भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत टेस्ट 8
भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत टेस्ट 8
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न कक्षा 11 की पुस्तक भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत (एन.सी.ई.आर.टी.) पर आधारित है| यदि आप ‘भौतिक भूगोल’ विषय की अधिक जानकारी नहीं रखते है तो इस टेस्ट को देने से पहले आप पुस्तक का रिविजन अवश्य करें|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsभौतिक अपक्षय प्रक्रियाओं के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. भौतिक अपक्षय प्रक्रियाएँ तापीय विस्तारण एवं दबाव के निर्मुक्त होने के कारण होती हैं।
2. इस अपक्षय प्रक्रिया के कारण शैलों को बड़ी मात्रा में हानि पहुँचती है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
भौतिक या यांत्रिक अपक्षय प्रक्रियाएँ कुछ अनुप्रयुक्त बलों पर निर्भर करती हैं। ये अनुप्रयुक्त बल निम्नलिखित हो सकते हैं-1. गुरुत्वाकर्षण बल।
2. तापक्रम में परिवर्तन, क्रिस्टल रवों में वृद्धि एवं पशुओं के क्रियाकलापों के कारण उत्पन्न विस्तारण (Expansion) बल।
3. शुष्कन एवं आर्द्रन चक्रों से नियंत्रित जल का दबाव।इनमें से कई बल विभिन्न धरातलीय पदार्थों के अंदर अनुप्रयुक्त होते हैं जिसका परिणाम शैलों का विभंग (Fracture) होता है। भौतिक अपक्षय प्रक्रिया अधिकांशतः तापीय विस्तारण एवं दबाव के निर्मुक्त होने के कारण होती है। ये प्रक्रियाएँ लघु एवं मंद होती हैं परंतु कई बार संकुचन एवं विस्तारण के कारण शैलों के सतत् श्रांति (Fatigue) के फलस्वरूप शैलों को बड़ी हानि पहुँचाती है।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
भौतिक या यांत्रिक अपक्षय प्रक्रियाएँ कुछ अनुप्रयुक्त बलों पर निर्भर करती हैं। ये अनुप्रयुक्त बल निम्नलिखित हो सकते हैं-1. गुरुत्वाकर्षण बल।
2. तापक्रम में परिवर्तन, क्रिस्टल रवों में वृद्धि एवं पशुओं के क्रियाकलापों के कारण उत्पन्न विस्तारण (Expansion) बल।
3. शुष्कन एवं आर्द्रन चक्रों से नियंत्रित जल का दबाव।इनमें से कई बल विभिन्न धरातलीय पदार्थों के अंदर अनुप्रयुक्त होते हैं जिसका परिणाम शैलों का विभंग (Fracture) होता है। भौतिक अपक्षय प्रक्रिया अधिकांशतः तापीय विस्तारण एवं दबाव के निर्मुक्त होने के कारण होती है। ये प्रक्रियाएँ लघु एवं मंद होती हैं परंतु कई बार संकुचन एवं विस्तारण के कारण शैलों के सतत् श्रांति (Fatigue) के फलस्वरूप शैलों को बड़ी हानि पहुँचाती है।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsअपशल्कन गुंबद का निर्माण किस प्रकार की भौतिक अपक्षय प्रक्रिया के कारण होता है?
Correct
व्याख्याः
- अनवरत अपरदन के कारण उपरियासी शैलों के भार का अपनयन उर्ध्वाधर दबाव (Vertical Pressure) के निर्मुक्ति का कारक होता है, जिससे शैलों के ऊपरी संस्तर विस्तारित हो जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप शैलों का पातन एवं तत्स्वरूप विघटन होता है।
- भारविहीनीकरण एवं दबाव मुक्त होने के कारण विस्तारण से उत्पन्न अपशल्कन चादरों का क्षैतिज विस्तार सैकड़ों या हज़ारों मीटर तक हो सकता है। बड़े, चिकने एवं गोलाकार गुंबद को अपशल्कन गुंबद कहते हैं, जो भारविहीनीकरण एवं विस्तारण अपक्षय प्रक्रिया के द्वारा बनता है।
Incorrect
व्याख्याः
- अनवरत अपरदन के कारण उपरियासी शैलों के भार का अपनयन उर्ध्वाधर दबाव (Vertical Pressure) के निर्मुक्ति का कारक होता है, जिससे शैलों के ऊपरी संस्तर विस्तारित हो जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप शैलों का पातन एवं तत्स्वरूप विघटन होता है।
- भारविहीनीकरण एवं दबाव मुक्त होने के कारण विस्तारण से उत्पन्न अपशल्कन चादरों का क्षैतिज विस्तार सैकड़ों या हज़ारों मीटर तक हो सकता है। बड़े, चिकने एवं गोलाकार गुंबद को अपशल्कन गुंबद कहते हैं, जो भारविहीनीकरण एवं विस्तारण अपक्षय प्रक्रिया के द्वारा बनता है।
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Question 3 of 20
3. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. अपक्षय की प्रक्रिया मृदा निर्माण की एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है।
2. अपक्षय की प्रक्रिया खनिज के अयस्क के संकेंद्रण में सहायक होती है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- अपक्षय प्रक्रियाएँ शैलों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने तथा आवरण प्रस्तर एवं मृदा निर्माण के लिये मार्ग प्रशस्त करती हैं। अर्थात् अपक्षय मृदा निर्माण की एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है।
- यदि शैलों का अपक्षय न हो तो अपरदन का कोई महत्त्व नहीं होता। इसका अर्थ है कि अपक्षय वृहत् क्षरण, अपरदन, उच्चावच के लघुकरण में सहायक होता है एवं स्थलाकृतियाँ अपरदन का परिणाम है। शैलों का अपक्षय एवं निक्षेपण राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिये अति महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि मूल्यवान खनिजों, जैसे- लोहा, मैंगनीज़, एल्युमीनियम, तांबा के अयस्क के संकेंद्रण (Concentration) एवं समृद्धीकरण (Enrichment) में सहायक होता है।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- अपक्षय प्रक्रियाएँ शैलों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने तथा आवरण प्रस्तर एवं मृदा निर्माण के लिये मार्ग प्रशस्त करती हैं। अर्थात् अपक्षय मृदा निर्माण की एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है।
- यदि शैलों का अपक्षय न हो तो अपरदन का कोई महत्त्व नहीं होता। इसका अर्थ है कि अपक्षय वृहत् क्षरण, अपरदन, उच्चावच के लघुकरण में सहायक होता है एवं स्थलाकृतियाँ अपरदन का परिणाम है। शैलों का अपक्षय एवं निक्षेपण राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिये अति महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि मूल्यवान खनिजों, जैसे- लोहा, मैंगनीज़, एल्युमीनियम, तांबा के अयस्क के संकेंद्रण (Concentration) एवं समृद्धीकरण (Enrichment) में सहायक होता है।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsबृहत् संचलन के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये:
1. इसके अंतर्गत शैलों का बृहत् मलवा गुरुत्वाकर्षण बल के कारण स्थानांतरित होता है।
2. अपक्षय की प्रक्रिया बृहत् संचलन को बढ़ावा देती है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- बृहत् संचलन के अंतर्गत वे सभी संचलन आते हैं, जिनमें शैलों का बृहत् मलवा (Debris) गुरुत्वाकर्षण के सीधे प्रभाव के कारण ढाल के अनुरूप स्थानांतरित होता है। इसका तात्पर्य है कि वायु, जल एवं हिम ही अपने साथ एक स्थान से दूसरे स्थान तक मलवा नहीं ढोते, अपितु मलवा भी अपने साथ वायु, जल या हिम ले जाता है।
- गुरुत्वाकर्षण बल आधार शैलों एवं अपक्षय से पैदा सभी पदार्थों पर अपना प्रभाव डालता है। यद्यपि बृहत् संचलन के लिये अपक्षय अनिवार्य नहीं है, परंतु यह इसे बढ़ावा देता है। बृहत् संचलन अपक्षयित ढालों पर अनअपक्षयित पदार्थों की अपेक्षा बहुत अधिक सक्रिय रहता है।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- बृहत् संचलन के अंतर्गत वे सभी संचलन आते हैं, जिनमें शैलों का बृहत् मलवा (Debris) गुरुत्वाकर्षण के सीधे प्रभाव के कारण ढाल के अनुरूप स्थानांतरित होता है। इसका तात्पर्य है कि वायु, जल एवं हिम ही अपने साथ एक स्थान से दूसरे स्थान तक मलवा नहीं ढोते, अपितु मलवा भी अपने साथ वायु, जल या हिम ले जाता है।
- गुरुत्वाकर्षण बल आधार शैलों एवं अपक्षय से पैदा सभी पदार्थों पर अपना प्रभाव डालता है। यद्यपि बृहत् संचलन के लिये अपक्षय अनिवार्य नहीं है, परंतु यह इसे बढ़ावा देता है। बृहत् संचलन अपक्षयित ढालों पर अनअपक्षयित पदार्थों की अपेक्षा बहुत अधिक सक्रिय रहता है।
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Question 5 of 20
5. Question
1 pointsमलवा अवधाव (Avalanche) को किस श्रेणी में सम्मिलित किया जा सकता है?
Correct
व्याख्याः मलवा अवधाव (Avalanche) तीव्र प्रवाही बृहत् संचलन का एक प्रकार है। मलवा अवधाव वनस्पति आवरणयुक्त या उससे वंचित आर्द्र प्रदेशों की विशेषता है। यह तीव्र ढालों पर संकीर्ण पथ के रूप में घटित होता है। मलवा अवधाव, हिम अवधाव के समान होता है।
Incorrect
व्याख्याः मलवा अवधाव (Avalanche) तीव्र प्रवाही बृहत् संचलन का एक प्रकार है। मलवा अवधाव वनस्पति आवरणयुक्त या उससे वंचित आर्द्र प्रदेशों की विशेषता है। यह तीव्र ढालों पर संकीर्ण पथ के रूप में घटित होता है। मलवा अवधाव, हिम अवधाव के समान होता है।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsकथनः हिमालय पर्वत शृंखला में प्रायः मलवा अवधाव एवं भूस्खलन की घटनाएँ घटित होती रहती हैं।
कारणः हिमालय पर्वत शृंखला कठोर शैलों से निर्मित है।Correct
व्याख्याः कथन सही है एवं कारण गलत है। हमारे देश में मलवा अवधाव एवं भूस्खलन हिमालय में प्रायः घटित होते हैं। इसके अनेक कारण हैं: पहला हिमालय विवर्तनिक दृष्टिकोण से सक्रिय है। यह अधिकांशतः परतदार शैलों, असंगठित एवं अर्ध-संगठित पदार्थों से बना है। हिमालय की तुलना में पश्चिमी घाट अपेक्षाकृत विवर्तनिकी दृष्टि से अधिक स्थायी है तथा बहुत अधिक कठोर शैलों से निर्मित है; परंतु अब भी इन पहाड़ियों में मलवा अवधाव एवं भूस्खलन होते रहते हैं, यद्यपि उनकी बारंबारता उतनी नहीं है जितनी हिमालय में।
Incorrect
व्याख्याः कथन सही है एवं कारण गलत है। हमारे देश में मलवा अवधाव एवं भूस्खलन हिमालय में प्रायः घटित होते हैं। इसके अनेक कारण हैं: पहला हिमालय विवर्तनिक दृष्टिकोण से सक्रिय है। यह अधिकांशतः परतदार शैलों, असंगठित एवं अर्ध-संगठित पदार्थों से बना है। हिमालय की तुलना में पश्चिमी घाट अपेक्षाकृत विवर्तनिकी दृष्टि से अधिक स्थायी है तथा बहुत अधिक कठोर शैलों से निर्मित है; परंतु अब भी इन पहाड़ियों में मलवा अवधाव एवं भूस्खलन होते रहते हैं, यद्यपि उनकी बारंबारता उतनी नहीं है जितनी हिमालय में।
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsमृदा के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. मृदा में जैविक क्रिया बंद हो जाती है, यदि मृदा बहुत ज़्यादा शुष्क या ठंडी हो।
2. मृदा, जलवायु की दशाओं, भू-आकृतियों एवं वनस्पतियों के साथ अनुकूलित होती रहती है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- मृदा एक परिवर्तनशील एवं विकासोन्मुख तत्त्व है। मृदा की बहुत सी विशेषताएँ मौसम के साथ बदलती रहती हैं। यह वैकल्पिक रूप से ठंडी और गर्म या शुष्क एवं आर्द्र हो सकती है। यदि मृदा बहुत अधिक शुष्क होती है तो जैविक क्रिया मंद या बंद हो जाती है।
- मृदा, जलवायु की दशाओं, भू-आकृतियों एवं वनस्पतियों के साथ अनुकूलित होती रहती है, क्योंकि मृदा का रसायन, उसमें जैव पदार्थ की मात्रा, पेड़-पौधे और प्राणिजात, तापक्रम और नमी, सभी मौसम के साथ तथा निर्माण की कालावधि के साथ परिवर्तित हो जाते हैं।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- मृदा एक परिवर्तनशील एवं विकासोन्मुख तत्त्व है। मृदा की बहुत सी विशेषताएँ मौसम के साथ बदलती रहती हैं। यह वैकल्पिक रूप से ठंडी और गर्म या शुष्क एवं आर्द्र हो सकती है। यदि मृदा बहुत अधिक शुष्क होती है तो जैविक क्रिया मंद या बंद हो जाती है।
- मृदा, जलवायु की दशाओं, भू-आकृतियों एवं वनस्पतियों के साथ अनुकूलित होती रहती है, क्योंकि मृदा का रसायन, उसमें जैव पदार्थ की मात्रा, पेड़-पौधे और प्राणिजात, तापक्रम और नमी, सभी मौसम के साथ तथा निर्माण की कालावधि के साथ परिवर्तित हो जाते हैं।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsमृदा निर्माण सर्वप्रथम निर्भर करती है-
Correct
व्याख्याः मृदा निर्माण या मृदाजनन सर्वप्रथम अपक्षय पर निर्भर करती है। यह अपक्षीय प्रावार (अपक्षयी पदार्थ की गहराई) ही मृदा निर्माण का मूल निवेश होता है।
Incorrect
व्याख्याः मृदा निर्माण या मृदाजनन सर्वप्रथम अपक्षय पर निर्भर करती है। यह अपक्षीय प्रावार (अपक्षयी पदार्थ की गहराई) ही मृदा निर्माण का मूल निवेश होता है।
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Question 9 of 20
9. Question
1 pointsमृदा निर्माण की जैविक क्रिया से संबंधित नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. ठंडे जलवायु प्रदेश में तीव्र बैक्टीरियल वृद्धि होने के कारण मृदा में ह्यूमस की कमी हो जाती है।
2. भूमध्यरेखीय जलवायु में बैक्टीरियल क्रियाएँ धीमी होने के कारण मृदा में ह्यूमस एकत्रित होता रहता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन असत्य हैं।
- ठंडी जलवायु में ह्यूमस एकत्रित होता है, क्योंकि यहाँ बैक्टीरियल वृद्धि धीमी होती है। उप-आर्कटिक एवं टुंड्रा जलवायु में निम्न बैक्टीरियल क्रियाओं के कारण अवियोजित जैविक पदार्थों के साथ पीट (Peat) के संस्तर विकसित होते हैं।
- आर्द्र, उष्ण एवं भूमध्यरेखीय जलवायु में बैक्टीरियल वृद्धि एवं क्रियाएँ सघन होती हैं तथा मृदा वनस्पति शीघ्रता से ऑक्सीकृत हो जाती है जिससे मृदा में ह्यूमस की मात्रा बहुत कम रह जाती है।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन असत्य हैं।
- ठंडी जलवायु में ह्यूमस एकत्रित होता है, क्योंकि यहाँ बैक्टीरियल वृद्धि धीमी होती है। उप-आर्कटिक एवं टुंड्रा जलवायु में निम्न बैक्टीरियल क्रियाओं के कारण अवियोजित जैविक पदार्थों के साथ पीट (Peat) के संस्तर विकसित होते हैं।
- आर्द्र, उष्ण एवं भूमध्यरेखीय जलवायु में बैक्टीरियल वृद्धि एवं क्रियाएँ सघन होती हैं तथा मृदा वनस्पति शीघ्रता से ऑक्सीकृत हो जाती है जिससे मृदा में ह्यूमस की मात्रा बहुत कम रह जाती है।
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Question 10 of 20
10. Question
1 pointsपृथ्वी की पर्पटी पर पाए जाने वाले तत्त्वों का घटते क्रम के अनुसार सही क्रम कौन-सा है?
Correct
व्याख्याः पृथ्वी की पर्पटी का लगभग 98 प्रतिशत भाग आठ तत्त्वों जैसे- ऑक्सीजन, सिलिकन, एल्युमीनियम, लौह, कैल्शियम, सोडियम, पोटेशियम तथा मैग्नीशियम से बना है।
पदार्थ वज़न के अनुसार (%) 1. ऑक्सीजन 46.60 2. सिलिकन 27.72 3. एल्युमीनियम 8.13 4. लौह 5.0 Incorrect
व्याख्याः पृथ्वी की पर्पटी का लगभग 98 प्रतिशत भाग आठ तत्त्वों जैसे- ऑक्सीजन, सिलिकन, एल्युमीनियम, लौह, कैल्शियम, सोडियम, पोटेशियम तथा मैग्नीशियम से बना है।
पदार्थ वज़न के अनुसार (%) 1. ऑक्सीजन 46.60 2. सिलिकन 27.72 3. एल्युमीनियम 8.13 4. लौह 5.0 -
Question 11 of 20
11. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. भूपर्पटी पर पाए जाने वाले तत्त्व प्रायः स्वतंत्र रूप से नहीं मिलते हैं।
2. पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी खनिजों का मूल स्रोत मैग्मा है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- भूपर्पटी पर पाए जाने वाले तत्त्व प्रायः अलग-अलग नहीं मिलते, बल्कि सामान्यतः ये दूसरे तत्त्वों के साथ मिलकर विभिन्न पदार्थों का निर्माण करते हैं। इन पदार्थों को खनिज का नाम दिया गया है।
- पृथ्वी के आंतरिक भाग में पाया जाने वाला मैग्मा ही सभी खनिजों का मूल स्रोत है। इस मैग्मा के ठंडे होने पर खनिजों के क्रिस्टल बनने लगते हैं और इस प्रक्रिया में जैसे-जैसे मैग्मा ठंडा होकर ठोस शैल बनता है, खनिजों की क्रमबद्ध शृंखला का निर्माण होने लगता है।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- भूपर्पटी पर पाए जाने वाले तत्त्व प्रायः अलग-अलग नहीं मिलते, बल्कि सामान्यतः ये दूसरे तत्त्वों के साथ मिलकर विभिन्न पदार्थों का निर्माण करते हैं। इन पदार्थों को खनिज का नाम दिया गया है।
- पृथ्वी के आंतरिक भाग में पाया जाने वाला मैग्मा ही सभी खनिजों का मूल स्रोत है। इस मैग्मा के ठंडे होने पर खनिजों के क्रिस्टल बनने लगते हैं और इस प्रक्रिया में जैसे-जैसे मैग्मा ठंडा होकर ठोस शैल बनता है, खनिजों की क्रमबद्ध शृंखला का निर्माण होने लगता है।
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Question 12 of 20
12. Question
1 pointsखनिजों एवं उनकी विशेषताओं के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये:
1. सिलिकन तथा ऑक्सीजन सभी फेल्डस्परों में उपस्थित हैं।
2. पृथ्वी की पर्पटी का आधा भाग फेल्डस्पर से बना है।
3. पाइरॉक्सीन खनिज सामान्यतः उल्का पिंड में पाया जाता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त कथन सत्य हैं।
- पृथ्वी पर उपलब्ध लगभग सभी पदार्थ छः प्रमुख खनिज समूहों से संबंधित होते हैं, जिनको शैलों का निर्माण करने वाले प्रमुख खनिज माना गया है। ये खनिज हैं- फेल्डस्पर, क्वार्ट्ज, पाइरॉक्सीन, एम्फीबोल, माइका और ऑलिवीन।
- सिलिकन तथा ऑक्सीजन सभी फेल्डस्परों में उपस्थित होते हैं जबकि सोडियम, पोटेशियम कैल्शियम, एल्युमीनियम आदि तत्त्व भिन्न-भिन्न फेल्डस्पर में शामिल हैं। पृथ्वी की पर्पटी का आधा भाग फेल्डस्पर से बना है। चीनी मिट्टी के बर्तन तथा काँच बनाने में इसका उपयोग होता है।
- पाइरॉक्सीन खनिज में कैल्शियम, एल्युमीनियम, मैग्नीशियम, आयरन तथा सिलिकन शामिल होते हैं। पृथ्वी के भू-पृष्ठ का 10 प्रतिशत हिस्सा पाइरॉक्सीन से बना है। सामान्यतः यह उल्का पिंड में पाया जाता है।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त कथन सत्य हैं।
- पृथ्वी पर उपलब्ध लगभग सभी पदार्थ छः प्रमुख खनिज समूहों से संबंधित होते हैं, जिनको शैलों का निर्माण करने वाले प्रमुख खनिज माना गया है। ये खनिज हैं- फेल्डस्पर, क्वार्ट्ज, पाइरॉक्सीन, एम्फीबोल, माइका और ऑलिवीन।
- सिलिकन तथा ऑक्सीजन सभी फेल्डस्परों में उपस्थित होते हैं जबकि सोडियम, पोटेशियम कैल्शियम, एल्युमीनियम आदि तत्त्व भिन्न-भिन्न फेल्डस्पर में शामिल हैं। पृथ्वी की पर्पटी का आधा भाग फेल्डस्पर से बना है। चीनी मिट्टी के बर्तन तथा काँच बनाने में इसका उपयोग होता है।
- पाइरॉक्सीन खनिज में कैल्शियम, एल्युमीनियम, मैग्नीशियम, आयरन तथा सिलिकन शामिल होते हैं। पृथ्वी के भू-पृष्ठ का 10 प्रतिशत हिस्सा पाइरॉक्सीन से बना है। सामान्यतः यह उल्का पिंड में पाया जाता है।
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsनीचे दी गई विशेषता किस खनिज से संबंधित है?
ये सामान्यतः आग्नेय एवं रूपांतरित शैलों में पाए जाते हैं तथा विद्युत उपकरण बनाने में इनका उपयोग किया जाता है।Correct
व्याख्याः माइका में पोटेशियम, एल्युमीनियम, मैग्नीशियम, लौह, सिलिका आदि निहित होते हैं। पृथ्वी की पर्पटी में इसका 4 प्रतिशत अंश होता है। ये सामान्यतः आग्नेय एवं रूपांतरित शैलों में पाए जाते हैं। विद्युत उपकरणों में इनका उपयोग किया जाता है।
Incorrect
व्याख्याः माइका में पोटेशियम, एल्युमीनियम, मैग्नीशियम, लौह, सिलिका आदि निहित होते हैं। पृथ्वी की पर्पटी में इसका 4 प्रतिशत अंश होता है। ये सामान्यतः आग्नेय एवं रूपांतरित शैलों में पाए जाते हैं। विद्युत उपकरणों में इनका उपयोग किया जाता है।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsक्वार्ट्ज के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. ये रेत एवं ग्रेनाइट का प्रमुख घटक है।
2. इसका उपयोग रेडियो एवं रडार में होता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- क्वार्ट्ज रेत एवं ग्रेनाइट का प्रमुख घटक है। इसमें सिलिका होता है। यह एक कठोर खनिज है तथा पानी में सर्वथा अघुलनशील होता है।
- क्वार्ट्ज का उपयोग रेडियो एवं रडार में होता है।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- क्वार्ट्ज रेत एवं ग्रेनाइट का प्रमुख घटक है। इसमें सिलिका होता है। यह एक कठोर खनिज है तथा पानी में सर्वथा अघुलनशील होता है।
- क्वार्ट्ज का उपयोग रेडियो एवं रडार में होता है।
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Question 15 of 20
15. Question
1 pointsआग्नेय शैल के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
Correct
व्याख्याः ऊपर दिये गए सभी कथन सत्य हैं।
- मैग्मा के ठंडे होकर घनीभूत हो जाने पर आग्नेय शैलों का निर्माण होता है। आग्नेय लैटिन भाषा के इग्निस शब्द से बना है जिसका अर्थ अग्नि होता है।
- यदि पिघले हुए मैग्मा के पदार्थ धीरे-धीरे गहराई तक ठंडे होते हैं, तो खनिज के कण पर्याप्त बड़े हो सकते हैं। पृथ्वी की सतह पर हुई आकस्मिक शीतलता के कारण छोटे एवं चिकने कण बनते हैं।
- मैग्मा के ठंडा तथा ठोस होकर आग्नेय शैल बनने की प्रक्रिया पृथ्वी की सतह या पृथ्वी की पर्पटी दोनों जगहों पर हो सकती है।
Incorrect
व्याख्याः ऊपर दिये गए सभी कथन सत्य हैं।
- मैग्मा के ठंडे होकर घनीभूत हो जाने पर आग्नेय शैलों का निर्माण होता है। आग्नेय लैटिन भाषा के इग्निस शब्द से बना है जिसका अर्थ अग्नि होता है।
- यदि पिघले हुए मैग्मा के पदार्थ धीरे-धीरे गहराई तक ठंडे होते हैं, तो खनिज के कण पर्याप्त बड़े हो सकते हैं। पृथ्वी की सतह पर हुई आकस्मिक शीतलता के कारण छोटे एवं चिकने कण बनते हैं।
- मैग्मा के ठंडा तथा ठोस होकर आग्नेय शैल बनने की प्रक्रिया पृथ्वी की सतह या पृथ्वी की पर्पटी दोनों जगहों पर हो सकती है।
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Question 16 of 20
16. Question
1 pointsशिलीभवन (Lithification) की प्रक्रिया का संबंध किस/किन प्रकार की शैल/शैलों से है?
Correct
व्याख्याः शिलीभवन (Lithification) प्रक्रिया का संबंध अवसादी शैल से है। अवसादी शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द सेडिमेंटस से हुई है, जिसका अर्थ है व्यवस्थित होना। पृथ्वी की सतह की शैलें (आग्नेय अवसादी तथा कायांतरित) अपक्षयकारी कारकों के प्रति अनावृत्त होती हैं, जो विभिन्न आकार के विखंडों में विभाजित होती हैं। ऐसे उपखंडों का विभिन्न बहिर्जनित कारकों के द्वारा संवहन एवं निक्षेप होता है। एक ही जगह पर सघनता द्वारा ये संचित पदार्थ शैलों में परिणत हो जाते हैं। यही प्रक्रिया शिलीभवन (Lithification) कहलाती है।
Incorrect
व्याख्याः शिलीभवन (Lithification) प्रक्रिया का संबंध अवसादी शैल से है। अवसादी शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द सेडिमेंटस से हुई है, जिसका अर्थ है व्यवस्थित होना। पृथ्वी की सतह की शैलें (आग्नेय अवसादी तथा कायांतरित) अपक्षयकारी कारकों के प्रति अनावृत्त होती हैं, जो विभिन्न आकार के विखंडों में विभाजित होती हैं। ऐसे उपखंडों का विभिन्न बहिर्जनित कारकों के द्वारा संवहन एवं निक्षेप होता है। एक ही जगह पर सघनता द्वारा ये संचित पदार्थ शैलों में परिणत हो जाते हैं। यही प्रक्रिया शिलीभवन (Lithification) कहलाती है।
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Question 17 of 20
17. Question
1 pointsकोयला किस प्रकार की शैलों का उदाहरण है?
Correct
व्याख्याः कोयला कार्बनिक रूप से निर्मित अवसादी शैलों का उदाहरण है।
Incorrect
व्याख्याः कोयला कार्बनिक रूप से निर्मित अवसादी शैलों का उदाहरण है।
-
Question 18 of 20
18. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से किस/किन शैलों का निर्माण दाब, आयतन एवं तापमान में परिवर्तन की प्रक्रिया के फलस्वरूप होता है?
Correct
व्याख्याः दाब, आयतन एवं तापमान में परिवर्तन की प्रक्रिया के फलस्वरूप कायांतरित शैलों का निर्माण होता है। कायांतरित का अर्थ है, ‘स्वरूप में परिवर्तन’। जब विवर्तनिकी प्रक्रिया के कारण शैलें निचले स्तर की ओर बलपूर्वक खिसक जाती हैं, या जब भू-पृष्ठ से उठता पिघला हुआ मैग्मा भू-पृष्ठीय शैलों के संपर्क में आता है या जब ऊपरी शैलों के कारण निचली शैलों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, तब कायांतरण होता है। कायांतरण वह प्रक्रिया है, जिसमें समेकित शैलों में पुनः क्रिस्टलीकरण होता है तथा वास्तविक शैलों में पुनः संगठित हो जाते हैं।
Incorrect
व्याख्याः दाब, आयतन एवं तापमान में परिवर्तन की प्रक्रिया के फलस्वरूप कायांतरित शैलों का निर्माण होता है। कायांतरित का अर्थ है, ‘स्वरूप में परिवर्तन’। जब विवर्तनिकी प्रक्रिया के कारण शैलें निचले स्तर की ओर बलपूर्वक खिसक जाती हैं, या जब भू-पृष्ठ से उठता पिघला हुआ मैग्मा भू-पृष्ठीय शैलों के संपर्क में आता है या जब ऊपरी शैलों के कारण निचली शैलों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, तब कायांतरण होता है। कायांतरण वह प्रक्रिया है, जिसमें समेकित शैलों में पुनः क्रिस्टलीकरण होता है तथा वास्तविक शैलों में पुनः संगठित हो जाते हैं।
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Question 19 of 20
19. Question
1 pointsकायांतरित शैलों के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये:
1. ऊष्मीय कायांतरण के कारण शैलों के पदार्थों में रासायनिक परिवर्तन होते हैं।
2. कायांतरण की प्रक्रिया के दौरान कण या खनिज सतहों का रेखाओं के रूप में व्यवस्थित होना पत्रण कहलाता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
ऊष्मीय कायांतरण के कारण शैलों के पदार्थों में रासायनिक परिवर्तन एवं पुनः क्रिस्टलीकरण होता है। ऊष्मीय कायांतरण दो प्रकार से होता है- संपर्क कायांतरण एवं प्रादेशिक कायांतरण। संपर्क कायांतरण में शैलें गर्म ऊपर आते हुए मैग्मा एवं लावा के संपर्क में आती हैं, तथा उच्च तापमान में शैल के पदार्थों का पुनः क्रिस्टलीकरण होता है। अक्सर शैल और लावा अथवा मैग्मा के योग से नए पदार्थों का निर्माण होता है। प्रादेशिक कायांतरण में उच्च तापमान अथवा दबाव अथवा इन दोनों के कारण शैलों में विवर्तनिक दबाव के कारण विकृतियाँ होती हैं, जिससे शैलों में पुनः क्रिस्टलीकरण होता है। कायांतरण की प्रक्रिया में शैलों के कुछ कण या खनिज सतहों या रेखाओं के रूप में व्यवस्थित हो जाते हैं। कायांतरित शैलों में खनिज अथवा कणों की इस व्यवस्था को पत्रण (Foliation) या रेखांकन कहते हैं।Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
ऊष्मीय कायांतरण के कारण शैलों के पदार्थों में रासायनिक परिवर्तन एवं पुनः क्रिस्टलीकरण होता है। ऊष्मीय कायांतरण दो प्रकार से होता है- संपर्क कायांतरण एवं प्रादेशिक कायांतरण। संपर्क कायांतरण में शैलें गर्म ऊपर आते हुए मैग्मा एवं लावा के संपर्क में आती हैं, तथा उच्च तापमान में शैल के पदार्थों का पुनः क्रिस्टलीकरण होता है। अक्सर शैल और लावा अथवा मैग्मा के योग से नए पदार्थों का निर्माण होता है। प्रादेशिक कायांतरण में उच्च तापमान अथवा दबाव अथवा इन दोनों के कारण शैलों में विवर्तनिक दबाव के कारण विकृतियाँ होती हैं, जिससे शैलों में पुनः क्रिस्टलीकरण होता है। कायांतरण की प्रक्रिया में शैलों के कुछ कण या खनिज सतहों या रेखाओं के रूप में व्यवस्थित हो जाते हैं। कायांतरित शैलों में खनिज अथवा कणों की इस व्यवस्था को पत्रण (Foliation) या रेखांकन कहते हैं। -
Question 20 of 20
20. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा/से युग्म सही सुमेलित है/हैं?
1. आग्नेय शैल – गैब्रो
2. अवसादी शैल – चूना पत्थर
3. कायांतरित शैल – संगमरमर
कूटःCorrect
व्याख्याः
आग्नेय शैल- ग्रेनाइट, गैब्रो, बेसाल्ट, पेग्मैटाइट, ज्वालामुखी ब्रेशिया
अवसादी शैल- बालुकाश्म, पिंडशिला, चूना पत्थर, कोयला
कायांतरित शैल- ग्रेनाइट, सायनाइट, स्टेल, शिस्ट, संगमरमर, क्वार्ट्ज़Incorrect
व्याख्याः
आग्नेय शैल- ग्रेनाइट, गैब्रो, बेसाल्ट, पेग्मैटाइट, ज्वालामुखी ब्रेशिया
अवसादी शैल- बालुकाश्म, पिंडशिला, चूना पत्थर, कोयला
कायांतरित शैल- ग्रेनाइट, सायनाइट, स्टेल, शिस्ट, संगमरमर, क्वार्ट्ज़
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