आधुनिक भारत टेस्ट 14
आधुनिक भारत टेस्ट 14
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न एन.सी.ई.आर.टी. पर आधारित है|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsहैदरअली के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. वह अशिक्षित था।
2. वह एक कुशल प्रशासक था।
3. उसने फ्राँसीसियों की सहायता से डिंडिगुल में एक आधुनिक शस्त्रागार स्थापित किया।
4. द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध में उसने अंग्रेज़ों को बुरी तरह पराजित किया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?Correct
व्याख्याः
- दक्षिण भारत में हैदराबाद के पास हैदरअली के अधीन मैसूर का उदय हुआ।
- हैदरअली पढ़ा-लिखा न होने के बावजूद बहुत ही कुशल प्रशासक था। अपने राज्य में मुगल शासन प्रणाली तथा राजस्व व्यवस्था उसी ने लागू की थी।
- वर्ष 1755 में डिंडिगुल में उसने एक आधुनिक शस्त्रागार स्थापित किया। इसमें उसने फ्राँसीसी विशेषज्ञों की मदद ली।
- उसने 1769 में अंग्रेज़ी फौजों को बार-बार हराया और मद्रास के पास तक पहुँच गया, परंतु द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध के दौरान 1782 में वह मारा गया। उसके स्थान पर उसका बेटा टीपू गद्दी पर बैठा।
Incorrect
व्याख्याः
- दक्षिण भारत में हैदराबाद के पास हैदरअली के अधीन मैसूर का उदय हुआ।
- हैदरअली पढ़ा-लिखा न होने के बावजूद बहुत ही कुशल प्रशासक था। अपने राज्य में मुगल शासन प्रणाली तथा राजस्व व्यवस्था उसी ने लागू की थी।
- वर्ष 1755 में डिंडिगुल में उसने एक आधुनिक शस्त्रागार स्थापित किया। इसमें उसने फ्राँसीसी विशेषज्ञों की मदद ली।
- उसने 1769 में अंग्रेज़ी फौजों को बार-बार हराया और मद्रास के पास तक पहुँच गया, परंतु द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध के दौरान 1782 में वह मारा गया। उसके स्थान पर उसका बेटा टीपू गद्दी पर बैठा।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. समय के साथ बदलने की उसकी इच्छा के प्रतीक थे- एक नए कैलेंडर को लागू करना, सिक्का ढलाई की नई प्रणाली काम में लाना तथा माप-तौल के नए पैमानों को अपनाना।
2. उसकी एक अत्यंत प्रिय उक्ति थी कि “एक शेर की तरह एक दिन जीना बेहतर है, लेकिन भेड़ की तरह लंबी ज़िंदगी जीना अच्छा नहीं है।”
उपर्युक्त दोनों कथन निम्नलिखित में से किस शासक से संबंधित हैं?Correct
व्याख्याः
- उपर्युक्त दोनों ही विशेषताएँ टीपू सुल्तान के विषय में हैं। अतः वह समय के साथ चलने वाला बहादुर और निर्भीक शासक था।
टीपू के विषय में कुछ अन्य बातें निम्नलिखित हैं-
→ उसे फ्राँसीसी क्रांति में गहरी दिलचस्पी थी। उसने श्रीरंगपट्टम में ‘स्वतंत्रता-वृक्ष’ लगाया और जैकोबिन क्लब का सदस्य भी बना।
→उसने वर्ष 1796 के बाद एक आधुनिक नौसेना खड़ी करने की भी कोशिश की थी।
→उसके समय मैसूर का किसान ब्रिटिश शासित राज्य मद्रास के किसान की तुलना में बहुत अधिक संपन्न और खुशहाल था।
→अंतिम आंग्ल-मैसूर युद्ध (1799) में वह श्रीरंगपट्टम के द्वार पर लड़ता हुआ मारा गया।Incorrect
व्याख्याः
- उपर्युक्त दोनों ही विशेषताएँ टीपू सुल्तान के विषय में हैं। अतः वह समय के साथ चलने वाला बहादुर और निर्भीक शासक था।
टीपू के विषय में कुछ अन्य बातें निम्नलिखित हैं-
→ उसे फ्राँसीसी क्रांति में गहरी दिलचस्पी थी। उसने श्रीरंगपट्टम में ‘स्वतंत्रता-वृक्ष’ लगाया और जैकोबिन क्लब का सदस्य भी बना।
→उसने वर्ष 1796 के बाद एक आधुनिक नौसेना खड़ी करने की भी कोशिश की थी।
→उसके समय मैसूर का किसान ब्रिटिश शासित राज्य मद्रास के किसान की तुलना में बहुत अधिक संपन्न और खुशहाल था।
→अंतिम आंग्ल-मैसूर युद्ध (1799) में वह श्रीरंगपट्टम के द्वार पर लड़ता हुआ मारा गया। -
Question 3 of 20
3. Question
1 pointsसूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिये तथा नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनियेः
सूची-I
(क्षेत्र)सूची-II
(शासक)A. त्रावणकोर राज्य 1. राजा मार्तंड वर्मा B. आमेर 2. जय सिंह C. जाट राज्य 3.सूरजमल D. रुहेलखंड 4. अली मुहम्मद खाँ कूटः
Correct
व्याख्याः
- 1729 के बाद अठारहवीं सदी में एक अग्रणी राजनेता राजा मार्तंड वर्मा के नेतृत्व में त्रावणकोर राज्य खड़ा हुआ। राजा मार्तंड ने डच लोगों को हराकर केरल में उनकी राजनीतिक सत्ता खत्म कर दी। सदी के उत्तरार्द्ध में त्रावणकोर की राजधानी त्रिवेंद्रम संस्कृत विद्वता का एक प्रसिद्ध केंद्र बन गई। मार्तंड वर्मा का उत्तराधिकारी राम वर्मा था जो स्वयं कवि, विद्वान, संगीतज्ञ, प्रसिद्ध अभिनेता और सुसंस्कृत व्यक्ति था।
- आमेर का सवाई जयसिंह (1681-1743) अठारहवीं सदी का सबसे श्रेष्ठ राजपूत शासक था। वह विख्यात राजनेता, महान खगोलशास्त्री तथा समाज सुधारक था। उसने जाटों से लिये गए इलाके में जयपुर शहर की स्थापना की और उसे विज्ञान एवं कला का महान केंद्र बना दिया। उसने दिल्ली, जयपुर, उज्जैन और मथुरा में पर्यवेक्षणशालाएँ बनाईं। उसने युक्लिड की ‘रेखागणित के तत्त्व’ तथा त्रिकोणमिति की बहुत सी कृतियों और लघुगणकों को बनाने और उनके इस्तेमाल संबंधी नेपियर की रचना का अनुवाद संस्कृत में कराया।
- खेतिहरों की एक जाति जाट है। जाट दिल्ली, आगरा और मथुरा के इर्द-गिर्द के इलाके में रहते थे। औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद जाटों द्वारा किया गया विद्रोह ज़मींदारों के नेतृत्व में मूलतः एक कृषक विद्रोह था, मगर जल्दी ही वह लूटमार तक सीमित हो गया। भरतपुर के जाट राज्य की स्थापना चूरामन और बदन सिंह ने की। जाट सत्ता सूरजमल के नेतृत्व में अपनी उच्चतम गरिमा पर पहुँची। सूरजमल ने 1756 से 1763 तक शासन किया।
- नादिरशाह के आक्रमण के बाद प्रशासन के ठप हो जाने पर अली मुहम्मद खाँ ने रुहेलखंड नामक राज्य स्थापित किया। यह राज्य दक्षिण में हिमालय की तराई में स्थित गंगा और उत्तर में कुमायूँ की पहाड़ियों तक फैला हुआ था। इसकी राजधानी पहले बरेली में आंवला थी और बाद में रामपुर बनी।
Incorrect
व्याख्याः
- 1729 के बाद अठारहवीं सदी में एक अग्रणी राजनेता राजा मार्तंड वर्मा के नेतृत्व में त्रावणकोर राज्य खड़ा हुआ। राजा मार्तंड ने डच लोगों को हराकर केरल में उनकी राजनीतिक सत्ता खत्म कर दी। सदी के उत्तरार्द्ध में त्रावणकोर की राजधानी त्रिवेंद्रम संस्कृत विद्वता का एक प्रसिद्ध केंद्र बन गई। मार्तंड वर्मा का उत्तराधिकारी राम वर्मा था जो स्वयं कवि, विद्वान, संगीतज्ञ, प्रसिद्ध अभिनेता और सुसंस्कृत व्यक्ति था।
- आमेर का सवाई जयसिंह (1681-1743) अठारहवीं सदी का सबसे श्रेष्ठ राजपूत शासक था। वह विख्यात राजनेता, महान खगोलशास्त्री तथा समाज सुधारक था। उसने जाटों से लिये गए इलाके में जयपुर शहर की स्थापना की और उसे विज्ञान एवं कला का महान केंद्र बना दिया। उसने दिल्ली, जयपुर, उज्जैन और मथुरा में पर्यवेक्षणशालाएँ बनाईं। उसने युक्लिड की ‘रेखागणित के तत्त्व’ तथा त्रिकोणमिति की बहुत सी कृतियों और लघुगणकों को बनाने और उनके इस्तेमाल संबंधी नेपियर की रचना का अनुवाद संस्कृत में कराया।
- खेतिहरों की एक जाति जाट है। जाट दिल्ली, आगरा और मथुरा के इर्द-गिर्द के इलाके में रहते थे। औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद जाटों द्वारा किया गया विद्रोह ज़मींदारों के नेतृत्व में मूलतः एक कृषक विद्रोह था, मगर जल्दी ही वह लूटमार तक सीमित हो गया। भरतपुर के जाट राज्य की स्थापना चूरामन और बदन सिंह ने की। जाट सत्ता सूरजमल के नेतृत्व में अपनी उच्चतम गरिमा पर पहुँची। सूरजमल ने 1756 से 1763 तक शासन किया।
- नादिरशाह के आक्रमण के बाद प्रशासन के ठप हो जाने पर अली मुहम्मद खाँ ने रुहेलखंड नामक राज्य स्थापित किया। यह राज्य दक्षिण में हिमालय की तराई में स्थित गंगा और उत्तर में कुमायूँ की पहाड़ियों तक फैला हुआ था। इसकी राजधानी पहले बरेली में आंवला थी और बाद में रामपुर बनी।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsसिखों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. सिख धर्म की शुरुआत गुरु नानक ने की।
2. सिखों को लड़ाकू समुदाय के रूप में बदलने का काम गुरु हरगोविंद ने शुरू किया।
3. अपने आखिरी गुरु गोविंद सिंह के नेतृत्व में सिख एक राजनीतिक और फौजी ताकत बने।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सही हैं। सिख धर्म की शुरुआत गुरु नानक ने पंद्रहवीं शताब्दी में की। यह पंजाब के जाट किसानों तथा अन्य छोटी जातियों में फैल गया। वहीं लड़ाकू समुदाय के रूप में सिखों को बदलने का काम गुरु हर गोविंद (1606-1645) ने आरंभ किया। मगर अपने दशवें और आखिरी गुरु गोविंद सिंह (1666-1708) के नेतृत्व में सिख एक राजनीतिक और फौजी ताकत बने। औरंगज़ेब की फौजों और पहाड़ी राजाओं के खिलाफ 1699 से लेकर गुरु गोविंद सिंह ने लगातार लड़ाइयाँ कीं।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सही हैं। सिख धर्म की शुरुआत गुरु नानक ने पंद्रहवीं शताब्दी में की। यह पंजाब के जाट किसानों तथा अन्य छोटी जातियों में फैल गया। वहीं लड़ाकू समुदाय के रूप में सिखों को बदलने का काम गुरु हर गोविंद (1606-1645) ने आरंभ किया। मगर अपने दशवें और आखिरी गुरु गोविंद सिंह (1666-1708) के नेतृत्व में सिख एक राजनीतिक और फौजी ताकत बने। औरंगज़ेब की फौजों और पहाड़ी राजाओं के खिलाफ 1699 से लेकर गुरु गोविंद सिंह ने लगातार लड़ाइयाँ कीं।
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Question 5 of 20
5. Question
1 pointsमहाराजा रणजीत सिंह के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. इन्होंने सतलुज नदी के पश्चिम के सभी सिख प्रधानों को अपने अधीन कर पंजाब में अपना राज्य कायम किया।
2. इन्होंने जीते हुए क्षेत्रों में मुगल भू-राजस्व व्यवस्था के स्थान पर एक नई व्यवस्था आरंभ की।
3. इनकी फौज में केवल सिख लोग ही शामिल थे।उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। 18वीं सदी के अंत में सुकेरचकिया मिसल के प्रधान रणजीत सिंह ने प्रमुखता प्राप्त कर ली थी। वह एक ताकतवर, साहसी सैनिक, कुशल प्रशासक तथा चतुर कूटनीतिज्ञ थे। उन्होंने 1799 में लाहौर तथा 1802 में अमृतसर पर कब्ज़ा कर लिया था। उन्होंने सतलुज नदी के पश्चिम के सभी सिख प्रधानों को अपने अधीन कर लिया और पंजाब में अपना राज्य कायम किया।
- दूसरा कथन गलत है। इन्होंने अपने जीते हुए प्रदेशों में मुगलों द्वारा लागू की गई भू-राजस्व व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं किया। भू-राजस्व का हिसाब 50 प्रतिशत सकल उत्पादन के आधार पर लगाया गया।
- तीसरा कथन भी गलत है। रणजीत सिंह की फौज केवल सिखों तक सीमित नहीं थी, बल्कि इन्होंने गोरखा, बिहारी, उड़िया, पठान, डोगरा तथा पंजाबी मुसलमानों को भी अपनी सेना में भर्ती किया। रणजीत सिंह ने यूरोपीय प्रशिक्षकों की सहायता से यूरोपीय ढर्रे/पद्धति पर शक्तिशाली, अनुशासित और सुसज्जित फौज़ तैयार की।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। 18वीं सदी के अंत में सुकेरचकिया मिसल के प्रधान रणजीत सिंह ने प्रमुखता प्राप्त कर ली थी। वह एक ताकतवर, साहसी सैनिक, कुशल प्रशासक तथा चतुर कूटनीतिज्ञ थे। उन्होंने 1799 में लाहौर तथा 1802 में अमृतसर पर कब्ज़ा कर लिया था। उन्होंने सतलुज नदी के पश्चिम के सभी सिख प्रधानों को अपने अधीन कर लिया और पंजाब में अपना राज्य कायम किया।
- दूसरा कथन गलत है। इन्होंने अपने जीते हुए प्रदेशों में मुगलों द्वारा लागू की गई भू-राजस्व व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं किया। भू-राजस्व का हिसाब 50 प्रतिशत सकल उत्पादन के आधार पर लगाया गया।
- तीसरा कथन भी गलत है। रणजीत सिंह की फौज केवल सिखों तक सीमित नहीं थी, बल्कि इन्होंने गोरखा, बिहारी, उड़िया, पठान, डोगरा तथा पंजाबी मुसलमानों को भी अपनी सेना में भर्ती किया। रणजीत सिंह ने यूरोपीय प्रशिक्षकों की सहायता से यूरोपीय ढर्रे/पद्धति पर शक्तिशाली, अनुशासित और सुसज्जित फौज़ तैयार की।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. रणजीत सिंह ने पंजाब को पूर्णतः सिख राज्य में तब्दील कर दिया था।
2. 19 वीं सदी के आरंभ में अंग्रेज़ों द्वारा सतलुज नदी के पूर्व के सिख राज्यों को अपने संरक्षण में लेने का रणजीत सिंह ने सशस्त्र संघर्ष के द्वारा विरोध प्रकट किया।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन असत्य हैं।
- रणजीत सिंह धर्म के मामले में सहनशील तथा उदारवादी थे। वे न केवल सिख बल्कि मुसलमान संतों को भी आदर, सम्मान और संरक्षण देते थे। धर्मपरायण सिख होते हुए भी यह कहा जाता है। कि वे ‘अपने सिंहासन से उतरकर मुसलमान फकीरों के पैर की धूल अपनी लंबी सफेद दाढ़ी से झाड़ते थे।’ वस्तुतः किसी भी दृष्टि से रणजीत सिंह द्वारा शासित पंजाब एक सिख राज्य नहीं था।
- जब 1809 में अंग्रेज़ों ने रणजीत सिंह को सतलुज नदी पार करने से मना कर दिया और नदी के पूरब के सिख राज्यों को अपने संरक्षण में ले लिया, तब उन्होंने चुप्पी साध ली, क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि उनके पास अंग्रेज़ों से मुकाबला करने की शक्ति नहीं है। इस प्रकार उन्होंने अपने राज्य को अंग्रेज़ों के अतिक्रमण से बचा लिया। मगर वह विदेशी खतरे को हटा नहीं सके तथा उस खतरे को अपने उत्तराधिकारियों के लिये छोड़ दिया।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन असत्य हैं।
- रणजीत सिंह धर्म के मामले में सहनशील तथा उदारवादी थे। वे न केवल सिख बल्कि मुसलमान संतों को भी आदर, सम्मान और संरक्षण देते थे। धर्मपरायण सिख होते हुए भी यह कहा जाता है। कि वे ‘अपने सिंहासन से उतरकर मुसलमान फकीरों के पैर की धूल अपनी लंबी सफेद दाढ़ी से झाड़ते थे।’ वस्तुतः किसी भी दृष्टि से रणजीत सिंह द्वारा शासित पंजाब एक सिख राज्य नहीं था।
- जब 1809 में अंग्रेज़ों ने रणजीत सिंह को सतलुज नदी पार करने से मना कर दिया और नदी के पूरब के सिख राज्यों को अपने संरक्षण में ले लिया, तब उन्होंने चुप्पी साध ली, क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि उनके पास अंग्रेज़ों से मुकाबला करने की शक्ति नहीं है। इस प्रकार उन्होंने अपने राज्य को अंग्रेज़ों के अतिक्रमण से बचा लिया। मगर वह विदेशी खतरे को हटा नहीं सके तथा उस खतरे को अपने उत्तराधिकारियों के लिये छोड़ दिया।
-
Question 7 of 20
7. Question
1 pointsशिवाजी के पोते साहू और कोल्हापुर में रहने वाली उसकी चाची ताराबाई के बीच हुए गृहयुद्ध ने मराठा शासन में एक नई व्यवस्था को जन्म दिया। इस व्यवस्था के तहत मराठा साम्राज्य में कौन-सा परिवर्तन दिखाई देता है-
Correct
व्याख्याः
शिवाजी के पोते साहू को जब 1707 में औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद रिहा किया गया, तब जल्दी ही उसके और कोल्हापुर में रहने वाली उसकी चाची ताराबाई के बीच गृहयुद्ध छिड़ गया। इस झगड़े के फलस्वरूप मराठा शासन में एक नई व्यवस्था ने जन्म लिया जिसका नेता राजा साहू का पेशवा बालाजी विश्वनाथ था। इस परिवर्तन के साथ मराठा इतिहास में पेशवा आधिपत्य का नया काल प्रारंभ हुआ, जिसमें मराठा राज्य एक साम्राज्य के रूप में बदल गया। वस्तुतः बालाजी विश्वनाथ तथा उनका बेटा बाजीराव प्रथम ने पेशवा को मराठा साम्राज्य का कार्यकारी प्रधान बना दिया।Incorrect
व्याख्याः
शिवाजी के पोते साहू को जब 1707 में औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद रिहा किया गया, तब जल्दी ही उसके और कोल्हापुर में रहने वाली उसकी चाची ताराबाई के बीच गृहयुद्ध छिड़ गया। इस झगड़े के फलस्वरूप मराठा शासन में एक नई व्यवस्था ने जन्म लिया जिसका नेता राजा साहू का पेशवा बालाजी विश्वनाथ था। इस परिवर्तन के साथ मराठा इतिहास में पेशवा आधिपत्य का नया काल प्रारंभ हुआ, जिसमें मराठा राज्य एक साम्राज्य के रूप में बदल गया। वस्तुतः बालाजी विश्वनाथ तथा उनका बेटा बाजीराव प्रथम ने पेशवा को मराठा साम्राज्य का कार्यकारी प्रधान बना दिया। -
Question 8 of 20
8. Question
1 pointsऔरंगज़ेब का मकबरा निम्नलिखित में से कहाँ स्थित है?
Correct
व्याख्याः
- औरंगज़ेब का मकबरा – खुलदाबाद (महाराष्ट्र)
- एतमादुद्दौला का मकबरा – आगरा
- शेख सलीम चिश्ती का मकबरा – फतेहपुर सीकरी
- अब्दुर्रहीम खानखाना का मकबरा – दिल्ली
Incorrect
व्याख्याः
- औरंगज़ेब का मकबरा – खुलदाबाद (महाराष्ट्र)
- एतमादुद्दौला का मकबरा – आगरा
- शेख सलीम चिश्ती का मकबरा – फतेहपुर सीकरी
- अब्दुर्रहीम खानखाना का मकबरा – दिल्ली
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Question 9 of 20
9. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. बाजीराव प्रथम को ‘शिवाजी के बाद गुरिल्ला युद्ध का सबसे बड़ा प्रतिपादक’ कहा गया है।
2. बाजीराव प्रथम के समय दक्कन के प्रांत भी ‘चौथ और सरदेशमुखी’ कर मराठों को देते थे।
3. बाजीराव प्रथम ने पुर्तगालियों के पश्चिमी तट के इलाकों को भी अपने कब्ज़े में ले लिया था।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। बालाजी विश्वनाथ की 1720 में मृत्यु हो गई उनकी जगह उनका 20 वर्षीय बेटा बाजीराव प्रथम पेशवा बना। वह युवा होने के बावजूद एक निर्भीक और प्रतिभावना सेनापति तथा महत्त्वाकांक्षी राजनेता था। उसे शिवाजी के बाद गुरिल्ला युद्ध का सबसे बड़ा प्रतिपादक कहा गया है। बाजीराव ने पहले मुगल अधिकारियों को विशाल इलाके से चौथ वसूल करने का अधिकार देने और फिर वे इलाके मराठा राज्य को सौंप देने के लिये मजबूर किया।
- दूसरा कथन भी सत्य है। बाजीराव और दक्कन का निज़ाम उल-मुल्क दो बार लड़ाई के मैदान में मिले और दोनों बार निज़ाम को मुँह की खानी पड़ी और उसे दक्कन प्रांत का चौथ और सरदेशमुखी मराठों को देने के लिये मजबूर होना पड़ा।
- तीसरा कथन गलत है। बाजीराव ने पुर्तगालियों के खिलाफ भी अभियान आरंभ किया। अंत में सिलहट और बसई (बस्लीन) पर कब्ज़ा कर लिया गया मगर पश्चिमी तट पर पुर्तगालियों का अपने इलाकों पर कब्ज़ा बना रहा।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। बालाजी विश्वनाथ की 1720 में मृत्यु हो गई उनकी जगह उनका 20 वर्षीय बेटा बाजीराव प्रथम पेशवा बना। वह युवा होने के बावजूद एक निर्भीक और प्रतिभावना सेनापति तथा महत्त्वाकांक्षी राजनेता था। उसे शिवाजी के बाद गुरिल्ला युद्ध का सबसे बड़ा प्रतिपादक कहा गया है। बाजीराव ने पहले मुगल अधिकारियों को विशाल इलाके से चौथ वसूल करने का अधिकार देने और फिर वे इलाके मराठा राज्य को सौंप देने के लिये मजबूर किया।
- दूसरा कथन भी सत्य है। बाजीराव और दक्कन का निज़ाम उल-मुल्क दो बार लड़ाई के मैदान में मिले और दोनों बार निज़ाम को मुँह की खानी पड़ी और उसे दक्कन प्रांत का चौथ और सरदेशमुखी मराठों को देने के लिये मजबूर होना पड़ा।
- तीसरा कथन गलत है। बाजीराव ने पुर्तगालियों के खिलाफ भी अभियान आरंभ किया। अंत में सिलहट और बसई (बस्लीन) पर कब्ज़ा कर लिया गया मगर पश्चिमी तट पर पुर्तगालियों का अपने इलाकों पर कब्ज़ा बना रहा।
-
Question 10 of 20
10. Question
1 pointsपानीपत की तीसरी लड़ाई के परिणामस्वरूप निम्नलिखित में से कौन-सी घटनाएँ घटीं?
1. मराठों की राजनीतिक प्रतिष्ठा को बड़ा धक्का लगा।
2. अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल और दक्षिण भारत में अपनी सत्ता मज़बूत करने का अवसर मिला।
3. अफगानों का पंजाब में पूर्णतः अधिकार हो गया।
कूटःCorrect
व्याख्याः
- 1761 ई. में पानीपत की तीसरी लड़ाई में मराठा फौज के पैर पूरी तरह उखड़ गए। अनगिनत मराठा सेनापति करीब 28,000 सैनिकों के साथ मारे गए। पानीपत की हार मराठों के लिये बहुत बड़ा आघात थी तथा उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा को बड़ा धक्का लगा।
- पानीपत में मराठों की हार ने अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल और दक्षिण भारत में अपनी सत्ता मज़बूत करने का मौका दिया क्योंकि इन क्षेत्रों पर मराठों का प्रभाव था।
- पानीपत की तीसरी लड़ाई में अफगानों को भी अपनी जीत का कोई फायदा नहीं हुआ। वे पंजाब को अपने अधिकार में नहीं रख सके। वस्तुतः पानीपत की तीसरी लड़ाई ने यह फैसला नहीं किया कि भारत पर कौन राज करेगा बल्कि यह तय कर दिया कि भारत पर कौन शासन नहीं करेगा। इससे भारत में ब्रिटिश सत्ता के उदय का रास्ता साफ हो गया।
Incorrect
व्याख्याः
- 1761 ई. में पानीपत की तीसरी लड़ाई में मराठा फौज के पैर पूरी तरह उखड़ गए। अनगिनत मराठा सेनापति करीब 28,000 सैनिकों के साथ मारे गए। पानीपत की हार मराठों के लिये बहुत बड़ा आघात थी तथा उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा को बड़ा धक्का लगा।
- पानीपत में मराठों की हार ने अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल और दक्षिण भारत में अपनी सत्ता मज़बूत करने का मौका दिया क्योंकि इन क्षेत्रों पर मराठों का प्रभाव था।
- पानीपत की तीसरी लड़ाई में अफगानों को भी अपनी जीत का कोई फायदा नहीं हुआ। वे पंजाब को अपने अधिकार में नहीं रख सके। वस्तुतः पानीपत की तीसरी लड़ाई ने यह फैसला नहीं किया कि भारत पर कौन राज करेगा बल्कि यह तय कर दिया कि भारत पर कौन शासन नहीं करेगा। इससे भारत में ब्रिटिश सत्ता के उदय का रास्ता साफ हो गया।
-
Question 11 of 20
11. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से सरंजामी प्रथा किससे संबंधित है?
Correct
व्याख्याः मराठा काल में सरंजामी प्रथा भू-राजस्व से संबंधित थी। इस काल में मराठा जागीरदारों को सरंजामी भूमि उनके निर्वहन के लिये दी जाती थी।
Incorrect
व्याख्याः मराठा काल में सरंजामी प्रथा भू-राजस्व से संबंधित थी। इस काल में मराठा जागीरदारों को सरंजामी भूमि उनके निर्वहन के लिये दी जाती थी।
-
Question 12 of 20
12. Question
1 pointsआंग्ल-मराठा युद्धों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध देवगाँव की संधि के साथ समाप्त हुआ।
2. द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध में सालबाई की संधि हुई।
3. तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध में मराठों की हार के बाद अंग्रेज़ों ने पेशवा के वंशानुगत पद को समाप्त कर दिया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?Correct
व्याख्याः
- प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध 1782 ई. में सालबाई की संधि के साथ समाप्त हुआ। देवगाँव की संधि द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध (1803-1805) में हुर्ई। अतः कथन (1) और (2) गलत हैं।
- तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध (1816-1819) के बाद अंग्रेज़ों द्वारा पेशवा का वंशानुगत पद समाप्त कर दिया गया। अतः कथन (3) सही है।
- प्रथम युद्ध में अंग्रेज़ (बड़गाँव में) पराजित हुए, जबकि अन्य दोनों युद्धों में मराठों की हार हुई।
Incorrect
व्याख्याः
- प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध 1782 ई. में सालबाई की संधि के साथ समाप्त हुआ। देवगाँव की संधि द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध (1803-1805) में हुर्ई। अतः कथन (1) और (2) गलत हैं।
- तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध (1816-1819) के बाद अंग्रेज़ों द्वारा पेशवा का वंशानुगत पद समाप्त कर दिया गया। अतः कथन (3) सही है।
- प्रथम युद्ध में अंग्रेज़ (बड़गाँव में) पराजित हुए, जबकि अन्य दोनों युद्धों में मराठों की हार हुई।
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsमराठा राजस्व व्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. ‘चौथ’ मराठा आक्रमणों से बचने के बदले में वसूला जाने वाला शुल्क था।
2. ‘सरदेशमुखी’ मुख्यतः मराठा शासित राज्यों से वसूला जाने वाला भू-राजस्व था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः
- सामान्यतः ‘चौथ’ मुगल सत्ता के प्रति निष्ठा रखने वाले राज्यों से मराठा आक्रमण न करने के बदले वसूला जाने वाला कर था। इसकी मात्रा आय का एक-चौथाई थी।
- सरदेशमुखी’ चौथ पर लगने वाला अतिरिक्त कर था। इसकी मात्रा 1/10 थी।
- इन करों को शिवाजी द्वारा शुरू किया गया था।
Incorrect
व्याख्याः
- सामान्यतः ‘चौथ’ मुगल सत्ता के प्रति निष्ठा रखने वाले राज्यों से मराठा आक्रमण न करने के बदले वसूला जाने वाला कर था। इसकी मात्रा आय का एक-चौथाई थी।
- सरदेशमुखी’ चौथ पर लगने वाला अतिरिक्त कर था। इसकी मात्रा 1/10 थी।
- इन करों को शिवाजी द्वारा शुरू किया गया था।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsअठारहवीं सदी में महिलाओं की सामाजिक दशा के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. बाल-विवाह का प्रचलन सामान्यतः पूरे देश में था।
2. पूरी सदी में लड़कियों की शिक्षा पर विशेषरूप से ध्यान दिया गया।
3. सती प्रथा सामान्यतः दक्षिण भारत में प्रचलित नहीं थी।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पूरे भारत में पूरी अठारहवीं सदी को देखने पर पता चलता है कि बाल-विवाह प्रथा पूरे देश में प्रचलित थी। लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया। लड़कियों को विरले ही शिक्षा मिल पाती थी। यद्यपि उच्च जातियों की कुछ महिलाएँ पढ़ी-लिखी थीं, जिसे एक अपवाद ही कहा जा सकता है।
- जाति प्रथा के अतिरिक्त अठारहवीं सदी के भारत की दो बड़ी सामाजिक कुरीतियाँ थीं- सती प्रथा और विधवाओं की खराब अवस्था। सती प्रथा अधिकतर राजपुताना, बंगाल और उत्तरी भारत के अन्य हिस्सों में प्रचलित थी। दक्षिण भारत में इसका प्रचलन नहीं था। मराठों ने इसे बढ़ावा नहीं दिया।
Incorrect
व्याख्याः
- पूरे भारत में पूरी अठारहवीं सदी को देखने पर पता चलता है कि बाल-विवाह प्रथा पूरे देश में प्रचलित थी। लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया। लड़कियों को विरले ही शिक्षा मिल पाती थी। यद्यपि उच्च जातियों की कुछ महिलाएँ पढ़ी-लिखी थीं, जिसे एक अपवाद ही कहा जा सकता है।
- जाति प्रथा के अतिरिक्त अठारहवीं सदी के भारत की दो बड़ी सामाजिक कुरीतियाँ थीं- सती प्रथा और विधवाओं की खराब अवस्था। सती प्रथा अधिकतर राजपुताना, बंगाल और उत्तरी भारत के अन्य हिस्सों में प्रचलित थी। दक्षिण भारत में इसका प्रचलन नहीं था। मराठों ने इसे बढ़ावा नहीं दिया।
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Question 15 of 20
15. Question
1 pointsअठारहवीं सदी के साहित्यिक जीवन के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है?
Correct
व्याख्याः
- अठारहवीं सदी में ही मलयालम साहित्य में पुनर्जीवन देखा गया। यह विशेषकर त्रावणकोर शासकों मार्तंड वर्मा और राम वर्मा के संरक्षण में हुआ। केरल का एक महान कवि, कुंचन नंबियार इसी समय हुआ, जिसने आम बोलचाल की भाषा में जनप्रिय कविता लिखी।
- अठारहवीं सदी के केरल में कथाकली साहित्य; नाटक और नृत्य का भी पूर्ण विकास हुआ। इस सदी के साहित्यिक जीवन का एक उल्लेखनीय पहलू था उर्दू भाषा का प्रसार और उर्दू कविता का ज़ोरदार विकास।
- तायुमानवर (1706-1744) तमिल में सित्तर काव्य का एक उत्कृष्ट प्रवर्तक था अतः तमिल में सित्तर काव्य की शुरुआत इसी सदी में हुई।
- इस सदी के महान कवियों में से एक दयाराम ने इस सदी के उत्तरार्द्ध में अपनी रचनाएँ लिखीं। ये गुजरात के थे। अतः कथन (d) गलत है।
Incorrect
व्याख्याः
- अठारहवीं सदी में ही मलयालम साहित्य में पुनर्जीवन देखा गया। यह विशेषकर त्रावणकोर शासकों मार्तंड वर्मा और राम वर्मा के संरक्षण में हुआ। केरल का एक महान कवि, कुंचन नंबियार इसी समय हुआ, जिसने आम बोलचाल की भाषा में जनप्रिय कविता लिखी।
- अठारहवीं सदी के केरल में कथाकली साहित्य; नाटक और नृत्य का भी पूर्ण विकास हुआ। इस सदी के साहित्यिक जीवन का एक उल्लेखनीय पहलू था उर्दू भाषा का प्रसार और उर्दू कविता का ज़ोरदार विकास।
- तायुमानवर (1706-1744) तमिल में सित्तर काव्य का एक उत्कृष्ट प्रवर्तक था अतः तमिल में सित्तर काव्य की शुरुआत इसी सदी में हुई।
- इस सदी के महान कवियों में से एक दयाराम ने इस सदी के उत्तरार्द्ध में अपनी रचनाएँ लिखीं। ये गुजरात के थे। अतः कथन (d) गलत है।
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Question 16 of 20
16. Question
1 pointsअठारहवीं सदी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. प्रसिद्ध पंजाबी महाकाव्य ‘हीर रांझा’ की रचना वारिसशाह ने की थी।
2. प्रसिद्ध कविता संग्रह ‘रिसालो’ की रचना शाह अब्दुल लतीफ ने की थी।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
- अठारहवीं सदी में मशहूर पंजाबी महाकाव्य ‘हीर रांझा’ की रचना वारिसशाह द्वारा की गई।
- इसी सदी के दौरान शाह अब्दुल लतीफ ने अपना प्रसिद्ध कविता संग्रह ‘रिसालो’ रचा। सिंधी साहित्य के लिये ये सदी विशाल उपलब्धियों की अवधि थी। ‘सचल’ और ‘सामी’ इस शताब्दी के अन्य महान सिंधी कवि थे।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
- अठारहवीं सदी में मशहूर पंजाबी महाकाव्य ‘हीर रांझा’ की रचना वारिसशाह द्वारा की गई।
- इसी सदी के दौरान शाह अब्दुल लतीफ ने अपना प्रसिद्ध कविता संग्रह ‘रिसालो’ रचा। सिंधी साहित्य के लिये ये सदी विशाल उपलब्धियों की अवधि थी। ‘सचल’ और ‘सामी’ इस शताब्दी के अन्य महान सिंधी कवि थे।
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Question 17 of 20
17. Question
1 points18वीं सदी के भारत के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः1. इस सदी में भारत का निर्यात उसके आयात से अधिक था।
2. इस सदी में भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी के मामले में यूरोप से काफी आगे था।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
पहला कथन सत्य है। चूँकि अठारहवीं सदी में भारत हस्तशिल्प और कृषि के उत्पादनों में कुल मिलाकर स्वावलंबी था, इसलिये वह बड़े पैमाने पर विदेशी वस्तुओं का आयात नहीं करता था। दूसरी ओर भारत के औद्योगिक और कृषि उत्पादनों के लिये विदेशों में नियमित बाज़ार था, फलस्वरूप भारत का निर्यात उसके आयात से अधिक होता था।दूसरा कथन असत्य है। भारतीय संस्कृति की मुख्य कमज़ोरी विज्ञान के क्षेत्र में थी। अठारहवीं सदी के दौरान भारत पश्चिमी देशों से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के मामले में काफी पिछड़ा रहा था। पिछले दो सौ वर्षों से पश्चिमी यूरोप में एक वैज्ञानिक और आर्थिक क्रांति चल रही थी जिससे आविष्कारों और अनुसंधानों की बाढ़-सी आ गई थी।
Incorrect
व्याख्याः
पहला कथन सत्य है। चूँकि अठारहवीं सदी में भारत हस्तशिल्प और कृषि के उत्पादनों में कुल मिलाकर स्वावलंबी था, इसलिये वह बड़े पैमाने पर विदेशी वस्तुओं का आयात नहीं करता था। दूसरी ओर भारत के औद्योगिक और कृषि उत्पादनों के लिये विदेशों में नियमित बाज़ार था, फलस्वरूप भारत का निर्यात उसके आयात से अधिक होता था।दूसरा कथन असत्य है। भारतीय संस्कृति की मुख्य कमज़ोरी विज्ञान के क्षेत्र में थी। अठारहवीं सदी के दौरान भारत पश्चिमी देशों से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के मामले में काफी पिछड़ा रहा था। पिछले दो सौ वर्षों से पश्चिमी यूरोप में एक वैज्ञानिक और आर्थिक क्रांति चल रही थी जिससे आविष्कारों और अनुसंधानों की बाढ़-सी आ गई थी।
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Question 18 of 20
18. Question
1 pointsपानीपत की तीसरी लड़ाई के परिणामस्वरूप निम्नलिखित में से कौन-सी घटनाएँ घटीं?
1. मराठों की राजनीतिक प्रतिष्ठा को बड़ा धक्का लगा।
2. अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल और दक्षिण भारत में अपनी सत्ता मज़बूत करने का अवसर मिला।
3. अफगानों का पंजाब में पूर्णतः अधिकार हो गया।
कूटःCorrect
व्याख्याः
- 1761 ई. में पानीपत की तीसरी लड़ाई में मराठा फौज के पैर पूरी तरह उखड़ गए। अनगिनत मराठा सेनापति करीब 28,000 सैनिकों के साथ मारे गए। पानीपत की हार मराठों के लिये बहुत बड़ा आघात थी तथा उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा को बड़ा धक्का लगा।
- पानीपत में मराठों की हार ने अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल और दक्षिण भारत में अपनी सत्ता मज़बूत करने का मौका दिया क्योंकि इन क्षेत्रों पर मराठों का प्रभाव था।
- पानीपत की तीसरी लड़ाई में अफगानों को भी अपनी जीत का कोई फायदा नहीं हुआ। वे पंजाब को अपने अधिकार में नहीं रख सके। वस्तुतः पानीपत की तीसरी लड़ाई ने यह फैसला नहीं किया कि भारत पर कौन राज करेगा बल्कि यह तय कर दिया कि भारत पर कौन शासन नहीं करेगा। इससे भारत में ब्रिटिश सत्ता के उदय का रास्ता साफ हो गया।
Incorrect
व्याख्याः
- 1761 ई. में पानीपत की तीसरी लड़ाई में मराठा फौज के पैर पूरी तरह उखड़ गए। अनगिनत मराठा सेनापति करीब 28,000 सैनिकों के साथ मारे गए। पानीपत की हार मराठों के लिये बहुत बड़ा आघात थी तथा उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा को बड़ा धक्का लगा।
- पानीपत में मराठों की हार ने अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल और दक्षिण भारत में अपनी सत्ता मज़बूत करने का मौका दिया क्योंकि इन क्षेत्रों पर मराठों का प्रभाव था।
- पानीपत की तीसरी लड़ाई में अफगानों को भी अपनी जीत का कोई फायदा नहीं हुआ। वे पंजाब को अपने अधिकार में नहीं रख सके। वस्तुतः पानीपत की तीसरी लड़ाई ने यह फैसला नहीं किया कि भारत पर कौन राज करेगा बल्कि यह तय कर दिया कि भारत पर कौन शासन नहीं करेगा। इससे भारत में ब्रिटिश सत्ता के उदय का रास्ता साफ हो गया।
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Question 19 of 20
19. Question
1 pointsब्रिटिश भू-राजस्व नीतियों के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः1. स्थायी तथा रैयतवाड़ी बंदोबस्त देश की परंपरागत भूमि-प्रथाओं से मूलतः भिन्न थी।
2. ब्रिटिशों ने भूमि को बेचने, गिरवी रखने और हस्तांतरित की जा सकने वाली वस्तु बना दिया।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
ब्रिटिशों द्वारा शुरू की गई स्थायी बंदोबस्त तथा रैयतवाड़ी बंदोबस्त देश की परंपरागत भूमि प्रथाओं से मूलतः भिन्न थीं। अंग्रेज़ों ने भूमि में एक नए प्रकार की निजी संपत्ति इस प्रकार पैदा की कि उसका लाभ काश्तकारों को नहीं मिला। पूरे देश में अब भूमि को बेचने, गिरवी रखने और हस्तांतरित की जा सकने वाली वस्तु बना दिया गया। ऐसा मुख्यतः सरकार के राजस्व को सुरक्षित रखने के लिये किया गया।Incorrect
व्याख्याः
ब्रिटिशों द्वारा शुरू की गई स्थायी बंदोबस्त तथा रैयतवाड़ी बंदोबस्त देश की परंपरागत भूमि प्रथाओं से मूलतः भिन्न थीं। अंग्रेज़ों ने भूमि में एक नए प्रकार की निजी संपत्ति इस प्रकार पैदा की कि उसका लाभ काश्तकारों को नहीं मिला। पूरे देश में अब भूमि को बेचने, गिरवी रखने और हस्तांतरित की जा सकने वाली वस्तु बना दिया गया। ऐसा मुख्यतः सरकार के राजस्व को सुरक्षित रखने के लिये किया गया। -
Question 20 of 20
20. Question
1 pointsभारत में इस्तमरारी (स्थायी) बंदोबस्त का आरंभ किन प्रांतों से किया गया?
Correct
व्याख्याः
- कार्नवालिस ने 1793 में बंगाल और बिहार में इस्तमरारी (स्थायी) बंदोबस्त की प्रथा का आरंभ किया।
Incorrect
व्याख्याः
- कार्नवालिस ने 1793 में बंगाल और बिहार में इस्तमरारी (स्थायी) बंदोबस्त की प्रथा का आरंभ किया।