आधुनिक भारत टेस्ट 10
आधुनिक भारत टेस्ट 10
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न एन.सी.ई.आर.टी. पर आधारित है|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsआधुनिक भारत के निर्माण में ईश्वरचंद्र विद्यासागर के योगदान के संबंध में कौन-से कथन सत्य हैं?
1. उन्होंने अपनी रचनाओं द्वारा बंगला में आधुनिक गद्य शैली के विकास में योगदान दिया।
2. संस्कृत कॉलेज के दरवाजे गैर-ब्राह्मण विद्यार्थियों के लिये खोल दिये।
3. विधवा पुनर्विवाह के लिये लंबा संघर्ष किया।
4. नारी शिक्षा को प्रोत्साहन दिया।
कूटःCorrect
व्याख्याः आधुनिक भारत निर्माण में ईश्वरचंद्र विद्यासागर का योगदान कई प्रकार से था-
- विद्यासागर ने संस्कृत पढ़ाने की नई तकनीक विकसित की। उन्होंने एक बंगला वर्णमाला लिखी जो आज तक इस्तेमाल की जाती है। उन्होंने अपनी रचनाओं के द्वारा बंगला में आधुनिक गद्य शैली के विकास में सहायता दी।
- ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने संस्कृत कॉलेज के दरवाजे गैर-ब्राह्मण विद्यार्थियों के लिये खोल दिये क्योंकि वे संस्कृत के अध्ययन पर ब्राह्मण जाति के तत्कालीन एकाधिकार के विरोधी थे।
- सबसे अधिक, विद्यासागर को देशवासी, भारत की पददलित नारी जाति को ऊँचा उठाने में उनके योगदान के कारण आज भी याद करते हैं। उन्होंने विधवा-पुनर्विवाह के लिये लंबा संघर्ष चलाया। हमारे देश की उच्च जातियों में पहला कानूनी हिंदू विधवा-पुनर्विवाह कलकत्ता में 7 दिसंबर,1856 को विद्यासागर की प्रेरणा और उनकी देख-रेख में हुआ।
- विद्यासागर ने बाल विवाह का विरोध किया। वे नारी शिक्षा में गहरी दिलचस्पी रखते थे। स्कूलों के सरकारी निरीक्षक की हैसियत से उन्होंने 35 बालिका विद्यालयों की स्थापना की, जिनमें से कई को उन्होंने अपने खर्चे पर चलाया।
Incorrect
व्याख्याः आधुनिक भारत निर्माण में ईश्वरचंद्र विद्यासागर का योगदान कई प्रकार से था-
- विद्यासागर ने संस्कृत पढ़ाने की नई तकनीक विकसित की। उन्होंने एक बंगला वर्णमाला लिखी जो आज तक इस्तेमाल की जाती है। उन्होंने अपनी रचनाओं के द्वारा बंगला में आधुनिक गद्य शैली के विकास में सहायता दी।
- ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने संस्कृत कॉलेज के दरवाजे गैर-ब्राह्मण विद्यार्थियों के लिये खोल दिये क्योंकि वे संस्कृत के अध्ययन पर ब्राह्मण जाति के तत्कालीन एकाधिकार के विरोधी थे।
- सबसे अधिक, विद्यासागर को देशवासी, भारत की पददलित नारी जाति को ऊँचा उठाने में उनके योगदान के कारण आज भी याद करते हैं। उन्होंने विधवा-पुनर्विवाह के लिये लंबा संघर्ष चलाया। हमारे देश की उच्च जातियों में पहला कानूनी हिंदू विधवा-पुनर्विवाह कलकत्ता में 7 दिसंबर,1856 को विद्यासागर की प्रेरणा और उनकी देख-रेख में हुआ।
- विद्यासागर ने बाल विवाह का विरोध किया। वे नारी शिक्षा में गहरी दिलचस्पी रखते थे। स्कूलों के सरकारी निरीक्षक की हैसियत से उन्होंने 35 बालिका विद्यालयों की स्थापना की, जिनमें से कई को उन्होंने अपने खर्चे पर चलाया।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsमहाराष्ट्र के किस समाज सुधारक को ‘लोकहितवादी’ उपनाम से जाना जाता है?
Correct
व्याख्याः महाराष्ट्र में नई शिक्षा और नए सामाजिक सुधारों के प्रवक्ता गोपाल हरि देशमुख थे, जो आगे चलकर ‘लोकहितवादी’ उपनाम से विख्यात हुए। आधुनिक, मानवतावादी तथा धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और विवेकसंगत सिद्धांतों के आधार पर भारतीय समाज के पुनर्गठन की उन्होंने वकालत की।
Incorrect
व्याख्याः महाराष्ट्र में नई शिक्षा और नए सामाजिक सुधारों के प्रवक्ता गोपाल हरि देशमुख थे, जो आगे चलकर ‘लोकहितवादी’ उपनाम से विख्यात हुए। आधुनिक, मानवतावादी तथा धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और विवेकसंगत सिद्धांतों के आधार पर भारतीय समाज के पुनर्गठन की उन्होंने वकालत की।
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Question 3 of 20
3. Question
1 points19वीं सदी में पश्चिमी-भारत में सुधार आंदोलन के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये:1. महाराष्ट्र में स्थापित ‘परमहंस मंडली’ ने जात-पात के बंधनों को तोड़ने का कार्य किया।
2. दादाभाई नौरोजी, पारसी धर्म सुधार संगठन के संस्थापक सदस्यों में से एक थे।
3. विष्णु शास्त्री पंडित ने ‘विधवा-विवाह समाज’ की स्थापना की।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- 1849 में महाराष्ट्र में ‘परमहंस मंडली’ की स्थापना की गई। इसके संस्थापक आस्तिक थे तथा उनकी दिलचस्पी जात-पात के बंधनों को तोड़ने में थी। जब इसकी बैठक होती थी तब इसके सदस्य तथाकथित नीची जातियों के हाथ का पकाया हुआ भोजन करते थे।
- दादाभाई नौरोजी बंबई के प्रमुख समाज सुधारक थे। ये ‘पारसी धर्म सुधार संगठन’ के संस्थापकों में से एक थे। पारसी कानून संघ के जन्मदाताओं में भी वे थे।
- 1850 में विष्णु शास्त्री पंडित ने ‘विधवा-विवाह समाज’ की स्थापना की।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- 1849 में महाराष्ट्र में ‘परमहंस मंडली’ की स्थापना की गई। इसके संस्थापक आस्तिक थे तथा उनकी दिलचस्पी जात-पात के बंधनों को तोड़ने में थी। जब इसकी बैठक होती थी तब इसके सदस्य तथाकथित नीची जातियों के हाथ का पकाया हुआ भोजन करते थे।
- दादाभाई नौरोजी बंबई के प्रमुख समाज सुधारक थे। ये ‘पारसी धर्म सुधार संगठन’ के संस्थापकों में से एक थे। पारसी कानून संघ के जन्मदाताओं में भी वे थे।
- 1850 में विष्णु शास्त्री पंडित ने ‘विधवा-विवाह समाज’ की स्थापना की।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsज्योतिबा फुले के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये।
1. वे केरल के समाज सुधार आंदोलन के पहले पंक्ति के नेता थे।
2. उन्होंने ऊँची जातियों के प्रभुत्व और ब्राह्मणों की श्रेष्ठता के विरुद्ध जीवन भर अभियान चलाया।
3. उन्होंने बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिये स्कूल शुरू किये।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। ज्योतिबा फुले महाराष्ट्र के समाज सुधार आंदोलन से संबंधित हैं। उन्होंने 1873 में सत्यशोधक समाज की स्थापना की।
- दूसरा कथन सत्य हैं। ज्योतिबा फुले नीची मानी जाने वाली माली जाति में पैदा हुए थे। महाराष्ट्र के गैर-ब्राह्मण और अछूत जातियों की दयनीय सामाजिक स्थिति को वे भी अच्छी तरह समझते थे। उन्होंने ऊँची जातियों के प्रभुत्व और ब्राह्मणों की श्रेष्ठता के खिलाफ़ जीवन भर अभियान चलाया।
- तीसरा कथन भी सत्य है। 1851 में ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी ने पूना में लड़कियों का एक स्कूल खोला। इसके तत्काल बाद और कई स्कूल खुल गए।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। ज्योतिबा फुले महाराष्ट्र के समाज सुधार आंदोलन से संबंधित हैं। उन्होंने 1873 में सत्यशोधक समाज की स्थापना की।
- दूसरा कथन सत्य हैं। ज्योतिबा फुले नीची मानी जाने वाली माली जाति में पैदा हुए थे। महाराष्ट्र के गैर-ब्राह्मण और अछूत जातियों की दयनीय सामाजिक स्थिति को वे भी अच्छी तरह समझते थे। उन्होंने ऊँची जातियों के प्रभुत्व और ब्राह्मणों की श्रेष्ठता के खिलाफ़ जीवन भर अभियान चलाया।
- तीसरा कथन भी सत्य है। 1851 में ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी ने पूना में लड़कियों का एक स्कूल खोला। इसके तत्काल बाद और कई स्कूल खुल गए।
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Question 5 of 20
5. Question
1 pointsभारत में नागरिक सेवा (सिविल सर्विस) का जन्मदाता किसे माना जाता है?
Correct
व्याख्याः
- नागरिक सेवा (सिविल सर्विस) का जन्मदाता कॉर्नवॉलिस था। कंपनी की नागरिक सेवा (सिविल सर्विस) उस समय संसार में सबसे अधिक भुगतान पाने वाली सेवा थी।
Incorrect
व्याख्याः
- नागरिक सेवा (सिविल सर्विस) का जन्मदाता कॉर्नवॉलिस था। कंपनी की नागरिक सेवा (सिविल सर्विस) उस समय संसार में सबसे अधिक भुगतान पाने वाली सेवा थी।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsलॉर्ड वेलेजली ने 1800 में कलकत्ता में फोर्ट विलियम कॉलेज किस उद्देश्य हेतु खोला था?
Correct
व्याख्याः
- लॉर्ड वेलेजली ने 1800 में नागरिक सेवा में आने वाले युवा लोगों के प्रशिक्षण के लिये कलकत्ता में फोर्ट विलियम कॉलेज खोला। कंपनी के निदेशकों ने उसकी कार्यवाही को पसंद नहीं किया और 1806 में उन्होंने कलकत्ता के कॉलेज की जगह इंग्लैंड में हैलीवरी में अपने ईस्ट इंडिया कॉलेज में प्रशिक्षण का काम आरंभ किया।
- कॉर्नवॉलिस के समय भारतीय नागरिक सेवा में भारतीयों को बड़ी सख्ती से पूरी तरह अलग रखा जाता है, किंतु 1853 में एक चार्टर एक्ट द्वारा यह कानूनी व्यवस्था लागू कर दी गई कि नागरिक सेवा में सारे प्रवेश प्रतियोगी परीक्षाओं के द्वारा किये जाएंगे।
Incorrect
व्याख्याः
- लॉर्ड वेलेजली ने 1800 में नागरिक सेवा में आने वाले युवा लोगों के प्रशिक्षण के लिये कलकत्ता में फोर्ट विलियम कॉलेज खोला। कंपनी के निदेशकों ने उसकी कार्यवाही को पसंद नहीं किया और 1806 में उन्होंने कलकत्ता के कॉलेज की जगह इंग्लैंड में हैलीवरी में अपने ईस्ट इंडिया कॉलेज में प्रशिक्षण का काम आरंभ किया।
- कॉर्नवॉलिस के समय भारतीय नागरिक सेवा में भारतीयों को बड़ी सख्ती से पूरी तरह अलग रखा जाता है, किंतु 1853 में एक चार्टर एक्ट द्वारा यह कानूनी व्यवस्था लागू कर दी गई कि नागरिक सेवा में सारे प्रवेश प्रतियोगी परीक्षाओं के द्वारा किये जाएंगे।
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. भारत में पुलिस व्यवस्था का सृजन कॉर्नवॉलिस के द्वारा किया गया।
2. लॉर्ड डलहौजी के समय भारत में थानों की व्यवस्था स्थापित की गई।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पुलिस व्यवस्था भारत में ब्रिटिश शासन का एक प्रमुख स्तंभ थी। इसका सृजन करने वाला कॉर्नवॉलिस था। उसने ज़मींदारों को पुलिस कार्यों से मुक्त कर दिया और कानून तथा व्यवस्था बनाए रखने के लिये एक नियमित पुलिस दल की स्थापना की।
- दूसरा कथन असत्य है। कॉर्नवॉलिस ने थानों की व्यवस्था स्थापित की थी। हर थाने का प्रधान दरोगा होता था जो भारतीय होता था।
Incorrect
व्याख्याः
- पुलिस व्यवस्था भारत में ब्रिटिश शासन का एक प्रमुख स्तंभ थी। इसका सृजन करने वाला कॉर्नवॉलिस था। उसने ज़मींदारों को पुलिस कार्यों से मुक्त कर दिया और कानून तथा व्यवस्था बनाए रखने के लिये एक नियमित पुलिस दल की स्थापना की।
- दूसरा कथन असत्य है। कॉर्नवॉलिस ने थानों की व्यवस्था स्थापित की थी। हर थाने का प्रधान दरोगा होता था जो भारतीय होता था।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsभारत में दीवानी और फौज़दारी कचहरियों के श्रेणीबद्ध संगठन के ज़रिये न्याय प्रदान करने की नई व्यवस्था का आरंभ किसके द्वारा शुरू किया गया?
Correct
व्याख्याः
दीवानी और फौज़दारी कचहरियों के श्रेणीबद्ध संगठन के ज़रिये न्याय प्रदान करने की नई व्यवस्था को वॉरेन हेस्टिंग्स ने आरंभ किया मगर कॉर्नवॉलिस ने इसे सृदृढ़ बनाया। कॉर्नवॉलिस ने हर ज़िले में एक दीवानी अदालत कायम की जिसका प्रमुख ज़िला जज होता था, जो नागरिक सेवा का सदस्य होता था। इस तरह कॉर्नवॉलिस ने दीवानी जज और कलेक्टर के ओहदों को अलग-अलग कर दिया।Incorrect
व्याख्याः
दीवानी और फौज़दारी कचहरियों के श्रेणीबद्ध संगठन के ज़रिये न्याय प्रदान करने की नई व्यवस्था को वॉरेन हेस्टिंग्स ने आरंभ किया मगर कॉर्नवॉलिस ने इसे सृदृढ़ बनाया। कॉर्नवॉलिस ने हर ज़िले में एक दीवानी अदालत कायम की जिसका प्रमुख ज़िला जज होता था, जो नागरिक सेवा का सदस्य होता था। इस तरह कॉर्नवॉलिस ने दीवानी जज और कलेक्टर के ओहदों को अलग-अलग कर दिया। -
Question 9 of 20
9. Question
1 pointsभारत में सर्वप्रथम हाई कोर्ट की स्थापना किन जगहों पर की गई?1. कलकत्ता
2. इलाहाबाद
3. बंबई
4. मद्रास
कूटःCorrect
व्याख्याः
- भारत में सदर दीवानी अदालत और सदर निज़ामत अदालत की जगह 1865 में कलकत्ता, मद्रास और बंबई में उच्च न्यायालय (हाई कोर्ट) स्थापित किये गए।
Incorrect
व्याख्याः
- भारत में सदर दीवानी अदालत और सदर निज़ामत अदालत की जगह 1865 में कलकत्ता, मद्रास और बंबई में उच्च न्यायालय (हाई कोर्ट) स्थापित किये गए।
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Question 10 of 20
10. Question
1 pointsभारत सरकार ने 1833 में किसकी अध्यक्षता में भारतीय कानूनों को संहिताबद्ध करने के लिये एक विधि आयोग (Law Commission) का गठन किया?
Correct
व्याख्याः
ब्रिटिश सरकार ने 1833 में लॉर्ड मैकाले के नेतृत्व में भारतीय कानूनों को संहिताबद्ध करने के लिये एक विधि आयोग (Law Commission) नियुक्त किया। उसके परिश्रम के फलस्वरूप भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) पश्चिमी देशों से लाई गई दीवानी प्रक्रिया और दंड प्रक्रिया संहिताएँ और कानूनों की अन्य संहिताएँ आर्ईं। अब सारे देश में एक ही प्रकार के कानून लागू हो गए और उन्हें न्यायालयों की समरूप प्रणाली के ज़रिये लागू किया गया।Incorrect
व्याख्याः
ब्रिटिश सरकार ने 1833 में लॉर्ड मैकाले के नेतृत्व में भारतीय कानूनों को संहिताबद्ध करने के लिये एक विधि आयोग (Law Commission) नियुक्त किया। उसके परिश्रम के फलस्वरूप भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) पश्चिमी देशों से लाई गई दीवानी प्रक्रिया और दंड प्रक्रिया संहिताएँ और कानूनों की अन्य संहिताएँ आर्ईं। अब सारे देश में एक ही प्रकार के कानून लागू हो गए और उन्हें न्यायालयों की समरूप प्रणाली के ज़रिये लागू किया गया। -
Question 11 of 20
11. Question
1 pointsभारत में ब्रिटिश राज के दौरान विधि प्रणाली के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः1. भारतीय विधि प्रणाली उच्च जाति और निम्न जाति के लोगों के बीच भेदभाव करती थी।
2. अंग्रेज़ों के खिलाफ दीवानी तथा फौज़दारी मुकदमों की सुनवाई केवल यूरोपीय जज ही कर सकता था।
3. आधुनिक न्याय प्रणाली खाफी खर्चीली थी।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
पहला कथन असत्य है। अंग्रेज़ी राज के दौरान भारतीय विधि प्रणाली कानून के सम्मुख समानता की अवधारणा पर आधारित थी। अर्थात् जाति, धर्म या वर्ग के आधार पर बिना किसी भेदभाव के एक ही कानून सभी पर लागू होता था। इसके पहले की न्यायप्रणाली जातिगत भेदभाव पर आधारित थी।भारत में यूरोपवासियों और उनके वंशजों के लिये अलग अदालत तथा अलग कानून थे। उनके खिलाफ फौज़दारी मुकदमों की सुनवाई केवल यूरोपीय जज ही कर सकते थे, भारतीय जज नहीं। दीवानी मुकदमों की सुनवाई यूरोपीय और भारतीय दोनों जज कर सकते थे। अतः दूसरा कथन असत्य है।
तीसरा कथन सत्य है। आधुनिक न्याय प्रणाली काफी खर्चीली थी क्योंकि कोर्ट फीस का भुगतान करना पड़ता था, वकील करने पड़ते थे और गवाहों के खर्च को पूरा करना होता था।
Incorrect
व्याख्याः
पहला कथन असत्य है। अंग्रेज़ी राज के दौरान भारतीय विधि प्रणाली कानून के सम्मुख समानता की अवधारणा पर आधारित थी। अर्थात् जाति, धर्म या वर्ग के आधार पर बिना किसी भेदभाव के एक ही कानून सभी पर लागू होता था। इसके पहले की न्यायप्रणाली जातिगत भेदभाव पर आधारित थी।भारत में यूरोपवासियों और उनके वंशजों के लिये अलग अदालत तथा अलग कानून थे। उनके खिलाफ फौज़दारी मुकदमों की सुनवाई केवल यूरोपीय जज ही कर सकते थे, भारतीय जज नहीं। दीवानी मुकदमों की सुनवाई यूरोपीय और भारतीय दोनों जज कर सकते थे। अतः दूसरा कथन असत्य है।
तीसरा कथन सत्य है। आधुनिक न्याय प्रणाली काफी खर्चीली थी क्योंकि कोर्ट फीस का भुगतान करना पड़ता था, वकील करने पड़ते थे और गवाहों के खर्च को पूरा करना होता था।
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Question 12 of 20
12. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. 19वीं सदी में ब्रिटिशों द्वारा आधुनिक प्रशासन की व्यवस्था ब्रिटिश व्यापार और उद्योग की सुरक्षा के लिये की गई।
2. 1813 तक अंग्रेज़ों ने देश के धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में अहस्तक्षेप की नीति अपनाई।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- ब्रिटिश अधिकारियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था का पुनर्गठन और विनियम ब्रिटिश व्यापार और उद्योगों के हितों में किया और व्यवस्था और सुरक्षा के लिये आधुनिक प्रशासनिक व्यवस्था की स्थापना की।
- ब्रिटिशों ने 1813 तक भारतीयों के धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में अहस्तक्षेप की नीति अपनाई।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- ब्रिटिश अधिकारियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था का पुनर्गठन और विनियम ब्रिटिश व्यापार और उद्योगों के हितों में किया और व्यवस्था और सुरक्षा के लिये आधुनिक प्रशासनिक व्यवस्था की स्थापना की।
- ब्रिटिशों ने 1813 तक भारतीयों के धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में अहस्तक्षेप की नीति अपनाई।
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Question 13 of 20
13. Question
1 points1813 के बाद ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय समाज और संस्कृति में हस्तक्षेप की नीति के अपनाने के प्रमुख कारण थे-1. ब्रिटिश औद्योगिक हितों की पूर्ति के लिये।
2. 18वीं-19वीं सदी के दौरान ब्रिटेन तथा यूरोप में नए विचारों का प्रसार।
3. भारतीयों द्वारा सशस्त्र विद्रोह।
कूटःCorrect
व्याख्याः
- केवल (1) और (2) कथन सत्य हैं। 1813 तक अंग्रेज़ों ने देश के धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में गैर-अहस्तक्षेप की नीति अपनाई, किंतु 1813 के बाद उन्होंने भारतीय समाज और संस्कृति के रूपांतरण के लिये सक्रिय कदम उठाए। इससे पहले 19वीं सदी के दौरान ब्रिटेन में नए हितों और नए विचारों का उदय हुआ था। औद्योगिक क्रांति अठारहवीं सदी के मध्य में आरंभ हुई थी जिसके फलस्वरूप औद्योगिक पूंजीवाद का विकास ब्रिटिश समाज के सभी पहलुओं को बदल रहा था। उदीयमान औद्योगिक हितों ने भारत को अपनी वस्तुओं के लिये बड़े बाज़ार के रूप में बदलना चाहा। ऐसा केवल शांति बनाए रखने की नीति के ज़रिये नहीं हो सकता था बल्कि इसके लिये भारतीय समाज के आंशिक रूपांतरण और आधुनिकीकरण की आवश्यकता थी।
- अठारहवीं और उन्नीसवीं सदियों के दौरान विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने मानवीय प्रगति की नई प्रत्याशाएँ उत्पन्न कर दीं। इस दौरान यूरोप तथा ब्रिटेन में नए विचारों का एक नया ज्वार देखा गया जिसने भारतीय समस्याओं के प्रति ब्रिटिश दृष्टिकोण को प्रभावित किया।
- नया चिंतन अठारहवीं शताब्दी की बौद्धिक क्रांति, फ्राँसीसी क्रांति और औद्योगिक क्रांति से उत्पन्न हुआ था। स्वाभावतया इस नए चिंतन का प्रभाव भारत में महसूस किया गया तथा उसने सरकार की शासकीय धारणाओं को भी कुछ हद तक प्रभावित किया।
Incorrect
व्याख्याः
- केवल (1) और (2) कथन सत्य हैं। 1813 तक अंग्रेज़ों ने देश के धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में गैर-अहस्तक्षेप की नीति अपनाई, किंतु 1813 के बाद उन्होंने भारतीय समाज और संस्कृति के रूपांतरण के लिये सक्रिय कदम उठाए। इससे पहले 19वीं सदी के दौरान ब्रिटेन में नए हितों और नए विचारों का उदय हुआ था। औद्योगिक क्रांति अठारहवीं सदी के मध्य में आरंभ हुई थी जिसके फलस्वरूप औद्योगिक पूंजीवाद का विकास ब्रिटिश समाज के सभी पहलुओं को बदल रहा था। उदीयमान औद्योगिक हितों ने भारत को अपनी वस्तुओं के लिये बड़े बाज़ार के रूप में बदलना चाहा। ऐसा केवल शांति बनाए रखने की नीति के ज़रिये नहीं हो सकता था बल्कि इसके लिये भारतीय समाज के आंशिक रूपांतरण और आधुनिकीकरण की आवश्यकता थी।
- अठारहवीं और उन्नीसवीं सदियों के दौरान विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने मानवीय प्रगति की नई प्रत्याशाएँ उत्पन्न कर दीं। इस दौरान यूरोप तथा ब्रिटेन में नए विचारों का एक नया ज्वार देखा गया जिसने भारतीय समस्याओं के प्रति ब्रिटिश दृष्टिकोण को प्रभावित किया।
- नया चिंतन अठारहवीं शताब्दी की बौद्धिक क्रांति, फ्राँसीसी क्रांति और औद्योगिक क्रांति से उत्पन्न हुआ था। स्वाभावतया इस नए चिंतन का प्रभाव भारत में महसूस किया गया तथा उसने सरकार की शासकीय धारणाओं को भी कुछ हद तक प्रभावित किया।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. रूढ़िवादी दृष्टिकोण वाले ब्रिटिश अफसर भारतीय दर्शन और संस्कृति की निंदा करते थे।
2. 1800 तक आने वाला नया दृष्टिकोण भारतीय समाज और संस्कृति का प्रशंसक था।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन असत्य हैं।
- 18वीं सदी में यूरोप में चिंतन की नई लहरों का पुराने दृष्टिकोण से टकराव हुआ। पुराने दृष्टिकोण को रूढ़िवादी या परंपरागत दृष्टिकोण कहा जाता था। यह दृष्टिकोण भारत में यथासंभव कम-से कम परिवर्तन करने का पक्षपाती था। शुरुआत में इस दृष्टिकोण के प्रतिनिधि वॉरेन हेस्टिंग्स और प्रसिद्ध लेखक तथा सांसद एडमंड वर्क थे। वे भारतीय दर्शन और संस्कृति की इछज़त करते थे। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि कुछ पश्चिमी विचारों और रिवाज़ों को लागू करना ज़रूरी हो सकता है किंतु उन्हें बढ़ी सावधानीपूर्वक धीरे-धीरे लागू किया जाए। उन्होंने महसूस किया कि व्यापक या जल्दीबाज़ी में किये गए परिवर्तन देश में तीव्र प्रतिक्रिया उत्पन्न करेंगे।
- 1800 तक रूढ़िवादी दृष्टिकोण की जगह पर बड़ी तेज़ी से नया दृष्टिकोण आने लगा था जो भारतीय समाज और संस्कृति का कटु आलोचक था। भारतीय सभ्यता को गतिहीन कहकर उसकी निंदा की गई और उसे घृणा की दृष्टि से देखा जाने लगा।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन असत्य हैं।
- 18वीं सदी में यूरोप में चिंतन की नई लहरों का पुराने दृष्टिकोण से टकराव हुआ। पुराने दृष्टिकोण को रूढ़िवादी या परंपरागत दृष्टिकोण कहा जाता था। यह दृष्टिकोण भारत में यथासंभव कम-से कम परिवर्तन करने का पक्षपाती था। शुरुआत में इस दृष्टिकोण के प्रतिनिधि वॉरेन हेस्टिंग्स और प्रसिद्ध लेखक तथा सांसद एडमंड वर्क थे। वे भारतीय दर्शन और संस्कृति की इछज़त करते थे। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि कुछ पश्चिमी विचारों और रिवाज़ों को लागू करना ज़रूरी हो सकता है किंतु उन्हें बढ़ी सावधानीपूर्वक धीरे-धीरे लागू किया जाए। उन्होंने महसूस किया कि व्यापक या जल्दीबाज़ी में किये गए परिवर्तन देश में तीव्र प्रतिक्रिया उत्पन्न करेंगे।
- 1800 तक रूढ़िवादी दृष्टिकोण की जगह पर बड़ी तेज़ी से नया दृष्टिकोण आने लगा था जो भारतीय समाज और संस्कृति का कटु आलोचक था। भारतीय सभ्यता को गतिहीन कहकर उसकी निंदा की गई और उसे घृणा की दृष्टि से देखा जाने लगा।
-
Question 15 of 20
15. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. ब्रिटिशों द्वारा भारत में 1858 के बाद आधुनिकीकरण की नीति को छोड़ दिया गया।
2. 1858 के बाद ब्रिटिशों ने जातिवाद तथा सांप्रदायिकता को बढ़ावा दिया।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं। अंग्रेज़ों ने आधुनिकीकरण की नीति को 1858 के बाद धीरे-धीरे छोड़ दिया, क्योंकि भारतीय अपने समाज के आधुनिकीकरण तथा अपनी संस्कृति पर ज़ोर देने की दिशा में बढ़े। भारतीयों ने मांग की कि उन पर स्वतंत्रता, समानता और राष्ट्रीयता के आधुनिक सिद्धांत के अनुसार शासन किया जाए। ब्रिटिश लोगों ने सुधारकों को अपना समर्थन देना बंद कर दिया। धीरे-धीरे उन्होंने समाज के कट्टरपंथियों का पक्ष लेना शुरू किया। उन्होंने जातिवाद तथा सांप्रदायिकता को भी बढ़ावा दिया।Incorrect
व्याख्याः
उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं। अंग्रेज़ों ने आधुनिकीकरण की नीति को 1858 के बाद धीरे-धीरे छोड़ दिया, क्योंकि भारतीय अपने समाज के आधुनिकीकरण तथा अपनी संस्कृति पर ज़ोर देने की दिशा में बढ़े। भारतीयों ने मांग की कि उन पर स्वतंत्रता, समानता और राष्ट्रीयता के आधुनिक सिद्धांत के अनुसार शासन किया जाए। ब्रिटिश लोगों ने सुधारकों को अपना समर्थन देना बंद कर दिया। धीरे-धीरे उन्होंने समाज के कट्टरपंथियों का पक्ष लेना शुरू किया। उन्होंने जातिवाद तथा सांप्रदायिकता को भी बढ़ावा दिया। -
Question 16 of 20
16. Question
1 points1829 में सती प्रथा को गैर-कानूनी किसने घोषित किया?
Correct
व्याख्याः
विलियम बैंटिक ने 1829 में सती प्रथा को गैर- कानूनी घोषित कर दिया। बैंटिक ने घोषणा की कि पति की चिता पर विधवा के जल मरने की कार्रवाई में जो भी सहयोगी होंगे उन्हें भी अपराधी माना जाएगा।Incorrect
व्याख्याः
विलियम बैंटिक ने 1829 में सती प्रथा को गैर- कानूनी घोषित कर दिया। बैंटिक ने घोषणा की कि पति की चिता पर विधवा के जल मरने की कार्रवाई में जो भी सहयोगी होंगे उन्हें भी अपराधी माना जाएगा। -
Question 17 of 20
17. Question
1 pointsनर बलि प्रथा को समाप्त करने के लिये कानून किसके शासन काल में बनाया गया?
Correct
व्याख्याः
शिशु हत्या को रोकने के संबंध में कानून 1795 और 1802 में बनाए गए थे मगर उन्हें सख्ती से बैंटिक और हार्डिंग ने ही लागू किया। हार्डिंग ने नर बली प्रथा को खत्म करने के लिये भी कानून बनाया। यह प्रथा गोंड नाम की आदिम जाति में प्रचलित थी।Incorrect
व्याख्याः
शिशु हत्या को रोकने के संबंध में कानून 1795 और 1802 में बनाए गए थे मगर उन्हें सख्ती से बैंटिक और हार्डिंग ने ही लागू किया। हार्डिंग ने नर बली प्रथा को खत्म करने के लिये भी कानून बनाया। यह प्रथा गोंड नाम की आदिम जाति में प्रचलित थी। -
Question 18 of 20
18. Question
1 pointsईश्वर चंद्र विद्यासागर द्वारा चलाए गए सामाजिक सुधार आंदोलन का प्रमुख उद्देश्य था-
Correct
व्याख्याः
ब्रिटिश सरकार ने ईश्वर चंद्र विद्यासागर और अन्य सुधारकों द्वारा विधवा पुनर्विवाह के पक्ष में लगातार चलाए गए आंदोलन के कारण 1856 में हिंदू विधवाओं के पुनर्विवाह के लिये कानून पास किया।Incorrect
व्याख्याः
ब्रिटिश सरकार ने ईश्वर चंद्र विद्यासागर और अन्य सुधारकों द्वारा विधवा पुनर्विवाह के पक्ष में लगातार चलाए गए आंदोलन के कारण 1856 में हिंदू विधवाओं के पुनर्विवाह के लिये कानून पास किया। -
Question 19 of 20
19. Question
1 points19वीं सदी में भारत में आधुनिक शिक्षा के प्रसार में किनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा?1. ब्रिटिश सरकार
2. ईसाई धर्म-प्रचारकों
3. प्रबुद्ध भारतीयों
कूटःCorrect
व्याख्याः
19वीं सदी में अंग्रेज़ भारत में आधुनिक शिक्षा आरंभ करने में अधिक सफल रहे। आधुनिक शिक्षा के प्रसार में ब्रिटिश सरकार, ईसाई धर्मप्रचारक और बड़ी संख्या में प्रबुद्ध भारतीयों ने इस कार्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।Incorrect
व्याख्याः
19वीं सदी में अंग्रेज़ भारत में आधुनिक शिक्षा आरंभ करने में अधिक सफल रहे। आधुनिक शिक्षा के प्रसार में ब्रिटिश सरकार, ईसाई धर्मप्रचारक और बड़ी संख्या में प्रबुद्ध भारतीयों ने इस कार्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। -
Question 20 of 20
20. Question
1 pointsकथनः वॉरेन हेस्टिंग्स ने 1781 में कलकत्ता में मदरसा की स्थापना की।कारणः मुस्लिम भारत में कंपनी के शासन को बौद्धिक और नैतिक रूप से अपना समर्थन देते थे।
कूटःCorrect
व्याख्याः
कथन सही है, लेकिन कारण गलत है। 1781 में वॉरेन हेस्टिंग्स ने मुस्लिम कानून और संबद्ध विषयों के अध्ययन और पढ़ाई के लिये कलकत्ता में मदरसा स्थापित किया जिसका उद्देश्य कंपनी की अदालतों में न्याय प्रशासन के लिये योग्य भारतीय नियमित रूप से मिल सकें।Incorrect
व्याख्याः
कथन सही है, लेकिन कारण गलत है। 1781 में वॉरेन हेस्टिंग्स ने मुस्लिम कानून और संबद्ध विषयों के अध्ययन और पढ़ाई के लिये कलकत्ता में मदरसा स्थापित किया जिसका उद्देश्य कंपनी की अदालतों में न्याय प्रशासन के लिये योग्य भारतीय नियमित रूप से मिल सकें।