भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत टेस्ट 5
भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत टेस्ट 5
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न कक्षा 11 की पुस्तक भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत (एन.सी.ई.आर.टी.) पर आधारित है| यदि आप ‘भौतिक भूगोल’ विषय की अधिक जानकारी नहीं रखते है तो इस टेस्ट को देने से पहले आप पुस्तक का रिविजन अवश्य करें|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsपृथ्वी की सतह पर विभिन्न कोष्ठ (Cell) तथा उसमें प्रवाहित होने वाली पवनों के संबंध में कौन-सा/से युग्म सही सुमेलित है/हैं?
1. हेडली कोष्ठ : पछुआ पवन
2. फैरल कोष्ठ : पूर्वी व्यापारिक पवन
3. ध्रुवीय कोष्ठ : ध्रुवीय पूर्वी पवन
कूटःCorrect
व्याख्याः
- पृथ्वी की सतह से ऊपर की दिशा में होने वाले परिसंचरण और इसके विपरीत दिशा में होने वाले परिसंचरण को कोष्ठ (Cell) कहते हैं।
- उष्णकटिबंधीय क्षेत्र को हेडली कोष्ठ (Hadley Cell) कहा जाता है तथा इस क्षेत्र में पूर्वी व्यापारिक पवनें प्रवाहित होती हैं।
- उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र को फैरल कोष्ठ कहा जाता है तथा इस कोष्ठ के धरातल में प्रवाहित होने वाली पवनें पछुआ पवनों के नाम से जानी जाती हैं।
- ध्रुवीय अक्षांशों पर ठंडी सघन वायु का ध्रुवों पर अवतलन होता है और मध्य अक्षांशों की ओर ध्रुवीय पूर्वी पवनों के रूप में प्रवाहित होती हैं। इस कोष्ठ को ध्रुवीय कोष्ठ कहा जाता है।
Incorrect
व्याख्याः
- पृथ्वी की सतह से ऊपर की दिशा में होने वाले परिसंचरण और इसके विपरीत दिशा में होने वाले परिसंचरण को कोष्ठ (Cell) कहते हैं।
- उष्णकटिबंधीय क्षेत्र को हेडली कोष्ठ (Hadley Cell) कहा जाता है तथा इस क्षेत्र में पूर्वी व्यापारिक पवनें प्रवाहित होती हैं।
- उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र को फैरल कोष्ठ कहा जाता है तथा इस कोष्ठ के धरातल में प्रवाहित होने वाली पवनें पछुआ पवनों के नाम से जानी जाती हैं।
- ध्रुवीय अक्षांशों पर ठंडी सघन वायु का ध्रुवों पर अवतलन होता है और मध्य अक्षांशों की ओर ध्रुवीय पूर्वी पवनों के रूप में प्रवाहित होती हैं। इस कोष्ठ को ध्रुवीय कोष्ठ कहा जाता है।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsदक्षिणी दोलन की घटना का संबंध किस महासागर से है?
Correct
व्याख्याः वायुमंडल के सामान्य परिसंचरण के संदर्भ में प्रशांत महासागर का गर्म या ठंडा होना अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। मध्य प्रशांत महासागर की गर्म जलधाराएँ दक्षिणी अमेरिका के तट की ओर प्रवाहित होती हैं और पेरू की ठंडी धाराओं का स्थान ले लेती हैं। पेरू के तट पर इन गर्म धाराओं की उपस्थिति एल-नीनो कहलाती है। एल- नीनो घटना का मध्य प्रशांत महासागर और ऑस्ट्रेलिया के वायुदाब परिवर्तन से गहरा संबंध है। प्रशांत महासागर पर वायुदाब में यह परिवर्तन दक्षिणी दोलन कहलाता है। इन दोनों (दक्षिणी दोलन व एल-नीनो) की संयुक्त घटना को ईएनएसओ (ENSO) के नाम से जाना जाता है।
Incorrect
व्याख्याः वायुमंडल के सामान्य परिसंचरण के संदर्भ में प्रशांत महासागर का गर्म या ठंडा होना अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। मध्य प्रशांत महासागर की गर्म जलधाराएँ दक्षिणी अमेरिका के तट की ओर प्रवाहित होती हैं और पेरू की ठंडी धाराओं का स्थान ले लेती हैं। पेरू के तट पर इन गर्म धाराओं की उपस्थिति एल-नीनो कहलाती है। एल- नीनो घटना का मध्य प्रशांत महासागर और ऑस्ट्रेलिया के वायुदाब परिवर्तन से गहरा संबंध है। प्रशांत महासागर पर वायुदाब में यह परिवर्तन दक्षिणी दोलन कहलाता है। इन दोनों (दक्षिणी दोलन व एल-नीनो) की संयुक्त घटना को ईएनएसओ (ENSO) के नाम से जाना जाता है।
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Question 3 of 20
3. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सी स्थानीय पवनें दिन के समय बहती हैं?
1. स्थल समीर
2. समुद्र समीर
3. घाटी समीर
4. अवरोही (Katabatic) पवनें
कूटःCorrect
व्याख्याः
- केवल समुद्र समीर व घाटी समीर दिन के समय प्रवाहित होती हैं।
- भूतल के गर्म व ठंडे होने से भिन्नता तथा दैनिक व वार्षिक चक्रों के विकास से बहुत-सी स्थानीय व क्षेत्रीय पवनें प्रवाहित होती हैं।
- दिन के समय स्थल भाग समुद्र की अपेक्षा अधिक गर्म हो जाता है। अतः स्थल पर हवाएँ ऊपर उठती हैं और निम्न दाब का क्षेत्र बनता है, जबकि समुद्र अपेक्षाकृत ठंडे रहते हैं और उन पर उच्च वायुदाब बना रहता है। इससे समुद्र से स्थल की ओर दाब प्रवणता उत्पन्न होती है और पवनें समुद्र से स्थल की तरफ समुद्र समीर के रूप में प्रवाहित होती हैं। रात्रि के समय एकदम विपरीत प्रक्रिया होती है। स्थल समुद्र की अपेक्षा जल्दी ठंडा होता है। दाब प्रवणता स्थल से समुद्र की तरफ होने पर स्थल समीर प्रवाहित होती है।
- दिन के समय पर्वतीय प्रदेशों में ढाल गर्म हो जाते हैं और वायु ढाल के साथ-साथ ऊपर उठती है और इस स्थान को भरने के लिए वायु घाटी से बहती है। इन पवनों को घाटी समीर कहते हैं। रात्रि के समय पर्वतीय ढाल ठंडे हो जाते है और सघन वायु घाटी में नीचे उतरती है जिसे पर्वतीय पवनें कहते हैं। उच्च पठारों व हिम क्षेत्रों से घाटी में बहने वाली ठंडी वायु को अवरोही (Katabatic) पवनें कहते हैं।
Incorrect
व्याख्याः
- केवल समुद्र समीर व घाटी समीर दिन के समय प्रवाहित होती हैं।
- भूतल के गर्म व ठंडे होने से भिन्नता तथा दैनिक व वार्षिक चक्रों के विकास से बहुत-सी स्थानीय व क्षेत्रीय पवनें प्रवाहित होती हैं।
- दिन के समय स्थल भाग समुद्र की अपेक्षा अधिक गर्म हो जाता है। अतः स्थल पर हवाएँ ऊपर उठती हैं और निम्न दाब का क्षेत्र बनता है, जबकि समुद्र अपेक्षाकृत ठंडे रहते हैं और उन पर उच्च वायुदाब बना रहता है। इससे समुद्र से स्थल की ओर दाब प्रवणता उत्पन्न होती है और पवनें समुद्र से स्थल की तरफ समुद्र समीर के रूप में प्रवाहित होती हैं। रात्रि के समय एकदम विपरीत प्रक्रिया होती है। स्थल समुद्र की अपेक्षा जल्दी ठंडा होता है। दाब प्रवणता स्थल से समुद्र की तरफ होने पर स्थल समीर प्रवाहित होती है।
- दिन के समय पर्वतीय प्रदेशों में ढाल गर्म हो जाते हैं और वायु ढाल के साथ-साथ ऊपर उठती है और इस स्थान को भरने के लिए वायु घाटी से बहती है। इन पवनों को घाटी समीर कहते हैं। रात्रि के समय पर्वतीय ढाल ठंडे हो जाते है और सघन वायु घाटी में नीचे उतरती है जिसे पर्वतीय पवनें कहते हैं। उच्च पठारों व हिम क्षेत्रों से घाटी में बहने वाली ठंडी वायु को अवरोही (Katabatic) पवनें कहते हैं।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. दो भिन्न प्रकार की वायुराशियाँ के मध्य सीमा क्षेत्र को वाताग्र कहते हैं।
2. वाताग्र केवल मध्य अक्षांशों में ही निर्मित होते हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- वायु का वृहत् भाग जिसमें तापमान व आर्द्रता संबंधी क्षैतिज भिन्नताएँ बहुत कम होती हैं, वायुराशि कहलाती है। जब दो भिन्न प्रकार की वायुराशियाँ मिलती हैं तो उनके मध्य सीमा क्षेत्र को वाताग्र कहते हैं। वाताग्रों के बनने की प्रक्रिया को वाताग्र-जनन (Frontogenesis) कहते हैं।
- वाताग्र मध्य अक्षांशों में ही निर्मित होते हैं और तीव्र वायुदाब व तापमान प्रवणता इनकी विशेषता है। ये तापमान में अचानक बदलाव लाते हैं तथा इस कारण वायु ऊपर उठती है, बादल बनते हैं और वर्षा होती है।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- वायु का वृहत् भाग जिसमें तापमान व आर्द्रता संबंधी क्षैतिज भिन्नताएँ बहुत कम होती हैं, वायुराशि कहलाती है। जब दो भिन्न प्रकार की वायुराशियाँ मिलती हैं तो उनके मध्य सीमा क्षेत्र को वाताग्र कहते हैं। वाताग्रों के बनने की प्रक्रिया को वाताग्र-जनन (Frontogenesis) कहते हैं।
- वाताग्र मध्य अक्षांशों में ही निर्मित होते हैं और तीव्र वायुदाब व तापमान प्रवणता इनकी विशेषता है। ये तापमान में अचानक बदलाव लाते हैं तथा इस कारण वायु ऊपर उठती है, बादल बनते हैं और वर्षा होती है।
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Question 5 of 20
5. Question
1 pointsबहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवात या शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. ये चक्रवातीय वायु प्रणालियाँ उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में विकसित होती हैं।
2. इन चक्रवातों की उत्पत्ति स्थल व जल दोनों जगहों पर होती है।
3. ये चक्रवात पश्चिम से पूर्व दिशा में चलते हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः केवल पहला कथन असत्य है।
- बहिरूष्ण या शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात उष्ण कटिबंधों से दूर, मध्य व उच्च अक्षांशों में विकसित होते हैं।
- शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों में स्पष्ट वाताग्र प्रणालियाँ होती हैं, जो उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में नहीं होती। ये विस्तृत क्षेत्रफल में फैले होते हैं तथा इनकी उत्पत्ति जल व स्थल दोनों में होती है। ये चक्रवात पश्चिम से पूर्व दिशा में चलते हैं।
Incorrect
व्याख्याः केवल पहला कथन असत्य है।
- बहिरूष्ण या शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात उष्ण कटिबंधों से दूर, मध्य व उच्च अक्षांशों में विकसित होते हैं।
- शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों में स्पष्ट वाताग्र प्रणालियाँ होती हैं, जो उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में नहीं होती। ये विस्तृत क्षेत्रफल में फैले होते हैं तथा इनकी उत्पत्ति जल व स्थल दोनों में होती है। ये चक्रवात पश्चिम से पूर्व दिशा में चलते हैं।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsउष्णकटिबंधीय चक्रवात के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. ये चक्रवात केवल समुद्रों में उत्पन्न होते हैं।
2. ये चक्रवात शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात की अपेक्षा अधिक विनाशकारी होते हैं।
3. ये चक्रवात पूर्व से पश्चिम की ओर चलते हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात आक्रामक तूफान हैं, जिनकी उत्पत्ति उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के महासागरों पर होती है और ये तटीय क्षेत्रों की तरफ गतिमान होते हैं।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में पवनों का वेग अधिक होता है तथा ये शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की अपेक्षा अधिक विनाशकारी होते हैं। ये चक्रवात विध्वंसक प्राकृतिक आपदाओं में से एक हैं।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात सामान्यतः पूर्व से पश्चिम की ओर चलते हैं। किंतु वे चक्रवात जो प्रायः 20º उत्तरी अक्षांश से गुज़रते हैं, उनकी दिशा अनिश्चित होती है और ये अधिक विध्वंसक होते हैं।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात आक्रामक तूफान हैं, जिनकी उत्पत्ति उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के महासागरों पर होती है और ये तटीय क्षेत्रों की तरफ गतिमान होते हैं।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में पवनों का वेग अधिक होता है तथा ये शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की अपेक्षा अधिक विनाशकारी होते हैं। ये चक्रवात विध्वंसक प्राकृतिक आपदाओं में से एक हैं।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात सामान्यतः पूर्व से पश्चिम की ओर चलते हैं। किंतु वे चक्रवात जो प्रायः 20º उत्तरी अक्षांश से गुज़रते हैं, उनकी दिशा अनिश्चित होती है और ये अधिक विध्वंसक होते हैं।
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsउष्णकटिबंधीय चक्रवात के संबंध में चक्रवात का लैंडफाल कहलाता है-
Correct
व्याख्याः वह स्थान जहाँ से उष्णकटिबंधीय चक्रवात समुद्री तट को पार करके ज़मीन पर पहुँचते हैं, चक्रवात का लैंडफाल कहलाता है।
Incorrect
व्याख्याः वह स्थान जहाँ से उष्णकटिबंधीय चक्रवात समुद्री तट को पार करके ज़मीन पर पहुँचते हैं, चक्रवात का लैंडफाल कहलाता है।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsकथनः पवनों द्वारा ताप का स्थानांतरण एक स्थान से दूसरे स्थान पर होता है।
कारणः पृथ्वी के अलग-अलग भागों में ताप की मात्रा समान नहीं होती है।
कूटःCorrect
व्याख्याः पृथ्वी के अलग-अलग भागों में प्राप्त ताप की मात्रा समान नहीं होती। इसी भिन्नता के कारण वायुमंडल के दाब में भिन्नता होती है एवं इसी कारण पवनों के द्वारा ताप का स्थानांतरण एक स्थान से दूसरे स्थान पर होता है।
Incorrect
व्याख्याः पृथ्वी के अलग-अलग भागों में प्राप्त ताप की मात्रा समान नहीं होती। इसी भिन्नता के कारण वायुमंडल के दाब में भिन्नता होती है एवं इसी कारण पवनों के द्वारा ताप का स्थानांतरण एक स्थान से दूसरे स्थान पर होता है।
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Question 9 of 20
9. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. उपसौर की स्थिति में पृथ्वी को अपसौर की अपेक्षा अधिक सूर्यातप प्राप्त होता है।
2. अपसौर और उपसौर की स्थिति में सूर्यातप की भिन्नता के कारण पृथ्वी के दैनिक मौसम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- केवल पहला कथन सत्य है। पृथ्वी के पृष्ठ पर सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा का अधिकतम अंश लघु तरंगदैर्ध्य के रूप में आता है। पृथ्वी को प्राप्त होने वाली ऊर्जा को ही “सूर्यातप” (Insolation) कहते हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान पृथ्वी 4 जुलाई को सूर्य से सबसे दूर होती है। पृथ्वी की इस स्थिति को अपसौर (Aphelion) कहा जाता है। 3 जनवरी को पृथ्वी सूर्य के सबसे निकट होती है, इस स्थिति को उपसौर (Perihelion) कहा जाता है। इसलिये पृथ्वी को उपसौर की स्थिति में, अपसौर की अपेक्षा अधिक सूर्यातप प्राप्त होता है।
- दूसरा कथन असत्य है। सूर्यातप की भिन्नता का प्रभाव दूसरे कारकों, जैसे- स्थल एवं समुद्र का वितरण तथा वायुमंडल परिसंचरण के द्वारा कम हो जाता है। यही कारण है कि सूर्यातप की यह भिन्नता पृथ्वी की सतह पर होने वाले प्रतिदिन के मौसम परिवर्तन पर अधिक प्रभाव नहीं डाल पाती है।
Incorrect
व्याख्याः
- केवल पहला कथन सत्य है। पृथ्वी के पृष्ठ पर सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा का अधिकतम अंश लघु तरंगदैर्ध्य के रूप में आता है। पृथ्वी को प्राप्त होने वाली ऊर्जा को ही “सूर्यातप” (Insolation) कहते हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान पृथ्वी 4 जुलाई को सूर्य से सबसे दूर होती है। पृथ्वी की इस स्थिति को अपसौर (Aphelion) कहा जाता है। 3 जनवरी को पृथ्वी सूर्य के सबसे निकट होती है, इस स्थिति को उपसौर (Perihelion) कहा जाता है। इसलिये पृथ्वी को उपसौर की स्थिति में, अपसौर की अपेक्षा अधिक सूर्यातप प्राप्त होता है।
- दूसरा कथन असत्य है। सूर्यातप की भिन्नता का प्रभाव दूसरे कारकों, जैसे- स्थल एवं समुद्र का वितरण तथा वायुमंडल परिसंचरण के द्वारा कम हो जाता है। यही कारण है कि सूर्यातप की यह भिन्नता पृथ्वी की सतह पर होने वाले प्रतिदिन के मौसम परिवर्तन पर अधिक प्रभाव नहीं डाल पाती है।
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Question 10 of 20
10. Question
1 pointsपृथ्वी की सतह पर सूर्यातप की तीव्रता की मात्रा में प्रतिदिन, हर मौसम और प्रतिवर्ष परिवर्तन होता रहता है। इसके प्रमुख कारण हैं-
1. पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूर्णन।
2. सूर्य की किरणों का नति कोण।
3. दिन की अवधि।
4. वायुमंडल की पारदर्शिता।
कूटःCorrect
व्याख्याः पृथ्वी की सतह पर सूर्यातप की तीव्रता की मात्रा में प्रतिदिन, हर मौसम और प्रतिवर्ष परिवर्तन होता रहता है। सूर्यातप में विभिन्नता के निम्न कारण हैं-
1. पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना।
2. सूर्य की किरणों का नति कोण।
3. दिन की अवधि।
4. वायुमंडल की पारदर्शिता।
5. स्थल विन्यास।- अंतिम दो कारकों का प्रभाव कम पड़ता है।
Incorrect
व्याख्याः पृथ्वी की सतह पर सूर्यातप की तीव्रता की मात्रा में प्रतिदिन, हर मौसम और प्रतिवर्ष परिवर्तन होता रहता है। सूर्यातप में विभिन्नता के निम्न कारण हैं-
1. पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना।
2. सूर्य की किरणों का नति कोण।
3. दिन की अवधि।
4. वायुमंडल की पारदर्शिता।
5. स्थल विन्यास।- अंतिम दो कारकों का प्रभाव कम पड़ता है।
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Question 11 of 20
11. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सी घटना/घटनाएँ प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण होती है/हैं?
1. आकाश का रंग नीला दिखाई पड़ना।
2. आकाश में इंद्रधनुष का बनाना।
3. सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सूर्य का लाल दिखाई देना।
कूटःCorrect
व्याख्याः लघु तरंगदैर्ध्य वाले सौर-विकिरण के लिये वायुमंडल अधिकांशतः पारदर्शी होता है। पृथ्वी की सतह पर पहुँचने से पहले सूर्य की किरणें वायुमंडल से होकर गुज़रती हैं। क्षोभमंडल में मौजूद जलवाष्प, ओज़ोन तथा अन्य किरणें अवरक्त विकिरण (Infrared radiation) को अवशोषित कर लेती हैं। क्षोभमंडल में निलंबित कण, दिखने वाले स्पेक्ट्रम को अंतरिक्ष एवं पृथ्वी की सतह की ओर विकीर्ण कर देते हैं। यही प्रक्रिया आकाश में रंग के लिये उत्तरदायी है। इसी से उदय एवं अस्त होनें के समय सूर्य लाल रंग का दिखाई देता है तथा आकाश नीले रंग का दिखाई देता है। ऐसा वायुमंडल में प्रकीर्णन के कारण होता है।
Incorrect
व्याख्याः लघु तरंगदैर्ध्य वाले सौर-विकिरण के लिये वायुमंडल अधिकांशतः पारदर्शी होता है। पृथ्वी की सतह पर पहुँचने से पहले सूर्य की किरणें वायुमंडल से होकर गुज़रती हैं। क्षोभमंडल में मौजूद जलवाष्प, ओज़ोन तथा अन्य किरणें अवरक्त विकिरण (Infrared radiation) को अवशोषित कर लेती हैं। क्षोभमंडल में निलंबित कण, दिखने वाले स्पेक्ट्रम को अंतरिक्ष एवं पृथ्वी की सतह की ओर विकीर्ण कर देते हैं। यही प्रक्रिया आकाश में रंग के लिये उत्तरदायी है। इसी से उदय एवं अस्त होनें के समय सूर्य लाल रंग का दिखाई देता है तथा आकाश नीले रंग का दिखाई देता है। ऐसा वायुमंडल में प्रकीर्णन के कारण होता है।
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Question 12 of 20
12. Question
1 pointsसूर्यातप की पृथ्वी की सतह पर स्थानिक वितरण के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. पृथ्वी पर सबसे अधिक सूर्यातप उपोष्ण कटिबंधीय मरुस्थलों पर प्राप्त होता है।
2. एक ही अक्षांश पर स्थित महासागरीय भाग में, महाद्वीपीय भाग की अपेक्षा अधिक सूर्यातप प्राप्त होता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। धरातल पर प्राप्त सूर्यातप की मात्रा में उष्ण कटिबंध में 320 वाट/प्रति वर्गमीटर से लेकर ध्रुवों पर 70 वाट/प्रति वर्गमीटर तक भिन्नता पाई जाती है। सबसे अधिक सूर्यातप उपोष्ण कटिबंधीय मरुस्थलों पर प्राप्त होता है, क्योंकि यहाँ मेघाच्छादन बहुत कम पाया जाता है। उष्ण कटिबंध की अपेक्षा विषुवत् वृत्त पर कम मात्रा में सूर्यातप प्राप्त होता है।
- दूसरा कथन असत्य है। सामान्यतः एक ही अक्षांश पर स्थित महाद्वीपीय भाग पर अधिक और महासागरीय भाग में अपेक्षाकृत कम मात्रा में सूर्यातप प्राप्त होता है।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। धरातल पर प्राप्त सूर्यातप की मात्रा में उष्ण कटिबंध में 320 वाट/प्रति वर्गमीटर से लेकर ध्रुवों पर 70 वाट/प्रति वर्गमीटर तक भिन्नता पाई जाती है। सबसे अधिक सूर्यातप उपोष्ण कटिबंधीय मरुस्थलों पर प्राप्त होता है, क्योंकि यहाँ मेघाच्छादन बहुत कम पाया जाता है। उष्ण कटिबंध की अपेक्षा विषुवत् वृत्त पर कम मात्रा में सूर्यातप प्राप्त होता है।
- दूसरा कथन असत्य है। सामान्यतः एक ही अक्षांश पर स्थित महाद्वीपीय भाग पर अधिक और महासागरीय भाग में अपेक्षाकृत कम मात्रा में सूर्यातप प्राप्त होता है।
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsवायुमंडल में उष्मा संचलन के संबंध में नीचे दिये गए युग्मों पर विचार कीजियेः
1. पृथ्वी के संपर्क में आने वाली वायुमंडल की परत का गर्म होना – चालन
2. वायुमंडल के लंबवत् तापन की प्रक्रिया – संवहन
3. वायु के क्षैतिज संचलन से ताप का स्थानांतरण – अभिवहन
उपरोक्त में से कौन-सा/से युग्म सही सुमेलित है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त तीनों युग्म सही सुमेलित हैं।
- सूर्य से आने वाली सौर विकिरण से गर्म होने के बाद पृथ्वी की सतह के निकट स्थित वायुमंडलीय परतों में दीर्घ तरंगों के रूप में ताप का संचरण होता है, पृथ्वी के संपर्क में आने वाली वायु धीरे-धीरे गर्म होती है। निचली परतों के संपर्क में आने वाली वायुमंडल की ऊपरी परतें भी गर्म हो जाती हैं। इस प्रक्रिया को चालन (Conduction) कहा जाता है।
- चालन तभी होता है जब असमान ताप वाले दो पिंड एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं। वायुमंडल की निचली परतों को गर्म करने में चालन महत्त्वपूर्ण है।
- पृथ्वी के संपर्क में आई वायु गर्म होकर धाराओं के रूप में लंबवत् उठती है और वायुमंडल में ताप का संचरण करती है। वायुमंडल के लंबवत् तापन की यह प्रक्रिया संवहन (Convection) कहलाती है। ऊर्जा के स्थानांतरण का यह प्रकार केवल क्षोभमंडल तक सीमित रहता है।
- वायु के क्षैतिज संचलन से होने वाला ताप स्थानांतरण अभिवहन (Advection) कहलाता है।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त तीनों युग्म सही सुमेलित हैं।
- सूर्य से आने वाली सौर विकिरण से गर्म होने के बाद पृथ्वी की सतह के निकट स्थित वायुमंडलीय परतों में दीर्घ तरंगों के रूप में ताप का संचरण होता है, पृथ्वी के संपर्क में आने वाली वायु धीरे-धीरे गर्म होती है। निचली परतों के संपर्क में आने वाली वायुमंडल की ऊपरी परतें भी गर्म हो जाती हैं। इस प्रक्रिया को चालन (Conduction) कहा जाता है।
- चालन तभी होता है जब असमान ताप वाले दो पिंड एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं। वायुमंडल की निचली परतों को गर्म करने में चालन महत्त्वपूर्ण है।
- पृथ्वी के संपर्क में आई वायु गर्म होकर धाराओं के रूप में लंबवत् उठती है और वायुमंडल में ताप का संचरण करती है। वायुमंडल के लंबवत् तापन की यह प्रक्रिया संवहन (Convection) कहलाती है। ऊर्जा के स्थानांतरण का यह प्रकार केवल क्षोभमंडल तक सीमित रहता है।
- वायु के क्षैतिज संचलन से होने वाला ताप स्थानांतरण अभिवहन (Advection) कहलाता है।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsउष्णकटिबंधीय प्रदेशों के उत्तरी भाग में गर्मियों में चलने वाली स्थानीय पवन परिणाम है-
Correct
व्याख्याः वायु के क्षैतिज संचलन से होने वाले ताप का स्थानांतरण अभिवहन कहलाता है। मध्य अक्षांशों में दैनिक मौसम में आने वाली भिन्नताएँ केवल अभिवहन के कारण होती हैं। उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में, विशेषतः उत्तरी भागों में गर्मियों में चलने वाली स्थानीय पवन “लू” इसी अभिवहन का ही परिणाम है।
Incorrect
व्याख्याः वायु के क्षैतिज संचलन से होने वाले ताप का स्थानांतरण अभिवहन कहलाता है। मध्य अक्षांशों में दैनिक मौसम में आने वाली भिन्नताएँ केवल अभिवहन के कारण होती हैं। उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में, विशेषतः उत्तरी भागों में गर्मियों में चलने वाली स्थानीय पवन “लू” इसी अभिवहन का ही परिणाम है।
-
Question 15 of 20
15. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा कथन पार्थिव विकिरण के संबंध में सही है?
Correct
व्याख्याः सूर्य से पृथ्वी को प्राप्त सौर विकिरण, जो लघु तरंगों के रूप में होता है, पृथ्वी की सतह को गर्म करता है। पृथ्वी स्वयं गर्म होने के बाद एक विकिरण पिंड बन जाती है और वायुमंडल में दीर्घ तरंगों के रूप में ऊर्जा का विकिरण करने लगती है। यह ऊर्जा वायुमंडल को नीचे से गर्म करती है। इस प्रक्रिया को पार्थिव विकिरण कहा जाता है। दीर्घ तरंगदैर्ध्य विकिरण वायुमंडलीय गैसों, मुख्यतः कार्बन डाइऑक्साइड एवं अन्य ग्रीनहाऊस गैसों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। इस प्रकार वायुमंडल पार्थिव विकिरण द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से गर्म होता है न कि सीधे सूर्यातप से।
Incorrect
व्याख्याः सूर्य से पृथ्वी को प्राप्त सौर विकिरण, जो लघु तरंगों के रूप में होता है, पृथ्वी की सतह को गर्म करता है। पृथ्वी स्वयं गर्म होने के बाद एक विकिरण पिंड बन जाती है और वायुमंडल में दीर्घ तरंगों के रूप में ऊर्जा का विकिरण करने लगती है। यह ऊर्जा वायुमंडल को नीचे से गर्म करती है। इस प्रक्रिया को पार्थिव विकिरण कहा जाता है। दीर्घ तरंगदैर्ध्य विकिरण वायुमंडलीय गैसों, मुख्यतः कार्बन डाइऑक्साइड एवं अन्य ग्रीनहाऊस गैसों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। इस प्रकार वायुमंडल पार्थिव विकिरण द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से गर्म होता है न कि सीधे सूर्यातप से।
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Question 16 of 20
16. Question
1 pointsसौर विकिरण की वह मात्रा जो पृथ्वी के धरातल पर पहुँचने से पूर्व ही बादलों तथा हिमाच्छादित क्षेत्रों द्वारा परावर्तित होकर वापस लौट जाती है, उसे कहते हैं-
Correct
व्याख्याः वायुमंडल से गुज़रते हुए सौर ऊर्जा का कुछ अंश परावर्तित, प्रकीर्णित एवं अवशोषित हो जाता है। केवल शेष भाग ही पृथ्वी की सतह तक पहुँचता है। 100 इकाइयों में से 35 इकाइयाँ पृथ्वी के धरातल पर पहुँचने से पहले ही अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाती हैं। 27 इकाइयाँ बादलों के ऊपरी छोर से तथा 2 इकाइयाँ पृथ्वी के हिमाच्छादित क्षेत्रों द्वारा परावर्तित होकर लौट जाती है। सौर विकिरण की इस परावर्तित मात्रा को पृथ्वी का एल्बिडो कहते हैं।
Incorrect
व्याख्याः वायुमंडल से गुज़रते हुए सौर ऊर्जा का कुछ अंश परावर्तित, प्रकीर्णित एवं अवशोषित हो जाता है। केवल शेष भाग ही पृथ्वी की सतह तक पहुँचता है। 100 इकाइयों में से 35 इकाइयाँ पृथ्वी के धरातल पर पहुँचने से पहले ही अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाती हैं। 27 इकाइयाँ बादलों के ऊपरी छोर से तथा 2 इकाइयाँ पृथ्वी के हिमाच्छादित क्षेत्रों द्वारा परावर्तित होकर लौट जाती है। सौर विकिरण की इस परावर्तित मात्रा को पृथ्वी का एल्बिडो कहते हैं।
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Question 17 of 20
17. Question
1 pointsपृथ्वी के विषुवत् वृत्तीय क्षेत्रों की अपेक्षा उत्तरी गोलार्द्ध के उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों का तापमान अधिक होता है, इसका मुख्य कारण है-
Correct
व्याख्याः पृथ्वी के विषुवत् क्षेत्रों की अपेक्षा उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों का तापमान अधिक होता है क्योंकि उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों को अधिक मात्रा में सूर्यातप की प्राप्ति होती है जिसका प्रमुख कारण उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में विषुवतीय क्षेत्रों की अपेक्षा कम बादलों का होना है।
Incorrect
व्याख्याः पृथ्वी के विषुवत् क्षेत्रों की अपेक्षा उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों का तापमान अधिक होता है क्योंकि उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों को अधिक मात्रा में सूर्यातप की प्राप्ति होती है जिसका प्रमुख कारण उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में विषुवतीय क्षेत्रों की अपेक्षा कम बादलों का होना है।
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Question 18 of 20
18. Question
1 pointsसमताप रेखाओं का दक्षिणी गोलार्द्ध की अपेक्षा उत्तरी गोलार्द्ध में अधिक विचलन होता है। इसका प्रमुख कारण है-
Correct
व्याख्याः समताप रेखाओं का दक्षिणी गोलार्द्ध की अपेक्षा उत्तरी गोलार्द्ध में अधिक विचलन होता है, क्योंकि दक्षिणी गोलार्द्ध में जलीय भाग अधिक है तथा उत्तरी गोलार्द्ध में स्थलीय भाग अधिक है।
Incorrect
व्याख्याः समताप रेखाओं का दक्षिणी गोलार्द्ध की अपेक्षा उत्तरी गोलार्द्ध में अधिक विचलन होता है, क्योंकि दक्षिणी गोलार्द्ध में जलीय भाग अधिक है तथा उत्तरी गोलार्द्ध में स्थलीय भाग अधिक है।
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Question 19 of 20
19. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. ऊँचाई में वृद्धि के साथ तापमान में वृद्धि को तापमान का व्युत्क्रमण कहते हैं।
2. भूमध्यरेखीय क्षेत्र में तापमान व्युत्क्रमण की घटना वर्ष भर होती है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- केवल पहला कथन सत्य है। सामान्यतः तापमान ऊँचाई के साथ घटता है, जिसे सामान्य ह्रास दर कहते हैं। पर कई बार स्थिति बदल जाती है और तापमान ऊँचाई बढ़ने के साथ बढ़ने लगता है। इसे तापमान का व्युत्क्रमण कहते हैं। अक्सर व्युत्क्रमण बहुत थोड़े समय के लिये होता है और यह सामान्य घटना है। सर्दियों की मेघ-विहीन लंबी रात तथा शांत वायु, व्युत्क्रमण के लिये आदर्श दशाएँ हैं।
- दूसरा कथन असत्य है। ध्रुवीय क्षेत्रों में वर्ष भर तापमान का व्युत्क्रमण होना सामान्य घटना है।
Incorrect
व्याख्याः
- केवल पहला कथन सत्य है। सामान्यतः तापमान ऊँचाई के साथ घटता है, जिसे सामान्य ह्रास दर कहते हैं। पर कई बार स्थिति बदल जाती है और तापमान ऊँचाई बढ़ने के साथ बढ़ने लगता है। इसे तापमान का व्युत्क्रमण कहते हैं। अक्सर व्युत्क्रमण बहुत थोड़े समय के लिये होता है और यह सामान्य घटना है। सर्दियों की मेघ-विहीन लंबी रात तथा शांत वायु, व्युत्क्रमण के लिये आदर्श दशाएँ हैं।
- दूसरा कथन असत्य है। ध्रुवीय क्षेत्रों में वर्ष भर तापमान का व्युत्क्रमण होना सामान्य घटना है।
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Question 20 of 20
20. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सी गैस वायुमंडल में सर्वाधिक मात्रा में उपस्थित है?
Correct
व्याख्याः
- वायुमंडल में नाइट्रोजन गैस सर्वाधिक मात्रा में उपस्थित है।
- वायुमंडल में नाइट्रोजन 78.8%, ऑक्सीजन 20.95%, आर्गन 0.93% तथा कार्बन डाइऑक्साइड 0.036% उपस्थित है।
Incorrect
व्याख्याः
- वायुमंडल में नाइट्रोजन गैस सर्वाधिक मात्रा में उपस्थित है।
- वायुमंडल में नाइट्रोजन 78.8%, ऑक्सीजन 20.95%, आर्गन 0.93% तथा कार्बन डाइऑक्साइड 0.036% उपस्थित है।
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