भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत टेस्ट 3
भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत टेस्ट 3
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न कक्षा 11 की पुस्तक भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत (एन.सी.ई.आर.टी.) पर आधारित है| यदि आप ‘भौतिक भूगोल’ विषय की अधिक जानकारी नहीं रखते है तो इस टेस्ट को देने से पहले आप पुस्तक का रिविजन अवश्य करें|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsवायु एवं वायुमंडलीय दाब में परिवर्तन के कारण महासागरीय जल में उत्पन्न होने वाली गति को क्या कहते हैं?
Correct
व्याख्याः
- जलवायु संबंधी प्रभावों (वायु एवं वायुमंडलीय दाब में परिवर्तन) के कारण समुद्रीय जल की गति को महोर्मि (Surge) कहा जाता है। चंद्रमा एवं सूर्य के आकर्षण के कारण दिन में एक बार या दो बार समुद्र तल का नियतकालिक उठने या गिरने को ज्वार-भाटा कहते हैं।
- महोर्मि ज्वार-भाटाओं की तरह नियमित नहीं होता है।
Incorrect
व्याख्याः
- जलवायु संबंधी प्रभावों (वायु एवं वायुमंडलीय दाब में परिवर्तन) के कारण समुद्रीय जल की गति को महोर्मि (Surge) कहा जाता है। चंद्रमा एवं सूर्य के आकर्षण के कारण दिन में एक बार या दो बार समुद्र तल का नियतकालिक उठने या गिरने को ज्वार-भाटा कहते हैं।
- महोर्मि ज्वार-भाटाओं की तरह नियमित नहीं होता है।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsविश्व में सर्वाधिक ऊँचा ज्वार-भाटा कहाँ पर आता है?
Correct
व्याख्याः विश्व में सबसे ऊँचा ज्वार-भाटा कनाडा के नवास्कोशिया में स्थित फंडी की खाड़ी में आता है। ज्वारीय उभार की ऊँचाई 15 से 16 मीटर के बीच होती है क्योंकि वहाँ पर दो उच्च ज्वार एवं दो निम्न ज्वार प्रतिदिन (लगभग 24 घंटे) के अंदर आते हैं। अतः एक ज्वार 6 घंटे के भीतर ज़रूर आता है।
Incorrect
व्याख्याः विश्व में सबसे ऊँचा ज्वार-भाटा कनाडा के नवास्कोशिया में स्थित फंडी की खाड़ी में आता है। ज्वारीय उभार की ऊँचाई 15 से 16 मीटर के बीच होती है क्योंकि वहाँ पर दो उच्च ज्वार एवं दो निम्न ज्वार प्रतिदिन (लगभग 24 घंटे) के अंदर आते हैं। अतः एक ज्वार 6 घंटे के भीतर ज़रूर आता है।
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Question 3 of 20
3. Question
1 pointsसमुद्र जल में उठने वाले ज्वार-भाटाओं की उत्पत्ति किन बलों के कारण होती है?
1. चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण
2. सूर्य के गुरुत्वाकर्षण
3. कोरियॉलिस बल
4. अपकेंद्रीय बल
कूटःCorrect
व्याख्याः
- समुद्र तल में उत्पन्न होने वाले ज्वार-भाटा चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के कारण तथा कुछ हद तक सूर्य के गुरुत्वाकर्षण के कारण उत्पन्न होते हैं। ज्वार-भाटाओं की उत्पत्ति में दूसरा महत्त्वपूर्ण कारक, अपकेंद्रीय बल है, जो कि गुरुत्वाकर्षण को संतुलित करता है। गुरुत्वाकर्षण बल तथा अपकेंद्रीय बल दोनों मिलकर पृथ्वी पर दो महत्त्वपूर्ण ज्वार-भाटाओं को उत्पन्न करने के लिये उत्तरदायी हैं।
- ज्वार-भाटाओं की उत्पत्ति का कोरियॉलिस बल से कोई संबंध नहीं है।
Incorrect
व्याख्याः
- समुद्र तल में उत्पन्न होने वाले ज्वार-भाटा चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के कारण तथा कुछ हद तक सूर्य के गुरुत्वाकर्षण के कारण उत्पन्न होते हैं। ज्वार-भाटाओं की उत्पत्ति में दूसरा महत्त्वपूर्ण कारक, अपकेंद्रीय बल है, जो कि गुरुत्वाकर्षण को संतुलित करता है। गुरुत्वाकर्षण बल तथा अपकेंद्रीय बल दोनों मिलकर पृथ्वी पर दो महत्त्वपूर्ण ज्वार-भाटाओं को उत्पन्न करने के लिये उत्तरदायी हैं।
- ज्वार-भाटाओं की उत्पत्ति का कोरियॉलिस बल से कोई संबंध नहीं है।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsसमुद्री सतहों पर वृहत् ज्वार आने का कारण है-
Correct
व्याख्याः
- पृथ्वी के संदर्भ में सूर्य एवं चंद्रमा की स्थिति ज्वार की ऊँचाई को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है। जब तीनों एक सीधी रेखा में होते हैं, तब ज्वारीय उभार अधिकतम होता है, जिसको वृहत् ज्वार-भाटा कहा जाता है। ऐसा महीने में दो बार होता है- पहला पूर्णिमा के समय तथा दूसरा अमावस्या के समय।
- सामान्यतः वृहत् ज्वार एवं निम्न ज्वार के बीच सात दिन का अंतर होता है। इस समय चंद्रमा एवं सूर्य एक-दूसरे के समकोण पर होते हैं तथा सूर्य एवं चंद्रमा के गुरुत्व बल एक-दूसरे के विरुद्ध कार्य करते हैं।
Incorrect
व्याख्याः
- पृथ्वी के संदर्भ में सूर्य एवं चंद्रमा की स्थिति ज्वार की ऊँचाई को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है। जब तीनों एक सीधी रेखा में होते हैं, तब ज्वारीय उभार अधिकतम होता है, जिसको वृहत् ज्वार-भाटा कहा जाता है। ऐसा महीने में दो बार होता है- पहला पूर्णिमा के समय तथा दूसरा अमावस्या के समय।
- सामान्यतः वृहत् ज्वार एवं निम्न ज्वार के बीच सात दिन का अंतर होता है। इस समय चंद्रमा एवं सूर्य एक-दूसरे के समकोण पर होते हैं तथा सूर्य एवं चंद्रमा के गुरुत्व बल एक-दूसरे के विरुद्ध कार्य करते हैं।
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Question 5 of 20
5. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
1. ज्वार-भाटा नौसंचालन की गतिविधियों में मददगार होते हैं।
2. ज्वार-भाटा तलछटों की गाद निकालने (Desiltation) में मदद करते हैं।
3. ज्वार-भाटे का उपयोग विद्युत शक्ति उत्पन्न करने में किया जाता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं। चूँकि पृथ्वी, चंद्रमा व सूर्य की स्थिति ज्वार की उत्पत्ति का कारण है इसलिये इनकी स्थिति के सही ज्ञान से ज्वारों का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। यह नौसंचालकों व मछुआरों को उनके कार्य संबंधी योजनाओं में मदद करता है। नौसंचालन में ज्वारीय प्रवाह का अत्यधिक महत्त्व है। ज्वार की ऊँचाई बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण है, खासकर नदियों के किनारे वाले बंदरगाहों पर एवं ज्वारनदमुख के भीतर, जहाँ प्रवेश द्वार पर छिछली रोधिकाएँ होते हैं, जो कि नौकाओं एवं जहाजों को बंदरगाह में प्रवेश करने से रोकती हैं। ज्वार-भाटा तलछटों के डीसिल्टेशन (Desiltation) में भी मदद करते हैं तथा ज्वारनदमुख से प्रदूषित जल को बाहर निकालने में भी मदद करती हैं। ज्वारों का इस्तेमाल विद्युत शक्ति (कनाडा, फ्राँस, रूस एवं चीन में) उत्पन्न करने में भी किया जाता है।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं। चूँकि पृथ्वी, चंद्रमा व सूर्य की स्थिति ज्वार की उत्पत्ति का कारण है इसलिये इनकी स्थिति के सही ज्ञान से ज्वारों का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। यह नौसंचालकों व मछुआरों को उनके कार्य संबंधी योजनाओं में मदद करता है। नौसंचालन में ज्वारीय प्रवाह का अत्यधिक महत्त्व है। ज्वार की ऊँचाई बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण है, खासकर नदियों के किनारे वाले बंदरगाहों पर एवं ज्वारनदमुख के भीतर, जहाँ प्रवेश द्वार पर छिछली रोधिकाएँ होते हैं, जो कि नौकाओं एवं जहाजों को बंदरगाह में प्रवेश करने से रोकती हैं। ज्वार-भाटा तलछटों के डीसिल्टेशन (Desiltation) में भी मदद करते हैं तथा ज्वारनदमुख से प्रदूषित जल को बाहर निकालने में भी मदद करती हैं। ज्वारों का इस्तेमाल विद्युत शक्ति (कनाडा, फ्राँस, रूस एवं चीन में) उत्पन्न करने में भी किया जाता है।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsमहासागरीय जलधाराओं के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
1. निम्न व मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में ठंडी जलधाराएँ महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर बहती हैं।
2. उत्तरी गोलार्द्ध में उच्च अक्षांशीय क्षेत्रों में ठंडी जलधाराएँ महाद्वीपों के पूर्वी तटों पर बहती हैं।
3. निम्न व मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में गर्म जलधाराएँ महाद्वीपों के पूर्वी तटों पर बहती हैं।
कूटःCorrect
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- महासागरीय धाराओं को तापमान के आधार पर गर्म व ठंडी जलधाराओं में वर्गीकृत किया जाता है। ठंडी जलधाराएँ, ठंडे जल को गर्म जल क्षेत्रों में लाती हैं। ये महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर बहती हैं (ऐसा दोनों गोलार्द्ध में निम्न व मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में होता है) और उत्तरी गोलार्द्ध के उच्च अक्षांशीय क्षेत्रों में ये जलधाराएँ महाद्वीपों के पूर्वी तटों पर बहती हैं।
- गर्म जलधाराएँ, गर्म जल को ठंडे जल क्षेत्रों में पहुँचाती हैं और प्रायः महाद्वीपों के पूर्वी तटों पर बहती हैं (दोनों गोलार्द्ध के निम्न व मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में) उत्तरी गोलार्द्ध में ये जलधाराएँ उच्च अक्षांशीय क्षेत्रों में महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर बहती हैं।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- महासागरीय धाराओं को तापमान के आधार पर गर्म व ठंडी जलधाराओं में वर्गीकृत किया जाता है। ठंडी जलधाराएँ, ठंडे जल को गर्म जल क्षेत्रों में लाती हैं। ये महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर बहती हैं (ऐसा दोनों गोलार्द्ध में निम्न व मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में होता है) और उत्तरी गोलार्द्ध के उच्च अक्षांशीय क्षेत्रों में ये जलधाराएँ महाद्वीपों के पूर्वी तटों पर बहती हैं।
- गर्म जलधाराएँ, गर्म जल को ठंडे जल क्षेत्रों में पहुँचाती हैं और प्रायः महाद्वीपों के पूर्वी तटों पर बहती हैं (दोनों गोलार्द्ध के निम्न व मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में) उत्तरी गोलार्द्ध में ये जलधाराएँ उच्च अक्षांशीय क्षेत्रों में महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर बहती हैं।
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सी गर्म जलधाराएँ हैं? नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
1. गल्फ स्ट्रीम
2. कनारी धारा
3. बैंगुला धारा
4. फॉकलैंड धारा
कूटःCorrect
व्याख्याः ऊपर दिये गए विकल्पों में केवल गल्फ स्ट्रीम गर्म जलधारा है, जबकि कनारी, बैंगुला और फॉकलैंड ठंडी जलधाराएँ हैं।
Incorrect
व्याख्याः ऊपर दिये गए विकल्पों में केवल गल्फ स्ट्रीम गर्म जलधारा है, जबकि कनारी, बैंगुला और फॉकलैंड ठंडी जलधाराएँ हैं।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsसूची-I को सूची-II से मिलाइये तथा नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
सूची-I
(जलधारा )सूची-II
(महासागर )A. गल्फ स्ट्रीम 1. हिंद महासागर B. हम्बोल्ट धारा 2. प्रशांत महासागर C. फॉकलैंड धारा 3. उत्तरी अटलांटिक महासागर D. दक्षिण विषुवतीय धारा 4. दक्षिणी अटलांटिक महासागर कूटः
Correct
व्याख्याः
प्रशांत महासागर – हम्बोल्ट धारा (ठंडी जलधारा)
उत्तरी अटलांटिक महासागर – गल्फ स्ट्रीम (गर्म जलधारा)
दक्षिणी अटलांटिक महासागर – फॉकलैंड धारा (ठंडी धारा)
हिंद महासागर – दक्षिणी विषुवतीय धारा (गर्म जलधारा)Incorrect
व्याख्याः
प्रशांत महासागर – हम्बोल्ट धारा (ठंडी जलधारा)
उत्तरी अटलांटिक महासागर – गल्फ स्ट्रीम (गर्म जलधारा)
दक्षिणी अटलांटिक महासागर – फॉकलैंड धारा (ठंडी धारा)
हिंद महासागर – दक्षिणी विषुवतीय धारा (गर्म जलधारा) -
Question 9 of 20
9. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा तत्त्व जलीय चक्र का भाग नहीं है?
Correct
व्याख्याः जलयोजन, जल चक्र का भाग नहीं है। जलीय चक्र पृथ्वी के जलमंडल में विभिन्न रूपों अर्थात् गैस, तरल व ठोस में जल का परिसंचरण है। इसका संबंध महासागरों, वायुमंडल, भूपृष्ठ, अधस्तल और जीवों के बीच जल के सतत् आदान-प्रदान से भी है। जलीय चक्र में वर्षण, संघनन, वाष्पोत्सर्जन आदि तत्त्व शामिल हैं।
Incorrect
व्याख्याः जलयोजन, जल चक्र का भाग नहीं है। जलीय चक्र पृथ्वी के जलमंडल में विभिन्न रूपों अर्थात् गैस, तरल व ठोस में जल का परिसंचरण है। इसका संबंध महासागरों, वायुमंडल, भूपृष्ठ, अधस्तल और जीवों के बीच जल के सतत् आदान-प्रदान से भी है। जलीय चक्र में वर्षण, संघनन, वाष्पोत्सर्जन आदि तत्त्व शामिल हैं।
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Question 10 of 20
10. Question
1 pointsमहासागरीय अधस्तल के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. महाद्वीपीय शेल्फ, प्रत्येक महाद्वीप का विस्तृत सीमांत होता है, जो अपेक्षाकृत उथले समुद्रों तथा खाड़ियों से घिरा होता है।
2. महासागरों के अंदर जीवाश्मी ईंधन के स्रोत महाद्वीपीय शेल्फों पर ही पाए जाते हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- महासागरों के जल के नीचे की भूमि को महासागरीय अधस्तल कहते हैं। महासागरीय अधस्तल को चार प्रमुख भागों में बाँटा जा सकता है- (i) महाद्वीपीय शेल्फ (ii) महाद्वीपीय ढाल (iv) गहरे समुद्री मैदान (iv) महासागरीय गभीर।
- महाद्वीपीय शेल्फ, प्रत्येक महाद्वीप का विस्तृत सीमांत होता है, जो अपेक्षाकृत उथले समुद्रों तथा खाड़ियों से घिरा होता है। यह महासागर का सबसे उथला भाग होता है, जिसकी औसत प्रवणता एक डिग्री (10) या उससे भी कम होती है। यह शेल्फ अत्यंत तीव्र ढाल पर समाप्त होता है, जिसे शेल्फ अवकाश कहा जाता है।
- महाद्वीपीय शेल्फों पर अवसादों की मोटाई भी अलग-अलग होती है। ये अवसाद भूमि से नदियों, हिमनदियों तथा पवनों द्वारा लाए जाते हैं और तरंगों तथा धाराओं द्वारा वितरित किये जाते हैं। महाद्वीपीय शेल्फों पर लंबे समय तक प्राप्त स्थूल तलछटी अवसाद जीवाश्मी ईंधनों के स्रोत बनते हैं।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- महासागरों के जल के नीचे की भूमि को महासागरीय अधस्तल कहते हैं। महासागरीय अधस्तल को चार प्रमुख भागों में बाँटा जा सकता है- (i) महाद्वीपीय शेल्फ (ii) महाद्वीपीय ढाल (iv) गहरे समुद्री मैदान (iv) महासागरीय गभीर।
- महाद्वीपीय शेल्फ, प्रत्येक महाद्वीप का विस्तृत सीमांत होता है, जो अपेक्षाकृत उथले समुद्रों तथा खाड़ियों से घिरा होता है। यह महासागर का सबसे उथला भाग होता है, जिसकी औसत प्रवणता एक डिग्री (10) या उससे भी कम होती है। यह शेल्फ अत्यंत तीव्र ढाल पर समाप्त होता है, जिसे शेल्फ अवकाश कहा जाता है।
- महाद्वीपीय शेल्फों पर अवसादों की मोटाई भी अलग-अलग होती है। ये अवसाद भूमि से नदियों, हिमनदियों तथा पवनों द्वारा लाए जाते हैं और तरंगों तथा धाराओं द्वारा वितरित किये जाते हैं। महाद्वीपीय शेल्फों पर लंबे समय तक प्राप्त स्थूल तलछटी अवसाद जीवाश्मी ईंधनों के स्रोत बनते हैं।
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Question 11 of 20
11. Question
1 pointsनिम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?
1. महासागरीय बेसिनों के मंद ढाल वाले क्षेत्र – गभीर सागरीय मैदान
2. महाद्वीपीय ढाल के आधार तथा द्वीपीय चापों के पास स्थित क्षेत्र – निमग्न द्वीप
3. समुद्री तल से ऊपर की ओर उठता हुआ नुकीले शिखरों वाला पर्वत – मध्य महासागरीय कटकCorrect
व्याख्याः केवल पहला युग्म सही सुमेलित है।
- गभीर सागरीय मैदान महासागरीय बेसिनों के मंद ढाल वाले क्षेत्र होते हैं। ये विश्व के सबसे चिकने तथा सबसे सपाट भाग हैं। इनकी गहराई 3,000 से 6,000 मीटर के बीच होती है। ये मैदान महीन कणों वाले अवसादों जैसे-मृत्तिका एवं गाद से ढके होते हैं।
- महासागरीय गर्त, महाद्वीपीय ढाल के आधार तथा द्वीपीय चापों के पास स्थित होते हैं एवं सक्रिय ज्वालामुखी तथा प्रबल भूकंप वाले क्षेत्रों से संबंधित होते हैं। ये महासागर के सबसे गहरे भाग होते हैं। ये गर्त अपेक्षाकृत खड़े किनारों वाले संकीर्ण बेसिन होते हैं।
- नुकीले शिखरों वाले पर्वत जो समुद्री तल से ऊपर की ओर उठते हैं, किंतु महासागरों की सतह तक नहीं पहुँच पाते, उन्हें समुद्री टीला कहते हैं। समुद्री टीले ज्वालामुखी के द्वारा उत्पन्न होते हैं। ये 3,000 से 4,500 मीटर ऊँचे हो सकते हैं। एम्पेरर समुद्री टीला, जो प्रशांत महासागर में हवाई द्वीप समूहों का विस्तार है इसका एक अच्छा उदाहरण है।
Incorrect
व्याख्याः केवल पहला युग्म सही सुमेलित है।
- गभीर सागरीय मैदान महासागरीय बेसिनों के मंद ढाल वाले क्षेत्र होते हैं। ये विश्व के सबसे चिकने तथा सबसे सपाट भाग हैं। इनकी गहराई 3,000 से 6,000 मीटर के बीच होती है। ये मैदान महीन कणों वाले अवसादों जैसे-मृत्तिका एवं गाद से ढके होते हैं।
- महासागरीय गर्त, महाद्वीपीय ढाल के आधार तथा द्वीपीय चापों के पास स्थित होते हैं एवं सक्रिय ज्वालामुखी तथा प्रबल भूकंप वाले क्षेत्रों से संबंधित होते हैं। ये महासागर के सबसे गहरे भाग होते हैं। ये गर्त अपेक्षाकृत खड़े किनारों वाले संकीर्ण बेसिन होते हैं।
- नुकीले शिखरों वाले पर्वत जो समुद्री तल से ऊपर की ओर उठते हैं, किंतु महासागरों की सतह तक नहीं पहुँच पाते, उन्हें समुद्री टीला कहते हैं। समुद्री टीले ज्वालामुखी के द्वारा उत्पन्न होते हैं। ये 3,000 से 4,500 मीटर ऊँचे हो सकते हैं। एम्पेरर समुद्री टीला, जो प्रशांत महासागर में हवाई द्वीप समूहों का विस्तार है इसका एक अच्छा उदाहरण है।
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Question 12 of 20
12. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-से कारक महासागरीय जल के तापमान वितरण को प्रभावित करते हैं?
1. अक्षांश
2. स्थल एवं जल का असमान वितरण
3. ज्वार एवं भाटा
4. महासागरीय धाराएँ
कूटःCorrect
व्याख्याः महासागरीय जल के तापमान वितरण को प्रभावित करने वाले कारक हैं – अक्षांश, स्थल एवं जल का असमान वितरण, सनातन पवनें तथा महासागरीय धाराएँ।
- अक्षांश – विषुवत वृत्त से ध्रुवों की ओर जाने पर सौर विकरण की मात्रा घटने लगती है जिसके कारण महासागरीय सतहों का तापमान घटता चला जाता है।
- स्थल एवं जल का असमान वितरण – उत्तरी गोलार्द्ध के महासागर दक्षिणी गोलार्द्ध के महासागरों की अपेक्षा स्थल के बहुत बड़े भाग से जुड़े होने के कारण अधिक मात्रा में ऊष्मा प्राप्त करते हैं।
- सनातन पवनें – स्थल से महासागरों की तरफ बहने वाली पवनें महासागरों के सतही गर्म जल को तट से दूर धकेल देती हैं, जिसके परिणामस्वरूप नीचे का ठंडा जल ऊपर की ओर आ जाता है। परिणामस्वरूप, तापमान में देशांतरीय अंतर आता है। इसके विपरीत, अभितटीय पवनें गर्म जल को तट पर जमा कर देती हैं और इससे तापमान बढ़ जाता है।
- महासागरीय धाराएँ – गर्म महासागरीय धाराएँ ठंडे क्षेत्रों में तापमान को बढ़ा देती हैं, जबकि ठंडी धाराएँ गर्म महासागरीय क्षेत्रों में तापमान को घटा देती हैं।
Incorrect
व्याख्याः महासागरीय जल के तापमान वितरण को प्रभावित करने वाले कारक हैं – अक्षांश, स्थल एवं जल का असमान वितरण, सनातन पवनें तथा महासागरीय धाराएँ।
- अक्षांश – विषुवत वृत्त से ध्रुवों की ओर जाने पर सौर विकरण की मात्रा घटने लगती है जिसके कारण महासागरीय सतहों का तापमान घटता चला जाता है।
- स्थल एवं जल का असमान वितरण – उत्तरी गोलार्द्ध के महासागर दक्षिणी गोलार्द्ध के महासागरों की अपेक्षा स्थल के बहुत बड़े भाग से जुड़े होने के कारण अधिक मात्रा में ऊष्मा प्राप्त करते हैं।
- सनातन पवनें – स्थल से महासागरों की तरफ बहने वाली पवनें महासागरों के सतही गर्म जल को तट से दूर धकेल देती हैं, जिसके परिणामस्वरूप नीचे का ठंडा जल ऊपर की ओर आ जाता है। परिणामस्वरूप, तापमान में देशांतरीय अंतर आता है। इसके विपरीत, अभितटीय पवनें गर्म जल को तट पर जमा कर देती हैं और इससे तापमान बढ़ जाता है।
- महासागरीय धाराएँ – गर्म महासागरीय धाराएँ ठंडे क्षेत्रों में तापमान को बढ़ा देती हैं, जबकि ठंडी धाराएँ गर्म महासागरीय क्षेत्रों में तापमान को घटा देती हैं।
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsमहासागर के अंतर्गत वह सीमा क्षेत्र जहाँ तापमान में तीव्र गिरावट आती है, उसे कहा जाता है-
Correct
व्याख्याः महासागर के अंतर्गत वह सीमा क्षेत्र जहाँ तापमान में तीव्र गिरावट आती है, उसे ताप प्रवणता (थर्मोक्लाइन) कहा जाता है। जल के कुल आयतन का लगभग 90 प्रतिशत गहरे महासागर में ताप प्रवणता (थर्मोक्लाइन) के नीचे पाया जाता है।
Incorrect
व्याख्याः महासागर के अंतर्गत वह सीमा क्षेत्र जहाँ तापमान में तीव्र गिरावट आती है, उसे ताप प्रवणता (थर्मोक्लाइन) कहा जाता है। जल के कुल आयतन का लगभग 90 प्रतिशत गहरे महासागर में ताप प्रवणता (थर्मोक्लाइन) के नीचे पाया जाता है।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsमहासागरीय जल की लवणता में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाता है-
Correct
व्याख्याः लवणता वह शब्द है जिसका उपयोग समुद्री जल में घुले हुए नमक की मात्रा को निर्धारित करने में किया जाता है। इसका परिकलन 1000 ग्राम (1 किलोग्राम) समुद्री जल में घुले हुए नमक (ग्राम में) की मात्रा के द्वारा किया जाता है। इसे प्रायः प्रति 1000 भाग (%0) या PPT के रूप में व्यक्त किया जाता है। समुद्री जल में घुले हुए खनिज लवणों में सबसे अधिक मात्रा क्लोरीन (18.97 ग्राम) की होती है, उसके बाद सोडियम (10.47 ग्राम) तथा सल्फेट (2.65 ग्राम) की होती है।
Incorrect
व्याख्याः लवणता वह शब्द है जिसका उपयोग समुद्री जल में घुले हुए नमक की मात्रा को निर्धारित करने में किया जाता है। इसका परिकलन 1000 ग्राम (1 किलोग्राम) समुद्री जल में घुले हुए नमक (ग्राम में) की मात्रा के द्वारा किया जाता है। इसे प्रायः प्रति 1000 भाग (%0) या PPT के रूप में व्यक्त किया जाता है। समुद्री जल में घुले हुए खनिज लवणों में सबसे अधिक मात्रा क्लोरीन (18.97 ग्राम) की होती है, उसके बाद सोडियम (10.47 ग्राम) तथा सल्फेट (2.65 ग्राम) की होती है।
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Question 15 of 20
15. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-से कारक महासागरीय जल की लवणता को प्रभावित करते हैं?
1. वाष्पीकरण एवं वर्षण
2. नदियाँ
3. मैंग्रोव वनस्पतियाँ
4. महासागरीय धाराएँ
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-Correct
व्याख्याः महासागरीय लवणता को प्रभावित करने वाले कारक:
- महासागरों की सतह के जल की लवणता मुख्यतः वाष्पीकरण एवं वर्षण पर निर्भर करती है।
- तटीय क्षेत्रों में सतह के जल की लवणता नदियों के द्वारा लाए गए ताज़े जल के द्वारा तथा ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ के जमने एवं पिघलने की क्रिया से सबसे अधिक प्रभावित होती है।
- पवन भी जल को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरित कर लवणता को प्रभावित करती है।
- महासागरीय धाराएँ भी लवणता में भिन्नता उत्पन्न करने में सहयोग करती हैं। जल की लवणता, तापमान एवं घनत्व परस्पर संबंधित होते हैं। इसलिये, तापमान अथवा घनत्व में किसी भी प्रकार का परिवर्तन उस क्षेत्र की लवणता को प्रभावित करता है।
Incorrect
व्याख्याः महासागरीय लवणता को प्रभावित करने वाले कारक:
- महासागरों की सतह के जल की लवणता मुख्यतः वाष्पीकरण एवं वर्षण पर निर्भर करती है।
- तटीय क्षेत्रों में सतह के जल की लवणता नदियों के द्वारा लाए गए ताज़े जल के द्वारा तथा ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ के जमने एवं पिघलने की क्रिया से सबसे अधिक प्रभावित होती है।
- पवन भी जल को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरित कर लवणता को प्रभावित करती है।
- महासागरीय धाराएँ भी लवणता में भिन्नता उत्पन्न करने में सहयोग करती हैं। जल की लवणता, तापमान एवं घनत्व परस्पर संबंधित होते हैं। इसलिये, तापमान अथवा घनत्व में किसी भी प्रकार का परिवर्तन उस क्षेत्र की लवणता को प्रभावित करता है।
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Question 16 of 20
16. Question
1 pointsविश्व में सर्वाधिक लवणता पाई जाती है-
Correct
व्याख्याः
विश्व में उच्चतम लवणता वाले क्षेत्र हैं-
टर्की की वॉन झील – 330%0
मृत सागर – 238%0
ग्रेट साल्ट लेक – 220%0Incorrect
व्याख्याः
विश्व में उच्चतम लवणता वाले क्षेत्र हैं-
टर्की की वॉन झील – 330%0
मृत सागर – 238%0
ग्रेट साल्ट लेक – 220%0 -
Question 17 of 20
17. Question
1 pointsबंगाल की खाड़ी की लवणता कम तथा अरब सागर की लवणता अधिक होती है। इसका प्रमुख कारण है-
Correct
व्याख्याः बंगाल की खाड़ी में गंगा नदी तथा अन्य दूसरी नदियों द्वारा बहाकर लाए गए ताज़े जल के कारण लवणता की प्रवृत्ति कम पाई जाती है। इसके विपरीत, अरब सागर की लवणता उच्च वाष्पीकरण एवं ताज़े जल की कम प्राप्ति के कारण अधिक है।
Incorrect
व्याख्याः बंगाल की खाड़ी में गंगा नदी तथा अन्य दूसरी नदियों द्वारा बहाकर लाए गए ताज़े जल के कारण लवणता की प्रवृत्ति कम पाई जाती है। इसके विपरीत, अरब सागर की लवणता उच्च वाष्पीकरण एवं ताज़े जल की कम प्राप्ति के कारण अधिक है।
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Question 18 of 20
18. Question
1 points‘क्योटो प्रोटोकॉल’ का संबंध है-
Correct
व्याख्याः वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किये गए हैं। इनमें से सबसे महत्त्वपूर्ण ‘क्योटो प्रोटोकॉल’ है, जिसकी उद्घोषणा सन् 1997 में की गई थी। सन् 2005 में इस प्रोटोकॉल में की गई उद्घोषणा प्रभावी हुई।
Incorrect
व्याख्याः वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किये गए हैं। इनमें से सबसे महत्त्वपूर्ण ‘क्योटो प्रोटोकॉल’ है, जिसकी उद्घोषणा सन् 1997 में की गई थी। सन् 2005 में इस प्रोटोकॉल में की गई उद्घोषणा प्रभावी हुई।
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Question 19 of 20
19. Question
1 pointsकोपेन द्वारा विकसित जलवायु के वर्गीकरण में किस पद्धति का सबसे व्यापक उपयोग किया जाता है?
Correct
व्याख्याः कोपेन द्वारा विकसित की गई जलवायु के वर्गीकरण में आनुभविक पद्धति का सबसे व्यापक उपयोग किया जाता है। कोपेन ने वनस्पति के वितरण और जलवायु के बीच एक घनिष्ठ संबंध की पहचान की। उन्होंने तापमान तथा वर्षण के कुछ निश्चित मानों का चयन करते हुए उनका वनस्पति के वितरण से संबंध स्थापित किया और इन मानों का उपयोग जलवायु के वर्गीकरण के लिये किया। वर्षा एवं तापमान के मध्यमान वार्षिक एवं मध्यमान मासिक आँकड़ों पर आधारित यह एक आनुभविक पद्धति है।
Incorrect
व्याख्याः कोपेन द्वारा विकसित की गई जलवायु के वर्गीकरण में आनुभविक पद्धति का सबसे व्यापक उपयोग किया जाता है। कोपेन ने वनस्पति के वितरण और जलवायु के बीच एक घनिष्ठ संबंध की पहचान की। उन्होंने तापमान तथा वर्षण के कुछ निश्चित मानों का चयन करते हुए उनका वनस्पति के वितरण से संबंध स्थापित किया और इन मानों का उपयोग जलवायु के वर्गीकरण के लिये किया। वर्षा एवं तापमान के मध्यमान वार्षिक एवं मध्यमान मासिक आँकड़ों पर आधारित यह एक आनुभविक पद्धति है।
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Question 20 of 20
20. Question
1 pointsकोपेन के वर्गीकरण के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-से चार समूह आर्द्र जलवायु दशाओं को प्रदर्शित करते हैं?
Correct
व्याख्याः कोपेन के अनुसार बड़े अक्षर A, C, D तथा E आर्द्र जलवायु को तथा B अक्षर शुष्क जलवायु को निरूपित करता है।
Incorrect
व्याख्याः कोपेन के अनुसार बड़े अक्षर A, C, D तथा E आर्द्र जलवायु को तथा B अक्षर शुष्क जलवायु को निरूपित करता है।
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