भारत भौतिक पर्यावरण टेस्ट 4
भारत भौतिक पर्यावरण टेस्ट 4
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न कक्षा 11 की पुस्तक भारत भौतिक पर्यावरण (एन.सी.ई.आर.टी.) पर आधारित है| यदि आप ‘भारत भौतिक पर्यावरण’ विषय की अधिक जानकारी नहीं रखते है तो इस टेस्ट को देने से पहले आप पुस्तक का रिविजन आवश्य करें|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsभारतीय जलवायु के संबंध में हिमालय पर्वत की भूमिका से संबंधित नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. हिमालय पर्वत एक जलवायु विभाजक की भाँति कार्य करता है।
2. हिमालय पर्वत भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा का कारण बनता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः भारत के उत्तर में हिमालय पर्वत है, जिसकी औसत ऊँचाई लगभग 6000 मीटर है। हिमालय अपने सभी विस्तारों के साथ एक प्रभावी जलवायु विभाजक की भूमिका निभाता है। यह ऊँची पर्वत श्रृंखला मध्य एशिया से आने वाली ठंडी हवाओं को भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश से रोकती है। इसी प्रकार हिमालय पर्वत मानसूनी पवनों को रोककर उप-महाद्वीप में वर्षा का कारण भी बनता है।
Incorrect
व्याख्याः भारत के उत्तर में हिमालय पर्वत है, जिसकी औसत ऊँचाई लगभग 6000 मीटर है। हिमालय अपने सभी विस्तारों के साथ एक प्रभावी जलवायु विभाजक की भूमिका निभाता है। यह ऊँची पर्वत श्रृंखला मध्य एशिया से आने वाली ठंडी हवाओं को भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश से रोकती है। इसी प्रकार हिमालय पर्वत मानसूनी पवनों को रोककर उप-महाद्वीप में वर्षा का कारण भी बनता है।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा कारण भारत के उत्तर-पश्चिम भाग में शीत ऋतु में होने वाली वर्षा के लिये उत्तरदायी है?
Correct
व्याख्याः पश्चिमी विक्षोभ के कारण भारत के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में शीत ऋतु में वर्षा होती है तथा शीतकालीन रात्रि के तापमान में वृद्धि भी हो जाती है।
Incorrect
व्याख्याः पश्चिमी विक्षोभ के कारण भारत के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में शीत ऋतु में वर्षा होती है तथा शीतकालीन रात्रि के तापमान में वृद्धि भी हो जाती है।
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Question 3 of 20
3. Question
1 pointsपश्चिमी विक्षोभ के संदर्भ में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. पश्चिमी विक्षोभ कैस्पियन सागर में उत्पन्न होते हैं।
2. भारत में इनका प्रवेश पश्चिमी जेट प्रवाह द्वारा होता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः कथन 1 गलत है। पश्चिमी विक्षोभ जो भारतीय उप-महाद्वीप में जाड़े के मौसम में पश्चिम तथा उत्तर-पश्चिम से प्रवेश करते हैं, भूमध्य सागर पर उत्पन्न होते हैं।
भारत में पश्चिमी विक्षोभों का प्रवेश पश्चिमी जेट के द्वारा होता है। शीत ऋतु में रात्रि के तापमान में वृद्धि इन विक्षोभों के आने का पूर्व संकेत है।
Incorrect
व्याख्याः कथन 1 गलत है। पश्चिमी विक्षोभ जो भारतीय उप-महाद्वीप में जाड़े के मौसम में पश्चिम तथा उत्तर-पश्चिम से प्रवेश करते हैं, भूमध्य सागर पर उत्पन्न होते हैं।
भारत में पश्चिमी विक्षोभों का प्रवेश पश्चिमी जेट के द्वारा होता है। शीत ऋतु में रात्रि के तापमान में वृद्धि इन विक्षोभों के आने का पूर्व संकेत है।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsये पवनें तिब्बत के पठार के समानांतर हिमालय के उत्तर में एशिया महाद्वीप पर चलती हैं। तिब्बत की उच्चभूमि इन पवनों के प्रवाहों के मार्ग में अवरोधक का काम करती है, जिसके परिणामस्वरूप ये पवनें दो भागों में बँट जाती हैं। इसकी एक शाखा तिब्बत के पठार के उत्तर में तथा दूसरी शाखा हिमालय के दक्षिण में पूर्व की ओर बहती है।
उपरोक्त विवरण संबंधित है-Correct
व्याख्याः ऊपर दिया गया विवरण जेट प्रवाह से संबंधित है। भारत में जेट धाराएँ ग्रीष्म ऋतु को छोड़कर पूरे वर्ष हिमालय के दक्षिण में पूर्व की ओर प्रवाहित होती हैं।
Incorrect
व्याख्याः ऊपर दिया गया विवरण जेट प्रवाह से संबंधित है। भारत में जेट धाराएँ ग्रीष्म ऋतु को छोड़कर पूरे वर्ष हिमालय के दक्षिण में पूर्व की ओर प्रवाहित होती हैं।
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Question 5 of 20
5. Question
1 pointsअंतः उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (आई.टी.सी.जेड.) के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. ये विषुवतीय अक्षांशों में विस्तृत गर्त एवं निम्न दाब का क्षेत्र होता है।
2. सूर्य की स्थिति में परिवर्तन के साथ यह क्षेत्र उत्तर या दक्षिण की ओर खिसकता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं। अंतः उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र विषुवतीय अक्षांशों में विस्तृत गर्त एवं निम्न दाब का क्षेत्र होता है। यहीं पर उत्तर-पूर्वी एवं दक्षिण-पूर्वी व्यापारिक पवनें आपस में मिलती हैं। यह अभिसरण क्षेत्र विषुवत् वृत्त के लगभग समानांतर होता है, लेकिन सूर्य की आभासी गति के साथ-साथ यह उत्तर या दक्षिण की ओर खिसकता है।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं। अंतः उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र विषुवतीय अक्षांशों में विस्तृत गर्त एवं निम्न दाब का क्षेत्र होता है। यहीं पर उत्तर-पूर्वी एवं दक्षिण-पूर्वी व्यापारिक पवनें आपस में मिलती हैं। यह अभिसरण क्षेत्र विषुवत् वृत्त के लगभग समानांतर होता है, लेकिन सूर्य की आभासी गति के साथ-साथ यह उत्तर या दक्षिण की ओर खिसकता है।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा/से कारक भारतीय जलवायु को प्रभावित करता है/करते हैं?
1. एल-निनो
2. पश्चिमी जेट धाराएँ
3. तिब्बत का पठार
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।Correct
व्याख्याः
- उपरोक्त सभी कारक भारतीय जलवायु को प्रभावित करते हैं। एल-निनो एक जटिल मौसम तंत्र है जो हर तीन या चार साल बाद प्रकट होता है। इसके कारण संसार के विभिन्न भागों में सूखा एवं बाढ़ जैसी मौसम की चरम अवस्थाएँ आती हैं। इस तंत्र में महासागरीय और वायुमंडलीय परिघटनाएँ शामिल होती हैं। पूर्वी प्रशांत महासागर में यह पेरू के तट के निकट उष्ण समुद्रीधारा के रूप में प्रकट होता है। इससे भारत सहित अनेक स्थानों का मौसम प्रभावित होता है।
- पश्चिमी जेट धाराओं के कारण भारत में जाड़े के मौसम में उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में वर्षा होती है।
- तिब्बत का पठार संपूर्ण भारतीय प्रायद्वीप में दबाव प्रणाली के परिवर्तन का प्रमुख कारण है, जिसके कारण इसका भारतीय मानसून पर भी प्रभाव पड़ता है।
Incorrect
व्याख्याः
- उपरोक्त सभी कारक भारतीय जलवायु को प्रभावित करते हैं। एल-निनो एक जटिल मौसम तंत्र है जो हर तीन या चार साल बाद प्रकट होता है। इसके कारण संसार के विभिन्न भागों में सूखा एवं बाढ़ जैसी मौसम की चरम अवस्थाएँ आती हैं। इस तंत्र में महासागरीय और वायुमंडलीय परिघटनाएँ शामिल होती हैं। पूर्वी प्रशांत महासागर में यह पेरू के तट के निकट उष्ण समुद्रीधारा के रूप में प्रकट होता है। इससे भारत सहित अनेक स्थानों का मौसम प्रभावित होता है।
- पश्चिमी जेट धाराओं के कारण भारत में जाड़े के मौसम में उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में वर्षा होती है।
- तिब्बत का पठार संपूर्ण भारतीय प्रायद्वीप में दबाव प्रणाली के परिवर्तन का प्रमुख कारण है, जिसके कारण इसका भारतीय मानसून पर भी प्रभाव पड़ता है।
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsभारत में मानसून के प्रस्फोट (फटने) के लिये निम्नलिखित में से किसे ज़िम्मेदार माना जाता है?
Correct
व्याख्याः मानसून के आगमन के समय सामान्य वर्षा में अचानक वृद्धि हो जाती है तथा लगातार कई दिनों तक यह जारी रहती है। इसे मानसून प्रस्फोट (फटना) कहते हैं। पूर्वी जेट प्रवाह को भारत में मानसून के प्रस्फोट (Burst) के लिये ज़िम्मेदार माना जाता है।
Incorrect
व्याख्याः मानसून के आगमन के समय सामान्य वर्षा में अचानक वृद्धि हो जाती है तथा लगातार कई दिनों तक यह जारी रहती है। इसे मानसून प्रस्फोट (फटना) कहते हैं। पूर्वी जेट प्रवाह को भारत में मानसून के प्रस्फोट (Burst) के लिये ज़िम्मेदार माना जाता है।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsमराठवाड़ा, पुणे और बंगलूरू में कम वर्षा होने के प्रमुख कारण हैं-
Correct
व्याख्याः मराठवाड़ा, पुणे और बंगलूरू पश्चिमी घाट के वृष्टि छाया क्षेत्र में अवस्थित हैं। इस कारण से इन जगहों पर कम वर्षा होती है। अरब सागर से उत्पन्न होने वाली मानसूनी पवनों को पश्चिमी घाट रोकते हैं। ये पवनें पश्चिमी घाट की ढलानों पर 900 से 1200 मीटर की ऊँचाई तक चढ़ती हैं। अतः ये पवनें तत्काल ठंडी होकर पश्चिमी घाट के पवनाभिमुखी ढाल तथा पश्चिमी तटीय मैदान पर 250 से 400 सेंटीमीटर तक वर्षा करती हैं। पश्चिमी घाट को पार करने के बाद ये पवनें नीचे उतरती हैं और गरम होने लगती हैं। इससे इन पवनों की आर्द्रता में कमी आ जाती है। परिणामस्वरूप पश्चिमी घाट के पूर्व में स्थित क्षेत्रों में नाममात्र की वर्षा होती है। कम वर्षा का यह क्षेत्र वृष्टि छाया क्षेत्र कहलाता है।
Incorrect
व्याख्याः मराठवाड़ा, पुणे और बंगलूरू पश्चिमी घाट के वृष्टि छाया क्षेत्र में अवस्थित हैं। इस कारण से इन जगहों पर कम वर्षा होती है। अरब सागर से उत्पन्न होने वाली मानसूनी पवनों को पश्चिमी घाट रोकते हैं। ये पवनें पश्चिमी घाट की ढलानों पर 900 से 1200 मीटर की ऊँचाई तक चढ़ती हैं। अतः ये पवनें तत्काल ठंडी होकर पश्चिमी घाट के पवनाभिमुखी ढाल तथा पश्चिमी तटीय मैदान पर 250 से 400 सेंटीमीटर तक वर्षा करती हैं। पश्चिमी घाट को पार करने के बाद ये पवनें नीचे उतरती हैं और गरम होने लगती हैं। इससे इन पवनों की आर्द्रता में कमी आ जाती है। परिणामस्वरूप पश्चिमी घाट के पूर्व में स्थित क्षेत्रों में नाममात्र की वर्षा होती है। कम वर्षा का यह क्षेत्र वृष्टि छाया क्षेत्र कहलाता है।
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Question 9 of 20
9. Question
1 pointsवर्षा ऋतु में तमिलनाडु तट के शुष्क रहने का/के कारण है/हैं-
1. तमिलनाडु का तट बंगाल की खाड़ी की मानसूनी पवनों के समानांतर पड़ता है।
2. यह दक्षिण-पश्चिमी मानसून की अरब सागर शाखा के वृष्टि क्षेत्र में स्थित है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।Correct
व्याख्याः तमिलनाडु का तट वर्षा ऋतु में शुष्क रह जाता है, इसके लिये दो कारक उत्तरदायी हैं-
1. तमिलनाडु तट बंगाल की खाड़ी की मानसूनी पवनों के समानांतर पड़ता है।
2. तमिलनाडु तट दक्षिण-पश्चिम मानसून की अरब सागर शाखा के वृष्टि-क्षेत्र में स्थित है।Incorrect
व्याख्याः तमिलनाडु का तट वर्षा ऋतु में शुष्क रह जाता है, इसके लिये दो कारक उत्तरदायी हैं-
1. तमिलनाडु तट बंगाल की खाड़ी की मानसूनी पवनों के समानांतर पड़ता है।
2. तमिलनाडु तट दक्षिण-पश्चिम मानसून की अरब सागर शाखा के वृष्टि-क्षेत्र में स्थित है। -
Question 10 of 20
10. Question
1 pointsमानसूनी वर्षा की विशेषताओं के संदर्भ में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. दक्षिण-पश्चिम मानसून से प्राप्त होने वाली वर्षा मौसमी है।
2. मानसूनी वर्षा मुख्य रूप से उच्चावच अथवा भू-आकृति द्वारा नियंत्रित होती है।
3. समुद्र से दूरी बढ़ने के साथ मानसूनी वर्षा की मात्रा घटने लगती है।
4. मानसूनी वर्षा का स्थानिक वितरण एक-समान है।
उपरोक्त में से कौन-से कथन सत्य हैं?Correct
व्याख्याः केवल कथन 4 गलत है। मानसूनी वर्षा का स्थानिक वितरण एक-समान नहीं है, बल्कि असमान है जो 12 से.मी. से 250 से.मी. एवं इससे अधिक वर्षा के रूप में पाया जाता है।
Incorrect
व्याख्याः केवल कथन 4 गलत है। मानसूनी वर्षा का स्थानिक वितरण एक-समान नहीं है, बल्कि असमान है जो 12 से.मी. से 250 से.मी. एवं इससे अधिक वर्षा के रूप में पाया जाता है।
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Question 11 of 20
11. Question
1 pointsमानसून के विच्छेद के संबंध में कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
1. उत्तर भारत के मैदान में मानसून विच्छेद उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की संख्या कम हो जाने से होता है।
2. पश्चिमी तट पर मानसून विच्छेद का प्रमुख कारण उष्ण चक्रवातों का आना है।
कूटःCorrect
व्याख्याः दक्षिण-पश्चिम मानसून काल में एक बार कुछ दिनों तक वर्षा होने के बाद यदि एक-दो या कई सप्ताह तक वर्षा न हो, तो इसे मानसून विच्छेद कहा जाता है। ये विच्छेद विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न कारणों से होते हैं, जैसे-
1. उत्तरी भारत के विशाल मैदान में मानसून का विच्छेद उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की संख्या कम हो जाने से और अंतः उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र की स्थिति में बदलाव आने से होता है।
2. पश्चिमी तट पर मानसून विच्छेद तब होता है जब आर्द्र पवनें तट के समानांतर बहने लगती हैं अतः कथन 2 गलत है।
3. राजस्थान में मानसून विच्छेद तब होता है, जब वायुमंडल के निम्न स्तरों पर तापमान की विलोमता वर्षा कराने वाली आर्द्र पवनों को ऊपर उठने से रोक देती है।Incorrect
व्याख्याः दक्षिण-पश्चिम मानसून काल में एक बार कुछ दिनों तक वर्षा होने के बाद यदि एक-दो या कई सप्ताह तक वर्षा न हो, तो इसे मानसून विच्छेद कहा जाता है। ये विच्छेद विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न कारणों से होते हैं, जैसे-
1. उत्तरी भारत के विशाल मैदान में मानसून का विच्छेद उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की संख्या कम हो जाने से और अंतः उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र की स्थिति में बदलाव आने से होता है।
2. पश्चिमी तट पर मानसून विच्छेद तब होता है जब आर्द्र पवनें तट के समानांतर बहने लगती हैं अतः कथन 2 गलत है।
3. राजस्थान में मानसून विच्छेद तब होता है, जब वायुमंडल के निम्न स्तरों पर तापमान की विलोमता वर्षा कराने वाली आर्द्र पवनों को ऊपर उठने से रोक देती है। -
Question 12 of 20
12. Question
1 pointsनिम्नलिज्ति कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
1. मानसून के पीछे हटने या लौट जाने को मानसून का निवर्तन कहते हैं।
2. लौटती हुई मानसूनी पवनें अरब सागर से जल-वाष्प ग्रहण करके तमिलनाडु के तट पर वर्षा करती हैं।
कूटःCorrect
व्याख्याः कथन 1 सत्य है। मानसून के पीछे हटने या लौट जाने को मानसून का निवर्तन कहा जाता है। सितंबर के आरंभ से उत्तर-पश्चिमी भारत से मानसून पीछे हटने लगता है और मध्य अक्तूबर तक यह दक्षिणी भारत को छोड़ शेष समस्त भारत से निवर्तित हो जाता है।
कथन 2 गलत है। लौटती हुई मानसून पवनें बंगाल की खाड़ी से जल-वाष्प ग्रहण करके उत्तर-पूर्वी मानसून के रूप में तमिलनाडु में वर्षा करती हैं।
Incorrect
व्याख्याः कथन 1 सत्य है। मानसून के पीछे हटने या लौट जाने को मानसून का निवर्तन कहा जाता है। सितंबर के आरंभ से उत्तर-पश्चिमी भारत से मानसून पीछे हटने लगता है और मध्य अक्तूबर तक यह दक्षिणी भारत को छोड़ शेष समस्त भारत से निवर्तित हो जाता है।
कथन 2 गलत है। लौटती हुई मानसून पवनें बंगाल की खाड़ी से जल-वाष्प ग्रहण करके उत्तर-पूर्वी मानसून के रूप में तमिलनाडु में वर्षा करती हैं।
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsतमिलनाडु में वर्षा होती है-
Correct
व्याख्याः तमिलनाडु में वर्षा उत्तर-पूर्वी मानसूनी पवनों के द्वारा होती है। जब मानसूनी पवनें भारतीय उप-महाद्वीप से लौटने लगती हैं, तब वे बंगाल की खाड़ी से जलवाष्प ग्रहण करके उत्तर-पूर्वी मानसून के रूप में तमिलनाडु में वर्षा कराती हैं।
Incorrect
व्याख्याः तमिलनाडु में वर्षा उत्तर-पूर्वी मानसूनी पवनों के द्वारा होती है। जब मानसूनी पवनें भारतीय उप-महाद्वीप से लौटने लगती हैं, तब वे बंगाल की खाड़ी से जलवाष्प ग्रहण करके उत्तर-पूर्वी मानसून के रूप में तमिलनाडु में वर्षा कराती हैं।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsभारतीय उप-महाद्वीप में मानसून के निवर्तन का प्रमुख कारण क्या है?
Correct
व्याख्याः अक्तूबर और नवंबर के महीनों को मानसून के निवर्तन की ऋतु कहा जाता है अर्थात् मानसून पीछे हटने लगता है। सितंबर के अंत में सूर्य के दक्षिणायन होने की स्थिति में गंगा के मैदान पर स्थित निम्न वायुदाब की द्रोणी भी दक्षिण की ओर खिसकना आरंभ कर देती है। इससे दक्षिण-पश्चिम मानसून कमज़ोर पड़ने लगता है। दिसंबर के मध्य तक निम्न वायुदाब का केन्द्र प्रायद्वीप से पूरी तरह हट चुका होता है।
Incorrect
व्याख्याः अक्तूबर और नवंबर के महीनों को मानसून के निवर्तन की ऋतु कहा जाता है अर्थात् मानसून पीछे हटने लगता है। सितंबर के अंत में सूर्य के दक्षिणायन होने की स्थिति में गंगा के मैदान पर स्थित निम्न वायुदाब की द्रोणी भी दक्षिण की ओर खिसकना आरंभ कर देती है। इससे दक्षिण-पश्चिम मानसून कमज़ोर पड़ने लगता है। दिसंबर के मध्य तक निम्न वायुदाब का केन्द्र प्रायद्वीप से पूरी तरह हट चुका होता है।
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Question 15 of 20
15. Question
1 points“कार्तिक मास की ऊष्मा” का संबंध किससे है?
Correct
व्याख्याः “कार्तिक मास की ऊष्मा” का संबंध मानसून के निवर्तन से है। मानसून के निवर्तन की ऋतु में आकाश स्वच्छ हो जाता है और तापमान बढ़ने लगता है। ज़मीन में अभी भी नमी होती है। उच्च तापमान और आर्द्रता की दशाओं से मौसम कष्टकारी हो जाता है। इसे ही “कार्तिक मास की ऊष्मा” कहा जाता है।
मानसून के निवर्तन की ऋतु में उत्तर भारत में मौसम सूखा होता है, जबकि प्रायद्वीप के पूर्वी भागों में वर्षा होती है। यहाँ अक्तूबर और नवंबर माह वर्ष के सबसे अधिक वर्षा वाले महीने होते हैं।
Incorrect
व्याख्याः “कार्तिक मास की ऊष्मा” का संबंध मानसून के निवर्तन से है। मानसून के निवर्तन की ऋतु में आकाश स्वच्छ हो जाता है और तापमान बढ़ने लगता है। ज़मीन में अभी भी नमी होती है। उच्च तापमान और आर्द्रता की दशाओं से मौसम कष्टकारी हो जाता है। इसे ही “कार्तिक मास की ऊष्मा” कहा जाता है।
मानसून के निवर्तन की ऋतु में उत्तर भारत में मौसम सूखा होता है, जबकि प्रायद्वीप के पूर्वी भागों में वर्षा होती है। यहाँ अक्तूबर और नवंबर माह वर्ष के सबसे अधिक वर्षा वाले महीने होते हैं।
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Question 16 of 20
16. Question
1 pointsशीत ऋतु में गोदावरी, कृष्णा एवं कावेरी नदियों के डेल्टाई प्रदेशों में आने वाले उष्ण कटिबंधीय चक्रवात किस सागर/महासागर में उत्पन्न होते हैं?
Correct
व्याख्याः नवंबर के प्रारंभ में, उत्तर-पश्चिम भारत के ऊपर निम्न दाब वाली अवस्था बंगाल की खाड़ी पर स्थानांतरित हो जाती है। यह स्थानांतरण चक्रवाती निम्न दाब से संबंधित होता है जो अंडमान सागर के ऊपर उत्पन्न होता है और भारतीय प्रायद्वीप के पूर्वी तट को पार करते हैं, जिसके कारण व्यापक एवं भारी वर्षा होती है। ये उष्ण कटिबंधीय चक्रवात अत्यंत विनाशकारी होते हैं।
गोदावरी, कृष्णा, कावेरी और अन्य नदियों के घने बसे डेल्टाई प्रदेश इन चक्रवाती तूफानों के शिकार बनते हैं। हर साल चक्रवातों से यहाँ आपदा आती है। कुछ चक्रवातीय तूफान पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश और म्यांमार के तट से भी टकराते हैं। कोरोमंडल तट पर होने वाली अधिकांश वर्षा इन्हीं अवदाबों और चक्रवातों से प्राप्त होती है। ऐसे चक्रवातीय तूफान अरब सागर में कम उठते हैं।
Incorrect
व्याख्याः नवंबर के प्रारंभ में, उत्तर-पश्चिम भारत के ऊपर निम्न दाब वाली अवस्था बंगाल की खाड़ी पर स्थानांतरित हो जाती है। यह स्थानांतरण चक्रवाती निम्न दाब से संबंधित होता है जो अंडमान सागर के ऊपर उत्पन्न होता है और भारतीय प्रायद्वीप के पूर्वी तट को पार करते हैं, जिसके कारण व्यापक एवं भारी वर्षा होती है। ये उष्ण कटिबंधीय चक्रवात अत्यंत विनाशकारी होते हैं।
गोदावरी, कृष्णा, कावेरी और अन्य नदियों के घने बसे डेल्टाई प्रदेश इन चक्रवाती तूफानों के शिकार बनते हैं। हर साल चक्रवातों से यहाँ आपदा आती है। कुछ चक्रवातीय तूफान पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश और म्यांमार के तट से भी टकराते हैं। कोरोमंडल तट पर होने वाली अधिकांश वर्षा इन्हीं अवदाबों और चक्रवातों से प्राप्त होती है। ऐसे चक्रवातीय तूफान अरब सागर में कम उठते हैं।
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Question 17 of 20
17. Question
1 pointsभारतीय उपमहाद्वीप में शीत ऋतु की विशेषताओं के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. शीत ऋतु में भारतीय उप-महाद्वीप के तटीय भागों में तापांतर अधिक होता है तथा उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में कम होता है।
2. इस ऋतु में देश में उत्तर-पूर्वी व्यापारिक पवनें प्रवाहित होती हैं।
3. शीत ऋतु में उत्तरी मैदान विशेष रूप से उत्तर एवं उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र पश्चिमी विक्षोभ कहे जाने वाले चक्रवाती विक्षोभ से प्रभावित होते हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- केवल पहला कथन असत्य है। तापांतर का अर्थ है तापमान में अंतर। शीत ऋतु में तटीय भागों में समुद्र के समकारी प्रभाव तथा भूमध्यरेखा की निकटता के कारण ऋतु के अनुसार तापमान के वितरण में बहुत ही कम बदलाव आता है। प्रायद्वीपीय भागों में कोई निश्चित शीत ऋतु नहीं होती।
- भारत के उत्तरी मैदानों तथा उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्रों में दिन और रात के तापमान में बहुत अधिक अंतर होता है। इस समय इन क्षेत्रों में दिन गर्म तथा रातें ठंडी होती हैं। इस समय उत्तरी भारत के अधिकांश भागों में औसत दैनिक तापमान 21º सेल्सियस से कम रहता है जो राजस्थान और पंजाब में 0º सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है।
- कथन 2 सत्य है। इस ऋतु में, देश में उत्तर-पूर्वी व्यापारिक पवनें प्रवाहित होती हैं। ये स्थल से समुद्र की ओर बहती हैं इसलिये देश के अधिकतर भागों में शुष्क मौसम रहता है।
- कथन 3 सत्य है। शीत ऋतु में उत्तरी मैदानों में पश्चिम एवं उत्तर-पश्चिम से चक्रवाती विक्षोभ का अंतर्वाह एक विशेष लक्षण है। यह कम दाब वाली प्रणाली भूमध्य सागर एवं पश्चिमी एशिया के ऊपर उत्पन्न होती है तथा पश्चिमी पवनों के साथ भारत में प्रवेश करती है। इसके कारण शीतकाल में मैदानों में वर्षा होती है तथा पर्वतों पर हिमपात।
Incorrect
व्याख्याः
- केवल पहला कथन असत्य है। तापांतर का अर्थ है तापमान में अंतर। शीत ऋतु में तटीय भागों में समुद्र के समकारी प्रभाव तथा भूमध्यरेखा की निकटता के कारण ऋतु के अनुसार तापमान के वितरण में बहुत ही कम बदलाव आता है। प्रायद्वीपीय भागों में कोई निश्चित शीत ऋतु नहीं होती।
- भारत के उत्तरी मैदानों तथा उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्रों में दिन और रात के तापमान में बहुत अधिक अंतर होता है। इस समय इन क्षेत्रों में दिन गर्म तथा रातें ठंडी होती हैं। इस समय उत्तरी भारत के अधिकांश भागों में औसत दैनिक तापमान 21º सेल्सियस से कम रहता है जो राजस्थान और पंजाब में 0º सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है।
- कथन 2 सत्य है। इस ऋतु में, देश में उत्तर-पूर्वी व्यापारिक पवनें प्रवाहित होती हैं। ये स्थल से समुद्र की ओर बहती हैं इसलिये देश के अधिकतर भागों में शुष्क मौसम रहता है।
- कथन 3 सत्य है। शीत ऋतु में उत्तरी मैदानों में पश्चिम एवं उत्तर-पश्चिम से चक्रवाती विक्षोभ का अंतर्वाह एक विशेष लक्षण है। यह कम दाब वाली प्रणाली भूमध्य सागर एवं पश्चिमी एशिया के ऊपर उत्पन्न होती है तथा पश्चिमी पवनों के साथ भारत में प्रवेश करती है। इसके कारण शीतकाल में मैदानों में वर्षा होती है तथा पर्वतों पर हिमपात।
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Question 18 of 20
18. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन ग्रीष्म ऋतु के संदर्भ में सही है/हैं?
1. भारत में ग्रीष्म ऋतु में तापमान उत्तरी भारत से दक्षिणी भारत की ओर बढ़ता है।
2. भारत के उत्तर-पश्चिम में अंतः उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र के केन्द्र में दोपहर के बाद ‘लू’ चलती है।
3. प्रायद्वीपीय भारत में समुद्री प्रभाव के कारण तापमान कम होता है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनियेःCorrect
व्याख्याः
- केवल पहला कथन गलत है। भारत में गर्मी के महीनों में तापमान उत्तरी भारत से दक्षिणी भारत की ओर न बढ़कर तटों से भीतर की ओर बढ़ता है, क्योंकि तटीय भागों में समताप रेखाएँ तट के समानांतर उत्तर-दक्षिण दिशा में फैली हुई होती हैं।
- कथन 2 और 3 सत्य हैं। ग्रीष्म ऋतु में भारत के उत्तर-पश्चिम में अंतः उष्ण कटिबंधीय अभिसरण (ITCZ) के केन्द्र में दोपहर के बाद ‘लू’ के नाम से विख्यात शुष्क एवं तप्त हवाएँ चलती हैं। कभी-कभी ये देर शाम तक जारी रहती हैं। इस हवा का सीधा प्रभाव घातक भी हो सकता है। ये आंधियाँ अस्थायी रूप से आराम पहुँचाती हैं, क्योंकि ये तापमान को कम कर देती हैं।
- देश के उत्तरी भाग में, ग्रीष्मकाल में तापमान में वृद्धि होती है तथा वायुदाब में कमी आती है, जबकि प्रायद्वीपीय भारत में समुद्री प्रभाव के कारण तापमान कम होता है।
Incorrect
व्याख्याः
- केवल पहला कथन गलत है। भारत में गर्मी के महीनों में तापमान उत्तरी भारत से दक्षिणी भारत की ओर न बढ़कर तटों से भीतर की ओर बढ़ता है, क्योंकि तटीय भागों में समताप रेखाएँ तट के समानांतर उत्तर-दक्षिण दिशा में फैली हुई होती हैं।
- कथन 2 और 3 सत्य हैं। ग्रीष्म ऋतु में भारत के उत्तर-पश्चिम में अंतः उष्ण कटिबंधीय अभिसरण (ITCZ) के केन्द्र में दोपहर के बाद ‘लू’ के नाम से विख्यात शुष्क एवं तप्त हवाएँ चलती हैं। कभी-कभी ये देर शाम तक जारी रहती हैं। इस हवा का सीधा प्रभाव घातक भी हो सकता है। ये आंधियाँ अस्थायी रूप से आराम पहुँचाती हैं, क्योंकि ये तापमान को कम कर देती हैं।
- देश के उत्तरी भाग में, ग्रीष्मकाल में तापमान में वृद्धि होती है तथा वायुदाब में कमी आती है, जबकि प्रायद्वीपीय भारत में समुद्री प्रभाव के कारण तापमान कम होता है।
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Question 19 of 20
19. Question
1 pointsभारत के किन क्षेत्रों में वर्षा 200 सेंटीमीटर या उससे अधिक होती है?
1. पश्चिमी घाट
2. कोरोमंडल तट
3. उत्तर-पूर्व के उप-हिमालयी क्षेत्र
4. मेघालय की पहाड़ियाँ
कूटःCorrect
व्याख्याः भारत में 200 सेंटीमीटर या उससे अधिक की वर्षा पश्चिमी तट, पश्चिमी घाट, उत्तर-पूर्व के उप-हिमालयी क्षेत्र तथा मेघालय की पहाड़ियों पर होती है।
Incorrect
व्याख्याः भारत में 200 सेंटीमीटर या उससे अधिक की वर्षा पश्चिमी तट, पश्चिमी घाट, उत्तर-पूर्व के उप-हिमालयी क्षेत्र तथा मेघालय की पहाड़ियों पर होती है।
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Question 20 of 20
20. Question
1 pointsभारत के किन क्षेत्रों में वर्षा 50 सेंटीमीटर से कम होती है?
1. पूर्वी राजस्थान
2. लद्दाख
3. पश्चिमी राजस्थान
4. गुजरात
कूटःCorrect
व्याख्याः प्रायद्वीपीय भारत के कुछ भागों विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में तथा लद्दाख एवं पश्चिमी राजस्थान के अधिकतर भागों में 50 सेंटीमीटर से कम वर्षा होती है।
पूर्वी राजस्थान और गुजरात में वर्षा 50 से 100 सेंटीमीटर के बीच होती है।
Incorrect
व्याख्याः प्रायद्वीपीय भारत के कुछ भागों विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में तथा लद्दाख एवं पश्चिमी राजस्थान के अधिकतर भागों में 50 सेंटीमीटर से कम वर्षा होती है।
पूर्वी राजस्थान और गुजरात में वर्षा 50 से 100 सेंटीमीटर के बीच होती है।
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