सामान्य विज्ञान टेस्ट 4
सामान्य विज्ञान टेस्ट 4
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न एन.सी.ई.आर.टी. पर आधारित है|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsरज्जुकी तथा अरज्जुकी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. रज्जुकी में पृष्ठ रज्जु उपस्थित जबकि अरज्जुकी में अनुपस्थित होती है।
2. रज्जुकी में हृदय अधर भाग में जबकि अरज्जुकी में पृष्ठ भाग में होता है।
3. रज्जुकी में एक गुदा-पश्च पुच्छ उपस्थित जबकि अरज्जुकी में अनुपस्थित होती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सही हैं। रज्जुकी और अरज्जुकी के लक्षणों और उनमें अंतर को निम्न प्रकार से देखा जा सकता है-
क्र.सं. रज्जुकी अरज्जुकी 1. पृष्ठ रज्जु उपस्थित पृष्ठ रज्जु अनुपस्थित 2. हृदय अधर भाग में हृदय पृष्ठ भाग में 3. एक गुदा-पश्च पुच्छ उपस्थित एक गुदा-पश्च पुच्छ अनुपस्थित 4. केन्द्रीय तंत्रिका-तंत्र, पृष्ठीय एवं खोखला और एकल केन्द्रीय तंत्रिका-तंत्र अधरतल में, ठोस एवं दोहरा होता है। 5. ग्रसनी में क्लोम छिद्र उपस्थित क्लोम छिद्र अ Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सही हैं। रज्जुकी और अरज्जुकी के लक्षणों और उनमें अंतर को निम्न प्रकार से देखा जा सकता है-
क्र.सं. रज्जुकी अरज्जुकी 1. पृष्ठ रज्जु उपस्थित पृष्ठ रज्जु अनुपस्थित 2. हृदय अधर भाग में हृदय पृष्ठ भाग में 3. एक गुदा-पश्च पुच्छ उपस्थित एक गुदा-पश्च पुच्छ अनुपस्थित 4. केन्द्रीय तंत्रिका-तंत्र, पृष्ठीय एवं खोखला और एकल केन्द्रीय तंत्रिका-तंत्र अधरतल में, ठोस एवं दोहरा होता है। 5. ग्रसनी में क्लोम छिद्र उपस्थित क्लोम छिद्र अ -
Question 2 of 20
2. Question
1 pointsवर्टीब्रेटा के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. अनैथोस्टोमाटा (Agnatha) में जबड़ों का अभाव होता है।
2. पीसीज (Pisces) में पख (Bear Fins)उपस्थित होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
वर्टीब्रेटा को अनैथोस्टोमाटा और नैथोस्टोमेटा में वर्गीकृत किया जाता है। अनैथोस्टोमाटा (Agnatha) में जबड़ों का अभाव होता है। अनैथोस्टोमाटा के अंतर्गत साइक्लोस्टोमेटा आते हैं। साइक्लोस्टोमेटा वर्ग के सभी प्राणी कुछ मछलियों के बाह्य परजीवी होते हैं। इनका शरीर लंबा होता है जिसमें श्वसन के लिये क्लोम होते हैं। इनमें बिना जबड़ों के चूसक और वृत्ताकार मुख होता है। इनमें परिसंचरण तंत्र बंद प्रकार का होता है। ये समुद्री होते हैं परंतु जनन के लिये अलवणीय जल में प्रवास करते हैं। पेट्रोमाइजॉन (लैम्प्रे) तथा मिक्सीन (हैग फिश) इनके उदाहरण हैं।
पीसीज के अंतर्गत दो वर्ग केंड्रीक्थीज और ओस्टिकथीज आते हैं। इनमें पख उपस्थित होते हैं।
♦ केंड्रीक्थीज ये धारारेखीय शरीर के समुद्री प्राणी हैं। इनमें दो प्रकोष्ठ वाला हृदय होता है। इनमें से कुछ में विद्युत अंग होते हैं (टारपीडो) तथा कुछ में विष दंश (ट्रायगोन) होते हैं। इनमें अंतःकंकाल उपास्थिल होता है। ये सब असमतापी (पोइकिलोथर्मिक) हैं अर्थात् इनमें शरीर का ताप नियंत्रित करने की क्षमता नहीं होती है। स्कॉलियोडोन (कुत्ता मछली), प्रीस्टिस (आरा मछली), कारकेरोडोन (विशाल सफेद शार्क), ट्राइगोन (व्हेल शार्क) इसके उदाहरण हैं।
♦ ओस्टिकथीज वर्ग की मछलियाँ लवणीय तथा अलवणीय दोनों प्रकार के जल में पाई जाती हैं। इनमें अंतः कंकाल अस्थिल तथा शरीर धारारेखीय होता है। ये सभी असमतापी होते हैं। ये अधिकांशतः अंडज होते हैं। समुद्री-एक्सोसिटस (उड़न मछली), हिपोकेम्पस (समुद्री घोड़ा), अलवणीयलेबिओ (रोहु), कलेरियस (मांगुर), एक्वोरियम बेटा (फाइटिंग फिश), पेट्रोप्इसम (एंगज मछली) इसके उदाहरण हैं।Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
वर्टीब्रेटा को अनैथोस्टोमाटा और नैथोस्टोमेटा में वर्गीकृत किया जाता है। अनैथोस्टोमाटा (Agnatha) में जबड़ों का अभाव होता है। अनैथोस्टोमाटा के अंतर्गत साइक्लोस्टोमेटा आते हैं। साइक्लोस्टोमेटा वर्ग के सभी प्राणी कुछ मछलियों के बाह्य परजीवी होते हैं। इनका शरीर लंबा होता है जिसमें श्वसन के लिये क्लोम होते हैं। इनमें बिना जबड़ों के चूसक और वृत्ताकार मुख होता है। इनमें परिसंचरण तंत्र बंद प्रकार का होता है। ये समुद्री होते हैं परंतु जनन के लिये अलवणीय जल में प्रवास करते हैं। पेट्रोमाइजॉन (लैम्प्रे) तथा मिक्सीन (हैग फिश) इनके उदाहरण हैं।
पीसीज के अंतर्गत दो वर्ग केंड्रीक्थीज और ओस्टिकथीज आते हैं। इनमें पख उपस्थित होते हैं।
♦ केंड्रीक्थीज ये धारारेखीय शरीर के समुद्री प्राणी हैं। इनमें दो प्रकोष्ठ वाला हृदय होता है। इनमें से कुछ में विद्युत अंग होते हैं (टारपीडो) तथा कुछ में विष दंश (ट्रायगोन) होते हैं। इनमें अंतःकंकाल उपास्थिल होता है। ये सब असमतापी (पोइकिलोथर्मिक) हैं अर्थात् इनमें शरीर का ताप नियंत्रित करने की क्षमता नहीं होती है। स्कॉलियोडोन (कुत्ता मछली), प्रीस्टिस (आरा मछली), कारकेरोडोन (विशाल सफेद शार्क), ट्राइगोन (व्हेल शार्क) इसके उदाहरण हैं।
♦ ओस्टिकथीज वर्ग की मछलियाँ लवणीय तथा अलवणीय दोनों प्रकार के जल में पाई जाती हैं। इनमें अंतः कंकाल अस्थिल तथा शरीर धारारेखीय होता है। ये सभी असमतापी होते हैं। ये अधिकांशतः अंडज होते हैं। समुद्री-एक्सोसिटस (उड़न मछली), हिपोकेम्पस (समुद्री घोड़ा), अलवणीयलेबिओ (रोहु), कलेरियस (मांगुर), एक्वोरियम बेटा (फाइटिंग फिश), पेट्रोप्इसम (एंगज मछली) इसके उदाहरण हैं। -
Question 3 of 20
3. Question
1 pointsसूची-I को सूची-II से सही सुमेलित कीजिये और सूचियों के नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
सूची-I
(वर्ग) सूची-II
(प्राणी)
A. एंफीबियन 1. कंगारू
B. सरीसृप 2. मेंढक
C. एवीज 3. कछुआ
D. स्तनधारी 4. शुतुरमुर्ग
कूटःCorrect
व्याख्याः विकल्प (a) सही उत्तर है।
एंफीबियन अथवा उभयचर दोनों में रह सकते हैं। इनमें अधिकांश में दो जोड़ी पैर और कुछ में पूँछ उपस्थित होती है। शरीर सिर तथा धड़ में विभाजित होता है। त्वचा नम (शल्क रहित) होती है और नेत्र पलक वाले होते हैं। बाह्य कर्ण की जगह कर्णपटल पाया जाता है। हृदय तीन प्रकोष्ठ का बना होता है। ये असमतापी प्राणी हैं। इनमें नर और मादा अलग-अलग होते हैं। निषेचन बाह्य होता है तथा इनमें अंडोत्सर्जन होता है। बूफो (टोड), राना टिग्रीना (मेंढक), हायला (वृक्ष मेंढक), सैलेमेंड्रा (सैलामेंडर), इक्थियोफिस (पाद रहित उभयचर) इस वर्ग के अंतर्गत आते हैं।
सरीसृप के अंतर्गत रेंगने या सरकने वाले प्राणी आते हैं। ये अधिकांशतः स्थलीय हैं। इनकी त्वचा शल्क युक्त होती है और इनमें किरेटिन द्वारा निर्मित बाह्य त्वचीय शल्क या प्रशल्क पाए जाते हैं। इनमें बाह्य कर्ण छिद्र नहीं पाए जाते हैं। कर्णपटल बाह्य कान का प्रतिनिधित्व करता है। दो जोड़ी पाद उपस्थित हो सकते हैं और हृदय सामान्यतः तीन प्रकोष्ठ का होता है (किंतु मगरमच्छ में चार प्रकोष्ठ का होता है)। सरीसृप असमतापी होते हैं। सर्प और छिपकली अपने अपनी शल्क को त्वचीय केंचुल के रूप में छोड़ते हैं। टर्टल, टोरटॉइज, छिपकली, घड़ियाल, कोबरा सर्प आदि इस वर्ग के अंतर्गत आते हैं।
एवीज अथवा पक्षी वर्ग में शरीर के ऊपर पंखों की उपस्थिति तथा उड़ने की क्षमता (कुछ न उड़ पाने वाले पक्षियों जैसे शुतुरमुर्ग को छोड़कर), इस वर्ग के मुख्य लक्षण हैं। इनमें अग्र पाद रूपांतरित होकर पंख बनाते हैं। इनकी पूंछ में तेल ग्रंथि को छोड़कर कोई भी त्वचा ग्रंथि नहीं होती है। अंतःकंकाल की लंबी अस्थियाँ खोखली और वायु प्रकोष्ठ युक्त होती हैं। हृदय पूर्ण चार प्रकोष्ठ का होता है। ये समतापी होते हैं अर्थात् इनके शरीर का ताप नियत बना रहता है चील, शुतुरमुर्ग, तोता, मोर, पेंग्विन, गिद्ध आदि इसके अंतर्गत आते हैं।
स्तनधारी सभी प्रकार के वातावरण में पाए जाते हैं। इनका सबसे मुख्य लक्षण स्तन ग्रंथियाँ हैं। इनकी त्वचा पर रोम पाए जाते हैं। इनमें बाह्य कर्णपल्लव तथा हृदय चार प्रकोष्ठ का होता है। इनमें लिंग अलग और निषेचन आतंरिक होता है। कुछ को छोड़कर सभी स्तनधारी बच्चों को जन्म देते हैं। डकबिल, कंगारू, चमगादड़, ब्लूव्हेल, फ्लाइंग फौक्स, ऊँट, बंदर, चूहा, कुत्ता, बिल्ली, हाथी, घोड़ा, सामान्य डोल्फिन, बाघ, शेर आदि इस वर्ग के अंतर्गत आते हैं।Incorrect
व्याख्याः विकल्प (a) सही उत्तर है।
एंफीबियन अथवा उभयचर दोनों में रह सकते हैं। इनमें अधिकांश में दो जोड़ी पैर और कुछ में पूँछ उपस्थित होती है। शरीर सिर तथा धड़ में विभाजित होता है। त्वचा नम (शल्क रहित) होती है और नेत्र पलक वाले होते हैं। बाह्य कर्ण की जगह कर्णपटल पाया जाता है। हृदय तीन प्रकोष्ठ का बना होता है। ये असमतापी प्राणी हैं। इनमें नर और मादा अलग-अलग होते हैं। निषेचन बाह्य होता है तथा इनमें अंडोत्सर्जन होता है। बूफो (टोड), राना टिग्रीना (मेंढक), हायला (वृक्ष मेंढक), सैलेमेंड्रा (सैलामेंडर), इक्थियोफिस (पाद रहित उभयचर) इस वर्ग के अंतर्गत आते हैं।
सरीसृप के अंतर्गत रेंगने या सरकने वाले प्राणी आते हैं। ये अधिकांशतः स्थलीय हैं। इनकी त्वचा शल्क युक्त होती है और इनमें किरेटिन द्वारा निर्मित बाह्य त्वचीय शल्क या प्रशल्क पाए जाते हैं। इनमें बाह्य कर्ण छिद्र नहीं पाए जाते हैं। कर्णपटल बाह्य कान का प्रतिनिधित्व करता है। दो जोड़ी पाद उपस्थित हो सकते हैं और हृदय सामान्यतः तीन प्रकोष्ठ का होता है (किंतु मगरमच्छ में चार प्रकोष्ठ का होता है)। सरीसृप असमतापी होते हैं। सर्प और छिपकली अपने अपनी शल्क को त्वचीय केंचुल के रूप में छोड़ते हैं। टर्टल, टोरटॉइज, छिपकली, घड़ियाल, कोबरा सर्प आदि इस वर्ग के अंतर्गत आते हैं।
एवीज अथवा पक्षी वर्ग में शरीर के ऊपर पंखों की उपस्थिति तथा उड़ने की क्षमता (कुछ न उड़ पाने वाले पक्षियों जैसे शुतुरमुर्ग को छोड़कर), इस वर्ग के मुख्य लक्षण हैं। इनमें अग्र पाद रूपांतरित होकर पंख बनाते हैं। इनकी पूंछ में तेल ग्रंथि को छोड़कर कोई भी त्वचा ग्रंथि नहीं होती है। अंतःकंकाल की लंबी अस्थियाँ खोखली और वायु प्रकोष्ठ युक्त होती हैं। हृदय पूर्ण चार प्रकोष्ठ का होता है। ये समतापी होते हैं अर्थात् इनके शरीर का ताप नियत बना रहता है चील, शुतुरमुर्ग, तोता, मोर, पेंग्विन, गिद्ध आदि इसके अंतर्गत आते हैं।
स्तनधारी सभी प्रकार के वातावरण में पाए जाते हैं। इनका सबसे मुख्य लक्षण स्तन ग्रंथियाँ हैं। इनकी त्वचा पर रोम पाए जाते हैं। इनमें बाह्य कर्णपल्लव तथा हृदय चार प्रकोष्ठ का होता है। इनमें लिंग अलग और निषेचन आतंरिक होता है। कुछ को छोड़कर सभी स्तनधारी बच्चों को जन्म देते हैं। डकबिल, कंगारू, चमगादड़, ब्लूव्हेल, फ्लाइंग फौक्स, ऊँट, बंदर, चूहा, कुत्ता, बिल्ली, हाथी, घोड़ा, सामान्य डोल्फिन, बाघ, शेर आदि इस वर्ग के अंतर्गत आते हैं। -
Question 4 of 20
4. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. इस संघ के प्राणियों में कैल्शियम युक्त अंतःकंकाल पाया जाता है।
2. इनमें वयस्क अरीय रूप से सममिति (Radially Symmetrical) होते हैं, जबकि लार्वा द्विपार्श्व रूप से सममिति (Bilaterally Symmetrical) होते हैं।
3. ये सभी समुद्रवासी हैं तथा जल संवहन-तंत्र इस संघ की विशिष्टता है।
4. इनमें पूर्ण पाचन तंत्र पाया जाता है तथा स्पष्ट उत्सर्जन तंत्र का अभाव होता है।
उपर्युक्त विशेषताएँ किस संघ को संदर्भित करती हैं?Correct
उत्तर: (a)
व्याख्याः उपर्युक्त सभी विशेषताएँ एकाइनोडर्मेटा संघ की हैं।एकाइनोडर्मेटा के प्राणियों में कैल्शियम युक्त अंतःकंकाल पाया जाता है। अतः इन्हें शूलयुक्त प्राणी भी कहते हैं। ये सभी समुद्रवासी हैं तथा इनमें अंगतंत्र स्तर का संगठन है। इनमें वयस्क अरीय रूप से सममिति (Radially Symmetrical) होते हैं, जबकि लार्वा द्विपार्श्व रूप से सममिति (Bilaterally Symmetrical) होते हैं। ये त्रिकोरिकी और प्रगुही (Coelomate) प्राणी होते हैं। जल संवहन-तंत्र इस संघ की विशिष्टता है। इनमें पूर्ण पाचन तंत्र पाया जाता है तथा स्पष्ट उत्सर्जन तंत्र का अभाव होता है।
हेमीकार्डेटा को अरज्जुकियों में एक अलग संघ के रूप में रखा गया है। इस संघ के प्राणी कृमि के समान और समुद्री जीव हैं जिनका संगठन अंगतंत्र स्तर का होता है। ये सब द्विपार्श्व रूप से सममिति, त्रिकोरिकी और प्रगुही (Coelomate) प्राणी होते हैं। इनमें परिसंचरण तंत्र बंद प्रकार का होता है।
कार्डेटा (रज्जुकी) संघ के प्राणियों में तीन मूलभूत लक्षण पृष्ठ रज्जु (Notochord), एक पृष्ठ खोखली तंत्रिका-रज्जु (A Dorsal Hollow Nerve Cord) तथा युग्मित ग्रसनी क्लोम छिद्र (Paired Pharyngeal Gill Slits) पाए जाते हैं। ये सब द्विपार्श्व रूप से सममिति, त्रिकोरिकी और प्रगुही (Coelomate) प्राणी होते हैं। इनमें अंगतंत्र स्तर का संगठन होता है। इनमें गुदा-पश्च पुच्छ (A Post Anal Tail) और बंद परिसंचरण तंत्र होता है।
पोरीफेरा के अंतर्गत सामान्यतः स्पंज आते हैं। ये सामान्यतः लवणीय और असममित होते हैं। इनमें जल परिवहन और नाल-तंत्र पाया जाता है। स्पंज में नर और मादा अलग अलग नहीं होते हैं अर्थात् ये उभयलिंगी होते हैं। इनमें संगठन का स्तर कोशिकीय होता है।
प्राणी जगत के विभिन्न संघों के प्रमुख लक्षण इस प्रकार है-Incorrect
उत्तर: (a)
व्याख्याः उपर्युक्त सभी विशेषताएँ एकाइनोडर्मेटा संघ की हैं।एकाइनोडर्मेटा के प्राणियों में कैल्शियम युक्त अंतःकंकाल पाया जाता है। अतः इन्हें शूलयुक्त प्राणी भी कहते हैं। ये सभी समुद्रवासी हैं तथा इनमें अंगतंत्र स्तर का संगठन है। इनमें वयस्क अरीय रूप से सममिति (Radially Symmetrical) होते हैं, जबकि लार्वा द्विपार्श्व रूप से सममिति (Bilaterally Symmetrical) होते हैं। ये त्रिकोरिकी और प्रगुही (Coelomate) प्राणी होते हैं। जल संवहन-तंत्र इस संघ की विशिष्टता है। इनमें पूर्ण पाचन तंत्र पाया जाता है तथा स्पष्ट उत्सर्जन तंत्र का अभाव होता है।
हेमीकार्डेटा को अरज्जुकियों में एक अलग संघ के रूप में रखा गया है। इस संघ के प्राणी कृमि के समान और समुद्री जीव हैं जिनका संगठन अंगतंत्र स्तर का होता है। ये सब द्विपार्श्व रूप से सममिति, त्रिकोरिकी और प्रगुही (Coelomate) प्राणी होते हैं। इनमें परिसंचरण तंत्र बंद प्रकार का होता है।
कार्डेटा (रज्जुकी) संघ के प्राणियों में तीन मूलभूत लक्षण पृष्ठ रज्जु (Notochord), एक पृष्ठ खोखली तंत्रिका-रज्जु (A Dorsal Hollow Nerve Cord) तथा युग्मित ग्रसनी क्लोम छिद्र (Paired Pharyngeal Gill Slits) पाए जाते हैं। ये सब द्विपार्श्व रूप से सममिति, त्रिकोरिकी और प्रगुही (Coelomate) प्राणी होते हैं। इनमें अंगतंत्र स्तर का संगठन होता है। इनमें गुदा-पश्च पुच्छ (A Post Anal Tail) और बंद परिसंचरण तंत्र होता है।
पोरीफेरा के अंतर्गत सामान्यतः स्पंज आते हैं। ये सामान्यतः लवणीय और असममित होते हैं। इनमें जल परिवहन और नाल-तंत्र पाया जाता है। स्पंज में नर और मादा अलग अलग नहीं होते हैं अर्थात् ये उभयलिंगी होते हैं। इनमें संगठन का स्तर कोशिकीय होता है।
प्राणी जगत के विभिन्न संघों के प्रमुख लक्षण इस प्रकार है- -
Question 5 of 20
5. Question
1 pointsनिम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजियेः
1. सरसों का पौधा : मूसला मूलतंत्र (Tap Root System)
2. गेहूँ का पौधा : झकड़ा मूलतंत्र (Fibrous Root System)
3. घास और बरगद : अपस्थानिक मूल (Adventitious Roots)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त सभी युग्म सही सुमेलित हैं।
अधिकांश द्विबीजपत्री पादपों में मूलांकुर के लम्बे होने से प्राथमिक मूल बनती है जो मिट्टी में उगती है। इसमें पार्श्वीय मूल होती हैं जिन्हें द्वितीयक तथा तृतीयक मूल कहते हैं। प्राथमिक मूल तथा इसकी शाखाएँ मिलकर मूसला मूलतंत्र बनती हैं। सरसों का पौधा इसका उदाहरण है।
एक बीजपत्री पौधों में प्राथमिक मूल अल्पायु होती है और इसके स्थान पर बहुत सारी मूल निकल आती हैं। ये मूल तने के आधार से निकलती हैं। ये झकड़ा मूलतंत्र कहलाती है। गेहूँ के पौधे में यही मूलतंत्र होता है।
कुछ पौधों जैसे घास तथा बरगद में मूलांकुर की बजाय पौधे के अन्य भाग से निकलती हैं। ये अपस्थानिक मूल (Adventitious Roots) कहलाती हैं।Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी युग्म सही सुमेलित हैं।
अधिकांश द्विबीजपत्री पादपों में मूलांकुर के लम्बे होने से प्राथमिक मूल बनती है जो मिट्टी में उगती है। इसमें पार्श्वीय मूल होती हैं जिन्हें द्वितीयक तथा तृतीयक मूल कहते हैं। प्राथमिक मूल तथा इसकी शाखाएँ मिलकर मूसला मूलतंत्र बनती हैं। सरसों का पौधा इसका उदाहरण है।
एक बीजपत्री पौधों में प्राथमिक मूल अल्पायु होती है और इसके स्थान पर बहुत सारी मूल निकल आती हैं। ये मूल तने के आधार से निकलती हैं। ये झकड़ा मूलतंत्र कहलाती है। गेहूँ के पौधे में यही मूलतंत्र होता है।
कुछ पौधों जैसे घास तथा बरगद में मूलांकुर की बजाय पौधे के अन्य भाग से निकलती हैं। ये अपस्थानिक मूल (Adventitious Roots) कहलाती हैं। -
Question 6 of 20
6. Question
1 pointsनिम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजियेः
1. गाजर और शलजम : अपस्थानिक मूल
2. शकरकंद : मूसला मूल
3. बरगद : प्रोप रूट (सहारा देने वाली मूल)
4. मक्का तथा गन्ने : अवस्तम्भ मूल
5. राइजोफोरा : श्वसन मूल
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं?Correct
व्याख्याः विकल्प (c) सही उत्तर है।
कुछ पादपों की मूल पानी और खनिज लवण के अवशोषण तथा संवहन के अतिरिक्त भोजन संचय, सहारा व श्वसन जैसे कार्यों को करने के लिये अपने आप को रूपांतरित कर लेती हैं।
गाजर और शलजम की मूसला मूल तथा शकरकंद की अपस्थानिक मूल भोजन को संग्रहित करने के कारण फूल जाती है।
बरगद की लटकती हुई संरचनाएँ प्रोप रूट (सहारा देने वाली मूल) कहलाती हैं।
मक्का तथा गन्ने के तने में भी सहारा देने वाली मूल तने की नीचली गाँठों से निकलती हैं। इसलिये इन्हें अवस्तम्भ मूल कहते हैं।
कुछ पौधों जैसे राइजोफोरा में बहुत सी मूल भूमि से ऊपर वायु में निकलती हैं। ये श्वसन के लिये ऑक्सीजन प्राप्त करने में सहायक होती हैं। अतः ऐसी मूल श्वसन मूल कहलाती है।Incorrect
व्याख्याः विकल्प (c) सही उत्तर है।
कुछ पादपों की मूल पानी और खनिज लवण के अवशोषण तथा संवहन के अतिरिक्त भोजन संचय, सहारा व श्वसन जैसे कार्यों को करने के लिये अपने आप को रूपांतरित कर लेती हैं।
गाजर और शलजम की मूसला मूल तथा शकरकंद की अपस्थानिक मूल भोजन को संग्रहित करने के कारण फूल जाती है।
बरगद की लटकती हुई संरचनाएँ प्रोप रूट (सहारा देने वाली मूल) कहलाती हैं।
मक्का तथा गन्ने के तने में भी सहारा देने वाली मूल तने की नीचली गाँठों से निकलती हैं। इसलिये इन्हें अवस्तम्भ मूल कहते हैं।
कुछ पौधों जैसे राइजोफोरा में बहुत सी मूल भूमि से ऊपर वायु में निकलती हैं। ये श्वसन के लिये ऑक्सीजन प्राप्त करने में सहायक होती हैं। अतः ऐसी मूल श्वसन मूल कहलाती है। -
Question 7 of 20
7. Question
1 pointsनिम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजियेः
1. एकांतर पर्ण विन्यास : गुड़हल
2. सम्मुख पर्ण विन्यास : अमरूद
3. चक्करदार पर्ण विन्यास : एल्स्टोनिआ (डेविल ट्री)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त सभी युग्म सही सुमेलित हैं। ताने और शाखा पर पत्तियों के विन्यस्त रहने के क्रम को पर्णविन्यास कहते हैं। यह तीन प्रकार का होता है- एकांतर, सम्मुख तथा चक्करदार। गुड़हल, सरसों और सूर्यमुखी एकांतर पर्ण विन्यास, केलोट्रोपिस (आक) और अमरूद सम्मुख पर्ण विन्यास एवं एल्स्टोनिआ (डेविल ट्री) चक्करदार पर्ण विन्यास के उदाहरण हैं।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी युग्म सही सुमेलित हैं। ताने और शाखा पर पत्तियों के विन्यस्त रहने के क्रम को पर्णविन्यास कहते हैं। यह तीन प्रकार का होता है- एकांतर, सम्मुख तथा चक्करदार। गुड़हल, सरसों और सूर्यमुखी एकांतर पर्ण विन्यास, केलोट्रोपिस (आक) और अमरूद सम्मुख पर्ण विन्यास एवं एल्स्टोनिआ (डेविल ट्री) चक्करदार पर्ण विन्यास के उदाहरण हैं।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsपुष्पों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. यह एक रूपांतरित प्ररोह है।
2. यह लैंगिक जनन में महत्त्वपूर्ण है।
3. जायांग पुष्प के नर जनन अंग होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पुष्प एक रूपांतरित प्ररोह है जो लैंगिक जनन के लिये होता है। अतः कथन 1 और 2 सही हैं।
- प्रत्येक पुष्प में चार चक्र होते हैं जैसे केल्किस, कोरोला, पुमंग तथा जायांग। इनमें से पुमंग पुकेंसरों से मिलकर बना होता है। पुकेंसर पुष्प के नर जनन अंग होते हैं जबकि जायांग पुष्प के मादा जनन अंग होते हैं। ये एक अथवा अधिक अंडप से मिलकर बनते हैं। अतः कथन 3 गलत है।
Incorrect
व्याख्याः
- पुष्प एक रूपांतरित प्ररोह है जो लैंगिक जनन के लिये होता है। अतः कथन 1 और 2 सही हैं।
- प्रत्येक पुष्प में चार चक्र होते हैं जैसे केल्किस, कोरोला, पुमंग तथा जायांग। इनमें से पुमंग पुकेंसरों से मिलकर बना होता है। पुकेंसर पुष्प के नर जनन अंग होते हैं जबकि जायांग पुष्प के मादा जनन अंग होते हैं। ये एक अथवा अधिक अंडप से मिलकर बनते हैं। अतः कथन 3 गलत है।
-
Question 9 of 20
9. Question
1 pointsपादप ऊतकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. पैरेंकाइमा की भित्ति सेल्यूलोज की बनी होती है।
2. कॉलेंकाइमा में क्लोरोप्लास्ट अनुपस्थित होता है।
3. स्क्लेरेंकाइमा जो कि पौधों को यांत्रिक सहारा देते हैं, में प्रोटोप्लास्ट अनुपस्थित होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पादप ऊतक के दो प्रमुख वर्ग मेरिस्टमी (विभज्योतकी) और स्थायी ऊतक होते हैं। पौधों में वृद्धि मुख्य रूप से सक्रिय कोशिका विभाजन वाले विशिष्ट क्षेत्रों तक ही सीमित होती है। इस क्षेत्र को मेरिस्टम कहते हैं। स्थायी ऊतक के दो प्रकार सरल ऊतक और जटिल ऊतक होते हैं। सरल ऊतक पुनः पैरेंकाइमा, कॉलेंकाइमा और स्क्लेरेंकाइमा में वर्गीकृत होते हैं।
- पैरेंकाइमा अंगों के अंदर के महत्त्वपूर्ण घटक हैं। इनकी भित्ति पतली होती है जो सेल्यूलोज की बनी होती है। अतः कथन 1 सही है।
- कॉलेंकाइमा में क्लोरोप्लास्ट उपस्थित होता है। इनकी भित्ति पतली होती है लेकिन इनके कोनों पर सेल्यूलोज, हैमीसेल्यूलोज और पैक्टिन जमा होती है। अतः कथन 2 गलत है।
- स्क्लेरेंकाइमा अधिकांशतः मृत होते हैं और इनमें प्रोटोप्लास्ट अनुपस्थित होता है। ये पौधों को यांत्रिक सहारा देते हैं। इनकी कोशिकाओं की भित्ति मोटी और लिग्निनी (Lignified) होती है। अतः कथन 3 सही है।
- उल्लेखनीय है कि जटिल ऊतक के दो प्रकार जाइलम और फ्लोएम होते हैं।
Incorrect
व्याख्याः
- पादप ऊतक के दो प्रमुख वर्ग मेरिस्टमी (विभज्योतकी) और स्थायी ऊतक होते हैं। पौधों में वृद्धि मुख्य रूप से सक्रिय कोशिका विभाजन वाले विशिष्ट क्षेत्रों तक ही सीमित होती है। इस क्षेत्र को मेरिस्टम कहते हैं। स्थायी ऊतक के दो प्रकार सरल ऊतक और जटिल ऊतक होते हैं। सरल ऊतक पुनः पैरेंकाइमा, कॉलेंकाइमा और स्क्लेरेंकाइमा में वर्गीकृत होते हैं।
- पैरेंकाइमा अंगों के अंदर के महत्त्वपूर्ण घटक हैं। इनकी भित्ति पतली होती है जो सेल्यूलोज की बनी होती है। अतः कथन 1 सही है।
- कॉलेंकाइमा में क्लोरोप्लास्ट उपस्थित होता है। इनकी भित्ति पतली होती है लेकिन इनके कोनों पर सेल्यूलोज, हैमीसेल्यूलोज और पैक्टिन जमा होती है। अतः कथन 2 गलत है।
- स्क्लेरेंकाइमा अधिकांशतः मृत होते हैं और इनमें प्रोटोप्लास्ट अनुपस्थित होता है। ये पौधों को यांत्रिक सहारा देते हैं। इनकी कोशिकाओं की भित्ति मोटी और लिग्निनी (Lignified) होती है। अतः कथन 3 सही है।
- उल्लेखनीय है कि जटिल ऊतक के दो प्रकार जाइलम और फ्लोएम होते हैं।
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Question 10 of 20
10. Question
1 pointsजटिल ऊतक संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. जाइलम भोजन को पत्तियों से पौधों के अन्य भागों तक पहुँचाते हैं।
2. फ्लोएम मूल से पानी तथा खनिज लवण को तने तथा पत्तियों तक पहुँचाने के लिये एक संवहन ऊतक की तरह कार्य करते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन गलत हैं।
- जटिल ऊतक के दो प्रकार जाइलम और फ्लोएम होते हैं।
- जाइलम मूल से पानी तथा खनिज लवण को तने तथा पत्तियों तक पहुँचाने के लिये एक संवहन ऊतक की तरह कार्य करते हैं। ये पौधों के अंगों को यांत्रिक सहारा भी देते हैं। ये चार तत्त्वों वाहिनिकी (ट्रैकीड), वाहिका, जाइलम तंतु और जाइलम पैरेंकाइमा से मिलकर बने होते हैं। इनकी कोशिकाभित्ति मोटी और लिग्निनी (Lignified) होती है। ये मृत होते हैं और इनमें प्रोटोप्लास्ट अनुपस्थित होता है।
- फ्लोएम भोजन को पत्तियों से पौधों के अन्य भागों तक पहुँचाते हैं। इनमें चालनी नलिकाएँ, तत्त्व, सहचर कोशिकाएँ, फ्लोएम पैरेंकाइमा और फ्लोएम तंतु होते हैं।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन गलत हैं।
- जटिल ऊतक के दो प्रकार जाइलम और फ्लोएम होते हैं।
- जाइलम मूल से पानी तथा खनिज लवण को तने तथा पत्तियों तक पहुँचाने के लिये एक संवहन ऊतक की तरह कार्य करते हैं। ये पौधों के अंगों को यांत्रिक सहारा भी देते हैं। ये चार तत्त्वों वाहिनिकी (ट्रैकीड), वाहिका, जाइलम तंतु और जाइलम पैरेंकाइमा से मिलकर बने होते हैं। इनकी कोशिकाभित्ति मोटी और लिग्निनी (Lignified) होती है। ये मृत होते हैं और इनमें प्रोटोप्लास्ट अनुपस्थित होता है।
- फ्लोएम भोजन को पत्तियों से पौधों के अन्य भागों तक पहुँचाते हैं। इनमें चालनी नलिकाएँ, तत्त्व, सहचर कोशिकाएँ, फ्लोएम पैरेंकाइमा और फ्लोएम तंतु होते हैं।
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Question 11 of 20
11. Question
1 pointsनिम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजियेः
1. क्यूटिकल : यह पौधों की बाह्यत्वचा की बाहरी सतह पर मोम की परत है।
2. मेजोफिल (पर्णमध्योतक) : यह पौधों की पत्तियों के पतली भित्ति वाला और क्लोरोप्लास्ट युक्त भरण ऊतक (Ground Tissue) होता है।
3. कैंबियम : यह पौधों के संवहनी ऊतकों जाइलम और फ्लोएम के मध्य स्थित होता है।
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त सभी युग्म सही सुमेलित हैं।
- रचना तथा स्थिति के आधार पर ऊतक तंत्र तीन प्रकार यथा- बाह्यत्वचीय ऊतक तंत्र (Epidermal Tissue System), भरण अथवा मौलिक ऊतक तंत्र (Ground or Fundamental Tissue System) एवं संवहनी ऊतक तंत्र (Vascular or Conducting Tissue System), का होता है।
- बाह्यत्वचीय ऊतक तंत्र पौधों का सबसे बाहरी आवरण है। बाह्यत्वचा इसके अंतर्गत ही आती है जो कि पौधों के भाग की बाहरी त्वचा है। पौधों की बाह्यत्वचा की बाहरी सतह पर मोम की परत होती है, जिसे क्यूटिकल कहते हैं। यह पानी की हानि को रोकती है। मूल में क्यूटिकल नहीं होती है।
- पौधों की पत्तियों में भरण ऊतक पतली भित्ति वाले और क्लोरोप्लास्ट युक्त है, जिसे मेजोफिल (पर्णमध्योतक) कहते हैं।
- जाइलम और फ्लोएम संवहनी ऊतक तंत्र का भाग हैं। द्विबीजपत्री में कैंबियम जाइलम तथा फ्लोएम के मध्य स्थित होता है। एक बीजपत्री पादपों में कैंबियम नहीं होता है।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी युग्म सही सुमेलित हैं।
- रचना तथा स्थिति के आधार पर ऊतक तंत्र तीन प्रकार यथा- बाह्यत्वचीय ऊतक तंत्र (Epidermal Tissue System), भरण अथवा मौलिक ऊतक तंत्र (Ground or Fundamental Tissue System) एवं संवहनी ऊतक तंत्र (Vascular or Conducting Tissue System), का होता है।
- बाह्यत्वचीय ऊतक तंत्र पौधों का सबसे बाहरी आवरण है। बाह्यत्वचा इसके अंतर्गत ही आती है जो कि पौधों के भाग की बाहरी त्वचा है। पौधों की बाह्यत्वचा की बाहरी सतह पर मोम की परत होती है, जिसे क्यूटिकल कहते हैं। यह पानी की हानि को रोकती है। मूल में क्यूटिकल नहीं होती है।
- पौधों की पत्तियों में भरण ऊतक पतली भित्ति वाले और क्लोरोप्लास्ट युक्त है, जिसे मेजोफिल (पर्णमध्योतक) कहते हैं।
- जाइलम और फ्लोएम संवहनी ऊतक तंत्र का भाग हैं। द्विबीजपत्री में कैंबियम जाइलम तथा फ्लोएम के मध्य स्थित होता है। एक बीजपत्री पादपों में कैंबियम नहीं होता है।
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Question 12 of 20
12. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. पौधों की जड़ों का लंबा होना।
2. पौधों के तनों का लंबा होना।
3. पौधों की मोटाई बढ़ना।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से पौधों में द्वितीयक वृद्धि को दर्शाता/दर्शाते है/हैं?Correct
व्याख्याः मूल और तना लम्बाई में शीर्षस्थ विभज्या की सहायता से बढ़ते हैं। इसे प्राथमिक वृद्धि कहते हैं। अधिकांश द्विबीजपत्रियों में प्राथमिक वृद्धि के अतिरिक्त उनकी मोटाई भी बढ़ती है। इसे ही द्वितीयक वृद्धि कहते हैं। यह एक बीजपत्री मूल तथा तने में नहीं होती है। पौधों के जो ऊतक द्वितीयक वृद्धि में भाग लेते हैं उन्हें पार्श्वीय मेरिस्टेम, संवहन कैंबियम तथा कार्क कैंबियम कहते हैं।
Incorrect
व्याख्याः मूल और तना लम्बाई में शीर्षस्थ विभज्या की सहायता से बढ़ते हैं। इसे प्राथमिक वृद्धि कहते हैं। अधिकांश द्विबीजपत्रियों में प्राथमिक वृद्धि के अतिरिक्त उनकी मोटाई भी बढ़ती है। इसे ही द्वितीयक वृद्धि कहते हैं। यह एक बीजपत्री मूल तथा तने में नहीं होती है। पौधों के जो ऊतक द्वितीयक वृद्धि में भाग लेते हैं उन्हें पार्श्वीय मेरिस्टेम, संवहन कैंबियम तथा कार्क कैंबियम कहते हैं।
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsउपकला ऊतक (Epithelial Tissue) दो प्रकार के होते हैं- सरल ऊतक और संयुक्त ऊतक। इनके संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. सरल उपकला ऊतक एक ही स्तर का बना होता है।
2. संयुक्त उपकला ऊतक का मुख्य कार्य रासायनिक व यांत्रिक प्रतिबलों से रक्षा करना है।
3. हृदय पूर्णतः उपकला ऊतक से बना होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः
- उपकला ऊतक (Epithelial Tissue) दो प्रकार के होते हैं- सरल ऊतक और संयुक्त ऊतक। सरल उपकला ऊतक एक ही स्तर का बना होता है तथा यह देहगुहिकाओं, वाहिनियों और नलिका का आस्तर है। संयुक्त उपकला ऊतक एक से अधिक कोशिका स्तरों (बहु-स्तरित) का बना होता है और इस प्रकार श्रावण और अवशोषण में इसकी भूमिका सीमित है। ऊतक का मुख्य कार्य रासायनिक व यांत्रिक प्रतिबलों से रक्षा करना है। अतः कथन 1 और 2 दोनों सही हैं।
- सभी जटिल प्राणियों का शरीर चार प्रकार के आधारभूत ऊतकों उपकला ऊतक, संयोजी ऊतक, पेशी ऊतक और तंत्रिका ऊतक से बना होता है। हृदय में ये चारों तरह के ऊतक होते हैं। अतः कथन 3 गलत है।
Incorrect
व्याख्याः
- उपकला ऊतक (Epithelial Tissue) दो प्रकार के होते हैं- सरल ऊतक और संयुक्त ऊतक। सरल उपकला ऊतक एक ही स्तर का बना होता है तथा यह देहगुहिकाओं, वाहिनियों और नलिका का आस्तर है। संयुक्त उपकला ऊतक एक से अधिक कोशिका स्तरों (बहु-स्तरित) का बना होता है और इस प्रकार श्रावण और अवशोषण में इसकी भूमिका सीमित है। ऊतक का मुख्य कार्य रासायनिक व यांत्रिक प्रतिबलों से रक्षा करना है। अतः कथन 1 और 2 दोनों सही हैं।
- सभी जटिल प्राणियों का शरीर चार प्रकार के आधारभूत ऊतकों उपकला ऊतक, संयोजी ऊतक, पेशी ऊतक और तंत्रिका ऊतक से बना होता है। हृदय में ये चारों तरह के ऊतक होते हैं। अतः कथन 3 गलत है।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsसंयोजी ऊतकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. रक्त को छोड़कर सभी संयोजी ऊतकों में कोशिका कोलेजन नामक संरचनात्मक प्रोटीन के तंतु का स्रावण करती है।
2. उपास्थि, अस्थि और वसीय ऊतक सभी संयोजी ऊतकों के उदाहरण हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
- संयोजी ऊतकों में कोमल ऊतक से लेकर विशेष प्रकार के ऊतक जैसे- उपास्थि, अस्थि, वसीय ऊतक और रक्त सम्मिलित हैं।
- रक्त को छोड़कर सभी संयोजी ऊतकों में कोशिका संरचनात्मक प्रोटीन के तंतु का स्रावण करती है, जिसे कोलेजन अथवा इलास्टिन कहा जाता है। ये ऊतक को शक्ति, प्रत्यास्थता एवं लचीलापन प्रदान करते हैं। यह कोशिका रूपांतरित पॉलिसेकेराइड भी स्रावित करती है, जो कोशिका और तंतु के बीच में जमा होकर आधात्री (Matrix) का कार्य करती है।
- उल्लेखनीय है कि संयोजी ऊतक को तीन प्रकारों में बाँटा गया है- लचीले संयोजी ऊतक, सघन संयोजी ऊतक और विशिष्टीकृत संयोजी ऊतक।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
- संयोजी ऊतकों में कोमल ऊतक से लेकर विशेष प्रकार के ऊतक जैसे- उपास्थि, अस्थि, वसीय ऊतक और रक्त सम्मिलित हैं।
- रक्त को छोड़कर सभी संयोजी ऊतकों में कोशिका संरचनात्मक प्रोटीन के तंतु का स्रावण करती है, जिसे कोलेजन अथवा इलास्टिन कहा जाता है। ये ऊतक को शक्ति, प्रत्यास्थता एवं लचीलापन प्रदान करते हैं। यह कोशिका रूपांतरित पॉलिसेकेराइड भी स्रावित करती है, जो कोशिका और तंतु के बीच में जमा होकर आधात्री (Matrix) का कार्य करती है।
- उल्लेखनीय है कि संयोजी ऊतक को तीन प्रकारों में बाँटा गया है- लचीले संयोजी ऊतक, सघन संयोजी ऊतक और विशिष्टीकृत संयोजी ऊतक।
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Question 15 of 20
15. Question
1 pointsसंयोजी ऊतक के संदर्भ में निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजियेः
1. उपास्थि : यह खनिज युक्त ठोस संयोजी ऊतक है।
2. अस्थि : इसका अंतरकोशिकीय पदार्थ ठोस, विशिष्ट आनम्य (Pliable) और संपीडन रोधी होता है।
3. रक्त : यह तरल संयोगी ऊतक है।
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?Correct
व्याख्याः
- उपास्थि का अंतरकोशिकीय पदार्थ ठोस, विशिष्ट आनम्य (Pliable) और संपीडन रोधी होता है। इस ऊतकों बनाने वाली कोशिकाएँ (उपास्थि अणु) स्वयं द्वारा स्रावित आधात्री में छोटी-छोटी गुहिकाओं में बंद हो जाती हैं। अतः युग्म 1 गलत सुमेलित है।
- अस्थि खनिज युक्त ठोस संयोजी ऊतक है, इसका आनम्य आधात्री कोलेजन तंतु एवं कैल्शियम लवण युक्त होता है, जो अस्थि को मज़बूती प्रदान करता है। अतः युग्म 2 भी गलत सुमेलित है।
- रक्त तरल संयोगी ऊतक है, जिसमें जीवद्रव्य, लाल रुधिर कणिकाएँ, सफेद रुधिर कणिकाएँ और पट्टिकाणु पाए जाते हैं। अतः युग्म 3 सही सुमेलित है।
Incorrect
व्याख्याः
- उपास्थि का अंतरकोशिकीय पदार्थ ठोस, विशिष्ट आनम्य (Pliable) और संपीडन रोधी होता है। इस ऊतकों बनाने वाली कोशिकाएँ (उपास्थि अणु) स्वयं द्वारा स्रावित आधात्री में छोटी-छोटी गुहिकाओं में बंद हो जाती हैं। अतः युग्म 1 गलत सुमेलित है।
- अस्थि खनिज युक्त ठोस संयोजी ऊतक है, इसका आनम्य आधात्री कोलेजन तंतु एवं कैल्शियम लवण युक्त होता है, जो अस्थि को मज़बूती प्रदान करता है। अतः युग्म 2 भी गलत सुमेलित है।
- रक्त तरल संयोगी ऊतक है, जिसमें जीवद्रव्य, लाल रुधिर कणिकाएँ, सफेद रुधिर कणिकाएँ और पट्टिकाणु पाए जाते हैं। अतः युग्म 3 सही सुमेलित है।
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Question 16 of 20
16. Question
1 pointsपेशी ऊतक तीन प्रकार के होते हैं- कंकाल पेशी, चिकनी पेशी और हृदय पेशी। इनके संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. कंकाल पेशी मुख्य रूप से कंकाली पेशी से जुड़ी होती है।
2. चिकनी पेशी को मात्र सोचने भर से ही संकुचित किया जा सकता है।
3. हृदय पेशी एक संकुचनशील ऊतक है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पेशी ऊतक तीन प्रकार के होते हैं- कंकाल पेशी, चिकनी पेशी और हृदय पेशी। कंकाल पेशी मुख्य रूप से कंकाली पेशी से जुड़ी होती है। अतः कथन 1 सही है।
- चिकनी पेशीय ऊतक की संकुचनशील कोशिका के दोनों किनारे पतले होते हैं। आंतरिक अंगों जैसे- रक्त नलिका, अग्नाशय और आँत की भित्ति में इस प्रकार के ऊतक पाए जाते हैं। चिकनी पेशी का संकुचन ‘अनैच्छिक’ होता है क्योंकि इनकी क्रियाविधि पर सीधा नियंत्रण नहीं होता है, अर्थात् चिकनी पेशी को मात्र सोचने भर से ही संकुचित नहीं किया जा सकता है। अतः कथन 2 गलत है।
- हृदय पेशी एक संकुचनशील ऊतक है जो केवल हृदय में ही पाई जाती है। अतः कथन 3 सही है।
Incorrect
व्याख्याः
- पेशी ऊतक तीन प्रकार के होते हैं- कंकाल पेशी, चिकनी पेशी और हृदय पेशी। कंकाल पेशी मुख्य रूप से कंकाली पेशी से जुड़ी होती है। अतः कथन 1 सही है।
- चिकनी पेशीय ऊतक की संकुचनशील कोशिका के दोनों किनारे पतले होते हैं। आंतरिक अंगों जैसे- रक्त नलिका, अग्नाशय और आँत की भित्ति में इस प्रकार के ऊतक पाए जाते हैं। चिकनी पेशी का संकुचन ‘अनैच्छिक’ होता है क्योंकि इनकी क्रियाविधि पर सीधा नियंत्रण नहीं होता है, अर्थात् चिकनी पेशी को मात्र सोचने भर से ही संकुचित नहीं किया जा सकता है। अतः कथन 2 गलत है।
- हृदय पेशी एक संकुचनशील ऊतक है जो केवल हृदय में ही पाई जाती है। अतः कथन 3 सही है।
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Question 17 of 20
17. Question
1 pointsतंत्रिका ऊतकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही नहीं है?
Correct
व्याख्याः कथन (a), (b) और (d) सही हैं जबकि (c) गलत है। अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।
- तंत्रिका ऊतक मुख्य रूप से शरीर की परिवर्तित अवस्थाओं के प्रति शरीर की अनुक्रियाशीलता के नियंत्रण के लिये उत्तरदायी होते हैं।
- ये उत्तेजनशील कोशिकाएँ हैं जो तंत्रिका तंत्र की संचार इकाई हैं।
- तंत्रिका बंध (Neuroglial) कोशिका बाकी तंत्रिका तंत्र को संरचना प्रदान करती है और तंत्रिका कोशिकाओं को सहारा और सुरक्षा देती है। शरीर में तंत्रिका ऊतक के कुल आयतन का आधा से अधिक भाग तंत्रिबंध कोशिकाएँ बनाती हैं।
- तंत्रिका कोशिका को उद्दीपित किया जाता है अथवा यह स्वयं उद्दीपित होती है तो एक विद्युत परिवर्तन (Electrical Disturbance) उत्पन्न होता है जो बहुत तीव्रता से कोशिका झिल्ली पर गमन करता है।
Incorrect
व्याख्याः कथन (a), (b) और (d) सही हैं जबकि (c) गलत है। अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।
- तंत्रिका ऊतक मुख्य रूप से शरीर की परिवर्तित अवस्थाओं के प्रति शरीर की अनुक्रियाशीलता के नियंत्रण के लिये उत्तरदायी होते हैं।
- ये उत्तेजनशील कोशिकाएँ हैं जो तंत्रिका तंत्र की संचार इकाई हैं।
- तंत्रिका बंध (Neuroglial) कोशिका बाकी तंत्रिका तंत्र को संरचना प्रदान करती है और तंत्रिका कोशिकाओं को सहारा और सुरक्षा देती है। शरीर में तंत्रिका ऊतक के कुल आयतन का आधा से अधिक भाग तंत्रिबंध कोशिकाएँ बनाती हैं।
- तंत्रिका कोशिका को उद्दीपित किया जाता है अथवा यह स्वयं उद्दीपित होती है तो एक विद्युत परिवर्तन (Electrical Disturbance) उत्पन्न होता है जो बहुत तीव्रता से कोशिका झिल्ली पर गमन करता है।
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Question 18 of 20
18. Question
1 pointsकेंचुए के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. यह अकशेरुकी प्राणी है।
2. फेरेटिमा व लम्ब्रिकस सामान्य भारतीय केंचुए हैं।
3. इसमें भोजन को पीसने के लिये एक गिजर्ड (Gizzard) नामक संरचना होती है।
4. इनके संवेदी तंत्र में आँखों का अभाव होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन- से सही हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
- केंचुआ एक अकशेरुकी प्राणी है जो नम मिट्टी की ऊपरी सतह में निवास करता है। यह उभयलिंगी होता है।
- फेरेटिमा व लम्ब्रिकस सामान्य भारतीय केंचुए हैं। फेरेटिमा का रुधिर परिसंचरण तंत्र बंद प्रकार का होता है।
- इसमें भोजन को पीसने के लिये एक गिजर्ड (Gizzard) नामक संरचना होती है। यह सड़ी-गली पत्तियाँ और मिट्टी में मिश्रित कार्बनिक पदार्थ होते हैं।
- इनके संवेदी तंत्र में आँखों का अभाव होता है लेकिन इनमें कुछ प्रकाश और स्पर्श संवेदी अंग विकसित होते हैं, जो प्रकाश की तीव्रता के अंतर और पृथ्वी के कंपन को भी महसूस कर सकते हैं।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
- केंचुआ एक अकशेरुकी प्राणी है जो नम मिट्टी की ऊपरी सतह में निवास करता है। यह उभयलिंगी होता है।
- फेरेटिमा व लम्ब्रिकस सामान्य भारतीय केंचुए हैं। फेरेटिमा का रुधिर परिसंचरण तंत्र बंद प्रकार का होता है।
- इसमें भोजन को पीसने के लिये एक गिजर्ड (Gizzard) नामक संरचना होती है। यह सड़ी-गली पत्तियाँ और मिट्टी में मिश्रित कार्बनिक पदार्थ होते हैं।
- इनके संवेदी तंत्र में आँखों का अभाव होता है लेकिन इनमें कुछ प्रकाश और स्पर्श संवेदी अंग विकसित होते हैं, जो प्रकाश की तीव्रता के अंतर और पृथ्वी के कंपन को भी महसूस कर सकते हैं।
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Question 19 of 20
19. Question
1 pointsकॉकरोच के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. ये रात्रिचर और सर्वभक्षी प्राणी हैं।
2. ये द्विलिंगी होते हैं।
3. इसमें परिसंचरण तंत्र बंद प्रकार का होता है।
4. इनका कोई आर्थिक महत्त्व नहीं है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन- से सही हैं?Correct
व्याख्याः
- कॉकरोच संघ आर्थोपोडा के वर्ग इन्सेक्टा में सम्मिलित है। यह रात्रिचर और सर्वभक्षी प्राणी हैं। इनका पूरा शरीर मज़बूत काईटिन युक्त बाह्य कंकाल का बना होता है। अतः कथन 1 सही है।
- ये द्विलिंगी (Dioecious) होते हैं और दोनों लिंगों में पूर्ण विकसित जनन अंग होते हैं। अतः कथन 2 भी सही है।
- इसमें खुला परिसंचरण तंत्र होता है। अतः कथन 3 गलत है।
- इनका कोई आर्थिक महत्त्व नहीं है बल्कि ये पीड़क के रूप में कार्य करते हैं। अतः कथन 4 सही है।
Incorrect
व्याख्याः
- कॉकरोच संघ आर्थोपोडा के वर्ग इन्सेक्टा में सम्मिलित है। यह रात्रिचर और सर्वभक्षी प्राणी हैं। इनका पूरा शरीर मज़बूत काईटिन युक्त बाह्य कंकाल का बना होता है। अतः कथन 1 सही है।
- ये द्विलिंगी (Dioecious) होते हैं और दोनों लिंगों में पूर्ण विकसित जनन अंग होते हैं। अतः कथन 2 भी सही है।
- इसमें खुला परिसंचरण तंत्र होता है। अतः कथन 3 गलत है।
- इनका कोई आर्थिक महत्त्व नहीं है बल्कि ये पीड़क के रूप में कार्य करते हैं। अतः कथन 4 सही है।
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Question 20 of 20
20. Question
1 pointsमेंढक के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. ये कभी पानी नहीं पीते, बल्कि त्वचा द्वारा इसका अवशोषण करते हैं।
2. ये समतापी होते हैं।
3. इसमें रंग परिवर्तन की क्षमता होती है।
4. ये गर्मियों और सर्दियों में ग्रीष्म और शीत निष्क्रियता में चले जाते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन- से सही हैं?Correct
व्याख्याः
- मेंढक कशेरुकी संघ के एंफीबियन वर्ग से संबंधित है। ये कभी पानी नहीं पीता बल्कि त्वचा द्वारा इसका अवशोषण करता है। अतः कथन 1 सही है।
- मेंढक असमतापी अथवा अनियततापी होता है अर्थात् इसके शरीर का तापमान नियत नहीं रहता। अतः कथन 2 गलत है।
- मेंढक में अपने शत्रुओं से छिपने के लिये रंग परिवर्तन की क्षमता होती है, जिसे छद्मावरण कहते हैं। यह रक्षात्मक रंग परिवर्तन की क्षमता अनुहरण (Minimicry) कहलाती है। अतः कथन 3 सही है।
- ये गर्मियों और सर्दियों में अपनी रक्षा के लिये गहरे गड्ढे जैसी जगहों में चले जाते हैं। इस प्रक्रिया को क्रमशः ग्रीष्म निष्क्रियता और शीत निष्क्रियता कहते हैं। अतः कथन 4 भी सही है।
- उल्लेखनीय है कि मेंढक की त्वचा श्लेष्मा (म्युकस) से ढकी होती है जो की सदैव आर्द्र रहती है। इसमें बाह्य कर्ण अनुपस्थित होते हैं। इनमें बाह्य निषेचन पानी में होता है। ये कीटों को खाकर फसलों की रक्षा करते हैं।
Incorrect
व्याख्याः
- मेंढक कशेरुकी संघ के एंफीबियन वर्ग से संबंधित है। ये कभी पानी नहीं पीता बल्कि त्वचा द्वारा इसका अवशोषण करता है। अतः कथन 1 सही है।
- मेंढक असमतापी अथवा अनियततापी होता है अर्थात् इसके शरीर का तापमान नियत नहीं रहता। अतः कथन 2 गलत है।
- मेंढक में अपने शत्रुओं से छिपने के लिये रंग परिवर्तन की क्षमता होती है, जिसे छद्मावरण कहते हैं। यह रक्षात्मक रंग परिवर्तन की क्षमता अनुहरण (Minimicry) कहलाती है। अतः कथन 3 सही है।
- ये गर्मियों और सर्दियों में अपनी रक्षा के लिये गहरे गड्ढे जैसी जगहों में चले जाते हैं। इस प्रक्रिया को क्रमशः ग्रीष्म निष्क्रियता और शीत निष्क्रियता कहते हैं। अतः कथन 4 भी सही है।
- उल्लेखनीय है कि मेंढक की त्वचा श्लेष्मा (म्युकस) से ढकी होती है जो की सदैव आर्द्र रहती है। इसमें बाह्य कर्ण अनुपस्थित होते हैं। इनमें बाह्य निषेचन पानी में होता है। ये कीटों को खाकर फसलों की रक्षा करते हैं।