आधुनिक भारत टेस्ट 13
आधुनिक भारत टेस्ट 13
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न एन.सी.ई.आर.टी. पर आधारित है|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsसहायक संधि प्रथा/ प्रणाली के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
Correct
व्याख्याः
- लॉर्ड वेलेजली द्वारा आरंभ की गई सहायक संधि प्रथा की नीति के अनुसार सहयोगी भारतीय राज्यों के शासकों को ब्रिटिश सेना अपने राज्य में रखनी पड़ती थी तथा उसके रखरखाव के लिये अनुदान देना पड़ता था।
- सहायक संधि के अनुसार आमतौर पर भारतीय शासक को यह भी मानना पड़ता था कि वह अपने दरबार में एक ब्रिटिश रेज़ीडेंट रखेगा तथा अंग्रेज़ों की स्वीकृति के बिना किसी यूरोपीय को अपनी सेवा में नहीं रखेगा।
- सहायक संधि पर हस्ताक्षर करके कोई भी भारतीय राज्य अपनी स्वाधीनता लगभग गवाँ ही बैठता था। वह आत्मरक्षा, कूटनीतिक संबंध बनाने, विदेशी विशेषज्ञ रखने तथा पड़ोसियों के साथ आपसी झगड़े के अधिकार ही खो बैठता था। वास्तव में उस भारतीय शासक की बाहरी मामलों में सारी संप्रभुता समाप्त हो जाती थी।
- इस प्रथा के कारण सुरक्षा प्राप्त राज्य की सेनाएं भंग कर दी गईं। लाखों सैनिक और अधिकारी अपनी पैतृक जीविका से वंचित हो गए जिससे देश में बदहाली और गरीबी फैल गई।
- मैसूर का टीपू सुल्तान कभी सहायक संधि के लिये तैयार नहीं हुआ, बल्कि वह अंग्रेज़ों के साथ अपने अवश्यंभावी युद्ध के लिये अपनी सेना को लगातार मज़बूत बनाता रहा।
Incorrect
व्याख्याः
- लॉर्ड वेलेजली द्वारा आरंभ की गई सहायक संधि प्रथा की नीति के अनुसार सहयोगी भारतीय राज्यों के शासकों को ब्रिटिश सेना अपने राज्य में रखनी पड़ती थी तथा उसके रखरखाव के लिये अनुदान देना पड़ता था।
- सहायक संधि के अनुसार आमतौर पर भारतीय शासक को यह भी मानना पड़ता था कि वह अपने दरबार में एक ब्रिटिश रेज़ीडेंट रखेगा तथा अंग्रेज़ों की स्वीकृति के बिना किसी यूरोपीय को अपनी सेवा में नहीं रखेगा।
- सहायक संधि पर हस्ताक्षर करके कोई भी भारतीय राज्य अपनी स्वाधीनता लगभग गवाँ ही बैठता था। वह आत्मरक्षा, कूटनीतिक संबंध बनाने, विदेशी विशेषज्ञ रखने तथा पड़ोसियों के साथ आपसी झगड़े के अधिकार ही खो बैठता था। वास्तव में उस भारतीय शासक की बाहरी मामलों में सारी संप्रभुता समाप्त हो जाती थी।
- इस प्रथा के कारण सुरक्षा प्राप्त राज्य की सेनाएं भंग कर दी गईं। लाखों सैनिक और अधिकारी अपनी पैतृक जीविका से वंचित हो गए जिससे देश में बदहाली और गरीबी फैल गई।
- मैसूर का टीपू सुल्तान कभी सहायक संधि के लिये तैयार नहीं हुआ, बल्कि वह अंग्रेज़ों के साथ अपने अवश्यंभावी युद्ध के लिये अपनी सेना को लगातार मज़बूत बनाता रहा।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsअंग्रेज़ों ने किस मराठा सरदार से राजघाट की संधि की?
Correct
व्याख्याः
जब ईस्ट इंडिया कंपनी के शेयर होल्डरों को पता चला कि युद्ध के ज़रिये प्रसार की नीति बहुत मँहगी पड़ रही है तथा उनका मुनाफा कम हो रहा है तथा कंपनी के डायरेक्टरों तथा ब्रिटिश राजनेताओं ने आगे प्रसार रोक देने, फिजूल खर्च बंद करने और भारत में ब्रिटेन की उपलब्धियों को सुरक्षित करने का फैसला किया। इसलिये वेलेजली को भारत से वापस बुला लिया गया और कंपनी ने 1806 में राजघाट की संधि के द्वारा होल्कर के साथ शांति स्थापित करके उनके राज्य का एक बड़ा भाग वापस कर दिया।Incorrect
व्याख्याः
जब ईस्ट इंडिया कंपनी के शेयर होल्डरों को पता चला कि युद्ध के ज़रिये प्रसार की नीति बहुत मँहगी पड़ रही है तथा उनका मुनाफा कम हो रहा है तथा कंपनी के डायरेक्टरों तथा ब्रिटिश राजनेताओं ने आगे प्रसार रोक देने, फिजूल खर्च बंद करने और भारत में ब्रिटेन की उपलब्धियों को सुरक्षित करने का फैसला किया। इसलिये वेलेजली को भारत से वापस बुला लिया गया और कंपनी ने 1806 में राजघाट की संधि के द्वारा होल्कर के साथ शांति स्थापित करके उनके राज्य का एक बड़ा भाग वापस कर दिया। -
Question 3 of 20
3. Question
1 pointsलॉर्ड वेलेज़ली की सहायक संधि को सबसे पहले किस शासक ने स्वीकार किया?
Correct
व्याख्याः लॉर्ड वेलेजली ने 1798 और 1800 में हैदराबाद के निज़ाम के साथ सर्वप्रथम सहायक संधि की।
Incorrect
व्याख्याः लॉर्ड वेलेजली ने 1798 और 1800 में हैदराबाद के निज़ाम के साथ सर्वप्रथम सहायक संधि की।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsअंग्रेज़ों ने भारत पर रूसियों के आक्रमण के भय से किस राज्य का अधिग्रहण किया?
Correct
व्याख्याः 19वीं सदी में यूरोप और एशिया में अंग्रेज़ों और रूसियों की शत्रुता बढ़ रही थी और अंग्रेज़ों को भय था कि अफगानिस्तान या फारस के रास्ते रूसी भारत पर हमला कर सकते हैं। सिंध की विजय इसी का परिणाम थी। रूस को रोकने की ब्रिटिश सरकार की नीति तभी सफल होगी, जब सिंध को ब्रिटिश नियंत्रण में लाया जाए।
Incorrect
व्याख्याः 19वीं सदी में यूरोप और एशिया में अंग्रेज़ों और रूसियों की शत्रुता बढ़ रही थी और अंग्रेज़ों को भय था कि अफगानिस्तान या फारस के रास्ते रूसी भारत पर हमला कर सकते हैं। सिंध की विजय इसी का परिणाम थी। रूस को रोकने की ब्रिटिश सरकार की नीति तभी सफल होगी, जब सिंध को ब्रिटिश नियंत्रण में लाया जाए।
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Question 5 of 20
5. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से किसने राज्य विलय का सिद्धांत (डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स) को लागू किया?
Correct
व्याख्याः लॉर्ड डलहौजी ने देशी राज्यों के अधिग्रहण के लिये जिस साधन का सहारा लिया, वह था राज्य विलय का सिद्धांत (डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स)। इस सिद्धांत के अनुसार अगर किसी सुरक्षा प्राप्त राज्य का शासक बिना एक स्वाभाविक उत्तराधिकारी के मर जाए तो उसका राज्य उसके दत्तक उत्तराधिकारी को नहीं सौपा जाएगा, जैसा कि सदियों से इस देश में परंपरा चलती आ रही थी। इसके बजाए अगर उत्तराधिकारी गोद लेने के एकाधिकार को पहले से अंग्रेज़ अधिकारियों की सहमति प्राप्त न होगी तो वह राज्य ब्रिटिश राज्य में मिल जाएगा।
Incorrect
व्याख्याः लॉर्ड डलहौजी ने देशी राज्यों के अधिग्रहण के लिये जिस साधन का सहारा लिया, वह था राज्य विलय का सिद्धांत (डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स)। इस सिद्धांत के अनुसार अगर किसी सुरक्षा प्राप्त राज्य का शासक बिना एक स्वाभाविक उत्तराधिकारी के मर जाए तो उसका राज्य उसके दत्तक उत्तराधिकारी को नहीं सौपा जाएगा, जैसा कि सदियों से इस देश में परंपरा चलती आ रही थी। इसके बजाए अगर उत्तराधिकारी गोद लेने के एकाधिकार को पहले से अंग्रेज़ अधिकारियों की सहमति प्राप्त न होगी तो वह राज्य ब्रिटिश राज्य में मिल जाएगा।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsलॉर्ड डलहौजी के राज्य विलय सिद्धांत का सर्वप्रथम शिकार कौन-सा राज्य बना?
Correct
व्याख्याः लॉर्ड डलहौजी ने राज्य विलय सिद्धांत के तहत सर्वप्रथम 1848 में सतारा का अधिग्रहण किया। इसके बाद जैतपुर एवं संभलपुर, बरार, उदयपुर, झाँसी, नागपुर तथा करौली का अधिग्रहण किया।
Incorrect
व्याख्याः लॉर्ड डलहौजी ने राज्य विलय सिद्धांत के तहत सर्वप्रथम 1848 में सतारा का अधिग्रहण किया। इसके बाद जैतपुर एवं संभलपुर, बरार, उदयपुर, झाँसी, नागपुर तथा करौली का अधिग्रहण किया।
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsब्रिटिशों द्वारा किस भारतीय राज्य का अधिग्रहण कुशासन के आधार पर किया गया?
Correct
व्याख्याः लॉर्ड डलहौजी की निगाहें अवध के साम्राज्य को हड़पने पर लगी थीं। अवध के नवाब के कई उत्तराधिकारी थे, इसलिये उस पर राज्य विलय का सिद्धांत लागू नहीं किया जा सकता था। अंत में डलहौजी ने अवध की जनता की दशा सुधारनें के विचार का सहारा लिया। अवध के नवाब वाजिद अली शाह पर इल्ज़ाम लगाया गया कि उन्होंने अपना शासन ठीक से नहीं चलाया और सुधार लागू करने से इनकार कर दिया है। इसके बाद अवध राज्य को 1856 में हड़प लिया गया।
Incorrect
व्याख्याः लॉर्ड डलहौजी की निगाहें अवध के साम्राज्य को हड़पने पर लगी थीं। अवध के नवाब के कई उत्तराधिकारी थे, इसलिये उस पर राज्य विलय का सिद्धांत लागू नहीं किया जा सकता था। अंत में डलहौजी ने अवध की जनता की दशा सुधारनें के विचार का सहारा लिया। अवध के नवाब वाजिद अली शाह पर इल्ज़ाम लगाया गया कि उन्होंने अपना शासन ठीक से नहीं चलाया और सुधार लागू करने से इनकार कर दिया है। इसके बाद अवध राज्य को 1856 में हड़प लिया गया।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsलॉर्ड डलहौजी की अधिग्रहण नीति के प्रमुख उद्देश्य थे-
1. भारत में ब्रिटेन निर्मित वस्तुओं का निर्यात बढ़ाना।
2. भारतीय सहयोगी राजाओं से छुटकारा पाना।
3. भारत में ब्रिटेन के उद्योगों के लिये कपास के रूप में कच्चे माल की आपूर्ति सुनिश्चित करना।
कूटःCorrect
व्याख्याः
- लॉर्ड डलहौजी ने भारत आते ही घोषणा की थी कि भारत के सभी देशी राज्यों का खात्मा अब कुछ ही समय की बात है। उसकी नीति का उद्देश्य भारत में ब्रिटेन द्वारा निर्मित वस्तुओं का निर्यात बढ़ाना था। दूसरे साम्राज्यवादी आक्रमणकारियों की तरह डलहौजी को भी विश्वास था कि भारत के देशी राज्यों के लिये ब्रिटेन का निर्यात इसलिये घट रहा था कि इन राज्यों के भारतीय शासक उनका शासन ठीक से नहीं चला रहे हैं। इसके अलावा वह समझता था कि भारतीय सहयोगी भारत में ब्रिटिश विजय में जितने सहायक हो सकते थे, उतने हो चुके हैं और अब उनसे छुटकारा पाने में ही लाभ है।
- डलहौजी का अवध पर नियंत्रण का कारण लालच था, क्योंकि अवध अपनी बेपनाह दौलत के साथ मैनचेस्टर में तैयार मालों के लिये अच्छा बाज़ार बन सकता था। और ऐसे ही कारणों के ज़रिये कच्चे कपास की ब्रिटेन की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये डलहौजी ने 1853 में निज़ाम से बरार का कपास उत्पादक प्रांत ले लिया था।
Incorrect
व्याख्याः
- लॉर्ड डलहौजी ने भारत आते ही घोषणा की थी कि भारत के सभी देशी राज्यों का खात्मा अब कुछ ही समय की बात है। उसकी नीति का उद्देश्य भारत में ब्रिटेन द्वारा निर्मित वस्तुओं का निर्यात बढ़ाना था। दूसरे साम्राज्यवादी आक्रमणकारियों की तरह डलहौजी को भी विश्वास था कि भारत के देशी राज्यों के लिये ब्रिटेन का निर्यात इसलिये घट रहा था कि इन राज्यों के भारतीय शासक उनका शासन ठीक से नहीं चला रहे हैं। इसके अलावा वह समझता था कि भारतीय सहयोगी भारत में ब्रिटिश विजय में जितने सहायक हो सकते थे, उतने हो चुके हैं और अब उनसे छुटकारा पाने में ही लाभ है।
- डलहौजी का अवध पर नियंत्रण का कारण लालच था, क्योंकि अवध अपनी बेपनाह दौलत के साथ मैनचेस्टर में तैयार मालों के लिये अच्छा बाज़ार बन सकता था। और ऐसे ही कारणों के ज़रिये कच्चे कपास की ब्रिटेन की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये डलहौजी ने 1853 में निज़ाम से बरार का कपास उत्पादक प्रांत ले लिया था।
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Question 9 of 20
9. Question
1 pointsऔरंगज़ेब की मृत्यु के बाद मुगल शासकों के गद्दी पर बैठने का सही कालानुक्रम कौन-सा है?
Correct
व्याख्याः
- औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद उसके तीनों बेटों के बीच गद्दी के लिये संघर्ष हुआ, जिसमें 65 वर्षीय बहादुरशाह विजयी रहा। उसने 1707 से 1712 की अवधि तक शासन किया।
- बहादुरशाह की मृत्यु के बाद उसके बेटे जहाँदारशाह ने तत्कालीन शक्तिशाली अमीर जुल्फिकार खाँ की सहायता से गद्दी प्राप्त की थी। यह नितांत अयोग्य शासक था। लोग उसे ‘लम्पट मूर्ख’ कहते थे।
- जहाँदारशाह को परास्त करके (सैयद बंधुओं की सहायता से) उसका भतीजा फर्रुखसियर (1713 में) गद्दी पर बैठा। सैयद बंधुओं ने फर्रुखसियर की सत्ता पाने में सहायता की थी और बाद में उन्होंने ही उसकी हत्या कर दी एवं 18 वर्षीय मुहम्मदशाह को गद्दी पर बैठा दिया। भारतीय इतिहास में सैयद बंधुओं को ‘राजा बनाने वाले’ के नाम से जाना जाता है।
- शाह आलम द्वितीय 1759 में गद्दी पर बैठा था।
Incorrect
व्याख्याः
- औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद उसके तीनों बेटों के बीच गद्दी के लिये संघर्ष हुआ, जिसमें 65 वर्षीय बहादुरशाह विजयी रहा। उसने 1707 से 1712 की अवधि तक शासन किया।
- बहादुरशाह की मृत्यु के बाद उसके बेटे जहाँदारशाह ने तत्कालीन शक्तिशाली अमीर जुल्फिकार खाँ की सहायता से गद्दी प्राप्त की थी। यह नितांत अयोग्य शासक था। लोग उसे ‘लम्पट मूर्ख’ कहते थे।
- जहाँदारशाह को परास्त करके (सैयद बंधुओं की सहायता से) उसका भतीजा फर्रुखसियर (1713 में) गद्दी पर बैठा। सैयद बंधुओं ने फर्रुखसियर की सत्ता पाने में सहायता की थी और बाद में उन्होंने ही उसकी हत्या कर दी एवं 18 वर्षीय मुहम्मदशाह को गद्दी पर बैठा दिया। भारतीय इतिहास में सैयद बंधुओं को ‘राजा बनाने वाले’ के नाम से जाना जाता है।
- शाह आलम द्वितीय 1759 में गद्दी पर बैठा था।
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Question 10 of 20
10. Question
1 pointsनादिरशाह का आक्रमण निम्नलिखित में से किस मुगल बादशाह के समय हुआ था?
Correct
व्याख्याः नादिरशाह का आक्रमण (1738-39) मुहम्मदशाह के समय हुआ था। मुहम्मदशाह प्रशासन के प्रति उदासीन तथा मदिरा और सुंदरी के प्रति अत्यधिक रुचि रखता था, जिस कारण लोग उसे ‘रंगीला’ कहा करते थे। उसके शासनकाल में हिजड़ों तथा महिलाओं के वर्ग का प्रभुत्व हो गया था। मयूर सिंहासन पर बैठने वाला यह अंतिम शासक भी था।
Incorrect
व्याख्याः नादिरशाह का आक्रमण (1738-39) मुहम्मदशाह के समय हुआ था। मुहम्मदशाह प्रशासन के प्रति उदासीन तथा मदिरा और सुंदरी के प्रति अत्यधिक रुचि रखता था, जिस कारण लोग उसे ‘रंगीला’ कहा करते थे। उसके शासनकाल में हिजड़ों तथा महिलाओं के वर्ग का प्रभुत्व हो गया था। मयूर सिंहासन पर बैठने वाला यह अंतिम शासक भी था।
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Question 11 of 20
11. Question
1 pointsमुगल शासक जहाँदारशाह के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. जहाँदारशाह ने जुल्फिकार खाँ की सहायता से गद्दी प्राप्त की थी।
2. उसके समय जज़िया समाप्त किया गया।
3. इसी के शासनकाल में आमेर के शासक जयसिंह को मिर्ज़ा राजा सवाई की पदवी दी गई।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त तीनों कथन सही हैं।
- जहाँदारशाह ने तत्कालीन सबसे शक्तिशाली शासक जुल्फिकार खाँ की सहायता से गद्दी प्राप्त की थी।
- जहाँदारशाह के समय जुल्फिकार खाँ वज़ीर बना और साम्राज्य को बचाने के लिये अनेक कदम उठाए। इसी क्रम में घृणित जज़िया को समाप्त किया गया, आमेर के जयसिंह को मिर्ज़ा राजा सवाई की पदवी दी गई और उन्हें मालवा का सूबेदार बना दिया गया।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त तीनों कथन सही हैं।
- जहाँदारशाह ने तत्कालीन सबसे शक्तिशाली शासक जुल्फिकार खाँ की सहायता से गद्दी प्राप्त की थी।
- जहाँदारशाह के समय जुल्फिकार खाँ वज़ीर बना और साम्राज्य को बचाने के लिये अनेक कदम उठाए। इसी क्रम में घृणित जज़िया को समाप्त किया गया, आमेर के जयसिंह को मिर्ज़ा राजा सवाई की पदवी दी गई और उन्हें मालवा का सूबेदार बना दिया गया।
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Question 12 of 20
12. Question
1 pointsमुगल काल में ‘इज़ारेदार’ निम्नलिखित में से किससे संबंधित है?
Correct
व्याख्याः
- इज़ारेदार उन्हें कहते थे जिससे शासक द्वारा लगान वसूलने का करार किया जाता था। इस व्यवस्था को इज़ारेदारी कहते हैं। इसमें निश्चित दर पर भू-राजस्व वसूल करने के बदले शासक इज़ारेदारों (लगान के ठेकदारों) और बिचौलियों के साथ यह करार करते थे कि वे शासक को एक निश्चित मुद्रा राशि लगान के रूप में दें। मगर वे किसानों से जितना लगान वसूल कर सकें उतना करने के लिये उन्हें आज़ाद छोड़ दिया जाता था। इससे किसानों का उत्पीड़न बढ़ा।
- हालाँकि मुगलों द्वारा इस व्यवस्था को नापसंद किया गया फिर भी जहाँदार शाह के काल में इसे बढ़ावा दिया गया।
Incorrect
व्याख्याः
- इज़ारेदार उन्हें कहते थे जिससे शासक द्वारा लगान वसूलने का करार किया जाता था। इस व्यवस्था को इज़ारेदारी कहते हैं। इसमें निश्चित दर पर भू-राजस्व वसूल करने के बदले शासक इज़ारेदारों (लगान के ठेकदारों) और बिचौलियों के साथ यह करार करते थे कि वे शासक को एक निश्चित मुद्रा राशि लगान के रूप में दें। मगर वे किसानों से जितना लगान वसूल कर सकें उतना करने के लिये उन्हें आज़ाद छोड़ दिया जाता था। इससे किसानों का उत्पीड़न बढ़ा।
- हालाँकि मुगलों द्वारा इस व्यवस्था को नापसंद किया गया फिर भी जहाँदार शाह के काल में इसे बढ़ावा दिया गया।
-
Question 13 of 20
13. Question
1 pointsनादिरशाह के आक्रमण के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है?
Correct
व्याख्याः
- नादिरशाह भारत के प्रति यहाँ के अपार धन के कारण आकर्षित हुआ था। निरंतर अभियानों ने फारस को वस्तुतः दिवालिया बना दिया था। अतः उसे फौज के रख-रखाव के लिये धन की आवश्यकता थी।
- मुगल फौज से 13 फरवरी, 1739 को उसका मुकाबला हुआ, जिसमें मुगल सेना बुरी तरह परास्त हुई। इसके बाद नादिरशाह ने राजधानी में भयंकर कत्लेआम और लूटपाट की। अनुमानतः उसने कुल मिलाकर 70 करोड़ रुपए का माल लूटा। उसने अपने राज्य में तीन सालों तक बिल्कुल कोई कर नहीं लगाया।
- वह प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा तथा शाहजहाँ का रत्नजड़ित मयूर सिंहासन (तख्ते-ताऊस) भी साथ ले गया था। अतः कथन (d) सही नहीं है। नादिरशाह ने मुहम्मदशाह को सिंधु नदी के पश्चिम के साम्राज्य के इलाकों को उसे दे देने के लिये मजबूर भी किया।
Incorrect
व्याख्याः
- नादिरशाह भारत के प्रति यहाँ के अपार धन के कारण आकर्षित हुआ था। निरंतर अभियानों ने फारस को वस्तुतः दिवालिया बना दिया था। अतः उसे फौज के रख-रखाव के लिये धन की आवश्यकता थी।
- मुगल फौज से 13 फरवरी, 1739 को उसका मुकाबला हुआ, जिसमें मुगल सेना बुरी तरह परास्त हुई। इसके बाद नादिरशाह ने राजधानी में भयंकर कत्लेआम और लूटपाट की। अनुमानतः उसने कुल मिलाकर 70 करोड़ रुपए का माल लूटा। उसने अपने राज्य में तीन सालों तक बिल्कुल कोई कर नहीं लगाया।
- वह प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा तथा शाहजहाँ का रत्नजड़ित मयूर सिंहासन (तख्ते-ताऊस) भी साथ ले गया था। अतः कथन (d) सही नहीं है। नादिरशाह ने मुहम्मदशाह को सिंधु नदी के पश्चिम के साम्राज्य के इलाकों को उसे दे देने के लिये मजबूर भी किया।
-
Question 14 of 20
14. Question
1 pointsशाह आलम द्वितीय के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. इसे अपने वज़ीर से जान का खतरा था, जिस कारण अपने शासन के आरम्भिक वर्षों में यह राजधानी से दूर ही रहा।
2. इसे बक्सर की लड़ाई के बाद कंपनी का पेंशनयाफ्ता बनकर इलाहाबाद में रहना पड़ा।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
- शाह आलम द्वितीय को अपने वज़ीर से जान का खतरा था, अतः ये अपने शासन के आरंभ के वर्षों में अपनी राजधानी से दूर एक स्थान से दूसरे स्थान घूमता रहा।
- उसने 1764 में बंगाल के मीर कासिम और अवध के शुज़ाउद्दौला के साथ मिलकर अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ बक्सर की लड़ाई में हिस्सा लिया, इसमें अंग्रेज़ों से हार जाने के बाद वह कई वर्षों तक इलाहाबाद में ईस्ट इंडिया कंपनी का पेंशनयाफ्ता बनकर रहा। वह 1772 में मराठों के संरक्षण में ब्रिटिश आश्रय छोड़कर दिल्ली लौटा, परंतु अंग्रेज़ों ने 1803 में दिल्ली पर कब्ज़ा कर लिया। तब से लेकर 1857 तक जब मुगल वंश अंतिम रूप से खत्म हो गया, मुगल बादशाह अंग्रेज़ों के लिये केवल राजनीतिक मोहरा बने रहे।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
- शाह आलम द्वितीय को अपने वज़ीर से जान का खतरा था, अतः ये अपने शासन के आरंभ के वर्षों में अपनी राजधानी से दूर एक स्थान से दूसरे स्थान घूमता रहा।
- उसने 1764 में बंगाल के मीर कासिम और अवध के शुज़ाउद्दौला के साथ मिलकर अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ बक्सर की लड़ाई में हिस्सा लिया, इसमें अंग्रेज़ों से हार जाने के बाद वह कई वर्षों तक इलाहाबाद में ईस्ट इंडिया कंपनी का पेंशनयाफ्ता बनकर रहा। वह 1772 में मराठों के संरक्षण में ब्रिटिश आश्रय छोड़कर दिल्ली लौटा, परंतु अंग्रेज़ों ने 1803 में दिल्ली पर कब्ज़ा कर लिया। तब से लेकर 1857 तक जब मुगल वंश अंतिम रूप से खत्म हो गया, मुगल बादशाह अंग्रेज़ों के लिये केवल राजनीतिक मोहरा बने रहे।
-
Question 15 of 20
15. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. निज़ाम-उल-मुल्क स्वयं मुगल वज़ीर का अपना ओहदा छोड़कर दक्कन चला गया।
2. अहमदशाह अब्दाली ने पानीपत की तीसरी लड़ाई में मुगल सेना को परास्त किया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः
- बादशाह मुहम्मदशाह के ढुलमुलपन तथा शक्की मिजाज और दरबार में निरंतर झगड़ों से ऊबकर मुगल वज़ीर निज़ाम-उल-मुल्क ने अपना पद त्याग कर अपनी महत्त्वाकांक्षा को पूरा करने का फैसला लिया। वह 1722 में वज़ीर बना था और अक्तूबर 1724 में अपना पद त्यागकर दक्कन में हैदराबाद रियासत की नींव डालने दक्षिण चला गया। अतः कथन (1) सही है।
- अहमदशाह अब्दाली नादिरशाह के सबसे काबिल सेनापतियों में से एक था। उसने मुगल साम्राज्य में (खासकर दिल्ली-मथुरा) कई बार लूट-पाट की। उसने अपने स्वामी के मरने के बाद अफगानिस्तान पर अपनी सत्ता कायम करने में सफलता प्राप्त कर ली थी। उसने 1761 में मराठों को पानीपत की तीसरी लड़ाई में हराया। इस हार से मराठों की इस महत्त्वाकांक्षा को बड़ा धक्का लगा कि वे मुगल बादशाह पर नियंत्रण रखेंगे और देश पर आधिपत्य कायम करेंगे। अतः कथन (2) गलत है।
Incorrect
व्याख्याः
- बादशाह मुहम्मदशाह के ढुलमुलपन तथा शक्की मिजाज और दरबार में निरंतर झगड़ों से ऊबकर मुगल वज़ीर निज़ाम-उल-मुल्क ने अपना पद त्याग कर अपनी महत्त्वाकांक्षा को पूरा करने का फैसला लिया। वह 1722 में वज़ीर बना था और अक्तूबर 1724 में अपना पद त्यागकर दक्कन में हैदराबाद रियासत की नींव डालने दक्षिण चला गया। अतः कथन (1) सही है।
- अहमदशाह अब्दाली नादिरशाह के सबसे काबिल सेनापतियों में से एक था। उसने मुगल साम्राज्य में (खासकर दिल्ली-मथुरा) कई बार लूट-पाट की। उसने अपने स्वामी के मरने के बाद अफगानिस्तान पर अपनी सत्ता कायम करने में सफलता प्राप्त कर ली थी। उसने 1761 में मराठों को पानीपत की तीसरी लड़ाई में हराया। इस हार से मराठों की इस महत्त्वाकांक्षा को बड़ा धक्का लगा कि वे मुगल बादशाह पर नियंत्रण रखेंगे और देश पर आधिपत्य कायम करेंगे। अतः कथन (2) गलत है।
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Question 16 of 20
16. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन मुगल साम्राज्य का अंतिम बादशाह था?
Correct
व्याख्याः बहादुरशाह द्वितीय अथवा बहादुरशाह ज़फर (1837-1857) अंतिम मुगल सम्राट था। इसके पिता का नाम अकबरशाह द्वितीय (1806-1837) था।
Incorrect
व्याख्याः बहादुरशाह द्वितीय अथवा बहादुरशाह ज़फर (1837-1857) अंतिम मुगल सम्राट था। इसके पिता का नाम अकबरशाह द्वितीय (1806-1837) था।
-
Question 17 of 20
17. Question
1 pointsनिज़ाम-उल-मुल्क आसफजाह के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है?
Correct
व्याख्याः
- निज़ाम-उल-मुल्क आसफजाह ने 1724 में हैदराबाद राज्य की स्थापना की। उसको दक्कन के वायसराय का खिताब प्राप्त हुआ था।
- उसने केंद्रीय सरकार से अपनी स्वतंत्रता की खुलेआम घोषणा कभी नहीं की, मगर उसने व्यवहार में स्वतंत्र शासक के रूप में काम किया। अतः कथन (b) गलत है।
- उसने दक्कन में मुगलों के नमूने पर जागीरदारी प्रथा चलाकर सुव्यवस्थित प्रशासन स्थापित कर अपनी सत्ता को मज़बूत बनाया।
- कर्नाटक, मुगल दक्कन का एक सूबा था और इस तरह हैदराबाद के निज़ाम के अधिकार के अंतर्गत आता था। मगर व्यवहार में जिस प्रकार निज़ाम दिल्ली की सरकार से स्वतंत्र हो गया था, उसी प्रकार निज़ाम-उल-मुल्क की मृत्यु के बाद कर्नाटक का नायब सूबेदार, जिसे कर्नाटक का नबाव कहा जाता था, अपने को दक्कन के नवाब के नियंत्रण से मुक्त कर अपने ओहदे को वंशागत बना दिया।
Incorrect
व्याख्याः
- निज़ाम-उल-मुल्क आसफजाह ने 1724 में हैदराबाद राज्य की स्थापना की। उसको दक्कन के वायसराय का खिताब प्राप्त हुआ था।
- उसने केंद्रीय सरकार से अपनी स्वतंत्रता की खुलेआम घोषणा कभी नहीं की, मगर उसने व्यवहार में स्वतंत्र शासक के रूप में काम किया। अतः कथन (b) गलत है।
- उसने दक्कन में मुगलों के नमूने पर जागीरदारी प्रथा चलाकर सुव्यवस्थित प्रशासन स्थापित कर अपनी सत्ता को मज़बूत बनाया।
- कर्नाटक, मुगल दक्कन का एक सूबा था और इस तरह हैदराबाद के निज़ाम के अधिकार के अंतर्गत आता था। मगर व्यवहार में जिस प्रकार निज़ाम दिल्ली की सरकार से स्वतंत्र हो गया था, उसी प्रकार निज़ाम-उल-मुल्क की मृत्यु के बाद कर्नाटक का नायब सूबेदार, जिसे कर्नाटक का नबाव कहा जाता था, अपने को दक्कन के नवाब के नियंत्रण से मुक्त कर अपने ओहदे को वंशागत बना दिया।
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Question 18 of 20
18. Question
1 pointsबंगाल के नवाबों का सही कालक्रम निम्नलिखित में से कौन-सा है?
Correct
व्याख्याः
- मुर्शिद कुली खाँ को 1717 में बंगाल का सूबेदार बनाया गया, मगर वह उसका वास्तविक संस्थापक 1700 से ही था।
- 1727 में मुर्शिद कुली खाँ की मृत्यु के बाद उसके दामाद शुज़ाउद्दीन ने बंगाल पर 1739 तक शासन किया। उसकी जगह पर उसका बेटा सरफराज़ खाँ आया, जिसे उसी साल गद्दी से हटाकर अलीवर्दी खाँ नवाब बन गया।
- सिराजउद्दौला अलीवर्दी खाँ का उत्तराधिकारी था।
Incorrect
व्याख्याः
- मुर्शिद कुली खाँ को 1717 में बंगाल का सूबेदार बनाया गया, मगर वह उसका वास्तविक संस्थापक 1700 से ही था।
- 1727 में मुर्शिद कुली खाँ की मृत्यु के बाद उसके दामाद शुज़ाउद्दीन ने बंगाल पर 1739 तक शासन किया। उसकी जगह पर उसका बेटा सरफराज़ खाँ आया, जिसे उसी साल गद्दी से हटाकर अलीवर्दी खाँ नवाब बन गया।
- सिराजउद्दौला अलीवर्दी खाँ का उत्तराधिकारी था।
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Question 19 of 20
19. Question
1 pointsमुगलकालीन ‘तकावी ऋण’ के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?
Correct
व्याख्याः तकावी ऋण मुख्य रूप से मुगलकाल में खेती के विस्तार और बेहतरी के लिये राज्य की ओर से दिया जाने वाला ऋण है। इससे गरीब खेतिहरों को अकाल, सूखे व बाढ़ जैसी विपरीत परिस्थितियों से उबरने में सहायता मिलती थी। साथ ही यह उन्हें समय पर भू-राजस्व देने के लिये समर्थ बनाने का राज्य का एक प्रयास भी था।
Incorrect
व्याख्याः तकावी ऋण मुख्य रूप से मुगलकाल में खेती के विस्तार और बेहतरी के लिये राज्य की ओर से दिया जाने वाला ऋण है। इससे गरीब खेतिहरों को अकाल, सूखे व बाढ़ जैसी विपरीत परिस्थितियों से उबरने में सहायता मिलती थी। साथ ही यह उन्हें समय पर भू-राजस्व देने के लिये समर्थ बनाने का राज्य का एक प्रयास भी था।
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Question 20 of 20
20. Question
1 pointsमुगल साम्राज्य के पतन के समय अवध के स्वायत्त राज्य का संस्थापक निम्नलिखित में से कौन था?
Correct
व्याख्याः मुगल साम्राज्य के पतन के समय अवध के स्वायत्त राज्य का संस्थापक सआदत खाँ ‘बुरहान-उल-मुल्क’ था। इसके बाद उसकी जगह उसके भतीजे सफदर जंग ने ली। सफदर जंग के बाद शुज़ाउद्दौला अवध का नवाब बना और अलीवर्दी खाँ बंगाल का नवाब था।
Incorrect
व्याख्याः मुगल साम्राज्य के पतन के समय अवध के स्वायत्त राज्य का संस्थापक सआदत खाँ ‘बुरहान-उल-मुल्क’ था। इसके बाद उसकी जगह उसके भतीजे सफदर जंग ने ली। सफदर जंग के बाद शुज़ाउद्दौला अवध का नवाब बना और अलीवर्दी खाँ बंगाल का नवाब था।