भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत टेस्ट 1
भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत टेस्ट 1
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न कक्षा 11 की पुस्तक भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत (एन.सी.ई.आर.टी.) पर आधारित है| यदि आप ‘भौतिक भूगोल’ विषय की अधिक जानकारी नहीं रखते है तो इस टेस्ट को देने से पहले आप पुस्तक का रिविजन अवश्य करें|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-से कारक किसी भौगोलिक क्षेत्र की जैव-विविधता के लिये संकट हो सकते हैं?
1. वैश्विक तापन
2. जनसंख्या वृद्धि
3. विदेशी प्रजाति का संक्रमण
4. शाकाहार को प्रोत्साहन
कूटःCorrect
व्याख्याः
विश्व में जैव विविधता के ह्रास के प्रमुख कारण हैं-- वैश्विक तापन
- जनसंख्या वृद्धि
- किसी पारितंत्र में विदेशज प्रजाति का संक्रमण
- प्राकृतिक आपदाएँ
- कीटनाशक और अन्य प्रदूषक (हाइड्रोकार्बन और अन्य विषैली गैसें आदि)
Incorrect
व्याख्याः
विश्व में जैव विविधता के ह्रास के प्रमुख कारण हैं-- वैश्विक तापन
- जनसंख्या वृद्धि
- किसी पारितंत्र में विदेशज प्रजाति का संक्रमण
- प्राकृतिक आपदाएँ
- कीटनाशक और अन्य प्रदूषक (हाइड्रोकार्बन और अन्य विषैली गैसें आदि)
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsवे प्रजातियाँ जिन्हें यदि संरक्षित नहीं किया गया या उनके विलुप्त होने में सहयोगी कारक जारी रहे तो निकट भविष्य में उनके विलुप्त होने का खतरा है। प्राकृतिक संसाधनों व पर्यावरण संरक्षण की अंतर्राष्ट्रीय संस्था (IUCN) ने इस प्रकार के पौधों व जीवों की प्रजातियों को किस वर्ग में रखा है?
Correct
व्याख्याः
- प्राकृतिक संसाधनों व पर्यावरण संरक्षण की अंतर्राष्ट्रीय संस्था (IUCN) ने संकटापन्न पौधों व जीवों की प्रजातियों को उनके संरक्षण के उद्देश्य से तीन वर्गों में विभाजित किया है।
1. संकटापन्न प्रजातियाँ (Endangered Species)
2. सुभेद्य प्रजातियाँ (Vulnerable Species)
3. दुर्लभ प्रजातियाँ (Rare Species)- सुभेद्य प्रजातियों में वे प्रजातियाँ सम्मिलित हैं, जिन्हें यदि संरक्षित नहीं किया गया या उनके विलुप्त होने में सहयोगी कारक जारी रहे तो निकट भविष्य में उनके विलुप्त होने का खतरा है।
Incorrect
व्याख्याः
- प्राकृतिक संसाधनों व पर्यावरण संरक्षण की अंतर्राष्ट्रीय संस्था (IUCN) ने संकटापन्न पौधों व जीवों की प्रजातियों को उनके संरक्षण के उद्देश्य से तीन वर्गों में विभाजित किया है।
1. संकटापन्न प्रजातियाँ (Endangered Species)
2. सुभेद्य प्रजातियाँ (Vulnerable Species)
3. दुर्लभ प्रजातियाँ (Rare Species)- सुभेद्य प्रजातियों में वे प्रजातियाँ सम्मिलित हैं, जिन्हें यदि संरक्षित नहीं किया गया या उनके विलुप्त होने में सहयोगी कारक जारी रहे तो निकट भविष्य में उनके विलुप्त होने का खतरा है।
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Question 3 of 20
3. Question
1 pointsविभिन्न संकटापन्न प्रजातियाँ एवं उनके पाए जाने के स्थान के संबंध में नीचे दी गई सूचियों को आपस में मिलाइये-
सूची-I
(प्रजातियाँ)सूची-II
(स्थान)A. रेड पांडा 1. राजस्थान B. जेनकेरिया सेबसटिनी 2. अगस्थियामलाई शिखर C. हमबोशिया डेकरेंस बेड 3. दक्षिणी पश्चिमी घाट D. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड 4. उत्तरी अरुणाचल कूटः
Correct
व्याख्याः
- रेड पांडा- उत्तरी अरुणाचल, सिक्किम व असम में पाया जाने वाला एक संकटापन्न जीव है।
- जेनकेरिया सेबसटिनी- यह एक अत्यंत संकटापन्न घास की प्रजाति है जो पश्चिमी घाट के अगस्थियामलाई शिखर में पाई जाती है।
- हमबोशिया डेकरेंस बेड- दक्षिणी पश्चिमी घाट में पौधे की एक दुर्लभ प्रजाति है।
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड-राजस्थान, गुजरात, मध्य भारत, पूर्वी पाकिस्तान में पाई जाने वाली गंभीर संकटग्रस्त (Critically Endangered) पक्षी की प्रजाति है।
Incorrect
व्याख्याः
- रेड पांडा- उत्तरी अरुणाचल, सिक्किम व असम में पाया जाने वाला एक संकटापन्न जीव है।
- जेनकेरिया सेबसटिनी- यह एक अत्यंत संकटापन्न घास की प्रजाति है जो पश्चिमी घाट के अगस्थियामलाई शिखर में पाई जाती है।
- हमबोशिया डेकरेंस बेड- दक्षिणी पश्चिमी घाट में पौधे की एक दुर्लभ प्रजाति है।
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड-राजस्थान, गुजरात, मध्य भारत, पूर्वी पाकिस्तान में पाई जाने वाली गंभीर संकटग्रस्त (Critically Endangered) पक्षी की प्रजाति है।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से किस अधिनियम के तहत नेशनल पार्क, पशु विहार तथा जीवमंडल आरक्षित क्षेत्रों की स्थापना की गई?
Correct
व्याख्याः भारत सरकार ने प्राकृतिक सीमाओं के भीतर विभिन्न प्रकार की प्रजातियों को बचाने, संरक्षित करने और विस्तार करने के लिये वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम, 1972 (Wild life Protection act, 1972) पारित किया, जिसके अंतर्गत नेशनल पार्क (National Park), पशु विहार (Sanctuaries) स्थापित किये गए तथा जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Biosphere reserves) घोषित किये गए।
Incorrect
व्याख्याः भारत सरकार ने प्राकृतिक सीमाओं के भीतर विभिन्न प्रकार की प्रजातियों को बचाने, संरक्षित करने और विस्तार करने के लिये वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम, 1972 (Wild life Protection act, 1972) पारित किया, जिसके अंतर्गत नेशनल पार्क (National Park), पशु विहार (Sanctuaries) स्थापित किये गए तथा जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Biosphere reserves) घोषित किये गए।
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Question 5 of 20
5. Question
1 points“महा-विविधता केंद्र” (Mega diversity centers) के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये:
1. ये उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से संबंधित हैं।
2. ये वन्य जीवों की विविधता द्वारा परिभाषित किये जाते हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः पहला कथन सत्य एवं दूसरा असत्य है। वे देश, जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित हैं, उनमें संसार की सर्वाधिक प्रजातीय (पेड़-पौधे एवं जीव-जंतु) विविधता पाई जाती है। उन्हें “महा-विविधता केंद्र” (Mega diversity centers) कहा जाता है। इन देशों की संख्या 12 है और उनके नाम हैं: मैक्सिको, कोलंबिया, इक्वेडोर, पेरू, ब्राज़ील, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, मेडागास्कर, चीन, भारत, मलेशिया, इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया।
Incorrect
व्याख्याः पहला कथन सत्य एवं दूसरा असत्य है। वे देश, जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित हैं, उनमें संसार की सर्वाधिक प्रजातीय (पेड़-पौधे एवं जीव-जंतु) विविधता पाई जाती है। उन्हें “महा-विविधता केंद्र” (Mega diversity centers) कहा जाता है। इन देशों की संख्या 12 है और उनके नाम हैं: मैक्सिको, कोलंबिया, इक्वेडोर, पेरू, ब्राज़ील, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, मेडागास्कर, चीन, भारत, मलेशिया, इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-से भारत के प्रमुख पारिस्थितिकीय हॉट-स्पॉट (Hot Spots) क्षेत्र हैं?
1. पूर्वी हिमालय
2. पश्चिमी घाट
3. सुंदरबन डेल्टा
कूटःCorrect
व्याख्याः हॉट-स्पॉट उनके वनस्पति के आधार पर परिभाषित किये गए हैं। भारत के प्रमुख पारिस्थितिकीय हॉट-स्पॉट पूर्वी हिमालयी क्षेत्र एवं पश्चिमी घाट हैं।
Incorrect
व्याख्याः हॉट-स्पॉट उनके वनस्पति के आधार पर परिभाषित किये गए हैं। भारत के प्रमुख पारिस्थितिकीय हॉट-स्पॉट पूर्वी हिमालयी क्षेत्र एवं पश्चिमी घाट हैं।
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन जैवमंडल के अंतर्गत सम्मिलित हैं?
Correct
व्याख्याः जैवमंडल में पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीवित घटकों को सम्मिलित किया जाता है। जैवमंडल सभी पौधों, जंतुओं, प्राणियों (जिनमें पृथ्वी पर रहने वाले सूक्ष्म जीव भी शामिल हैं) और उनके चारों तरफ के पर्यावरण के पारस्परिक अंतर्संबंध से बना है
Incorrect
व्याख्याः जैवमंडल में पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीवित घटकों को सम्मिलित किया जाता है। जैवमंडल सभी पौधों, जंतुओं, प्राणियों (जिनमें पृथ्वी पर रहने वाले सूक्ष्म जीव भी शामिल हैं) और उनके चारों तरफ के पर्यावरण के पारस्परिक अंतर्संबंध से बना है
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा कथन पारितंत्र को परिभाषित करता है?
Correct
व्याख्याः किसी विशेष क्षेत्र में किसी विशेष समूह के जीवधारियों का अजैविक तत्त्वों (भूमि, जल अथवा वायु) से ऐसा अंतर्संबंध जिसमें ऊर्जा प्रवाह व पोषण शृंखलाएँ स्पष्ट रूप से समायोजित हों, उसे पारितंत्र (Ecological System) कहा जाता है। पारिस्थिति के संदर्भ में आवास पर्यावरण के भौतिक व रासायनिक कारकों का योग है। विभिन्न प्रकार के पर्यावरण व विभिन्न परिस्थितियों में भिन्न प्रकार के पारितंत्र पाए जाते हैं, जहाँ अलग-अलग प्रकार के पौधे व जीव-जंतु विकास क्रम द्वारा उस पर्यावरण के अभ्यस्त हो जाते हैं। इसी को पारिस्थितिक अनुकूलन (Ecological adaptation) कहते हैं।
Incorrect
व्याख्याः किसी विशेष क्षेत्र में किसी विशेष समूह के जीवधारियों का अजैविक तत्त्वों (भूमि, जल अथवा वायु) से ऐसा अंतर्संबंध जिसमें ऊर्जा प्रवाह व पोषण शृंखलाएँ स्पष्ट रूप से समायोजित हों, उसे पारितंत्र (Ecological System) कहा जाता है। पारिस्थिति के संदर्भ में आवास पर्यावरण के भौतिक व रासायनिक कारकों का योग है। विभिन्न प्रकार के पर्यावरण व विभिन्न परिस्थितियों में भिन्न प्रकार के पारितंत्र पाए जाते हैं, जहाँ अलग-अलग प्रकार के पौधे व जीव-जंतु विकास क्रम द्वारा उस पर्यावरण के अभ्यस्त हो जाते हैं। इसी को पारिस्थितिक अनुकूलन (Ecological adaptation) कहते हैं।
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Question 9 of 20
9. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. विशेष परिस्थितियों में पादप व जंतुओं के अंतर्संबंधों के कुल योग को बायोम कहते हैं।
2. पृथ्वी पर विभिन्न बायोम का निर्धारण जलवायु व अपक्षय संबंधी तत्त्व करते हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- पारितंत्र मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं- स्थलीय पारितंत्र व जलीय पारितंत्र। स्थलीय पारितंत्र को पुनः बायोम (Biomes) में विभक्त किया जाता है। बायोम पौधों व प्राणियों का एक समुदाय है, जो एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में पाया जाता है। अतः विशेष परिस्थितियों में पादप व जंतुओं के अंतर्संबंधों के कुल योग को बायोम कहते हैं।
- पृथ्वी पर विभिन्न बायोम की सीमा का निर्धारण जलवायु व अपक्षय संबंधी तत्त्व करते हैं।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- पारितंत्र मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं- स्थलीय पारितंत्र व जलीय पारितंत्र। स्थलीय पारितंत्र को पुनः बायोम (Biomes) में विभक्त किया जाता है। बायोम पौधों व प्राणियों का एक समुदाय है, जो एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में पाया जाता है। अतः विशेष परिस्थितियों में पादप व जंतुओं के अंतर्संबंधों के कुल योग को बायोम कहते हैं।
- पृथ्वी पर विभिन्न बायोम की सीमा का निर्धारण जलवायु व अपक्षय संबंधी तत्त्व करते हैं।
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Question 10 of 20
10. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-से अपघटक हैं?
1. गिद्ध
2. विषाणु
3. जीवाणु
4. बैक्टीरिया
कूटःCorrect
व्याख्याः
- अपघटक वे होते हैं जो मृत जीवों पर निर्भर रहते हैं, जैसे- कौवा और गिद्ध। कुछ अन्य अपघटक और हैं, जैसे- बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्म जीवाणु, जो मृतकों को अपघटित कर उन्हें जटिल कार्बनिक यौगिकों से सरल कार्बनिक यौगिकों में बदल देते हैं।
- प्राथमिक उपभोक्ता, उत्पादक पर निर्भर हैं, जबकि प्राथमिक उपभोक्ता, द्वितीयक उपभोक्ताओं के भोजन बनते हैं। द्वितीयक उपभोक्ता फिर तृतीयक उपभोक्ताओं के द्वारा खाए जाते हैं। अपघटक प्रत्येक स्तर पर मृतकों पर निर्भर होते हैं। ये अपघटक इन्हें (मृतकों को) विभिन्न पदार्थों, जैसे- कार्बनिक व अकार्बनिक अवयवों और मिट्टी की उर्वरता के लिये पोषक तत्त्वों में परिवर्तित कर देते हैं।
Incorrect
व्याख्याः
- अपघटक वे होते हैं जो मृत जीवों पर निर्भर रहते हैं, जैसे- कौवा और गिद्ध। कुछ अन्य अपघटक और हैं, जैसे- बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्म जीवाणु, जो मृतकों को अपघटित कर उन्हें जटिल कार्बनिक यौगिकों से सरल कार्बनिक यौगिकों में बदल देते हैं।
- प्राथमिक उपभोक्ता, उत्पादक पर निर्भर हैं, जबकि प्राथमिक उपभोक्ता, द्वितीयक उपभोक्ताओं के भोजन बनते हैं। द्वितीयक उपभोक्ता फिर तृतीयक उपभोक्ताओं के द्वारा खाए जाते हैं। अपघटक प्रत्येक स्तर पर मृतकों पर निर्भर होते हैं। ये अपघटक इन्हें (मृतकों को) विभिन्न पदार्थों, जैसे- कार्बनिक व अकार्बनिक अवयवों और मिट्टी की उर्वरता के लिये पोषक तत्त्वों में परिवर्तित कर देते हैं।
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Question 11 of 20
11. Question
1 pointsपारितंत्र में खाद्य-शृंखलाओं के संदर्भ में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. खाद्य-शृंखला उस क्रम का निदर्शन करती है, जिसमें जीवों की एक शृंखला एक-दूसरे के आहार द्वारा पोषित होती है।
2. खाद्य-शृंखला एक जीवित जाति की समष्टि के अंतर्गत पाई जाती है।
3. खाद्य-शृंखला उस प्रत्येक जीव की संख्याओं का जो दूसरों के द्वारा खाए जाते हैं, निदर्शन करती है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- केवल पहला कथन सत्य है। पारितंत्र में एक जीव दूसरे जीव से एक खाद्य-शृंखला द्वारा परस्पर जुड़े हुए होते हैं, उदाहरण के लिये – पौधे पर जीवित रहने वाला एक कीड़ा एक मेंढ़क का भोजन है, मेढ़क साँप का भोजन है और साँप एक बाज़ द्वारा खा लिया जाता है। यह खाद्य क्रम और इस क्रम से एक स्तर से दूसरे स्तर पर ऊर्जा प्रवाह ही खाद्य शृंखला (Food chain) कहलाती है। खाद्य शृंखला की प्रक्रिया में एक स्तर से दूसरे स्तर पर ऊर्जा के रूपांतरण को ऊर्जा प्रवाह (Flow of energy) कहते हैं। खाद्य शृंखलाएँ पृथक अनुक्रम न होकर एक दूसरे से जुड़ी होती हैं।
- दूसरा कथन गलत है क्योंकि खाद्य-शृंखला किसी एक जाति की समष्टि में नहीं पाई जाती अपितु इसका क्षेत्र बहुत व्यापक होता है तथा इसमें वनस्पति जगत एवं प्राणी जगत की कई जातियाँ सम्मिलित होती हैं।
- तीसरा कथन भी गलत है। प्रत्येक जीव की संख्या (समष्टि) जो दूसरों द्वारा खाए जाते हैं, का निर्दशन पोषण स्तर कहलाता है न कि खाद्य-शृंखला।
Incorrect
व्याख्याः
- केवल पहला कथन सत्य है। पारितंत्र में एक जीव दूसरे जीव से एक खाद्य-शृंखला द्वारा परस्पर जुड़े हुए होते हैं, उदाहरण के लिये – पौधे पर जीवित रहने वाला एक कीड़ा एक मेंढ़क का भोजन है, मेढ़क साँप का भोजन है और साँप एक बाज़ द्वारा खा लिया जाता है। यह खाद्य क्रम और इस क्रम से एक स्तर से दूसरे स्तर पर ऊर्जा प्रवाह ही खाद्य शृंखला (Food chain) कहलाती है। खाद्य शृंखला की प्रक्रिया में एक स्तर से दूसरे स्तर पर ऊर्जा के रूपांतरण को ऊर्जा प्रवाह (Flow of energy) कहते हैं। खाद्य शृंखलाएँ पृथक अनुक्रम न होकर एक दूसरे से जुड़ी होती हैं।
- दूसरा कथन गलत है क्योंकि खाद्य-शृंखला किसी एक जाति की समष्टि में नहीं पाई जाती अपितु इसका क्षेत्र बहुत व्यापक होता है तथा इसमें वनस्पति जगत एवं प्राणी जगत की कई जातियाँ सम्मिलित होती हैं।
- तीसरा कथन भी गलत है। प्रत्येक जीव की संख्या (समष्टि) जो दूसरों द्वारा खाए जाते हैं, का निर्दशन पोषण स्तर कहलाता है न कि खाद्य-शृंखला।
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Question 12 of 20
12. Question
1 pointsप्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया के दौरान प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड जल के साथ क्रिया करके क्या बनाती है?
Correct
व्याख्याः सौर ऊर्जा, जैवमंडल में प्रकाश-संश्लेषण क्रिया द्वारा जीवन प्रक्रिया आरंभ करती है, जो हरे पौधों के लिये भोजन व ऊर्जा का मुख्य आधार है। प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन व कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित हो जाती है। धरती पर पहुँचने वाले सूर्यातप का केवल 0.1 प्रतिशत भाग ही प्रकाश-संश्लेषण के काम आता है। इसका आधे से अधिक भाग पौधे की श्वसन-विसर्जन क्रिया में और शेष भाग अस्थायी रूप से पौधे के अन्य भागों में संचित हो जा
Incorrect
व्याख्याः सौर ऊर्जा, जैवमंडल में प्रकाश-संश्लेषण क्रिया द्वारा जीवन प्रक्रिया आरंभ करती है, जो हरे पौधों के लिये भोजन व ऊर्जा का मुख्य आधार है। प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन व कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित हो जाती है। धरती पर पहुँचने वाले सूर्यातप का केवल 0.1 प्रतिशत भाग ही प्रकाश-संश्लेषण के काम आता है। इसका आधे से अधिक भाग पौधे की श्वसन-विसर्जन क्रिया में और शेष भाग अस्थायी रूप से पौधे के अन्य भागों में संचित हो जा
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा कथन जैव भू-रासायनिक चक्र (Biogeochemical Cycles) को परिभाषित करता है?
Correct
व्याख्याः वायुमंडल व जलमंडल की संरचना में रासायनिक घटकों का संतुलन लगभग एक जैसा अर्थात् बदलाव रहित रहा है। रासायनिक तत्त्वों का यह संतुलन पौधे व प्राणी ऊतकों से होने वाले चक्रीय प्रवाह के द्वारा बना रहता है। यह चक्र जीवों द्वारा रासायनिक तत्त्वों के अवशोषण से आरंभ होता है और उनके वायु, जल व मिट्टी में विघटन से पुनः आरंभ होता है। ये चक्र मुख्यतः सौर ताप से संचालित होते हैं। जैवमंडल में जीवधारी व पर्यावरण के बीच रासायनिक तत्त्वों के चक्रीय प्रवाह जैव भू-रासायनिक चक्र (Biogeochemical Cycles) कहे जाते हैं।
Incorrect
व्याख्याः वायुमंडल व जलमंडल की संरचना में रासायनिक घटकों का संतुलन लगभग एक जैसा अर्थात् बदलाव रहित रहा है। रासायनिक तत्त्वों का यह संतुलन पौधे व प्राणी ऊतकों से होने वाले चक्रीय प्रवाह के द्वारा बना रहता है। यह चक्र जीवों द्वारा रासायनिक तत्त्वों के अवशोषण से आरंभ होता है और उनके वायु, जल व मिट्टी में विघटन से पुनः आरंभ होता है। ये चक्र मुख्यतः सौर ताप से संचालित होते हैं। जैवमंडल में जीवधारी व पर्यावरण के बीच रासायनिक तत्त्वों के चक्रीय प्रवाह जैव भू-रासायनिक चक्र (Biogeochemical Cycles) कहे जाते हैं।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsउष्णकटिबंधीय घास के मैदान निम्न में से किस नाम से जाने जाते हैं?
Correct
व्याख्याः अफ्रीका महाद्वीप में उष्णकटिबंधीय घास के मैदान को सवाना कहा जाता है।
Incorrect
व्याख्याः अफ्रीका महाद्वीप में उष्णकटिबंधीय घास के मैदान को सवाना कहा जाता है।
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Question 15 of 20
15. Question
1 pointsटुण्ड्रा जलवायु प्रदेश को किस बायोम के अंतर्गत शामिल किया जाता है?
Correct
व्याख्याः टुण्ड्रा जलवायु प्रदेश को मरुस्थलीय बायोम के अंतर्गत शामिल किया जाता है।
Incorrect
व्याख्याः टुण्ड्रा जलवायु प्रदेश को मरुस्थलीय बायोम के अंतर्गत शामिल किया जाता है।
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Question 16 of 20
16. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
1. प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान पौधे कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करके कार्बोहाइड्रेट्स व ग्लूकोस बनाते हैं।
2. पौधों की जैविक क्रियाओं में प्रयुक्त नहीं होने वाले कार्बोहाइड्रेट्स, पौधों के ऊतकों में संचित हो जाते हैं।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनियेःCorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- पौधों में प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड के यौगिकीकरण से कार्बोहाइड्रेट्स व ग्लूकोस बनता है, जो कार्बनिक यौगिक जैसे-स्टार्च, सेल्यूलोस, सुक्रोज के रूप में संचित हो जाता है।
- प्रकाश-संश्लेषण द्वारा निर्मित कार्बोहाइड्रेट्स का कुछ भाग सीधे पौधों की जैविक क्रियाओं में प्रयोग हो जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान कार्बोहाइड्रेट्स के विघटन से पौधों के पत्तों व जड़ों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड गैस मुक्त होती है, शेष कार्बोहाइड्रेट्स, जो पौधों की जैविक क्रियाओं में प्रयुक्त नहीं होते, वे पौधों के ऊतकों में संचित हो जाते हैं।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- पौधों में प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड के यौगिकीकरण से कार्बोहाइड्रेट्स व ग्लूकोस बनता है, जो कार्बनिक यौगिक जैसे-स्टार्च, सेल्यूलोस, सुक्रोज के रूप में संचित हो जाता है।
- प्रकाश-संश्लेषण द्वारा निर्मित कार्बोहाइड्रेट्स का कुछ भाग सीधे पौधों की जैविक क्रियाओं में प्रयोग हो जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान कार्बोहाइड्रेट्स के विघटन से पौधों के पत्तों व जड़ों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड गैस मुक्त होती है, शेष कार्बोहाइड्रेट्स, जो पौधों की जैविक क्रियाओं में प्रयुक्त नहीं होते, वे पौधों के ऊतकों में संचित हो जाते हैं।
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Question 17 of 20
17. Question
1 pointsवायुमंडल में ऑक्सीजन, जो प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा उत्पन्न होती है, वह आती है-
Correct
व्याख्याः सूर्य के प्रकाश में प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान जल अणुओं (H2O) के विघटन से ऑक्सीजन उत्पन्न होती है और पौधों की वाष्पोत्सर्जन प्रक्रिया के दौरान भी यह वायुमंडल में पहुँचती है।
Incorrect
व्याख्याः सूर्य के प्रकाश में प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान जल अणुओं (H2O) के विघटन से ऑक्सीजन उत्पन्न होती है और पौधों की वाष्पोत्सर्जन प्रक्रिया के दौरान भी यह वायुमंडल में पहुँचती है।
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Question 18 of 20
18. Question
1 pointsनाइट्रोजन चक्र से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. अधिकांश जीव वायुमंडल में पाई जाने वाली नाइट्रोजन को प्रत्यक्ष रूप से ग्रहण करते हैं।
2. वायुमंडलीय नाइट्रोजन का लगभग 90 प्रतिशत भाग जैविक (Biological) है।
3. वायुमंडल में बिजली चमकने से नाइट्रोजन का यौगिकीकरण होता है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनियेःCorrect
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। वायु में स्वतंत्र रूप से पाई जाने वाली नाइट्रोजन को अधिकांश जीव प्रत्यक्ष रूप से ग्रहण करने में असमर्थ हैं केवल कुछ विशिष्ट प्रकार के जीव जैसे- कुछ मृदा जीवाणु व ब्लू ग्रीन एल्गी ही इसे प्रत्यक्ष गैसीय रूप में ग्रहण करने में सक्षम हैं। सामान्यतः नाइट्रोजन यौगिकीकरण (Fixation) द्वारा ही प्रयोग में लाई जाती है।
- दूसरा कथन सत्य है। नाइट्रोजन का लगभग 90 प्रतिशत भाग जैविक है, अर्थात् जीव ही ग्रहण कर सकते हैं। स्वतंत्र नाइट्रोजन का प्रमुख स्रोत मिट्टी के सूक्ष्म जीवाणुओं की क्रिया व संबंधित पौधों की जड़ें व रंध्र वाली मृदा है, जहाँ से यह वायुमंडल में पहुँचती है।
- तीसरा कथन भी सत्य है। वायुमंडल में भी बिजली चमकने (Lightening) व अंतरिक्ष रेडियेशन (Cosmic radiation) द्वारा नाइट्रोजन का यौगिकीकरण होता है।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। वायु में स्वतंत्र रूप से पाई जाने वाली नाइट्रोजन को अधिकांश जीव प्रत्यक्ष रूप से ग्रहण करने में असमर्थ हैं केवल कुछ विशिष्ट प्रकार के जीव जैसे- कुछ मृदा जीवाणु व ब्लू ग्रीन एल्गी ही इसे प्रत्यक्ष गैसीय रूप में ग्रहण करने में सक्षम हैं। सामान्यतः नाइट्रोजन यौगिकीकरण (Fixation) द्वारा ही प्रयोग में लाई जाती है।
- दूसरा कथन सत्य है। नाइट्रोजन का लगभग 90 प्रतिशत भाग जैविक है, अर्थात् जीव ही ग्रहण कर सकते हैं। स्वतंत्र नाइट्रोजन का प्रमुख स्रोत मिट्टी के सूक्ष्म जीवाणुओं की क्रिया व संबंधित पौधों की जड़ें व रंध्र वाली मृदा है, जहाँ से यह वायुमंडल में पहुँचती है।
- तीसरा कथन भी सत्य है। वायुमंडल में भी बिजली चमकने (Lightening) व अंतरिक्ष रेडियेशन (Cosmic radiation) द्वारा नाइट्रोजन का यौगिकीकरण होता है।
-
Question 19 of 20
19. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा कथन अनुक्रमण (Succession) की सर्वोत्तम व्याख्या करता है?
Correct
व्याख्याः किसी भी पारिस्थितिक तंत्र में कोई व्यवधान डालने से जैसे- स्थानांतरी कृषि द्वारा वनों को साफ करने से प्रजातियों के वितरण में बदलाव आता है। यह परिवर्तन प्रतिस्पर्धा के कारण है, जहाँ द्वितीयक वन प्रजातियों जैसे- घास, बाँस और चीड़ आदि के वृक्ष प्रारंभिक प्रजातियों के स्थान पर उगते हैं और प्रारंभिक (Original) वनों की संरचना को बदल देते हैं। इसे ही अनुक्रमण (Succession) कहते हैं।
Incorrect
व्याख्याः किसी भी पारिस्थितिक तंत्र में कोई व्यवधान डालने से जैसे- स्थानांतरी कृषि द्वारा वनों को साफ करने से प्रजातियों के वितरण में बदलाव आता है। यह परिवर्तन प्रतिस्पर्धा के कारण है, जहाँ द्वितीयक वन प्रजातियों जैसे- घास, बाँस और चीड़ आदि के वृक्ष प्रारंभिक प्रजातियों के स्थान पर उगते हैं और प्रारंभिक (Original) वनों की संरचना को बदल देते हैं। इसे ही अनुक्रमण (Succession) कहते हैं।
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Question 20 of 20
20. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. महासागरीय जल में गतिशीलता केवल बाह्य बल के प्रभाव से उत्पन्न होती है।
2. महासागरीय जल में क्षैतिज व ऊर्ध्वाधर दोनों प्रकार की गतियाँ होती हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। महासागरीय जल स्थिर न होकर गतिमान है। इसकी भौतिक विशेषताएँ (जैसे- तापमान, खारापन, घनत्व) तथा बाह्य बल (जैसे- सूर्य, चंद्रमा तथा वायु) अपने प्रभाव से महासागरीय जल को गति प्रदान करते हैं।
- महासागरीय जल में क्षैतिज व ऊर्ध्वाधर दोनों प्रकार की गतियाँ होती हैं। महासागरीय धाराएँ व लहरें क्षैतिज गति से संबंधित हैं जबकि ज्वार-भाटा ऊर्ध्वाधर गति से संबंधित है। महासागरीय धाराएँ एक निश्चित दिशा में बहुत बड़ी मात्रा में जल का लगातार बहाव है, जबकि तरंगें जल की क्षैतिज गति है। धाराओं में जल एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचता है, जबकि तरंगों में जल गति नहीं करता है।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। महासागरीय जल स्थिर न होकर गतिमान है। इसकी भौतिक विशेषताएँ (जैसे- तापमान, खारापन, घनत्व) तथा बाह्य बल (जैसे- सूर्य, चंद्रमा तथा वायु) अपने प्रभाव से महासागरीय जल को गति प्रदान करते हैं।
- महासागरीय जल में क्षैतिज व ऊर्ध्वाधर दोनों प्रकार की गतियाँ होती हैं। महासागरीय धाराएँ व लहरें क्षैतिज गति से संबंधित हैं जबकि ज्वार-भाटा ऊर्ध्वाधर गति से संबंधित है। महासागरीय धाराएँ एक निश्चित दिशा में बहुत बड़ी मात्रा में जल का लगातार बहाव है, जबकि तरंगें जल की क्षैतिज गति है। धाराओं में जल एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचता है, जबकि तरंगों में जल गति नहीं करता है।
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