (कार्यकारी परिषद) होगी जिसके सदस्य विभिन्न विभागों के प्रमुख और गवर्नर जनरल के आधिकारिक सलाहकार होगे।
यह कांउसिल सारे महत्त्वपूर्ण विषयों पर विचार करके बहुमत से निर्णय लेती थी, हालाँकि गवर्नर जनरल कांउसिल के किसी भी महत्त्वपूर्ण फैसले को रद्द कर सकता था।