भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत टेस्ट 7
भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत टेस्ट 7
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न कक्षा 11 की पुस्तक भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत (एन.सी.ई.आर.टी.) पर आधारित है| यदि आप ‘भौतिक भूगोल’ विषय की अधिक जानकारी नहीं रखते है तो इस टेस्ट को देने से पहले आप पुस्तक का रिविजन अवश्य करें|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsडोलाइन, युवाला तथा लेपीस उदाहरण हैं-
Correct
व्याख्याः डोलाइन, घाटी रंध्र (Valley Sinks) या युवाला (Uvalas) तथा लेपीस, भौम जल के द्वारा अपरदन के फलस्वरूप निर्मित स्थलरूप हैं।
Incorrect
व्याख्याः डोलाइन, घाटी रंध्र (Valley Sinks) या युवाला (Uvalas) तथा लेपीस, भौम जल के द्वारा अपरदन के फलस्वरूप निर्मित स्थलरूप हैं।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. स्टैलेग्माइट, कंदराओं की छत से धरातल पर टपकने वाले चूनामिश्रित जल से बनते हैं।
2. विभिन्न मोटाई के स्टैलेग्माइट तथा स्टैलेक्टाइट के मिलने से स्तंभ और कंदरा स्तंभ बनते हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- स्टैलेग्माइट कंदराओं की छत से धरातल पर टपकने वाले चूनामिश्रित जल से बनते हैं या स्टैलेक्टाइट के ठीक नीचे पतले पाइप की आकृति में बनते हैं। स्टैलेक्टाइट विभिन्न मोटाइयों के लटकते हुए हिमस्तंभ जैसे होते हैं। प्रायः ये आधार पर या कंदरा की छत के पास मोटे होते हैं और अंत के छोर पर पतले हो जाते हैं।
- स्टैलेग्माइट एक स्तंभ के एक चपटी तश्तरीनुमा आकार या समतल अथवा क्रेटरनुमा गड्डे के आकार में विकसित हो जाते हैं। विभिन्न मोटाई के स्टैलेग्माइट तथा स्टैलेक्टाइट के मिलने से स्तंभ और कंदरा स्तंभ बनते हैं।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- स्टैलेग्माइट कंदराओं की छत से धरातल पर टपकने वाले चूनामिश्रित जल से बनते हैं या स्टैलेक्टाइट के ठीक नीचे पतले पाइप की आकृति में बनते हैं। स्टैलेक्टाइट विभिन्न मोटाइयों के लटकते हुए हिमस्तंभ जैसे होते हैं। प्रायः ये आधार पर या कंदरा की छत के पास मोटे होते हैं और अंत के छोर पर पतले हो जाते हैं।
- स्टैलेग्माइट एक स्तंभ के एक चपटी तश्तरीनुमा आकार या समतल अथवा क्रेटरनुमा गड्डे के आकार में विकसित हो जाते हैं। विभिन्न मोटाई के स्टैलेग्माइट तथा स्टैलेक्टाइट के मिलने से स्तंभ और कंदरा स्तंभ बनते हैं।
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Question 3 of 20
3. Question
1 pointsहिमनद के संबंध में नीचे दिये कथनों पर विचार कीजियेः
1. वृहत् समतल क्षेत्र पर फैले हुए हिम परत को महाद्वीपीय हिमनद या गिरिपद हिमनद कहते हैं।
2. हिमनद मुख्यतः गुरुत्व बल के कारण गतिमान होते हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। पृथ्वी पर परत के रूप में हिम प्रवाह या पर्वतीय ढालों से घाटियों में रैखिक प्रवाह के रूप में बहते हिम संहति को हिमनद कहते हैं। महाद्वीपीय हिमनद या गिरिपद हिमनद वे हिमनद हैं जो वृहत् समतल क्षेत्र पर हिम परत के रूप में फैले हों तथा पर्वतीय या घाटी हिमनद वे हिमनद हैं, जो पर्वतीय ढालों में बहते हैं।
- दूसरा कथन भी सत्य है। हिमनद मुख्यतः गुरुत्व बल के कारण गतिमान होते हैं। हिमनद का प्रवाह बहुत धीमा होता है जो प्रतिदिन कुछ सेंटीमीटर या इससे कम से लेकर कुछ मीटर तक प्रवाहित हो सकते हैं।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। पृथ्वी पर परत के रूप में हिम प्रवाह या पर्वतीय ढालों से घाटियों में रैखिक प्रवाह के रूप में बहते हिम संहति को हिमनद कहते हैं। महाद्वीपीय हिमनद या गिरिपद हिमनद वे हिमनद हैं जो वृहत् समतल क्षेत्र पर हिम परत के रूप में फैले हों तथा पर्वतीय या घाटी हिमनद वे हिमनद हैं, जो पर्वतीय ढालों में बहते हैं।
- दूसरा कथन भी सत्य है। हिमनद मुख्यतः गुरुत्व बल के कारण गतिमान होते हैं। हिमनद का प्रवाह बहुत धीमा होता है जो प्रतिदिन कुछ सेंटीमीटर या इससे कम से लेकर कुछ मीटर तक प्रवाहित हो सकते हैं।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsहिमनद के द्वारा अपरदन से निर्मित स्थलरूपों के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
Correct
व्याख्याः ऊपर दिये गए सभी कथन सत्य हैं।
- हिमनद के द्वारा अपरदन के फलस्वरूप निर्मित प्रमुख स्थलरूप हैं- सर्क, हॉर्न या गिरिश्रृंग, हिमनद घाटी/गर्त आदि।
- हिमानीकृत पर्वतीय भागों में हिमनद द्वारा उत्पन्न स्थलरंध्रों में सर्क सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हैं। अधिकतर सर्क हिमनद घाटियों के शीर्ष पर पाए जाते हैं। एकत्रित हिम पर्वतीय क्षेत्रों से नीचे आती हुई सर्क को काटती है। सर्क लंबे व चौड़े गर्त हैं जिनकी दीवार तीव्र ढाल वाली सीधी या अवतल होती है।
- सर्क के शीर्ष पर अपरदन होने से हॉर्न निर्मित होते हैं। यदि तीन या अधिक विकीर्णित हिमनद निरंतर शीर्ष पर तब-तक अपरदन जारी रखें जब-तक उनके तल किनारों में मिल नहीं जाते हैं। इसके उपरांत एक तीव्र किनारों वाली नुकीली चोटी का निर्माण होता है, जिन्हें हॉर्न कहते हैं। हिमालय पर्वत की सबसे ऊँची चोटी एवरेस्ट, वास्तव में हॉर्न है जो सर्क के अपरदन से निर्मित है।
- हिमानीकृत घाटियाँ गर्त की भाँति होती हैं जो आकार में अंग्रेज़ी के अक्षर U जैसी होती हैं, जिनके तल चौड़े व किनारे चिकने तथा ढाल तीव्र होते हैं।
Incorrect
व्याख्याः ऊपर दिये गए सभी कथन सत्य हैं।
- हिमनद के द्वारा अपरदन के फलस्वरूप निर्मित प्रमुख स्थलरूप हैं- सर्क, हॉर्न या गिरिश्रृंग, हिमनद घाटी/गर्त आदि।
- हिमानीकृत पर्वतीय भागों में हिमनद द्वारा उत्पन्न स्थलरंध्रों में सर्क सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हैं। अधिकतर सर्क हिमनद घाटियों के शीर्ष पर पाए जाते हैं। एकत्रित हिम पर्वतीय क्षेत्रों से नीचे आती हुई सर्क को काटती है। सर्क लंबे व चौड़े गर्त हैं जिनकी दीवार तीव्र ढाल वाली सीधी या अवतल होती है।
- सर्क के शीर्ष पर अपरदन होने से हॉर्न निर्मित होते हैं। यदि तीन या अधिक विकीर्णित हिमनद निरंतर शीर्ष पर तब-तक अपरदन जारी रखें जब-तक उनके तल किनारों में मिल नहीं जाते हैं। इसके उपरांत एक तीव्र किनारों वाली नुकीली चोटी का निर्माण होता है, जिन्हें हॉर्न कहते हैं। हिमालय पर्वत की सबसे ऊँची चोटी एवरेस्ट, वास्तव में हॉर्न है जो सर्क के अपरदन से निर्मित है।
- हिमानीकृत घाटियाँ गर्त की भाँति होती हैं जो आकार में अंग्रेज़ी के अक्षर U जैसी होती हैं, जिनके तल चौड़े व किनारे चिकने तथा ढाल तीव्र होते हैं।
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Question 5 of 20
5. Question
1 pointsपिघलते हुए हिमनद के द्वारा मिश्रित रूप से भारी व महीन पदार्थों के निक्षेप को कहा जाता है-
Correct
व्याख्याः पिघलते हुए हिमनद के द्वारा मिश्रित रूप में भारी व महीन पदार्थों का निक्षेप-हिमोढ़ या हिमनद गोलाश्म के रूप में जाना जाता है। इन निक्षेपों में अधिकतर चट्टानी टुकड़े नुकीले या कम नुकीले आकार के होते हैं।
Incorrect
व्याख्याः पिघलते हुए हिमनद के द्वारा मिश्रित रूप में भारी व महीन पदार्थों का निक्षेप-हिमोढ़ या हिमनद गोलाश्म के रूप में जाना जाता है। इन निक्षेपों में अधिकतर चट्टानी टुकड़े नुकीले या कम नुकीले आकार के होते हैं।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से किस-हिमनद स्थलरूप का विकास हिमनद दरारों में भारी चट्टानी मलबे के भरने व उसके बर्फ के नीचे रहने से होता है?
Correct
व्याख्याः ड्रमलिन हिमनद मृत्तिका के अंडाकार समतल कटकनुमा स्थलरूप हैं जिसमें रेत व बजरी के ढेर होते हैं। ड्रमलिन का निर्माण हिमनद दरारों में भारी चट्टानी मलबे के भरने व उसके बर्फ के नीचे रहने से होता है। ड्रमलिन के लंबे भाग हिमनद के प्रवाह की दिशा के समानांतर होते हैं। ये एक किलोमीटर तक लंबे व 30 मीटर तक ऊँचे होते हैं। ड्रमलिन हिमनद प्रवाह की दिशा को बताते हैं।
Incorrect
व्याख्याः ड्रमलिन हिमनद मृत्तिका के अंडाकार समतल कटकनुमा स्थलरूप हैं जिसमें रेत व बजरी के ढेर होते हैं। ड्रमलिन का निर्माण हिमनद दरारों में भारी चट्टानी मलबे के भरने व उसके बर्फ के नीचे रहने से होता है। ड्रमलिन के लंबे भाग हिमनद के प्रवाह की दिशा के समानांतर होते हैं। ये एक किलोमीटर तक लंबे व 30 मीटर तक ऊँचे होते हैं। ड्रमलिन हिमनद प्रवाह की दिशा को बताते हैं।
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsसमुद्री तरंगों व धाराओं के द्वारा निर्मित स्थलरूपों के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. तटरेखा का अत्यधिक अवनमन होने से किनारे के स्थल भाग के जलमग्न होने से फियोर्ड तट बनते हैं।
2. रोधिकाएँ जिनका एक भाग खाड़ी के शीर्षस्थल से जुड़ा हो उसे लैगून कहते हैं।
3. रोधिका तथा स्पिट किसी खाड़ी के मुख पर निर्मित होकर इसके मार्ग को अवरुद्ध करके तटीय मैदान का निर्माण करते हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- केवल पहला कथन सत्य है। ऊँचे चट्टानी तटों के सहारे तट रेखाएँ अनियमित होती हैं तथा नदियाँ जलमग्न प्रतीत होती हैं। तटरेखा का अत्यधिक अवनमन होने से किनारे के स्थल भाग जलमग्न हो जाते हैं और वहाँ फियोर्ड तट बनते हैं।
- दूसरा व तीसरा कथन असत्य है। रोधिकाएँ जलमग्न आकृतियाँ हैं और जब यही रोधिकाएँ जल के ऊपर दिखाई देती हैं तो इन्हें रोध (Barriers) कहा जाता है। ऐसी रोधिकाएँ जिनका एक भाग खाड़ी के शीर्षस्थल से जुड़ा हो तो इसे स्पिट (Spit) कहा जाता है। जब रोधिका तथा स्पिट किसी खाड़ी के मुख पर निर्मित होकर इसके मार्ग को अवरूद्ध कर देते हैं तब लैगून (Lagoon) निर्मित होते हैं। कलांतर में लैगून स्थल से बहाए गए तलछट से भर जाता है और तटीय मैदान की रचना होती है।
Incorrect
व्याख्याः
- केवल पहला कथन सत्य है। ऊँचे चट्टानी तटों के सहारे तट रेखाएँ अनियमित होती हैं तथा नदियाँ जलमग्न प्रतीत होती हैं। तटरेखा का अत्यधिक अवनमन होने से किनारे के स्थल भाग जलमग्न हो जाते हैं और वहाँ फियोर्ड तट बनते हैं।
- दूसरा व तीसरा कथन असत्य है। रोधिकाएँ जलमग्न आकृतियाँ हैं और जब यही रोधिकाएँ जल के ऊपर दिखाई देती हैं तो इन्हें रोध (Barriers) कहा जाता है। ऐसी रोधिकाएँ जिनका एक भाग खाड़ी के शीर्षस्थल से जुड़ा हो तो इसे स्पिट (Spit) कहा जाता है। जब रोधिका तथा स्पिट किसी खाड़ी के मुख पर निर्मित होकर इसके मार्ग को अवरूद्ध कर देते हैं तब लैगून (Lagoon) निर्मित होते हैं। कलांतर में लैगून स्थल से बहाए गए तलछट से भर जाता है और तटीय मैदान की रचना होती है।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. भारत का पश्चिमी तट ऊँचा चट्टानी निवर्तन तट है।
2. भारत के पूर्वी तट निचले अवसादी तट हैं।
3. भारत के पूर्वी तट पर निक्षेपित स्थलाकृतियाँ पाई जाती हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/है?Correct
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं। तटीय स्थलरूपों के विकास को समझने के लिये तटों को दो भागों में वर्गीकृत किया जाता हैः (1) ऊँचे चट्टानी तट (जमग्न तट) (2) निम्न, समतल व मंद ढाल के अवसादी तट (उन्मग्न तट) भारत का पश्चिमी तट ऊँचा चट्टानी निर्वतन तट है। पश्चिमी तट पर अपरदित आकृतियाँ बहुतायत में हैं। भारत के पूर्वी तट निचले अवसादी तट हैं। इन तटों पर निक्षेपित स्थलाकृतियाँ पाई जाती हैं।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं। तटीय स्थलरूपों के विकास को समझने के लिये तटों को दो भागों में वर्गीकृत किया जाता हैः (1) ऊँचे चट्टानी तट (जमग्न तट) (2) निम्न, समतल व मंद ढाल के अवसादी तट (उन्मग्न तट) भारत का पश्चिमी तट ऊँचा चट्टानी निर्वतन तट है। पश्चिमी तट पर अपरदित आकृतियाँ बहुतायत में हैं। भारत के पूर्वी तट निचले अवसादी तट हैं। इन तटों पर निक्षेपित स्थलाकृतियाँ पाई जाती हैं।
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Question 9 of 20
9. Question
1 pointsयदि समुद्री तूफान या सुनामी समुद्र से स्थल की ओर प्रवाहित होती है तो समुद्री अपतट पर बनी विभिन्न स्थलाकृतियों से उनके टकराने का सही क्रम कौन-सा है?
Correct
व्याख्याः समुद्र के अपतट पर बनी रोधिकाएँ तूफान और सुनामी लहरों के आक्रमण के समय सबसे पहले बचाव करती हैं क्योंकि ये रोधिकाएँ इनकी प्रबलता को कम कर देती हैं। इसके बाद रोध, पुलिन, पुलिन स्तूप तथा मैंग्रोव हैं जो इनकी प्रबलता को झेलते हैं। अतः अगर हम तटों के किनारों पर पाए जाने वाले मैंग्रोव व तलछट से छेड़छाड़ करते हैं तो ये तटीय स्थलाकृतियाँ अपरदित हो जाएँगी तथा मानव व मानवीय बस्तियों को तूफान व सुनामी लहरों के सीधे प्रथम प्रहार झेलने होंगे।
Incorrect
व्याख्याः समुद्र के अपतट पर बनी रोधिकाएँ तूफान और सुनामी लहरों के आक्रमण के समय सबसे पहले बचाव करती हैं क्योंकि ये रोधिकाएँ इनकी प्रबलता को कम कर देती हैं। इसके बाद रोध, पुलिन, पुलिन स्तूप तथा मैंग्रोव हैं जो इनकी प्रबलता को झेलते हैं। अतः अगर हम तटों के किनारों पर पाए जाने वाले मैंग्रोव व तलछट से छेड़छाड़ करते हैं तो ये तटीय स्थलाकृतियाँ अपरदित हो जाएँगी तथा मानव व मानवीय बस्तियों को तूफान व सुनामी लहरों के सीधे प्रथम प्रहार झेलने होंगे।
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Question 10 of 20
10. Question
1 pointsमरुस्थलीय क्षेत्रों में पर्वतों के पाद पर मलबे रहित अथवा मलबे सहित मंद ढाल वाले चट्टानी तल को क्या कहते हैं?
Correct
व्याख्याः मरुस्थलों में भूदृश्य का विकास मुख्यतः पेडीमेंट का निर्माण व उसका ही विकसित रूप है। पर्वतों के पाद पर मलवे रहित अथवा मलवे मंद ढाल वाले चट्टानी तल पेडीमेंट कहलाते हैं। मरुस्थली जब उच्च धरातल, आकृति विहीन मैदान में परिवर्तित हो जाते हैं तो उसे पेडीप्लेन/पदस्थली कहते हैं।
Incorrect
व्याख्याः मरुस्थलों में भूदृश्य का विकास मुख्यतः पेडीमेंट का निर्माण व उसका ही विकसित रूप है। पर्वतों के पाद पर मलवे रहित अथवा मलवे मंद ढाल वाले चट्टानी तल पेडीमेंट कहलाते हैं। मरुस्थली जब उच्च धरातल, आकृति विहीन मैदान में परिवर्तित हो जाते हैं तो उसे पेडीप्लेन/पदस्थली कहते हैं।
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Question 11 of 20
11. Question
1 pointsउथली जल की झीलें “प्लाया” किस क्षेत्र में पाई जाने वाली स्थलाकृतियाँ हैं?
Correct
व्याख्याः प्लाया का विकास मरुस्थलीय क्षेत्रों में होता है। मरुभूमियों में मैदान प्रमुख स्थलरूप हैं। पर्वतों व पहाड़ियों से घिरे बेसिनों में अपवाह मुख्यतः बेसिन के मध्य में होता है तथा बेसिन के किनारों से लगातार लाए हुए अवसाद जमाव के कारण बेसिन के मध्य में लगभग समतल मैदान की रचना हो जाती है। पर्याप्त जल उपलब्ध होने पर यह मैदान उथले जल क्षेत्र में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रकार की उथली जल झीले ही प्लाया (Playa) कहलाती हैं। प्लाया में वाष्पीकरण के कारण जल अल्प समय के लिये ही रहता है और अक्सर प्लाया में लवणों के समृद्ध निक्षेप पाए जाते हैं। ऐसे प्लाया मैदान, जो लवणों से भरे हों कल्लर भूमि या क्षारीय क्षेत्र कहलाते हैं
Incorrect
व्याख्याः प्लाया का विकास मरुस्थलीय क्षेत्रों में होता है। मरुभूमियों में मैदान प्रमुख स्थलरूप हैं। पर्वतों व पहाड़ियों से घिरे बेसिनों में अपवाह मुख्यतः बेसिन के मध्य में होता है तथा बेसिन के किनारों से लगातार लाए हुए अवसाद जमाव के कारण बेसिन के मध्य में लगभग समतल मैदान की रचना हो जाती है। पर्याप्त जल उपलब्ध होने पर यह मैदान उथले जल क्षेत्र में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रकार की उथली जल झीले ही प्लाया (Playa) कहलाती हैं। प्लाया में वाष्पीकरण के कारण जल अल्प समय के लिये ही रहता है और अक्सर प्लाया में लवणों के समृद्ध निक्षेप पाए जाते हैं। ऐसे प्लाया मैदान, जो लवणों से भरे हों कल्लर भूमि या क्षारीय क्षेत्र कहलाते हैं
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Question 12 of 20
12. Question
1 pointsविभिन्न स्थलरूपों एवं उनके निर्माण के कारकों के संबंध में नीचे दी गई सूचियों को आपस में मिलाइये-
सूची-I सूची-II A. प्रवाहित जल 1. बरखान B. हिमनद 2. गोखुर झील C. समुद्री तरंग 3. स्पिट D. पवनें 4. एस्कर कूटः
Correct
व्याख्याः
- प्रवाहित जल – गोखुर झील
- हिमनद – एस्कर
- समुद्री तरंग – स्पिट
- पवन – बरकान (चंद्राकार बालू के टिब्बे)
Incorrect
व्याख्याः
- प्रवाहित जल – गोखुर झील
- हिमनद – एस्कर
- समुद्री तरंग – स्पिट
- पवन – बरकान (चंद्राकार बालू के टिब्बे)
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. उभरी हुई भू-आकृतियों का विघर्षण तथा बेसिन क्षेत्रों का भराव बहिर्जनिक बलों के द्वारा होता है।
2. धरातल पर अपरदन के माध्यम से उच्चावच के मध्य अंतर कम होना तल संतुलन कहलाता है।
3. भू-आकृतियों का निर्माण अंतर्जनित बलों द्वारा होता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- पृथ्वी का धरातल, पृथ्वी के अंदर उत्पन्न हुए आंतरिक बलों एवं सतह के बाहर उत्पन्न हुए बाह्य बलों से अनवरत प्रभावित होता रहता है। बहिर्जनिक बलों की क्रियाओं का परिणाम है- उभरी हुई भू-आकृतियों का विघर्षण (Wearing down) तथा बेसिन क्षेत्रों/निम्न गर्तों का भराव।
- पृथ्वी के सतह के बाह्य बलों को बहिर्जनिक (Exogenic) तथा आंतरिक बलों का अंतर्जनित (Endogenic) बल कहते हैं। सामान्यतः अंतर्जनित बल मूल रूप से भू-आकृति निर्माण करने वाले बल तथा बहिर्जनिक प्रक्रियाएँ मुख्य रूप से भूमि विघर्षण (Wearing down) बल होती हैं।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- पृथ्वी का धरातल, पृथ्वी के अंदर उत्पन्न हुए आंतरिक बलों एवं सतह के बाहर उत्पन्न हुए बाह्य बलों से अनवरत प्रभावित होता रहता है। बहिर्जनिक बलों की क्रियाओं का परिणाम है- उभरी हुई भू-आकृतियों का विघर्षण (Wearing down) तथा बेसिन क्षेत्रों/निम्न गर्तों का भराव।
- पृथ्वी के सतह के बाह्य बलों को बहिर्जनिक (Exogenic) तथा आंतरिक बलों का अंतर्जनित (Endogenic) बल कहते हैं। सामान्यतः अंतर्जनित बल मूल रूप से भू-आकृति निर्माण करने वाले बल तथा बहिर्जनिक प्रक्रियाएँ मुख्य रूप से भूमि विघर्षण (Wearing down) बल होती हैं।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा कथन भू-आकृतिक प्रक्रियाओं को सही तरीके से परिभाषित करता है?
Correct
व्याख्याः धरातल के पदार्थों पर अंतर्जनित एवं बहिर्जनिक बलों द्वारा भौतिक दबाव तथा रासायनिक क्रियाओं के कारण भूतल के विन्यास में परिवर्तन को भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ कहते हैं। पटल विरूपण (Diastrophism) एवं ज्वालामुखीयता (Volcanism) अंतर्जनित भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ हैं तथा अपक्षय, वृहद् क्षरण (Mass Wasting), अपरदन एवं निक्षेपण (Deposition) बहिर्जनिक भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ हैं।
Incorrect
व्याख्याः धरातल के पदार्थों पर अंतर्जनित एवं बहिर्जनिक बलों द्वारा भौतिक दबाव तथा रासायनिक क्रियाओं के कारण भूतल के विन्यास में परिवर्तन को भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ कहते हैं। पटल विरूपण (Diastrophism) एवं ज्वालामुखीयता (Volcanism) अंतर्जनित भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ हैं तथा अपक्षय, वृहद् क्षरण (Mass Wasting), अपरदन एवं निक्षेपण (Deposition) बहिर्जनिक भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ हैं।
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Question 15 of 20
15. Question
1 pointsकथनः जल, हिम तथा वायु को भू-आकृतिक कारक कहा जाता है।
कारणः जल, हिम तथा वायु, धरातल के पदार्थों का अधिग्रहण तथा परिवहन करते हैं।Correct
व्याख्याः प्रकृति के किसी भी बहिर्जनिक तत्त्व जैसे- जल, वायु, हिम इत्यादि जो धरातल के पदार्थों का अधिग्रहण तथा परिवहन करने में समक्ष हैं, को भू-आकृतिक कारक कहा जाता है।
Incorrect
व्याख्याः प्रकृति के किसी भी बहिर्जनिक तत्त्व जैसे- जल, वायु, हिम इत्यादि जो धरातल के पदार्थों का अधिग्रहण तथा परिवहन करने में समक्ष हैं, को भू-आकृतिक कारक कहा जाता है।
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Question 16 of 20
16. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सी प्रक्रिया/प्रक्रियाएँ पटल विरूपण (Diastrophism) में सम्मिलित है/हैं?
1. तीक्ष्ण वलयन के माध्यम से पर्वत निर्माण।
2. धरातल के बड़े भाग का उत्थान या विकृति।
3. पर्पटी प्लेट के क्षैतिज संचलन करने में प्लेट विवर्तनिकी की भूमिका।
कूटःCorrect
व्याख्याः वे सभी प्रक्रियाएँ जो भू-पर्पटी को संचलित, उत्थापित (Elevated) तथा निर्मित करती हैं, पटल विरूपण के अंतर्गत आती हैं। पटल विरूपण में निम्नलिखित सम्मिलित हैं-
1. तीक्ष्ण वलयन के माध्यम से पर्वत निर्माण तथा भू-पर्पटी की लंबी एवं संकीर्ण पट्टियों को प्रभावित करने वाली पर्वतनी प्रक्रियाएँ।
2. धरातल के बड़े भाग के उत्थान या विकृति में संलग्न महाद्वीप रचना संबंधी प्रक्रियाएँ।
3. अपेक्षाकृत छोटे स्थानीय संचलन के कारण उत्पन्न भूकंप।
4. पर्पटी प्लेट के क्षैतिज संचलन करने में प्लेट विवर्तनिकी की भूमिका।Incorrect
व्याख्याः वे सभी प्रक्रियाएँ जो भू-पर्पटी को संचलित, उत्थापित (Elevated) तथा निर्मित करती हैं, पटल विरूपण के अंतर्गत आती हैं। पटल विरूपण में निम्नलिखित सम्मिलित हैं-
1. तीक्ष्ण वलयन के माध्यम से पर्वत निर्माण तथा भू-पर्पटी की लंबी एवं संकीर्ण पट्टियों को प्रभावित करने वाली पर्वतनी प्रक्रियाएँ।
2. धरातल के बड़े भाग के उत्थान या विकृति में संलग्न महाद्वीप रचना संबंधी प्रक्रियाएँ।
3. अपेक्षाकृत छोटे स्थानीय संचलन के कारण उत्पन्न भूकंप।
4. पर्पटी प्लेट के क्षैतिज संचलन करने में प्लेट विवर्तनिकी की भूमिका। -
Question 17 of 20
17. Question
1 pointsबहिर्जनिक प्रक्रियाओं के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. बहिर्जनिक प्रक्रियाएँ अपनी ऊर्जा केवल सूर्य द्वारा निर्धारित वायुमंडलीय ऊर्जा से प्राप्त करती हैं।
2. विभिन्न जलवायु प्रदेशों में बहिर्जनिक भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ भिन्न-भिन्न होती हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। बहिर्जनिक प्रक्रियाएँ अपनी ऊर्जा सूर्य द्वारा निर्धारित वायुमंडलीय ऊर्जा एवं अंतर्जनित शक्तियों से नियंत्रित विवर्तनिक (Techtonic) कारकों से उत्पन्न प्रवणता से प्राप्त करती हैं।
- दूसरा कथन सत्य है। धरातल पर विभिन्न प्रकार के जलवायु प्रदेश मिलते हैं इसलिये बहिर्जनिक भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ भी एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में भिन्न होती हैं। तापक्रम तथा वर्षण दो महत्त्वपूर्ण जलवायवीय तत्त्व हैं, जो विभिन्न प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। बहिर्जनिक प्रक्रियाएँ अपनी ऊर्जा सूर्य द्वारा निर्धारित वायुमंडलीय ऊर्जा एवं अंतर्जनित शक्तियों से नियंत्रित विवर्तनिक (Techtonic) कारकों से उत्पन्न प्रवणता से प्राप्त करती हैं।
- दूसरा कथन सत्य है। धरातल पर विभिन्न प्रकार के जलवायु प्रदेश मिलते हैं इसलिये बहिर्जनिक भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ भी एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में भिन्न होती हैं। तापक्रम तथा वर्षण दो महत्त्वपूर्ण जलवायवीय तत्त्व हैं, जो विभिन्न प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।
-
Question 18 of 20
18. Question
1 pointsभूमिगत गुफाओं का निर्माण किस प्रकार की अपक्षय प्रक्रिया के फलस्वरूप होता है?
Correct
व्याख्याः
- अपक्षय के अंतर्गत वायुमंडलीय तत्त्वों की धरातल के पदार्थों पर की गई क्रिया सम्मिलित होती है। अपक्षय प्रक्रियाओं के तीन प्रकार प्रमुख हैं- (1) रासायनिक (2) भौतिक या यांत्रिक (3) जैविक।
- अपक्षय प्रक्रियाओं का एक समूह जैसे कि विलयन, कार्बोनीकरण, जलयोजन, ऑक्सीकरण एवं न्यूनीकरण, रासायनिक अपक्षय प्रक्रियाओं के अंतर्गत शामिल किये जाते हैं।
- भूमिगत गुफाओं का निर्माण कार्बोनेशन का प्रक्रिया के फलस्वरूप होता है जो कि एक रासायनिक अपक्षय प्रक्रिया है। कार्बोनेट एवं बाई कार्बोनेट की खनिजों से प्रतिक्रिया का प्रतिफल कार्बोनेशन कहलाता है।
Incorrect
व्याख्याः
- अपक्षय के अंतर्गत वायुमंडलीय तत्त्वों की धरातल के पदार्थों पर की गई क्रिया सम्मिलित होती है। अपक्षय प्रक्रियाओं के तीन प्रकार प्रमुख हैं- (1) रासायनिक (2) भौतिक या यांत्रिक (3) जैविक।
- अपक्षय प्रक्रियाओं का एक समूह जैसे कि विलयन, कार्बोनीकरण, जलयोजन, ऑक्सीकरण एवं न्यूनीकरण, रासायनिक अपक्षय प्रक्रियाओं के अंतर्गत शामिल किये जाते हैं।
- भूमिगत गुफाओं का निर्माण कार्बोनेशन का प्रक्रिया के फलस्वरूप होता है जो कि एक रासायनिक अपक्षय प्रक्रिया है। कार्बोनेट एवं बाई कार्बोनेट की खनिजों से प्रतिक्रिया का प्रतिफल कार्बोनेशन कहलाता है।
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Question 19 of 20
19. Question
1 pointsजलयोजन जो कि एक रासायनिक अपक्षय की प्रक्रिया है के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. जलयोजन की प्रक्रिया शैलों के विघटन में सहायता करती है।
2. यह प्रक्रिया खनिजों के भौतिक अपक्षय में सहायता प्रदान करती है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- जलयोजन, जल का रासायनिक योग है। खनिज स्वयं जल धारण करके विस्तारित हो जाते हैं एवं यह विस्तार पदार्थ के आयतन (Volume) अथवा शैल में वृद्धि का कारण बनता है। कैल्शियम सल्फेट जल मिलने के बाद जिप्सम में परिवर्तित हो जाता है जो कैल्शियम सल्फेट की अपेक्षा अधिक अस्थायी होता है। यह प्रतिक्रिया उत्क्रमणीय एवं लंबी होती है तथा इसके सतत् पुनरावृत्ति से शैलों में श्रांति हो जाती है, जिसके फलस्वरूप उनमें विघटन हो सकता है। रंध्र क्षेत्र में समाहित लवण तीव्र एवं बार-बार जलयोजन से प्रभावित होकर शैल विभंग में सहायक होता है।
- जलयोजन के कारण खनिजों के आयतन में परिवर्तन अपशल्कन (Exfoliation) एवं कणीय विघटन द्वारा भौतिक अपक्षय में सहायता प्रदान करती है।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- जलयोजन, जल का रासायनिक योग है। खनिज स्वयं जल धारण करके विस्तारित हो जाते हैं एवं यह विस्तार पदार्थ के आयतन (Volume) अथवा शैल में वृद्धि का कारण बनता है। कैल्शियम सल्फेट जल मिलने के बाद जिप्सम में परिवर्तित हो जाता है जो कैल्शियम सल्फेट की अपेक्षा अधिक अस्थायी होता है। यह प्रतिक्रिया उत्क्रमणीय एवं लंबी होती है तथा इसके सतत् पुनरावृत्ति से शैलों में श्रांति हो जाती है, जिसके फलस्वरूप उनमें विघटन हो सकता है। रंध्र क्षेत्र में समाहित लवण तीव्र एवं बार-बार जलयोजन से प्रभावित होकर शैल विभंग में सहायक होता है।
- जलयोजन के कारण खनिजों के आयतन में परिवर्तन अपशल्कन (Exfoliation) एवं कणीय विघटन द्वारा भौतिक अपक्षय में सहायता प्रदान करती है।
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Question 20 of 20
20. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. अपक्षय में ऑक्सीकरण, ऑक्साइड निर्माण हेतु खनिज एवं कार्बन डाईऑक्साइड का संयोग है।
2. ऑक्सीकरण की प्रक्रिया से शैलों का विखंडन होता है।
3. जब ऑक्सीकृत खनिज का ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अपक्षय होता है तो उसे न्यूनीकरण कहते हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। अपक्षय में ऑक्सीकरण का तात्पर्य है ऑक्साइड या हाइड्रोऑक्साइड के निर्माण हेतु खनिज एवं ऑक्सीजन का संयोग। ऑक्सीकरण वहीं होता है जहाँ वायुमंडल एवं ऑक्सीजन युक्त जल मिलते हैं। इस प्रक्रिया में लौह, मैंगनीज़, सल्फर (गंधक) इत्यादि सर्वाधिक मात्रा में शामिल होते हैं।
- दूसरा कथन सत्य है। ऑक्सीकरण की प्रक्रिया में ऑक्सीजन के योग के कारण पैदा हुए व्यवधान से शैलों का टूटना जारी रहता है।
- तीसरा कथन भी सत्य है। जब ऑक्सीकृत खनिज ऐसे वातावरण में रखे जाते हैं जहाँ ऑक्सीजन का अभाव है तो एक दूसरी रासायनिक अपक्षय प्रक्रिया आरंभ हो जाती है जिसे न्यूनीकरण क्रिया कहते हैं। ऐसी दशाएँ प्रायः भौम जलस्तर के नीचे, रुद्ध जल के क्षेत्र या जलप्लावित क्षेत्रों में पाई जाती है।
नोटः रासायनिक अपक्षय की प्रक्रियाएँ अंतः संबंधित हैं। जलयोजन, कार्बोनेशन एवं ऑक्सीकरण साथ-साथ चलते रहते हैं एवं अपक्षय प्रक्रिया को त्वरित बना देते हैं।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। अपक्षय में ऑक्सीकरण का तात्पर्य है ऑक्साइड या हाइड्रोऑक्साइड के निर्माण हेतु खनिज एवं ऑक्सीजन का संयोग। ऑक्सीकरण वहीं होता है जहाँ वायुमंडल एवं ऑक्सीजन युक्त जल मिलते हैं। इस प्रक्रिया में लौह, मैंगनीज़, सल्फर (गंधक) इत्यादि सर्वाधिक मात्रा में शामिल होते हैं।
- दूसरा कथन सत्य है। ऑक्सीकरण की प्रक्रिया में ऑक्सीजन के योग के कारण पैदा हुए व्यवधान से शैलों का टूटना जारी रहता है।
- तीसरा कथन भी सत्य है। जब ऑक्सीकृत खनिज ऐसे वातावरण में रखे जाते हैं जहाँ ऑक्सीजन का अभाव है तो एक दूसरी रासायनिक अपक्षय प्रक्रिया आरंभ हो जाती है जिसे न्यूनीकरण क्रिया कहते हैं। ऐसी दशाएँ प्रायः भौम जलस्तर के नीचे, रुद्ध जल के क्षेत्र या जलप्लावित क्षेत्रों में पाई जाती है।
नोटः रासायनिक अपक्षय की प्रक्रियाएँ अंतः संबंधित हैं। जलयोजन, कार्बोनेशन एवं ऑक्सीकरण साथ-साथ चलते रहते हैं एवं अपक्षय प्रक्रिया को त्वरित बना देते हैं।
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