सामान्य विज्ञान टेस्ट 10
सामान्य विज्ञान टेस्ट 10
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न एन.सी.ई.आर.टी. पर आधारित है|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
1. स्थिर वैद्युत अवक्षेपित (इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिपेटेटर) कणिकीय पदार्थों को हटाने का सर्वोत्तम तरीका है।
2. पीएम 4.5 आकार के कणिकीय पदार्थ मानव स्वास्थ्य के लिये सबसे अधिक नुकसानदेह हैं।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः
पहला कथन सत्य है। कणिकीय पदार्थों को निकालने के लिये सबसे अधिक व्यापक तरीका स्थिर वैद्युत अवक्षेपित (इलैक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिपेटेटर) है जो ताप विद्युत संयंत्र के निर्वातक (Exhaust) में मौजूद 99 प्रतिशत कणिकीय पदार्थों को हटा देता है। स्थिर वैद्युत अवक्षेपित में एक इलैक्ट्रोड तार होता है, जिससे होकर हज़ारों वोल्ट गुजरता है तथा यह करोना उत्पन्न करता है और इससे इलेक्ट्रॉन निकलते हैं। ये इलेक्ट्रॉन धूल के कणों से सट जाते हैं और इन्हें ऋण आवेश प्रदान करते हैं। इससे संचायक पट्टिकाएँ नीचे की ओर आ जाती हैं और आवेशित धूल कणों को आकर्षित करती हैं।
दूसरा कथन असत्य है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार 2.5 माइक्रोमीटर या कम व्यास के आकार (पीएम 2.5) के कणिकीय पदार्थ मानव स्वास्थ्य के लिये सबसे अधिक नुकसानदेह हैं। जब मनुष्य साँस लेता है तो ये सूक्ष्म कणिकीय पदार्थ फेफड़ों के भीतर चले जाते हैं तथा ये फेफड़ों को क्षति पहुँचाते हैं।Incorrect
व्याख्याः
पहला कथन सत्य है। कणिकीय पदार्थों को निकालने के लिये सबसे अधिक व्यापक तरीका स्थिर वैद्युत अवक्षेपित (इलैक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिपेटेटर) है जो ताप विद्युत संयंत्र के निर्वातक (Exhaust) में मौजूद 99 प्रतिशत कणिकीय पदार्थों को हटा देता है। स्थिर वैद्युत अवक्षेपित में एक इलैक्ट्रोड तार होता है, जिससे होकर हज़ारों वोल्ट गुजरता है तथा यह करोना उत्पन्न करता है और इससे इलेक्ट्रॉन निकलते हैं। ये इलेक्ट्रॉन धूल के कणों से सट जाते हैं और इन्हें ऋण आवेश प्रदान करते हैं। इससे संचायक पट्टिकाएँ नीचे की ओर आ जाती हैं और आवेशित धूल कणों को आकर्षित करती हैं।
दूसरा कथन असत्य है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार 2.5 माइक्रोमीटर या कम व्यास के आकार (पीएम 2.5) के कणिकीय पदार्थ मानव स्वास्थ्य के लिये सबसे अधिक नुकसानदेह हैं। जब मनुष्य साँस लेता है तो ये सूक्ष्म कणिकीय पदार्थ फेफड़ों के भीतर चले जाते हैं तथा ये फेफड़ों को क्षति पहुँचाते हैं। -
Question 2 of 20
2. Question
1 pointsनिम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये:
1. पर्यावरण (संरक्षा) अधिनियम – 1986
2. जल प्रदूषण निरोध एवं नियंत्रण अधिनियम – 1974
3. वायु प्रदूषण निरोध एवं नियंत्रण अधिनियम – 1981
उपरोक्त में से कौन-सा/से युग्म सही सुमेलित है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त तीनों युग्म सही सुमेलित हैं-
पर्यावरण (संरक्षा) अधिनियम – 1986
जल प्रदूषण निरोध एवं नियंत्रण अधिनियम – 1974
वायु प्रदूषण निरोध एवं नियंत्रण अधिनियम – 1981Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त तीनों युग्म सही सुमेलित हैं-
पर्यावरण (संरक्षा) अधिनियम – 1986
जल प्रदूषण निरोध एवं नियंत्रण अधिनियम – 1974
वायु प्रदूषण निरोध एवं नियंत्रण अधिनियम – 1981 -
Question 3 of 20
3. Question
1 pointsडीज़ल या पेट्रोल की जगह संपीडित प्राकृतिक गैस (सीएनजी) को प्रयोग करने का प्रमुख कारण है-
1. वाहनों में सीएनजी के जलने के बाद अवशेष कम बचता है।
2. इसमें किसी तरह की मिलावट नहीं की जा सकती है।
3. सीएनजी गैस का प्रमुख संघटक मीथेन है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।Correct
व्याख्याः डीज़ल या पेट्रोल की जगह संपीडित प्राकृतिक गैस (सीएनजी) प्रयोग करने के प्रमुख कारण हैं-
वाहनों में सीएनजी सबसे अच्छी तरह से जलता है और बहुत ही कम मात्रा में जलने से बचता है, जबकि डीज़ल या पेट्रोल के मामले में ऐसा नहीं है।
सीएनजी डीज़ल व पेट्रोल से सस्ता है।
सीएनजी की चोरी नहीं की जा सकती है और डीज़ल या पेट्रोल की तरह इसे अपमिश्रित (मिलावट) नहीं किया जा सकता।
इसका मुख्य संघटक मीथेन होती है। इसके अलावा इसमें ईथेन और प्रोपेन गैस भी होती हैं।
सीएनजी चूँकि प्राकृतिक गैस का संपीडित रूप है। इसलिये संपीडन से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन काफी कम हो जाता है। इस कारण से यह एक पर्यावरण हितैषी ईंधन है।Incorrect
व्याख्याः डीज़ल या पेट्रोल की जगह संपीडित प्राकृतिक गैस (सीएनजी) प्रयोग करने के प्रमुख कारण हैं-
वाहनों में सीएनजी सबसे अच्छी तरह से जलता है और बहुत ही कम मात्रा में जलने से बचता है, जबकि डीज़ल या पेट्रोल के मामले में ऐसा नहीं है।
सीएनजी डीज़ल व पेट्रोल से सस्ता है।
सीएनजी की चोरी नहीं की जा सकती है और डीज़ल या पेट्रोल की तरह इसे अपमिश्रित (मिलावट) नहीं किया जा सकता।
इसका मुख्य संघटक मीथेन होती है। इसके अलावा इसमें ईथेन और प्रोपेन गैस भी होती हैं।
सीएनजी चूँकि प्राकृतिक गैस का संपीडित रूप है। इसलिये संपीडन से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन काफी कम हो जाता है। इस कारण से यह एक पर्यावरण हितैषी ईंधन है। -
Question 4 of 20
4. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
1. जलाशयों में काफी मात्रा में पोषकों की उपस्थिति के कारण प्लवकीय शैवाल की अतिशय वृद्धि को शैवाल प्रस्फुटन कहते हैं।
2. शैवाल प्रस्फुटन से जल की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?Correct
व्याख्याः
पहला कथन सत्य है। जब जलाशयों में काफी मात्रा में पोषकों की उपस्थिति पाई जाती है, तब इन पोषकों के कारण प्लवकीय (मुक्त-प्लावी) शैवाल की अतिशय वृद्धि होती है। इसे शैवाल प्रस्फुटन (अल्गी ब्लूम) कहा जाता है। शैवालों की वृद्धि के कारण जलाशयों का रंग विशेष प्रकार का हो जाता है।
दूसरा कथन असत्य है। शैवाल प्रस्फुटन के कारण जल की गुणवत्ता घट जाती है और मछलियाँ मर जाती हैं। कुछ प्रस्फुटनकारी शैवाल मनुष्य और जानवरों के लिये अतिशय विषैले होते हैं।Incorrect
व्याख्याः
पहला कथन सत्य है। जब जलाशयों में काफी मात्रा में पोषकों की उपस्थिति पाई जाती है, तब इन पोषकों के कारण प्लवकीय (मुक्त-प्लावी) शैवाल की अतिशय वृद्धि होती है। इसे शैवाल प्रस्फुटन (अल्गी ब्लूम) कहा जाता है। शैवालों की वृद्धि के कारण जलाशयों का रंग विशेष प्रकार का हो जाता है।
दूसरा कथन असत्य है। शैवाल प्रस्फुटन के कारण जल की गुणवत्ता घट जाती है और मछलियाँ मर जाती हैं। कुछ प्रस्फुटनकारी शैवाल मनुष्य और जानवरों के लिये अतिशय विषैले होते हैं। -
Question 5 of 20
5. Question
1 pointsकिस पादप को बंगाल का आतंक कहा जाता है?
Correct
व्याख्याः
हायसिंथ (आइकोर्निया केसिपीज) जल पादप हैं। जो विश्व के सबसे अधिक समस्या उत्पन्न करने वाले जलीय खरपतवार हैं इसे बंगाल का आतंक कहा जाता है। ये पादप सुपोषी जलाशयों में काफी वृद्धि करते हैं तथा पारितंत्र गति को असंतुलित कर देते हैं।Incorrect
व्याख्याः
हायसिंथ (आइकोर्निया केसिपीज) जल पादप हैं। जो विश्व के सबसे अधिक समस्या उत्पन्न करने वाले जलीय खरपतवार हैं इसे बंगाल का आतंक कहा जाता है। ये पादप सुपोषी जलाशयों में काफी वृद्धि करते हैं तथा पारितंत्र गति को असंतुलित कर देते हैं। -
Question 6 of 20
6. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा कथन जैव आवर्धन (बायोमेग्निफिकेशन) को सही तरीके से परिभाषित करता है?
Correct
व्याख्याः जैव आवर्धन (बायोमैग्निफिकेशन) का तात्पर्य है, क्रमिक पोषण स्तर (ट्रॉफिक लेवल) पर आविषाक्त की सांद्रता में वृद्धि होना। इसका कारण है जीव द्वारा सगृहीत अविषालु पदार्थ उपापचयित या उत्सर्जित नहीं हो सकता और इस प्रकार यह अगले उच्चतर पोषण स्तर पर पहुँच जाता है। उद्योगों के अपशिष्ट जल में विद्यमान प्रायः कुछ विषैले पदार्थों में जलीय खाद्य शृंखला जैव आवर्धन कर सकते हैं।
Incorrect
व्याख्याः जैव आवर्धन (बायोमैग्निफिकेशन) का तात्पर्य है, क्रमिक पोषण स्तर (ट्रॉफिक लेवल) पर आविषाक्त की सांद्रता में वृद्धि होना। इसका कारण है जीव द्वारा सगृहीत अविषालु पदार्थ उपापचयित या उत्सर्जित नहीं हो सकता और इस प्रकार यह अगले उच्चतर पोषण स्तर पर पहुँच जाता है। उद्योगों के अपशिष्ट जल में विद्यमान प्रायः कुछ विषैले पदार्थों में जलीय खाद्य शृंखला जैव आवर्धन कर सकते हैं।
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsकिसी भी झील की अधिक उम्र होने के साथ उसमें पोषक तत्त्वों के बढ़ने से जैव समृद्धि बढ़ती जाती है। यह परिघटना कहलाती है।
Correct
व्याख्याः सुपोषण (यूट्रॉफिकेशन) झील का प्राकृतिक काल-प्रभावन (एजिंग) को दर्शाती है। यानी झील अधिक उम्र की हो जाती है। यह इसके जल की जैव समृद्धि के कारण होता है। तरुण (कम उम्र की) झील का जल शीतल और स्वच्छ होता है। समय के साथ-साथ, इसमें सरिता के जल के साथ पोषक तत्त्व जैसे नाइट्रोजन और फॉस्फोरस आते रहते हैं जिसके कारण जलीय जीवों में वृद्धि होती रहती है। जैसे-जैसे झील की उर्वरता बढ़ती है, वैसे-वैसे पादप और प्राणी जीवन बढ़ने लगता है और कार्बनिक अवशेष झील के तल में बैठने लगते हैं। सैकड़ों वर्षों में इसमें जैसे-जैसे अवसाद (सिल्ट) और जैव मलबे (आर्गेनिक मलबा) का ढेर लगता जाता है वैसे-वैसे झील उथली और गर्म होती जाती है। झील में ठंडे पर्यावरण वाले जीवों के स्थान पर उष्णजल जीव रहने लगते हैं। कच्छ पादप उथली जगह पर जड़ जमा लेते हैं और झील की मूल द्रोणी (बेसिन) को भरने लगते हैं। उथले झील में अब कच्छ पादप उग आते हैं और मूल झील बेसिन उनसे भर जाता है। कालांतर में झील काफी संख्या में प्लावी पादपों (दलदल/बॉग) से भर जाता है और अंत में यह भूमि में परिवर्तित हो जाती है। जलवायु, झील का साइज और अन्य कारकों के अनुसार झील का यह प्राकृतिक काल-प्रभावन हज़ारों वर्षों में होता है। फिर भी मनुष्य के क्रिया कलाप, जैसे उद्योगों और घरों के बहिःस्राव काल-प्रभावन प्रक्रम में मूलतः तेज़ी ला सकते हैं। इस प्रक्रिया को संवर्ध (कल्चरल) या त्वरित सुपोषण (एक्सिलरेटेड यूट्रॉफिकेशन) कहा जाता है।
Incorrect
व्याख्याः सुपोषण (यूट्रॉफिकेशन) झील का प्राकृतिक काल-प्रभावन (एजिंग) को दर्शाती है। यानी झील अधिक उम्र की हो जाती है। यह इसके जल की जैव समृद्धि के कारण होता है। तरुण (कम उम्र की) झील का जल शीतल और स्वच्छ होता है। समय के साथ-साथ, इसमें सरिता के जल के साथ पोषक तत्त्व जैसे नाइट्रोजन और फॉस्फोरस आते रहते हैं जिसके कारण जलीय जीवों में वृद्धि होती रहती है। जैसे-जैसे झील की उर्वरता बढ़ती है, वैसे-वैसे पादप और प्राणी जीवन बढ़ने लगता है और कार्बनिक अवशेष झील के तल में बैठने लगते हैं। सैकड़ों वर्षों में इसमें जैसे-जैसे अवसाद (सिल्ट) और जैव मलबे (आर्गेनिक मलबा) का ढेर लगता जाता है वैसे-वैसे झील उथली और गर्म होती जाती है। झील में ठंडे पर्यावरण वाले जीवों के स्थान पर उष्णजल जीव रहने लगते हैं। कच्छ पादप उथली जगह पर जड़ जमा लेते हैं और झील की मूल द्रोणी (बेसिन) को भरने लगते हैं। उथले झील में अब कच्छ पादप उग आते हैं और मूल झील बेसिन उनसे भर जाता है। कालांतर में झील काफी संख्या में प्लावी पादपों (दलदल/बॉग) से भर जाता है और अंत में यह भूमि में परिवर्तित हो जाती है। जलवायु, झील का साइज और अन्य कारकों के अनुसार झील का यह प्राकृतिक काल-प्रभावन हज़ारों वर्षों में होता है। फिर भी मनुष्य के क्रिया कलाप, जैसे उद्योगों और घरों के बहिःस्राव काल-प्रभावन प्रक्रम में मूलतः तेज़ी ला सकते हैं। इस प्रक्रिया को संवर्ध (कल्चरल) या त्वरित सुपोषण (एक्सिलरेटेड यूट्रॉफिकेशन) कहा जाता है।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsझील में शैवाल की अतिशय वृद्धि के कारण अरमणीक मलफेन (स्कम) बनते हैं तथा झील से अरुचिकर गंध निकलने लगती है। इसका प्रमुख कारण है-
1. जलाशय में नाइट्रेट और फॉस्फोरस जैसे प्रदूषकों की अत्यधिक वृद्धि।2. जलीय पारितंत्र में विदेशज प्रजातियों का आक्रमण।
3. वातावरण में सल्फर-डाइऑक्साइड गैस की मात्रा में वृद्धि होना।
कूटः
Correct
व्याख्याः पिछली शताब्दी में पृथ्वी के कई भागों में झीलों का वाहित मल, कृषि और औद्योगिक अपशिष्ट के कारण तीव्र सुपोषण हुआ है। इसके मुख्य संदूषक नाइट्रेट और फॉस्फोरस हैं, जो पौधों के लिये पोषक का कार्य करते हैं। इन पोषकों के कारण शैवाल की वृद्धि अति उद्दीप्त होती है, जिसकी वज़ह से अरमणीक मलफेन (स्कम) बनते हैं तथा अरुचिकर गंध निकलती है। ऐसा होने से जल में विलीन ऑक्सीजन जो अन्य जल-जीवों के लिये अनिवार्य (वाइटल) है, समाप्त हो जाती है। साथ ही झील में बहकर आने वाले अन्य प्रदूषक संपूर्ण मत्स्य समष्टि को विषाक्त कर सकता है। जिनके अपघटन के अपशेष से जल में विलीन ऑक्सीजन की मात्रा और कम हो जाती है। इस प्रकार झील घुट-घुट कर मर जाती है।
Incorrect
व्याख्याः पिछली शताब्दी में पृथ्वी के कई भागों में झीलों का वाहित मल, कृषि और औद्योगिक अपशिष्ट के कारण तीव्र सुपोषण हुआ है। इसके मुख्य संदूषक नाइट्रेट और फॉस्फोरस हैं, जो पौधों के लिये पोषक का कार्य करते हैं। इन पोषकों के कारण शैवाल की वृद्धि अति उद्दीप्त होती है, जिसकी वज़ह से अरमणीक मलफेन (स्कम) बनते हैं तथा अरुचिकर गंध निकलती है। ऐसा होने से जल में विलीन ऑक्सीजन जो अन्य जल-जीवों के लिये अनिवार्य (वाइटल) है, समाप्त हो जाती है। साथ ही झील में बहकर आने वाले अन्य प्रदूषक संपूर्ण मत्स्य समष्टि को विषाक्त कर सकता है। जिनके अपघटन के अपशेष से जल में विलीन ऑक्सीजन की मात्रा और कम हो जाती है। इस प्रकार झील घुट-घुट कर मर जाती है।
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Question 9 of 20
9. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सी बीमारियाँ प्रदूषित जल के उपयोग से होती हैं?
1.पेचिश (अतिसार)
2. टाइफाइड
3. पीलिया (जाँडिस)
4. हैजा (कोलरा)
कूटः
Correct
व्याख्याः हमारे घरों के साथ-साथ अस्पतालों के वाहित मल में बहुत से अवांछित रोगजनक सूक्ष्मजीव हो सकते हैं और उचित उपचार के बिना इसको जल में विसर्जित करने से मानव को कठिन रोग जैसे- पेचिस (अतिसार), टाइफाइड, पीलिया (जांडिस), हैजा (कोलरा) आदि हो सकते हैं।
Incorrect
व्याख्याः हमारे घरों के साथ-साथ अस्पतालों के वाहित मल में बहुत से अवांछित रोगजनक सूक्ष्मजीव हो सकते हैं और उचित उपचार के बिना इसको जल में विसर्जित करने से मानव को कठिन रोग जैसे- पेचिस (अतिसार), टाइफाइड, पीलिया (जांडिस), हैजा (कोलरा) आदि हो सकते हैं।
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Question 10 of 20
10. Question
1 pointsवायुमंडल में उपस्थित ग्रीन हॉउस गैसों में सर्वाधिक उपस्थित गैसों का उनके प्रतिशत के आधार पर सही क्रम है-
Correct
व्याख्याः ग्रीनहाउस गैसों में सर्वाधिक योगदान कार्बन-डाइऑक्साइड (60%) का है। इसके बाद मीथेन (20%), क्लोरो- फ्लोरोकार्बन (14%) तथा नाइट्रस ऑक्साइड (6%) का है।
Incorrect
व्याख्याः ग्रीनहाउस गैसों में सर्वाधिक योगदान कार्बन-डाइऑक्साइड (60%) का है। इसके बाद मीथेन (20%), क्लोरो- फ्लोरोकार्बन (14%) तथा नाइट्रस ऑक्साइड (6%) का है।
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Question 11 of 20
11. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये।
1. ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण पृथ्वी की सतह और वायुमंडल दोनों गर्म हो जाते हैं।
2. ग्रीनहाउस गैसें पृथ्वी से उत्सर्जित दीर्घ तरंग विकिरण को अवशोषित कर पुनः पृथ्वी की ओर उत्सर्जित करती हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
ग्रीनहाउस प्रभाव प्राकृतिक रूप से होने वाली परिघटना है, जिसके कारण पृथ्वी की सतह और वायुमंडल गर्म हो जाते हैं। यदि ग्रीनहाउस प्रभाव नहीं होता तो आज पृथ्वी का औसत तापमान 15 डिग्री सेंटीग्रेड रहने के बजाय ठंडा होकर-18 डिग्री सेंटीग्रेड रहता।
ग्रीनहाउस गैस पृथ्वी द्वारा उत्सर्जित दीर्घ तरंग (अवरक्त) विकिरण को अवशोषित करती है और पुनः पृथ्वी की ओर भेज देती है। यह चक्र अनेकों बार होता रहता है। इस प्रकार पृथ्वी की सतह और निम्नतर वायुमंडल गर्म होता रहता है।Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
ग्रीनहाउस प्रभाव प्राकृतिक रूप से होने वाली परिघटना है, जिसके कारण पृथ्वी की सतह और वायुमंडल गर्म हो जाते हैं। यदि ग्रीनहाउस प्रभाव नहीं होता तो आज पृथ्वी का औसत तापमान 15 डिग्री सेंटीग्रेड रहने के बजाय ठंडा होकर-18 डिग्री सेंटीग्रेड रहता।
ग्रीनहाउस गैस पृथ्वी द्वारा उत्सर्जित दीर्घ तरंग (अवरक्त) विकिरण को अवशोषित करती है और पुनः पृथ्वी की ओर भेज देती है। यह चक्र अनेकों बार होता रहता है। इस प्रकार पृथ्वी की सतह और निम्नतर वायुमंडल गर्म होता रहता है। -
Question 12 of 20
12. Question
1 pointsभारत की राष्ट्रीय वन नीति 1988 के तहत मैदानी इलाकों और पर्वतीय क्षेत्रों में कितना प्रतिशत वन क्षेत्र होना चाहिये?
Correct
व्याख्याः भारत की राष्ट्रीय वन नीति, 1988 के तहत सिफारिश की गई कि मैदानी इलाकों में 33 प्रतिशत वन क्षेत्र तथा पर्वतीय क्षेत्रों में 67 प्रतिशत जंगल क्षेत्र होना चाहिये।
Incorrect
व्याख्याः भारत की राष्ट्रीय वन नीति, 1988 के तहत सिफारिश की गई कि मैदानी इलाकों में 33 प्रतिशत वन क्षेत्र तथा पर्वतीय क्षेत्रों में 67 प्रतिशत जंगल क्षेत्र होना चाहिये।
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsओज़ोन परत की मोटाई मापने की यूनिट है-
Correct
व्याख्याः वायुमंडल के निचले भाग से लेकर शिखर तक के वायु स्तंभ (कॉलम) में ओज़ोन की मोटाई डॉब्सन यूनिट में मापी जाती है।
Incorrect
व्याख्याः वायुमंडल के निचले भाग से लेकर शिखर तक के वायु स्तंभ (कॉलम) में ओज़ोन की मोटाई डॉब्सन यूनिट में मापी जाती है।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsहमारी आँख का कौन-सा भाग पराबैंगनी-बी विकिरण का अवशोषण करता है?
Correct
व्याख्याः हमारी आँख का स्वच्छमंडल (कॉर्निया) पराबैंगनी-बी (यूवी-बी) विकिरण का अवशोषण करता है। इसकी उच्च मात्रा के कारण कार्निया का शोथ हो जाता है। जिसे हिम अंधता (Snow Blindness) मोतियाबिंद आदि कहा जाता है।
Incorrect
व्याख्याः हमारी आँख का स्वच्छमंडल (कॉर्निया) पराबैंगनी-बी (यूवी-बी) विकिरण का अवशोषण करता है। इसकी उच्च मात्रा के कारण कार्निया का शोथ हो जाता है। जिसे हिम अंधता (Snow Blindness) मोतियाबिंद आदि कहा जाता है।
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Question 15 of 20
15. Question
1 pointsओज़ोन परत के क्षय के कारण पराबैंगनी किरण पृथ्वी पर रहने वाले जीवों पर कौन-सा/से प्रभाव डालेगी/ डालेंगी?
1. सजीवों के डीएनए और प्रोटीन को भंग कर देंगी।
2. त्वचा कैंसर।
3. ग्रीनहाउस प्रभाव में वृद्धि।
कूटः
Correct
व्याख्याः समतापमंडल में ओज़ोन परत का क्षय विस्तृत रूप से होता है। लेकिन यह क्षय अंटार्कटिका क्षेत्र में खासकर विशेषरूप से अधिक होता है। इसके फलस्वरूप यहाँ काफी बड़े क्षेत्र में ओज़ोन की परत काफी पतली हो गई है। जिसे सामान्यतः ओज़ोन छिद्र (ओज़ोन होल) कहा जाता है। पराबैंगनी-बी (यूवी-बी) की अपेक्षा छोटे तरंगदैर्ध्य युक्त पराबैंगनी (यूवी) विकिरण पृथ्वी के वायुमंडल द्वारा लगभग पूरी अवशोषित हो जाती है। बशर्ते ओज़ोन स्तर ज्यों का त्यों रहे।
सजीवों के डीएनए और प्रोटीन खासकर पराबैंगनी (यूवी-बी) किरणों को अवशोषित करते हैं और इसकी उच्च ऊर्जा इन अणुओं के रासायनिक आबंध (केमिकल बॉण्डस) को भंग कर देती हैं जिसके कारण उत्परिवर्तन भी हो सकता है। इसके कारण त्वचा में बुढ़ापे के लक्षण दिखते हैं, इसकी कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त हो जाती है और विविध प्रकार के त्वचा कैंसर हो सकते हैं।Incorrect
व्याख्याः समतापमंडल में ओज़ोन परत का क्षय विस्तृत रूप से होता है। लेकिन यह क्षय अंटार्कटिका क्षेत्र में खासकर विशेषरूप से अधिक होता है। इसके फलस्वरूप यहाँ काफी बड़े क्षेत्र में ओज़ोन की परत काफी पतली हो गई है। जिसे सामान्यतः ओज़ोन छिद्र (ओज़ोन होल) कहा जाता है। पराबैंगनी-बी (यूवी-बी) की अपेक्षा छोटे तरंगदैर्ध्य युक्त पराबैंगनी (यूवी) विकिरण पृथ्वी के वायुमंडल द्वारा लगभग पूरी अवशोषित हो जाती है। बशर्ते ओज़ोन स्तर ज्यों का त्यों रहे।
सजीवों के डीएनए और प्रोटीन खासकर पराबैंगनी (यूवी-बी) किरणों को अवशोषित करते हैं और इसकी उच्च ऊर्जा इन अणुओं के रासायनिक आबंध (केमिकल बॉण्डस) को भंग कर देती हैं जिसके कारण उत्परिवर्तन भी हो सकता है। इसके कारण त्वचा में बुढ़ापे के लक्षण दिखते हैं, इसकी कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त हो जाती है और विविध प्रकार के त्वचा कैंसर हो सकते हैं। -
Question 16 of 20
16. Question
1 pointsओज़ोन परत को नुकसान पहुँचाने के लिये निम्न में से कौन-सी गैस ज़िम्मेवार हैं?
Correct
व्याख्याः समतापमंडल में ओज़ोन के उत्पादन और अवक्षय निम्नीकरण में संतुलन होना चाहिये। लेकिन वर्तमान में, क्लोरो फ्लोरोकार्बन (CFCs) के द्वारा ओज़ोन निम्नीकरण बढ़ जाने से इसका संतुलन बिगड़ गया है। वायुमंडल के निचले भाग में उत्सर्जित CFCs ऊपर की ओर उठता है और यह समतापमंडल में पहुँचता है तथा समतापमंडल में पराबैंगनी किरणें उस पर कार्य करती हैं। समतापमंडल में जो भी क्लोरो फ्लोरोकार्बन जुड़ते जाते हैं, उनका ओज़ोन स्तर पर स्थायी और सतत् प्रभाव पड़ता है।
Incorrect
व्याख्याः समतापमंडल में ओज़ोन के उत्पादन और अवक्षय निम्नीकरण में संतुलन होना चाहिये। लेकिन वर्तमान में, क्लोरो फ्लोरोकार्बन (CFCs) के द्वारा ओज़ोन निम्नीकरण बढ़ जाने से इसका संतुलन बिगड़ गया है। वायुमंडल के निचले भाग में उत्सर्जित CFCs ऊपर की ओर उठता है और यह समतापमंडल में पहुँचता है तथा समतापमंडल में पराबैंगनी किरणें उस पर कार्य करती हैं। समतापमंडल में जो भी क्लोरो फ्लोरोकार्बन जुड़ते जाते हैं, उनका ओज़ोन स्तर पर स्थायी और सतत् प्रभाव पड़ता है।
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Question 17 of 20
17. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः
1. जैव विविधता शब्द सामाजिक जीव-वैज्ञानिक रॉबर्ट मेय द्वारा दिया गया है।
2. आनुवंशिक विविधता, जातीय विविधता और परिस्थितिकीय विविधता, जैव विविधता के आधार हैं।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/है?Correct
व्याख्याः
पहला कथन असत्य है। जैव विविधता शब्द सामाजिक जीव-वैज्ञानिक एडवर्ड विलसन द्वारा दिया गया है।
दूसरा कथन सत्य है। एडवर्ड विलसन ने जैविक संगठन के प्रत्येक स्तर पर उपस्थित विविधता को दर्शाने के लिये आनुवंशिक विविधता, जातीय विविधता और पारिस्थितिकीय विविधता को प्रचलित किया।
आनुवंशिक विविधताः इस विविधता के अंतर्गत एक जाति आनुवंशिक स्तर पर अपने वितरण क्षेत्र में बहुत विविधता दर्शा सकती है। भारत में 50 हज़ार से अधिक आनुवंशिक रूप से भिन्न धान की तथा 1,000 से अधिक आम की जातियाँ हैं।
जातीय (स्पीशीज़) विविधता : यह भिन्नता जाति के स्तर से संबंधित है। जैसे भारत में पश्चिमी घाट की उभयचर जातियों की विविधता पूर्वी घाट से अधिक है।
पारिस्थितिकीय विविधता : यह विविधता पारितंत्र स्तर पर होती है, जैसे भारत में स्थित रेगिस्तान, वर्षा वन, मैंग्रोव, प्रवाल भित्ति तथा एल्पाइन वन आदि।Incorrect
व्याख्याः
पहला कथन असत्य है। जैव विविधता शब्द सामाजिक जीव-वैज्ञानिक एडवर्ड विलसन द्वारा दिया गया है।
दूसरा कथन सत्य है। एडवर्ड विलसन ने जैविक संगठन के प्रत्येक स्तर पर उपस्थित विविधता को दर्शाने के लिये आनुवंशिक विविधता, जातीय विविधता और पारिस्थितिकीय विविधता को प्रचलित किया।
आनुवंशिक विविधताः इस विविधता के अंतर्गत एक जाति आनुवंशिक स्तर पर अपने वितरण क्षेत्र में बहुत विविधता दर्शा सकती है। भारत में 50 हज़ार से अधिक आनुवंशिक रूप से भिन्न धान की तथा 1,000 से अधिक आम की जातियाँ हैं।
जातीय (स्पीशीज़) विविधता : यह भिन्नता जाति के स्तर से संबंधित है। जैसे भारत में पश्चिमी घाट की उभयचर जातियों की विविधता पूर्वी घाट से अधिक है।
पारिस्थितिकीय विविधता : यह विविधता पारितंत्र स्तर पर होती है, जैसे भारत में स्थित रेगिस्तान, वर्षा वन, मैंग्रोव, प्रवाल भित्ति तथा एल्पाइन वन आदि। -
Question 18 of 20
18. Question
1 pointsपृथ्वी पर उपस्थित जातियों (स्पीशीज़) की गणना किस संस्था द्वारा की जाती है?
Correct
व्याख्याः आई.यू.सी.एन. (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेस) द्वारा पृथ्वी पर उपस्थित जातियों की गणना की जाती है।
Incorrect
व्याख्याः आई.यू.सी.एन. (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेस) द्वारा पृथ्वी पर उपस्थित जातियों की गणना की जाती है।
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Question 19 of 20
19. Question
1 pointsआई.यू.सी.एन. द्वारा लुप्त जातियों (स्पीशीज़) को किस सूची के अंतर्गत रखा जाता है?
Correct
व्याख्याः आई.यू.सी.एन. द्वारा लुप्त जातियों (स्पीशीज़) को लाल सूची (Red list) के अंतर्गत रखा जाता है। आई.यू.सी.एन. की लाल सूची (2004) के साक्ष्यों के अनुसार पिछले 500 वर्षों में 784 जातियाँ (338 कशेरुकी, 359 अकशेरुकी तथा 87 पादप) लुप्त हो चुकी हैं।
Incorrect
व्याख्याः आई.यू.सी.एन. द्वारा लुप्त जातियों (स्पीशीज़) को लाल सूची (Red list) के अंतर्गत रखा जाता है। आई.यू.सी.एन. की लाल सूची (2004) के साक्ष्यों के अनुसार पिछले 500 वर्षों में 784 जातियाँ (338 कशेरुकी, 359 अकशेरुकी तथा 87 पादप) लुप्त हो चुकी हैं।
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Question 20 of 20
20. Question
1 pointsपृथ्वी पर उपस्थित संपूर्ण जंतुओं में सर्वाधिक संख्या है-
Correct
व्याख्याः पृथ्वी पर आकलित जातियों में से 70 प्रतिशत से अधिक जंतु हैं, जबकि शैवाल, कवक, ब्रायोफाइट, आवृत्तबीजी तथा अनावृत्तबीजियों जैसे पादप 22 प्रतिशत से अधिक नहीं हैं। जंतुओं में कीट सबसे अधिक समृद्ध जातीय वर्ग समूह है, जो संपूर्ण जातियों के 70 प्रतिशत से अधिक है। इसका अर्थ यह है कि इस ग्रह में प्रत्येक 10 जंतुओं में 7 कीट हैं।
Incorrect
व्याख्याः पृथ्वी पर आकलित जातियों में से 70 प्रतिशत से अधिक जंतु हैं, जबकि शैवाल, कवक, ब्रायोफाइट, आवृत्तबीजी तथा अनावृत्तबीजियों जैसे पादप 22 प्रतिशत से अधिक नहीं हैं। जंतुओं में कीट सबसे अधिक समृद्ध जातीय वर्ग समूह है, जो संपूर्ण जातियों के 70 प्रतिशत से अधिक है। इसका अर्थ यह है कि इस ग्रह में प्रत्येक 10 जंतुओं में 7 कीट हैं।