भारत भौतिक पर्यावरण टेस्ट 5
भारत भौतिक पर्यावरण टेस्ट 5
Quiz-summary
0 of 20 questions completed
Questions:
- 1
- 2
- 3
- 4
- 5
- 6
- 7
- 8
- 9
- 10
- 11
- 12
- 13
- 14
- 15
- 16
- 17
- 18
- 19
- 20
Information
इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न कक्षा 11 की पुस्तक भारत भौतिक पर्यावरण (एन.सी.ई.आर.टी.) पर आधारित है| यदि आप ‘भारत भौतिक पर्यावरण’ विषय की अधिक जानकारी नहीं रखते है तो इस टेस्ट को देने से पहले आप पुस्तक का रिविजन आवश्य करें|
You have already completed the quiz before. Hence you can not start it again.
Quiz is loading...
You must sign in or sign up to start the quiz.
You have to finish following quiz, to start this quiz:
Results
0 of 20 questions answered correctly
Your time:
Time has elapsed
You have reached 0 of 0 points, (0)
Categories
- Not categorized 0%
- 1
- 2
- 3
- 4
- 5
- 6
- 7
- 8
- 9
- 10
- 11
- 12
- 13
- 14
- 15
- 16
- 17
- 18
- 19
- 20
- Answered
- Review
-
Question 1 of 20
1. Question
1 pointsकोपेन के जलवायु वर्गीकरण के अनुसार भारत की जलवायु प्रदेशों के संबंध में कौन-सा/से युग्म सही सुमेलित है/हैं?
1. उष्ण कटिबंधीय सवाना प्रकार (AW) – कोरोमंडल तट
2. अर्द्ध शुष्क स्टेपी जलवायु (BShw) – पश्चिमी राजस्थान
3. ध्रुवीय प्रकार (E) – हिमाचल प्रदेश
कूटःCorrect
व्याख्याः कोपेन की पद्धति पर आधारित भारत की जलवायु के विभिन्न प्रकार-
1. उष्ण कटिबंधीय सवाना प्रकार (AW) – इस प्रकार की जलवायु कर्क वृत्त के दक्षिण में प्रायद्वीपीय पठार के अधिकांश भागों में पाई जाती है। अतः पहला युग्म सही सुमेलित नहीं है।
2. अर्द्ध शुष्क स्टेपी जलवायु (BShw) – इस प्रकार की जलवायु उत्तर-पश्चिमी गुजरात, पश्चिमी राजस्थान और पंजाब के कुछ भागों में पाई जाती है। अतः दूसरा युग्म सही सुमेलित है।
3. ध्रुवीय प्रकार की जलवायु (E) – इस प्रकार की जलवायु जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पाई जाती है। अतः तीसरा युग्म भी सही सुमेलित है।Incorrect
व्याख्याः कोपेन की पद्धति पर आधारित भारत की जलवायु के विभिन्न प्रकार-
1. उष्ण कटिबंधीय सवाना प्रकार (AW) – इस प्रकार की जलवायु कर्क वृत्त के दक्षिण में प्रायद्वीपीय पठार के अधिकांश भागों में पाई जाती है। अतः पहला युग्म सही सुमेलित नहीं है।
2. अर्द्ध शुष्क स्टेपी जलवायु (BShw) – इस प्रकार की जलवायु उत्तर-पश्चिमी गुजरात, पश्चिमी राजस्थान और पंजाब के कुछ भागों में पाई जाती है। अतः दूसरा युग्म सही सुमेलित है।
3. ध्रुवीय प्रकार की जलवायु (E) – इस प्रकार की जलवायु जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पाई जाती है। अतः तीसरा युग्म भी सही सुमेलित है। -
Question 2 of 20
2. Question
1 pointsकोपेन के जलवायु वर्गीकरण के अनुसार भारत में ‘शुष्क ग्रीष्म ऋतु वाला मानसून प्रकार’ की जलवायु कहाँ पाई जाती है?
Correct
व्याख्याः कोपेन के जलवायु वर्गीकरण के अनुसार-
1. AS – शुष्क ग्रीष्म ऋतु वाला मानसून प्रकार की जलवायु, तमिलनाडु के कोरोमंडल तट पर पाई जाती है।
2. Amw – लघु शुष्क ऋतु वाला मानसून प्रकार की जलवायु गोवा के दक्षिण में भारत के पश्चिमी तट पर पाई जाती है।
3. Dfc – लघु ग्रीष्म तथा ठंडी आर्द्र शीत ऋतु वाली जलवायु अरुणाचल प्रदेश में पाई जाती है।Incorrect
व्याख्याः कोपेन के जलवायु वर्गीकरण के अनुसार-
1. AS – शुष्क ग्रीष्म ऋतु वाला मानसून प्रकार की जलवायु, तमिलनाडु के कोरोमंडल तट पर पाई जाती है।
2. Amw – लघु शुष्क ऋतु वाला मानसून प्रकार की जलवायु गोवा के दक्षिण में भारत के पश्चिमी तट पर पाई जाती है।
3. Dfc – लघु ग्रीष्म तथा ठंडी आर्द्र शीत ऋतु वाली जलवायु अरुणाचल प्रदेश में पाई जाती है। -
Question 3 of 20
3. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. मानसूनी जलवायु की क्षेत्रीय विभिन्नता नाना प्रकार की फसलों को उगाने में सहायक है।
2. मानसून प्रस्फोट देश के व्यापक क्षेत्रों में मृदा अपरदन की समस्या उत्पन्न कर देता है।
3. भारत की जलवायु की विभिन्नता के कारण यहाँ के भोजन, वस्त्र और आवास में विविधता उजागर होती है।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः मानसून और भारत का आर्थिक सामाजिक जीवन दोनों एक-दूसरे से बहुत गहरे स्तर पर जुड़े हुए हैं-
मानसून वह धुरी है जिस पर समस्त भारत का जीवन-चक्र घूमता है, क्योंकि भारत की 64 प्रतिशत जनता भरण-पोषण के लिये खेती पर निर्भर है जो मुख्यतः दक्षिण-पश्चिमी मानसून पर आधारित है।
हिमालयी प्रदेशों के अतिरिक्त शेष भारत में वर्षभर यथेष्ट गर्मी रहती है, जिससे संपूर्ण वर्ष खेती की जा सकती है।
मानसूनी जलवायु की क्षेत्रीय विभिन्नता नाना प्रकार की फसलों को उगाने में सहायक है।
भारत में कृषि समृद्धि वर्षा के सही समय पर आने तथा उसके पर्याप्त वितरित होने पर निर्भर करती है।
मानसून का अचानक प्रस्फोट देश के व्यापक क्षेत्रों में मृदा अपरदन की समस्या उत्पन्न कर देता है।
भारत की जलवायु की विभिन्नता के कारण ही यहाँ के भोजन, आवास और वस्त्र में विविधता उजागर होती है।
Incorrect
व्याख्याः मानसून और भारत का आर्थिक सामाजिक जीवन दोनों एक-दूसरे से बहुत गहरे स्तर पर जुड़े हुए हैं-
मानसून वह धुरी है जिस पर समस्त भारत का जीवन-चक्र घूमता है, क्योंकि भारत की 64 प्रतिशत जनता भरण-पोषण के लिये खेती पर निर्भर है जो मुख्यतः दक्षिण-पश्चिमी मानसून पर आधारित है।
हिमालयी प्रदेशों के अतिरिक्त शेष भारत में वर्षभर यथेष्ट गर्मी रहती है, जिससे संपूर्ण वर्ष खेती की जा सकती है।
मानसूनी जलवायु की क्षेत्रीय विभिन्नता नाना प्रकार की फसलों को उगाने में सहायक है।
भारत में कृषि समृद्धि वर्षा के सही समय पर आने तथा उसके पर्याप्त वितरित होने पर निर्भर करती है।
मानसून का अचानक प्रस्फोट देश के व्यापक क्षेत्रों में मृदा अपरदन की समस्या उत्पन्न कर देता है।
भारत की जलवायु की विभिन्नता के कारण ही यहाँ के भोजन, आवास और वस्त्र में विविधता उजागर होती है।
-
Question 4 of 20
4. Question
1 pointsनदी अपवाह प्रतिरूप के संदर्भ में नीचे दी गई सूची को मिलाइये-
सूची-I सूची-II A. अपवाह प्रतिरूप पेड़ की शाखा के अनुरूप 1. जालीनुमा प्रतिरूप B. जब नदी पर्वत से निकलकर सभी दिशाओं में बहती हो 2. वृक्षाकार प्रतिरूप C. जब मुख्य नदियाँ एक-दूसरे के समानांतर एवं सहायक नदियाँ उनसे समकोण पर मिलती हों 3. अरीय प्रतिरूप D. जब सभी दिशाओं से नदियाँ बहकर किसी झील या गर्त में विसर्जित होती हैं। 4. अभिकेन्द्रीय प्रतिरूप कूटः
Correct
व्याख्याः नदी एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को ‘अपवाह द्रोणी’ कहते हैं। नदी के द्वारा निम्नलिखित प्रकार के अपवाह प्रतिरूप का निर्माण किया जाता है-
1. जो अपवाह प्रतिरूप पेड़ की शाखाओं के अनुरूप हो, उसे वृक्षाकार (Dendritic) प्रतिरूप कहा जाता है, जैसे-उत्तरी मैदान की नदियाँ।
2. जब नदियाँ किसी पर्वत से निकलकर सभी दिशाओं में बहती हैं, तो इसे अरीय (Radial) प्रतिरूप कहा जाता है। अमरकंटक पहाड़ी से निकलने वाली नदियाँ इस अपवाह प्रतिरूप के अच्छे उदाहरण हैं।
3. जब मुख्य नदियाँ एक-दूसरे के समानांतर बहती हों, तथा सहायक नदियाँ उनसे समकोण पर मिलती हों तो ऐसे प्रतिरूप को जालीनुमा (Trellis) प्रतिरूप कहते हैं।
4. जब सभी दिशाओं से नदियाँ बहकर किसी झील या गर्त में विसर्जित होती हैं, तो ऐसे अपवाह प्रतिरूप को अभिकेन्द्रीय (Centripetal) प्रतिरूप कहते हैं।विभिन्न प्रकार के अपवाह प्रतिरूप का संयोजन एक ही अपवाह द्रोणी में भी पाया जा सकता है।
Incorrect
व्याख्याः नदी एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को ‘अपवाह द्रोणी’ कहते हैं। नदी के द्वारा निम्नलिखित प्रकार के अपवाह प्रतिरूप का निर्माण किया जाता है-
1. जो अपवाह प्रतिरूप पेड़ की शाखाओं के अनुरूप हो, उसे वृक्षाकार (Dendritic) प्रतिरूप कहा जाता है, जैसे-उत्तरी मैदान की नदियाँ।
2. जब नदियाँ किसी पर्वत से निकलकर सभी दिशाओं में बहती हैं, तो इसे अरीय (Radial) प्रतिरूप कहा जाता है। अमरकंटक पहाड़ी से निकलने वाली नदियाँ इस अपवाह प्रतिरूप के अच्छे उदाहरण हैं।
3. जब मुख्य नदियाँ एक-दूसरे के समानांतर बहती हों, तथा सहायक नदियाँ उनसे समकोण पर मिलती हों तो ऐसे प्रतिरूप को जालीनुमा (Trellis) प्रतिरूप कहते हैं।
4. जब सभी दिशाओं से नदियाँ बहकर किसी झील या गर्त में विसर्जित होती हैं, तो ऐसे अपवाह प्रतिरूप को अभिकेन्द्रीय (Centripetal) प्रतिरूप कहते हैं।विभिन्न प्रकार के अपवाह प्रतिरूप का संयोजन एक ही अपवाह द्रोणी में भी पाया जा सकता है।
-
Question 5 of 20
5. Question
1 pointsनीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. बड़ी नदियों के जलग्रहण क्षेत्र को ‘जल-संभर’ (Water Shed) कहते हैं।
2. छोटी नदियों व नालों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को ‘नदी द्रोणी’ कहते हैं।
3. नदी द्रोणी या ‘जल-संभर’ के एक भाग में परिवर्तन का प्रभाव अन्य भागों या पूर्ण क्षेत्र में देखा जा सकता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः कथन 1 एवं 2 असत्य हैं। बड़ी नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र को नदी द्रोणी, जबकि छोटी नदियों व नालों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को ‘जल-संभर’ कहा जाता है। नदी द्रोणी का आकार बड़ा होता है, जबकि जल-संभर का आकार छोटा होता है।
नदी द्रोणी एवं संभर एकता के परिचायक हैं। इनके एक भाग में परिवर्तन का प्रभाव अन्य भागों व पूर्ण क्षेत्र में देखा जा सकता है।
Incorrect
व्याख्याः कथन 1 एवं 2 असत्य हैं। बड़ी नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र को नदी द्रोणी, जबकि छोटी नदियों व नालों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को ‘जल-संभर’ कहा जाता है। नदी द्रोणी का आकार बड़ा होता है, जबकि जल-संभर का आकार छोटा होता है।
नदी द्रोणी एवं संभर एकता के परिचायक हैं। इनके एक भाग में परिवर्तन का प्रभाव अन्य भागों व पूर्ण क्षेत्र में देखा जा सकता है।
-
Question 6 of 20
6. Question
1 pointsहिमालयी अपवाह तंत्र में शामिल नदियों के द्वारा निम्नलिखित में से कौन-सी स्थलाकृतियों का निर्माण किया जाता है?
1. V-आकार की घाटियाँ
2. क्षिप्रिकाएँ
3. समतल घाटी
4. गुंफित वाहिकाएँ
5. डेल्टाई मैदान
कूटःCorrect
व्याख्याः उपरोक्त सभी विकल्प सही हैं। हिमालयी अपवाह तंत्र में मुख्यतः गंगा, सिंधु व ब्रह्मपुत्र नदी द्रोणियाँ शामिल हैं। ये नदियाँ गहरे महाखड्डों (Gorges) से गुज़रती हैं जो हिमालय के उत्थान के साथ-साथ अपरदन क्रिया द्वारा निर्मित हैं। महाखड्डों के अतिरिक्त ये नदियाँ अपने पर्वतीय मार्ग में V-आकार की घाटियाँ, क्षिप्रिकाएँ व जलप्रपात बनाती हैं। जब ये मैदान में प्रवेश करती हैं, तो निक्षेपणात्मक स्थलाकृतियाँ, जैसे- समतल घाटियाँ, गोखुर झीलें, बाढ़कृत मैदान, गुंफित वाहिकाएँ और नदी के मुहाने पर डेल्टा का निर्माण करती हैं।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त सभी विकल्प सही हैं। हिमालयी अपवाह तंत्र में मुख्यतः गंगा, सिंधु व ब्रह्मपुत्र नदी द्रोणियाँ शामिल हैं। ये नदियाँ गहरे महाखड्डों (Gorges) से गुज़रती हैं जो हिमालय के उत्थान के साथ-साथ अपरदन क्रिया द्वारा निर्मित हैं। महाखड्डों के अतिरिक्त ये नदियाँ अपने पर्वतीय मार्ग में V-आकार की घाटियाँ, क्षिप्रिकाएँ व जलप्रपात बनाती हैं। जब ये मैदान में प्रवेश करती हैं, तो निक्षेपणात्मक स्थलाकृतियाँ, जैसे- समतल घाटियाँ, गोखुर झीलें, बाढ़कृत मैदान, गुंफित वाहिकाएँ और नदी के मुहाने पर डेल्टा का निर्माण करती हैं।
-
Question 7 of 20
7. Question
1 pointsकोसी नदी के द्वारा बिहार में भारी तबाही मचाई जाती है, इसका प्रमुख कारण है-
Correct
व्याख्याः हिमालयी क्षेत्र की नदियाँ मैदानी भाग में सर्पाकार मार्ग में बहती हैं और अपना रास्ता बदलती रहती हैं। कोसी नदी, जिसे ‘बिहार का शोक’ (Sorrow of Bihar) भी कहते हैं, अपना मार्ग बदलने के लिये कुख्यात रही है। यह नदी पर्वतों के ऊपरी क्षेत्रों से भारी मात्रा में अवसाद लाकर मैदानी भाग में जमा करती है। इससे नदी का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है व परिणामस्वरूप नदी अपना मार्ग बदल लेती है।
Incorrect
व्याख्याः हिमालयी क्षेत्र की नदियाँ मैदानी भाग में सर्पाकार मार्ग में बहती हैं और अपना रास्ता बदलती रहती हैं। कोसी नदी, जिसे ‘बिहार का शोक’ (Sorrow of Bihar) भी कहते हैं, अपना मार्ग बदलने के लिये कुख्यात रही है। यह नदी पर्वतों के ऊपरी क्षेत्रों से भारी मात्रा में अवसाद लाकर मैदानी भाग में जमा करती है। इससे नदी का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है व परिणामस्वरूप नदी अपना मार्ग बदल लेती है।
-
Question 8 of 20
8. Question
1 pointsहिमालय पर्वत श्रृंखला की किन दो श्रेणियों के बीच सिंधु नदी अपवाहित होती है?
Correct
व्याख्याः सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत क्षेत्र में कैलाश पर्वत श्रेणी में बोखर चू (Bokhar Chu) के निकट एक हिमनद से होता है। तिब्बत में इसे सिंगी खंबान (Singi Khamban) अथवा शेर मुख कहते हैं। लद्दाख व जास्कर श्रेणियों के बीच से यह नदी उत्तर-पश्चिमी दिशा में बहती हुई लद्दाख और बाल्टिस्तान से गुज़रती है। लद्दाख श्रेणी को काटते हुए यह नदी जम्मू और कश्मीर में गिलगित के समीप एक दर्शनीय महाखड्ड (Gorge) का निर्माण करती है।
Incorrect
व्याख्याः सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत क्षेत्र में कैलाश पर्वत श्रेणी में बोखर चू (Bokhar Chu) के निकट एक हिमनद से होता है। तिब्बत में इसे सिंगी खंबान (Singi Khamban) अथवा शेर मुख कहते हैं। लद्दाख व जास्कर श्रेणियों के बीच से यह नदी उत्तर-पश्चिमी दिशा में बहती हुई लद्दाख और बाल्टिस्तान से गुज़रती है। लद्दाख श्रेणी को काटते हुए यह नदी जम्मू और कश्मीर में गिलगित के समीप एक दर्शनीय महाखड्ड (Gorge) का निर्माण करती है।
-
Question 9 of 20
9. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
1. भारत में सिंधु नदी जम्मू-कश्मीर और पंजाब राज्य में बहती है।
2. चिनाब, सिंधु की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
कूटःCorrect
व्याख्याः केवल कथन 2 सत्य है। सिंधु नदी भारत में केवल जम्मू-कश्मीर राज्य के लेह ज़िले में बहती है। आगे सिंधु नदी बाल्टिस्तान तथा गिलगित से बहते हुए अटक में पर्वतीय क्षेत्र से बाहर निकलती है। सतलज, व्यास, रावी, चिनाब तथा झेलम आपस में मिलकर पाकिस्तान में पठानकोट के पास सिंधु नदी में मिल जाती हैं। इसके बाद यह नदी दक्षिण की तरफ बहती है तथा अंत में कराची से पूर्व की ओर अरब सागर में मिल जाती है। सिंधु नदी मैदान का ढाल बहुत धीमा है। चिनाब सिंधु की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
Incorrect
व्याख्याः केवल कथन 2 सत्य है। सिंधु नदी भारत में केवल जम्मू-कश्मीर राज्य के लेह ज़िले में बहती है। आगे सिंधु नदी बाल्टिस्तान तथा गिलगित से बहते हुए अटक में पर्वतीय क्षेत्र से बाहर निकलती है। सतलज, व्यास, रावी, चिनाब तथा झेलम आपस में मिलकर पाकिस्तान में पठानकोट के पास सिंधु नदी में मिल जाती हैं। इसके बाद यह नदी दक्षिण की तरफ बहती है तथा अंत में कराची से पूर्व की ओर अरब सागर में मिल जाती है। सिंधु नदी मैदान का ढाल बहुत धीमा है। चिनाब सिंधु की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
-
Question 10 of 20
10. Question
1 pointsसिंधु की विभिन्न सहायक नदियों और उनके उद्गम स्थलों के संबंध में नीचे दी गई सूची को आपस में मिलाइयेः
नदी उद्गम स्रोत A. झेलम 1. व्यास कुंड B. रावी 2. वेरीनाग झरना C. व्यास 3. रोहतांग दर्रे के पश्चिम से D. सतलज 4. राक्षसताल कूटः
Correct
व्याख्याः
- झेलम, सिंधु की महत्त्वपूर्ण सहायक नदी है जो कश्मीर घाटी के दक्षिण-पूर्व भाग में पीरपंजाल गिरिपद में स्थित वेरीनाग झरने से निकलती है।
- रावी, सिंधु की अन्य महत्त्वपूर्ण सहायक नदी है। यह हिमाचल प्रदेश की कुल्लू पहाड़ियों में रोहतांग दर्रे के पश्चिम से निकलती है और राज्य की चंबा घाटी से बहती है। पाकिस्तान में प्रवेश करने व सराय सिंध के निकट चिनाब नदी में मिलने से पहले यह नदी पीरपंजाल के दक्षिण-पूर्वी भाग व धौलाधर के बीच से प्रवाहित होती है।
- व्यास नदी रोहतांग दर्रे के निकट व्यास कुंड से निकलती है।
- सतलज नदी तिब्बत में स्थित मानसरोवर के निकट राक्षसताल से निकलती है, जहाँ इसे लॉगचेन संबाब के नाम से जाना जाता है।
Incorrect
व्याख्याः
- झेलम, सिंधु की महत्त्वपूर्ण सहायक नदी है जो कश्मीर घाटी के दक्षिण-पूर्व भाग में पीरपंजाल गिरिपद में स्थित वेरीनाग झरने से निकलती है।
- रावी, सिंधु की अन्य महत्त्वपूर्ण सहायक नदी है। यह हिमाचल प्रदेश की कुल्लू पहाड़ियों में रोहतांग दर्रे के पश्चिम से निकलती है और राज्य की चंबा घाटी से बहती है। पाकिस्तान में प्रवेश करने व सराय सिंध के निकट चिनाब नदी में मिलने से पहले यह नदी पीरपंजाल के दक्षिण-पूर्वी भाग व धौलाधर के बीच से प्रवाहित होती है।
- व्यास नदी रोहतांग दर्रे के निकट व्यास कुंड से निकलती है।
- सतलज नदी तिब्बत में स्थित मानसरोवर के निकट राक्षसताल से निकलती है, जहाँ इसे लॉगचेन संबाब के नाम से जाना जाता है।
-
Question 11 of 20
11. Question
1 pointsसिंधु नदी तंत्र के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. सिंधु की सहायक नदी व्यास कुल्लू घाटी से गुज़रती है।
2. जम्मू-कश्मीर में अवस्थित डल झील झेलम नदी पर अवस्थित है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः केवल कथन 1 सत्य है। सिंधु की सहायक नदी व्यास रोहतांग दर्रे के निकट व्यास कुंड से निकलती है। यह नदी कुल्लू घाटी से गुज़रती है और धौलाधर श्रेणी में काती और लारगी में महाखड्ड का निर्माण करती है। यह पंजाब के मैदान में हरिके के पास सतलज नदी में जा मिलती है।
झेलम नदी पर वूलर झील अवस्थित है तथा यह नदी कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से बहते हुए एक तंग व गहरे महाखड्ड से गुज़रते हुए पाकिस्तान में झंग के निकट चिनाब नदी में मिलती है।
Incorrect
व्याख्याः केवल कथन 1 सत्य है। सिंधु की सहायक नदी व्यास रोहतांग दर्रे के निकट व्यास कुंड से निकलती है। यह नदी कुल्लू घाटी से गुज़रती है और धौलाधर श्रेणी में काती और लारगी में महाखड्ड का निर्माण करती है। यह पंजाब के मैदान में हरिके के पास सतलज नदी में जा मिलती है।
झेलम नदी पर वूलर झील अवस्थित है तथा यह नदी कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से बहते हुए एक तंग व गहरे महाखड्ड से गुज़रते हुए पाकिस्तान में झंग के निकट चिनाब नदी में मिलती है।
-
Question 12 of 20
12. Question
1 pointsसिंधु नदी तंत्र में शामिल नदियों का उत्तर से दक्षिण की ओर सही क्रम है-
Correct
व्याख्याः सिंधु नदी तंत्र में शामिल नदियों का उत्तर से दक्षिण की ओर सही क्रम है- झेलम, चिनाब, रावी, सतलज
Incorrect
व्याख्याः सिंधु नदी तंत्र में शामिल नदियों का उत्तर से दक्षिण की ओर सही क्रम है- झेलम, चिनाब, रावी, सतलज
-
Question 13 of 20
13. Question
1 pointsयह नदी चंद्रा और भागा दो सरिताओं के मिलने से बनती है। ये सरिताएँ हिमाचल प्रदेश में केलांग के निकट तांडी में आपस में मिलती हैं। इसलिये इसे चंद्रभागा के नाम से भी जाना जाता है।
उपरोक्त विवरण किस नदी के संबंध में है :Correct
व्याख्याः चिनाब नदी चंद्रा और भागा दो सरिताओं के मिलने से बनती है, जिसे आगे चंद्रभागा के नाम से जाना जाता है।
चिनाब नदी सिंधु की सबसे बड़ी सहायक नदी है।Incorrect
व्याख्याः चिनाब नदी चंद्रा और भागा दो सरिताओं के मिलने से बनती है, जिसे आगे चंद्रभागा के नाम से जाना जाता है।
चिनाब नदी सिंधु की सबसे बड़ी सहायक नदी है। -
Question 14 of 20
14. Question
1 pointsभाखड़ा नांगल परियोजना अवस्थित है-
Correct
व्याख्याः भाखड़ा नांगल परियोजना सतलज नदी पर अवस्थित है। यह नदी हिमालय पर्वत श्रेणी में शिपकी-ला दर्रे से बहती हुई पंजाब के मैदान में प्रवेश करती है। यह एक पूर्ववर्ती नदी है।
Incorrect
व्याख्याः भाखड़ा नांगल परियोजना सतलज नदी पर अवस्थित है। यह नदी हिमालय पर्वत श्रेणी में शिपकी-ला दर्रे से बहती हुई पंजाब के मैदान में प्रवेश करती है। यह एक पूर्ववर्ती नदी है।
-
Question 15 of 20
15. Question
1 pointsगंगा नदी का उद्गम स्रोत है-
Correct
व्याख्याः गंगा नदी उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी ज़िले में गोमुख के निकट गंगोत्री हिमनद से 3900 मीटर की ऊँचाई से निकलती है। अपनी द्रोणी और सांस्कृतिक महत्त्व दोनों के दृष्टिकोणों से भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है
Incorrect
व्याख्याः गंगा नदी उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी ज़िले में गोमुख के निकट गंगोत्री हिमनद से 3900 मीटर की ऊँचाई से निकलती है। अपनी द्रोणी और सांस्कृतिक महत्त्व दोनों के दृष्टिकोणों से भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है
-
Question 16 of 20
16. Question
1 pointsगंगा नदी तंत्र के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. गंगा नदी मध्य या लघु हिमालय को काटकर तंग महाखड्डों से होकर गुज़रती है।
2. गंगा नदी हरिद्वार के पास पर्वतीय भाग को छोड़कर मैदानी भाग में प्रवेश करती है।
3. पिरम द्वीप के समीप यह नदी बंगाल की खाड़ी में जा मिलती है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः कथन 1 एवं 2 सत्य हैं। उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी ज़िले में गोमुख के निकट गंगोत्री हिमनद से निकलने वाली गंगा नदी मध्य व लघु हिमालय श्रेणियों को काटकर तंग महाखड्डों से होकर गुज़रती है। हरिद्वार के पास गंगा पर्वतीय भाग को छोड़कर मैदानी भाग में प्रवेश करती है।
कथन 3 गलत है। गंगा नदी सागर द्वीप के निकट अंततः बंगाल की जड़ी में जा गिरती है। पिरम द्वीप खम्भात की खाड़ी के पास अरब सागर में स्थित है।
Incorrect
व्याख्याः कथन 1 एवं 2 सत्य हैं। उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी ज़िले में गोमुख के निकट गंगोत्री हिमनद से निकलने वाली गंगा नदी मध्य व लघु हिमालय श्रेणियों को काटकर तंग महाखड्डों से होकर गुज़रती है। हरिद्वार के पास गंगा पर्वतीय भाग को छोड़कर मैदानी भाग में प्रवेश करती है।
कथन 3 गलत है। गंगा नदी सागर द्वीप के निकट अंततः बंगाल की जड़ी में जा गिरती है। पिरम द्वीप खम्भात की खाड़ी के पास अरब सागर में स्थित है।
-
Question 17 of 20
17. Question
1 pointsनीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. सोन नदी गंगा की सबसे पश्चिमी और सबसे लंबी सहायक नदी है।
2. महानंदा गंगा की एक महत्त्वपूर्ण सहायक नदी है जो गंगा के बाएँ तट पर मिलने वाली अंतिम सहायक नदी है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः कथन 1 असत्य है। यमुना गंगा की सबसे पश्चिमी और सबसे लंबी सहायक नदी है। इसका स्रोत यमुनोत्री हिमनद है जो हिमालय में बंदरपूँछ श्रेणी की पश्चिमी ढाल पर स्थित है। प्रयाग (इलाहाबाद) में इसका संगम होता है।
सोन नदी दक्षिणी तट पर गंगा की एक बड़ी सहायक नदी है जो अमरकंटक पठार से निकलती है। यह नदी पटना से पश्चिम में आरा के पास गंगा नदी में विलीन हो जाती है।
कथन 2 सत्य है। महानंदा, गंगा की एक अन्य महत्त्वपूर्ण सहायक नदी है जो दार्जिलिंग पहाड़ियों से निकलती है। यह नदी पश्चिम बंगाल में गंगा के बाएँ तट पर मिलने वाली अंतिम सहायक नदी है।
Incorrect
व्याख्याः कथन 1 असत्य है। यमुना गंगा की सबसे पश्चिमी और सबसे लंबी सहायक नदी है। इसका स्रोत यमुनोत्री हिमनद है जो हिमालय में बंदरपूँछ श्रेणी की पश्चिमी ढाल पर स्थित है। प्रयाग (इलाहाबाद) में इसका संगम होता है।
सोन नदी दक्षिणी तट पर गंगा की एक बड़ी सहायक नदी है जो अमरकंटक पठार से निकलती है। यह नदी पटना से पश्चिम में आरा के पास गंगा नदी में विलीन हो जाती है।
कथन 2 सत्य है। महानंदा, गंगा की एक अन्य महत्त्वपूर्ण सहायक नदी है जो दार्जिलिंग पहाड़ियों से निकलती है। यह नदी पश्चिम बंगाल में गंगा के बाएँ तट पर मिलने वाली अंतिम सहायक नदी है।
-
Question 18 of 20
18. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सी यमुना की सहायक नदियाँ हैं?
1. सिंध
2. चंबल
3. केन
4. हिंडन
कूटःCorrect
व्याख्याः यमुना नदी गंगा की सबसे पश्चिमी और सबसे लम्बी सहायक नदी है। यमुना नदी की प्रमुज् सहायक नदियाँ- चंबल, सिंध, बेतवा, केन, हिंडन, रिंद, सेंगर, और वरुण हैं।
प्रायद्वीपीय पठार से निकलने वाली चंबल, सिंध, बेतवा व केन इसके दाहिने तट पर मिलती हैं, जबकि हिंडन, रिंद, सेंगर, वरुण आदि नदियाँ इसके बाएँ तट पर मिलती हैं।
Incorrect
व्याख्याः यमुना नदी गंगा की सबसे पश्चिमी और सबसे लम्बी सहायक नदी है। यमुना नदी की प्रमुज् सहायक नदियाँ- चंबल, सिंध, बेतवा, केन, हिंडन, रिंद, सेंगर, और वरुण हैं।
प्रायद्वीपीय पठार से निकलने वाली चंबल, सिंध, बेतवा व केन इसके दाहिने तट पर मिलती हैं, जबकि हिंडन, रिंद, सेंगर, वरुण आदि नदियाँ इसके बाएँ तट पर मिलती हैं।
-
Question 19 of 20
19. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
1. यमुना की अधिकतर सहायक नदियाँ विंध्याचल और कैमूर पर्वत श्रेणियों से निकलती हैं।
2. बनास, चंबल की एकमात्र मुख्य सहायक नदी है जो विंध्याचल पर्वत श्रेणी से निकलती है।
3. चंबल नदी अपने उत्खात वाली भू-आकृति के लिये प्रसिद्ध है।
कूटःCorrect
व्याख्याः केवल कथन 1 और 3 सत्य हैं। यमुना की अधिकतर सहायक नदियों का उद्गम विंध्याचल और कैमूर पर्वत श्रेणियों से होता है, जैसे- चंबल, सिंध, बेतवा, केन आदि।
चंबल नदी मध्य प्रदेश के महू (जानापाव पहाड़ी) के पास से निकलती है और उत्तरमुखी होकर एक महाखड्ड से बहती हुई राजस्थान में कोटा पहुँचती है, जहाँ इस पर गांधी सागर बांध बनाया गया है। चंबल नदी अपनी उत्खात भूमि वाली भू-आकृति के लिये प्रसिद्ध है, जिसे चंबल खड्ड (बीहड़) कहा जाता है।
बनास, जो कि चंबल की एकमात्र मुख्य सहायक नदी है, अरावली पर्वत से निकलती है। अतः कथन 3 गलत है।
Incorrect
व्याख्याः केवल कथन 1 और 3 सत्य हैं। यमुना की अधिकतर सहायक नदियों का उद्गम विंध्याचल और कैमूर पर्वत श्रेणियों से होता है, जैसे- चंबल, सिंध, बेतवा, केन आदि।
चंबल नदी मध्य प्रदेश के महू (जानापाव पहाड़ी) के पास से निकलती है और उत्तरमुखी होकर एक महाखड्ड से बहती हुई राजस्थान में कोटा पहुँचती है, जहाँ इस पर गांधी सागर बांध बनाया गया है। चंबल नदी अपनी उत्खात भूमि वाली भू-आकृति के लिये प्रसिद्ध है, जिसे चंबल खड्ड (बीहड़) कहा जाता है।
बनास, जो कि चंबल की एकमात्र मुख्य सहायक नदी है, अरावली पर्वत से निकलती है। अतः कथन 3 गलत है।
-
Question 20 of 20
20. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सी गंगा की सहायक नदियाँ हैं?
1. गंडक
2. रामगंगा
3. सोन
4. वेनगंगा
कूटःCorrect
व्याख्याः गंगा नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ- गोमती, शारदा या सरयू, घाघरा, गंडक, कोसी, रामगंगा, महानंदा, यमुना, तथा सोन। वेनगंगा दामोदर नदी की सहायक नदी है।
Incorrect
व्याख्याः गंगा नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ- गोमती, शारदा या सरयू, घाघरा, गंडक, कोसी, रामगंगा, महानंदा, यमुना, तथा सोन। वेनगंगा दामोदर नदी की सहायक नदी है।
भारत भौतिक पर्यावरण डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें|