आधुनिक भारत टेस्ट 3
आधुनिक भारत टेस्ट 3
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न एन.सी.ई.आर.टी. पर आधारित है|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsभारत सरकार अधिनियम,1919 के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
Correct
व्याख्याः कथन (a) असत्य है। भारत सरकार अधिनियम 1919 मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार के नाम से जाना जाता है। 1919 में मांटेग्यू ब्रिटिश सरकार के भारत मंत्री थे एवं लॉर्ड चेम्सफोर्ड भारत के वायसराय थे।
Incorrect
व्याख्याः कथन (a) असत्य है। भारत सरकार अधिनियम 1919 मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार के नाम से जाना जाता है। 1919 में मांटेग्यू ब्रिटिश सरकार के भारत मंत्री थे एवं लॉर्ड चेम्सफोर्ड भारत के वायसराय थे।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsसुरेन्द्रनाथ बनर्जी के नेतृत्व में ‘इंडियन लिबरल एसोसिएशन’ की स्थापना की गई। इस संगठन की स्थापना किस घटनाक्रम से संबंधित है?
Correct
व्याख्याः ब्रिटिश सरकार के भारत मंत्री मांटेग्यू तथा वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड ने 1918 में संविधान सुधारों की योजना सामने रखी जिसके आधार पर 1919 का भारत सरकार कानून बनाया गया। अगस्त 1918 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने बंबई में एक विशेष सत्र बुलाया ताकि सुधारों के प्रस्तावों पर विचार किया जा सके। इस सत्र में कांग्रेस के अधिकांश नेताओं ने इन प्रस्तावों को “निराशाजनक और असंतोषजनक” बतलाकर प्रभावी स्वशासन की मांग रखी। सुरेन्द्रनाथ बनर्जी के नेतृत्व में कांग्रेस के कुछ वयोवृद्ध नेता सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करने के पक्ष में थे। उन्होंने कांग्रेस छोड़कर इंडियन लिबरल एसोसिएशन की स्थापना की। ये लोग उदारवादी कहे गए तथा भारत की राजनीति में आगे चलकर इनकी बहुत नगण्य भूमिका रही।
Incorrect
व्याख्याः ब्रिटिश सरकार के भारत मंत्री मांटेग्यू तथा वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड ने 1918 में संविधान सुधारों की योजना सामने रखी जिसके आधार पर 1919 का भारत सरकार कानून बनाया गया। अगस्त 1918 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने बंबई में एक विशेष सत्र बुलाया ताकि सुधारों के प्रस्तावों पर विचार किया जा सके। इस सत्र में कांग्रेस के अधिकांश नेताओं ने इन प्रस्तावों को “निराशाजनक और असंतोषजनक” बतलाकर प्रभावी स्वशासन की मांग रखी। सुरेन्द्रनाथ बनर्जी के नेतृत्व में कांग्रेस के कुछ वयोवृद्ध नेता सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करने के पक्ष में थे। उन्होंने कांग्रेस छोड़कर इंडियन लिबरल एसोसिएशन की स्थापना की। ये लोग उदारवादी कहे गए तथा भारत की राजनीति में आगे चलकर इनकी बहुत नगण्य भूमिका रही।
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Question 3 of 20
3. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा कथन रोलट एक्ट से संबंधित है?
Correct
व्याख्याः ब्रिटिश सरकार ने स्वयं को ऐसी भयानक शक्तियों से लैस करने का फैसला किया जो कानून के शासन के स्वीकृत सिद्धांतों के प्रतिकूल थीं, ताकि 1919 के सरकारी सुधारों से संतुष्ट न होने वाले राष्ट्रवादियों को कुचल सके। मार्च 1919 में केंद्रीय विधानपरिषद में भारतीय सदस्यों के विरोध के बावजूद रोलट एक्ट बनाया गया। इस कानून में सरकार को अधिकार प्राप्त था कि वह किसी भी भारतीय को अदालत में बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद कर सकती थी एवं दंड दे सकती थी।
Incorrect
व्याख्याः ब्रिटिश सरकार ने स्वयं को ऐसी भयानक शक्तियों से लैस करने का फैसला किया जो कानून के शासन के स्वीकृत सिद्धांतों के प्रतिकूल थीं, ताकि 1919 के सरकारी सुधारों से संतुष्ट न होने वाले राष्ट्रवादियों को कुचल सके। मार्च 1919 में केंद्रीय विधानपरिषद में भारतीय सदस्यों के विरोध के बावजूद रोलट एक्ट बनाया गया। इस कानून में सरकार को अधिकार प्राप्त था कि वह किसी भी भारतीय को अदालत में बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद कर सकती थी एवं दंड दे सकती थी।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsगांधीजी का चंपारन सत्याग्रह किनकी समस्याओं के समाधान से संबंधित था?
Correct
व्याख्याः गांधीजी ने सत्याग्रह का अपना पहला बड़ा प्रयोग बिहार के चंपारन ज़िले में 1917 में किया। यहाँ नील के खेतों में काम करने वाले किसानों पर यूरोपीय निहले बहुत अधिक अत्याचार करते थे। गांधीजी के संघर्ष के कारण अंततः किसान जिन समस्याओं से पीड़ित थे उनमें कमी हुई।
Incorrect
व्याख्याः गांधीजी ने सत्याग्रह का अपना पहला बड़ा प्रयोग बिहार के चंपारन ज़िले में 1917 में किया। यहाँ नील के खेतों में काम करने वाले किसानों पर यूरोपीय निहले बहुत अधिक अत्याचार करते थे। गांधीजी के संघर्ष के कारण अंततः किसान जिन समस्याओं से पीड़ित थे उनमें कमी हुई।
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Question 5 of 20
5. Question
1 points20वीं सदी के बिहार के नील किसानों के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः1. चंपारन के नील किसानों को अपनी ज़मीन के 3/20 भाग पर नील की खेती करनी पड़ती थी।
2. ब्रिटिश सरकार ने नील किसानों की समस्याओं की जाँच हेतु एक समिति बनाई जिसके सदस्य गांधीजी भी थे।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- बिहार के चंपारन ज़िले के नील उत्पादक किसानों पर यूरोपीय निहले बहुत अधिक अत्याचार करते थे। किसानों को अपनी ज़मीन के कम-से-कम 3/20 भाग पर नील की खेती करना तथा निहलों द्वारा तय दामों पर बेचना पड़ता था।
- 1917 में गांधीजी, बाबू राजेन्द्र प्रसाद, जे.बी. कृपलानी, नरहरि पारिख और महादेव देसाई के साथ चंपारन पहुँचे और किसानों के हालात की विस्तृत जाँच पड़ताल करने लगे। अंततः सरकार ने मज़बूर होकर एक जाँच समिति बनाई जिसके एक सदस्य गांधीजी भी थे।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- बिहार के चंपारन ज़िले के नील उत्पादक किसानों पर यूरोपीय निहले बहुत अधिक अत्याचार करते थे। किसानों को अपनी ज़मीन के कम-से-कम 3/20 भाग पर नील की खेती करना तथा निहलों द्वारा तय दामों पर बेचना पड़ता था।
- 1917 में गांधीजी, बाबू राजेन्द्र प्रसाद, जे.बी. कृपलानी, नरहरि पारिख और महादेव देसाई के साथ चंपारन पहुँचे और किसानों के हालात की विस्तृत जाँच पड़ताल करने लगे। अंततः सरकार ने मज़बूर होकर एक जाँच समिति बनाई जिसके एक सदस्य गांधीजी भी थे।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsगांधीजी के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?1. गांधीजी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे।
2. गांधीजी ने 1916 में अहमदाबाद के पास साबरमती आश्रम की स्थापना की।
3. अफ्रीका से वापस आने के पश्चात गांधीजी ने पहला सफल सत्याग्रह खेड़ा से शुरू किया।
कूटःCorrect
व्याख्याः
- पहला एवं दूसरा कथन सत्य है। गांधीजी 46 वर्ष की आयु में 1915 में अफ्रीका से भारत लौटे। पूरे एक वर्ष तक उन्होंने देश का भ्रमण किया और भारतीय जनता की दशा को समझा। फिर उन्होंने 1916 में अहमदाबाद के पास साबरमती आश्रम की स्थापना की।
- तीसरा कथन असत्य है। गांधीजी द्वारा दक्षिण अफ्रीका से लौटने के पश्चात भारत में आरंभ किया गया प्रथम सफल सत्याग्रह चंपारन सत्याग्रह था।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला एवं दूसरा कथन सत्य है। गांधीजी 46 वर्ष की आयु में 1915 में अफ्रीका से भारत लौटे। पूरे एक वर्ष तक उन्होंने देश का भ्रमण किया और भारतीय जनता की दशा को समझा। फिर उन्होंने 1916 में अहमदाबाद के पास साबरमती आश्रम की स्थापना की।
- तीसरा कथन असत्य है। गांधीजी द्वारा दक्षिण अफ्रीका से लौटने के पश्चात भारत में आरंभ किया गया प्रथम सफल सत्याग्रह चंपारन सत्याग्रह था।
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsखेड़ा सत्याग्रह के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः1. यह सत्याग्रह गांधीजी ने महाराष्ट्र के अकाल पीड़ित किसानों के पक्ष में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध चलाया।
2. इस सत्याग्रह के दौरान ही सरदार वल्लभ भाई पटेल गांधीजी के अनुयायी बने। उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। सन 1918 में गुजरात के खेड़ा ज़िले के किसानों की फसल चौपट हो गई। मगर सरकार ने लगान छोड़ने से एकदम इनकार कर दिया और पूरा लगान वसूल करने पर उतारू हो गई। गांधीजी ने किसानों का साथ दिया और आह्वाहन किया कि जब तक लगान में छूट नहीं मिलती किसान लगान देना बंद कर दें। जब यह खबर मिली कि सरकार ने केवल उन्हीं किसानों से लगान वसूलने के आदेश दिये हैं जो लगान देने में सक्षम हैं। उसके बाद यह संघर्ष वापस ले लिया गया।
- दूसरा कथन सत्य है। सरदार वल्लभ भाई पटेल उन्हीं अनेक नौजवानों में से एक थे जो खेड़ा के किसान-संघर्ष के दौरान गांधीजी के अनुयायी बने थे।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। सन 1918 में गुजरात के खेड़ा ज़िले के किसानों की फसल चौपट हो गई। मगर सरकार ने लगान छोड़ने से एकदम इनकार कर दिया और पूरा लगान वसूल करने पर उतारू हो गई। गांधीजी ने किसानों का साथ दिया और आह्वाहन किया कि जब तक लगान में छूट नहीं मिलती किसान लगान देना बंद कर दें। जब यह खबर मिली कि सरकार ने केवल उन्हीं किसानों से लगान वसूलने के आदेश दिये हैं जो लगान देने में सक्षम हैं। उसके बाद यह संघर्ष वापस ले लिया गया।
- दूसरा कथन सत्य है। सरदार वल्लभ भाई पटेल उन्हीं अनेक नौजवानों में से एक थे जो खेड़ा के किसान-संघर्ष के दौरान गांधीजी के अनुयायी बने थे।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. सन 1918 में गांधीजी ने अहमदाबाद में मज़दूरों की हड़ताल को बल देने के लिये आमरण अनशन किया।
2. रोलट एक्ट के विरोध के दौरान गांधीजी तटस्थ रहे।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। सन 1918 में गांधीजी ने अहमदाबाद में मज़दूरों और मिल मालिकों के एक विवाद में हस्तक्षेप किया। गांधीजी ने मज़दूरों की मज़दूरी में 35 प्रतिशत वृद्धि की मांग करने तथा इसके लिये हड़ताल पर जाने की राय दी। मज़दूरों के हड़ताल को जारी रखने के संकल्प को बल देने के लिये उन्होंने आमरण अनशन किया। उनके अनशन ने मिल मालिकों पर दबाव डाला और वे नरम पड़कर 35 प्रतिशत मज़दूरी बढ़ाने पर सहमत हो गए।
- दूसरा कथन असत्य है। दूसरे राष्ट्रवादियों की तरह गांधीजी को भी रोलट कानून से धक्का लगा। फरवरी 1919 में उन्होंने एक सत्याग्रह सभा बनाई जिसके सदस्यों ने इस कानून का पालन न करने तथा गिरफ्तारी और जेल जाने का सामना करने की शपथ ली।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। सन 1918 में गांधीजी ने अहमदाबाद में मज़दूरों और मिल मालिकों के एक विवाद में हस्तक्षेप किया। गांधीजी ने मज़दूरों की मज़दूरी में 35 प्रतिशत वृद्धि की मांग करने तथा इसके लिये हड़ताल पर जाने की राय दी। मज़दूरों के हड़ताल को जारी रखने के संकल्प को बल देने के लिये उन्होंने आमरण अनशन किया। उनके अनशन ने मिल मालिकों पर दबाव डाला और वे नरम पड़कर 35 प्रतिशत मज़दूरी बढ़ाने पर सहमत हो गए।
- दूसरा कथन असत्य है। दूसरे राष्ट्रवादियों की तरह गांधीजी को भी रोलट कानून से धक्का लगा। फरवरी 1919 में उन्होंने एक सत्याग्रह सभा बनाई जिसके सदस्यों ने इस कानून का पालन न करने तथा गिरफ्तारी और जेल जाने का सामना करने की शपथ ली।
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Question 9 of 20
9. Question
1 points13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में लोग किस कारण से एकत्रित हुए?
Correct
व्याख्याः
- गांधीजी ने रोलट एक्ट के विरोध में 6 अप्रैल, 1919 को एक व्यापक हड़ताल का आह्वान किया। जनता ने अभूतपूर्व उत्साह से इसका अनुसरण किया। ब्रिटिश सरकार ने इस जन-प्रतिरोध का सामना, खासकर पंजाब में, दमन से करने का निश्चिय किया।
- पंजाब में अमृतसर के जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल, 1919 को एक निहत्थी भीड़ अपने लोकप्रिय नेता डॉ. सैफुद्दीन किचलू और डॉ. सत्यपाल की गिरफ्तारी का विरोध करने के लिये एकत्रित हुई। जलियांवाला बाग बहुत बड़ा बाग था, मगर इसमें से निकलने का केवल एक रास्ता था। अमृतसर के फौजी कमांडर जनरल डायर ने अपने सैनिकों को भीड़ पर गोली बरसाने का हुक्म दिया। वे तब तक गोली बरसाते रहे, जब तक कि गोलियाँ खत्म नहीं हो गई।
Incorrect
व्याख्याः
- गांधीजी ने रोलट एक्ट के विरोध में 6 अप्रैल, 1919 को एक व्यापक हड़ताल का आह्वान किया। जनता ने अभूतपूर्व उत्साह से इसका अनुसरण किया। ब्रिटिश सरकार ने इस जन-प्रतिरोध का सामना, खासकर पंजाब में, दमन से करने का निश्चिय किया।
- पंजाब में अमृतसर के जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल, 1919 को एक निहत्थी भीड़ अपने लोकप्रिय नेता डॉ. सैफुद्दीन किचलू और डॉ. सत्यपाल की गिरफ्तारी का विरोध करने के लिये एकत्रित हुई। जलियांवाला बाग बहुत बड़ा बाग था, मगर इसमें से निकलने का केवल एक रास्ता था। अमृतसर के फौजी कमांडर जनरल डायर ने अपने सैनिकों को भीड़ पर गोली बरसाने का हुक्म दिया। वे तब तक गोली बरसाते रहे, जब तक कि गोलियाँ खत्म नहीं हो गई।
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Question 10 of 20
10. Question
1 points1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में किस विख्यात व्यक्ति ने ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रदान की गई नाइट (Knight) की उपाधि लौटा दी थी?
Correct
व्याख्याः जलियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में रवींद्रनाथ टैगोर ने ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रदान की गई नाइट की उपाधि लौटा दी थी। जनता के कष्टों का वर्णन करते हुए उन्होंने घोषणा की कि-वह समय आ गया है जब सम्मान के प्रतीक अपमान अपने बेमेल संदर्भ में हमारी शर्म को उजागर करते हैं और मैं, जहाँ तक मेरा सवाल है, सभी विशिष्ट उपाधियों से रहित होकर अपने उन देशवासियों के साथ खड़ा होना चाहता हूँ जो अपनी तथा कथित क्षुद्रता को सहने के लिये बाध्य हो सकते हैं।
Incorrect
व्याख्याः जलियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में रवींद्रनाथ टैगोर ने ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रदान की गई नाइट की उपाधि लौटा दी थी। जनता के कष्टों का वर्णन करते हुए उन्होंने घोषणा की कि-वह समय आ गया है जब सम्मान के प्रतीक अपमान अपने बेमेल संदर्भ में हमारी शर्म को उजागर करते हैं और मैं, जहाँ तक मेरा सवाल है, सभी विशिष्ट उपाधियों से रहित होकर अपने उन देशवासियों के साथ खड़ा होना चाहता हूँ जो अपनी तथा कथित क्षुद्रता को सहने के लिये बाध्य हो सकते हैं।
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Question 11 of 20
11. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से किनके द्वारा खिलाफत कमेटी का गठन किया गया?1. मुहम्मद अली
2. सैय्यद अहमद खान
3. मौलाना आज़ाद
4. लोकमान्य तिलक
कूटःCorrect
व्याख्याः मुहम्मद अली, शौकत अली, मौलाना आज़ाद, हकीम अजमल खान और हसरत मोहानी के नेतृत्व में खिलाफत कमेटी का गठन किया गया और देशव्यापी आंदोलन छेड़ा गया।
Incorrect
व्याख्याः मुहम्मद अली, शौकत अली, मौलाना आज़ाद, हकीम अजमल खान और हसरत मोहानी के नेतृत्व में खिलाफत कमेटी का गठन किया गया और देशव्यापी आंदोलन छेड़ा गया।
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Question 12 of 20
12. Question
1 pointsखिलाफत आंदोलन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित में से कौन-से थे?1. मुसलमानों के बीच राष्ट्रवादी प्रवृत्ति का प्रसार करना।
2. मुसलमानों को आधुनिक शिक्षा तथा ज्ञान-विज्ञान से जोड़ना।
3. कांग्रेस की राष्ट्रवादी विचारधारा के खिलाफ़ मुस्लिम लोगों को खड़ा करना।
4. तुर्की साम्राज्य की रक्षा करना तथा खलीफ़ा के सम्मान की पुनर्स्थापना करना।
कूटःCorrect
व्याख्याः
- केवल पहला एवं चौथा ही कथन सत्य है। ब्रिटिश शासन के अत्याचारों ने समूची भारतीय जनता को एकसमान रूप से प्रभावित किया था और हिन्दू-मुसलमान दोनों को राजनीतिक आंदोलन में ले आया। उदाहरण के लिये राजनीतिक गतिविधियों के क्षेत्र में हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल दुनिया के सामने रखने के लिये मुसलमानों ने कट्टर आर्य समाजी नेता श्रद्धानंद को आमंत्रित किया कि वे दिल्ली की जामा मस्जिद में अपना उपदेश दें। इसी तरह अमृतसर में सिखों ने अपने पवित्र स्थान स्वर्ण मंदिर की चाभियाँ एक मुसलमान नेता डॉ. किचलू को सौंप दी थी। यह राजनीतिक एकता सरकार के दमन के कारण थी। इस वातावरण में मुसलमानों के बीच राष्ट्रवादी प्रवृत्ति ने ख़िलाफ़त आंदोलन की शक्ल ले ली।
- जर्मनी की ओर प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान तुर्की, मित्र राष्ट्रों के विरुद्ध युद्ध में शामिल हुआ था। युद्ध के समय ब्रिटिश राजनेताओं ने भारतीय मुसलमानों को वचन दिया था कि वे युद्ध के बाद तुर्की के साथ सम्मानजनक व्यवहार करेंगे। किंतु सेवर्स की संधि के दौरान यह खबर फैली कि ब्रिटिश सरकार तुर्की के सुल्तान पर अपमानजनक शर्तें थोप रही है।
- मुसलमानों का मत यह भी था कि तुर्की के सुल्तान को लोग खलीफा अर्थात् धार्मिक मामलों में मुसलमानों का प्रमुख मानते थे। अतः खिलाफत आंदोलन का मुख्य उद्देश्य खलीफा के सम्मान, शक्ति व सर्वोच्चता की पुनर्स्थापना करना भी था।
Incorrect
व्याख्याः
- केवल पहला एवं चौथा ही कथन सत्य है। ब्रिटिश शासन के अत्याचारों ने समूची भारतीय जनता को एकसमान रूप से प्रभावित किया था और हिन्दू-मुसलमान दोनों को राजनीतिक आंदोलन में ले आया। उदाहरण के लिये राजनीतिक गतिविधियों के क्षेत्र में हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल दुनिया के सामने रखने के लिये मुसलमानों ने कट्टर आर्य समाजी नेता श्रद्धानंद को आमंत्रित किया कि वे दिल्ली की जामा मस्जिद में अपना उपदेश दें। इसी तरह अमृतसर में सिखों ने अपने पवित्र स्थान स्वर्ण मंदिर की चाभियाँ एक मुसलमान नेता डॉ. किचलू को सौंप दी थी। यह राजनीतिक एकता सरकार के दमन के कारण थी। इस वातावरण में मुसलमानों के बीच राष्ट्रवादी प्रवृत्ति ने ख़िलाफ़त आंदोलन की शक्ल ले ली।
- जर्मनी की ओर प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान तुर्की, मित्र राष्ट्रों के विरुद्ध युद्ध में शामिल हुआ था। युद्ध के समय ब्रिटिश राजनेताओं ने भारतीय मुसलमानों को वचन दिया था कि वे युद्ध के बाद तुर्की के साथ सम्मानजनक व्यवहार करेंगे। किंतु सेवर्स की संधि के दौरान यह खबर फैली कि ब्रिटिश सरकार तुर्की के सुल्तान पर अपमानजनक शर्तें थोप रही है।
- मुसलमानों का मत यह भी था कि तुर्की के सुल्तान को लोग खलीफा अर्थात् धार्मिक मामलों में मुसलमानों का प्रमुख मानते थे। अतः खिलाफत आंदोलन का मुख्य उद्देश्य खलीफा के सम्मान, शक्ति व सर्वोच्चता की पुनर्स्थापना करना भी था।
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से किसने ख़िलाफ़त आंदोलन के संबंध में कहा था कि ‘हिंदुओं और मुसलमानों में एकता स्थापित करने का ऐसा अवसर आगे सौ वर्षों तक नहीं मिलेगा।’?
Correct
व्याख्याः गांधीजी ने खिलाफत आंदोलन को हिंदुओं और मुसलमानों में एकता स्थापित करने का ऐसा अवसर जाना जो कि आगे सौ वर्षों तक नहीं मिलेगा। गांधीजी ने 1920 के आरंभ में घोषणा की कि खिलाफत का प्रश्न सांविधानिक सुधारों तथा पंजाब के अत्याचारों से अधिक महत्त्वपूर्ण है।
Incorrect
व्याख्याः गांधीजी ने खिलाफत आंदोलन को हिंदुओं और मुसलमानों में एकता स्थापित करने का ऐसा अवसर जाना जो कि आगे सौ वर्षों तक नहीं मिलेगा। गांधीजी ने 1920 के आरंभ में घोषणा की कि खिलाफत का प्रश्न सांविधानिक सुधारों तथा पंजाब के अत्याचारों से अधिक महत्त्वपूर्ण है।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsनिम्नलिखित घटनाओं को कालानुक्रम में व्यवस्थित कीजिये तथा नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:1. कांग्रेस का लखनऊ अधिवेशन
2. चंपारन सत्याग्रह
3. जलियांवाला बाग हत्याकांड
4. खेड़ा सत्याग्रह
कूटःCorrect
व्याख्याः
घटना तिथि
1. कांग्रेस का लखनऊ अधिवेशन 1916
2. चंपारन सत्याग्रह 1917
3. खेड़ा सत्याग्रह 1918
4. जलियांवाला बाग हत्याकांड 1919Incorrect
व्याख्याः
घटना तिथि
1. कांग्रेस का लखनऊ अधिवेशन 1916
2. चंपारन सत्याग्रह 1917
3. खेड़ा सत्याग्रह 1918
4. जलियांवाला बाग हत्याकांड 1919 -
Question 15 of 20
15. Question
1 pointsअलीगढ़ में जामिया मिलिया इस्लामिया (राष्ट्रीय मुस्लिम विश्वविद्यालय), बिहार विद्यापीठ, काशी विद्यापीठ और गुजरात विद्यापीठ की स्थापना का संबंध किस जन-आंदोलन से है?
Correct
व्याख्याः1921- 22 में असहयोग आंदोलन के समय भारतीय जनता एक अभूतपूर्व हलचल के दौर से गुजरी। हज़ारों की संख्या में छात्रों ने सरकारी स्कूल-कॉलेज छोड़कर राष्ट्रीय स्कूलों और कॉलेजों में प्रवेश ले लिया। इसी समय अलीगढ़ के जामिया मिलिया इस्लामिया (राष्ट्रीय मुस्लिम विश्वविद्यालय), बिहार विद्यापीठ, काशी विद्यापीठ और गुजरात विद्यापीठ की स्थापना हुई। जामिया मिलिया बाद में दिल्ली स्थानांतरित हो गया।
Incorrect
व्याख्याः1921- 22 में असहयोग आंदोलन के समय भारतीय जनता एक अभूतपूर्व हलचल के दौर से गुजरी। हज़ारों की संख्या में छात्रों ने सरकारी स्कूल-कॉलेज छोड़कर राष्ट्रीय स्कूलों और कॉलेजों में प्रवेश ले लिया। इसी समय अलीगढ़ के जामिया मिलिया इस्लामिया (राष्ट्रीय मुस्लिम विश्वविद्यालय), बिहार विद्यापीठ, काशी विद्यापीठ और गुजरात विद्यापीठ की स्थापना हुई। जामिया मिलिया बाद में दिल्ली स्थानांतरित हो गया।
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Question 16 of 20
16. Question
1 pointsअसहयोग आंदोलन के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः1. यह आंदोलन 1920 में शुरू हुआ।
2. इस आंदोलन को चलाने के लिये तिलक स्वराज कोष की स्थापना की गई।
3. इस आंदोलन के दौरान चरखा स्वतंत्रता का प्रतीक बन गया।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। खिलाफत आंदोलन ने 31 अगस्त, 1920 को असहयोग आंदोलन आरंभ किया।
- दूसरा कथन भी सत्य है। असहयोग आंदोलन को चलाने के लिये तिलक स्वराज कोष स्थापित किया गया और छः माह के अंदर इसमें एक करोड़ रुपए जमा हो गए।
- तीसरा कथन असत्य है। चरखा नहीं बल्कि खादी असहयोग आंदोलन के दौरान स्वतंत्रता का प्रतीक बन गई थी।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। खिलाफत आंदोलन ने 31 अगस्त, 1920 को असहयोग आंदोलन आरंभ किया।
- दूसरा कथन भी सत्य है। असहयोग आंदोलन को चलाने के लिये तिलक स्वराज कोष स्थापित किया गया और छः माह के अंदर इसमें एक करोड़ रुपए जमा हो गए।
- तीसरा कथन असत्य है। चरखा नहीं बल्कि खादी असहयोग आंदोलन के दौरान स्वतंत्रता का प्रतीक बन गई थी।
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Question 17 of 20
17. Question
1 pointsगांधीजी द्वारा 1920 में आरंभ किये गए असहयोग आंदोलन को वापस लेने का प्रमुख कारण था-
Correct
व्याख्याः संयुक्त प्रांत के गोरखपुर ज़िले में चौरी-चौरा नामक गाँव में 3000 किसानों के एक कांग्रेस जुलूस पर पुलिस ने गोली चलाई। गुस्साई भीड़ ने पुलिस थाने पर हमला करके उसमें आग लगा दी, जिसमें 22 पुलिस कर्मी मारे गए। गांधीजी को भय था कि जन उत्साह और जोश के इस वातावरण में आंदोलन आसानी से एक हिंसक मोड़ ले सकता है। इस कारण से गांधीजी ने चौरी-चौरा की घटना के बाद आंदोलन को वापस ले लिया।
Incorrect
व्याख्याः संयुक्त प्रांत के गोरखपुर ज़िले में चौरी-चौरा नामक गाँव में 3000 किसानों के एक कांग्रेस जुलूस पर पुलिस ने गोली चलाई। गुस्साई भीड़ ने पुलिस थाने पर हमला करके उसमें आग लगा दी, जिसमें 22 पुलिस कर्मी मारे गए। गांधीजी को भय था कि जन उत्साह और जोश के इस वातावरण में आंदोलन आसानी से एक हिंसक मोड़ ले सकता है। इस कारण से गांधीजी ने चौरी-चौरा की घटना के बाद आंदोलन को वापस ले लिया।
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Question 18 of 20
18. Question
1 points1920 से 1922 तक चले असहयोग आंदोलन के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः1. इस आंदोलन में हिंदू-मुस्लिम दोनों ने बराबर भागीदारी की।
2. इस आंदोलन के दौरान भारतीय समाज के सभी वर्गों का राजनीतिकरण हुआ।
3. राष्ट्रीय भावना और राष्ट्रीय आंदोलन देश के दूर-दराज़ इलाके तक पहुँचे।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- असहयोग आंदोलन में खिलाफत आंदोलन की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। इस आंदोलन के कारण नगरों के मुसलमान राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुए। परिणामस्वरूप ऐसा कहा जाता है कि धार्मिक चेतना का राजनीति में समावेश हुआ।
- देखने में तो असहयोग आंदोलन असफल था, मगर इसके कारण राष्ट्रीय आंदोलन अनेक अर्थों में और मज़बूत हुआ था। लाखों-लाख किसान, दस्तकार और शहरी गरीब राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुए थे। स्त्रियाँ एवं पुरुष दोनों आंदोलन में शामिल हुए। लाखों-लाख स्त्री-पुरुषों के इसी राजनीतीकरण तथा सक्रियता ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को क्रांतिकारी चरित्र प्रदान किया। इस आंदोलन से भारतीय समाज के सभी वर्गों का राजनीतिकरण हुआ।
- असहयोग आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय भावना और राष्ट्रीय आंदोलन का देश के दूर-दराज़ के स्थानों तक प्रसार हुआ।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- असहयोग आंदोलन में खिलाफत आंदोलन की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। इस आंदोलन के कारण नगरों के मुसलमान राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुए। परिणामस्वरूप ऐसा कहा जाता है कि धार्मिक चेतना का राजनीति में समावेश हुआ।
- देखने में तो असहयोग आंदोलन असफल था, मगर इसके कारण राष्ट्रीय आंदोलन अनेक अर्थों में और मज़बूत हुआ था। लाखों-लाख किसान, दस्तकार और शहरी गरीब राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुए थे। स्त्रियाँ एवं पुरुष दोनों आंदोलन में शामिल हुए। लाखों-लाख स्त्री-पुरुषों के इसी राजनीतीकरण तथा सक्रियता ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को क्रांतिकारी चरित्र प्रदान किया। इस आंदोलन से भारतीय समाज के सभी वर्गों का राजनीतिकरण हुआ।
- असहयोग आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय भावना और राष्ट्रीय आंदोलन का देश के दूर-दराज़ के स्थानों तक प्रसार हुआ।
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Question 19 of 20
19. Question
1 pointsस्वराज पार्टी के संस्थापक थे-
Correct
व्याख्याः दिसंबर 1922 में चितरंजन दास और मोतीलाल नेहरू ने स्वराज पार्टी (कांग्रेस-खिलाफत स्वराज पार्टी) की स्थापना की। इसके अध्यक्ष चितरंजन दास थे और मोतीलाल नेहरू इसके सचिवों में से एक थे। स्वराज पार्टी को कांग्रेस के अंदर ही एक समूह के रूप में काम करना था। इसने कांग्रेस के कार्यक्रम को ही पूरी तरह स्वीकार किया, सिवाय इस बात को छोड़कर कि यह पार्टी काउंसिल के चुनावों में भाग लेगी।
Incorrect
व्याख्याः दिसंबर 1922 में चितरंजन दास और मोतीलाल नेहरू ने स्वराज पार्टी (कांग्रेस-खिलाफत स्वराज पार्टी) की स्थापना की। इसके अध्यक्ष चितरंजन दास थे और मोतीलाल नेहरू इसके सचिवों में से एक थे। स्वराज पार्टी को कांग्रेस के अंदर ही एक समूह के रूप में काम करना था। इसने कांग्रेस के कार्यक्रम को ही पूरी तरह स्वीकार किया, सिवाय इस बात को छोड़कर कि यह पार्टी काउंसिल के चुनावों में भाग लेगी।
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Question 20 of 20
20. Question
1 pointsनिम्नलिखित घटनाओं पर विचार कीजिये तथा नीचे दिये गए कूट से उनका सही कालानुक्रम ज्ञात कीजियेः1. रोलट सत्याग्रह
2. असहयोग आंदोलन
3. चौरी-चौरा कांड
4. स्वराज पार्टी का गठन
कूटःCorrect
व्याख्याः
घटनाएँ कालक्रम
1. रोलट सत्याग्रह अप्रैल 1919
2. असहयोग आंदोलन अगस्त 1920
3. चौरी-चौरा कांड फरवरी 1922
4. स्वराज पार्टी का गठन दिसंबर 1922Incorrect
व्याख्याः
घटनाएँ कालक्रम
1. रोलट सत्याग्रह अप्रैल 1919
2. असहयोग आंदोलन अगस्त 1920
3. चौरी-चौरा कांड फरवरी 1922
4. स्वराज पार्टी का गठन दिसंबर 1922