भारत भौतिक पर्यावरण टेस्ट 8
भारत भौतिक पर्यावरण टेस्ट 8
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न कक्षा 11 की पुस्तक भारत भौतिक पर्यावरण (एन.सी.ई.आर.टी.) पर आधारित है| यदि आप ‘भारत भौतिक पर्यावरण’ विषय की अधिक जानकारी नहीं रखते है तो इस टेस्ट को देने से पहले आप पुस्तक का रिविजन आवश्य करें|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsपश्चिमी घाट को स्थानीय तौर पर अनेक नाम दिये गए हैं। पश्चिमी घाट के स्थानीय नाम के संदर्भ में कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?
1. महाराष्ट्र – सहयाद्रि
2. कर्नाटक – अन्नामलाई
3. केरल – कार्डामम (इलायची)
4. तमिलनाडु – नीलगिरी
कूटःCorrect
व्याख्याः दूसरा युग्म सही सुमेलित नहीं है। मुख्य उच्चावच लक्षणों के अनुसार प्रायद्वीपीय पठार को तीन भागों में बाँटा जा सकता है- दक्कन का पठार, मध्य उच्च भू-भाग, उत्तरी-पूर्वी पठार।
दक्कन के पठार के पश्चिम में पश्चिमी घाट, पूर्व में पूर्वी घाट और उत्तर में सतपुड़ा, मैकाल और महादेव पहाड़ियाँ हैं। पश्चिमी घाट को स्थानीय तौर पर अनेक नाम दिये गए हैं, जैसे-महाराष्ट्र में सहयाद्रि, कर्नाटक और तमिलनाडु में नीलगिरी तथा केरल में अन्नामलाई और इलायची (कार्डामम) पहाड़ियाँ।
Incorrect
व्याख्याः दूसरा युग्म सही सुमेलित नहीं है। मुख्य उच्चावच लक्षणों के अनुसार प्रायद्वीपीय पठार को तीन भागों में बाँटा जा सकता है- दक्कन का पठार, मध्य उच्च भू-भाग, उत्तरी-पूर्वी पठार।
दक्कन के पठार के पश्चिम में पश्चिमी घाट, पूर्व में पूर्वी घाट और उत्तर में सतपुड़ा, मैकाल और महादेव पहाड़ियाँ हैं। पश्चिमी घाट को स्थानीय तौर पर अनेक नाम दिये गए हैं, जैसे-महाराष्ट्र में सहयाद्रि, कर्नाटक और तमिलनाडु में नीलगिरी तथा केरल में अन्नामलाई और इलायची (कार्डामम) पहाड़ियाँ।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-से कथन पश्चिमी घाट के संदर्भ में सही हैं।
1. पश्चिमी घाट की ऊँचाई उत्तर से दक्षिण की ओर घटती जाती है।
2. अधिकांश प्रायद्वीपीय नदियों की उत्पत्ति पश्चिमी घाट से होती है।
3. पश्चिमी घाट सतत् है तथा उन्हें केवल दर्रों के द्वारा ही पार किया जा सकता है।
कूटःCorrect
व्याख्याः
- कथन 1 गलत हैं। पश्चिमी घाट की ऊँचाई उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ती चली जाती है न कि घटती जाती है।
- ज़्यादातर प्रायद्वीपीय नदियों की उत्पत्ति पश्चिमी घाट से होती है, जैसे-कृष्णा, कावेरी, गोदावरी, भीमा, तुंगभद्रा आदि।
- पश्चिमी घाट पश्चिमी तट के समानांतर स्थित हैं, तथा वे सतत् हैं और उन्हें केवल दर्रों के द्वारा ही पार किया जा सकता है।
Incorrect
व्याख्याः
- कथन 1 गलत हैं। पश्चिमी घाट की ऊँचाई उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ती चली जाती है न कि घटती जाती है।
- ज़्यादातर प्रायद्वीपीय नदियों की उत्पत्ति पश्चिमी घाट से होती है, जैसे-कृष्णा, कावेरी, गोदावरी, भीमा, तुंगभद्रा आदि।
- पश्चिमी घाट पश्चिमी तट के समानांतर स्थित हैं, तथा वे सतत् हैं और उन्हें केवल दर्रों के द्वारा ही पार किया जा सकता है।
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Question 3 of 20
3. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा/से सही सुमेलित नहीं है/हैं?
1. थालघाट – महाराष्ट्र
2. पालघाट – गोवा
3. भोरघाट – केरल
4. दिफू – अरुणाचल प्रदेश
कूटःCorrect
व्याख्याः केवल कथन 1 एवं 4 सही सुमेलित हैं।
- थालघाट : पश्चिमी घाट का एक प्रमुख दर्रा है जो कि महाराष्ट्र में अवस्थित है। पश्चिमी घाट के सहयाद्रि श्रेणी में अवस्थित यह पर्वतीय दर्रा मुंबई को नासिक से जोड़ता है।
- पालघाट : पश्चिमी घाट में अवस्थित यह दर्रा दक्षिण भारत के केरल राज्य में है। नीलगिरी पहाड़ियों व अन्नामलाई पहाड़ियों के बीच में स्थित यह दर्रा केरल तथा तमिलनाडु राज्यों के बीच यातायात के लिये प्रमुख मार्ग की भूमिका निभाता है।
- भोरघाट : भोरघाट महाराष्ट्र राज्य में पश्चिमी घाट श्रेणियों में स्थित एक बेहद खूबसूरत दर्रा है। यह दर्रा मुम्बई को पुणे से जोड़ता है।
- दिफू दर्रा : भारत व म्यांमार के बीच अवस्थित दिफू दर्रा अरुणाचल प्रदेश में स्थित है।
Incorrect
व्याख्याः केवल कथन 1 एवं 4 सही सुमेलित हैं।
- थालघाट : पश्चिमी घाट का एक प्रमुख दर्रा है जो कि महाराष्ट्र में अवस्थित है। पश्चिमी घाट के सहयाद्रि श्रेणी में अवस्थित यह पर्वतीय दर्रा मुंबई को नासिक से जोड़ता है।
- पालघाट : पश्चिमी घाट में अवस्थित यह दर्रा दक्षिण भारत के केरल राज्य में है। नीलगिरी पहाड़ियों व अन्नामलाई पहाड़ियों के बीच में स्थित यह दर्रा केरल तथा तमिलनाडु राज्यों के बीच यातायात के लिये प्रमुख मार्ग की भूमिका निभाता है।
- भोरघाट : भोरघाट महाराष्ट्र राज्य में पश्चिमी घाट श्रेणियों में स्थित एक बेहद खूबसूरत दर्रा है। यह दर्रा मुम्बई को पुणे से जोड़ता है।
- दिफू दर्रा : भारत व म्यांमार के बीच अवस्थित दिफू दर्रा अरुणाचल प्रदेश में स्थित है।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सी पहाड़ियाँ पश्चिमी घाट के अंतर्गत शामिल हैं?
1. अन्नामलाई
2. नीलगिरी
3. नल्लामाला
4. कार्डामम
5. जावादी
कूटःCorrect
व्याख्याः दक्कन पठार के पूर्वी एवं पश्चिमी सिरे पर क्रमशः पूर्वी तथा पश्चिमी घाट स्थित हैं। पश्चिमी घाट की प्रमुख पहाड़ियाँ सहयाद्रि, नीलगिरी, अन्नामलाई, कार्डामम (इलायची) हैं, जबकि पूर्वी घाट की मुख्य श्रेणियाँ-जावादी पहाड़ियाँ, पालकोण्डा श्रेणी, नल्लामाला पहाड़ियाँ और महेन्द्रगिरी पहाड़ियाँ हैं।
Incorrect
व्याख्याः दक्कन पठार के पूर्वी एवं पश्चिमी सिरे पर क्रमशः पूर्वी तथा पश्चिमी घाट स्थित हैं। पश्चिमी घाट की प्रमुख पहाड़ियाँ सहयाद्रि, नीलगिरी, अन्नामलाई, कार्डामम (इलायची) हैं, जबकि पूर्वी घाट की मुख्य श्रेणियाँ-जावादी पहाड़ियाँ, पालकोण्डा श्रेणी, नल्लामाला पहाड़ियाँ और महेन्द्रगिरी पहाड़ियाँ हैं।
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Question 5 of 20
5. Question
1 pointsप्रायद्वीपीय पठार की सबसे ऊँची चोटी हैः
Correct
व्याख्याः
- प्रायद्वीपीय पठार की सबसे ऊँची चोटी अनाईमुडी (2695 मीटर) है, जो पश्चिमी घाट की अन्नामलाई पहाड़ियों में स्थित है।
- दूसरी सबसे ऊँची चोटी डोडाबेटा है और यह नीलगिरी पहाड़ियों में स्थित है।
Incorrect
व्याख्याः
- प्रायद्वीपीय पठार की सबसे ऊँची चोटी अनाईमुडी (2695 मीटर) है, जो पश्चिमी घाट की अन्नामलाई पहाड़ियों में स्थित है।
- दूसरी सबसे ऊँची चोटी डोडाबेटा है और यह नीलगिरी पहाड़ियों में स्थित है।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsपूर्वी घाट और पश्चिमी घाट निम्न में से किन पहाड़ियों में आपस में मिलते हैं?
Correct
व्याख्याः पूर्वी एवं पश्चिमी घाट नीलगिरी पहाड़ियों में आपस में मिलते हैं।
Incorrect
व्याख्याः पूर्वी एवं पश्चिमी घाट नीलगिरी पहाड़ियों में आपस में मिलते हैं।
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है?
Correct
व्याख्याः
- केवल तीसरा कथन गलत है। उड्गमंडलम् या ऊटी तमिलनाडु राज्य का एक पर्वतीय शहर है जो नीलगिरी पहाड़ियों पर अवस्थित है।
- पश्चिमी घाट पूर्वी घाट की अपेक्षा ऊँचे हैं। पूर्वी घाट की 600 मीटर की औसत ऊँचाई की तुलना में पश्चिमी घाट की ऊँचाई 900 से 1600 मीटर तक है।
- पश्चिमी घाट का विस्तार सतत् है जबकि पूर्वी घाट का विस्तार सतत् नहीं है। ये अनियमित हैं एवं बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों ने इनको काट दिया है। पश्चिमी घाट में पर्वतीय वर्षा होती है। यह वर्षा घाट के पश्चिमी ढाल पर आर्द्र हवा से टकराकर ऊपर उठने के कारण होती है।
- पूर्वी घाट के दक्षिण-पश्चिम में शेवराय तथा जावेदी की पहाड़ियाँ स्थित हैं। पूर्वी घाट का सबसे ऊँचा शिखर जिंधगाड़ा (1690 m) है तथा महेन्द्रगिरी इस घाट की एक अन्य महत्त्वपूर्ण चोटी है। इस घाट का काफी अपरदन हो चुका है।
Incorrect
व्याख्याः
- केवल तीसरा कथन गलत है। उड्गमंडलम् या ऊटी तमिलनाडु राज्य का एक पर्वतीय शहर है जो नीलगिरी पहाड़ियों पर अवस्थित है।
- पश्चिमी घाट पूर्वी घाट की अपेक्षा ऊँचे हैं। पूर्वी घाट की 600 मीटर की औसत ऊँचाई की तुलना में पश्चिमी घाट की ऊँचाई 900 से 1600 मीटर तक है।
- पश्चिमी घाट का विस्तार सतत् है जबकि पूर्वी घाट का विस्तार सतत् नहीं है। ये अनियमित हैं एवं बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों ने इनको काट दिया है। पश्चिमी घाट में पर्वतीय वर्षा होती है। यह वर्षा घाट के पश्चिमी ढाल पर आर्द्र हवा से टकराकर ऊपर उठने के कारण होती है।
- पूर्वी घाट के दक्षिण-पश्चिम में शेवराय तथा जावेदी की पहाड़ियाँ स्थित हैं। पूर्वी घाट का सबसे ऊँचा शिखर जिंधगाड़ा (1690 m) है तथा महेन्द्रगिरी इस घाट की एक अन्य महत्त्वपूर्ण चोटी है। इस घाट का काफी अपरदन हो चुका है।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsप्रायद्वीपीय पठार के मध्य उच्च भू-भाग से संबंधित नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. अपने भूगर्भीय इतिहास में यह क्षेत्र कायांतरित प्रक्रियाओं से गुज़र चुका है।
2. मध्य उच्च भू-भाग का पूर्वी विस्तार राजमहल पहाड़ियों तक है।
3. पश्चिम में अरावली पर्वत इसकी सीमा बनाता है जो ब्लाक पर्वत का उत्कृष्ट उदाहरण है।
उपरोक्त में से कौन-से कथन सत्य हैं?Correct
व्याख्याः मुख्य उच्चावच लक्षणों के अनुसार प्रायद्वीपीय पठार को तीन भागों में बाँटा जाता है-दक्कन का पठार, मध्य उच्च भू-भाग, उत्तर-पूर्वी पठार।
नर्मदा नदी के उत्तर में प्रायद्वीपीय पठार का वह भाग जो कि मालवा के पठार के अधिकतर भागों पर फैला है, उसे मध्य उच्च भू-भाग के नाम से जाना जाता है। अपने भूगर्भीय इतिहास में यह क्षेत्र कायांतरित प्रक्रियाओं से गुज़र चुका है और कायांतरित चट्टानों जैसे-संगमरमर, स्लेट और नाइस की उपस्थिति इसका प्रमाण है। मध्य उच्च भू-भाग का पूर्वी विस्तार राजमहल की पहाड़ियों तक है, जिसके दक्षिण में स्थित छोटानागपुर पठार खजिन पदार्थों का भंडार है।
कथन 3 गलत है। पश्चिम में अरावली पर्वत मध्य उच्च भू-भाग की सीमा बनाता है, यह अवशिष्ट पर्वत के उत्कृष्ट उदाहरण है, जो कि काफी हद तक अपरदित है और इसकी श्रृंखला टूटी हुई है। प्रायद्वीपीय पठार के इस भाग का विस्तार जैसलमेर तक है जहाँ यह अनुदैर्ध्य रेल के डिब्बों और चापाकार (बरखान) रेतीले डिब्बों से ढँका है।
Incorrect
व्याख्याः मुख्य उच्चावच लक्षणों के अनुसार प्रायद्वीपीय पठार को तीन भागों में बाँटा जाता है-दक्कन का पठार, मध्य उच्च भू-भाग, उत्तर-पूर्वी पठार।
नर्मदा नदी के उत्तर में प्रायद्वीपीय पठार का वह भाग जो कि मालवा के पठार के अधिकतर भागों पर फैला है, उसे मध्य उच्च भू-भाग के नाम से जाना जाता है। अपने भूगर्भीय इतिहास में यह क्षेत्र कायांतरित प्रक्रियाओं से गुज़र चुका है और कायांतरित चट्टानों जैसे-संगमरमर, स्लेट और नाइस की उपस्थिति इसका प्रमाण है। मध्य उच्च भू-भाग का पूर्वी विस्तार राजमहल की पहाड़ियों तक है, जिसके दक्षिण में स्थित छोटानागपुर पठार खजिन पदार्थों का भंडार है।
कथन 3 गलत है। पश्चिम में अरावली पर्वत मध्य उच्च भू-भाग की सीमा बनाता है, यह अवशिष्ट पर्वत के उत्कृष्ट उदाहरण है, जो कि काफी हद तक अपरदित है और इसकी श्रृंखला टूटी हुई है। प्रायद्वीपीय पठार के इस भाग का विस्तार जैसलमेर तक है जहाँ यह अनुदैर्ध्य रेल के डिब्बों और चापाकार (बरखान) रेतीले डिब्बों से ढँका है।
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Question 9 of 20
9. Question
1 pointsमेघालय के पठार के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
1. मेघालय का पठार, प्रायद्वीपीय पठार का ही विस्तार है।
2. मेघालय के पठार पर खनिज पदार्थों के निक्षेप नहीं मिलते।
3. मेघालय के पठार पर अवस्थित चेरापुंजी नग्न चट्टानों से ढँका स्थल है और यहाँ वनस्पति लगभग नहीं के बराबर है।
कूटःCorrect
व्याख्याः केवल कथन 1 और 3 ही सत्य हैं। भारत के उत्तर-पूर्व का पठार, प्रायद्वीपीय पठार का ही एक विस्तारित भाग है। यह माना जाता है कि हिमालय की उत्पत्ति के समय इंडियन प्लेट के उत्तर-पूर्व दिशा में खिसकने के कारण राजमहल पहाड़ियों और मेघालय के पठार के बीच भ्रंश घाटी बनने से यह अलग हो गया था। बाद में यह नदी द्वारा जमा किये जलोढ़ द्वारा पाट दिया गया। आज मेघालय और कार्बी ऐंगलोंग पठार (असम), इसी कारण से मुख्य प्रायद्वीपीय पठार से अलग-थलग हैं।
• छोटानागपुर के पठार की तरह मेघालय का पठार भी कोयला, लोहा, सिलीमेनाइट, चूने के पत्थर और यूरेनियम जैसे खजिन पदार्थों का भंडार है।
• उत्तर-पूर्वी पठारी क्षेत्र में अधिकतर वर्षा दक्षिणी-पश्चिमी मानूसन से होती है। परिणामस्वरूप, मेघालय का पठार एक अति अपरदित भूतल है। चेरापूंजी नग्न चट्टानों से ढँका स्थल है और यहाँ वनस्पति लगभग नहीं के बराबर है। नोकरेक मेघालय पठार की सर्वोच्च चोटी है।Incorrect
व्याख्याः केवल कथन 1 और 3 ही सत्य हैं। भारत के उत्तर-पूर्व का पठार, प्रायद्वीपीय पठार का ही एक विस्तारित भाग है। यह माना जाता है कि हिमालय की उत्पत्ति के समय इंडियन प्लेट के उत्तर-पूर्व दिशा में खिसकने के कारण राजमहल पहाड़ियों और मेघालय के पठार के बीच भ्रंश घाटी बनने से यह अलग हो गया था। बाद में यह नदी द्वारा जमा किये जलोढ़ द्वारा पाट दिया गया। आज मेघालय और कार्बी ऐंगलोंग पठार (असम), इसी कारण से मुख्य प्रायद्वीपीय पठार से अलग-थलग हैं।
• छोटानागपुर के पठार की तरह मेघालय का पठार भी कोयला, लोहा, सिलीमेनाइट, चूने के पत्थर और यूरेनियम जैसे खजिन पदार्थों का भंडार है।
• उत्तर-पूर्वी पठारी क्षेत्र में अधिकतर वर्षा दक्षिणी-पश्चिमी मानूसन से होती है। परिणामस्वरूप, मेघालय का पठार एक अति अपरदित भूतल है। चेरापूंजी नग्न चट्टानों से ढँका स्थल है और यहाँ वनस्पति लगभग नहीं के बराबर है। नोकरेक मेघालय पठार की सर्वोच्च चोटी है। -
Question 10 of 20
10. Question
1 pointsमेघालय के पठार को तीन भागों में बाँटा गया है – गारो पहाड़ियाँ, खासी पहाड़ियाँ और जयंतिया पहाड़ियाँ। इस विभाजन का आधार है-
Correct
व्याख्याः मेघालय के पठार पर आवास करने वाली जनजातियों के नाम के आधार पर इस पठार को तीन भागों में बाँटा गया है-
1. गारो पहाड़ियाँ
2. खासी पहाड़ियाँ
3. जयंतिया पहाड़ियाँIncorrect
व्याख्याः मेघालय के पठार पर आवास करने वाली जनजातियों के नाम के आधार पर इस पठार को तीन भागों में बाँटा गया है-
1. गारो पहाड़ियाँ
2. खासी पहाड़ियाँ
3. जयंतिया पहाड़ियाँ -
Question 11 of 20
11. Question
1 pointsपूर्वी घाट का विस्तार हैः
Correct
व्याख्याः पूर्वी घाट का विस्तार महानदी घाटी से दक्षिण में नीलगिरी तक है।
Incorrect
व्याख्याः पूर्वी घाट का विस्तार महानदी घाटी से दक्षिण में नीलगिरी तक है।
-
Question 12 of 20
12. Question
1 pointsभारतीय मरुस्थल के संदर्भ में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. भारतीय मरुस्थल अरावली पहाड़ियों के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।
2. इस क्षेत्र की भूगर्भिक चट्टान संरचना प्रायद्वीपीय पठार का विस्तार है।
3. लूनी नदी इस क्षेत्र की एक महत्त्वपूर्ण नदी है।
उपरोक्त कथनों में से कौन-से सत्य हैं?
कूटःCorrect
व्याख्याः केवल कथन 2 और 3 सत्य हैं। विशाल भारतीय मरुस्थल अरावली पहाड़ियों के उत्तर-पश्चिम में स्थित है। यहाँ पर वार्षिक वर्षा 150 मिलीमीटर से कम होती है, जिसके परिणामस्वरूप यह एक शुष्क और वनस्पति रहित क्षेत्र है। इन्हीं गुणों के कारण इसे ‘मरुस्थली’ कहा जाता है। यद्यपि इस क्षेत्र की भूगर्भिक चट्टान संरचना प्रायद्वीपीय पठार का विस्तार है, तथापि अत्यंत शुष्क दशाओं के कारण इसकी धरातलीय आकृतियाँ भौतिक अपक्षय और पवन क्रिया द्वारा निर्मित हैं।
मरुस्थल के दक्षिण भाग में बहने वाली लूनी नदी यहाँ की एक महत्त्वपूर्ण नदी है जो कि अरावली पहाड़ियों से निकलती है।
Incorrect
व्याख्याः केवल कथन 2 और 3 सत्य हैं। विशाल भारतीय मरुस्थल अरावली पहाड़ियों के उत्तर-पश्चिम में स्थित है। यहाँ पर वार्षिक वर्षा 150 मिलीमीटर से कम होती है, जिसके परिणामस्वरूप यह एक शुष्क और वनस्पति रहित क्षेत्र है। इन्हीं गुणों के कारण इसे ‘मरुस्थली’ कहा जाता है। यद्यपि इस क्षेत्र की भूगर्भिक चट्टान संरचना प्रायद्वीपीय पठार का विस्तार है, तथापि अत्यंत शुष्क दशाओं के कारण इसकी धरातलीय आकृतियाँ भौतिक अपक्षय और पवन क्रिया द्वारा निर्मित हैं।
मरुस्थल के दक्षिण भाग में बहने वाली लूनी नदी यहाँ की एक महत्त्वपूर्ण नदी है जो कि अरावली पहाड़ियों से निकलती है।
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Question 13 of 20
13. Question
1 points‘बरकान’ स्थलाकृति का संबंध हैः
Correct
व्याख्याः ‘बरकान’ अर्ध-चंद्राकार बालू के टीले को कहते हैं, जिसका विस्तार भारतीय मरुस्थल के बहुत अधिक क्षेत्र पर है। भारत-पाकिस्तान सीमा के समीप लम्बवत् बालू के टीले प्रमुखता से पाए जाते हैं।
जैसलमेर के समीप बरकान के समूह देखे जा सकते हैं। भारतीय मरुस्थल एक ऊबड़-खाबड़ भूतल है, जिस पर बहुत से अनुदैर्ध्य रेतीले टीले और बरकान पाए जाते हैं।
Incorrect
व्याख्याः ‘बरकान’ अर्ध-चंद्राकार बालू के टीले को कहते हैं, जिसका विस्तार भारतीय मरुस्थल के बहुत अधिक क्षेत्र पर है। भारत-पाकिस्तान सीमा के समीप लम्बवत् बालू के टीले प्रमुखता से पाए जाते हैं।
जैसलमेर के समीप बरकान के समूह देखे जा सकते हैं। भारतीय मरुस्थल एक ऊबड़-खाबड़ भूतल है, जिस पर बहुत से अनुदैर्ध्य रेतीले टीले और बरकान पाए जाते हैं।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-कौन सी स्थलाकृतियाँ भारतीय मरुस्थलीय क्षेत्र में पाई जाती हैं?
1. स्थानांतरी रेतीले टीले
2. छत्रक चट्टानें (Mushroom rocks)
3. मरुउद्यान (Oasis)
4. टॉर
कूटःCorrect
व्याख्याः भारतीय मरुस्थलीय क्षेत्र में अत्यंत शुष्क दशाओं के कारण इसकी धरातलीय आकृतियाँ भौतिक अपक्षय और पवन क्रिया द्वारा निर्मित हैं। यहाँ की प्रमुख स्थलाकृतियाँ हैं-स्थानांतरी रेतीले टीले, छत्रक चट्टानें और मरुउद्यान।
ढाल के आधार पर मरुस्थल को दो भागों में बाँटा जा सकता है- सिंध की ओर ढाल वाला उत्तरी भाग और कच्छ के रन की ओर ढाल वाला दक्षिणी भाग।
कम वर्षा और बहुत अधिक वाष्पीकरण की वज़ह से इस प्रदेश में हमेशा जल की कमी रहती है। इन क्षेत्र में नदियाँ थोड़ी दूरी तय करने के बाद लुप्त हो जाती हैं, अर्थात् अंतःस्थलीय अपवाह क्षेत्र का निर्माण करती हैं। नदियाँ झील या प्लाया में मिल जाती हैं। इन प्लाया और झीलों का जल खारा होता है, जिससे नमक बनाया जाता है।
Incorrect
व्याख्याः भारतीय मरुस्थलीय क्षेत्र में अत्यंत शुष्क दशाओं के कारण इसकी धरातलीय आकृतियाँ भौतिक अपक्षय और पवन क्रिया द्वारा निर्मित हैं। यहाँ की प्रमुख स्थलाकृतियाँ हैं-स्थानांतरी रेतीले टीले, छत्रक चट्टानें और मरुउद्यान।
ढाल के आधार पर मरुस्थल को दो भागों में बाँटा जा सकता है- सिंध की ओर ढाल वाला उत्तरी भाग और कच्छ के रन की ओर ढाल वाला दक्षिणी भाग।
कम वर्षा और बहुत अधिक वाष्पीकरण की वज़ह से इस प्रदेश में हमेशा जल की कमी रहती है। इन क्षेत्र में नदियाँ थोड़ी दूरी तय करने के बाद लुप्त हो जाती हैं, अर्थात् अंतःस्थलीय अपवाह क्षेत्र का निर्माण करती हैं। नदियाँ झील या प्लाया में मिल जाती हैं। इन प्लाया और झीलों का जल खारा होता है, जिससे नमक बनाया जाता है।
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Question 15 of 20
15. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा भारत का सबसे लम्बी तटरेखा वाला राज्य है?
Correct
व्याख्याः भारत की स्थल सीमा रेखा लगभग 15, 200 किमी. और समुद्री तट रेखा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप समूह के साथ 7, 516.6 किमी. है। भारत के विभिन्न तटीय राज्यों में गुजरात की तटरेखा की लम्बाई सबसे अधिक है।
Incorrect
व्याख्याः भारत की स्थल सीमा रेखा लगभग 15, 200 किमी. और समुद्री तट रेखा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप समूह के साथ 7, 516.6 किमी. है। भारत के विभिन्न तटीय राज्यों में गुजरात की तटरेखा की लम्बाई सबसे अधिक है।
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Question 16 of 20
16. Question
1 pointsपश्चिमी तटीय मैदान के संदर्भ में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. पश्चिमी तटीय मैदान मध्य में चौड़े परंतु उत्तर तथा दक्षिण में संकीर्ण हैं।
2. पश्चिमी तटीय मैदान जलमग्न तटीय मैदान के उदाहरण हैं।
3. पश्चिमी तटीय मैदान में बहने वाली नदियाँ डेल्टा नहीं बनाती हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः केवल कथन 2 और 3 सत्य हैं। स्थिति और सक्रिय भूआकृतिक प्रक्रियाओं के आधार पर भारतीय तटीय मैदानों को दो भागों में बाँटा जाता है-
1. पश्चिमी तटीय मैदान 2. पूर्वी तटीय मैदान- पश्चिमी तटीय मैदान मध्य में संकीर्ण हैं परंतु उत्तर और दक्षिण में चौड़े हो जाते हैं। अतः कथन 1 गलत है ।
- पश्चिमी तटीय मैदान जलमग्न तटीय मैदानों के उदाहरण हैं।
- इस तटीय मैदान में बहने वाली नदियाँ डेल्टा नहीं बनाती हैं बल्कि एस्चुरी का निर्माण करती हैं।
Incorrect
व्याख्याः केवल कथन 2 और 3 सत्य हैं। स्थिति और सक्रिय भूआकृतिक प्रक्रियाओं के आधार पर भारतीय तटीय मैदानों को दो भागों में बाँटा जाता है-
1. पश्चिमी तटीय मैदान 2. पूर्वी तटीय मैदान- पश्चिमी तटीय मैदान मध्य में संकीर्ण हैं परंतु उत्तर और दक्षिण में चौड़े हो जाते हैं। अतः कथन 1 गलत है ।
- पश्चिमी तटीय मैदान जलमग्न तटीय मैदानों के उदाहरण हैं।
- इस तटीय मैदान में बहने वाली नदियाँ डेल्टा नहीं बनाती हैं बल्कि एस्चुरी का निर्माण करती हैं।
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Question 17 of 20
17. Question
1 pointsकथन : पश्चिमी तट पत्तनों एवं बंदरगाहों के विकास के लिये प्राकृतिक परिस्थितियाँ प्रदान करता है।
कारण : पश्चिमी तटीय मैदान एक जलमग्न संकीर्ण पट्टी है।
कूटःCorrect
व्याख्याः पश्चिमी तटीय मैदान जलमग्न तटीय मैदानों के उदाहरण हैं। जलमग्न होने के कारण पश्चिमी तटीय मैदान एक संकीर्ण पट्टी मात्र है और पत्तनों एवं बंदरगाहों के विकास के लिये प्राकृतिक परिस्थितियाँ प्रदान करता है।
Incorrect
व्याख्याः पश्चिमी तटीय मैदान जलमग्न तटीय मैदानों के उदाहरण हैं। जलमग्न होने के कारण पश्चिमी तटीय मैदान एक संकीर्ण पट्टी मात्र है और पत्तनों एवं बंदरगाहों के विकास के लिये प्राकृतिक परिस्थितियाँ प्रदान करता है।
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Question 18 of 20
18. Question
1 pointsपश्चिमी तटीय मैदान के विभाजन के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सही सुमेलित नहीं है।
Correct
व्याख्याः उत्तर में गुजरात तट से दक्षिण में केरल तट तक फैले पश्चिमी तटीय मैदान को निम्न भागों में विभाजित किया जाता है-
1. गुजरात का कच्छ और काठियावाड़ तट
2. महाराष्ट्र का कोंकण तट
3. कर्नाटक और केरल के क्रमशः मालाबार तट
पूर्वी तटीय मैदान का दक्षिणी भाग कोरोमंडल के नाम से जाना जाता है।Incorrect
व्याख्याः उत्तर में गुजरात तट से दक्षिण में केरल तट तक फैले पश्चिमी तटीय मैदान को निम्न भागों में विभाजित किया जाता है-
1. गुजरात का कच्छ और काठियावाड़ तट
2. महाराष्ट्र का कोंकण तट
3. कर्नाटक और केरल के क्रमशः मालाबार तट
पूर्वी तटीय मैदान का दक्षिणी भाग कोरोमंडल के नाम से जाना जाता है। -
Question 19 of 20
19. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-से पश्चिमी तटीय मैदान पर स्थित प्राकृतिक बंदरगाह हैं?
1. पाराद्वीप
2. न्हावाशेवा
3. मैंगलौर
4. विशाखापत्तनम
5. कांडला
कूटःCorrect
व्याख्याः पश्चिमी तट पर स्थित प्राकृतिक बंदरगाह-
- कांडला : यह गुजरात राज्य के कच्छ की खाड़ी में स्थित एक ज्वारीय बंदरगाह है।
- मझगाँव : यह महाराष्ट्र के मुंबई तट पर स्थित भारत का अग्रणी शिपयार्ड है।
- न्हावाशेवा बंदरगाह : यह मुंबई बंदरगाह के निकट ही स्थित है। इसका निर्माण मुंबई बंदरगाह के दबाव को कम करने के लिये किया गया है। यह देश का सबसे आधुनिक एवं सर्व सुविधायुक्त बंदरगाह है।
- मर्मागोवा : अरब सागर के गोवा राज्य में स्थित यह एक प्राकृतिक बंदरगाह है।
- मैंगलौर : यह बंदरगाह कर्नाटक राज्य में स्थित है। कुद्रेमुख की खानों से निकाले जाने वाले लौह अयस्क को इसी बंदरगाह से निर्यात किया जाता है।
- कोचीन बंदरगाह : केरल राज्य में स्थित एक प्राकृतिक बंदरगाह है। इसे भारत के पश्चिमी तट का सर्वश्रेष्ठ बंदरगाह माना जाता है।
पूर्वी तट पर स्थित बंदरगाह
1. कोलकाता (प. बंगाल)
2. हल्दिया (प. बंगाल)
3. पाराद्वीप (उड़ीसा)
4. विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश)
5. चेन्नई (तमिलनाडु)
6. तूतीकोरन (तमिलनाडु)Incorrect
व्याख्याः पश्चिमी तट पर स्थित प्राकृतिक बंदरगाह-
- कांडला : यह गुजरात राज्य के कच्छ की खाड़ी में स्थित एक ज्वारीय बंदरगाह है।
- मझगाँव : यह महाराष्ट्र के मुंबई तट पर स्थित भारत का अग्रणी शिपयार्ड है।
- न्हावाशेवा बंदरगाह : यह मुंबई बंदरगाह के निकट ही स्थित है। इसका निर्माण मुंबई बंदरगाह के दबाव को कम करने के लिये किया गया है। यह देश का सबसे आधुनिक एवं सर्व सुविधायुक्त बंदरगाह है।
- मर्मागोवा : अरब सागर के गोवा राज्य में स्थित यह एक प्राकृतिक बंदरगाह है।
- मैंगलौर : यह बंदरगाह कर्नाटक राज्य में स्थित है। कुद्रेमुख की खानों से निकाले जाने वाले लौह अयस्क को इसी बंदरगाह से निर्यात किया जाता है।
- कोचीन बंदरगाह : केरल राज्य में स्थित एक प्राकृतिक बंदरगाह है। इसे भारत के पश्चिमी तट का सर्वश्रेष्ठ बंदरगाह माना जाता है।
पूर्वी तट पर स्थित बंदरगाह
1. कोलकाता (प. बंगाल)
2. हल्दिया (प. बंगाल)
3. पाराद्वीप (उड़ीसा)
4. विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश)
5. चेन्नई (तमिलनाडु)
6. तूतीकोरन (तमिलनाडु) -
Question 20 of 20
20. Question
1 pointsनीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. ‘कयाल’ कोंकण तट की विशेष स्थलाकृति है।
2. ‘कयाल’ का प्रयोग मछली पकड़ने और अंतःस्थलीय नौकायन के लिये किया जाता है
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः केवल कथन 2 सत्य है। ‘कयाल’ (Back Water) मालाबार तट की विशेष स्थलाकृति है, जिसका प्रयोग मछली पकड़ने और अंतःस्थलीय नौकायन के लिये किया जाता है। ‘कयाल’ पर्यटकों के लिये विशेष आकर्षण का केन्द्र है। केरल में हर वर्ष प्रसिद्ध नेहरू ट्रॉफी वल्लभकली (नौका दौड़) का आयोजन ‘पुन्नामदा कयाल’ में किया जाता है।
Incorrect
व्याख्याः केवल कथन 2 सत्य है। ‘कयाल’ (Back Water) मालाबार तट की विशेष स्थलाकृति है, जिसका प्रयोग मछली पकड़ने और अंतःस्थलीय नौकायन के लिये किया जाता है। ‘कयाल’ पर्यटकों के लिये विशेष आकर्षण का केन्द्र है। केरल में हर वर्ष प्रसिद्ध नेहरू ट्रॉफी वल्लभकली (नौका दौड़) का आयोजन ‘पुन्नामदा कयाल’ में किया जाता है।
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