सामान्य विज्ञान टेस्ट 3
सामान्य विज्ञान टेस्ट 3
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न एन.सी.ई.आर.टी. पर आधारित है|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsवायरस के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. आर.एच. व्हिटेकर के पाँच जगत वर्गींकरण में वायरस अनुपस्थित है।
2. यह अकोशिक जीव है।
3. ये कोशिका को संक्रमित करके उसका उपयोग अपनी प्रतिलिपि बनाने में करते हैं तथा उस कोशिका को मार देते हैं।
4. इसमें आनुवंशिक पदार्थ उपस्थित होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
आर.एच. व्हिटेकर द्वारा सुझाए गए पाँच जगत वर्गींकरण में अकोशिक जीवों का उल्लेख नहीं किया गया है। वाइरस, विरोइड और लाइकेन इन्हीं अकोशिक जीवों के उदाहरण हैं।
वायरस की संरचना रवेदार होती है। एक बार जब ये किसी कोशिका को संक्रमित कर देते हैं तब उसकी मशीनरी का उपयोग अपनी प्रतिकृति बनाने में करते हैं तथा उस कोशिका को मार देते हैं।
वाइरस में प्रोटीन और आनुवंशिक पदार्थ दोनों उपस्थित होते हैं।
यह आनुवंशिक पदार्थ आर.एन.ए. अथवा डी.एन.ए. हो सकता है। किसी भी वाइरस में आर.एन.ए. अथवा डी.एन.ए. एक साथ नहीं होते हैं। वाइरस केंद्रक प्रोटीन (न्यूक्लियो प्रोटीन) और इसका आनुवंशिक पदार्थ संक्रामक होता है।Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
आर.एच. व्हिटेकर द्वारा सुझाए गए पाँच जगत वर्गींकरण में अकोशिक जीवों का उल्लेख नहीं किया गया है। वाइरस, विरोइड और लाइकेन इन्हीं अकोशिक जीवों के उदाहरण हैं।
वायरस की संरचना रवेदार होती है। एक बार जब ये किसी कोशिका को संक्रमित कर देते हैं तब उसकी मशीनरी का उपयोग अपनी प्रतिकृति बनाने में करते हैं तथा उस कोशिका को मार देते हैं।
वाइरस में प्रोटीन और आनुवंशिक पदार्थ दोनों उपस्थित होते हैं।
यह आनुवंशिक पदार्थ आर.एन.ए. अथवा डी.एन.ए. हो सकता है। किसी भी वाइरस में आर.एन.ए. अथवा डी.एन.ए. एक साथ नहीं होते हैं। वाइरस केंद्रक प्रोटीन (न्यूक्लियो प्रोटीन) और इसका आनुवंशिक पदार्थ संक्रामक होता है। -
Question 2 of 20
2. Question
1 pointsवाइरस के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. प्रायः सभी पादप वाइरस में एक लड़ी वाला आर.एन.ए. अथवा डी.एन.ए. जबकि सभी जंतु वाइरस में सदैव दोहरी लड़ी वाला आर.एन.ए. अथवा डी.एनए. होता है।
2. बैक्टीरियल अथवा जीवाणुभोजी प्रायः दोहरी लड़ी वाले डी.एन.ए. वाइरस होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः
प्रायः सभी पादप वाइरस में एक लड़ी वाला आर.एन.ए. अथवा डी.एन.ए. होता है जबकि सभी जंतु वाइरस में एक अथवा दोहरी लड़ी वाला आर.एन.ए. अथवा डी.एन.ए. होता है। अतः कथन (1) गलत है।
बैक्टीरियल वाइरस अथवा जीवाणु भोजी (बैक्टीरियोफेज-आवरण वाइरस जो बैक्टीरिया पर संक्रमण करता है।) प्रायः दोहरी लड़ी वाले डी.एन.ए. होते हैं। अतः कथन (2) सही है।Incorrect
व्याख्याः
प्रायः सभी पादप वाइरस में एक लड़ी वाला आर.एन.ए. अथवा डी.एन.ए. होता है जबकि सभी जंतु वाइरस में एक अथवा दोहरी लड़ी वाला आर.एन.ए. अथवा डी.एन.ए. होता है। अतः कथन (1) गलत है।
बैक्टीरियल वाइरस अथवा जीवाणु भोजी (बैक्टीरियोफेज-आवरण वाइरस जो बैक्टीरिया पर संक्रमण करता है।) प्रायः दोहरी लड़ी वाले डी.एन.ए. होते हैं। अतः कथन (2) सही है। -
Question 3 of 20
3. Question
1 pointsविरोइड के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. ये वाइरस से कुछ बड़े होते हैं।
2. वायरस के विपरीत इसमें प्रोटीन आवरण का अभाव होता है।
3. इसमें आर.एन.ए. उपस्थित होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः – विरोइड की खोज टी.ओ. डाइनर द्वारा की गई। यह वाइरस से छोटा होता है। यह ‘पोटेटो स्पिंडल ट्यूबर’ नामक रोग का कारक है। अतः कथन (1) गलत है।
वायरस के विपरीत इसमें प्रोटीन आवरण अनुपस्थित होता है जबकि, आर.एन.ए. उपस्थित होता है। अतः कथन (2) और (3) सही हैं।Incorrect
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsलाइकेन शैवाल तथा कवक के सहजीवी सहवास का उदाहरण हैं। इनके संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. कवक शैवाल के लिये भोजन संश्लेषित करता है जबकि शैवाल कवक को आश्रय देने और उसके लिये खनिज तथा जल के अवशोषण करने का कार्य करता है।
2. ये प्रदूषण के बहुत अच्छे संकेतक हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः
लाइकेन शैवाल तथा कवक के सहजीवी सहवास का उदाहरण हैं। इसका शैवाल घटक शैवालांश और कवक का घटक माइकोवायंट (कवकांश) कहलाता है जो क्रमशः स्वपोषी (Autotrophic) और परपोषी (Heterotrophic) होते हैं।
शैवाल कवक के लिये भोजन संश्लेषित करता है जबकि कवक शैवाल को आश्रय देने और उसके लिये खनिज तथा जल के अवशोषण करने का कार्य करता है। अतः कथन 1 गलत है।
चूँकि लाइकेन प्रदूषित क्षेत्रों में नहीं उगते हैं, अतः वे प्रदूषण के बहुत अच्छे संकेतक हैं। अतः कथन 2 सही है।Incorrect
व्याख्याः
लाइकेन शैवाल तथा कवक के सहजीवी सहवास का उदाहरण हैं। इसका शैवाल घटक शैवालांश और कवक का घटक माइकोवायंट (कवकांश) कहलाता है जो क्रमशः स्वपोषी (Autotrophic) और परपोषी (Heterotrophic) होते हैं।
शैवाल कवक के लिये भोजन संश्लेषित करता है जबकि कवक शैवाल को आश्रय देने और उसके लिये खनिज तथा जल के अवशोषण करने का कार्य करता है। अतः कथन 1 गलत है।
चूँकि लाइकेन प्रदूषित क्षेत्रों में नहीं उगते हैं, अतः वे प्रदूषण के बहुत अच्छे संकेतक हैं। अतः कथन 2 सही है। -
Question 5 of 20
5. Question
1 pointsशैवाल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1.इनमें क्लोरोफिल अनुपस्थित होता है, परंतु ये प्रकाशसंश्लेषण में सक्षम होते हैं।
2.पृथ्वी पर प्रकाशसंश्लेषण के दौरान कुल स्थिरीकृत कार्बन-डाइऑक्साइड का लगभग आधा भाग शैवालों द्वारा स्थिर किया जाता है।
3.इनकी कुछ प्रजातियों का उपयोग भोजन के रूप में किया जा सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः
शैवाल क्लोरोफिलयुक्त, थैलॉयड, स्वपोषी तथा मुख्यतः जलीय (अलवणीय और समुद्री जल दोनों) जीव हैं। ये प्रकाशसंश्लेषण में सक्षम होते हैं। अतः कथन 1 गलत है। आकार में ये सूक्ष्मदर्शी से देखे जाने वाले एक कोशिक क्लैमाइडोमोनॉस से लेकर विशालकाय कल्प तक होते हैं। ये कायिक, अलैंगिक और लैंगिक जनन करते हैं।
पृथ्वी पर प्रकाशसंश्लेषण के दौरान कुल स्थिरीकृत कार्बन-डाइऑक्साइड का लगभग आधा भाग शैवाल स्थिर करते हैं। ये ऊर्जा के प्राथमिक उत्पादक हैं। अतः कथन 2 सही है।
कथन 3 भी सही है, क्योंकि शैवालों की कुछ प्रजातियों का उपयोग भोजन के रूप में किया जाता है। पोरफायरा, लैमिनेरिया और सरगासम की बहुत सी प्रजातियाँ इसका उदाहरण हैं। जिलेडियम और ग्रेसिलेरिआ से एगार (Agar) प्राप्त किया जाता है, जिसका उपयोग सूक्ष्म जीवों के संवर्धन में तथा आईसक्रीम एवं जेली बनाने में किया जाता है। क्लोरैला (Chlorella) और स्प्रिरुलाइना (Spirullina) एक कोशिक हैं। इनमें प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इनका उपयोग भोजन के रूप में अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा भी किया जाता है।Incorrect
व्याख्याः
शैवाल क्लोरोफिलयुक्त, थैलॉयड, स्वपोषी तथा मुख्यतः जलीय (अलवणीय और समुद्री जल दोनों) जीव हैं। ये प्रकाशसंश्लेषण में सक्षम होते हैं। अतः कथन 1 गलत है। आकार में ये सूक्ष्मदर्शी से देखे जाने वाले एक कोशिक क्लैमाइडोमोनॉस से लेकर विशालकाय कल्प तक होते हैं। ये कायिक, अलैंगिक और लैंगिक जनन करते हैं।
पृथ्वी पर प्रकाशसंश्लेषण के दौरान कुल स्थिरीकृत कार्बन-डाइऑक्साइड का लगभग आधा भाग शैवाल स्थिर करते हैं। ये ऊर्जा के प्राथमिक उत्पादक हैं। अतः कथन 2 सही है।
कथन 3 भी सही है, क्योंकि शैवालों की कुछ प्रजातियों का उपयोग भोजन के रूप में किया जाता है। पोरफायरा, लैमिनेरिया और सरगासम की बहुत सी प्रजातियाँ इसका उदाहरण हैं। जिलेडियम और ग्रेसिलेरिआ से एगार (Agar) प्राप्त किया जाता है, जिसका उपयोग सूक्ष्म जीवों के संवर्धन में तथा आईसक्रीम एवं जेली बनाने में किया जाता है। क्लोरैला (Chlorella) और स्प्रिरुलाइना (Spirullina) एक कोशिक हैं। इनमें प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इनका उपयोग भोजन के रूप में अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा भी किया जाता है। -
Question 6 of 20
6. Question
1 pointsनिम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजियेः
1.हरे शैवाल : क्लोरोफाइसी
2.लाल शैवाल : फियोफाइसी
3.भूरे शैवाल : रोडोफाइसी
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?Correct
व्याख्याः शैवाल को मुख्यतः 3 भागों क्लोरोफाइसी , रोडोफाइसी और फियोफाइसी में विभक्त किया जाता है।
क्लोरोफाइसी के अंतर्गत आने वाले सदस्यों को प्रायः हरे शैवाल कहते हैं।
रोडोफाइसी लाल शैवाल होते हैं। इनका लाल रंग आर-फाइकोएरिथ्रिन नामक लाल वर्णक के कारण होता है। इनकी बहुलता समुद्र के गर्म क्षेत्र में अधिक होती है।
फियोफाइसी भूरे शैवाल हैं जो मुख्यतः समुद्री आवास में पाए जाते हैं।Incorrect
व्याख्याः शैवाल को मुख्यतः 3 भागों क्लोरोफाइसी , रोडोफाइसी और फियोफाइसी में विभक्त किया जाता है।
क्लोरोफाइसी के अंतर्गत आने वाले सदस्यों को प्रायः हरे शैवाल कहते हैं।
रोडोफाइसी लाल शैवाल होते हैं। इनका लाल रंग आर-फाइकोएरिथ्रिन नामक लाल वर्णक के कारण होता है। इनकी बहुलता समुद्र के गर्म क्षेत्र में अधिक होती है।
फियोफाइसी भूरे शैवाल हैं जो मुख्यतः समुद्री आवास में पाए जाते हैं। -
Question 7 of 20
7. Question
1 pointsब्रायोफाइट के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1.ये भूमि पर जीवित रह सकते हैं परंतु लैंगिक जनन के लिये जल पर निर्भर करते हैं।
2.इनमें वास्तविक मूल, तना अथवा पत्तियाँ नहीं होती।
3.इन्हें युग्मकोद्भिद् (Gametophyte) नाम से भी जाना जाता है।
4.इनका उपयोग सजीव पदार्थों के स्थानांतरण के समय उनकी पैकिंग में किया जाता है क्योंकि इनमें पानी रोकने की क्षमता अधिक होती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
ब्रायोफाइट के अंतर्गत विभिन्न मॉस और लिवरवर्ट आते हैं। ये भूमि पर जीवित रह सकते हैं परंतु लैंगिक जनन के लिये जल पर निर्भर करते हैं, इसलिये इन्हें पादप जगत का जलचर भी कहा जाता है।
इनमें वास्तविक मूल, तना अथवा पत्तियों का अभाव होता है।
इनकी मुख्यकाय (Main Plant body) अगुणित (Haploid) होती है और ये युग्मक (Gamete) उत्पन्न करते हैं, इसलिये इन्हें युग्म्कोद्भिद् (Gametophyte) भी कहा जाता है।
इनका उपयोग सजीव पदार्थों के स्थानांतरण के समय उनकी पैकिंग में किया जाता है क्योंकि इनमें पानी रोकने की क्षमता अधिक होती है।
उल्लेखनीय है कि ब्रायोफाइट का आर्थिक महत्त्व बहुत कम है। इनमें स्फेगनम की कुछ स्पीशीज से पीट प्राप्त होता है जिसका उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है।
मॉस मृदा अपक्षरण को रोकते हैं। ये मिट्टी पर एक सघन परत बना देते हैं जिस कारण वर्षा की बौछारें मृदा को हानि नहीं पहुँचा पाती। लाइकेन के साथ मॉस भी सर्वप्रथम चट्टानों पर उगने वाले सजीवों में सम्मिलित हैं।Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
ब्रायोफाइट के अंतर्गत विभिन्न मॉस और लिवरवर्ट आते हैं। ये भूमि पर जीवित रह सकते हैं परंतु लैंगिक जनन के लिये जल पर निर्भर करते हैं, इसलिये इन्हें पादप जगत का जलचर भी कहा जाता है।
इनमें वास्तविक मूल, तना अथवा पत्तियों का अभाव होता है।
इनकी मुख्यकाय (Main Plant body) अगुणित (Haploid) होती है और ये युग्मक (Gamete) उत्पन्न करते हैं, इसलिये इन्हें युग्म्कोद्भिद् (Gametophyte) भी कहा जाता है।
इनका उपयोग सजीव पदार्थों के स्थानांतरण के समय उनकी पैकिंग में किया जाता है क्योंकि इनमें पानी रोकने की क्षमता अधिक होती है।
उल्लेखनीय है कि ब्रायोफाइट का आर्थिक महत्त्व बहुत कम है। इनमें स्फेगनम की कुछ स्पीशीज से पीट प्राप्त होता है जिसका उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है।
मॉस मृदा अपक्षरण को रोकते हैं। ये मिट्टी पर एक सघन परत बना देते हैं जिस कारण वर्षा की बौछारें मृदा को हानि नहीं पहुँचा पाती। लाइकेन के साथ मॉस भी सर्वप्रथम चट्टानों पर उगने वाले सजीवों में सम्मिलित हैं। -
Question 8 of 20
8. Question
1 pointsटैरिडोफाइट के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1.विकास की दृष्टि से ये सर्वप्रथम स्थल पर उगने वाले संवहन ऊतक युक्त पौधे हैं।
2.इसमें मुख्य पदापकाय (Plant Body) स्पोरोफाइट होते हैं, जिनमें वास्तविक मूल, तना और पत्तियाँ होती हैं।
3.इनका सजावट में बहुत अधिक आर्थिक महत्त्व है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
टैरिडोफाइट के अंतर्गत हॉर्सटेल और फर्न आते हैं। सामान्यतः ये ठंडे, गीले और छायादार स्थानों एवं कुछ रेतीली मिट्टी में पाए जाते हैं। विकास की दृष्टि से ये सर्वप्रथम स्थल पर उगने वाले संवहन ऊतक (जाइलम और फ्लोएम) युक्त पौधे हैं।
इसमें मुख्य पदापकाय (Plant Body) स्पोरोफाइट होते हैं, जिनमें वास्तविक मूल, तना और पत्तियाँ होती हैं।
इनका सजावट में बहुत अधिक आर्थिक महत्त्व है। फूल वाले अधिकांश फर्न का उपयोग सजाने में करते हैं तथा सजावटी पौधों के रूप में उगाते हैं।Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
टैरिडोफाइट के अंतर्गत हॉर्सटेल और फर्न आते हैं। सामान्यतः ये ठंडे, गीले और छायादार स्थानों एवं कुछ रेतीली मिट्टी में पाए जाते हैं। विकास की दृष्टि से ये सर्वप्रथम स्थल पर उगने वाले संवहन ऊतक (जाइलम और फ्लोएम) युक्त पौधे हैं।
इसमें मुख्य पदापकाय (Plant Body) स्पोरोफाइट होते हैं, जिनमें वास्तविक मूल, तना और पत्तियाँ होती हैं।
इनका सजावट में बहुत अधिक आर्थिक महत्त्व है। फूल वाले अधिकांश फर्न का उपयोग सजाने में करते हैं तथा सजावटी पौधों के रूप में उगाते हैं। -
Question 9 of 20
9. Question
1 pointsजिम्नोस्पर्म के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1.इनमें बीजांड (Ovules) निषेचन से पूर्व अनावृत होते हैं जो निषेचन के बाद आवृत हो जाते हैं।
2.इनकी मूल प्रायः मूसला होती है।
3.इनमें पत्तियाँ अधिक ताप, नमी और वायु को सहन कर सकती हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?Correct
व्याख्याः
जिम्नोस्पर्म के अंतर्गत ऐसे पौधे आते हैं जिनमें बीजांड (Ovules) अंडाशय भित्ति से ढके हुए नहीं होते हैं और ये निषेचन से पूर्व और निषेचन के बाद भी अनावृत ही रहते हैं। अतः कथन 1 गलत है। उल्लेखनीय है कि जिम्नोस्पर्म में दोनों नर और मादा युग्मकोद्भिद् ब्रायोफाइट और टैरिडोफाइट की तरह स्वतंत्र नहीं होते।
इनकी मूल प्रायः मूसला होती है तथा इनकी पत्तियाँ अधिक ताप, नमी और वायु को सहन कर सकती हैं। अतः कथन 2 और 3 सही हैं।Incorrect
व्याख्याः
जिम्नोस्पर्म के अंतर्गत ऐसे पौधे आते हैं जिनमें बीजांड (Ovules) अंडाशय भित्ति से ढके हुए नहीं होते हैं और ये निषेचन से पूर्व और निषेचन के बाद भी अनावृत ही रहते हैं। अतः कथन 1 गलत है। उल्लेखनीय है कि जिम्नोस्पर्म में दोनों नर और मादा युग्मकोद्भिद् ब्रायोफाइट और टैरिडोफाइट की तरह स्वतंत्र नहीं होते।
इनकी मूल प्रायः मूसला होती है तथा इनकी पत्तियाँ अधिक ताप, नमी और वायु को सहन कर सकती हैं। अतः कथन 2 और 3 सही हैं। -
Question 10 of 20
10. Question
1 pointsजिम्नोस्पर्म की जड़ों के संदर्भ में निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजियेः
1.कवक के साथ सहयोग करने वाली जड़ें : प्रवाल मूल
2.नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करने वाले साइनो बैक्टीरिया के साथ सहयोग करने वाली जड़ें : कवक मूल
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों ही युग्म सही सुमेलित नहीं हैं। जिम्नोस्पर्म के कुछ जीनस (वंश) की जड़ें कवक के साथ सहयोग कर लेती हैं जो कवक मूल कहलाती हैं। जैसे- पाइनस। कुछ अन्य छोटी विशिष्ट जड़ें नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करने वाले साइनो बैक्टीरिया के साथ सहयोग कर लेती हैं जो प्रवाल मूल कहलाती हैं। जैसे- साइकैस।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों ही युग्म सही सुमेलित नहीं हैं। जिम्नोस्पर्म के कुछ जीनस (वंश) की जड़ें कवक के साथ सहयोग कर लेती हैं जो कवक मूल कहलाती हैं। जैसे- पाइनस। कुछ अन्य छोटी विशिष्ट जड़ें नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करने वाले साइनो बैक्टीरिया के साथ सहयोग कर लेती हैं जो प्रवाल मूल कहलाती हैं। जैसे- साइकैस।
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Question 11 of 20
11. Question
1 pointsएंजियोस्पर्म के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1.इन्हें पुष्पी पादप कहते हैं।
2.इनमें बीज फलों के भीतर होते हैं।
3.ये पादपों में सबसे बड़ा वर्ग है।
4.द्विनिषेचन (Double Fertilisation) इनका अद्वितीय गुण है।
उपर्युक्त विशेषताएँ वनस्पति वर्ग के किस उपवर्ग को संदर्भित करती हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त विशेषताएँ वनस्पति वर्ग के एंजियोस्पर्म उपवर्ग को संदर्भित करती हैं । अतः विकल्प (a) सही उत्तर है। जिम्नोस्पर्म में बीजांड अनावृत होते हैं परंतु एंजियोस्पर्म में परागकण और बीजांड विशिष्ट रचना के भीतर विकसित होते हैं, जिन्हें पुष्प कहते हैं। एंजियोस्पर्म को पुष्पी पादप भी कहते हैं। इनमें बीज फलों के भीतर होते हैं। साथ ही ये पादपों में सबसे बड़ा वर्ग है। एंजियोस्पर्म में द्विनिषेचन होता है। द्विनिषेचन इस वर्ग का अद्वितीय गुण है।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त विशेषताएँ वनस्पति वर्ग के एंजियोस्पर्म उपवर्ग को संदर्भित करती हैं । अतः विकल्प (a) सही उत्तर है। जिम्नोस्पर्म में बीजांड अनावृत होते हैं परंतु एंजियोस्पर्म में परागकण और बीजांड विशिष्ट रचना के भीतर विकसित होते हैं, जिन्हें पुष्प कहते हैं। एंजियोस्पर्म को पुष्पी पादप भी कहते हैं। इनमें बीज फलों के भीतर होते हैं। साथ ही ये पादपों में सबसे बड़ा वर्ग है। एंजियोस्पर्म में द्विनिषेचन होता है। द्विनिषेचन इस वर्ग का अद्वितीय गुण है।
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Question 12 of 20
12. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1.पादपों में अगुणित (Haploid) तथा द्विगुणित (Diploid) कोशिकाएँ माइटोसिस (Mitosis) द्वारा विभाजित होती हैं।
2.किसी भी लैंगिक जनन करने वाले पौधों के जीवन चक्र के अगुणित युग्मकोद्भिद् (Gametophyte) बनाने वाले युग्मकों (Gametes) और द्विगुणित स्पोरोफाइट (Diploid Sporophyte) बनाने वाले बीजाणु (Spore) के बीच संतति या पीढ़ी एकांतर होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
पादपों में अगुणित तथा द्विगुणित कोशिकाएँ माइटोसिस द्वारा विभाजित होती हैं। इसके कारण विभिन्न काय अगुणित और द्विगुणित बनते हैं। अगुणित पादपकाय (Plant Body) माइटोसिस द्वारा युग्मक बनाते हैं। इनमें पादपकाय युग्मकोद्भिद् होता है। निषेचन के बाद युग्मनज भी माइटोसिस के द्वारा विभक्त होता है, जिसके कारण द्विगुणित स्पोरोफाइट पादपकाय बनाता है। इस पादपकाय में मिओसिस (Meiosis) द्वारा अगुणित बीजाणु बनते हैं। ये अगुणित बीजाणु माइटोसिस विभाजन द्वारा पुनः अगुणित पादपकाय बनाते हैं। इस प्रकार किसी भी लैंगिक जनन करने वाले पौधों के जीवन चक्र के अगुणित युग्मकोद्भिद् बनाने वाले युग्मकों और द्विगुणित स्पोरोफाइट बनाने वाले बीजाणु के बीच संतति या पीढ़ी एकांतर होता है।
उल्लेखनीय है कि माइटोसिस का अर्थ केन्द्रक के विभाजन से है। यह समसूत्रीय विभाजन कहलाता है। मिओसिस केवल जनन कोशिका में होता है। इस प्रकार के विभाजन द्वारा पादपों में नर और मादा युग्मक और जंतुओं में शुक्राणु तथा अंडाणु बनते हैं जिनमें गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है, जिसे अर्द्धसूत्रीय विभाजन कहते हैं।Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन सही हैं।
पादपों में अगुणित तथा द्विगुणित कोशिकाएँ माइटोसिस द्वारा विभाजित होती हैं। इसके कारण विभिन्न काय अगुणित और द्विगुणित बनते हैं। अगुणित पादपकाय (Plant Body) माइटोसिस द्वारा युग्मक बनाते हैं। इनमें पादपकाय युग्मकोद्भिद् होता है। निषेचन के बाद युग्मनज भी माइटोसिस के द्वारा विभक्त होता है, जिसके कारण द्विगुणित स्पोरोफाइट पादपकाय बनाता है। इस पादपकाय में मिओसिस (Meiosis) द्वारा अगुणित बीजाणु बनते हैं। ये अगुणित बीजाणु माइटोसिस विभाजन द्वारा पुनः अगुणित पादपकाय बनाते हैं। इस प्रकार किसी भी लैंगिक जनन करने वाले पौधों के जीवन चक्र के अगुणित युग्मकोद्भिद् बनाने वाले युग्मकों और द्विगुणित स्पोरोफाइट बनाने वाले बीजाणु के बीच संतति या पीढ़ी एकांतर होता है।
उल्लेखनीय है कि माइटोसिस का अर्थ केन्द्रक के विभाजन से है। यह समसूत्रीय विभाजन कहलाता है। मिओसिस केवल जनन कोशिका में होता है। इस प्रकार के विभाजन द्वारा पादपों में नर और मादा युग्मक और जंतुओं में शुक्राणु तथा अंडाणु बनते हैं जिनमें गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है, जिसे अर्द्धसूत्रीय विभाजन कहते हैं। -
Question 13 of 20
13. Question
1 pointsप्राणी जगत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. प्राणी जगत के सभी सदस्य बहुकोशिक होते हैं।
2. स्पंज में कोशिका बिखरे हुए समूहों में होती है।
3. प्लेटीहेल्मिंथीज में पूर्ण पाचन तंत्र उपस्थित होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः
प्राणी जगत के सभी सदस्य बहुकोशिक होते हैं, परंतु भिन्न-भिन्न कोशिका संगठन प्रदर्शित करते हैं। अतः कथन 1 सही है।
स्पंज में कोशिका बिखरे हुए समूहों में होती है। अतः कथन 2 भी सही है।
भिन्न प्राणियों में अंगतंत्र विभिन्न प्रकार की जटिलताएँ प्रदर्शित करता है। उदाहरण के लिये पाचन तंत्र भी पूर्ण और अपूर्ण होता है। अपूर्ण पाचन तंत्र में एक ही बाह्य द्वार होता है जो मुख तथा गुदा दोनों का कार्य करता है। प्लेटीहेल्मिंथीज अपूर्ण पाचन तंत्र के उदाहरण हैं। पूर्ण पाचन तंत्र में दो बाह्य द्वार होते हैं मुख तथा गुदा। अतः कथन 3 गलत है।Incorrect
व्याख्याः
प्राणी जगत के सभी सदस्य बहुकोशिक होते हैं, परंतु भिन्न-भिन्न कोशिका संगठन प्रदर्शित करते हैं। अतः कथन 1 सही है।
स्पंज में कोशिका बिखरे हुए समूहों में होती है। अतः कथन 2 भी सही है।
भिन्न प्राणियों में अंगतंत्र विभिन्न प्रकार की जटिलताएँ प्रदर्शित करता है। उदाहरण के लिये पाचन तंत्र भी पूर्ण और अपूर्ण होता है। अपूर्ण पाचन तंत्र में एक ही बाह्य द्वार होता है जो मुख तथा गुदा दोनों का कार्य करता है। प्लेटीहेल्मिंथीज अपूर्ण पाचन तंत्र के उदाहरण हैं। पूर्ण पाचन तंत्र में दो बाह्य द्वार होते हैं मुख तथा गुदा। अतः कथन 3 गलत है। -
Question 14 of 20
14. Question
1 pointsप्राणी जगत में परिसंचरण तंत्र के संदर्भ में निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजियेः
1. खुला परिसंचरण तंत्र: रक्त का संचार हृदय से भिन्न-भिन्न व्यास की वाहिकाओं के द्वारा होता है।
2. बंद परिसंचरण तंत्र: इस प्रकार के तंत्र में रक्त का बहाव हृदय से सीधे बाहर भेजा जाता है और कोशिका तथा ऊतक इसमें डूबे रहते हैं।
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?Correct
व्याख्याः
उपर्युक्त दोनों युग्म सही सुमेलित नहीं हैं।|
खुले परिसंचरण तंत्र में रक्त का बहाव हृदय से सीधे बाहर भेजा जाता है और कोशिका तथा ऊतक इसमें डूबे रहते हैं।
बंद परिसंचरण तंत्र में रक्त का संचार हृदय से भिन्न-भिन्न व्यास की वाहिकाओं जैसे- धमनी, शिरा और कोशिकाओं के द्वारा होता है।Incorrect
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Question 15 of 20
15. Question
1 pointsजीवों की सममिति अवधारणा के संदर्भ में निम्नलिखित युग्मों पर विचार की
1. असममिति: कोई अक्ष अथवा सतह जो किसी जीव के केंद्र से गुजरती है, तो उसके शरीर को दो बराबर भागों में विभाजित नहीं करती।
2. अरीय सममिति: एक ही अक्ष अथवा सतह से गुजरने वाली रेखा द्वारा प्राणी के शरीर को दो समरूप दाएँ और बाएँ भाग में बाँटा जा सकता है।
3. द्विपार्श्व सममिति: कोई अक्ष अथवा सतह किसी जीव की केन्द्रीय अक्ष से गुजरती है, तो उसके शरीर को दो समरूप भागों में विभाजित करती है।
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?Correct
व्याख्याः
प्राणियों को सममिति के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। उदाहरण के लिये स्पंज प्रायः असममिति होते हैं। असममिति का अर्थ है कोई अक्ष अथवा सतह जो इनके केंद्र से गुजरती है, इनके शरीर को दो बराबर भागों में विभाजित नहीं करती। अतः युग्म 1 सही सुमेलित है।
सीलेंटरेट, टीनोफोर और एकाइनोडर्म में अरीय सममिति होती है। अरीय सममिति अर्थात् कोई अक्ष अथवा सतह किसी जीव की केन्द्रीय अक्ष से गुजरती है, तो उसके शरीर को दो समरूप भागों में विभाजित करती है। अतः कथन 2 गलत सुमेलित है।
यदि एक ही अक्ष अथवा सतह से गुजरने वाली रेखा द्वारा प्राणी के शरीर को दो समरूप दाएँ और बाएँ भाग में बाँटा जा सकता है तो ऐसी सममिति द्विपार्श्व सममिति कहलाती है। एनेलिडा और आर्थोपोडा में ऐसी ही सममिति पायी जाती है। अतः कथन 3 भी गलत सुमेलित है।Incorrect
व्याख्याः
प्राणियों को सममिति के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। उदाहरण के लिये स्पंज प्रायः असममिति होते हैं। असममिति का अर्थ है कोई अक्ष अथवा सतह जो इनके केंद्र से गुजरती है, इनके शरीर को दो बराबर भागों में विभाजित नहीं करती। अतः युग्म 1 सही सुमेलित है।
सीलेंटरेट, टीनोफोर और एकाइनोडर्म में अरीय सममिति होती है। अरीय सममिति अर्थात् कोई अक्ष अथवा सतह किसी जीव की केन्द्रीय अक्ष से गुजरती है, तो उसके शरीर को दो समरूप भागों में विभाजित करती है। अतः कथन 2 गलत सुमेलित है।
यदि एक ही अक्ष अथवा सतह से गुजरने वाली रेखा द्वारा प्राणी के शरीर को दो समरूप दाएँ और बाएँ भाग में बाँटा जा सकता है तो ऐसी सममिति द्विपार्श्व सममिति कहलाती है। एनेलिडा और आर्थोपोडा में ऐसी ही सममिति पायी जाती है। अतः कथन 3 भी गलत सुमेलित है। -
Question 16 of 20
16. Question
1 pointsसूची-I को सूची-II से सही सुमेलित कीजिये और सूचियों के नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
सूची-I
(विशेषता) सूची-II
(उदाहरण)
A. द्विकोरिक (Diploblastic) 1. सिलेंटरेटा
B. त्रिकोरिक (Triploblastic) 2. एनेलिडा
C. अगुहीय (Acoelomates) 3. प्लेटीहेल्मिंथीज
D. विखण्डावस्था (Metamerism) 4. रज्जुकी
कूटः
A B C DCorrect
व्याख्याः विकल्प (b) सही उत्तर है।
जिन प्राणियों में कोशिकाएँ दो भ्रूणीय स्तरों बाह्य एक्टोडर्म (बाह्य त्वचा) और आतंरिक एंडोडर्म (अंतः त्वचा) में व्यवस्थित होती हैं, उन्हें द्विकोरिक कहते हैं। सिलेंटरेटा द्विकोरिक प्राणी का उदाहरण है।
जिन प्राणियों में कोशिकाएँ तीन भ्रूणीय स्तरों बाह्य एक्टोडर्म, आतंरिक एंडोडर्म और मीजोडर्म (Mesoderm) में व्यवस्थित होती हैं, उन्हें त्रिकोरिक कहते हैं। प्लेटीहेल्मिंथीज से रज्जुकी (Chordates) तक के प्राणी इसके उदाहरण हैं।
जिन प्राणियों में शरीर गुहा नहीं पाई जाती है वे अगुहीय कहलाते हैं। प्लेटीहेल्मिंथीज इसके उदाहरण हैं।
कुछ प्राणियों के शरीर बाह्य और आतंरिक दोनों ओर श्रेणीबद्ध खण्डों में विभाजित होता है, जिसमें कुछ अंगों की पुनरावृत्ति भी होती है। यह प्रक्रिया खंडीभवन (सैगमेंटेशन) कहलाती है। केंचुए जो ऐनेलिडा संघ का प्राणी है, का शरीर ऐसा ही होता है अर्थात् उसके शरीर का विखंडी खंडीभवन (Metameric Segmentation) होता है और यह विखंडावस्था कहलाती है।Incorrect
व्याख्याः विकल्प (b) सही उत्तर है।
जिन प्राणियों में कोशिकाएँ दो भ्रूणीय स्तरों बाह्य एक्टोडर्म (बाह्य त्वचा) और आतंरिक एंडोडर्म (अंतः त्वचा) में व्यवस्थित होती हैं, उन्हें द्विकोरिक कहते हैं। सिलेंटरेटा द्विकोरिक प्राणी का उदाहरण है।
जिन प्राणियों में कोशिकाएँ तीन भ्रूणीय स्तरों बाह्य एक्टोडर्म, आतंरिक एंडोडर्म और मीजोडर्म (Mesoderm) में व्यवस्थित होती हैं, उन्हें त्रिकोरिक कहते हैं। प्लेटीहेल्मिंथीज से रज्जुकी (Chordates) तक के प्राणी इसके उदाहरण हैं।
जिन प्राणियों में शरीर गुहा नहीं पाई जाती है वे अगुहीय कहलाते हैं। प्लेटीहेल्मिंथीज इसके उदाहरण हैं।
कुछ प्राणियों के शरीर बाह्य और आतंरिक दोनों ओर श्रेणीबद्ध खण्डों में विभाजित होता है, जिसमें कुछ अंगों की पुनरावृत्ति भी होती है। यह प्रक्रिया खंडीभवन (सैगमेंटेशन) कहलाती है। केंचुए जो ऐनेलिडा संघ का प्राणी है, का शरीर ऐसा ही होता है अर्थात् उसके शरीर का विखंडी खंडीभवन (Metameric Segmentation) होता है और यह विखंडावस्था कहलाती है। -
Question 17 of 20
17. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. इनके अंतर्गत सामान्यतः स्पंज आते हैं।
2. ये सामान्यतः लवणीय और असममित होते हैं।
3. इनमें जल परिवहन और नाल-तंत्र पाया जाता है।
4. ये उभयलिंगी होते हैं।
उपर्युक्त विशेषताएँ किस संघ को संदर्भित करती हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त सभी विशेषताएँ पोरिफेरा संघ की हैं।
इनके अंतर्गत सामान्यतः स्पंज आते हैं। ये सामान्यतः लवणीय और असममित होते हैं। इनमें जल परिवहन और नाल-तंत्र पाया जाता है। स्पंज में नर और मादा अलग अलग नहीं होते हैं अर्थात् ये उभयलिंगी होते हैं। इनमें संगठन का स्तर कोशिकीय होता है।
एनेलिडा, टीनोफोरा, पोरिफेरा और एस्केल्मिंथीज सभी प्राणी जगत के अंतर्गत आते हैं। प्राणी जगत को विभिन्न संघों में विभाजित किया गया है जिसे निम्न प्रकार से समझा जा सकता है-Incorrect
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Question 18 of 20
18. Question
1 pointsप्राणियों के वर्गीकरण के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. सिलेंट्रेटा जलीय होते हैं।
2. टीनोफोरा को कंकाल जैली (कॉम्ब जैली) कहते हैं।
3. प्लेटीहेल्मिंथीज के अंतर्गत आने वाले प्राणी पृष्ठाधार रूप से चपटे शरीर (Dorso-ventrally flattened body) वाले होते हैं।
4. एस्केल्मिंथीज प्राणियों का शरीर अनुप्रस्थ काट में गोलाकार होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
सिलेंट्रेटा जलीय होते हैं तथा अधिकांशतः समुद्री स्थावर या मुक्त रूप से तैरने वाले सममिति प्राणी हैं। इन्हें नाइडेरिया नाम से भी जाना जाता है। इनमें ऊतक स्तरीय संगठन होता है तथा ये द्विकोश्की (Diploblastic) होते हैं। इनमें पाचन अंतःकोशिक तथा अंतराकोशिकीय दोनों होता है। हाइड्रा, ओरेलिया, ओबेलिया, फाइसेलिया आदि इस संघ के उदाहरण हैं।
टीनोफोरा को सामान्यतः समुद्री अखरोट (सी वालनट) अथवा कंकाल जैली (कॉम्ब जैली) कहते हैं। या सभी समुद्रवासी अरीय सममिति, द्विकोरिक जीव होते हैं तथा इनमें भी ऊतक श्रेणी का संगठन होता है। इनमें पाचन अंतःकोशिक तथा अंतराकोशिकीय दोनों होता है। प्राणियों के द्वारा प्रकाश उत्सर्जन अर्थात् जीवसंदीप्ती टीनोफोरा की मुख्य विशेषता है। इनमें नर और मादा अलग नहीं होते हैं तथा जनन केवल लैंगिक होता है।
प्लेटीहेल्मिंथीज के अंतर्गत आने वाले प्राणी पृष्ठाधार रूप से चपटे शरीर (Dorso-ventrally flattened body) वाले होते हैं। अतः इन्हें चपटे कृमि भी कहा जाता है। इस समूह के अधिकांश प्राणी मनुष्य और अन्य प्राणियों में अंतः परजीवी के रूप में पाए जाते हैं। ये द्विपार्श्व सममिति, त्रिकोरिक और अप्रगुही होते हैं। इनमें भी नर और मादा अलग नहीं होते हैं। टीनिया (फीताकृमि), फेसियोला (पर्णकृमि) इसके उदाहरण हैं।
एस्केल्मिंथीज प्राणियों का शरीर अनुप्रस्थ काट में गोलाकार होता है। अतः इन्हें गोलकृमि भी कहते हैं। ये मुक्तजीवी, जलीय अथवा स्थलीय और पौधों तथा प्राणियों में परजीवी भी होते हैं। ये द्विपार्श्व सममिति, त्रिकोरिक और कूटप्रगुही होते हैं। इनका शरीर संगठन अंगतंत्र स्तर का होता है। एस्केरिस (गोलकृमि), वुचेरिया (फाइलेरियाकृमि) आदि इसके उदाहरण हैं।Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
सिलेंट्रेटा जलीय होते हैं तथा अधिकांशतः समुद्री स्थावर या मुक्त रूप से तैरने वाले सममिति प्राणी हैं। इन्हें नाइडेरिया नाम से भी जाना जाता है। इनमें ऊतक स्तरीय संगठन होता है तथा ये द्विकोश्की (Diploblastic) होते हैं। इनमें पाचन अंतःकोशिक तथा अंतराकोशिकीय दोनों होता है। हाइड्रा, ओरेलिया, ओबेलिया, फाइसेलिया आदि इस संघ के उदाहरण हैं।
टीनोफोरा को सामान्यतः समुद्री अखरोट (सी वालनट) अथवा कंकाल जैली (कॉम्ब जैली) कहते हैं। या सभी समुद्रवासी अरीय सममिति, द्विकोरिक जीव होते हैं तथा इनमें भी ऊतक श्रेणी का संगठन होता है। इनमें पाचन अंतःकोशिक तथा अंतराकोशिकीय दोनों होता है। प्राणियों के द्वारा प्रकाश उत्सर्जन अर्थात् जीवसंदीप्ती टीनोफोरा की मुख्य विशेषता है। इनमें नर और मादा अलग नहीं होते हैं तथा जनन केवल लैंगिक होता है।
प्लेटीहेल्मिंथीज के अंतर्गत आने वाले प्राणी पृष्ठाधार रूप से चपटे शरीर (Dorso-ventrally flattened body) वाले होते हैं। अतः इन्हें चपटे कृमि भी कहा जाता है। इस समूह के अधिकांश प्राणी मनुष्य और अन्य प्राणियों में अंतः परजीवी के रूप में पाए जाते हैं। ये द्विपार्श्व सममिति, त्रिकोरिक और अप्रगुही होते हैं। इनमें भी नर और मादा अलग नहीं होते हैं। टीनिया (फीताकृमि), फेसियोला (पर्णकृमि) इसके उदाहरण हैं।
एस्केल्मिंथीज प्राणियों का शरीर अनुप्रस्थ काट में गोलाकार होता है। अतः इन्हें गोलकृमि भी कहते हैं। ये मुक्तजीवी, जलीय अथवा स्थलीय और पौधों तथा प्राणियों में परजीवी भी होते हैं। ये द्विपार्श्व सममिति, त्रिकोरिक और कूटप्रगुही होते हैं। इनका शरीर संगठन अंगतंत्र स्तर का होता है। एस्केरिस (गोलकृमि), वुचेरिया (फाइलेरियाकृमि) आदि इसके उदाहरण हैं। -
Question 19 of 20
19. Question
1 pointsप्राणी जगत के विभिन्न वर्गों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. केंचुआ और जोंक दोनों उभयलिंगाश्रयी हैं।
2. आर्थोपोडा प्राणी जगत का सबसे छोटा संघ है।
3. मोलस्का प्राणी जगत का दूसरा सबसे बड़ा समूह है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः
केंचुआ और जोंक एनेलिडा संघ के अंतर्गत आते हैं। एनेलिडा के प्राणी जलीय (लवणीय और अलवणीय जल) या स्थलीय स्वतंत्र जीव हैं। इनमें कुछ परजीवी भी आते हैं। ये अंगतंत्र स्तर के संगठन को प्रदर्शित करते हैं। ये द्विपार्श्व सममिति (Bilateral Symmetry), त्रिकोरिकी (Triploblastic) , विखंडित खंडित (Metamerically Segmented) और गुहीय (Coelomate) प्राणी होते हैं। इनकी शरीर की सतह स्पष्टतः खंड या विखंडों में बँटी होती है। नेरिस, फेरेटिमा (केंचुआ) और हीरुडिनेरिया (रक्तचूषक जोंक) एनेलिडा के उदाहरण हैं। नेरिस में नर तथा मादा अलग-अलग (एकलिंगाश्रयी) होते हैं लेकिन केंचुआ और जोंक में नर तथा मादा अलग नहीं (उभयलिंगाश्रयी) होते हैं। अतः कथन 1 सही है।
कथन 2 गलत है क्योंकि आर्थोपोडा प्राणी जगत का सबसे बड़ा संघ है। इसमें कीट भी सम्मिलित हैं। पृथ्वी पर लगभग दो तिहाई जातियाँ आर्थोपोडा ही हैं। ये द्विपार्श्व सममिति (Bilaterally Symmetrical), त्रिकोरिकी, विखंडित (Segmented) और प्रगुही (Coelomate) प्राणी होते हैं। इनका शरीर काईटीनी वहिकंकाल का बना होता है। इसमें नर और मादा पृथक होते हैं और अधिकांशतः अंडप्रजक होते हैं।
मोलस्का प्राणी जगत का दूसरा सबसे बड़ा समूह है। अतः कथन 3 सही है। मोलस्का संघ के प्राणी जलीय (लवणीय और अलवणीय जल) या स्थलीय जीव होते हैं। ये द्विपार्श्व सममिति, त्रिकोरिकी और प्रगुही (Coelomate) प्राणी होते हैं। इनका शरीर कोमल लेकिन कठोर कैल्शियम के कवच से ढका होता है। इसमें नर और मादा पृथक होते हैं। इनका शरीर अखंडित, पेशीय पाद और एक अंतरंग ककुद होता है। भोजन के लिये रेतीजिह्वा (रेडुला अर्थात् रेती के समान घिसने का अंग) होती है। सामान्यतः इनमें नर और मादा अलग-अलग होते हैं।Incorrect
व्याख्याः
केंचुआ और जोंक एनेलिडा संघ के अंतर्गत आते हैं। एनेलिडा के प्राणी जलीय (लवणीय और अलवणीय जल) या स्थलीय स्वतंत्र जीव हैं। इनमें कुछ परजीवी भी आते हैं। ये अंगतंत्र स्तर के संगठन को प्रदर्शित करते हैं। ये द्विपार्श्व सममिति (Bilateral Symmetry), त्रिकोरिकी (Triploblastic) , विखंडित खंडित (Metamerically Segmented) और गुहीय (Coelomate) प्राणी होते हैं। इनकी शरीर की सतह स्पष्टतः खंड या विखंडों में बँटी होती है। नेरिस, फेरेटिमा (केंचुआ) और हीरुडिनेरिया (रक्तचूषक जोंक) एनेलिडा के उदाहरण हैं। नेरिस में नर तथा मादा अलग-अलग (एकलिंगाश्रयी) होते हैं लेकिन केंचुआ और जोंक में नर तथा मादा अलग नहीं (उभयलिंगाश्रयी) होते हैं। अतः कथन 1 सही है।
कथन 2 गलत है क्योंकि आर्थोपोडा प्राणी जगत का सबसे बड़ा संघ है। इसमें कीट भी सम्मिलित हैं। पृथ्वी पर लगभग दो तिहाई जातियाँ आर्थोपोडा ही हैं। ये द्विपार्श्व सममिति (Bilaterally Symmetrical), त्रिकोरिकी, विखंडित (Segmented) और प्रगुही (Coelomate) प्राणी होते हैं। इनका शरीर काईटीनी वहिकंकाल का बना होता है। इसमें नर और मादा पृथक होते हैं और अधिकांशतः अंडप्रजक होते हैं।
मोलस्का प्राणी जगत का दूसरा सबसे बड़ा समूह है। अतः कथन 3 सही है। मोलस्का संघ के प्राणी जलीय (लवणीय और अलवणीय जल) या स्थलीय जीव होते हैं। ये द्विपार्श्व सममिति, त्रिकोरिकी और प्रगुही (Coelomate) प्राणी होते हैं। इनका शरीर कोमल लेकिन कठोर कैल्शियम के कवच से ढका होता है। इसमें नर और मादा पृथक होते हैं। इनका शरीर अखंडित, पेशीय पाद और एक अंतरंग ककुद होता है। भोजन के लिये रेतीजिह्वा (रेडुला अर्थात् रेती के समान घिसने का अंग) होती है। सामान्यतः इनमें नर और मादा अलग-अलग होते हैं। -
Question 20 of 20
20. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. यूरोकॉर्डेटा या ट्यूनिकेटा 2. सेफैलोकॉर्डेटा 3. वर्टीब्रेटा
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कॉर्डेटा संघ के अंतर्गत आता/आते है/हैं?Correct
व्याख्याः कॉर्डेटा संघ को तीन उपसघों में विभाजित किया गया है- यूरोकॉर्डेटा या ट्यूनिकेटा, सेफैलोकॉर्डेटा और वर्टीब्रेटा (कशेरुकी)। उपसंघ यूरोकॉर्डेटा और सेफैलोकॉर्डेटा को सामान्यतः प्रोटोकॉर्डेटा कहते हैं। ये सभी समुद्री प्राणी हैं। यूरोकॉर्डेटा में पृष्ठ रज्जु केवल लारवा की पूँछ में पाई जाती है जबकि सेफैलोकॉर्डेटा में पृष्ठ रज्जु सर से पूँछ तक फैली रहती है जो कि जीवन के अंत तक बनी रहती है। वर्टीब्रेटा के प्राणियों में पृष्ठरज्जु भ्रूणीय अवस्था में पाई जाती है। व्यस्क में पृष्ठ रज्जु अस्थिल अथवा उपास्थिल मेरुदंड में परिवर्तित हो जाती है। कशेरुकी रज्जुकी भी हैं परंतु सभी रज्जुकी कशेरुकी नहीं होते। रज्जुकी के मुख्य लक्षण के अतिरिक्त कशेरुकी में दो, तीन अथवा चार प्रकोष्ठ वाला पेशीय अधर हृदय होता है।
Incorrect
व्याख्याः कॉर्डेटा संघ को तीन उपसघों में विभाजित किया गया है- यूरोकॉर्डेटा या ट्यूनिकेटा, सेफैलोकॉर्डेटा और वर्टीब्रेटा (कशेरुकी)। उपसंघ यूरोकॉर्डेटा और सेफैलोकॉर्डेटा को सामान्यतः प्रोटोकॉर्डेटा कहते हैं। ये सभी समुद्री प्राणी हैं। यूरोकॉर्डेटा में पृष्ठ रज्जु केवल लारवा की पूँछ में पाई जाती है जबकि सेफैलोकॉर्डेटा में पृष्ठ रज्जु सर से पूँछ तक फैली रहती है जो कि जीवन के अंत तक बनी रहती है। वर्टीब्रेटा के प्राणियों में पृष्ठरज्जु भ्रूणीय अवस्था में पाई जाती है। व्यस्क में पृष्ठ रज्जु अस्थिल अथवा उपास्थिल मेरुदंड में परिवर्तित हो जाती है। कशेरुकी रज्जुकी भी हैं परंतु सभी रज्जुकी कशेरुकी नहीं होते। रज्जुकी के मुख्य लक्षण के अतिरिक्त कशेरुकी में दो, तीन अथवा चार प्रकोष्ठ वाला पेशीय अधर हृदय होता है।