भारत भौतिक पर्यावरण टेस्ट 7
भारत भौतिक पर्यावरण टेस्ट 7
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न कक्षा 11 की पुस्तक भारत भौतिक पर्यावरण (एन.सी.ई.आर.टी.) पर आधारित है| यदि आप ‘भारत भौतिक पर्यावरण’ विषय की अधिक जानकारी नहीं रखते है तो इस टेस्ट को देने से पहले आप पुस्तक का रिविजन आवश्य करें|
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Question 1 of 20
1. Question
1 points‘दुआर’ स्थलाकृतियाँ पाई जाती हैं-
Correct
व्याख्याः दार्जिलिंग और सिक्किम हिमालय बाकी हिमालयी क्षेत्र से भिन्न है, क्योंकि यहाँ ‘दुआर’ स्थलाकृतियाँ पाई जाती हैं जिनका उपयोग चाय बागान लगाने के लिये किया गया है। यहाँ की प्राकृतिक दशाओं जैसे- मध्यम ढाल, गहरी व जीवाश्मयुक्त मिट्टी, सम्पूर्ण वर्ष वर्षा का होना और मंद शीत ऋतु का फायदा उठाकर अंग्रेजों ने यहाँ चाय के बागान लगाए।
Incorrect
व्याख्याः दार्जिलिंग और सिक्किम हिमालय बाकी हिमालयी क्षेत्र से भिन्न है, क्योंकि यहाँ ‘दुआर’ स्थलाकृतियाँ पाई जाती हैं जिनका उपयोग चाय बागान लगाने के लिये किया गया है। यहाँ की प्राकृतिक दशाओं जैसे- मध्यम ढाल, गहरी व जीवाश्मयुक्त मिट्टी, सम्पूर्ण वर्ष वर्षा का होना और मंद शीत ऋतु का फायदा उठाकर अंग्रेजों ने यहाँ चाय के बागान लगाए।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsमोनपा, डफ्फला, अबोर, मिशमी, निशी और नागा हैं-
Correct
व्याख्याः भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित अरुणाचल हिमालय की मुख्य विशेषता यह है कि यहाँ बहुत-सी जनजातियाँ निवास करती हैं। इस क्षेत्र में पश्चिम से पूर्व में बसी कुछ जनजातियाँ इस प्रकार हैं- मोनपा, डफ्फला, अबोर, मिशमी, निशी और नागा। इनमें से ज़्यादातर जनजातियाँ झूम खेती करती हैं, जिसे स्थानांतरी कृषि या स्लैश और बर्न कृषि भी कहा जाता है। यह क्षेत्र जैव-विविधता में धनी है जिसका संरक्षण देशज समुदायों ने किया।
Incorrect
व्याख्याः भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित अरुणाचल हिमालय की मुख्य विशेषता यह है कि यहाँ बहुत-सी जनजातियाँ निवास करती हैं। इस क्षेत्र में पश्चिम से पूर्व में बसी कुछ जनजातियाँ इस प्रकार हैं- मोनपा, डफ्फला, अबोर, मिशमी, निशी और नागा। इनमें से ज़्यादातर जनजातियाँ झूम खेती करती हैं, जिसे स्थानांतरी कृषि या स्लैश और बर्न कृषि भी कहा जाता है। यह क्षेत्र जैव-विविधता में धनी है जिसका संरक्षण देशज समुदायों ने किया।
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Question 3 of 20
3. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सी विशेषताएँ अरुणाचल हिमालय से संबंधित हैं?
1. अरुणाचल हिमालय की पर्वत श्रेणियाँ तेज़ बहती हुई और गहरे गॉर्ज बनाने वाली नदियों द्वारा विच्छेदित होती हैं।
2. यहाँ की नदियाँ बहुत से जल-प्रपात बनाती हैं।
3. यहाँ का क्षेत्रीय व्यापार दुआर क्षेत्रों से होकर किया जाता है।
कूटःCorrect
व्याख्याः
- अरुणाचल पर्वत भूटान हिमालय से लेकर पूर्व में डिफू दर्रे तक फैला है। इस पर्वत श्रेणी की सामान्य दिशा दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पूर्व है। ये पर्वत श्रेणियाँ उत्तर से दक्षिण में तेज़ी से बहती हुई और गहरे गार्ज बनाने वाली नदियों द्वारा विच्छेदित होती हैं। नामचा बरुआ को पार करने के बाद ब्रह्मपुत्र नदी एक गहरी गार्ज बनाती है।
- कामेंग, सुबनसरी, दिहांग, दिबांग और लोहित यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं। ये बारहमासी नदियाँ हैं तथा बहुत से जल-प्रपात बनाती हैं। इसलिये यहाँ जल-विद्युत उत्पादन की क्षमता काफी है।
- ऊबड़-खाबड़ स्थलाकृति के कारण यहाँ पर विभिन्न घाटियों के बीच परिवहन जुड़ाव लगभग नाम-मात्र ही है। इसलिये अरुणाचल-असम सीमा पर स्थित दुआर क्षेत्र से होकर ही यहाँ कारोबार किया जा सकता है।
Incorrect
व्याख्याः
- अरुणाचल पर्वत भूटान हिमालय से लेकर पूर्व में डिफू दर्रे तक फैला है। इस पर्वत श्रेणी की सामान्य दिशा दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पूर्व है। ये पर्वत श्रेणियाँ उत्तर से दक्षिण में तेज़ी से बहती हुई और गहरे गार्ज बनाने वाली नदियों द्वारा विच्छेदित होती हैं। नामचा बरुआ को पार करने के बाद ब्रह्मपुत्र नदी एक गहरी गार्ज बनाती है।
- कामेंग, सुबनसरी, दिहांग, दिबांग और लोहित यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं। ये बारहमासी नदियाँ हैं तथा बहुत से जल-प्रपात बनाती हैं। इसलिये यहाँ जल-विद्युत उत्पादन की क्षमता काफी है।
- ऊबड़-खाबड़ स्थलाकृति के कारण यहाँ पर विभिन्न घाटियों के बीच परिवहन जुड़ाव लगभग नाम-मात्र ही है। इसलिये अरुणाचल-असम सीमा पर स्थित दुआर क्षेत्र से होकर ही यहाँ कारोबार किया जा सकता है।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsपूर्वी हिमालय पहाड़ियों के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. हिमालय पर्वत के इस भाग में पहाड़ियों की दिशा पश्चिम से पूर्व है।
2. ये पहाड़ियाँ मज़बूत बलुआ पत्थर जो अवसादी शैल है, से बनी हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः केवल कथन 2 सत्य है। हिमालय पर्वत श्रृंखला के पूर्वी भाग में स्थित पहाड़ियों की दिशा उत्तर से दक्षिण है। ये पहाड़ियाँ उत्तर-पूर्वी राज्यों से होकर गुजरती हैं तथा मजबूत बलुआ पत्थर जो अवसादी शैल हैं, से बनी हैं। ये घने जंगलों से ढँकी हैं तथा अधिकतर समानांतरशृंखलाओं एवं घाटियों के रूप में फैली हैं।
Incorrect
व्याख्याः केवल कथन 2 सत्य है। हिमालय पर्वत श्रृंखला के पूर्वी भाग में स्थित पहाड़ियों की दिशा उत्तर से दक्षिण है। ये पहाड़ियाँ उत्तर-पूर्वी राज्यों से होकर गुजरती हैं तथा मजबूत बलुआ पत्थर जो अवसादी शैल हैं, से बनी हैं। ये घने जंगलों से ढँकी हैं तथा अधिकतर समानांतरशृंखलाओं एवं घाटियों के रूप में फैली हैं।
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Question 5 of 20
5. Question
1 pointsहिमालय पर्वत श्रृंखला की पूर्वी पहाड़ियों का उत्तर से दक्षिण की ओर सही क्रम है-
Correct
व्याख्याः हिमालय पर्वत श्रृंखला की पूर्वी पहाड़ियों का उत्तर से दक्षिण की ओर सही क्रम है- पटकाई बूम, नागा पहाड़ियाँ, मणिपुर पहाड़ियाँ, मिजो या लुसाई पहाड़ियाँ। यह एक नीची पहाड़ी क्षेत्र है जहाँ ज़्यादातर पहाड़ियाँ छोटे-बड़े नदी-नालों द्वारा अलग होती हैं।
Incorrect
व्याख्याः हिमालय पर्वत श्रृंखला की पूर्वी पहाड़ियों का उत्तर से दक्षिण की ओर सही क्रम है- पटकाई बूम, नागा पहाड़ियाँ, मणिपुर पहाड़ियाँ, मिजो या लुसाई पहाड़ियाँ। यह एक नीची पहाड़ी क्षेत्र है जहाँ ज़्यादातर पहाड़ियाँ छोटे-बड़े नदी-नालों द्वारा अलग होती हैं।
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Question 6 of 20
6. Question
1 points‘बराक नदी’ किन राज्यों की एक महत्त्वपूर्ण नदी है?
Correct
व्याख्याः मणिपुर की पहाड़ियों से निकलने वाली बराक नदी मणिपुर और मिजोरम की एक मुख्य नदी है। बराक नदी मेघना नदी की एक सहायक नदी है। मणिपुर के पूर्वी भाग में बहने वाली नदियाँ चिंदविन नदी की सहायक नदियाँ हैं जो कि म्यांमार में बहने वाली इरावदी नदी की एक सहायक नदी है।
Incorrect
व्याख्याः मणिपुर की पहाड़ियों से निकलने वाली बराक नदी मणिपुर और मिजोरम की एक मुख्य नदी है। बराक नदी मेघना नदी की एक सहायक नदी है। मणिपुर के पूर्वी भाग में बहने वाली नदियाँ चिंदविन नदी की सहायक नदियाँ हैं जो कि म्यांमार में बहने वाली इरावदी नदी की एक सहायक नदी है।
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsउत्तर-पूर्व के किस राज्य को ‘मोलेसिस बेसिन’ कहा जाता है?
Correct
व्याख्याः उत्तर-पूर्वी राज्य मिजोरम को ‘मोलेसिस बेसिन’ कहा जाता है, जो कि मृदुल और असंगठित चट्टानों से बना है।
Incorrect
व्याख्याः उत्तर-पूर्वी राज्य मिजोरम को ‘मोलेसिस बेसिन’ कहा जाता है, जो कि मृदुल और असंगठित चट्टानों से बना है।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsसूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिये और नीचे दिये गए कूट में से सही उत्तर चुनियेः
A. नंदादेवी 1. सिक्किम B. कंचनजंगा 2. उत्तराखण्ड C. मकालू 3. नेपाल D. नंगा पर्वत 4. जम्मू-कश्मीर कूटः
Correct
व्याख्याः हिमालय पर्वत की विभिन्न चोटियाँ एवं उनकी स्थिति निम्नलिखित हैं-
1. सिक्किम – कंचनजंगा (भारत में हिमालय की सबसे ऊँची चोटी)
2. उत्तराखंड – नंदादेवी, बद्रीनाथ, कामेंट
3. नेपाल – धौलागिरि, अन्नपूर्णा, मकालू
4. जम्मू-कश्मीर – नंगा पर्वतIncorrect
व्याख्याः हिमालय पर्वत की विभिन्न चोटियाँ एवं उनकी स्थिति निम्नलिखित हैं-
1. सिक्किम – कंचनजंगा (भारत में हिमालय की सबसे ऊँची चोटी)
2. उत्तराखंड – नंदादेवी, बद्रीनाथ, कामेंट
3. नेपाल – धौलागिरि, अन्नपूर्णा, मकालू
4. जम्मू-कश्मीर – नंगा पर्वत -
Question 9 of 20
9. Question
1 pointsहिमालयी क्षेत्रों में निवास करने वाली विभिन्न जनजातियों और उनके निवास स्थान के संदर्भ में सूची-I को सूची-II से मिलाइयेः
सूची-I सूची-II A. भोटिया 1. धौलाधर श्रेणी B. लेपचा 2. वृहत हिमालय C. डफ्फला 3. सिक्किम हिमालय D. गद्दी 4. अरुणाचल हिमालय कूटः
Correct
व्याख्याः
1. वृहत हिमालय की घाटियों में भोटिया जनजाति के लोग रहते हैं। ये खानाबदोश लोग हैं जो ग्रीष्म ऋतु में बुगयाल (ऊँचाई पर स्थित घास के मैदान) में चले जाते हैं और शरद ऋतु में घाटियों में लौट आते हैं।
2. सिक्किम पर्वतों के ऊँचे शिखरों पर लेपचा जनजाति पाई जाती है।
3. डफ्फला जनजाति अरुणाचल हिमालय में पाई जाती है।
4. हिमालय पर्वत श्रृंखला की धौलाधर श्रेणी में ऊँचाई वाले स्थानों पर गद्दी जनजाति का निवास है। गद्दी अपने आपको गढ़वा (राजस्थान) के शासकों का वंशज मानते हैं।Incorrect
व्याख्याः
1. वृहत हिमालय की घाटियों में भोटिया जनजाति के लोग रहते हैं। ये खानाबदोश लोग हैं जो ग्रीष्म ऋतु में बुगयाल (ऊँचाई पर स्थित घास के मैदान) में चले जाते हैं और शरद ऋतु में घाटियों में लौट आते हैं।
2. सिक्किम पर्वतों के ऊँचे शिखरों पर लेपचा जनजाति पाई जाती है।
3. डफ्फला जनजाति अरुणाचल हिमालय में पाई जाती है।
4. हिमालय पर्वत श्रृंखला की धौलाधर श्रेणी में ऊँचाई वाले स्थानों पर गद्दी जनजाति का निवास है। गद्दी अपने आपको गढ़वा (राजस्थान) के शासकों का वंशज मानते हैं। -
Question 10 of 20
10. Question
1 pointsनिम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा सुमेलित नहीं है?
दर्रा राज्यCorrect
व्याख्याः लिपु लेख दर्रा भारत-चीन सीमा पर उत्तराखण्ड राज्य में स्थित है न कि अरुणाचल प्रदेश में।
Incorrect
व्याख्याः लिपु लेख दर्रा भारत-चीन सीमा पर उत्तराखण्ड राज्य में स्थित है न कि अरुणाचल प्रदेश में।
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Question 11 of 20
11. Question
1 pointsउत्तरी मैदान के संदर्भ में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. उत्तरी मैदान मूलतः एक भू-अभिनति गर्त है।
2. यह मैदान लैटेराइट मृदा से बना है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः कथन 1 सत्य है। भारत का उत्तरी मैदान मूलतः एक भू-अभिनति गर्त है जिसका निर्माण मुख्य रूप से हिमालय पर्वतमाला निर्माण प्रक्रिया के तीसरे चरण में लगभग 6.4 करोड़ वर्ष पहले हुआ था। ‘टेथिस’ सागर के हिमालय के रूप में ऊपर उठने तथा प्रायद्वीपीय पठार के नीचे धँसने के परिणामस्वरूप एक बहुत बड़ी द्रोणी का निर्माण हुआ। समय के साथ यह बेसिन उत्तर के पर्वतों एवं दक्षिण के प्रायद्वीपीय पठारों से बहने वाली नदियों के अवसादी निक्षेपों द्वारा धीरे-धीरे भर गया। इस प्रकार जलोढ़ निक्षेपों से निर्मित एक विस्तृत समतल भूभाग भारत के उत्तरी मैदान के रूप में विकसित हो गया। अतः कथन 2 गलत है।
Incorrect
व्याख्याः कथन 1 सत्य है। भारत का उत्तरी मैदान मूलतः एक भू-अभिनति गर्त है जिसका निर्माण मुख्य रूप से हिमालय पर्वतमाला निर्माण प्रक्रिया के तीसरे चरण में लगभग 6.4 करोड़ वर्ष पहले हुआ था। ‘टेथिस’ सागर के हिमालय के रूप में ऊपर उठने तथा प्रायद्वीपीय पठार के नीचे धँसने के परिणामस्वरूप एक बहुत बड़ी द्रोणी का निर्माण हुआ। समय के साथ यह बेसिन उत्तर के पर्वतों एवं दक्षिण के प्रायद्वीपीय पठारों से बहने वाली नदियों के अवसादी निक्षेपों द्वारा धीरे-धीरे भर गया। इस प्रकार जलोढ़ निक्षेपों से निर्मित एक विस्तृत समतल भूभाग भारत के उत्तरी मैदान के रूप में विकसित हो गया। अतः कथन 2 गलत है।
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Question 12 of 20
12. Question
1 pointsकथनः उत्तरी पर्वतों से निकलने वाली नदियाँ निचले भागों में नदीय द्वीपों का निर्माण करती हैं।
कारणः उत्तरी पर्वतों से निकलने वाली नदीयों के निचले भाग में ढाल तीव्र होने के कारण नदी का बहाव तेज़ होता है।
कूटःCorrect
व्याख्याः उत्तरी पर्वतों से आने वाली नदियाँ निक्षेपण कार्य में लगी हैं। नदी के निचले भाग में ढाल कम होने के कारण नदी की गति कम हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप नदीय द्वीपों का निर्माण होता है। ब्रह्मपुत्र नदी घाटी का मैदान नदीय द्वीप और बालू-रोधिकाओं की उपस्थिति के लिये जाना जाता है।
Incorrect
व्याख्याः उत्तरी पर्वतों से आने वाली नदियाँ निक्षेपण कार्य में लगी हैं। नदी के निचले भाग में ढाल कम होने के कारण नदी की गति कम हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप नदीय द्वीपों का निर्माण होता है। ब्रह्मपुत्र नदी घाटी का मैदान नदीय द्वीप और बालू-रोधिकाओं की उपस्थिति के लिये जाना जाता है।
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsविश्व का सबसे बड़ा नदीय द्वीप माजुली किस नदी पर अवस्थित है?
Correct
व्याख्याः ब्रह्मपुत्र नदी में स्थित माजुली विश्व का सबसे बड़ा नदीय द्वीप है। जहाँ लोग निवास करते हैं तथा वर्तमान में इसे असम राज्य का एक जिला घोषित कर दिया गया है।
Incorrect
व्याख्याः ब्रह्मपुत्र नदी में स्थित माजुली विश्व का सबसे बड़ा नदीय द्वीप है। जहाँ लोग निवास करते हैं तथा वर्तमान में इसे असम राज्य का एक जिला घोषित कर दिया गया है।
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Question 14 of 20
14. Question
1 points8 से 10 किलोमीटर चौड़ाई की पतली पट्टी जो शिवालिक गिरिपाद के समानांतर फैली हुई है। इसके परिणामस्वरूप हिमालय पर्वत श्रेणियों से बाहर निकलती नदियाँ यहाँ पर भारी जल-भार जैसे- बड़े शैल और गोलाश्म जमा कर देती हैं। सभी सरिताएँ इस पट्टी में विलुप्त हो जाती हैं।
उपरोक्त विवरण किसके संबंध में है?Correct
व्याख्याः ‘भाबर’ शिवालिक गिरिपाद के समानांतर फैली हुई 8 से 10 किलोमीटर चौड़ी एक पतली पट्टी है। हिमालय पर्वत श्रृंखला से बाहर निकलती हुई नदियाँ यहाँ पर भारी जल-भार जैसे-बड़े शैल और गोलाश्म जमा कर देती हैं। सभी नदियाँ इस भाबर पट्टी में विलुप्त हो जाती हैं। इस पट्टी के दक्षिण में ये नदियाँ पुनः निकल आती हैं।
Incorrect
व्याख्याः ‘भाबर’ शिवालिक गिरिपाद के समानांतर फैली हुई 8 से 10 किलोमीटर चौड़ी एक पतली पट्टी है। हिमालय पर्वत श्रृंखला से बाहर निकलती हुई नदियाँ यहाँ पर भारी जल-भार जैसे-बड़े शैल और गोलाश्म जमा कर देती हैं। सभी नदियाँ इस भाबर पट्टी में विलुप्त हो जाती हैं। इस पट्टी के दक्षिण में ये नदियाँ पुनः निकल आती हैं।
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Question 15 of 20
15. Question
1 pointsभारत के उत्तरी मैदान के तराई क्षेत्र के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन- सा/से कथन सत्य है/हैं?
1. यह क्षेत्र भाबर के दक्षिण में है।
2. इस प्रदेश में भाबर क्षेत्र में लुप्त नदियाँ धरातल पर प्रकट होती हैं।
3. दुधवा राष्ट्रीय पार्क इसी क्षेत्र में स्थित है।
कूटःCorrect
व्याख्याः उपरोक्त तीनों कथन सत्य हैं। भाबर के दक्षिण में तराई क्षेत्र है जिसकी चौड़ाई 10 से 20 किलोमीटर है। भाबर क्षेत्र में लुप्त नदियाँ इस प्रदेश में धरातल पर निकल कर प्रकट होती हैं और क्योंकि इनकी निश्चित वाहिकाएँ नहीं होतीं, ये क्षेत्र अनूप बन जाता है, जिसे तराई कहते हैं। चूँकि नदियाँ यहाँ पर नम तथा दलदली क्षेत्र का निर्माण करती हैं इस कारण यह क्षेत्र प्राकृतिक वनस्पति से ढँका रहता है और विभिन्न प्रकार के वन्य प्राणियों का घर है। बँटवारे के बाद पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को कृषि योग्य भूमि उपलब्ध कराने के लिये इस जंगल के बहुत सारे क्षेत्र को काटा जा चुका है।
दुधवा राष्ट्रीय पार्क भी इसी क्षेत्र में स्थित है जो उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में उत्तर प्रदेश-नेपाल की सीमा पर है।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त तीनों कथन सत्य हैं। भाबर के दक्षिण में तराई क्षेत्र है जिसकी चौड़ाई 10 से 20 किलोमीटर है। भाबर क्षेत्र में लुप्त नदियाँ इस प्रदेश में धरातल पर निकल कर प्रकट होती हैं और क्योंकि इनकी निश्चित वाहिकाएँ नहीं होतीं, ये क्षेत्र अनूप बन जाता है, जिसे तराई कहते हैं। चूँकि नदियाँ यहाँ पर नम तथा दलदली क्षेत्र का निर्माण करती हैं इस कारण यह क्षेत्र प्राकृतिक वनस्पति से ढँका रहता है और विभिन्न प्रकार के वन्य प्राणियों का घर है। बँटवारे के बाद पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को कृषि योग्य भूमि उपलब्ध कराने के लिये इस जंगल के बहुत सारे क्षेत्र को काटा जा चुका है।
दुधवा राष्ट्रीय पार्क भी इसी क्षेत्र में स्थित है जो उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में उत्तर प्रदेश-नेपाल की सीमा पर है।
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Question 16 of 20
16. Question
1 pointsप्रायद्वीपीय पठार की सीमा निर्धारण से संबंधित नीचे दिये गए कथनों में कौन-सा सही सुमेलित नहीं है?
Correct
व्याख्याः नदियों के मैदान से 150 मीटर ऊँचाई से ऊपर उठता हुआ प्रायद्वीपीय पठार तिकोने आकार वाला कटा-फटा भूखंड है। उत्तर-पश्चिम में दिल्ली, कटक (अरावली का विस्तार), पूर्व में राजमहल पहाड़ियाँ, पश्चिम में गिर पहाड़ियाँ और दक्षिण में कार्डामम (इलायची) पहाड़ियाँ, प्रायद्वीपीय पठार की सीमाएँ निर्धारित करती हैं। उत्तर-पूर्व में शिलांग तथा कार्बी-ऐंगलोंग का पठार भी इसी भूखंड का विस्तार है।
Incorrect
व्याख्याः नदियों के मैदान से 150 मीटर ऊँचाई से ऊपर उठता हुआ प्रायद्वीपीय पठार तिकोने आकार वाला कटा-फटा भूखंड है। उत्तर-पश्चिम में दिल्ली, कटक (अरावली का विस्तार), पूर्व में राजमहल पहाड़ियाँ, पश्चिम में गिर पहाड़ियाँ और दक्षिण में कार्डामम (इलायची) पहाड़ियाँ, प्रायद्वीपीय पठार की सीमाएँ निर्धारित करती हैं। उत्तर-पूर्व में शिलांग तथा कार्बी-ऐंगलोंग का पठार भी इसी भूखंड का विस्तार है।
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Question 17 of 20
17. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-कौन से पठार प्रायद्वीपीय पठार के भाग हैं?
1. पालायु पठार
2. मालवा पठार
3. कोयम्बटूर पठार
4. कर्नाटक पठार
5. मेघालय पठार
कूटःCorrect
व्याख्याः प्रायद्वीपीय पठार अनेक पठारों से मिलकर बना है, जैसे-हज़ारीबाग पठार, पालायु पठार, राँची पठार, मालवा पठार, कोयम्बटूर पठार और कर्नाटक पठार। मेघालय और कार्बी ऐंगलोंग का पठार भी मुख्य प्रायद्वीपीय पठार के भाग हैं, जो भ्रंश घाटी बनाने के कारण छोटानागपुर पठार से अलग हो गया है। बाद में यह नदी द्वारा जमा किये गए जलोढ़ द्वारा पाट दिया गया।
Incorrect
व्याख्याः प्रायद्वीपीय पठार अनेक पठारों से मिलकर बना है, जैसे-हज़ारीबाग पठार, पालायु पठार, राँची पठार, मालवा पठार, कोयम्बटूर पठार और कर्नाटक पठार। मेघालय और कार्बी ऐंगलोंग का पठार भी मुख्य प्रायद्वीपीय पठार के भाग हैं, जो भ्रंश घाटी बनाने के कारण छोटानागपुर पठार से अलग हो गया है। बाद में यह नदी द्वारा जमा किये गए जलोढ़ द्वारा पाट दिया गया।
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Question 18 of 20
18. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-कौन सी प्राकृतिक स्थलाकृतियाँ प्रायद्वीपीय पठार में पाई जाती हैं?
1. टॉर
2. ब्लॉक पर्वत
3. पर्वत स्कंध
4. छत्रक चट्टानें
5. नग्न चट्टान संरचना
कूटःCorrect
व्याख्याः प्रायद्वीपीय क्षेत्र की मुख्य प्राकृतिक स्थलाकृतियों में टॉर, ब्लॉक पर्वत, भ्रंश घाटियाँ, पर्वत स्कंध, नग्न चट्टान संरचना, टेकरी पहाड़ीश्रृंखलाएँ और क्वार्ट्जाइट भित्तियाँ शामिल हैं, जो प्राकृतिक जल संग्रह के स्थल हैं।
Incorrect
व्याख्याः प्रायद्वीपीय क्षेत्र की मुख्य प्राकृतिक स्थलाकृतियों में टॉर, ब्लॉक पर्वत, भ्रंश घाटियाँ, पर्वत स्कंध, नग्न चट्टान संरचना, टेकरी पहाड़ीश्रृंखलाएँ और क्वार्ट्जाइट भित्तियाँ शामिल हैं, जो प्राकृतिक जल संग्रह के स्थल हैं।
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Question 19 of 20
19. Question
1 pointsप्रायद्वीपीय पठार के अनेक हिस्से भू-उत्थान व निमज्जन, भ्रंश तथा विभंश निर्माण प्रक्रिया के अनेक पुनरावर्ती दौर से गुज़रे हैं। इसका प्रमाण हैः
1. रिफ्ट घाटियाँ
2. टॉर
3. ब्लॉक पर्वत
कूटःCorrect
व्याख्याः भारत का प्रायद्वीपीय भाग इंडो-आस्ट्रेलिया प्लेट का हिस्सा होने के कारण यह ऊर्ध्वाधर हलचलों व खंड भ्रंशों से प्रभावित है। प्रायद्वीपीय पठार भू-उत्थान व निमज्जन, भ्रंश तथा विभंश निर्माण प्रक्रिया के अनेक पुनरावर्ती दौर से गुज़रे हैं। नर्मदा, तापी और महानदी की रिफ्ट घाटियाँ और सतपुड़ा ब्लॉक पर्वत इसके उदाहरण हैं।
टॉर धरातलीय सतह पर चट्टानों के अपरदन के फलस्वरूप बनने वाली स्थलाकृति है।
Incorrect
व्याख्याः भारत का प्रायद्वीपीय भाग इंडो-आस्ट्रेलिया प्लेट का हिस्सा होने के कारण यह ऊर्ध्वाधर हलचलों व खंड भ्रंशों से प्रभावित है। प्रायद्वीपीय पठार भू-उत्थान व निमज्जन, भ्रंश तथा विभंश निर्माण प्रक्रिया के अनेक पुनरावर्ती दौर से गुज़रे हैं। नर्मदा, तापी और महानदी की रिफ्ट घाटियाँ और सतपुड़ा ब्लॉक पर्वत इसके उदाहरण हैं।
टॉर धरातलीय सतह पर चट्टानों के अपरदन के फलस्वरूप बनने वाली स्थलाकृति है।
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Question 20 of 20
20. Question
1 pointsप्रायद्वीपीय पठार के संबंध में नीचे दिये गए कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
1. सामान्यतः प्रायद्वीपीय पठार की ऊँचाई पश्चिम से पूर्व की ओर कम होती चली जाती है।
2. प्रायद्वीपीय पठार के पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी भाग में मुख्य रूप से काली मिट्टी पाई जाती है।
कूटःCorrect
व्याख्याः सामान्य तौर पर प्रायद्वीपीय पठार की ऊँचाई पश्चिम से पूर्व की ओर कम होती चली जाती है, जिसका प्रमाण यहाँ की नदियों के बहाव की दिशा से मिलता है।
इस पठार के पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी भाग में मुख्य रूप से काली मृदा पाई जाती है।
Incorrect
व्याख्याः सामान्य तौर पर प्रायद्वीपीय पठार की ऊँचाई पश्चिम से पूर्व की ओर कम होती चली जाती है, जिसका प्रमाण यहाँ की नदियों के बहाव की दिशा से मिलता है।
इस पठार के पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी भाग में मुख्य रूप से काली मृदा पाई जाती है।
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