आधुनिक भारत टेस्ट 2
आधुनिक भारत टेस्ट 2
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न एन.सी.ई.आर.टी. पर आधारित है|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsकैबिनेट मिशन 1946 के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये:1. इसे भारतीयों को सत्ता सौंपने की शर्तों के बारे में बातचीत करने के लिये भेजा गया था।
2. इस मिशन ने भारत में दो स्तरों वाली एक संघीय योजना का प्रस्ताव किया।
3. कैबिनेट मिशन ने संघीय केंद्र को केवल प्रतिरक्षा, विदेशी मामलों एवं संचार विषयों पर नियंत्रण की सिफारिश की थी।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- ब्रिटिश सरकार ने मार्च 1946 में कैबिनेट मिशन भारत भेजा, ताकि भारतीय नेताओं से भारतीयों को सत्ता सौंपने की शर्तों के बारे में बातचीत की जाए।
- कैबिनेट मिशन ने दो स्तरों वाली एक संघीय योजना का प्रस्ताव किया, जिससे आशा की गई कि बड़ी मात्रा में क्षेत्रीय स्वायत्तता देकर भी राष्ट्रीय एकता को बनाए रखा जा सकेगा।
- कैबिनेट मिशन योजना में प्रांतों और रजवाड़ों का एक संघ होता और संघीय केंद्र का केवल प्रतिरक्षा, विदेशी मामलों एवं संचार विषयों पर नियंत्रण होता। साथ ही प्रांत अपने-अपने क्षेत्रीय संगठन भी बना सकते थे।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- ब्रिटिश सरकार ने मार्च 1946 में कैबिनेट मिशन भारत भेजा, ताकि भारतीय नेताओं से भारतीयों को सत्ता सौंपने की शर्तों के बारे में बातचीत की जाए।
- कैबिनेट मिशन ने दो स्तरों वाली एक संघीय योजना का प्रस्ताव किया, जिससे आशा की गई कि बड़ी मात्रा में क्षेत्रीय स्वायत्तता देकर भी राष्ट्रीय एकता को बनाए रखा जा सकेगा।
- कैबिनेट मिशन योजना में प्रांतों और रजवाड़ों का एक संघ होता और संघीय केंद्र का केवल प्रतिरक्षा, विदेशी मामलों एवं संचार विषयों पर नियंत्रण होता। साथ ही प्रांत अपने-अपने क्षेत्रीय संगठन भी बना सकते थे।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsभारत की स्वतंत्रता के समय ब्रिटेन का प्रधानमंत्री कौन था?
Correct
व्याख्याः भारत की स्वतंत्रता के समय ब्रिटेन में लेबर पार्टी की सरकार थी तथा वहाँ के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली थे।
Incorrect
व्याख्याः भारत की स्वतंत्रता के समय ब्रिटेन में लेबर पार्टी की सरकार थी तथा वहाँ के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली थे।
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Question 3 of 20
3. Question
1 pointsकम्युनिस्ट इंटरनेशनल के नेतृत्व-वर्ग में चुने जाने वाले पहले भारतीय कौन थे?
Correct
व्याख्याः मानवेंद्रनाथ राय कम्युनिस्ट इंटरनेशनल के नेतृत्व-वर्ग में चुने जाने वाले पहले भारतीय थे।
Incorrect
व्याख्याः मानवेंद्रनाथ राय कम्युनिस्ट इंटरनेशनल के नेतृत्व-वर्ग में चुने जाने वाले पहले भारतीय थे।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsभारत में कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना किस वर्ष हुई?
Correct
व्याख्याः भारत में 1925 में कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना हुई। इसके अलावा देश के अनेक भागों में मज़दूर-किसान पार्टियाँ बनीं। इन पार्टियों और समूहों ने मार्क्सवादी और कम्युनिस्ट विचारों का प्रचार किया।
Incorrect
व्याख्याः भारत में 1925 में कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना हुई। इसके अलावा देश के अनेक भागों में मज़दूर-किसान पार्टियाँ बनीं। इन पार्टियों और समूहों ने मार्क्सवादी और कम्युनिस्ट विचारों का प्रचार किया।
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Question 5 of 20
5. Question
1 pointsरामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खाँ को फाँसी किस षड्यंत्र केस के तहत दी गई?
Correct
व्याख्याः अगस्त 1925 में क्रांतिकारी आतंकवादियों ने लखनऊ के पास काकोरी गाँव में चलती ट्रेन से सरकारी खजाने को लूट लिया गया। काकोरी षड्यंत्र केस में सत्रह लोगों को लंबी-लंबी जेल सजाएँ हुई, चार को आजीवन कारावास का दंड मिला तथा रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खाँ समेत चार लोगों को फाँसी दे दी गई।
Incorrect
व्याख्याः अगस्त 1925 में क्रांतिकारी आतंकवादियों ने लखनऊ के पास काकोरी गाँव में चलती ट्रेन से सरकारी खजाने को लूट लिया गया। काकोरी षड्यंत्र केस में सत्रह लोगों को लंबी-लंबी जेल सजाएँ हुई, चार को आजीवन कारावास का दंड मिला तथा रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खाँ समेत चार लोगों को फाँसी दे दी गई।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsनीचे दिये गए घटनाक्रम को उनके कालानुक्रम के अनुसार व्यवस्थित करें तथा नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुने:1. काकोरी षड्यंत्र केस
2. बारदोली सत्याग्रह
3. चटगाँव सरकारी शस्त्रागार लूट
4. नौजवान भारत सभा की स्थापना
कूटःCorrect
व्याख्याः
- 9 अगस्त,1925 को क्रांतिकारी ने लखनऊ के पास काकोरी गाँव में रेलवे की तिजोरी को लूट लिया। इतिहास में यह घटना काकोरी कांड के नाम से जानी जाती है।
- 1926 में भगत सिंह ने पंजाब में नौजवान भारत सभा की स्थापना में भाग लिया था और इसके प्रथम सचिव बने थे।
- गुजरात के किसानों ने मालगुज़ारी बढ़ाने के सरकारी प्रयासों का विरोध किया। 1928 में सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में किसानों ने टैक्स न देने का आंदोलन चलाया जो बारदोली सत्याग्रह के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
- बंगाल के चटगाँव में 1930 में मास्टर सूर्यसेन के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने सरकारी शास्त्रागार पर योजनाबद्ध ढंग से छापा मारकर उसे लूट लिया था।
Incorrect
व्याख्याः
- 9 अगस्त,1925 को क्रांतिकारी ने लखनऊ के पास काकोरी गाँव में रेलवे की तिजोरी को लूट लिया। इतिहास में यह घटना काकोरी कांड के नाम से जानी जाती है।
- 1926 में भगत सिंह ने पंजाब में नौजवान भारत सभा की स्थापना में भाग लिया था और इसके प्रथम सचिव बने थे।
- गुजरात के किसानों ने मालगुज़ारी बढ़ाने के सरकारी प्रयासों का विरोध किया। 1928 में सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में किसानों ने टैक्स न देने का आंदोलन चलाया जो बारदोली सत्याग्रह के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
- बंगाल के चटगाँव में 1930 में मास्टर सूर्यसेन के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने सरकारी शास्त्रागार पर योजनाबद्ध ढंग से छापा मारकर उसे लूट लिया था।
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. साइमन कमीशन के विरोध के दौरान लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई थी।
2. 1929 को भगत सिंह एवं रामप्रसाद बिस्मिल ने केंद्रीय विधानसभा (सेन्ट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली में बम फेंका)।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। 30अक्तूबर,1928 को साइमन कमीशन विरोधी एक प्रदर्शन पर पुलिस के बर्बर लाठी चार्ज के कारण पंजाब के महान नेता लाला लाजपत राय शहीद हो गए। 17 दिसंबर,1928 को भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद और राजगुरु ने लाठी चार्ज का नेतृत्व करने वाले ब्रिटिश पुलिस अधिकारी सांडर्स को गोलियों से भून दिया।
- दूसरा कथन असत्य है। हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र संघ के कार्यकर्त्ता भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने केंद्रीय विधानसभा में बम फेंका। बम से किसी को नुकसान नहीं पहुँचा क्योंकि क्रांतिकारियों का उद्देश्य किसी की हत्या करना नहीं था, बल्कि उनके एक पर्चे के अनुसार “बहरों को सुनाना” था।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। 30अक्तूबर,1928 को साइमन कमीशन विरोधी एक प्रदर्शन पर पुलिस के बर्बर लाठी चार्ज के कारण पंजाब के महान नेता लाला लाजपत राय शहीद हो गए। 17 दिसंबर,1928 को भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद और राजगुरु ने लाठी चार्ज का नेतृत्व करने वाले ब्रिटिश पुलिस अधिकारी सांडर्स को गोलियों से भून दिया।
- दूसरा कथन असत्य है। हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र संघ के कार्यकर्त्ता भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने केंद्रीय विधानसभा में बम फेंका। बम से किसी को नुकसान नहीं पहुँचा क्योंकि क्रांतिकारियों का उद्देश्य किसी की हत्या करना नहीं था, बल्कि उनके एक पर्चे के अनुसार “बहरों को सुनाना” था।
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Question 8 of 20
8. Question
1 points1929 के मेरठ षड्यंत्र केस के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः1. इस केस का संबंध भारतीय मज़दूर एवं कम्युनिस्ट नेताओं से है।
2. इस केस के तहत बंगाल के क्रांतिकारी सूर्यसेन को फाँसी दे दी गई।
3. इस केस के दौरान गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार की आलोचना करते हुए अनशन किया।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः केवल पहला कथन सत्य है। बीसवीं शताब्दी के दूसरे व तीसरे दशक के दौरान उभरते मज़दूर और कम्युनिस्ट आंदोलनों को ब्रिटिश सरकार ने बड़ी निर्ममता से कुचलने का प्रयास किया। मार्च 1929 में 31 प्रमुख मज़दूर और कम्युनिस्ट नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, इनमें तीन अंग्रेज़ भी थे। फिर इन पर चार वर्षों तक मुकदमा चलाया गया, जिसे मेरठ षड्यंत्र का मुकदमा कहा जाता है।
Incorrect
व्याख्याः केवल पहला कथन सत्य है। बीसवीं शताब्दी के दूसरे व तीसरे दशक के दौरान उभरते मज़दूर और कम्युनिस्ट आंदोलनों को ब्रिटिश सरकार ने बड़ी निर्ममता से कुचलने का प्रयास किया। मार्च 1929 में 31 प्रमुख मज़दूर और कम्युनिस्ट नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, इनमें तीन अंग्रेज़ भी थे। फिर इन पर चार वर्षों तक मुकदमा चलाया गया, जिसे मेरठ षड्यंत्र का मुकदमा कहा जाता है।
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Question 9 of 20
9. Question
1 points1927 में साइमन कमीशन के गठन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
Correct
व्याख्याः नवंबर 1927 में ब्रिटिश सरकार ने इंडियन स्टेट्यूटरी कमीशन का गठन किया, जिसे आमतौर पर इसके अध्यक्ष साइमन के नाम पर साइमन कमीशन कहा जाता है। इसका उद्देश्य 1919 के आगे संविधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करना था।
Incorrect
व्याख्याः नवंबर 1927 में ब्रिटिश सरकार ने इंडियन स्टेट्यूटरी कमीशन का गठन किया, जिसे आमतौर पर इसके अध्यक्ष साइमन के नाम पर साइमन कमीशन कहा जाता है। इसका उद्देश्य 1919 के आगे संविधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करना था।
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Question 10 of 20
10. Question
1 pointsसाइमन कमीशन के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. इस कमीशन के सभी सदस्य अंग्रेज़ थे।
2. कांग्रेस ने इस कमीशन का बहिष्कार किया था।
3. साइमन कमीशन के सहयोग के लिये बनाई गई कमेटी में डॉ. भीमराव अम्बेडकर एक सदस्य के रूप में शामिल थे।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- साइमन कमीशन के सभी सदस्य अंग्रेज़ थे। सभी वर्गों के भारतीयों ने इस घोषणा का विरोध किया। भारतीयों को सबसे अधिक इस बात का क्रोध था कि कमीशन में एक भी भारतीय को नहीं रखा गया था और इसके पीछे यह धारणा काम कर रही थी कि स्वशासन के लिये भारतीयों की योग्यता-अयोग्यता का फैसला विदेशी करेंगे।
- 1927 में कांग्रेस ने मद्रास अधिवेशन में घोषणा की कि वह ‘हर कदम पर और हर रूप में इस कमीशन के बहिष्कार’ का निर्णय करती है। मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा ने भी कांग्रेस के फैसले का समर्थन किया।
- साइमन कमीशन के साथ सहयोग करने के लिये बनाई गई कमेटी में डॉ. भीमराव अम्बेडकर भी एक सदस्य के रूप में शामिल थे।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- साइमन कमीशन के सभी सदस्य अंग्रेज़ थे। सभी वर्गों के भारतीयों ने इस घोषणा का विरोध किया। भारतीयों को सबसे अधिक इस बात का क्रोध था कि कमीशन में एक भी भारतीय को नहीं रखा गया था और इसके पीछे यह धारणा काम कर रही थी कि स्वशासन के लिये भारतीयों की योग्यता-अयोग्यता का फैसला विदेशी करेंगे।
- 1927 में कांग्रेस ने मद्रास अधिवेशन में घोषणा की कि वह ‘हर कदम पर और हर रूप में इस कमीशन के बहिष्कार’ का निर्णय करती है। मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा ने भी कांग्रेस के फैसले का समर्थन किया।
- साइमन कमीशन के साथ सहयोग करने के लिये बनाई गई कमेटी में डॉ. भीमराव अम्बेडकर भी एक सदस्य के रूप में शामिल थे।
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Question 11 of 20
11. Question
1 pointsकिन संगठनों के द्वारा 1928 में पेश नेहरू रिपोर्ट का विरोध किया गया?1. हिंदू महासभा
2. मुस्लिम लीग
3. सिख लीग
4. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
कूCorrect
व्याख्याः सभी महत्त्वपूर्ण भारतीय नेताओं और दलो ने परस्पर एकजुट होकर तथा संविधानिक सुधारों की एक वैकल्पिक योजना बनाकर साइमन कमीशन की चुनौती का जवाब देने का प्रयास किया। इसका परिणाम नेहरू रिपोर्ट के रूप में सामने आया। इसे अगस्त 1928 में अंतिम रूप दिया गया। दुर्भाग्य से कलकत्ता में 1928 में आयोजित सर्वदलीय सम्मेलन नेहरू रिपोर्ट को स्वीकार न कर सका। मुस्लिम लीग, हिंदू महासभा और सिख लीग जैसे सांप्रदायिक रुझान वाले संगठन के नेताओं ने इसका विरोध किया।
Incorrect
व्याख्याः सभी महत्त्वपूर्ण भारतीय नेताओं और दलो ने परस्पर एकजुट होकर तथा संविधानिक सुधारों की एक वैकल्पिक योजना बनाकर साइमन कमीशन की चुनौती का जवाब देने का प्रयास किया। इसका परिणाम नेहरू रिपोर्ट के रूप में सामने आया। इसे अगस्त 1928 में अंतिम रूप दिया गया। दुर्भाग्य से कलकत्ता में 1928 में आयोजित सर्वदलीय सम्मेलन नेहरू रिपोर्ट को स्वीकार न कर सका। मुस्लिम लीग, हिंदू महासभा और सिख लीग जैसे सांप्रदायिक रुझान वाले संगठन के नेताओं ने इसका विरोध किया।
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Question 12 of 20
12. Question
1 points1929 के कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः1. इस अधिवेशन की अध्यक्षता मोतीलाल नेहरू ने की थी।
2. इस अधिवेशन के दौरान पूर्ण स्वराज को कांग्रेस का उद्देश्य घोषित किया गया।
3. लाहौर अधिवेशन के दौरान 26 जनवरी, 1930 को पहला स्वाधीनता दिवस घोषित किया गया।
उपरोक्त में से कौन-से कथन सत्य हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। 1929 के ऐतिहासिक लाहौर अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था।
- दूसरा कथन सत्य है। लाहौर अधिवेशन में पारित एक प्रस्ताव ने पूर्ण स्वराज को कांग्रेस का उद्देश्य घोषित किया।
- तीसरा कथन सत्य है। इस अधिवेशन के दौरान 26 जनवरी, 1930 को पहला स्वाधीनता दिवस घोषित किया गया। उसके बाद यह दिवस हर साल मनाया जाने लगा, जब लोग यह शपथ लेते थे कि ब्रिटिश शासन की अधीनता अब और आगे स्वीकार करना मानवता और ईश्वर के प्रति अपराध होगा।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। 1929 के ऐतिहासिक लाहौर अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था।
- दूसरा कथन सत्य है। लाहौर अधिवेशन में पारित एक प्रस्ताव ने पूर्ण स्वराज को कांग्रेस का उद्देश्य घोषित किया।
- तीसरा कथन सत्य है। इस अधिवेशन के दौरान 26 जनवरी, 1930 को पहला स्वाधीनता दिवस घोषित किया गया। उसके बाद यह दिवस हर साल मनाया जाने लगा, जब लोग यह शपथ लेते थे कि ब्रिटिश शासन की अधीनता अब और आगे स्वीकार करना मानवता और ईश्वर के प्रति अपराध होगा।
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsकांग्रेस के किस अधिवेशन के दौरान दूसरा नागरिक अवज्ञा आंदोलन (सविनय अवज्ञा आंदोलन) शुरू करने का निर्णय लिया गया तथा पूरे कांग्रेस संगठन को गांधीजी की आज्ञा के अधीन कर दिया गया?
Correct
व्याख्याः 1929 के लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस ने एक नागरिक अवज्ञा आंदोलन छेड़ने की घोषणा की। लेकिन कांग्रेस ने संघर्ष का कोई कार्यक्रम तैयार नहीं किया, यह काम महात्मा गांधी पर छोड़ दिया गया और पूरे कांग्रेस संगठन को उनकी आज्ञा के अधीन कर दिया गया। गांधीजी के नेतृत्व में राष्ट्रीय आंदोलन एक बार फिर ब्रिटिश सरकार से मुकाबला करने को खड़ा हुआ।
Incorrect
व्याख्याः 1929 के लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस ने एक नागरिक अवज्ञा आंदोलन छेड़ने की घोषणा की। लेकिन कांग्रेस ने संघर्ष का कोई कार्यक्रम तैयार नहीं किया, यह काम महात्मा गांधी पर छोड़ दिया गया और पूरे कांग्रेस संगठन को उनकी आज्ञा के अधीन कर दिया गया। गांधीजी के नेतृत्व में राष्ट्रीय आंदोलन एक बार फिर ब्रिटिश सरकार से मुकाबला करने को खड़ा हुआ।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsभारतीय इतिहास में 12 मार्च, 1930 की तिथि जानी जाती है-
Correct
व्याख्याः दूसरा नागरिक अवज्ञा आंदोलन अर्थात् सविनय अवज्ञा आंदोलन 12 मार्च, 1930 को गांधीजी के प्रसिद्ध दांडी मार्च के साथ आरंभ हुआ।
Incorrect
व्याख्याः दूसरा नागरिक अवज्ञा आंदोलन अर्थात् सविनय अवज्ञा आंदोलन 12 मार्च, 1930 को गांधीजी के प्रसिद्ध दांडी मार्च के साथ आरंभ हुआ।
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Question 15 of 20
15. Question
1 pointsनीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः1. गांधीजी ने दांडी मार्च की शुरुआत वर्धा आश्रम से की थी।
2. 6 अप्रैल, 1930 को गांधीजी गुजरात के तट पर पहुँचकर नमक कानून का उल्लंघन किया।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन गलत है। 12 मार्च, 1930 को महात्मा गांधी अपने 78 चुने हुए अनुयायियों के साथ साबरमती आश्रम से अपना ऐतिहासिक दांडी मार्च प्रारंभ किया।
- दूसरा कथन सत्य है। गांधीजी 5 अप्रैल, 1930 को लगभग 375 किलोमीटर लंबी पद-यात्रा के बाद गुजरात के समुद्र तट पर स्थित दांडी गाँव पहुँचे। गांधीजी ने 6 अप्रैल को समुद्र तट से मुट्ठी भर नमक उठाया और नमक कानून को तोड़ा। इसके बाद आंदोलन तेज़ी से फैला और पूरे देश में नमक कानून तोड़े गए।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन गलत है। 12 मार्च, 1930 को महात्मा गांधी अपने 78 चुने हुए अनुयायियों के साथ साबरमती आश्रम से अपना ऐतिहासिक दांडी मार्च प्रारंभ किया।
- दूसरा कथन सत्य है। गांधीजी 5 अप्रैल, 1930 को लगभग 375 किलोमीटर लंबी पद-यात्रा के बाद गुजरात के समुद्र तट पर स्थित दांडी गाँव पहुँचे। गांधीजी ने 6 अप्रैल को समुद्र तट से मुट्ठी भर नमक उठाया और नमक कानून को तोड़ा। इसके बाद आंदोलन तेज़ी से फैला और पूरे देश में नमक कानून तोड़े गए।
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Question 16 of 20
16. Question
1 pointsसविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान किन स्थानों पर लोगों ने जंगल कानून को तोड़कर अपना विरोध प्रदर्शित किया?1. महाराष्ट्र
2. कर्नाटक
3. असम
4. मध्य भारत
कूटCorrect
व्याख्याः सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य भारत में लोगों ने जंगल कानून तोड़कर अपना विरोध प्रदर्शित किया।
Incorrect
व्याख्याः सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य भारत में लोगों ने जंगल कानून तोड़कर अपना विरोध प्रदर्शित किया।
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Question 17 of 20
17. Question
1 pointsसविनय अवज्ञा आंदोलन के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः1. इस आंदोलन के दौरान पूर्वी भारत की जनता ने चौकीदारी कर अदा करने से मना कर दिया।
2. इस आंदोलन में महिलाओं की बड़े पैमाने पर सक्रिय सहभागिता रही।
3. इस आंदोलन के दौरान रानी गैडिन्ल्यू ने पूर्वोत्तर भारत में ब्रिटिश विरोध की कमान संभाली।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान पूर्वी भारत में ग्रामीण जनता ने चौकीदारी कर अदा करने से इनकार कर दिया। देश में हर जगह जनता हड़तालों, प्रदर्शनों और विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार में भाग लेने लगी और कर अदा करने से इनकार करने लगी।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन की एक प्रमुख विशेषता स्त्रियों की भागीदारी थी। हज़ारों स्त्रियाँ घरों से बाहर निकलीं और सत्याग्रह में भाग लिया। विदेशी वस्त्र या शराब बेचने वाली दुकानों पर धरना देने में उनकी सक्रिय भूमिका रही।
- इसी तरह आंदोलन की गूंज देश के एकदम पूर्वी कोनों में सुनाई पड़ी। इसमें मणिपुरी जनता की बहादुरी से भरपूर भागीदारी रही। नागालैंड की रानी गैडिन्ल्यू ने पूर्वोत्तर भारत में इस आंदोलन की कमान संभाली।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान पूर्वी भारत में ग्रामीण जनता ने चौकीदारी कर अदा करने से इनकार कर दिया। देश में हर जगह जनता हड़तालों, प्रदर्शनों और विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार में भाग लेने लगी और कर अदा करने से इनकार करने लगी।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन की एक प्रमुख विशेषता स्त्रियों की भागीदारी थी। हज़ारों स्त्रियाँ घरों से बाहर निकलीं और सत्याग्रह में भाग लिया। विदेशी वस्त्र या शराब बेचने वाली दुकानों पर धरना देने में उनकी सक्रिय भूमिका रही।
- इसी तरह आंदोलन की गूंज देश के एकदम पूर्वी कोनों में सुनाई पड़ी। इसमें मणिपुरी जनता की बहादुरी से भरपूर भागीदारी रही। नागालैंड की रानी गैडिन्ल्यू ने पूर्वोत्तर भारत में इस आंदोलन की कमान संभाली।
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Question 18 of 20
18. Question
1 points“खुदाई खिदमतगार संगठन” के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः1. इस संगठन के नेतृत्वकर्त्ता खान अब्दुल गफ्फार खान थे।
2. यह संगठन भारत के उत्तर पश्चिमी क्षेत्र के अशरफ़ों के द्वारा बनाया गया था।
3. इस संगठन के लोग हिंसक प्रदर्शनों एवं कार्यवाहियों के द्वारा स्वाधीनता आंदोलन में सम्मिलित थे।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है।Correct
व्याख्याः केवल पहला कथन सत्य है तथा दूसरा एवं तीसरा कथन असत्य है। सविनय अवज्ञा आंदोलन बढ़कर भारत के एकदम उत्तर-पश्चिमी छोर तक पहुँच गया और बहादुर और शेरदिल पठानों में जोश भर दिया। “सीमांत गांधी” के नाम से प्रख्यात खान अब्दुल गफ्फार खान के नेतृत्व में पठानों ने खुदाई खिदमतगार (ईश्वर के सेवक) नामक संगठन बनाया जो जनता के बीच “लाल कुर्ती वाले” कहलाते थे। ये लोग अहिंसा के द्वारा स्वाधीनता संघर्ष को समर्पित थे।
Incorrect
व्याख्याः केवल पहला कथन सत्य है तथा दूसरा एवं तीसरा कथन असत्य है। सविनय अवज्ञा आंदोलन बढ़कर भारत के एकदम उत्तर-पश्चिमी छोर तक पहुँच गया और बहादुर और शेरदिल पठानों में जोश भर दिया। “सीमांत गांधी” के नाम से प्रख्यात खान अब्दुल गफ्फार खान के नेतृत्व में पठानों ने खुदाई खिदमतगार (ईश्वर के सेवक) नामक संगठन बनाया जो जनता के बीच “लाल कुर्ती वाले” कहलाते थे। ये लोग अहिंसा के द्वारा स्वाधीनता संघर्ष को समर्पित थे।
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Question 19 of 20
19. Question
1 points1930 में ब्रिटिश सरकार द्वारा लंदन में भारतीय नेताओं और सरकारी प्रवक्ताओं का पहला गोलमेज़ सम्मेलन किस उद्देश्य हेतु आयोजित किया गया था?
Correct
व्याख्याः 1930 में ब्रिटिश सरकार ने लंदन में भारतीय नेताओं और सरकारी प्रवक्ताओं का पहला गोलमेज़ सम्मेलन आयोजित किया। इसका उद्देश्य साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर विचार करना था।
Incorrect
व्याख्याः 1930 में ब्रिटिश सरकार ने लंदन में भारतीय नेताओं और सरकारी प्रवक्ताओं का पहला गोलमेज़ सम्मेलन आयोजित किया। इसका उद्देश्य साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर विचार करना था।
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Question 20 of 20
20. Question
1 pointsप्रांतों में उत्तरदायी शासन की स्थापना के लिये द्वैध शासन की शुरुआत हुई-
Correct
व्याख्याः 1919 के भारत सरकार अधिनियम के द्वारा प्रांतों में उत्तरदायी सरकार की स्थापना के लिये द्वैध शासन की शुरुआत हुई। दोहरी शासन प्रणाली के तहत प्रांतीय सरकारों को अधिक अधिकार दिये गए।
Incorrect
व्याख्याः 1919 के भारत सरकार अधिनियम के द्वारा प्रांतों में उत्तरदायी सरकार की स्थापना के लिये द्वैध शासन की शुरुआत हुई। दोहरी शासन प्रणाली के तहत प्रांतीय सरकारों को अधिक अधिकार दिये गए।