प्राचीन-भारत टेस्ट 8
प्राचीन-भारत टेस्ट 8
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न एन.सी.ई.आर.टी. पर आधारित है|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsकुषाण शासक कनिष्क के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. वह बौद्ध धर्म का संरक्षक था और हीनयान संप्रदाय को मानता था।
2. उसने कश्मीर में बौद्ध संगीति का आयोजन करवाया था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- वह बौद्ध धर्म का संरक्षक था, उसने बड़ी उदारता से बौद्ध धर्म का संपोषण-संरक्षण किया। वह महायान संप्रदाय को मानता था। अतः कथन (1) असत्य है।
- उसने कश्मीर में बौद्धों का सम्मेलन आयोजित करवाया, जिसमें बौद्ध धर्म के महायान संप्रदाय को अंतिम रूप दिया गया। अतः कथन (2) सत्य है।
Incorrect
व्याख्याः
- वह बौद्ध धर्म का संरक्षक था, उसने बड़ी उदारता से बौद्ध धर्म का संपोषण-संरक्षण किया। वह महायान संप्रदाय को मानता था। अतः कथन (1) असत्य है।
- उसने कश्मीर में बौद्धों का सम्मेलन आयोजित करवाया, जिसमें बौद्ध धर्म के महायान संप्रदाय को अंतिम रूप दिया गया। अतः कथन (2) सत्य है।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsनिम्नलिखित में किन शासकों ने पश्चिमोत्तर भारत में सर्वाधिक संख्या में तांबे के सिक्कों को जारी किया?
Correct
व्याख्याः
- कुषाण शासकों में कैडफाइसिस प्रथम ने हिन्दुकुश के दक्षिण में रोमन सिक्कों की नकल करके बड़ी मात्रा में तांबे के सिक्के ढलवाए थे।
- उल्लेखनीय है कि कुषाण शासकों ने स्वर्ण एवं ताम्र दोनों ही प्रकार के सिक्कों को व्यापक पैमाने पर प्रचलित किया था।
Incorrect
व्याख्याः
- कुषाण शासकों में कैडफाइसिस प्रथम ने हिन्दुकुश के दक्षिण में रोमन सिक्कों की नकल करके बड़ी मात्रा में तांबे के सिक्के ढलवाए थे।
- उल्लेखनीय है कि कुषाण शासकों ने स्वर्ण एवं ताम्र दोनों ही प्रकार के सिक्कों को व्यापक पैमाने पर प्रचलित किया था।
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Question 3 of 20
3. Question
1 pointsमध्य एशिया से संपर्क के परिणामस्वरूप भारत पर पड़ने वाले प्रभावों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में कौन-सा असत्य है?
Correct
व्याख्याः
- मध्य एशियाई लोगों के पास अपनी लिपि, लिखित भाषा और कोई सुव्यवस्थित धर्म नहीं था। इसलिये उन्होंने संस्कृति के इन उपादानों को भारत से लिया। वे भारतीय समाज के अभिन्न अंग बन गए। अतः कथन (c) असत्य है, जबकि तीनों अन्य कथन सत्य हैं।
- इस काल की एक विशेषता ईंटों के कुँओं का निर्माण है।
- इस काल में व्यापक पैमाने पर भवन-निर्माण के कार्यों में उल्लेखनीय प्रगति हुई और इनके बर्तन भी असाधारण प्रकार के फुहारों और टोटियों वाले थे।
- इनके पास बड़े पैमाने पर उत्तम अश्वारोही सेना थी। उन्होंने अश्वारोहण की परंपरा चलाई। उन्होंने लगाम और जीन का प्रयोग प्रचलित किया था। वे रस्सी का बना एक प्रकार का अंगूठा-रकाब भी लगाते थे, जिससे उन्हें घुड़सवारी में सुविधा होती थी।
Incorrect
व्याख्याः
- मध्य एशियाई लोगों के पास अपनी लिपि, लिखित भाषा और कोई सुव्यवस्थित धर्म नहीं था। इसलिये उन्होंने संस्कृति के इन उपादानों को भारत से लिया। वे भारतीय समाज के अभिन्न अंग बन गए। अतः कथन (c) असत्य है, जबकि तीनों अन्य कथन सत्य हैं।
- इस काल की एक विशेषता ईंटों के कुँओं का निर्माण है।
- इस काल में व्यापक पैमाने पर भवन-निर्माण के कार्यों में उल्लेखनीय प्रगति हुई और इनके बर्तन भी असाधारण प्रकार के फुहारों और टोटियों वाले थे।
- इनके पास बड़े पैमाने पर उत्तम अश्वारोही सेना थी। उन्होंने अश्वारोहण की परंपरा चलाई। उन्होंने लगाम और जीन का प्रयोग प्रचलित किया था। वे रस्सी का बना एक प्रकार का अंगूठा-रकाब भी लगाते थे, जिससे उन्हें घुड़सवारी में सुविधा होती थी।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsभारत तथा मध्य एशियाई व्यापार के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. भारत को मध्य एशिया के अल्ताई पहाड़ों से बड़े पैमाने पर स्वर्ण प्राप्त हुआ।
2. शकों ने रेशम मार्ग पर नियंत्रण किया, जो चीन से चलकर अफगानिस्तान से गुज़रते हुए ईरान जाता था।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्या:
- मध्य एशिया और भारत के बीच घने संपर्क के परिणामस्वरूप भारत को मध्य एशिया के अल्ताई पहाड़ों से भारी मात्रा में सोना प्राप्त हुआ। इसके अलावा रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार के द्वारा भी सोना प्राप्त होता था। अतः कथन (1) सत्य है।
- कुषाणों ने रेशम के प्रख्यात मार्ग पर नियंत्रण कर लिया था, जो चीन से चलकर कुषाण साम्राज्य में शामिल मध्य एशिया और अफगानिस्तान से गुज़रते हुए चीन जाता था और पूर्वी भूमध्यसागरीय अंचल में रोमन साम्राज्य के अंतर्गत पश्चिम एशिया तक जाता था। अतःकथन (2) असत्य है|
Incorrect
व्याख्या:
- मध्य एशिया और भारत के बीच घने संपर्क के परिणामस्वरूप भारत को मध्य एशिया के अल्ताई पहाड़ों से भारी मात्रा में सोना प्राप्त हुआ। इसके अलावा रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार के द्वारा भी सोना प्राप्त होता था। अतः कथन (1) सत्य है।
- कुषाणों ने रेशम के प्रख्यात मार्ग पर नियंत्रण कर लिया था, जो चीन से चलकर कुषाण साम्राज्य में शामिल मध्य एशिया और अफगानिस्तान से गुज़रते हुए चीन जाता था और पूर्वी भूमध्यसागरीय अंचल में रोमन साम्राज्य के अंतर्गत पश्चिम एशिया तक जाता था। अतःकथन (2) असत्य है|
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Question 5 of 20
5. Question
1 pointsमध्य एशियाई विजेताओं की राजव्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?1. सामंतवादी व्यवस्था की शुरुआत हुई।
2. कुषाण राजाओं ने देवपुत्र की उपाधि ईरानियों से ली थी।
3. एक ही समय दो आनुवांशिक राजाओं का संयुक्त शासन होता था।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनियेःCorrect
व्याख्याः
- इन विजेताओं ने अनगिनत छोटे-छोटे राजाओं को समाप्त कर नई सामंतवादी व्यवस्था का प्रारम्भ किया। अतः कथन (1) सत्य है।
- शक और कुषाण राजा देवता के अवतार माने जाते थे। कुषाण राजा देवपुत्र कहलाते थे। यह उपाधि उन्होंने चीनियों से ली थी, जो अपने राजा को स्वर्ग का पुत्र कहते थे। अतः कथन (2) असत्य है।
- इस काल में कुछ अनोखी प्रथाएँ भी शुरू हुई, जैसे- एक ही समय दो आनुवांशिक राजाओं का संयुक्त शासन जिसमें पिता और पुत्र दोनों को एक ही समय राज्य पर संयुक्त रूप से शासन करते थे। अतः कथन (3) सत्य है।
Incorrect
व्याख्याः
- इन विजेताओं ने अनगिनत छोटे-छोटे राजाओं को समाप्त कर नई सामंतवादी व्यवस्था का प्रारम्भ किया। अतः कथन (1) सत्य है।
- शक और कुषाण राजा देवता के अवतार माने जाते थे। कुषाण राजा देवपुत्र कहलाते थे। यह उपाधि उन्होंने चीनियों से ली थी, जो अपने राजा को स्वर्ग का पुत्र कहते थे। अतः कथन (2) असत्य है।
- इस काल में कुछ अनोखी प्रथाएँ भी शुरू हुई, जैसे- एक ही समय दो आनुवांशिक राजाओं का संयुक्त शासन जिसमें पिता और पुत्र दोनों को एक ही समय राज्य पर संयुक्त रूप से शासन करते थे। अतः कथन (3) सत्य है।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsमध्य एशियाई संपर्क से धार्मिक विकास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. बहुत से विदेशी शासकों ने भारत आकर शैव, वैष्णव और बौद्ध धर्म को अपना लिया था।
2. बौद्ध धर्म में महायान संप्रदाय का उदय हुआ।
3. बौद्ध साहित्य के तीनों पिटकों की व्याख्या पूरी की गई।
4. बौद्ध धर्म में मूर्ति-पूजा का प्रचलन शुरू हुआ।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सत्य हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
- मध्य एशियाई शासकों ने भारत आकर भारतीय धर्मों को अपना लिया। कुछ शासकों ने वैष्णव धर्म अपना लिया था। यूनानी राजपूत हिलियोदोरस ने मध्य प्रदेश स्थित विदिशा में ईसा-पूर्व दूसरी सदी के मध्य में वासुदेव की आराधना के लिये एक स्तंभ खड़ा किया तथा यूनानी शासक मिनांडर ने बौद्ध धर्म अपनाया था। कुषाण शासक शिव और बुद्ध दोनों के उपासक थे। कई कुषाण शासक वैष्णव भी हो गए थे।
- बौद्ध धर्म के नियमों में उदारता आने के फलस्वरूप महायान संप्रदाय का उदय हुआ। कुषाण शासक कनिष्क महायान का संरक्षक था।
- कनिष्क ने कश्मीर में चौथे बौद्ध संगीति का आयोजन करवाया, जिसमें बौद्ध साहित्य के तीनों पिटकों की पूरी तरह व्याख्या की गई थी। कनिष्क ने इस ग्रंथ को लाल ताम्रपत्रों पर खुदवाया और उसे प्रस्तरपात्र में रखकर उसके ऊपर स्तूप का निर्माण करवाया।
- ईसवी सन् के आरंभ में बौद्ध धर्म से संबंधित वस्तुओं,प्रतीकों की पूजा की जाती थी। अब उनका स्थान बुद्ध की प्रतिमा ने ले लिया और उनकी मूर्ति-पूजा होने लगी।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
- मध्य एशियाई शासकों ने भारत आकर भारतीय धर्मों को अपना लिया। कुछ शासकों ने वैष्णव धर्म अपना लिया था। यूनानी राजपूत हिलियोदोरस ने मध्य प्रदेश स्थित विदिशा में ईसा-पूर्व दूसरी सदी के मध्य में वासुदेव की आराधना के लिये एक स्तंभ खड़ा किया तथा यूनानी शासक मिनांडर ने बौद्ध धर्म अपनाया था। कुषाण शासक शिव और बुद्ध दोनों के उपासक थे। कई कुषाण शासक वैष्णव भी हो गए थे।
- बौद्ध धर्म के नियमों में उदारता आने के फलस्वरूप महायान संप्रदाय का उदय हुआ। कुषाण शासक कनिष्क महायान का संरक्षक था।
- कनिष्क ने कश्मीर में चौथे बौद्ध संगीति का आयोजन करवाया, जिसमें बौद्ध साहित्य के तीनों पिटकों की पूरी तरह व्याख्या की गई थी। कनिष्क ने इस ग्रंथ को लाल ताम्रपत्रों पर खुदवाया और उसे प्रस्तरपात्र में रखकर उसके ऊपर स्तूप का निर्माण करवाया।
- ईसवी सन् के आरंभ में बौद्ध धर्म से संबंधित वस्तुओं,प्रतीकों की पूजा की जाती थी। अब उनका स्थान बुद्ध की प्रतिमा ने ले लिया और उनकी मूर्ति-पूजा होने लगी।
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsकुषाण काल में निम्नलिखित में से कौन-सा/से स्थान बौद्ध कला के महान केंद्र था/थे?
Correct
व्याख्याः
- आंध्र प्रदेश में नागार्जुनकोंड और अमरावती बौद्ध कला के महान केंद्र बन गए थे, जहाँ बुद्ध के जीवन की कथाएँ अनगिनत पट्टों पर चित्रित की गई थी।
Incorrect
व्याख्याः
- आंध्र प्रदेश में नागार्जुनकोंड और अमरावती बौद्ध कला के महान केंद्र बन गए थे, जहाँ बुद्ध के जीवन की कथाएँ अनगिनत पट्टों पर चित्रित की गई थी।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsबौद्ध धर्म से संबंधित सर्वाधिक प्राचीन पट्टचित्र निम्नलिखित में से कौन-से स्थानों पर पाए गए हैं?
1. गया
2. साँची
3. भरहुत
4. वैशाली
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनियेःCorrect
व्याख्याः
- बौद्ध धर्म से संबंधित सबसे पुराने पट्टचित्र- गया, साँची और भरहुत में पाए गए, जो ईसा-पूर्व दूसरी सदी के हैं।
Incorrect
व्याख्याः
- बौद्ध धर्म से संबंधित सबसे पुराने पट्टचित्र- गया, साँची और भरहुत में पाए गए, जो ईसा-पूर्व दूसरी सदी के हैं।
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Question 9 of 20
9. Question
1 pointsमध्य एशिया से संपर्क से कला और साहित्य के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. इस काल में गांधार और मथुरा कला शैलियों का विकास हुआ।
2. महात्मा बुद्ध की प्रतिमाएँ केवल मथुरा शैली में ही बनाई जाती थी।
3. अश्वघोष ने सौन्दरनन्द नामक काव्य की रचना संस्कृत भाषा में की है।
4. ‘यवनिका’ का आरम्भ यूनानियों ने किया था।
उपर्युक्त में कौन-से सत्य हैं?Correct
व्याख्याः
- मध्य एशिया से आए शासकों ने नई कला शैलियों का विकास किया, जैसे- गांधार और मथुरा इनमें बौद्ध धर्म के प्रभाव से स्थानीय और भारतीय दोनों लक्षणों का मिश्रण पाया जाता है। अतः कथन (1) सत्य है |
- महात्मा बुद्ध की प्रतिमाएँ गांधार और मथुरा शैली दोनों में पाई जाती हैं। महात्मा बुद्ध की प्रतिमाएँ यूनान और रोम की मिश्रित शैली में बनाई गईं, बुद्ध के बाल यूनानी-रोमन शैली में बनाए गए। मथुरा मूलतः देशी कला का केंद्र था, परंतु गांधार शैली का प्रभाव मथुरा में भी पहुँचा था और मथुरा शैली में महात्मा बुद्ध की विलक्षण प्रतिमाएँ बनी हैं,उनकी प्रतिमायें मथुरा और गांधार दोनों शैलियों में बनाई जाती थी। अतः कथन (2) असत्य है।
- अश्वघोष को कुषाणों का संरक्षण प्राप्त था। उन्होंने सौन्दरनन्द नामक काव्य की रचना संस्कृत भाषा में की है।अतःकथन (3)सत्य है|
- यूनानियों ने परदे का प्रचलन आरंभ कर भारतीय नाट्यकला के विकास में भी योगदान दिया। चूँकि परदा यूनानियों की देन था इसलिये वह यवनिका के नाम से विदित हुआ।अतःकथन (4)सत्य है |
Incorrect
व्याख्याः
- मध्य एशिया से आए शासकों ने नई कला शैलियों का विकास किया, जैसे- गांधार और मथुरा इनमें बौद्ध धर्म के प्रभाव से स्थानीय और भारतीय दोनों लक्षणों का मिश्रण पाया जाता है। अतः कथन (1) सत्य है |
- महात्मा बुद्ध की प्रतिमाएँ गांधार और मथुरा शैली दोनों में पाई जाती हैं। महात्मा बुद्ध की प्रतिमाएँ यूनान और रोम की मिश्रित शैली में बनाई गईं, बुद्ध के बाल यूनानी-रोमन शैली में बनाए गए। मथुरा मूलतः देशी कला का केंद्र था, परंतु गांधार शैली का प्रभाव मथुरा में भी पहुँचा था और मथुरा शैली में महात्मा बुद्ध की विलक्षण प्रतिमाएँ बनी हैं,उनकी प्रतिमायें मथुरा और गांधार दोनों शैलियों में बनाई जाती थी। अतः कथन (2) असत्य है।
- अश्वघोष को कुषाणों का संरक्षण प्राप्त था। उन्होंने सौन्दरनन्द नामक काव्य की रचना संस्कृत भाषा में की है।अतःकथन (3)सत्य है|
- यूनानियों ने परदे का प्रचलन आरंभ कर भारतीय नाट्यकला के विकास में भी योगदान दिया। चूँकि परदा यूनानियों की देन था इसलिये वह यवनिका के नाम से विदित हुआ।अतःकथन (4)सत्य है |
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Question 10 of 20
10. Question
1 pointsकुषाण काल के साहित्यिक ग्रंथों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. दिव्यावदान में महायान संप्रदाय के उद्देश्यों का वर्णन किया गया है।
2. ‘बुद्धचरित’ की रचना अश्वघोष ने की थी।
3. ‘चरक संहिता’ में शल्य चिकित्सा का वर्णन किया गया है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- महायान बौद्ध संप्रदाय की प्रगति के फलस्वरूप अनगिनत अवदानों की रचना हुई। अवदानों का अन्यतम उद्देश्य लोगों को महायान के उद्देश्यों से अवगत कराना था। इस कोटि की प्रमुख कृतियाँ हैं- महावस्तु और दिव्यावदान। अतः कथन (1) सत्य है।
- ‘बुद्धचरित’ की रचना अश्वघोष ने की थी। इसमें बुद्ध के जीवन का वर्णन है। अतः कथन (2) सत्य है।
- भारतीय चिकित्सा ग्रंथ ‘चरक संहिता’ में वनस्पतियों से निर्मित औषधियों का वर्णन किया गया है, जबकि ‘सुश्रुत संहिता’ शल्य चिकित्सा ग्रंथ है। इसमें शल्य विधि का वर्णन किया गया है। अतः कथन (3) असत्य है।
Incorrect
व्याख्याः
- महायान बौद्ध संप्रदाय की प्रगति के फलस्वरूप अनगिनत अवदानों की रचना हुई। अवदानों का अन्यतम उद्देश्य लोगों को महायान के उद्देश्यों से अवगत कराना था। इस कोटि की प्रमुख कृतियाँ हैं- महावस्तु और दिव्यावदान। अतः कथन (1) सत्य है।
- ‘बुद्धचरित’ की रचना अश्वघोष ने की थी। इसमें बुद्ध के जीवन का वर्णन है। अतः कथन (2) सत्य है।
- भारतीय चिकित्सा ग्रंथ ‘चरक संहिता’ में वनस्पतियों से निर्मित औषधियों का वर्णन किया गया है, जबकि ‘सुश्रुत संहिता’ शल्य चिकित्सा ग्रंथ है। इसमें शल्य विधि का वर्णन किया गया है। अतः कथन (3) असत्य है।
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Question 11 of 20
11. Question
1 pointsभारत पर यूनानी प्रभाव के संदर्भ में निम्नलिखित पर विचार कीजियेः
1. ज्योतिषशास्त्र का ज्ञान भारतीयों ने यूनानियों से ही सीखा है।
2. यूनानियों ने सेना के लिये सेनानी-शासन (मिलिट्री गवर्नरशिप) की पद्धति शुरू की।
3. ‘स्ट्रेटेगोस’ सेना में नियुक्त सेनानी को कहते हैं।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
- भारतीयों ने खगोल और ज्योतिषशास्त्र का ज्ञान यूनानियों से ही ग्रहण किया है। यूनानी शब्द होरोस्कोप संस्कृत में ‘होराशास्त्र’ हो गया, जिसका अर्थ ज्योतिषशास्त्र होता है।
- यूनानियों ने सेनानी-शासन (मिलिट्री गवर्नरशिप) की परिपाटी भी चलाई। वे इसके लिये शासक सेनानियों की नियुक्ति करते थे।
- ‘स्ट्रेटेगोस’ यूनानी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है शासक सेनानी। इन शासकों की आवश्यकता जीते गए प्रदेश पर नए राजाओं का प्रभाव जमाने के लिये होती थी।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
- भारतीयों ने खगोल और ज्योतिषशास्त्र का ज्ञान यूनानियों से ही ग्रहण किया है। यूनानी शब्द होरोस्कोप संस्कृत में ‘होराशास्त्र’ हो गया, जिसका अर्थ ज्योतिषशास्त्र होता है।
- यूनानियों ने सेनानी-शासन (मिलिट्री गवर्नरशिप) की परिपाटी भी चलाई। वे इसके लिये शासक सेनानियों की नियुक्ति करते थे।
- ‘स्ट्रेटेगोस’ यूनानी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है शासक सेनानी। इन शासकों की आवश्यकता जीते गए प्रदेश पर नए राजाओं का प्रभाव जमाने के लिये होती थी।
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Question 12 of 20
12. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से किस शासक ने जूनागढ़ अभिलेख का निर्माण करवाया था?
Correct
व्याख्याः
- मध्य एशिया से आए विदेशी शासकों ने संस्कृत-साहित्य का संरक्षण-सम्पोषण किया। काव्यशैली का पहला नमूना रुद्रदामन द्वारा निर्मित काठियावाड़ में जूनागढ़ अभिलेख है, जिसका समय लगभग 150 ई. है।
Incorrect
व्याख्याः
- मध्य एशिया से आए विदेशी शासकों ने संस्कृत-साहित्य का संरक्षण-सम्पोषण किया। काव्यशैली का पहला नमूना रुद्रदामन द्वारा निर्मित काठियावाड़ में जूनागढ़ अभिलेख है, जिसका समय लगभग 150 ई. है।
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsमध्य एशियाई संपर्क से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. भारतीयों ने यूनानियों से चमड़े के जूते बनाने की कला ग्रहण की।
2. इस काल में सीसे के कार्यों में विशेष रूप से उन्नति हुई।
3. कुषाण शासकों ने व्यापक पैमाने पर स्वर्ण मुद्राएँ चलाईं।
उपर्युक्त कथनों में कौन-से सत्य हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
- प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीयों को मध्य एशियाई लोगों के संपर्क से लाभ हुआ था। भारत में इस काल में चमड़े के जूते बनाने का प्रचलन शुरू हुआ।
- सीसे के काम पर विशेष रूप से मध्य एशियाई लोगों का प्रभाव पड़ा था। इस काल सीसे के काम में बड़े पैमाने पर प्रगति हुई।
- आरंभिक कुषाणों ने बड़ी संख्या में स्वर्ण मुद्राएँ जारी की। उनकी स्वर्ण मुद्राएँ गुप्त शासकों की स्वर्ण मुद्राओं से उत्कृष्ट थीं।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।
- प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीयों को मध्य एशियाई लोगों के संपर्क से लाभ हुआ था। भारत में इस काल में चमड़े के जूते बनाने का प्रचलन शुरू हुआ।
- सीसे के काम पर विशेष रूप से मध्य एशियाई लोगों का प्रभाव पड़ा था। इस काल सीसे के काम में बड़े पैमाने पर प्रगति हुई।
- आरंभिक कुषाणों ने बड़ी संख्या में स्वर्ण मुद्राएँ जारी की। उनकी स्वर्ण मुद्राएँ गुप्त शासकों की स्वर्ण मुद्राओं से उत्कृष्ट थीं।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsमौर्य काल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. कौटिल्य ने राजा को ‘धर्म-प्रवर्तक’ कहा है।
2. शीर्षस्थ अधिकारी ‘तीर्थ’ कहलाते थे।
3. ‘पण’ तीन/चार तोले का सोने का सिक्का होता था।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- कौटिल्य ने राजा को ‘धर्म-प्रवर्तक’ अर्थात् सामाजिक व्यवस्था का संचालक कहा है। अशोक ने धर्म का प्रवर्तन किया और उसके मूलतत्त्वों को सारे देश में समझाने और स्थापित करने के लिये अधिकारियों की नियुक्ति की। अतः कथन (1) सत्य है।
- मौर्य शासन काल में शीर्षस्थ अधिकारी ‘तीर्थ’ कहलाते थे। अतः कथन (2) सत्य है।
- ‘पण’ तीन/चार तोले के बराबर चांदी का सिक्का होता था। यह मुद्रा का प्रकार था। अतः कथन (3) असत्य है।
Incorrect
व्याख्याः
- कौटिल्य ने राजा को ‘धर्म-प्रवर्तक’ अर्थात् सामाजिक व्यवस्था का संचालक कहा है। अशोक ने धर्म का प्रवर्तन किया और उसके मूलतत्त्वों को सारे देश में समझाने और स्थापित करने के लिये अधिकारियों की नियुक्ति की। अतः कथन (1) सत्य है।
- मौर्य शासन काल में शीर्षस्थ अधिकारी ‘तीर्थ’ कहलाते थे। अतः कथन (2) सत्य है।
- ‘पण’ तीन/चार तोले के बराबर चांदी का सिक्का होता था। यह मुद्रा का प्रकार था। अतः कथन (3) असत्य है।
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Question 15 of 20
15. Question
1 pointsमौर्य काल में अधिकारी वर्ग के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. ‘समाहर्ता’ राजकीय कोषागार का संरक्षक होता था।
2. ‘सन्निधाता’ कर-निर्धारण का सर्वोच्च अधिकारी होता था।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन असत्य हैं।
- ‘समाहर्ता’ कर-निर्धारण का सर्वोच्च अधिकारी होता था।
- ‘सन्निधाता’ राजकीय कोषागार और भंडागार का संरक्षक होता था।
- उल्लेखनीय है कि राज्य में समाहर्ता के कर-निर्धारण के चलते लाभ-हानि होती थी, इसलिये उसे अधिक महत्त्व दिया जाता था।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन असत्य हैं।
- ‘समाहर्ता’ कर-निर्धारण का सर्वोच्च अधिकारी होता था।
- ‘सन्निधाता’ राजकीय कोषागार और भंडागार का संरक्षक होता था।
- उल्लेखनीय है कि राज्य में समाहर्ता के कर-निर्धारण के चलते लाभ-हानि होती थी, इसलिये उसे अधिक महत्त्व दिया जाता था।
-
Question 16 of 20
16. Question
1 pointsमौर्य काल में कृषकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?
1. राज्य ज़मीन को मापने का कार्य करता था।
2. दास उत्पादन कार्यों में लगे हुए थे।,
3. राज्य कृषकों के लिये सिंचाई और जल वितरण की व्यवस्था करता था।
4. इस समय पहली बार सुगठित कर-निर्धारण प्रणाली का विकास किया गया।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनियेःCorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
- मौर्य काल में अधिकारी ज़मीन को मापता और उन नहरों का निरीक्षण करता था जिनसे होकर पानी छोटी नहरों में पहुँचता था।
- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में कृषि कार्यों में दासों के लगाए जाने की व्यवस्था का वर्णन मिलता है, जो महत्त्वपूर्ण सामाजिक विकास का परिचायक था। मौर्य काल में ही दासों को कृषि कार्यों में बड़े पैमाने पर लगाया गया।
- राज्य कृषकों की भलाई के लिये सिंचाई और जल वितरण की व्यवस्था करता था।
- इस काल में कर-निर्धारण की सुगठित प्रणाली का विकास किया गया।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
- मौर्य काल में अधिकारी ज़मीन को मापता और उन नहरों का निरीक्षण करता था जिनसे होकर पानी छोटी नहरों में पहुँचता था।
- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में कृषि कार्यों में दासों के लगाए जाने की व्यवस्था का वर्णन मिलता है, जो महत्त्वपूर्ण सामाजिक विकास का परिचायक था। मौर्य काल में ही दासों को कृषि कार्यों में बड़े पैमाने पर लगाया गया।
- राज्य कृषकों की भलाई के लिये सिंचाई और जल वितरण की व्यवस्था करता था।
- इस काल में कर-निर्धारण की सुगठित प्रणाली का विकास किया गया।
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Question 17 of 20
17. Question
1 pointsमौर्य शासकों द्वारा एक मज़बूत केन्द्रीय शासन स्थापित करने के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. ऐसा नियंत्रण पाटलिपुत्र की अनुकूल अवस्थिति के कारण संभव हुआ।
2. पाटलिपुत्र से जलमार्ग द्वारा राज्यकर्मचारी चारों ओर आ-जा सकते थे।
3. पूरे साम्राज्य में सुगठित सड़क मार्ग का विकास किया गया।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
- केंद्रीय नियंत्रण पाटलिपुत्र की अनुकूल अवस्थिति के कारण संभव हुआ।
- यहाँ से जलमार्ग के द्वारा कर्मचारी चारों ओर आ-जा सकते थे।
- साम्राज्य पूरे में सड़कों का जाल बिछा हुआ था, इस सुगठित सड़क मार्ग प्रणाली में पाटलिपुत्र से एक राजमार्ग वैशाली और चम्पारण होते हुए नेपाल तक जाता था।
- उल्लेखनीय है कि मेगास्थनीज ने एक सड़क की चर्चा की है जो पश्चिमोत्तर भारत को पटना से जोड़ती थी।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
- केंद्रीय नियंत्रण पाटलिपुत्र की अनुकूल अवस्थिति के कारण संभव हुआ।
- यहाँ से जलमार्ग के द्वारा कर्मचारी चारों ओर आ-जा सकते थे।
- साम्राज्य पूरे में सड़कों का जाल बिछा हुआ था, इस सुगठित सड़क मार्ग प्रणाली में पाटलिपुत्र से एक राजमार्ग वैशाली और चम्पारण होते हुए नेपाल तक जाता था।
- उल्लेखनीय है कि मेगास्थनीज ने एक सड़क की चर्चा की है जो पश्चिमोत्तर भारत को पटना से जोड़ती थी।
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Question 18 of 20
18. Question
1 pointsमौर्य काल की वास्तुकला के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा असत्य है?
Correct
व्याख्याः
- पत्थर के स्तम्भ वाराणसी के पास चुनार में तैयार किये जाते थे और यहीं से उत्तरी और दक्षिणी भारत में पहुँचाए जाते थे। अतः कथन (b) असत्य है, जबकि अन्य तीनों कथन सत्य हैं।
- इस काल में पत्थर की इमारत बनाने का काम भारी पैमाने पर शुरू हुआ।
- मौर्य शिल्पियों ने बौद्ध भिक्षुओं के निवास के लिये चट्टानों को काट कर गुफाएँ बनाने की परंपरा भी शुरू की। इसका सबसे पुराना उदाहरण बराबर की गुफाएँ हैं।
- इस काल में पाण्डु रंग वाले बलुआ पत्थर के एक ही टुकड़े से बना स्तम्भ उन्नत तकनीकी ज्ञान का उदाहरण है।
Incorrect
व्याख्याः
- पत्थर के स्तम्भ वाराणसी के पास चुनार में तैयार किये जाते थे और यहीं से उत्तरी और दक्षिणी भारत में पहुँचाए जाते थे। अतः कथन (b) असत्य है, जबकि अन्य तीनों कथन सत्य हैं।
- इस काल में पत्थर की इमारत बनाने का काम भारी पैमाने पर शुरू हुआ।
- मौर्य शिल्पियों ने बौद्ध भिक्षुओं के निवास के लिये चट्टानों को काट कर गुफाएँ बनाने की परंपरा भी शुरू की। इसका सबसे पुराना उदाहरण बराबर की गुफाएँ हैं।
- इस काल में पाण्डु रंग वाले बलुआ पत्थर के एक ही टुकड़े से बना स्तम्भ उन्नत तकनीकी ज्ञान का उदाहरण है।
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Question 19 of 20
19. Question
1 pointsगंगा के मैदान में नई भौतिक संस्कृति के विकास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?1. लोहे का प्रचुर प्रयोग।
2. आहत मुद्राओं की उपलब्धता।
3. लेखन कला का प्रयोग।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनियेःCorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
- गंगा के मैदान की इस नई भौतिक संस्कृति के आधार थे- लोहे का प्रचुर प्रयोग, आहत मुद्राओं की बहुतायत, लेखन कला का प्रयोग, उत्तरी काला पॉलिशदार मृदभांड नाम से प्रसिद्ध मिट्टी के बरतनों की भरमार, पकी ईंटों और छल्लेदार कुओं का प्रचलन और सबसे ऊपर पूर्वोत्तर भारत में नगरों का उदय।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
- गंगा के मैदान की इस नई भौतिक संस्कृति के आधार थे- लोहे का प्रचुर प्रयोग, आहत मुद्राओं की बहुतायत, लेखन कला का प्रयोग, उत्तरी काला पॉलिशदार मृदभांड नाम से प्रसिद्ध मिट्टी के बरतनों की भरमार, पकी ईंटों और छल्लेदार कुओं का प्रचलन और सबसे ऊपर पूर्वोत्तर भारत में नगरों का उदय।
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Question 20 of 20
20. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन अंतिम मौर्य सम्राट था?
Correct
व्याख्याः अंतिम मौर्य शासक वृहद्रथ था। वृहद्रथ की हत्या पुष्यमित्र शुंग के द्वारा की गई और शुंग वंश की नींव रखी।
Incorrect
व्याख्याः अंतिम मौर्य शासक वृहद्रथ था। वृहद्रथ की हत्या पुष्यमित्र शुंग के द्वारा की गई और शुंग वंश की नींव रखी।