भारत लोग और अर्थव्यवस्था टेस्ट 6
भारत लोग और अर्थव्यवस्था टेस्ट 6
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न कक्षा 12 की पुस्तक भारत लोग और अर्थव्यवस्था (एन.सी.ई.आर.टी.) पर आधारित है| यदि आप ‘भारत लोग और अर्थव्यवस्था’ विषय की अधिक जानकारी नहीं रखते है तो इस टेस्ट को देने से पहले आप पुस्तक का रिविजन अवश्य करें|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. अर्थव्यवस्था का समय के साथ आकार बढ़ने से भूमि पर कोई प्रभाव नही पड़ता।
2. भले ही समय के साथ कृषि क्रियाकलापों का अर्थव्यवस्था में योगदान कम होता जाता है किंतु भूमि पर कृषि क्रियाकलापों का दबाव कम नहीं होता है।
3. समय के साथ अर्थव्यवस्था की संरचना में बदलाव से द्वितीय व तृतीयक सेक्टरों में प्राथमिक सेक्टर की अपेक्षा अधिक तीव्रता के साथ वृद्धि होती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/ से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः
- अर्थव्यवस्था का आकार, समय के साथ बढ़ता है; जो बढ़ती जनसंख्या, बदलते आय स्तर, उपलब्ध प्रौद्योगिकी व इसी से मिलते-जुलते कारकों पर निर्भर है। परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था का समय के साथ आकार बढ़ने के साथ भूमि पर दबाव बढ़ता है तथा सीमांत भूमि को भी प्रयोग में लाया जाता है। अतः कथन (1) सही नहीं है।
Incorrect
व्याख्याः
- अर्थव्यवस्था का आकार, समय के साथ बढ़ता है; जो बढ़ती जनसंख्या, बदलते आय स्तर, उपलब्ध प्रौद्योगिकी व इसी से मिलते-जुलते कारकों पर निर्भर है। परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था का समय के साथ आकार बढ़ने के साथ भूमि पर दबाव बढ़ता है तथा सीमांत भूमि को भी प्रयोग में लाया जाता है। अतः कथन (1) सही नहीं है।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. जिस भूमि पर फसलें उगाई व काटी जाती हैं, वह निवल बोया क्षेत्र कहलाता है।
2. ग्राम पंचायत के स्वामित्व वाली भूमि को ‘साझा संपत्ति संसाधन’ कहा जाता है।
3. भूमि जो प्रचलित प्रौद्योगिकी मदद से कृषि योग्य नहीं बनाई जा सकती है वर्तमान परती भूमि कहलाती है।
4. पाँच वर्षों तक या अधिक समय तक परती या कृषि रहित भूमि, कृषि योग्य व्यर्थ भूमि संवर्ग में सम्मिलित की जाती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?Correct
व्याख्याः
- वह भूमि जो प्रचलित प्रौद्योगिकी की मदद से कृषि योग्य नहीं बनाई जा सकती बंज़र व व्यर्थ भूमि (Barren add waste lands) कहलाती है, जैसे- बंज़र, पहाड़ी भू-भाग, मरुस्थल, खड्ड आदि को कृषि अयोग्य व्यर्थ भूमि में वर्गीकृत किया गया है। अतः कथन (3) सही नहीं है।
- वर्तमान परती भूमिः वह भूमि जो एक वर्ष या उससे कम समय तक कृषि रहित रहती है, वर्तमान परती भूमि कहलाती है। भूमि की गुणवत्ता बनाए रखने हेतु भूमि को परती रखना एक सांस्कृतिक चलन है। इस विधि से भूमि की क्षीण उर्वरकता या पौष्टिकता प्राकृतिक रूप से वापस आ जाती है।
Incorrect
व्याख्याः
- वह भूमि जो प्रचलित प्रौद्योगिकी की मदद से कृषि योग्य नहीं बनाई जा सकती बंज़र व व्यर्थ भूमि (Barren add waste lands) कहलाती है, जैसे- बंज़र, पहाड़ी भू-भाग, मरुस्थल, खड्ड आदि को कृषि अयोग्य व्यर्थ भूमि में वर्गीकृत किया गया है। अतः कथन (3) सही नहीं है।
- वर्तमान परती भूमिः वह भूमि जो एक वर्ष या उससे कम समय तक कृषि रहित रहती है, वर्तमान परती भूमि कहलाती है। भूमि की गुणवत्ता बनाए रखने हेतु भूमि को परती रखना एक सांस्कृतिक चलन है। इस विधि से भूमि की क्षीण उर्वरकता या पौष्टिकता प्राकृतिक रूप से वापस आ जाती है।
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Question 3 of 20
3. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से भूमि के गैर-कृषि कार्यों में प्रयुक्त क्षेत्र में वृद्धि-दर अधिकतम्होने का कारण नहीं है।
Correct
व्याख्याः
- भूमि का गैर-कृषि कार्यों में प्रयुक्त क्षेत्र में वृद्धि-दर अधिकतम होने का कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की बदलती संरचना तथा गाँवों व शहरों में बस्तियों के अंतर्गत क्षेत्रफल में विस्तार है।
- गैर-कृषि कार्यों में प्रयुक्त भूमि का प्रसार कृषि योग्य परंतु व्यर्थ भूमि तथा कृषि भूमि की हानि पर हुआ है। वर्षा की अनियमितता का इससे कोई संबंध नहीं है, अतः (c) सही नहीं है।
Incorrect
व्याख्याः
- भूमि का गैर-कृषि कार्यों में प्रयुक्त क्षेत्र में वृद्धि-दर अधिकतम होने का कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की बदलती संरचना तथा गाँवों व शहरों में बस्तियों के अंतर्गत क्षेत्रफल में विस्तार है।
- गैर-कृषि कार्यों में प्रयुक्त भूमि का प्रसार कृषि योग्य परंतु व्यर्थ भूमि तथा कृषि भूमि की हानि पर हुआ है। वर्षा की अनियमितता का इससे कोई संबंध नहीं है, अतः (c) सही नहीं है।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. द्वितीयक व तृतीयक आर्थिक क्रियाओं में भूमि का योगदान, कृषि उत्पादन में भूमि के योगदान से अधिक है।
2. साझा चारागाहों की न्यूनता का मुख्य कारण गैर-कानूनी तरीकों से कृषि विस्तार है।
3. कृषि योग्य व्यर्थ भूमि संवर्ग में कमी के बावजूद कृषि योग्य भूमि में कमी आई है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः
- चूँकि द्वितीयक व तृतीयक आर्थिक क्रियाओं की अपेक्षा कृषि पूर्णतया भूमि पर आधारित है। अतः कृषि उत्पादन में भूमि का योगदान अन्य सेक्टरों में भूमि के योगदान से अधिक है। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीनता प्रत्यक्ष रूप से वहाँ की गरीबी से संबंधित है। अतः कथन (1) सही नहीं है।
- चूँकि कृषि योग्य व्यर्थ भूमि का उपयोग द्वितीयक व तृतीयक क्षेत्रों में हुआ और कुछ क्षेत्रों में कृषि योग्य भूमि का भी उपयोग द्वितीय और तृतीयक सेक्टरों में किया गया, जिसके कारण कृषि योग्य भूमि में काफी कमी आई है।
Incorrect
व्याख्याः
- चूँकि द्वितीयक व तृतीयक आर्थिक क्रियाओं की अपेक्षा कृषि पूर्णतया भूमि पर आधारित है। अतः कृषि उत्पादन में भूमि का योगदान अन्य सेक्टरों में भूमि के योगदान से अधिक है। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीनता प्रत्यक्ष रूप से वहाँ की गरीबी से संबंधित है। अतः कथन (1) सही नहीं है।
- चूँकि कृषि योग्य व्यर्थ भूमि का उपयोग द्वितीयक व तृतीयक क्षेत्रों में हुआ और कुछ क्षेत्रों में कृषि योग्य भूमि का भी उपयोग द्वितीय और तृतीयक सेक्टरों में किया गया, जिसके कारण कृषि योग्य भूमि में काफी कमी आई है।
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Question 5 of 20
5. Question
1 pointsनिम्नलिखित फसलों में से कौन-सी एक खरीफ ऋतु की फसल नहीं है?
Correct
व्याख्याः
खरीफ ऋतु की फसलें:- अधिकतर दक्षिण-पश्चिम मानसून(जून से सितम्बर) के साथ बोई जाती है। जिसमें उष्ण कटिबंधीय फसलें सम्मिलित हैं, जो इस प्रकार हैं:
चावल, कपास, जूट, ज्वार, बाजरा व अरहर - सरसो रबी ऋतु की फसल है, जो अक्तूबर-नवंबर में बोई जाती है।
Incorrect
व्याख्याः
खरीफ ऋतु की फसलें:- अधिकतर दक्षिण-पश्चिम मानसून(जून से सितम्बर) के साथ बोई जाती है। जिसमें उष्ण कटिबंधीय फसलें सम्मिलित हैं, जो इस प्रकार हैं:
चावल, कपास, जूट, ज्वार, बाजरा व अरहर - सरसो रबी ऋतु की फसल है, जो अक्तूबर-नवंबर में बोई जाती है।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsनिम्नलिखित फसलों में से कौन-सी जायद ऋतु की फसलें है/हैं?
1. तरबूज
2. खीरा
3. चारा फसलें
4. चना
5. तोरई
6. मक्का
कूटःCorrect
व्याख्याः
- जायद (अप्रैल से जून) एक अल्पकालिक ग्रीष्मकालीन फसल ऋतु है, जो रबी की कटाई के बाद प्रारंभ होती है। इस ऋतु में तरबूज, खीरा, ककड़ी, सब्जियाँ व चारे की फसलों की कृषि सिंचित भूमि पर की जाती है।
- इस प्रकार की पृथक् फसलें दक्षिण भागों में नहीं पाई जाती।
Incorrect
व्याख्याः
- जायद (अप्रैल से जून) एक अल्पकालिक ग्रीष्मकालीन फसल ऋतु है, जो रबी की कटाई के बाद प्रारंभ होती है। इस ऋतु में तरबूज, खीरा, ककड़ी, सब्जियाँ व चारे की फसलों की कृषि सिंचित भूमि पर की जाती है।
- इस प्रकार की पृथक् फसलें दक्षिण भागों में नहीं पाई जाती।
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. रक्षित सिंचाई के अंतर्गत वर्षा के अतिरिक्त जल की कमी की पूर्ति सिंचाई द्वारा पूरा किया जाता है।
2. उत्पादक सिंचाई में जल निवेश की मात्रा रक्षित सिंचाई की अपेक्षा कम होती है।
3. बाजरा, रागी, जूट, गन्ना सभी आर्द्रभूमि कृषि फसलें हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः
- आर्द्रता के प्रमुख उपलब्ध स्रोत के आधार पर कृषि को सिंचित कृषि तथा वर्षा निर्भर कृषि में वर्गीकृत किया जाता है। सिंचित कृषि में भी सिंचाई के उद्देश्य के आधार पर अंतर पाया जाता है- यह दो प्रकार की है।
1. रक्षित सिंचाई
2. उत्पादक सिंचाई- रक्षित सिंचाई का मुख्य उद्देश्य आर्द्रता की कमी के कारण फसलों को नष्ट होने से बचाना है जिसका अभिप्राय यह है कि वर्षा के अतिरिक्त जल की कमी को सिंचाई द्वारा पूरा किया जाता है।
- उत्पादक सिंचाई का उद्देश्य फसलों को पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध कराकर अधिकतम उत्पादकता प्राप्त करना है। उत्पादक सिंचाई में जल निवेश की मात्रा रक्षित सिंचाई की अपेक्षा अधिक होती है।
- प्रमुख शुष्क भूमि कृषि फसलें- रागी, बाजरा, मूँग, चना तथा ग्वार (चारा फसलें) आदि उगाई जाती हैं।
- प्रमुख आर्द्र कृषि फसलें- चावल, गन्ना, जूट आदि जिन्हें पानी की अत्यधिक मात्रा में आवश्यकता पड़ती है।
Incorrect
व्याख्याः
- आर्द्रता के प्रमुख उपलब्ध स्रोत के आधार पर कृषि को सिंचित कृषि तथा वर्षा निर्भर कृषि में वर्गीकृत किया जाता है। सिंचित कृषि में भी सिंचाई के उद्देश्य के आधार पर अंतर पाया जाता है- यह दो प्रकार की है।
1. रक्षित सिंचाई
2. उत्पादक सिंचाई- रक्षित सिंचाई का मुख्य उद्देश्य आर्द्रता की कमी के कारण फसलों को नष्ट होने से बचाना है जिसका अभिप्राय यह है कि वर्षा के अतिरिक्त जल की कमी को सिंचाई द्वारा पूरा किया जाता है।
- उत्पादक सिंचाई का उद्देश्य फसलों को पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध कराकर अधिकतम उत्पादकता प्राप्त करना है। उत्पादक सिंचाई में जल निवेश की मात्रा रक्षित सिंचाई की अपेक्षा अधिक होती है।
- प्रमुख शुष्क भूमि कृषि फसलें- रागी, बाजरा, मूँग, चना तथा ग्वार (चारा फसलें) आदि उगाई जाती हैं।
- प्रमुख आर्द्र कृषि फसलें- चावल, गन्ना, जूट आदि जिन्हें पानी की अत्यधिक मात्रा में आवश्यकता पड़ती है।
-
Question 8 of 20
8. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से चावल की प्रति हेक्टेयर सबसे ज़्यादा पैदावार करने वाले राज्यों का सही अवरोही क्रम है-
Correct
व्याख्याः
- आर्थिक समीक्षा 2015-2016 के अनुसार प्रति हेक्टेयर सर्वाधिक चावल का उत्पादन करने वाला राज्य पंजाब (6000 kg/ha) है। इसके बाद क्रमशः तमिलनाडु, हरियाणा, आन्ध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा केरल आते हैं।
- हालाँकि पंजाब प्रति हेक्टेयर उत्पादन में चीन (6700 kg/ha) से पीछे है।कुल उत्पादन की दृष्टि से पश्चिम बंगाल (146.05) लाख टन के साथ पहले स्थान पर है इसके बाद क्रमशः उत्तर प्रदेश (140.22) लाख टन, आन्ध्र प्रदेश (128.75) लाख टन, पंजाब (105.42) लाख टन, तमिलनाडु (74.58) लाख टन का स्थान है।
Incorrect
व्याख्याः
- आर्थिक समीक्षा 2015-2016 के अनुसार प्रति हेक्टेयर सर्वाधिक चावल का उत्पादन करने वाला राज्य पंजाब (6000 kg/ha) है। इसके बाद क्रमशः तमिलनाडु, हरियाणा, आन्ध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा केरल आते हैं।
- हालाँकि पंजाब प्रति हेक्टेयर उत्पादन में चीन (6700 kg/ha) से पीछे है।कुल उत्पादन की दृष्टि से पश्चिम बंगाल (146.05) लाख टन के साथ पहले स्थान पर है इसके बाद क्रमशः उत्तर प्रदेश (140.22) लाख टन, आन्ध्र प्रदेश (128.75) लाख टन, पंजाब (105.42) लाख टन, तमिलनाडु (74.58) लाख टन का स्थान है।
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Question 9 of 20
9. Question
1 pointsउत्तर भारत में वह कौन-सी खरीफ फसल है जिसे मुख्यतः चारे के लिये उगाया जाता है?
Correct
व्याख्याः
- ज्वार उत्तर भारत में मुख्यतः चारा फसल के रूप में उगाई जाने वाली फसल है।
- यह दक्षिण राज्यों में खरीफ तथा रबी दोनों ऋतुओं में बोया जाता है परंतु उत्तर भारत में खरीफ की फसल है।
Incorrect
व्याख्याः
- ज्वार उत्तर भारत में मुख्यतः चारा फसल के रूप में उगाई जाने वाली फसल है।
- यह दक्षिण राज्यों में खरीफ तथा रबी दोनों ऋतुओं में बोया जाता है परंतु उत्तर भारत में खरीफ की फसल है।
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Question 10 of 20
10. Question
1 pointsमक्का फसल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. मक्का की फसल निम्न कोटि मिट्टी व अर्धशुष्क जलवायवी परिस्थितियों में उगाई जाती है।
2. सर्वाधिक मक्का उत्पादन करने वाला राज्य आन्ध्र प्रदेश है।
3. मक्का की फसल पूर्वी तथा उत्तर-पूर्वी भारत को छोड़कर देश के लगभग सभी हिस्सों में बोई जाती है।
4. इसकी पैदावार दक्षिण राज्यों में अधिक है, जो मध्य भागों की ओर कम होती जाती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन- से सही हैं?Correct
व्याख्याः
- मक्का की फसल एक खाद्य तथा चारा फ़सल है, जो निम्न कोटि मिट्टी व अर्धशुष्क जलवायवी परिस्थितियों में उगाई जाती है|
- भारत में मक्का की कृषि किसी क्षेत्र विशेष में केन्द्रित नहीं है ।
- यह फसल पूर्वी तथा उत्तर – पूर्वी भारत को छोड़कर देश के लगभग सभी हिस्सों में बोई जाती है।
- मक्का के प्रमुख उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश ,तेलंगाना,कर्नाटक ,राजस्थान व उत्तर प्रदेश हैं।
- अन्य मोटे अनाजों की अपेक्षा इसकी पैदावार अधिक होती है |
- इसकी पैदावार दक्षिण राज्यों में अधिक है, जो मध्य भाग की ओर कम होती जाती है।
- भारत में मक्का का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला राज्य आंध्र प्रदेश है।
Incorrect
व्याख्याः
- मक्का की फसल एक खाद्य तथा चारा फ़सल है, जो निम्न कोटि मिट्टी व अर्धशुष्क जलवायवी परिस्थितियों में उगाई जाती है|
- भारत में मक्का की कृषि किसी क्षेत्र विशेष में केन्द्रित नहीं है ।
- यह फसल पूर्वी तथा उत्तर – पूर्वी भारत को छोड़कर देश के लगभग सभी हिस्सों में बोई जाती है।
- मक्का के प्रमुख उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश ,तेलंगाना,कर्नाटक ,राजस्थान व उत्तर प्रदेश हैं।
- अन्य मोटे अनाजों की अपेक्षा इसकी पैदावार अधिक होती है |
- इसकी पैदावार दक्षिण राज्यों में अधिक है, जो मध्य भाग की ओर कम होती जाती है।
- भारत में मक्का का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला राज्य आंध्र प्रदेश है।
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Question 11 of 20
11. Question
1 pointsखाद्यान्न फसलों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश तथा जम्मू और कश्मीर राज्यों में गेहूँ की उत्पादकता कम है।
2. उत्तर प्रदेश देश का सर्वाधिक गेहूँ उत्पादन करने वाला राज्य तो है किंतु प्रति हेक्टेयर पैदावार मध्यम स्तर की है।
3. चना उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों की फसल है।
4. देश में दाल का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला राज्य हरियाणा है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?Correct
व्याख्याः
- मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश तथा जम्मू और कश्मीर में गेहूँ की कृषि वर्षा पर आधारित है तथा उत्पादकता कम है। गेहूँ मुख्यतः शीतोष्ण कटिबंधीय फसल है तथा रबी ऋतु में बोया जाता है। उत्तर प्रदेश सर्वाधिक भारत में कुल उत्पादन का 34% तथा पंजाब, हरियाणा क्रमशः प्रति हेक्टेयर सर्वाधिक गेहूँ उत्पादन करने वाले राज्य हैं।
- चना उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों की फसल है। यह मुख्यतः वर्षा आधारित फसल है, जो देश के मध्यम, पश्चिमी तथा उत्तरी-पश्चिमी भागों में रबी की ऋतु में बोई जाती है। इस फसल को सफलतापूर्वक उगाने के लिये वर्षा की एक या दो हल्की बौछारों या एक या दो बार सिंचाई की आवश्यकता होती है।
- देश में दालों का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला राज्य मध्य प्रदेश है, जो देश के कुल उत्पादन का 23% उत्पादन करता है।
Incorrect
व्याख्याः
- मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश तथा जम्मू और कश्मीर में गेहूँ की कृषि वर्षा पर आधारित है तथा उत्पादकता कम है। गेहूँ मुख्यतः शीतोष्ण कटिबंधीय फसल है तथा रबी ऋतु में बोया जाता है। उत्तर प्रदेश सर्वाधिक भारत में कुल उत्पादन का 34% तथा पंजाब, हरियाणा क्रमशः प्रति हेक्टेयर सर्वाधिक गेहूँ उत्पादन करने वाले राज्य हैं।
- चना उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों की फसल है। यह मुख्यतः वर्षा आधारित फसल है, जो देश के मध्यम, पश्चिमी तथा उत्तरी-पश्चिमी भागों में रबी की ऋतु में बोई जाती है। इस फसल को सफलतापूर्वक उगाने के लिये वर्षा की एक या दो हल्की बौछारों या एक या दो बार सिंचाई की आवश्यकता होती है।
- देश में दालों का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला राज्य मध्य प्रदेश है, जो देश के कुल उत्पादन का 23% उत्पादन करता है।
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Question 12 of 20
12. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही नहीं हैं?
Correct
व्याख्याः
- भारत में कपास का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला राज्य गुजरात (108 lakh bales ) है|इसके बाद क्रमशः महाराष्ट्र (83 lakh bales ), तेलंगाना, कर्नाटक (30 lakh bales ) आदि का स्थान आता है।
Incorrect
व्याख्याः
- भारत में कपास का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला राज्य गुजरात (108 lakh bales ) है|इसके बाद क्रमशः महाराष्ट्र (83 lakh bales ), तेलंगाना, कर्नाटक (30 lakh bales ) आदि का स्थान आता है।
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है।
Correct
व्याख्याः
- भारत में कॉफी का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला राज्य कर्नाटक है इसके बाद क्रमशः केरल, तमिलनाडु का स्थान है|
- विश्व में कॉफी के उत्पादन की दृष्टि से भारत का 7वाँ तथा ब्राज़ील का पहला स्थान है।
- कॉफी एक उष्ण कटिबंधीय रोपण कृषि है। इसके बीजों को भूनकर पीसा जाता है तथा एक पेय के रूप में प्रयोग किया जाता है। कॉफी की तीन किस्में हैः 1. अरेबिका, 2. रोबस्ता, 3. लिबेरिका|
- भारत अधिकतर उत्तम किस्म की अरेबिका कॉफी का उत्पादन करता है।
- चाय निर्यातक देशों में भारत का चीन और श्रीलंका के पश्चात् तीसरा स्थान है।
- भारत में चाय की खेती 1840 में असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में प्रारम्भ हुई जो आज भी देश का प्रमुख चाय उत्पादन क्षेत्र है।
Incorrect
व्याख्याः
- भारत में कॉफी का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला राज्य कर्नाटक है इसके बाद क्रमशः केरल, तमिलनाडु का स्थान है|
- विश्व में कॉफी के उत्पादन की दृष्टि से भारत का 7वाँ तथा ब्राज़ील का पहला स्थान है।
- कॉफी एक उष्ण कटिबंधीय रोपण कृषि है। इसके बीजों को भूनकर पीसा जाता है तथा एक पेय के रूप में प्रयोग किया जाता है। कॉफी की तीन किस्में हैः 1. अरेबिका, 2. रोबस्ता, 3. लिबेरिका|
- भारत अधिकतर उत्तम किस्म की अरेबिका कॉफी का उत्पादन करता है।
- चाय निर्यातक देशों में भारत का चीन और श्रीलंका के पश्चात् तीसरा स्थान है।
- भारत में चाय की खेती 1840 में असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में प्रारम्भ हुई जो आज भी देश का प्रमुख चाय उत्पादन क्षेत्र है।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. भारत में प्रतिव्यक्ति कृषि भूमि का अनुपात विश्व औसत से अधिक है।
2. भारत का एक बड़ा भू-भाग कृषि के अंतर्गत होने के बावजूद भूमि पर दबाव अधिक है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः
- कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। वर्तमान में 50% जनसंख्या कृषि कार्यों में लगी हुई है तथा 57% भू-भाग पर कृषि की जाती है जबकि विश्व में कुल भूमि पर केवल 12% भू-भाग पर कृषि की जाती है।
- यहाँ पर प्रति व्यक्ति कृषि भूमि का अनुपात केवल .31 हेक्टेयर/व्यक्ति है, जो विश्व औसत .59 हेक्टेयर/व्यक्ति से लगभग आधा है। अतः कथन (1) सही नहीं है।
Incorrect
व्याख्याः
- कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। वर्तमान में 50% जनसंख्या कृषि कार्यों में लगी हुई है तथा 57% भू-भाग पर कृषि की जाती है जबकि विश्व में कुल भूमि पर केवल 12% भू-भाग पर कृषि की जाती है।
- यहाँ पर प्रति व्यक्ति कृषि भूमि का अनुपात केवल .31 हेक्टेयर/व्यक्ति है, जो विश्व औसत .59 हेक्टेयर/व्यक्ति से लगभग आधा है। अतः कथन (1) सही नहीं है।
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Question 15 of 20
15. Question
1 pointsनिम्नलिखित में किन देशों द्वारा गेहूँ और चावल की अधिक उत्पादकता की किस्मों को विकसित किया गया था?
Correct
व्याख्याः
- मेक्सिको और फिलीपींस ने क्रमशः गेहूँ और चावल की अधिक उत्पादकता की किस्मों को विकसित किया था।1960 के दशक के मध्य में मैक्सिको से गेहूँ तथा फिलीपींस द्वारा विकसित चावल की अधिक उत्पादन देने वाली किस्में भारत को प्राप्त हुई। भारत ने इनका लाभ उठाया तथा पैकेज प्रौद्योगिकी के रूप में पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश तथा गुजरात के सिंचाई सुविधा वाले क्षेत्रों में रासायनिक खाद्य के साथ इन उच्च उत्पादकता की किस्मों (HYV- High yielding variety) को अपनाया। कृषि विकास की इस नीति से खाद्यान्नों के उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि ‘हरित क्रांति’ के नाम से जानी जाती है
Incorrect
व्याख्याः
- मेक्सिको और फिलीपींस ने क्रमशः गेहूँ और चावल की अधिक उत्पादकता की किस्मों को विकसित किया था।1960 के दशक के मध्य में मैक्सिको से गेहूँ तथा फिलीपींस द्वारा विकसित चावल की अधिक उत्पादन देने वाली किस्में भारत को प्राप्त हुई। भारत ने इनका लाभ उठाया तथा पैकेज प्रौद्योगिकी के रूप में पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश तथा गुजरात के सिंचाई सुविधा वाले क्षेत्रों में रासायनिक खाद्य के साथ इन उच्च उत्पादकता की किस्मों (HYV- High yielding variety) को अपनाया। कृषि विकास की इस नीति से खाद्यान्नों के उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि ‘हरित क्रांति’ के नाम से जानी जाती है
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Question 16 of 20
16. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से भारतीय कृषि उत्पादन में कमी का कारण हैं-
Correct
व्याख्याः
- भारतीय कृषि की समस्याएँ निम्न हैं-
1.निम्न उत्पादकताः अंतर्राष्ट्रीय स्तर की अपेक्षा भारत में फसलों की उत्पादकता कम है। भारत में अधिकतर फसलों जैसे-चावल, गेहूँ, कपास व तिलहन की प्रति हेक्टेयर पैदावार अमेरिका, रूस तथा जापान से कम है।
2.वित्तीय संसाधनों की बाध्यताएँ तथा ऋणग्रस्तता
3.अनियमित मानसून पर निर्भरता
4.भूमि सुधारों में कमी
5.छोटे खेत तथा विखंडित जोत
6.वाणिज्यीकरण का अभाव
7.कृषि योग्य भूमि का निम्नीकरण- व्यापक अल्प रोज़गारीः भारतीय कृषि में विशेषकर असिंचित क्षेत्रों में बड़े पैमान पर अल्प रोज़गारी पाई जाती है। इन क्षेत्रों में वास्तविक बेरोज़गारी है, जो 4 से 8 महीने तक रहती है। फसल ऋतु में भी वर्ष भर रोज़गार उपलब्ध नहीं होता, क्योंकि कृषि कार्य गहन श्रम वाले नहीं है।
Incorrect
व्याख्याः
- भारतीय कृषि की समस्याएँ निम्न हैं-
1.निम्न उत्पादकताः अंतर्राष्ट्रीय स्तर की अपेक्षा भारत में फसलों की उत्पादकता कम है। भारत में अधिकतर फसलों जैसे-चावल, गेहूँ, कपास व तिलहन की प्रति हेक्टेयर पैदावार अमेरिका, रूस तथा जापान से कम है।
2.वित्तीय संसाधनों की बाध्यताएँ तथा ऋणग्रस्तता
3.अनियमित मानसून पर निर्भरता
4.भूमि सुधारों में कमी
5.छोटे खेत तथा विखंडित जोत
6.वाणिज्यीकरण का अभाव
7.कृषि योग्य भूमि का निम्नीकरण- व्यापक अल्प रोज़गारीः भारतीय कृषि में विशेषकर असिंचित क्षेत्रों में बड़े पैमान पर अल्प रोज़गारी पाई जाती है। इन क्षेत्रों में वास्तविक बेरोज़गारी है, जो 4 से 8 महीने तक रहती है। फसल ऋतु में भी वर्ष भर रोज़गार उपलब्ध नहीं होता, क्योंकि कृषि कार्य गहन श्रम वाले नहीं है।
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Question 17 of 20
17. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. नगरीय बस्तियाँ द्वितीयक और तृतीयक क्रियाकलापों में विशेषीकृत नहीं होती हैं।
2. गाँव में विरल रूप से अवस्थित बड़ी बस्तियाँ होती हैं।
3. ग्रामीण बस्तियाँ कच्चे माल के प्रक्रमण (Processing) और तैयार माल के विनिर्माण तथा विभिन्न प्रकार की सेवाओं पर निर्भर करती है।
4. नगरीय क्षेत्रों में सामाजिक संबंध अधिक अनौपचारिक होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन- से सही नहीं हैं?Correct
व्याख्याः
- मानव बस्ती का अर्थ किसी भी प्रकार और आकार के घरों का संकुल जिसमें मनुष्य रहते हैं।
- बस्तियाँ छोटी और विरल रूप से लेकर बड़ी संकुलित अवस्थित में हो सकती हैं।
- गाँव में विरल रूप से अवस्थित छोटी बस्तियाँ होती हैं, जो कृषि अथवा अन्य प्राथमिक क्रियाकलापों में विशिष्टता प्राप्त कर लेती हैं।
- नगरों में कम, किंतु बड़े अधिवास द्वितीयक और तृतीयक क्रियाकलापों में विशेषीकृत होते हैं।
- ग्रामीण बस्तियाँ अपने जीवन का पोषण अथवा आधारभूत आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति भूमि आधारित प्राथमिक आर्थिक क्रियाओं से करती हैं।
- नगरीय बस्तियाँ एक ओर कच्चे माल के प्रक्रमण (Processing) और तैयार माल के निर्माण तथा दूसरी ओर विभिन्न प्रकार की सेवाओं पर निर्भर करती हैं।
- ग्रामीण लोग कम गतिशील होते हैं और इसलिये उनमें सामाजिक संबंध घनिष्ठ होते हैं।
- नगरीय क्षेत्रों में जीवन का ढंग जटिल और तीव्र होता है और सामाजिक संबंध औपचारिक होते हैं।
Incorrect
व्याख्याः
- मानव बस्ती का अर्थ किसी भी प्रकार और आकार के घरों का संकुल जिसमें मनुष्य रहते हैं।
- बस्तियाँ छोटी और विरल रूप से लेकर बड़ी संकुलित अवस्थित में हो सकती हैं।
- गाँव में विरल रूप से अवस्थित छोटी बस्तियाँ होती हैं, जो कृषि अथवा अन्य प्राथमिक क्रियाकलापों में विशिष्टता प्राप्त कर लेती हैं।
- नगरों में कम, किंतु बड़े अधिवास द्वितीयक और तृतीयक क्रियाकलापों में विशेषीकृत होते हैं।
- ग्रामीण बस्तियाँ अपने जीवन का पोषण अथवा आधारभूत आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति भूमि आधारित प्राथमिक आर्थिक क्रियाओं से करती हैं।
- नगरीय बस्तियाँ एक ओर कच्चे माल के प्रक्रमण (Processing) और तैयार माल के निर्माण तथा दूसरी ओर विभिन्न प्रकार की सेवाओं पर निर्भर करती हैं।
- ग्रामीण लोग कम गतिशील होते हैं और इसलिये उनमें सामाजिक संबंध घनिष्ठ होते हैं।
- नगरीय क्षेत्रों में जीवन का ढंग जटिल और तीव्र होता है और सामाजिक संबंध औपचारिक होते हैं।
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Question 18 of 20
18. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन- से ग्रामीण बस्तियों के प्रकार हैं?1. गुच्छित, संकुलित अथवा आकेंद्रित
2. अर्द्ध-गुच्छित अथवा विखंडित
3. पल्लीकृत
4. परिक्षिप्त अथवा एकाकी
कूटःCorrect
व्याख्या :
- वृहत् तौर पर भारत की ग्रामीण बस्तियों को चार प्रकारों में रखा गया है :
- गुच्छित, संकुलित अथवा आकेंद्रित
- अर्द्ध -गुच्छित अथवा विखंडित
- पल्लीकृत
- परिक्षिप्त अथवा एकाकी
Incorrect
व्याख्या :
- वृहत् तौर पर भारत की ग्रामीण बस्तियों को चार प्रकारों में रखा गया है :
- गुच्छित, संकुलित अथवा आकेंद्रित
- अर्द्ध -गुच्छित अथवा विखंडित
- पल्लीकृत
- परिक्षिप्त अथवा एकाकी
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Question 19 of 20
19. Question
1 pointsगुच्छित बस्तियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?1. गुच्छित बस्तियों में रहन-सहन का सामान्य क्षेत्र स्पष्ट और चारों ओर फैले क्षेत्रों, खलिहानों और चरागाहों से जुड़ा होता है।
2. ऐसी बस्तियाँ उपजाऊ जलोढ़ मैदानों और उत्तरी-पूर्वी राज्यों में पाई जाती है।
कूटःCorrect
व्याख्याः
- गुच्छित ग्रामीण बस्ती घरों का एक संहत अथवा संकुलित रूप से निर्मित क्षेत्र होता है।
- गुच्छित बस्तियों में रहन-सहन का सामान्य क्षेत्र स्पष्ट और चारों ओर फैले खेतों, खलिहानों और चरागाहों से पृथक् होता है। अतः कथन (1) सही नहीं है।
Incorrect
व्याख्याः
- गुच्छित ग्रामीण बस्ती घरों का एक संहत अथवा संकुलित रूप से निर्मित क्षेत्र होता है।
- गुच्छित बस्तियों में रहन-सहन का सामान्य क्षेत्र स्पष्ट और चारों ओर फैले खेतों, खलिहानों और चरागाहों से पृथक् होता है। अतः कथन (1) सही नहीं है।
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Question 20 of 20
20. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से किस क्षेत्र में पल्ली बस्तियों के पाए जाने की अपेक्षा अधिक है?
Correct
व्याख्याः
- ऐसी बस्तियाँ जो भौतिक रूप से एक-दूसरे से पृथक् अनेक इकाइयों में बँट जाती है किंतु उन सब का नाम एक रहता है, पल्ली बस्तियाँ कहलाती हैं। इन पृथक् इकाइयों को देश के विभिन्न भागों में स्थानीय स्तर पर पान्ना, पाड़ा, पाली, नगला, ढाली इत्यादि कहा जाता है।
- ऐसी बस्तियाँ हिमालय की निचली घाटियों में बहुतायत में पाई जाती हैं। इसके अलावा मध्य और निम्न गंगा के मैदान और छत्तीसगढ़ में पाई जाती हैं।
Incorrect
व्याख्याः
- ऐसी बस्तियाँ जो भौतिक रूप से एक-दूसरे से पृथक् अनेक इकाइयों में बँट जाती है किंतु उन सब का नाम एक रहता है, पल्ली बस्तियाँ कहलाती हैं। इन पृथक् इकाइयों को देश के विभिन्न भागों में स्थानीय स्तर पर पान्ना, पाड़ा, पाली, नगला, ढाली इत्यादि कहा जाता है।
- ऐसी बस्तियाँ हिमालय की निचली घाटियों में बहुतायत में पाई जाती हैं। इसके अलावा मध्य और निम्न गंगा के मैदान और छत्तीसगढ़ में पाई जाती हैं।
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