आधुनिक भारत टेस्ट 4
आधुनिक भारत टेस्ट 4
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न एन.सी.ई.आर.टी. पर आधारित है|
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Question 1 of 20
1. Question
1 points1892 से 1905 के बीच किन राजनीतिक घटनाओं ने राष्ट्रवादियों को निराश करके उन्हें उग्र राजनीति के बारे में सोचने को बाध्य किया?
1. 1892 का इंडियन काउंसिल एक्ट।
2. कलकत्ता नगर निगम में भारतीय सदस्यों की संख्या कम करना।
3. सिविल सेवा परीक्षा में सम्मिलित होने वाले भारतीयों की आयु 21 वर्ष से घटाकर 19 वर्ष करना।
4. 1904 का इंडियन ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट।
कूटःCorrect
व्याख्याः
1892 से 1905 के बीच घटित निम्न राजनीतिक घटनाओं ने राष्ट्रवादियों को निराश किया और उन्हें उग्र राजनीति के बारे में सोचने को बाध्य किया-
1. 1892 का इंडियन काउंसिल एक्ट (भारतीय परिषद अधिनियम), जिसमें केवल भारतीय विधानपरिषदों की शक्तियों, कार्यों एवं रचना का ही उल्लेख था। इस कानून से राष्ट्रवादी पूरी तरह से असंतुष्ट थे और उन्होंने इसे मज़ाक बताया। साथ ही 1898 में एक कानून बनाया गया जिसमें विदेशी शासन के प्रति असंतोष की भावना फैलाने को अपराध घोषित किया गया।
2. 1899 में कलकत्ता नगर निगम में भारतीय सदस्यों की संख्या घटा दी गई।
3. 1904 में इंडियन ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट बना जिसमें प्रेस की स्वतंत्रता को सीमित कर दिया गया। लोकमान्य तिलक और दूसरे समाचार संपादकों को विदेशी सरकार के प्रति जनता को भड़काने के लिये लंबी-लंबी जेल सजाएँ दी गई।नोटः लॉर्ड लिटन (1876-1880) के कार्यकाल में सिविल सेवा में सम्मिलित होने वाले भारतीयों की आयु 21 वर्ष से घटाकर 19 वर्ष कर दी गई थी।
Incorrect
व्याख्याः
1892 से 1905 के बीच घटित निम्न राजनीतिक घटनाओं ने राष्ट्रवादियों को निराश किया और उन्हें उग्र राजनीति के बारे में सोचने को बाध्य किया-
1. 1892 का इंडियन काउंसिल एक्ट (भारतीय परिषद अधिनियम), जिसमें केवल भारतीय विधानपरिषदों की शक्तियों, कार्यों एवं रचना का ही उल्लेख था। इस कानून से राष्ट्रवादी पूरी तरह से असंतुष्ट थे और उन्होंने इसे मज़ाक बताया। साथ ही 1898 में एक कानून बनाया गया जिसमें विदेशी शासन के प्रति असंतोष की भावना फैलाने को अपराध घोषित किया गया।
2. 1899 में कलकत्ता नगर निगम में भारतीय सदस्यों की संख्या घटा दी गई।
3. 1904 में इंडियन ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट बना जिसमें प्रेस की स्वतंत्रता को सीमित कर दिया गया। लोकमान्य तिलक और दूसरे समाचार संपादकों को विदेशी सरकार के प्रति जनता को भड़काने के लिये लंबी-लंबी जेल सजाएँ दी गई।नोटः लॉर्ड लिटन (1876-1880) के कार्यकाल में सिविल सेवा में सम्मिलित होने वाले भारतीयों की आयु 21 वर्ष से घटाकर 19 वर्ष कर दी गई थी।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsबीसवीं सदी के आरंभ में उग्र राष्ट्रवाद के विकास के प्रमुख कारण थे-
1. शिक्षा और बेरोज़गारी में वृद्धि
2. अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव
3. रेलवे का विकास
कूटःCorrect
व्याख्याः
20वीं सदी के आरंभ में भारत में उग्र राष्ट्रवाद के विकास के प्रमुख कारण थे-
1. ब्रिटिश शासन के सही चरित्र की पहचान।
2.शिक्षा और बेरोज़गारी में वृद्धि।
3. आत्मसम्मान और आत्मविश्वास का प्रसार।
4. अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव (1896 में इथियोपिया के हाथों इटली की सेना का तथा 1905 में जापान के हाथों रूस की हार ने यूरोपीय अपराजेयता का भ्रम तोड़ दिया।)
5. उग्र राष्ट्रवादी विचार-संप्रदाय का अस्तित्व।
6. प्रशिक्षित नेतृत्व।Incorrect
व्याख्याः
20वीं सदी के आरंभ में भारत में उग्र राष्ट्रवाद के विकास के प्रमुख कारण थे-
1. ब्रिटिश शासन के सही चरित्र की पहचान।
2.शिक्षा और बेरोज़गारी में वृद्धि।
3. आत्मसम्मान और आत्मविश्वास का प्रसार।
4. अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव (1896 में इथियोपिया के हाथों इटली की सेना का तथा 1905 में जापान के हाथों रूस की हार ने यूरोपीय अपराजेयता का भ्रम तोड़ दिया।)
5. उग्र राष्ट्रवादी विचार-संप्रदाय का अस्तित्व।
6. प्रशिक्षित नेतृत्व। -
Question 3 of 20
3. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से किस राजनेता ने परंपरागत धार्मिक उत्सव का उपयोग राष्ट्रवादी विचारों के प्रचार-प्रसार के लिये किया?
Correct
व्याख्याः महाराष्ट्र में उग्र राष्ट्रवादी संप्रदाय के सबसे प्रमुख प्रतिनिधि बाल गंगाधर तिलक थे। 1893 से उन्होंने एक परंपरागत धार्मिक उत्सव, अर्थात् गणपति उत्सव में गीतों और भाषणों के द्वारा राष्ट्रवादी विचारों का प्रचार प्रसार किया।
Incorrect
व्याख्याः महाराष्ट्र में उग्र राष्ट्रवादी संप्रदाय के सबसे प्रमुख प्रतिनिधि बाल गंगाधर तिलक थे। 1893 से उन्होंने एक परंपरागत धार्मिक उत्सव, अर्थात् गणपति उत्सव में गीतों और भाषणों के द्वारा राष्ट्रवादी विचारों का प्रचार प्रसार किया।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsबाल गंगाधर तिलक से संबंधित नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. उन्होंने मराठी में ‘केसरी’ नामक समाचार-पत्र निकाला।
2. महाराष्ट्र में उन्होंने शिवाजी नामक उत्सव आरंभ किया।
3. 1896-97 में उन्होंने महाराष्ट्र में कर न चुकाने का आंदोलन चलाया।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेज़ी में ‘मराठा’ तथा मराठी में ‘केसरी’ नामक समाचार-पत्र निकाले।
- 1895 में उन्होंने शिवाजी उत्सव का आयोजन आरंभ किया। जिसका उद्देश्य महाराष्ट्रीयन युवकों के आगे अनुकरण के लिये शिवाजी का उदाहरण सामने रखकर उनमें राष्ट्रवाद की भावना पैदा करना था।
- 1896-97 में उन्होंने महाराष्ट्र में कर न चुकाने का अभियान चलाया। उन्होंने महाराष्ट्र के अकाल पीड़ित किसानों से कहा कि अगर उनकी फसल चौपट हो जाए तो वे मालगुज़ारी न दें।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेज़ी में ‘मराठा’ तथा मराठी में ‘केसरी’ नामक समाचार-पत्र निकाले।
- 1895 में उन्होंने शिवाजी उत्सव का आयोजन आरंभ किया। जिसका उद्देश्य महाराष्ट्रीयन युवकों के आगे अनुकरण के लिये शिवाजी का उदाहरण सामने रखकर उनमें राष्ट्रवाद की भावना पैदा करना था।
- 1896-97 में उन्होंने महाराष्ट्र में कर न चुकाने का अभियान चलाया। उन्होंने महाराष्ट्र के अकाल पीड़ित किसानों से कहा कि अगर उनकी फसल चौपट हो जाए तो वे मालगुज़ारी न दें।
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Question 5 of 20
5. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-से उग्रवादी राजनीतिक गतिविधियों से संबंधित थे?1. विपिनचंद्र पाल
2. गोपाल कृष्ण गोखले
3. दादाभाई नौरोजी
4. लाला लाजपत राय
कूटःCorrect
व्याख्याः
- राष्ट्रीय आंदोलन के उदारवादी/नरमपंथी नेताओं में प्रमुख थे- दादाभाई नौरोजी, फिरोज़शाह मेहता, बदररुद्दीन तैयबजी, व्योमेश चंद्र बनर्जी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, आनंद मोहन बोस, रमेश चंद्र दत्त।
- उग्र राष्ट्रवाद के प्रमुख नेता बाल गंगाधर तिलक, विपिनचंद्र पाल, अरविंद घोष और लाला लाजपत राय थे। इस विचारधारा के प्रतिनिधि बंगाल में राज नारायण बोस और अश्विनी कुमार दत्त तथा महाराष्ट्र में विष्णु शास्त्री, चिपलुणकर जैसे नेता थे।
Incorrect
व्याख्याः
- राष्ट्रीय आंदोलन के उदारवादी/नरमपंथी नेताओं में प्रमुख थे- दादाभाई नौरोजी, फिरोज़शाह मेहता, बदररुद्दीन तैयबजी, व्योमेश चंद्र बनर्जी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, आनंद मोहन बोस, रमेश चंद्र दत्त।
- उग्र राष्ट्रवाद के प्रमुख नेता बाल गंगाधर तिलक, विपिनचंद्र पाल, अरविंद घोष और लाला लाजपत राय थे। इस विचारधारा के प्रतिनिधि बंगाल में राज नारायण बोस और अश्विनी कुमार दत्त तथा महाराष्ट्र में विष्णु शास्त्री, चिपलुणकर जैसे नेता थे।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsभारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में उग्र राष्ट्रवादियों की विचारधारा एवं कार्य पद्धति के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः1. वे अंग्रेज़ों के ‘कृपापूर्ण मार्गदर्शन’ और नियंत्रण में भारत की प्रगति चाहते थे।
2. वे जनता की कार्यवाही के द्वारा स्वराज प्राप्त करना चाहते थे।
3. इन लोगों ने भारतीय इतिहास और संस्कृति से प्रेरणा ली।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। उग्र राष्ट्रवादियों का मत था कि भारत अंग्रेज़ों के ‘कृपापूर्ण मार्गदर्शन’ और नियंत्रण में कभी भी प्रगति नहीं कर सकता है। वे विदेशी शासन से दिल से नफरत करते थे और उन्होंने स्पष्ट शब्दों में घोषणा की कि राष्ट्रीय आंदोलन का लक्ष्य स्वराज या स्वाधीनता है।
- दूसरा कथन सत्य है। उग्र राष्ट्रवादियों का मत था कि भारतीयों को मुक्ति स्वयं अपने प्रयासों से प्राप्त करनी होगी। उन्हें जनता की शक्ति में असीम विश्वास था और उनकी योजना जनता की कार्यवाही द्वारा स्वराज प्राप्त करने की थी। इसलिये उन्होंने जनता के बीच राजनीतिक कार्य पर और जनता की सीधी राजनीतिक कार्यवाही पर ज़ोर दिया।
- तीसरा कथन भी सत्य है। उग्र राष्ट्रवादियों ने भारत के इतिहास व संस्कृति से प्रेरणा ली तथा भारतीय विरासत के प्रति गौरवान्वित महसूस किया।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। उग्र राष्ट्रवादियों का मत था कि भारत अंग्रेज़ों के ‘कृपापूर्ण मार्गदर्शन’ और नियंत्रण में कभी भी प्रगति नहीं कर सकता है। वे विदेशी शासन से दिल से नफरत करते थे और उन्होंने स्पष्ट शब्दों में घोषणा की कि राष्ट्रीय आंदोलन का लक्ष्य स्वराज या स्वाधीनता है।
- दूसरा कथन सत्य है। उग्र राष्ट्रवादियों का मत था कि भारतीयों को मुक्ति स्वयं अपने प्रयासों से प्राप्त करनी होगी। उन्हें जनता की शक्ति में असीम विश्वास था और उनकी योजना जनता की कार्यवाही द्वारा स्वराज प्राप्त करने की थी। इसलिये उन्होंने जनता के बीच राजनीतिक कार्य पर और जनता की सीधी राजनीतिक कार्यवाही पर ज़ोर दिया।
- तीसरा कथन भी सत्य है। उग्र राष्ट्रवादियों ने भारत के इतिहास व संस्कृति से प्रेरणा ली तथा भारतीय विरासत के प्रति गौरवान्वित महसूस किया।
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Question 7 of 20
7. Question
1 points1905 में बंगाल का विभाजन करने वाला वायसराय कौन था?
Correct
व्याख्याः 20 जुलाई, 1905 को लॉर्ड कर्जन ने एक आदेश जारी करके बंगाल को दो भागों में बाँट दिया। पहले भाग में पूर्वी बंगाल और असम थे और उनकी आबादी 3.1 करोड़ थी, जबकि दूसरे भाग में शेष बंगाल था और उसकी जनसंख्या 5.4 करोड़ थी जिसमें बंगाली, बिहारी और उड़िया लोग शामिल थे।
Incorrect
व्याख्याः 20 जुलाई, 1905 को लॉर्ड कर्जन ने एक आदेश जारी करके बंगाल को दो भागों में बाँट दिया। पहले भाग में पूर्वी बंगाल और असम थे और उनकी आबादी 3.1 करोड़ थी, जबकि दूसरे भाग में शेष बंगाल था और उसकी जनसंख्या 5.4 करोड़ थी जिसमें बंगाली, बिहारी और उड़िया लोग शामिल थे।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsबंगाल विभाजन के विरोध में बंगाल में निम्नलिखित में से किन समूहों की भागीदारी रही?1. ज़मींदार
2. छात्र
3. महिला
4. वकील
कूटःCorrect
व्याख्याः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और बंगाल के राष्ट्रवादियों ने विभाजन का जमकर विरोध किया। बंगाल के भीतर भी ज़मींदार, व्यापारी, वकील, छात्र, नगरों के गरीब लोग और स्त्रियाँ तथा समाज के विभिन्न वर्ग अपने प्रांत के विभाजन के विरोध में स्वतः स्फूर्त ढंग से उठ खड़े हुए।
Incorrect
व्याख्याः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और बंगाल के राष्ट्रवादियों ने विभाजन का जमकर विरोध किया। बंगाल के भीतर भी ज़मींदार, व्यापारी, वकील, छात्र, नगरों के गरीब लोग और स्त्रियाँ तथा समाज के विभिन्न वर्ग अपने प्रांत के विभाजन के विरोध में स्वतः स्फूर्त ढंग से उठ खड़े हुए।
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Question 9 of 20
9. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से किसने बंगाल के विभाजन (1905) के विरोध में बंगाल में हुए आंदोलन का नेतृत्व किया था?
Correct
व्याख्याः बंगाल विभाजन (1905) के विरोध में बंगाल में चलाए गए आंदोलन का नेतृत्व सुरेन्द्रनाथ बनर्जी और कृष्ण कुमार मित्र जैसे नरमपंथी नेताओं ने किया। मगर बाद में इसका नेतृत्व उग्र और क्रांतिकारी राष्ट्रवादियों ने संभाल लिया। वास्तव में आंदोलन के दौरान नरमपंथी और उग्र राष्ट्रवादियों दोनों ने एक- दूसरे से सहयोग किया।
Incorrect
व्याख्याः बंगाल विभाजन (1905) के विरोध में बंगाल में चलाए गए आंदोलन का नेतृत्व सुरेन्द्रनाथ बनर्जी और कृष्ण कुमार मित्र जैसे नरमपंथी नेताओं ने किया। मगर बाद में इसका नेतृत्व उग्र और क्रांतिकारी राष्ट्रवादियों ने संभाल लिया। वास्तव में आंदोलन के दौरान नरमपंथी और उग्र राष्ट्रवादियों दोनों ने एक- दूसरे से सहयोग किया।
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Question 10 of 20
10. Question
1 pointsबंग-भंग विरोधी आंदोलन के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः1. बंगाल विभाजन को लागू करने के दिन को बंगाल में शोक दिवस के रूप में मनाया गया।
2. इस आंदोलन के दौरान रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने “आमार सोनार बांग्ला” नामक गीत लिखा।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- बंगाल विभाजन विरोधी आंदोलन 7 अगस्त, 1905 को आरंभ हुआ। उस दिन कलकत्ता के टाउनहाल में विभाजन के खिलाफ एक बहुत बड़ा प्रदर्शन हुआ।
- विभाजन को 16 अक्टूबर, 1905 को लागू किया गया। आंदोलन के नेताओं ने इस दिन को पूरे बंगाल में शोक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इस अवसर पर रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अपना प्रसिद्ध गीत ‘आमार सोनार बांग्ला’ लिखा, जिसे सड़कों पर चलने वाली भीड़ गाती थी। बाद में इस गीत को बांग्लादेश ने 1971 में अपनी मुक्ति के बाद अपने राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया।
Incorrect
व्याख्याः
- बंगाल विभाजन विरोधी आंदोलन 7 अगस्त, 1905 को आरंभ हुआ। उस दिन कलकत्ता के टाउनहाल में विभाजन के खिलाफ एक बहुत बड़ा प्रदर्शन हुआ।
- विभाजन को 16 अक्टूबर, 1905 को लागू किया गया। आंदोलन के नेताओं ने इस दिन को पूरे बंगाल में शोक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इस अवसर पर रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अपना प्रसिद्ध गीत ‘आमार सोनार बांग्ला’ लिखा, जिसे सड़कों पर चलने वाली भीड़ गाती थी। बाद में इस गीत को बांग्लादेश ने 1971 में अपनी मुक्ति के बाद अपने राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया।
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Question 11 of 20
11. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से किस आंदोलन के दौरान ‘वंदे मातरम’ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का शीर्षक गीत बन गया?
Correct
व्याख्याः स्वदेशी आंदोलन के दौरान कलकत्ता की सड़कें ‘वंदे मातरम’ से गूँज उठी थीं। बाद में यही गीत पूरे राष्ट्रीय आंदोलन का राष्ट्रगान बन गया।
Incorrect
व्याख्याः स्वदेशी आंदोलन के दौरान कलकत्ता की सड़कें ‘वंदे मातरम’ से गूँज उठी थीं। बाद में यही गीत पूरे राष्ट्रीय आंदोलन का राष्ट्रगान बन गया।
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Question 12 of 20
12. Question
1 points‘स्वदेशी एवं बहिष्कार’ सर्वप्रथम किस राष्ट्रीय घटनाक्रम के बाद अपनाए गए?
Correct
व्याख्याः बंगाल विभाजन के परिणामस्वरूप बंगाल के नेताओं को लगा कि केवल प्रदर्शनों, सार्वजनिक सभाओं और प्रस्तावों से ब्रिटिश शासकों पर बहुत ज़्यादा प्रभाव पड़ने वाला नहीं है। इसके लिये और भी सकारात्मक उपाय करने होंगे जिससे जनता की भावनाओं की तीव्रता का पता चल सके। इसी का परिणाम था स्वदेशी एवं बहिष्कार आंदोलन।
Incorrect
व्याख्याः बंगाल विभाजन के परिणामस्वरूप बंगाल के नेताओं को लगा कि केवल प्रदर्शनों, सार्वजनिक सभाओं और प्रस्तावों से ब्रिटिश शासकों पर बहुत ज़्यादा प्रभाव पड़ने वाला नहीं है। इसके लिये और भी सकारात्मक उपाय करने होंगे जिससे जनता की भावनाओं की तीव्रता का पता चल सके। इसी का परिणाम था स्वदेशी एवं बहिष्कार आंदोलन।
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsस्वदेशी आंदोलन के संदर्भ में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः1. जिन स्कूलों एवं कॉलेजों के छात्र स्वदेशी आंदोलन में सक्रिय रहे, उन्हें प्राप्त सरकारी सहायताएँ व विशेषाधिकार छीन लिये गए।
2. इस आंदोलन में स्त्रियों की सक्रिय भागीदारी थी।
3. स्वदेशी आंदोलन का चरित्र अखिल भारतीय था।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- स्वदेशी आंदोलन के दौरान सरकार ने छात्रों को दबाने की हर सम्भव कोशिश की। जिन स्कूलों और कॉलेजों के छात्र स्वदेशी आंदोलन में सक्रिय हों उन्हें दण्डित करने के आदेश जारी किये गए, उन्हें प्राप्त सहायताएँ व विशेषाधिकार छीन लिये गए, उन्हें विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया गया। आंदोलन में शामिल छात्रों की छात्रवृत्ति रोक दी गई तथा उन्हें सरकारी नौकरी से वंचित रखने का फैसला किया गया।
- स्वदेशी आंदोलन की एक महत्त्वपूर्ण बात, इसमें स्त्रियों की सक्रिय भागीदारी थी। शहरी मध्यवर्ग की सदियों से घरों में कैद महिलाएँ जुलूसों और धरनों में शामिल हुईं। इसके बाद से राष्ट्रवादी आंदोलन में वे बराबर सक्रिय रहीं।
- स्वदेशी आंदोलन का चरित्र अखिल भारतीय था। स्वदेशी और स्वराज की गूँज जल्द ही बंगाल के बाहर देश के दूसरे प्रांतों भी में गूँजने लगी।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- स्वदेशी आंदोलन के दौरान सरकार ने छात्रों को दबाने की हर सम्भव कोशिश की। जिन स्कूलों और कॉलेजों के छात्र स्वदेशी आंदोलन में सक्रिय हों उन्हें दण्डित करने के आदेश जारी किये गए, उन्हें प्राप्त सहायताएँ व विशेषाधिकार छीन लिये गए, उन्हें विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया गया। आंदोलन में शामिल छात्रों की छात्रवृत्ति रोक दी गई तथा उन्हें सरकारी नौकरी से वंचित रखने का फैसला किया गया।
- स्वदेशी आंदोलन की एक महत्त्वपूर्ण बात, इसमें स्त्रियों की सक्रिय भागीदारी थी। शहरी मध्यवर्ग की सदियों से घरों में कैद महिलाएँ जुलूसों और धरनों में शामिल हुईं। इसके बाद से राष्ट्रवादी आंदोलन में वे बराबर सक्रिय रहीं।
- स्वदेशी आंदोलन का चरित्र अखिल भारतीय था। स्वदेशी और स्वराज की गूँज जल्द ही बंगाल के बाहर देश के दूसरे प्रांतों भी में गूँजने लगी।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsस्वदेशी आंदोलन के दौरान विभिन्न स्थानों एवं वहाँ के नेतृत्वकर्त्ताओं के संबंध में नीचे दी गई सूचियों को आपस में मिलाइए:नेतृत्वकर्त्ता स्थान A. सैयद हैदर रजा 1. आंध्र प्रदेश B. चिदंबरम पिल्लै 2. मद्रास C. लाला लाजपत राय 3. पंजाब D. हरि सर्वोत्तम राव 4. दिल्ली कूटः
Correct
व्याख्याः बंगाल से प्रारंभ हुए स्वदेशी आन्दोलन को देश के दूसरे भागों विशेषकर बंबई, मद्रास और उत्तर भारत में फैलाने में प्रमुख भूमिका तिलक की रही। स्वदेशी आंदोलन का नेतृत्व पंजाब में लाला लाजपत राय एवं सरदार अजीत सिंह ने, दिल्ली में सैयद हैदर रजा ने, मद्रास में चिदंबरम पिल्लै और आंध्र प्रदेश में हरि सर्वोत्तम राव ने संभाला।
Incorrect
व्याख्याः बंगाल से प्रारंभ हुए स्वदेशी आन्दोलन को देश के दूसरे भागों विशेषकर बंबई, मद्रास और उत्तर भारत में फैलाने में प्रमुख भूमिका तिलक की रही। स्वदेशी आंदोलन का नेतृत्व पंजाब में लाला लाजपत राय एवं सरदार अजीत सिंह ने, दिल्ली में सैयद हैदर रजा ने, मद्रास में चिदंबरम पिल्लै और आंध्र प्रदेश में हरि सर्वोत्तम राव ने संभाला।
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Question 15 of 20
15. Question
1 points“अभिनव भारत” नाम से क्रांतिकारियों के एक गुप्त संगठन का निर्माण किसके द्वारा किया गया था?
Correct
व्याख्याः 1904 में विनायक दामोदर सावरकर ने ‘अभिनव भारत’ नाम से क्रांतिकारियों का एक गुप्त संगठन बनाया था।
Incorrect
व्याख्याः 1904 में विनायक दामोदर सावरकर ने ‘अभिनव भारत’ नाम से क्रांतिकारियों का एक गुप्त संगठन बनाया था।
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Question 16 of 20
16. Question
1 pointsनिम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?1. मुज़फ्फरपुर बम कांड : खुदीराम बोस
2. दिल्ली षड्यंत्र केस : रासबिहारी बोस
3. नासिक षड्यंत्र केस : बसंत कुमार विश्वास
कूटःCorrect
व्याख्याः
- बंगाल के दो क्रांतिकारी खुदीराम बोस तथा प्रफुल्ल चाकी ने 30 अप्रैल, 1908 को मुजफ्फरपुर में एक बग्घी पर बम फेंका जिसमें वे समझते थे कि बदनाम जज, किंग्सफोर्ड बैठा है। इस घटना में किंग्सफोर्ड बच गया, किंतु उसकी पत्नी तथा पुत्री मारी गई। इस घटना के बाद खुदीराम बोस को 1908 में 15 की आयु में फाँसी दे दी गई। वे सबसे कम उम्र में फाँसी के सजा पाने वाले क्रांतिकारी थे।
- 20वीं सदी के आरंभ में क्रांतिकारियों का हौसला इतना बढ़ चुका था कि जब वायसराय लॉर्ड हार्डिंग्ज़ कलकत्ता से दिल्ली राजधानी परिवर्तन के समय एक सरकारी जुलूस में हाथी पर बैठा था तो उस समय उस पर बम फेंका गया। लॉर्ड हार्डिंग्ज़ की हत्या की योजना रासबिहारी बोस द्वारा बनाई गई थी। यह घटना इतिहास में ‘दिल्ली षड्यंत्र’ के नाम से चर्चित है।
- विनायक दामोदर सावरकर द्वारा स्थापित ‘अभिनव भारत समाज’ के एक प्रमुख सदस्य अनंत लक्ष्मण कान्हरे ने नासिक के ज़िला मजिस्ट्रेट जैक्सन की हत्या कर दी। इतिहास में यह घटना ‘नासिक षड्यंत्र केस’ के नाम से प्रसिद्ध है।
Incorrect
व्याख्याः
- बंगाल के दो क्रांतिकारी खुदीराम बोस तथा प्रफुल्ल चाकी ने 30 अप्रैल, 1908 को मुजफ्फरपुर में एक बग्घी पर बम फेंका जिसमें वे समझते थे कि बदनाम जज, किंग्सफोर्ड बैठा है। इस घटना में किंग्सफोर्ड बच गया, किंतु उसकी पत्नी तथा पुत्री मारी गई। इस घटना के बाद खुदीराम बोस को 1908 में 15 की आयु में फाँसी दे दी गई। वे सबसे कम उम्र में फाँसी के सजा पाने वाले क्रांतिकारी थे।
- 20वीं सदी के आरंभ में क्रांतिकारियों का हौसला इतना बढ़ चुका था कि जब वायसराय लॉर्ड हार्डिंग्ज़ कलकत्ता से दिल्ली राजधानी परिवर्तन के समय एक सरकारी जुलूस में हाथी पर बैठा था तो उस समय उस पर बम फेंका गया। लॉर्ड हार्डिंग्ज़ की हत्या की योजना रासबिहारी बोस द्वारा बनाई गई थी। यह घटना इतिहास में ‘दिल्ली षड्यंत्र’ के नाम से चर्चित है।
- विनायक दामोदर सावरकर द्वारा स्थापित ‘अभिनव भारत समाज’ के एक प्रमुख सदस्य अनंत लक्ष्मण कान्हरे ने नासिक के ज़िला मजिस्ट्रेट जैक्सन की हत्या कर दी। इतिहास में यह घटना ‘नासिक षड्यंत्र केस’ के नाम से प्रसिद्ध है।
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Question 17 of 20
17. Question
1 points20वीं सदी के आरंभ में क्रांतिकारी आतंकवाद के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः1. इन्होंने व्यक्तिगत बहादुरी और बम की राजनीति का सहारा लिया।
2. इन क्रांतिकारियों की गतिविधियाँ केवल भारत देश के अंदर तक ही सीमित रही।
3. इनका जनता में बहुत व्यापक आधार था।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- दूसरा तथा तीसरा कथन असत्य है क्रांतिकारियों ने अपनी गतिविधियों के केंद्र विदेशों में भी खोले। इसकी पहल लंदन में श्यामजी कृष्ण वर्मा, विनायक दामोदर सावरकर और हरदयाल ने की, जबकि मैडम भीकाजी कामा ने पेरिस में पेरिस इंडियन सोसायटी की नीव रखी। अमेरिका में क्रांतिकारी गतिविधियों के प्रसार के लिये सोहन सिंह भकना ने हिन्द एसोसिएशन तथा तारकनाथ दास ने इंडियन इंडिपेंडेंस लीग की स्थापना की।
- एक राजनीतिक अस्त्र के रूप में आतंकवाद की असफलता निश्चित थी। इसने जनता को गतिमान नहीं बनाया और वास्तव में जनता में इसका कोई आधार नहीं था। लेकिन भारत के राष्ट्रवाद के विकास में आतंकवादियों का बहुमूल्य योगदान रहा।
Incorrect
व्याख्याः
- दूसरा तथा तीसरा कथन असत्य है क्रांतिकारियों ने अपनी गतिविधियों के केंद्र विदेशों में भी खोले। इसकी पहल लंदन में श्यामजी कृष्ण वर्मा, विनायक दामोदर सावरकर और हरदयाल ने की, जबकि मैडम भीकाजी कामा ने पेरिस में पेरिस इंडियन सोसायटी की नीव रखी। अमेरिका में क्रांतिकारी गतिविधियों के प्रसार के लिये सोहन सिंह भकना ने हिन्द एसोसिएशन तथा तारकनाथ दास ने इंडियन इंडिपेंडेंस लीग की स्थापना की।
- एक राजनीतिक अस्त्र के रूप में आतंकवाद की असफलता निश्चित थी। इसने जनता को गतिमान नहीं बनाया और वास्तव में जनता में इसका कोई आधार नहीं था। लेकिन भारत के राष्ट्रवाद के विकास में आतंकवादियों का बहुमूल्य योगदान रहा।
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Question 18 of 20
18. Question
1 pointsक्रांतिकारी आतंकवाद की पैरवी करने वाले प्रमुख समाचार-पत्र “संध्या” और “युगान्तर” कहाँ से प्रकाशित होते थे?
Correct
व्याख्याः 1905 के बाद अनेकों समाचार-पत्र क्रांतिकारी आतंकवाद की पैरवी करने लगे थे। इनमें बंगाल के “संध्या” और “युगांतर” तथा महाराष्ट्र के “काल” प्रमुख थे।
Incorrect
व्याख्याः 1905 के बाद अनेकों समाचार-पत्र क्रांतिकारी आतंकवाद की पैरवी करने लगे थे। इनमें बंगाल के “संध्या” और “युगांतर” तथा महाराष्ट्र के “काल” प्रमुख थे।
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Question 19 of 20
19. Question
1 points1905 के कांग्रेस के बनारस अधिवेशन के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः1. इस अधिवेशन की अध्यक्षता रासबिहारी घोष ने की थी।
2. इस अधिवेशन में कांग्रेस ने बंगाल के स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन का समर्थन किया।
3. कांग्रेस के नरमपंथी कार्यकर्ता स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन को देश के बाहर फैलाना चाहते थे।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। 1905 में कांग्रेस के बनारस अधिवेशन की अध्यक्षता गोपाल कृष्ण गोखले ने की थी। गोखले ने बंगाल विभाजन और कांग्रेस के प्रतिक्रियावादी शासन की खुलकर निंदा की।
- दूसरा कथन सत्य है। 1905 के अधिवेशन में कांग्रेस ने बंगाल के स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन का समर्थन किया।
- तीसरा कथन असत्य है। इस अधिवेशन में नरमपंथी व गरमपंथी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच जमकर बहसें हुईं और मतभेद उभरे। नरमपंथी कार्यकर्ता बहिष्कार को बंगाल तक और वहाँ भी केवल विदेशी मालों तक सीमित रखना चाहते थे जबकि गरमपंथी कार्यकर्ता स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन को बंगाल के बाहर देश भर में फैलाया तथा औपनिवेशिक सरकार के साथ वे किसी भी रूप में जुड़ने का बहिष्कार किया।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। 1905 में कांग्रेस के बनारस अधिवेशन की अध्यक्षता गोपाल कृष्ण गोखले ने की थी। गोखले ने बंगाल विभाजन और कांग्रेस के प्रतिक्रियावादी शासन की खुलकर निंदा की।
- दूसरा कथन सत्य है। 1905 के अधिवेशन में कांग्रेस ने बंगाल के स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन का समर्थन किया।
- तीसरा कथन असत्य है। इस अधिवेशन में नरमपंथी व गरमपंथी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच जमकर बहसें हुईं और मतभेद उभरे। नरमपंथी कार्यकर्ता बहिष्कार को बंगाल तक और वहाँ भी केवल विदेशी मालों तक सीमित रखना चाहते थे जबकि गरमपंथी कार्यकर्ता स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन को बंगाल के बाहर देश भर में फैलाया तथा औपनिवेशिक सरकार के साथ वे किसी भी रूप में जुड़ने का बहिष्कार किया।
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Question 20 of 20
20. Question
1 pointsभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा किस अधिवेशन में सर्वप्रथम ‘स्वशासन या स्वराज’ की मांग को ब्रिटिश सरकार के सामने रखा गया?
Correct
व्याख्याः वर्ष 1906 में कलकत्ता अधिवेशन में राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिये नरमदल एवं गरमदल में रस्साकशी हुई। अंत में समझौता दादाभाई नौरोजी के नाम पर हुआ जिन्हें सभी राष्ट्रवादी एक महान देशभक्त मानते थे। दादाभाई नौरोजी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में घोषणा की कि भारत के राष्ट्रीय आंदोलन का उद्देश्य ‘ग्रेट ब्रिटेन या उपनिवेशों की तरह का स्वशासन या स्वराज’ है। इस घोषणा से राष्ट्रवादियों में बिलजी की तरह लहर दौड़ गई।
Incorrect
व्याख्याः वर्ष 1906 में कलकत्ता अधिवेशन में राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिये नरमदल एवं गरमदल में रस्साकशी हुई। अंत में समझौता दादाभाई नौरोजी के नाम पर हुआ जिन्हें सभी राष्ट्रवादी एक महान देशभक्त मानते थे। दादाभाई नौरोजी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में घोषणा की कि भारत के राष्ट्रीय आंदोलन का उद्देश्य ‘ग्रेट ब्रिटेन या उपनिवेशों की तरह का स्वशासन या स्वराज’ है। इस घोषणा से राष्ट्रवादियों में बिलजी की तरह लहर दौड़ गई।