आधुनिक भारत टेस्ट 5
आधुनिक भारत टेस्ट 5
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न एन.सी.ई.आर.टी. पर आधारित है|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsनरमदल और गरमदल के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का विभाजन किस अधिवेशन में हुआ?
Correct
व्याख्याः दिसंबर 1907 में सूरत अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नरमदल और गरमदल के रूप में विभाजित हो गई।
Incorrect
व्याख्याः दिसंबर 1907 में सूरत अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नरमदल और गरमदल के रूप में विभाजित हो गई।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. 1907 के सूरत अधिवेशन के बाद कांग्रेस संगठन पर गरमपंथी नेताओं का कब्जा हो गया।
2. कांग्रेस विभाजन के बाद ब्रिटिश सरकार ने गरमपंथी राष्ट्रवादियों को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन असत्य हैं।
- 1907 में कांग्रेस सूरत अधिवेशन के बाद पार्टी के विभाजन से लाभ किसी भी दल को नहीं हुआ। ब्रिटिश सरकार ने ‘बाँटों और राज़ करो’ का खेल खूब खेला। ब्रिटिश सरकार ने गरमपंथी राष्ट्रवादियों का दमन किया तथा इसके लिये उन्होंने नरमपंथी राष्ट्रवादियों को अपने पक्ष में लाने का प्रयत्न किया। नरमपंथी राष्ट्रवादियों को खुश करने के लिये उन्होंने 1909 के इंडियन काउंसिल एक्ट के रूप में सांविधानिक सुधारों की घोषणा की। इसी कानून को 1909 के मार्ले-मिंटो सुधार के नाम से जाना जाता है।
- 1909 के सूरत अधिवेशन के बाद नरमपंथी नेता कांग्रेस संगठन पर कब्जा करने तथा उससे गरमपंथियों को निष्कासित करने में सफल रहे।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन असत्य हैं।
- 1907 में कांग्रेस सूरत अधिवेशन के बाद पार्टी के विभाजन से लाभ किसी भी दल को नहीं हुआ। ब्रिटिश सरकार ने ‘बाँटों और राज़ करो’ का खेल खूब खेला। ब्रिटिश सरकार ने गरमपंथी राष्ट्रवादियों का दमन किया तथा इसके लिये उन्होंने नरमपंथी राष्ट्रवादियों को अपने पक्ष में लाने का प्रयत्न किया। नरमपंथी राष्ट्रवादियों को खुश करने के लिये उन्होंने 1909 के इंडियन काउंसिल एक्ट के रूप में सांविधानिक सुधारों की घोषणा की। इसी कानून को 1909 के मार्ले-मिंटो सुधार के नाम से जाना जाता है।
- 1909 के सूरत अधिवेशन के बाद नरमपंथी नेता कांग्रेस संगठन पर कब्जा करने तथा उससे गरमपंथियों को निष्कासित करने में सफल रहे।
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Question 3 of 20
3. Question
1 pointsब्रिटिश सरकार द्वारा बंगाल के विभाजन को किस वर्ष रद्द किया गया?
Correct
व्याख्याः ब्रिटिश सरकार ने 1911 में बंगाल विभाजन को रद्द कर दिया। पश्चिमी और पूर्वी बंगाल फिर से मिला दिये गए तथा 1912 में बिहार और उड़ीसा नाम से दो अलग प्रांत बना दिये।
Incorrect
व्याख्याः ब्रिटिश सरकार ने 1911 में बंगाल विभाजन को रद्द कर दिया। पश्चिमी और पूर्वी बंगाल फिर से मिला दिये गए तथा 1912 में बिहार और उड़ीसा नाम से दो अलग प्रांत बना दिये।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsनीचे दिये गए घटनाक्रमों पर विचार कीजिये तथा नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर उन्हें कालानुक्रम में व्यवस्थित करें:1. बंगाल विभाजन
2. केंद्र सरकार की राजधानी का कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरण
3. कांग्रेस का विभाजन
4. मुस्लिम लीग का गठन
कूटःCorrect
व्याख्याः
1. बंगाल विभाजन को 16 अक्तूबर, 1905 को लागू किया गया।
2. मुस्लिम लीग का गठन 1906 में किया गया।
3. कांग्रेस का विभाजन दिसंबर 1907 में सूरत अधिवेशन के दौरान हुआ।
4. 1911 में ब्रिटिश सरकार ने केंद्र सरकार की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित की।Incorrect
व्याख्याः
1. बंगाल विभाजन को 16 अक्तूबर, 1905 को लागू किया गया।
2. मुस्लिम लीग का गठन 1906 में किया गया।
3. कांग्रेस का विभाजन दिसंबर 1907 में सूरत अधिवेशन के दौरान हुआ।
4. 1911 में ब्रिटिश सरकार ने केंद्र सरकार की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित की। -
Question 5 of 20
5. Question
1 pointsकिस अधिनियम के तहत मुस्लिमों के लिये अलग चुनाव मंडल की प्रणाली का आरंभ किया गया?
Correct
व्याख्याः 1909 के इंडियन काउंसिल एक्ट जिसे मार्ले-मिंटो सुधार के नाम से जाना जाता है। वास्तव में यह हिन्दुओं और मुसलमानों में फूट डालने और भारत में ब्रिटिश शासन को बनाए रखने की नीति का ही अंग था। इस सुधार के द्वारा अलग-अलग चुनाव मंडल की प्रणाली आरंभ की गई। इसमें सभी मुसलमानों को मिलाकर उनके लिये अलग चुनाव क्षेत्र बनाए गए थे और इन क्षेत्रों में केवल मुसलमान ही चुने जा सकते थे। अलग-अलग चुनाव मंडलों की यह प्रणाली इस धारणा पर आधारित थी कि हिन्दुओं और मुसलमानों के राजनीतिक और आर्थिक हित अलग-अलग हैं।
Incorrect
व्याख्याः 1909 के इंडियन काउंसिल एक्ट जिसे मार्ले-मिंटो सुधार के नाम से जाना जाता है। वास्तव में यह हिन्दुओं और मुसलमानों में फूट डालने और भारत में ब्रिटिश शासन को बनाए रखने की नीति का ही अंग था। इस सुधार के द्वारा अलग-अलग चुनाव मंडल की प्रणाली आरंभ की गई। इसमें सभी मुसलमानों को मिलाकर उनके लिये अलग चुनाव क्षेत्र बनाए गए थे और इन क्षेत्रों में केवल मुसलमान ही चुने जा सकते थे। अलग-अलग चुनाव मंडलों की यह प्रणाली इस धारणा पर आधारित थी कि हिन्दुओं और मुसलमानों के राजनीतिक और आर्थिक हित अलग-अलग हैं।
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Question 6 of 20
6. Question
1 points1909 के इंडियन काउंसिल एक्ट के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है?
Correct
व्याख्याः कथन (a) असत्य है। 1909 के इंडियन काउंसिल एक्ट में इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल और प्रांतीय परिषदों में चुने हुए सदस्यों की संख्या बढ़ा दी गई।
Incorrect
व्याख्याः कथन (a) असत्य है। 1909 के इंडियन काउंसिल एक्ट में इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल और प्रांतीय परिषदों में चुने हुए सदस्यों की संख्या बढ़ा दी गई।
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Question 7 of 20
7. Question
1 points19वीं सदी के अंत से भारत में सांप्रदायिकता के विकास के प्रमुख कारण थे-
1. ब्रिटिशों की बाँटो और राज़ करो की नीति।
2. सैय्यद अहमद खान द्वारा रूढ़िवादी विचारों का प्रचार-प्रसार करना।
3. मुसलमानों का शिक्षा, व्यापार और उद्योग में पिछड़ापन।
4. उग्र राष्ट्रवादियों के भाषण और लेखन का धार्मिक रंगत में रंगे होना।
कूटःCorrect
व्याख्याःउपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- ब्रिटिश राजनेता भारत में अपने साम्राज्य की सुरक्षा तथा देश में एकजुट राष्ट्रीय भावना के विकास को रोकने के लिये “बाँटो और राज़ करो” की नीति पर और सक्रियता से काम करने लगे। जनता को धार्मिक आधारों पर बाँटने का अर्थात् भारत की राजनीति में सांप्रदायिक और अलगाववादी प्रवृत्तियों को प्रोत्साहित करने का फैसला किया।
- संयुक्त प्रांत और बिहार में हिंदू और मुसलमान हमेशा से शांतिपूर्वक रहते आए थे। वहाँ उन्होंने राजभाषा के पद से उर्दू को हटाकर उसके स्थान पर हिंदी को दिये जाने के आंदोलन को खुलकर प्रोत्साहन दिया।
- धार्मिक अलगाववाद की प्रवृत्ति के विकास में सैय्यद अहमद खान की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। सैय्यद अहमद खान अपने जीवन के अंतिम दिनों में रूढिवादी विचारधारा का समर्थन करने लगे थे। 1880 के दशक में उन्होंने घोषणा की कि हिंदुओं और मुसलमानों के राजनीतिक हित समान न होकर एकदम अलग-अलग है और इस प्रकार उन्होंने मुस्लिम सांप्रदायिकता की नींव डाली।
- मुसलमानों में सांप्रदायिक और अलगाववादी विचार विकसित होने का कारण उनका शिक्षा, व्यापार और उद्योग में तुलनात्मक पिछड़ापन था।
- दुर्भाग्य से उग्र राष्ट्रवाद जहाँ दूसरी बातों में आगे की ओर बढ़ा हुआ एक कदम था, वहीं राष्ट्रीय एकता के विकास की दृष्टि से यह एक पिछड़ा हुआ कदम था। कुछ उग्र राष्ट्रवादियों के भाषण और लेखन धार्मिक और हिंदू रंगत में रंगे हुए होते थे। उन्होंने मध्यकालीन भारतीय संस्कृति को नकारकर प्राचीन भारतीय संस्कृति पर ज़ोर दिया। उग्र राष्ट्रवादियों ने समन्वित संस्कृति के तत्त्वों को छोड़ने के प्रयत्न किये। उदाहरण के लिये, तिलक ने शिवाजी और गणपति उत्सवों का प्रचार किया, अरविंद घोष ने अर्धरहस्यवादी ढंग से भारत को माता और राष्ट्रवाद को धर्म बतलाया, क्रांतिकारी काली देवी के आगे शपथ लेते थे। ये बातें शायद ही मुसलमानों को पसंद आती।
Incorrect
व्याख्याःउपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- ब्रिटिश राजनेता भारत में अपने साम्राज्य की सुरक्षा तथा देश में एकजुट राष्ट्रीय भावना के विकास को रोकने के लिये “बाँटो और राज़ करो” की नीति पर और सक्रियता से काम करने लगे। जनता को धार्मिक आधारों पर बाँटने का अर्थात् भारत की राजनीति में सांप्रदायिक और अलगाववादी प्रवृत्तियों को प्रोत्साहित करने का फैसला किया।
- संयुक्त प्रांत और बिहार में हिंदू और मुसलमान हमेशा से शांतिपूर्वक रहते आए थे। वहाँ उन्होंने राजभाषा के पद से उर्दू को हटाकर उसके स्थान पर हिंदी को दिये जाने के आंदोलन को खुलकर प्रोत्साहन दिया।
- धार्मिक अलगाववाद की प्रवृत्ति के विकास में सैय्यद अहमद खान की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। सैय्यद अहमद खान अपने जीवन के अंतिम दिनों में रूढिवादी विचारधारा का समर्थन करने लगे थे। 1880 के दशक में उन्होंने घोषणा की कि हिंदुओं और मुसलमानों के राजनीतिक हित समान न होकर एकदम अलग-अलग है और इस प्रकार उन्होंने मुस्लिम सांप्रदायिकता की नींव डाली।
- मुसलमानों में सांप्रदायिक और अलगाववादी विचार विकसित होने का कारण उनका शिक्षा, व्यापार और उद्योग में तुलनात्मक पिछड़ापन था।
- दुर्भाग्य से उग्र राष्ट्रवाद जहाँ दूसरी बातों में आगे की ओर बढ़ा हुआ एक कदम था, वहीं राष्ट्रीय एकता के विकास की दृष्टि से यह एक पिछड़ा हुआ कदम था। कुछ उग्र राष्ट्रवादियों के भाषण और लेखन धार्मिक और हिंदू रंगत में रंगे हुए होते थे। उन्होंने मध्यकालीन भारतीय संस्कृति को नकारकर प्राचीन भारतीय संस्कृति पर ज़ोर दिया। उग्र राष्ट्रवादियों ने समन्वित संस्कृति के तत्त्वों को छोड़ने के प्रयत्न किये। उदाहरण के लिये, तिलक ने शिवाजी और गणपति उत्सवों का प्रचार किया, अरविंद घोष ने अर्धरहस्यवादी ढंग से भारत को माता और राष्ट्रवाद को धर्म बतलाया, क्रांतिकारी काली देवी के आगे शपथ लेते थे। ये बातें शायद ही मुसलमानों को पसंद आती।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsअखिल भारतीय मुस्लिम लीग का गठन किसके द्वारा किया गया?
Correct
व्याख्याः 1906 में ढाका के नवाब सलीमुल्लाह खान के नेतृत्व में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग की स्थापना की गई। आगा खान और नवाब मोहसिन-उल-मुल्क भी इसके संस्थापक सदस्यों में थे।
Incorrect
व्याख्याः 1906 में ढाका के नवाब सलीमुल्लाह खान के नेतृत्व में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग की स्थापना की गई। आगा खान और नवाब मोहसिन-उल-मुल्क भी इसके संस्थापक सदस्यों में थे।
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Question 9 of 20
9. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः 1. मुस्लिम लीग का गठन ब्रिटिश वफादार, सांप्रदायिक और रूढ़िवादी राजनीतिक संगठन के रूप में किया गया। 2. मुस्लिम लीग ने बंगाल विभाजन का समर्थन किया। उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
Correct
व्याख्याः
- उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं। 1906 में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग की स्थापना एक ब्रिटिश वफादार, सांप्रदायिक और रूढ़िवादी राजनीतिक संगठन के रूप में हुई और उसने उपनिवेशवाद की कोई आलोचना नहीं की। मुस्लिम लीग ने बंगाल विभाजन का समर्थन किया। इस तरह जब राष्ट्रीय कांग्रेस साम्राज्यवाद-विरोधी आर्थिक और राजनीतिक प्रश्न उठा रही थी, तब मुस्लिम लीग और प्रतिक्रियावादी नेता यह विचार कर रहे थे कि मुसलमानों के हित हिन्दुओं के हितों से अलग हैं। मुस्लिम लीग की राजनीतिक गतिविधियाँ विदेशी शासन के खिलाफ नहीं बल्कि हिन्दुओं और राष्ट्रीय कांग्रेस के खिलाफ थी।
Incorrect
व्याख्याः
- उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं। 1906 में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग की स्थापना एक ब्रिटिश वफादार, सांप्रदायिक और रूढ़िवादी राजनीतिक संगठन के रूप में हुई और उसने उपनिवेशवाद की कोई आलोचना नहीं की। मुस्लिम लीग ने बंगाल विभाजन का समर्थन किया। इस तरह जब राष्ट्रीय कांग्रेस साम्राज्यवाद-विरोधी आर्थिक और राजनीतिक प्रश्न उठा रही थी, तब मुस्लिम लीग और प्रतिक्रियावादी नेता यह विचार कर रहे थे कि मुसलमानों के हित हिन्दुओं के हितों से अलग हैं। मुस्लिम लीग की राजनीतिक गतिविधियाँ विदेशी शासन के खिलाफ नहीं बल्कि हिन्दुओं और राष्ट्रीय कांग्रेस के खिलाफ थी।
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Question 10 of 20
10. Question
1 points‘अल-हिलाल’ नामक समाचार-पत्र का प्रकाशन किसने आरंभ किया था?
Correct
व्याख्याः मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने अपने समाचार-पत्र ‘अल-हिलाल’ में बुद्धिवादी और राष्ट्रीय विचारों का प्रचार किया। इस पत्र की स्थापना उन्होंने 1912 में की थी, जब वे केवल 24 वर्ष के थे।
Incorrect
व्याख्याः मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने अपने समाचार-पत्र ‘अल-हिलाल’ में बुद्धिवादी और राष्ट्रीय विचारों का प्रचार किया। इस पत्र की स्थापना उन्होंने 1912 में की थी, जब वे केवल 24 वर्ष के थे।
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Question 11 of 20
11. Question
1 points‘अहरार आंदोलन’ के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है?
Correct
व्याख्याः 20वीं सदी के आरंभ में मौलाना मुहम्मद अली, हकीम अजमल खान और मजहररुल-हक के नेतृत्व में उग्र राष्ट्रवादी अहरार आंदोलन की स्थापना हुई। स्वशासन के आधुनिक विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने उग्र राष्ट्रवादी आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के पक्ष में प्रचार किया।
Incorrect
व्याख्याः 20वीं सदी के आरंभ में मौलाना मुहम्मद अली, हकीम अजमल खान और मजहररुल-हक के नेतृत्व में उग्र राष्ट्रवादी अहरार आंदोलन की स्थापना हुई। स्वशासन के आधुनिक विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने उग्र राष्ट्रवादी आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के पक्ष में प्रचार किया।
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Question 12 of 20
12. Question
1 points‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा।’ का प्रसिद्ध नारा किसने दिया?
Correct
व्याख्याः होमरूल लीग आंदोलन के दौरान बाल गंगाधर तिलक ने अपना प्रसिद्ध नारा दिया था कि ‘ स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा।’
Incorrect
व्याख्याः होमरूल लीग आंदोलन के दौरान बाल गंगाधर तिलक ने अपना प्रसिद्ध नारा दिया था कि ‘ स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा।’
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन होमरूल लीग आंदोलन की स्थापना से नहीं जुड़ा था?
Correct
व्याख्याः
- 1915-16 में दो होमरूल लीगों की स्थापना हुई। इनमें एक के नेता लोकमान्य तिलक थे, तो दूसरा भारतीय संस्कृति और भारतीय जनता की अंग्रेज़ प्रशंसिका श्रीमती एनी बेसेंट और एस. सुब्रह्मण्यम अय्यर के नेतृत्व में था।
- लाला हरदयाल का संबंध गदर आंदोलन से था।
Incorrect
व्याख्याः
- 1915-16 में दो होमरूल लीगों की स्थापना हुई। इनमें एक के नेता लोकमान्य तिलक थे, तो दूसरा भारतीय संस्कृति और भारतीय जनता की अंग्रेज़ प्रशंसिका श्रीमती एनी बेसेंट और एस. सुब्रह्मण्यम अय्यर के नेतृत्व में था।
- लाला हरदयाल का संबंध गदर आंदोलन से था।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. 1913 में अमेरिका और कनाडा में बसे क्रांतिकारी भारतीयों ने गदर पार्टी की स्थापना की।
2. गदर पार्टी के द्वारा ‘गदर’ नामक साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन किया जाता था।
3. गदर पार्टी की विचारधारा धर्मनिरपेक्ष थी।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त तीनों कथन सत्य हैं।
- अमेरिका और कनाडा में बसे भारतीय क्रांतिकारियों ने 1913 में गदर पार्टी की स्थापना की। इस पार्टी के अधिकांश सदस्य पंजाब के सिख किसान और भूतपूर्व सैनिक थे।
- गदर पार्टी का आधार उसका साप्ताहिक पत्र ‘गदर’ था जिसके सिरे पर “अंग्रेज़ी राज का दुश्मन” शब्द लिखे होते थे।
- गदर पार्टी की विचारधारा बहुत ही धर्मनिरपेक्ष थी। सोहन सिंह भकना, जो बाद में पंजाब के एक प्रमुख किसान नेता बने के शब्दों में ‘हम सिख या पंजाबी नहीं हैं।’ हमारा धर्म देशभक्ति है।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त तीनों कथन सत्य हैं।
- अमेरिका और कनाडा में बसे भारतीय क्रांतिकारियों ने 1913 में गदर पार्टी की स्थापना की। इस पार्टी के अधिकांश सदस्य पंजाब के सिख किसान और भूतपूर्व सैनिक थे।
- गदर पार्टी का आधार उसका साप्ताहिक पत्र ‘गदर’ था जिसके सिरे पर “अंग्रेज़ी राज का दुश्मन” शब्द लिखे होते थे।
- गदर पार्टी की विचारधारा बहुत ही धर्मनिरपेक्ष थी। सोहन सिंह भकना, जो बाद में पंजाब के एक प्रमुख किसान नेता बने के शब्दों में ‘हम सिख या पंजाबी नहीं हैं।’ हमारा धर्म देशभक्ति है।
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Question 15 of 20
15. Question
1 pointsकांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच प्रसिद्ध लखनऊ समझौता कब हुआ था?
Correct
व्याख्याः कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच 1916 में प्रसिद्ध लखनऊ समझौता हुआ था।
Incorrect
व्याख्याः कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच 1916 में प्रसिद्ध लखनऊ समझौता हुआ था।
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Question 16 of 20
16. Question
1 points1916 के कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन के संबंध में नीचे दिये गए कथन पर विचार कीजियेः1. अंबिका चरण मजूमदार ने इसकी अध्यक्षता की थी।
2. इस अधिवेशन में कांग्रेस के नरमपंथी एवं गरमपंथी दल के नेताओं में पुनः एकता स्थापित हुई।
3. इस अधिवेशन में कांग्रेस ने मुस्लिमों के पृथक निर्वाचन मंडल के सिद्धांत को स्वीकार कर लिया।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- 1916 के कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन की अध्यक्षता अंबिका चरण मजूमदार ने की थी।
- कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में कांग्रेस के दोनों हिस्से फिर से एक साथ हो गए अर्थात नरमदल एवं गरमदल के बीच पुनः एकता स्थापित हो गई।
- 1916 के कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच एकता कांग्रेस लीग समझौतों के साथ स्थापित हुई। इसे आमतौर पर लखनऊ समझौता के नाम से जाना जाता है। लखनऊ समझौता हिंदू-मुस्लिम एकता के विकास में एक महत्त्वपूर्ण कदम था। कांग्रेस ने इस अधिवेशन में मुस्लिमों के पृथक निर्वाचन मंडल के सिद्धांत को स्वीकार कर लिया।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- 1916 के कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन की अध्यक्षता अंबिका चरण मजूमदार ने की थी।
- कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में कांग्रेस के दोनों हिस्से फिर से एक साथ हो गए अर्थात नरमदल एवं गरमदल के बीच पुनः एकता स्थापित हो गई।
- 1916 के कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच एकता कांग्रेस लीग समझौतों के साथ स्थापित हुई। इसे आमतौर पर लखनऊ समझौता के नाम से जाना जाता है। लखनऊ समझौता हिंदू-मुस्लिम एकता के विकास में एक महत्त्वपूर्ण कदम था। कांग्रेस ने इस अधिवेशन में मुस्लिमों के पृथक निर्वाचन मंडल के सिद्धांत को स्वीकार कर लिया।
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Question 17 of 20
17. Question
1 pointsब्रह्म समाज के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः1. राजा राममोहन राय के बाद ब्रह्म समाज की परंपरा को देवेन्द्रनाथ ठाकुर ने आगे बढ़ाया।
2. ब्रह्म समाज का अधिकांश प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों एवं मज़दूरों पर था।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। राजा राममोहन राय की ब्रह्म समाज की परंपरा को 1843 के बाद देवेन्द्रनाथ ठाकुर ने आगे बढ़ाया। 1866 के बाद इस आंदोलन को केशवचन्द्र सेन ने आगे जारी रखा।
- दूसरा कथन असत्य है। ब्रह्म समाज का प्रभाव अधिकांश नगरीय शिक्षित वर्ग तक ही सीमित रहा। फिर भी 19वीं तथा 20वीं सदी में बंगाल एवं शेष भारत के बौद्धिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। राजा राममोहन राय की ब्रह्म समाज की परंपरा को 1843 के बाद देवेन्द्रनाथ ठाकुर ने आगे बढ़ाया। 1866 के बाद इस आंदोलन को केशवचन्द्र सेन ने आगे जारी रखा।
- दूसरा कथन असत्य है। ब्रह्म समाज का प्रभाव अधिकांश नगरीय शिक्षित वर्ग तक ही सीमित रहा। फिर भी 19वीं तथा 20वीं सदी में बंगाल एवं शेष भारत के बौद्धिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा।
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Question 18 of 20
18. Question
1 points1840 में बंबई प्रांत में स्थापित परमहंस मंडली का मुख्य उद्देश्य था-
Correct
व्याख्याः बंबई प्रांत में सामाजिक-धार्मिक सुधार कार्य का आरंभ 1840 में परमहंस मंडली ने आरंभ किया। इसका मुख्य उद्देश्य मूर्तिपूजा तथा जाति प्रथा का विरोध करना था। पश्चिम भारत के पहले धार्मिक सुधारक संभवतः गोपाल हरि देशमुख थे, जिन्हें जनता “लोकहितवादी” कहती थी।
Incorrect
व्याख्याः बंबई प्रांत में सामाजिक-धार्मिक सुधार कार्य का आरंभ 1840 में परमहंस मंडली ने आरंभ किया। इसका मुख्य उद्देश्य मूर्तिपूजा तथा जाति प्रथा का विरोध करना था। पश्चिम भारत के पहले धार्मिक सुधारक संभवतः गोपाल हरि देशमुख थे, जिन्हें जनता “लोकहितवादी” कहती थी।
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Question 19 of 20
19. Question
1 points“प्रार्थना समाज” की स्थापना किसने की?
Correct
व्याख्याः “प्रार्थना समाज” की स्थापना केशवचन्द्र सेन की प्रेरणा से 1867 में आत्माराम पांडुरंग ने बंबई प्रांत में की।
Incorrect
व्याख्याः “प्रार्थना समाज” की स्थापना केशवचन्द्र सेन की प्रेरणा से 1867 में आत्माराम पांडुरंग ने बंबई प्रांत में की।
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Question 20 of 20
20. Question
1 points“प्रार्थना समाज” के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. यह ब्रह्म समाज से बहुत प्रभावित था।
2. इसने एक ईश्वर की पूजा का प्रचार किया।
3. तेलुगु सुधारक वीरेशलिंगम ने इसका प्रसार दक्षिण भारत में किया।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं। चूँकि केशवचन्द्र सेन की प्रेरणा से डॉ. आत्माराम पांडुरंग तथा महादेव गोविंद रानाडे ने प्रार्थना समाज की स्थापना की थी इसलिये इस पर ब्रह्म समाज का गहरा प्रभाव था।
- प्रार्थना समाज ने एक ईश्वर की पूजा का प्रचार किया तथा धर्म को जाति प्रथा की रूढ़ियों से और पुरोहितों के वर्चस्व से मुक्त करने का प्रयास किया।
- तेलुगु सुधारक वीरेशलिंगम के प्रयासों से प्रार्थना समाज का प्रसार दक्षिण भारत में हुआ।
Incorrect
व्याख्याः
- उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं। चूँकि केशवचन्द्र सेन की प्रेरणा से डॉ. आत्माराम पांडुरंग तथा महादेव गोविंद रानाडे ने प्रार्थना समाज की स्थापना की थी इसलिये इस पर ब्रह्म समाज का गहरा प्रभाव था।
- प्रार्थना समाज ने एक ईश्वर की पूजा का प्रचार किया तथा धर्म को जाति प्रथा की रूढ़ियों से और पुरोहितों के वर्चस्व से मुक्त करने का प्रयास किया।
- तेलुगु सुधारक वीरेशलिंगम के प्रयासों से प्रार्थना समाज का प्रसार दक्षिण भारत में हुआ।