भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत टेस्ट 4
भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत टेस्ट 4
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न कक्षा 11 की पुस्तक भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत (एन.सी.ई.आर.टी.) पर आधारित है| यदि आप ‘भौतिक भूगोल’ विषय की अधिक जानकारी नहीं रखते है तो इस टेस्ट को देने से पहले आप पुस्तक का रिविजन अवश्य करें|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsकोपेन के समूह A प्रकार की जलवायु के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. इस प्रकार की जलवायु कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच पाई जाती है।
2. यहाँ की जलवायु उष्ण एवं आर्द्र रहती है।
3. यहाँ वार्षिक तापांतर बहुत अधिक होता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः केवल तीसरा कथन असत्य है।
- कोपेन ने समूह A के अंतर्गत उष्णकटिबंधीय जलवायु प्रदेश को रखा। उष्णकटिबंधीय जलवायु कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच पाई जाती है। संपूर्ण वर्ष सूर्य के ऊर्ध्वस्थ तथा अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र की उपस्थिति के कारण यहाँ की जलवायु उष्ण एवं आर्द्र रहती है। यहाँ वार्षिक तापांतर बहुत कम तथा वर्षा अधिक होती है।
Incorrect
व्याख्याः केवल तीसरा कथन असत्य है।
- कोपेन ने समूह A के अंतर्गत उष्णकटिबंधीय जलवायु प्रदेश को रखा। उष्णकटिबंधीय जलवायु कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच पाई जाती है। संपूर्ण वर्ष सूर्य के ऊर्ध्वस्थ तथा अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र की उपस्थिति के कारण यहाँ की जलवायु उष्ण एवं आर्द्र रहती है। यहाँ वार्षिक तापांतर बहुत कम तथा वर्षा अधिक होती है।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु विषुवत् वृत्त के निकट पाई जाती है।
2. उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु प्रदेश में वर्ष के प्रत्येक माह में दोपहर के बाद गरज और बौछारों के साथ प्रचुर मात्रा में वर्षा होती है।
3. उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु प्रदेश में व्यापक जैव विविधता वाले उष्णकटिबंधीय सदाहरित वन पाए जाते हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु प्रदेश के संबंध में उपरोक्त तीनों कथन सत्य हैं।
- उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु विषुवत् वृत्त के निकट पाई जाती है। इस जलवायु के प्रमुख क्षेत्र दक्षिण अमेरिका का अमेजन बेसिन, पश्चिमी विषुवतीय अफ्रीका तथा दक्षिण पूर्वी एशिया के द्वीप हैं।
- इन जलवायु प्रदेशों में वर्ष के प्रत्येक माह में दोपहर के बाद गरज और बौछारों के साथ प्रचुर मात्रा में वर्षा होती है। तापमान समान रूप से ऊँचा और वार्षिक तापांतर नगण्य होता है।
- इस जलवायु में सघन वितान तथा व्यापक जैव विविधता वाले उष्णकटिबंधीय सदाहरित वन पाए जाते हैं।
Incorrect
व्याख्याः
- उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु प्रदेश के संबंध में उपरोक्त तीनों कथन सत्य हैं।
- उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु विषुवत् वृत्त के निकट पाई जाती है। इस जलवायु के प्रमुख क्षेत्र दक्षिण अमेरिका का अमेजन बेसिन, पश्चिमी विषुवतीय अफ्रीका तथा दक्षिण पूर्वी एशिया के द्वीप हैं।
- इन जलवायु प्रदेशों में वर्ष के प्रत्येक माह में दोपहर के बाद गरज और बौछारों के साथ प्रचुर मात्रा में वर्षा होती है। तापमान समान रूप से ऊँचा और वार्षिक तापांतर नगण्य होता है।
- इस जलवायु में सघन वितान तथा व्यापक जैव विविधता वाले उष्णकटिबंधीय सदाहरित वन पाए जाते हैं।
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Question 3 of 20
3. Question
1 pointsभारतीय प्रायद्वीप के अधिकतर भागों को कोपेन की पद्धति के अनुसार वर्गीकृत किया जाएगा-
Correct
व्याख्याः कोपेन के अनुसार भारतीय प्रायद्वीप में उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु (Am) पाई जाती है। इसके अलावा इस प्रकार की जलवायु दक्षिण-अमेरिका के उत्तर-पूर्वी भाग तथा उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती है। इस जलवायु प्रदेश में भारी वर्षा अधिकतर गर्मियों में होती है तथा शीत ऋतु शुष्क होती है।
Incorrect
व्याख्याः कोपेन के अनुसार भारतीय प्रायद्वीप में उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु (Am) पाई जाती है। इसके अलावा इस प्रकार की जलवायु दक्षिण-अमेरिका के उत्तर-पूर्वी भाग तथा उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती है। इस जलवायु प्रदेश में भारी वर्षा अधिकतर गर्मियों में होती है तथा शीत ऋतु शुष्क होती है।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsसूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिये तथा नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
सूची-I (जलवायु समूह) सूची-II (स्थान) A. उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु 1. अंटार्कटिक B. कोष्ण शीतोष्ण जलवायु 2. यूरोप C. शीतल हिम-वन जलवायु 3. पश्चिमी विषुवतीय अफ्रीका के क्षेत्र D. शीत जलवायु 4. भारत के उत्तरी मैदान और दक्षिणी चीन के आंतरिक मैदान कूटः
Correct
व्याख्याः
जलवायु प्रदेश स्थान 1.उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु पश्चिमी विषुवतीय अफ्रीका क्षेत्र 2.कोष्ण शीतोष्ण जलवायु भारत के उत्तरी मैदान और दक्षिणी चीन के आंतरिक मैदान 3.शीतल हिम-वन जलवायु यूरोप 4.शीत जलवायु अंटार्कटिक Incorrect
व्याख्याः
जलवायु प्रदेश स्थान 1.उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु पश्चिमी विषुवतीय अफ्रीका क्षेत्र 2.कोष्ण शीतोष्ण जलवायु भारत के उत्तरी मैदान और दक्षिणी चीन के आंतरिक मैदान 3.शीतल हिम-वन जलवायु यूरोप 4.शीत जलवायु अंटार्कटिक -
Question 5 of 20
5. Question
1 pointsभूमध्यसागरीय जलवायु के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. इस प्रकार की जलवायु महाद्वीप के पूर्वी तट पर पाई जाती है।
2. वर्षायुक्त सर्दियाँ इस जलवायु की विशेषता है।
3. मध्य कैलीफोर्निया, मध्य चिली तथा ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण-पश्चिम तट पर इस प्रकार की जलवायु पाई जाती है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन गलत है। भूमध्यसागरीय जलवायु भूमध्य सागर के चारों ओर तथा उपोष्ण कटिबंध से 30º से 40º अक्षांशों के बीच महाद्वीपों के पश्चिमी तट के साथ-साथ पाई जाती है।
- दूसरा व तीसरा कथन सही है। इस प्रकार की जलवायु की विशेषता है कि यहाँ गर्मियाँ उष्ण व शुष्क तथा सर्दियाँ मृदु एवं वर्षायुक्त होती हैं। मध्य कैलिफोर्निया, मध्य चिली तथा ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण-पूर्वी एवं दक्षिण-पश्चिमी तट इसके उदाहरण हैं।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन गलत है। भूमध्यसागरीय जलवायु भूमध्य सागर के चारों ओर तथा उपोष्ण कटिबंध से 30º से 40º अक्षांशों के बीच महाद्वीपों के पश्चिमी तट के साथ-साथ पाई जाती है।
- दूसरा व तीसरा कथन सही है। इस प्रकार की जलवायु की विशेषता है कि यहाँ गर्मियाँ उष्ण व शुष्क तथा सर्दियाँ मृदु एवं वर्षायुक्त होती हैं। मध्य कैलिफोर्निया, मध्य चिली तथा ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण-पूर्वी एवं दक्षिण-पश्चिमी तट इसके उदाहरण हैं।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsकाई, लाइकेन तथा पुष्पी पादप जैसी छोटी वनस्पतियाँ किस प्रकार के जलवायु प्रदेश में पाई जाती हैं?
Correct
व्याख्याः काई, लाइकेन तथा पुष्पी पादप जैसी छोटी वनस्पतियाँ टुण्ड्रा जलवायु प्रदेशों में पाई जाती हैं। टुण्ड्रा स्थायी तुषार का प्रदेश है जिसमें अधोभूमि स्थायी रूप से जमी रहती है। लघुवर्धन काल और जलाक्रांति छोटी वनस्पतियों का ही पोषण कर पाते हैं।
Incorrect
व्याख्याः काई, लाइकेन तथा पुष्पी पादप जैसी छोटी वनस्पतियाँ टुण्ड्रा जलवायु प्रदेशों में पाई जाती हैं। टुण्ड्रा स्थायी तुषार का प्रदेश है जिसमें अधोभूमि स्थायी रूप से जमी रहती है। लघुवर्धन काल और जलाक्रांति छोटी वनस्पतियों का ही पोषण कर पाते हैं।
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsपृथ्वी की उत्पत्ति के आरंभकाल से जलवायु परिवर्तन होता रहा है। इस तथ्य के पक्ष में किस/किन प्रमाणों को प्रस्तुत किया जाता है?
1. हिमानी निर्मित झीलों में अवसादों का निक्षेपण।
2. वृक्षों के तनों में पाए जाने वाले वलय।
3. मरुस्थलीय क्षेत्रों में पाई जाने वाली अपरदनात्मक स्थलाकृतियाँ।
कूटःCorrect
व्याख्याः अपने प्रादुर्भाव से ही पृथ्वी ने जलवायु में अनेक परिवर्तन देखे हैं। भूगर्भिक अभिलेखों से हिमयुगों और अंतर-हिमयुगों में क्रमशः परिवर्तन की प्रक्रिया परिलक्षित होती है। भू-आकृतिक लक्षण विशेषतः ऊँचाइयों तथा उच्च अक्षांशों में हिमानियों के आगे बढ़ने व पीछे हटने के शेष चिह्न प्रदर्शित करते हैं। हिमानी निर्मित झीलों में अवसादों का निक्षेपण उष्ण एवं शीत युगों के होने को उजागर करता है। वृक्षों के तनों में पाए जाने वाले वलय भी आर्द्र एवं शुष्क युगों की उपस्थिति का संकेत देते हैं। ऐतिहासिक अभिलेख भी जलवायु की अनिश्चितता का वर्णन करते हैं। ये सभी साक्ष्य इंगित करते हैं कि जलवायु परिवर्तन एक प्राकृतिक एवं सतत् प्रक्रिया है।
Incorrect
व्याख्याः अपने प्रादुर्भाव से ही पृथ्वी ने जलवायु में अनेक परिवर्तन देखे हैं। भूगर्भिक अभिलेखों से हिमयुगों और अंतर-हिमयुगों में क्रमशः परिवर्तन की प्रक्रिया परिलक्षित होती है। भू-आकृतिक लक्षण विशेषतः ऊँचाइयों तथा उच्च अक्षांशों में हिमानियों के आगे बढ़ने व पीछे हटने के शेष चिह्न प्रदर्शित करते हैं। हिमानी निर्मित झीलों में अवसादों का निक्षेपण उष्ण एवं शीत युगों के होने को उजागर करता है। वृक्षों के तनों में पाए जाने वाले वलय भी आर्द्र एवं शुष्क युगों की उपस्थिति का संकेत देते हैं। ऐतिहासिक अभिलेख भी जलवायु की अनिश्चितता का वर्णन करते हैं। ये सभी साक्ष्य इंगित करते हैं कि जलवायु परिवर्तन एक प्राकृतिक एवं सतत् प्रक्रिया है।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsहिमयुग और अंतर-हिमयुग पृथ्वी के विकास के किस काल खंड से संबंधित रहे हैं?
Correct
व्याख्याः प्लीस्टोसीन युगांतर के दौरान हिमयुग और अंतर-हिमयुग अवधियाँ रही हैं।
Incorrect
व्याख्याः प्लीस्टोसीन युगांतर के दौरान हिमयुग और अंतर-हिमयुग अवधियाँ रही हैं।
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Question 9 of 20
9. Question
1 pointsवायुमंडल, महासागरों तथा महाद्वीपों के बीच जल का लगातार आदान-प्रदान किस प्रक्रिया/किन प्रक्रियाओं द्वारा होता है?
1. वाष्पीकरण
2. वाष्पोत्सर्जन
3. संघनन
4. आर्द्रता
कूटःCorrect
व्याख्याः वायुमंडल, महासागरों तथा महाद्वीपों के बीच जल का लगातार आदान-प्रदान वाष्पीकरण, वाष्पोत्सर्जन, संघनन एवं वर्षा की प्रक्रिया के द्वारा होता रहता है, जबकि हवा में मौजूद जलवाष्प की मात्रा को आर्द्रता कहते हैं।
Incorrect
व्याख्याः वायुमंडल, महासागरों तथा महाद्वीपों के बीच जल का लगातार आदान-प्रदान वाष्पीकरण, वाष्पोत्सर्जन, संघनन एवं वर्षा की प्रक्रिया के द्वारा होता रहता है, जबकि हवा में मौजूद जलवाष्प की मात्रा को आर्द्रता कहते हैं।
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Question 10 of 20
10. Question
1 pointsसंघनन के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये:
1. संघनन उस अवस्था में होता है जब तापमान ओसांक के नज़दीक हो।
2. संघनन केवल वायु के ताप द्वारा प्रभावित होता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। स्वतंत्र हवा में छोटे-छोटे कणों के चारों ओर ठंडा होने के कारण संघनन होता है तथा इन छोटे-छोटे कणों को संघनन केंद्रक कहा जाता है। खासकर धूल, धुआँ तथा महासागरों के नमक के कण अच्छे केंद्रक होते हैं क्योंकि वे पानी को अवशोषित करते हैं। संघनन उस अवस्था में भी होता है जब आर्द्र हवा कुछ ठंडी वस्तुओं के संपर्क में आती है तथा उस समय भी होता है जब तापमान ओसांक के नज़दीक हो।
- दूसरा कथन असत्य है। संघनन हवा के आयतन, ताप, दाब तथा आर्द्रता से प्रभावित होता है।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। स्वतंत्र हवा में छोटे-छोटे कणों के चारों ओर ठंडा होने के कारण संघनन होता है तथा इन छोटे-छोटे कणों को संघनन केंद्रक कहा जाता है। खासकर धूल, धुआँ तथा महासागरों के नमक के कण अच्छे केंद्रक होते हैं क्योंकि वे पानी को अवशोषित करते हैं। संघनन उस अवस्था में भी होता है जब आर्द्र हवा कुछ ठंडी वस्तुओं के संपर्क में आती है तथा उस समय भी होता है जब तापमान ओसांक के नज़दीक हो।
- दूसरा कथन असत्य है। संघनन हवा के आयतन, ताप, दाब तथा आर्द्रता से प्रभावित होता है।
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Question 11 of 20
11. Question
1 pointsनिम्नलिखित प्रकार के बादलों में आकाश में सबसे ऊँचा बादल कौन-सा है?
Correct
व्याख्याः
- बादल पानी की छोटी बूँदों या बर्फ के छोटे रवों की संहति है जो कि पर्याप्त ऊँचाई पर स्वतंत्र हवा में जलवाष्प के संघनन के कारण बनते हैं। ऊँचाई, विस्तार, घनत्व तथा पारदर्शिता या अपारदर्शिता के आधार पर बादलों को चार रूपों में वर्गीकृत किया जाता है- पक्षाभ मेघ, कपासी मेघ, स्तरी मेघ और वर्षा मेघ।
- पक्षाभ मेघ सर्वाधिक ऊँचाई पर पाए जाने वाले बादल हैं। पक्षाभ मेघों का निर्माण 8000-12000 मीटर की ऊँचाई पर होता है। ये पतले तथा बिखरे हुए बादल होते हैं, जो पंख के समान प्रतीत होते हैं। ये हमेशा सफेद रंग के होते हैं।
Incorrect
व्याख्याः
- बादल पानी की छोटी बूँदों या बर्फ के छोटे रवों की संहति है जो कि पर्याप्त ऊँचाई पर स्वतंत्र हवा में जलवाष्प के संघनन के कारण बनते हैं। ऊँचाई, विस्तार, घनत्व तथा पारदर्शिता या अपारदर्शिता के आधार पर बादलों को चार रूपों में वर्गीकृत किया जाता है- पक्षाभ मेघ, कपासी मेघ, स्तरी मेघ और वर्षा मेघ।
- पक्षाभ मेघ सर्वाधिक ऊँचाई पर पाए जाने वाले बादल हैं। पक्षाभ मेघों का निर्माण 8000-12000 मीटर की ऊँचाई पर होता है। ये पतले तथा बिखरे हुए बादल होते हैं, जो पंख के समान प्रतीत होते हैं। ये हमेशा सफेद रंग के होते हैं।
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Question 12 of 20
12. Question
1 points“वृष्टि छाया क्षेत्र” का संबंध किस प्रकार की वर्षा से है?
Correct
व्याख्याः पर्वतीय वर्षा के दौरान पवनाभिमुख ढाल, सूखे तथा वर्षाविहीन रहते हैं, इसे ही “वृष्टि छाया क्षेत्र” कहते हैं।
Incorrect
व्याख्याः पर्वतीय वर्षा के दौरान पवनाभिमुख ढाल, सूखे तथा वर्षाविहीन रहते हैं, इसे ही “वृष्टि छाया क्षेत्र” कहते हैं।
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsसंसार में वर्षा के वितरण के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. स्थलीय भागों की अपेक्षा महासागरों के ऊपर वर्षा अधिक होती है।
2. विषुवत् वृत्त से 25º से 40º उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांश के मध्य पूर्वी तट पर बहुत अधिक वर्षा होती है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- विश्व के स्थलीय भागों की अपेक्षा महासागरों के ऊपर वर्षा अधिक होती है, क्योंकि वहाँ पानी के स्रोत की अधिकता के कारण वाष्पीकरण की क्रिया लगातार होती रहती है।
- विषुवत् वृत्त से 35º से 40º उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के मध्य, पूर्वी तटों पर बहुत अधिक वर्षा होती है तथा पश्चिम की तरफ यह घटती जाती है। लेकिन विषुवत् वृत्त से 45º तथा 65º उत्तर तथा दक्षिण अक्षांशों के बीच पछुआ पवनों के कारण सबसे पहले महाद्वीपों के पश्चिमी किनारों पर वर्षा होती है तथा यह पूर्व की तरफ घटती जाती है।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- विश्व के स्थलीय भागों की अपेक्षा महासागरों के ऊपर वर्षा अधिक होती है, क्योंकि वहाँ पानी के स्रोत की अधिकता के कारण वाष्पीकरण की क्रिया लगातार होती रहती है।
- विषुवत् वृत्त से 35º से 40º उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के मध्य, पूर्वी तटों पर बहुत अधिक वर्षा होती है तथा पश्चिम की तरफ यह घटती जाती है। लेकिन विषुवत् वृत्त से 45º तथा 65º उत्तर तथा दक्षिण अक्षांशों के बीच पछुआ पवनों के कारण सबसे पहले महाद्वीपों के पश्चिमी किनारों पर वर्षा होती है तथा यह पूर्व की तरफ घटती जाती है।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsवायुदाब मापने के लिये किस यंत्र का प्रयोग किया जाता है?
Correct
व्याख्याः वायुदाब को मापने के लिये पारद वायुदाबमापी (Mercury barometer) अथवा निर्द्रव बैरोमीटर (Aneroid barometer) का प्रयोग किया जाता है।
Incorrect
व्याख्याः वायुदाब को मापने के लिये पारद वायुदाबमापी (Mercury barometer) अथवा निर्द्रव बैरोमीटर (Aneroid barometer) का प्रयोग किया जाता है।
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Question 15 of 20
15. Question
1 pointsपृथ्वी पर वायुदाब के वितरण के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
Correct
व्याख्याः कथन (c) असत्य है।
- विषुवत् वृत्त के निकट वायुदाब कम होता है और इसे विषुवतीय निम्न अवदाब क्षेत्र (Equatorial low) के नाम से जाना जाता है।
- 30º उत्तरी व 30º दक्षिणी अक्षांशों के साथ उच्च दाब क्षेत्र पाए जाते हैं, जिन्हें उपोष्ण उच्च वायुदाब क्षेत्र कहा जाता है। ध्रुवों की तरफ 60º उत्तरी व 60º दक्षिणी अक्षांशों पर निम्न दाब पेटियाँ हैं, जिन्हें अधोध्रुवीय निम्न दाब पट्टियाँ कहते हैं।
- ध्रुवों के निकट वायुदाब अधिक होता है और इसे ध्रुवीय उच्च वायुदाब पट्टी कहते हैं।
- वायुदाब पट्टियाँ स्थायी नहीं हैं। सूर्य की किरणों के साथ ये पट्टियाँ विस्थापित होती रहती हैं।
Incorrect
व्याख्याः कथन (c) असत्य है।
- विषुवत् वृत्त के निकट वायुदाब कम होता है और इसे विषुवतीय निम्न अवदाब क्षेत्र (Equatorial low) के नाम से जाना जाता है।
- 30º उत्तरी व 30º दक्षिणी अक्षांशों के साथ उच्च दाब क्षेत्र पाए जाते हैं, जिन्हें उपोष्ण उच्च वायुदाब क्षेत्र कहा जाता है। ध्रुवों की तरफ 60º उत्तरी व 60º दक्षिणी अक्षांशों पर निम्न दाब पेटियाँ हैं, जिन्हें अधोध्रुवीय निम्न दाब पट्टियाँ कहते हैं।
- ध्रुवों के निकट वायुदाब अधिक होता है और इसे ध्रुवीय उच्च वायुदाब पट्टी कहते हैं।
- वायुदाब पट्टियाँ स्थायी नहीं हैं। सूर्य की किरणों के साथ ये पट्टियाँ विस्थापित होती रहती हैं।
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Question 16 of 20
16. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. पृथ्वी की धरातलीय विषमता पवनों की गति को प्रभावित करती है।
2. पृथ्वी के परिक्रमण के कारण वायु पर कोरिऑलिस बल लगता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। क्षैतिज गतिज वायु को पवन कहते हैं। पवनें उच्च दाब से निम्न दाब की तरफ प्रवाहित होती हैं। भूतल पर धरातलीय विषमताओं के कारण घर्षण पैदा होता है, जो पवनों की गति को प्रभावित करता है।
- दूसरा कथन असत्य है। पृथ्वी के घूर्णन के कारण पवनों पर लगने वाले बल को कोरिऑलिस बल कहा जाता है न कि परिक्रमण के कारण लगने वाले बल को।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। क्षैतिज गतिज वायु को पवन कहते हैं। पवनें उच्च दाब से निम्न दाब की तरफ प्रवाहित होती हैं। भूतल पर धरातलीय विषमताओं के कारण घर्षण पैदा होता है, जो पवनों की गति को प्रभावित करता है।
- दूसरा कथन असत्य है। पृथ्वी के घूर्णन के कारण पवनों पर लगने वाले बल को कोरिऑलिस बल कहा जाता है न कि परिक्रमण के कारण लगने वाले बल को।
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Question 17 of 20
17. Question
1 pointsकोरिऑलिस बल के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. कोरिऑलिस बल का मान ध्रुवों पर सर्वाधिक तथा विषुवत् वृत्त पर शून्य होता है।
2. कोरिऑलिस बल के प्रभाव के कारण पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी मूल दिशा के दाईं तरफ विक्षेपित हो जाती हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- पृथ्वी अपने घूर्णन के कारण पवनों की दिशा को प्रभावित करती है तथा इस बल को कोरिऑलिस बल कहा जाता है। कोरिऑलिस बल अक्षांशों के कोण के सीधे अनुपात में बढ़ता है। यह ध्रुवों पर सर्वाधिक और विषुवत् वृत्त पर अनुपस्थित होता है।
- दूसरा कथन भी सत्य है। कोरिऑलिस बल के प्रभाव से पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी मूल दिशा से दाईं तरफ व दक्षिणी गोलार्द्ध में बाईं तरफ विक्षेपित (Deflect) हो जाती हैं। जब पवनों का वेग अधिक होता है, तब विक्षेपण भी अधिक होता है।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- पृथ्वी अपने घूर्णन के कारण पवनों की दिशा को प्रभावित करती है तथा इस बल को कोरिऑलिस बल कहा जाता है। कोरिऑलिस बल अक्षांशों के कोण के सीधे अनुपात में बढ़ता है। यह ध्रुवों पर सर्वाधिक और विषुवत् वृत्त पर अनुपस्थित होता है।
- दूसरा कथन भी सत्य है। कोरिऑलिस बल के प्रभाव से पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी मूल दिशा से दाईं तरफ व दक्षिणी गोलार्द्ध में बाईं तरफ विक्षेपित (Deflect) हो जाती हैं। जब पवनों का वेग अधिक होता है, तब विक्षेपण भी अधिक होता है।
-
Question 18 of 20
18. Question
1 pointsचक्रवात के केंद्र में दाब की दिशा व पवन की दिशा के प्रारूप के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है?
Correct
व्याख्याः निम्न दाब के चारों तरफ पवनों का परिक्रमण चक्रवाती परिसंचरण कहलाता है। उच्च वायु दाब क्षेत्र के चारों तरफ पवनों का परिक्रमण प्रतिचक्रवाती परिसंचरण कहा जाता है। चक्रवात तथा प्रतिचक्रवात में केंद्र में दाब की दशा तथा पवनों की दिशा का प्रारूप-
दाब पद्धति केंद्र में दाब की दशा पवन की दिशा का प्रारूप उत्तरी गोलार्द्ध में पवन की दिशा का प्रारूप दक्षिणी गोलार्द्ध में चक्रवात निम्न घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत घड़ी की सुई की दिशा के अनुरूप प्रतिचक्रवात उच्च घड़ी की सुई की दिशा के अनुरूप घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत Incorrect
व्याख्याः निम्न दाब के चारों तरफ पवनों का परिक्रमण चक्रवाती परिसंचरण कहलाता है। उच्च वायु दाब क्षेत्र के चारों तरफ पवनों का परिक्रमण प्रतिचक्रवाती परिसंचरण कहा जाता है। चक्रवात तथा प्रतिचक्रवात में केंद्र में दाब की दशा तथा पवनों की दिशा का प्रारूप-
दाब पद्धति केंद्र में दाब की दशा पवन की दिशा का प्रारूप उत्तरी गोलार्द्ध में पवन की दिशा का प्रारूप दक्षिणी गोलार्द्ध में चक्रवात निम्न घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत घड़ी की सुई की दिशा के अनुरूप प्रतिचक्रवात उच्च घड़ी की सुई की दिशा के अनुरूप घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत -
Question 19 of 20
19. Question
1 pointsभूमंडलीय पवनों का प्रारूप निर्भर करता है-
1. वायुमंडलीय ताप में अक्षांशीय भिन्नता।
2. वायुदाब पट्टियों का सौर किरणों के साथ विस्थापन।
3. महासागरों व महाद्वीपों का वितरण।
4. पृथ्वी का घूर्णन।
कूटःCorrect
व्याख्याः भूमंडलीय पवनों का प्रारूप मुख्यतः निम्न बातों पर निर्भर करता है-
1. वायुमंडलीय ताप में अक्षांशीय भिन्नता।
2. वायुदाब पट्टियों की उपस्थिति।
3. वायुदाब पट्टियों का सौर किरणों के साथ विस्थापन।
4. महासागरों व महाद्वीपों का वितरण।
5. पृथ्वी का घूर्णन।
वायुमंडलीय पवनों के प्रवाह प्रारूप को वायुमंडलीय सामान्य परिसंचरण भी कहा जाता है। यह वायुमंडलीय परिसंचरण महासागरीय जल को भी गतिमान करता है, जो पृथ्वी की जलवायु को प्रभावित करता है।Incorrect
व्याख्याः भूमंडलीय पवनों का प्रारूप मुख्यतः निम्न बातों पर निर्भर करता है-
1. वायुमंडलीय ताप में अक्षांशीय भिन्नता।
2. वायुदाब पट्टियों की उपस्थिति।
3. वायुदाब पट्टियों का सौर किरणों के साथ विस्थापन।
4. महासागरों व महाद्वीपों का वितरण।
5. पृथ्वी का घूर्णन।
वायुमंडलीय पवनों के प्रवाह प्रारूप को वायुमंडलीय सामान्य परिसंचरण भी कहा जाता है। यह वायुमंडलीय परिसंचरण महासागरीय जल को भी गतिमान करता है, जो पृथ्वी की जलवायु को प्रभावित करता है। -
Question 20 of 20
20. Question
1 pointsअंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण (ITCZ) प्रायः कहाँ पर होता है?
Correct
व्याख्याः अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण (ITCZ) क्षेत्र विषुवत् वृत्त के निकट पाया जाता है। उच्च सूर्यातप व निम्न वायुदाब होने से अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र पर वायु संवहन धाराओं के रूप में ऊपर उठती है।
Incorrect
व्याख्याः अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण (ITCZ) क्षेत्र विषुवत् वृत्त के निकट पाया जाता है। उच्च सूर्यातप व निम्न वायुदाब होने से अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र पर वायु संवहन धाराओं के रूप में ऊपर उठती है।
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