प्राचीन-भारत टेस्ट 4
प्राचीन-भारत टेस्ट 4
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न एन.सी.ई.आर.टी. पर आधारित है|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsपुण्ड्रवर्धनभुक्ति राज्य के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. इसका क्षेत्र उत्तरी बंगाल में पड़ता था।
2. इनकी स्वर्ण मुद्राओं को दीनार कहा जाता था।
3. यहाँ धार्मिक प्रयोजनार्थ कर मुक्त भूमि दान दी जाती थी।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- 432-33 ई. से लेकर लगभग सौ वर्षों तक पुण्ड्रवर्धनभुक्ति राज्य उत्तरी बंगाल में स्थित था। अतः कथन (1) सत्य है।
- इनकी स्वर्ण मुद्राओं को दीनार कहा जाता था। अनुदान पत्रों से ज्ञात होता है कि भूमि का मूल्य दीनार नामक स्वर्ण मुद्राओं से चुकाया जाता था। अतः कथन (2) सत्य है
- यहाँ धार्मिक प्रयोजनों के लिये दान की गई भूमि पर कर नहीं लगाया जाता था। अतः कथन (3) सत्य है।
Incorrect
व्याख्याः
- 432-33 ई. से लेकर लगभग सौ वर्षों तक पुण्ड्रवर्धनभुक्ति राज्य उत्तरी बंगाल में स्थित था। अतः कथन (1) सत्य है।
- इनकी स्वर्ण मुद्राओं को दीनार कहा जाता था। अनुदान पत्रों से ज्ञात होता है कि भूमि का मूल्य दीनार नामक स्वर्ण मुद्राओं से चुकाया जाता था। अतः कथन (2) सत्य है
- यहाँ धार्मिक प्रयोजनों के लिये दान की गई भूमि पर कर नहीं लगाया जाता था। अतः कथन (3) सत्य है।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsपांचवी सदी में बंगाल में स्थापित राज्य के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. ‘समतट’ बंगाल में ब्रह्मपुत्र नदी द्वारा बनाया त्रिभुजाकार क्षेत्र था।
2. इसे चौथी सदी में समुद्रगुप्त ने अपने राज्य में मिला लिया था।
3. यहाँ पर ब्राह्मण धर्म का प्रभाव था।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- बंगाल में ब्रह्मपुत्र नदी द्वारा बनाया त्रिभुजाकार भाग समतट कहलाता था। इसमें दक्षिण-पूर्वी बंगाल का क्षेत्र आता था। अतः कथन (1) सत्य है।
- इस क्षेत्र को चौथी सदी में समुद्रगुप्त ने जीता और इसे अपने राज्य में मिलाया। अतः कथन (2) सत्य है।
- इस क्षेत्र में ब्राह्मण धर्म का प्रभाव नहीं था। यहाँ संस्कृत भाषा का प्रयोग नहीं मिलता है और न ही वर्ण व्यवस्था का प्रचलन। अतः कथन (3) असत्य है।
- उल्लेखनीय है कि समतट या वंग राज्य में राजा हरदेव द्वारा छठी सदी के उत्तराद्ध में स्वर्णमुद्राएँ जारी की। इस राज्य के अतिरिक्त सातवीं सदी में ढाका क्षेत्र में खड्ग वंश का राज्य था। यहाँ दो और राज्य भी थे-जिनमें पहला लोकनाथ नामक ब्राह्मण सामंत का और दूसरा राट वंश का दोनों कुमिल्ला क्षेत्र में पड़ते थे।
Incorrect
व्याख्याः
- बंगाल में ब्रह्मपुत्र नदी द्वारा बनाया त्रिभुजाकार भाग समतट कहलाता था। इसमें दक्षिण-पूर्वी बंगाल का क्षेत्र आता था। अतः कथन (1) सत्य है।
- इस क्षेत्र को चौथी सदी में समुद्रगुप्त ने जीता और इसे अपने राज्य में मिलाया। अतः कथन (2) सत्य है।
- इस क्षेत्र में ब्राह्मण धर्म का प्रभाव नहीं था। यहाँ संस्कृत भाषा का प्रयोग नहीं मिलता है और न ही वर्ण व्यवस्था का प्रचलन। अतः कथन (3) असत्य है।
- उल्लेखनीय है कि समतट या वंग राज्य में राजा हरदेव द्वारा छठी सदी के उत्तराद्ध में स्वर्णमुद्राएँ जारी की। इस राज्य के अतिरिक्त सातवीं सदी में ढाका क्षेत्र में खड्ग वंश का राज्य था। यहाँ दो और राज्य भी थे-जिनमें पहला लोकनाथ नामक ब्राह्मण सामंत का और दूसरा राट वंश का दोनों कुमिल्ला क्षेत्र में पड़ते थे।
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Question 3 of 20
3. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से किस विभाग की देखभाल अग्रहारिक नामक अधिकारी करता था?
Correct
व्याख्याः
- धार्मिक न्यासों की संख्या बहुत अधिक बढ़ने पर इसकी देखभाल करने के लिये अग्रहारिक नाम का एक अधिकारी नियुक्त किया गया।
- उल्लेखनीय है कि इन अग्रहारों का उद्देश्य पठन-पाठन और धार्मिक अनुष्ठानों में लगे ब्राह्मणों का भरण-पोषण करना था।
Incorrect
व्याख्याः
- धार्मिक न्यासों की संख्या बहुत अधिक बढ़ने पर इसकी देखभाल करने के लिये अग्रहारिक नाम का एक अधिकारी नियुक्त किया गया।
- उल्लेखनीय है कि इन अग्रहारों का उद्देश्य पठन-पाठन और धार्मिक अनुष्ठानों में लगे ब्राह्मणों का भरण-पोषण करना था।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsपांचवी-सातवीं सदी तक पूर्वी भारत के राज्यों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में कौन-सा असत्य है?
Correct
व्याख्या:
- गुवाहाटी के निकट की बस्तियाँ ईसवी सन् की चौथी सदी में बस चुकी थी और यहाँ से समुद्रगुप्त ने डवाक और कामरूप से कर वसूल किया था। अतः कथन (C) असत्य है, जबकि अन्य तीनों कथन सत्य हैं।
- बंगाल और उड़ीसा के बीच वाले सीमांत क्षेत्रों में दण्डभुक्ति नाम की राजस्व और प्रशासन संबंधी इकाई बनाई गई थी। दण्ड का अर्थ सजा और भुक्ति का अर्थ है भोग।
- ब्रह्मपुत्र मैदान में पूरब से पश्चिम तक फैला कामरूप सातवीं सदी में उत्कर्ष पर पहुँचा।
- कामरूप के राजाओं ने वर्मन की उपाधि धारण की। यह उपाधि उत्तर, मध्य और पश्चिम भारत के साथ बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश कर्नाटक और तमिलनाडु में भी पाई जाती है।
Incorrect
व्याख्या:
- गुवाहाटी के निकट की बस्तियाँ ईसवी सन् की चौथी सदी में बस चुकी थी और यहाँ से समुद्रगुप्त ने डवाक और कामरूप से कर वसूल किया था। अतः कथन (C) असत्य है, जबकि अन्य तीनों कथन सत्य हैं।
- बंगाल और उड़ीसा के बीच वाले सीमांत क्षेत्रों में दण्डभुक्ति नाम की राजस्व और प्रशासन संबंधी इकाई बनाई गई थी। दण्ड का अर्थ सजा और भुक्ति का अर्थ है भोग।
- ब्रह्मपुत्र मैदान में पूरब से पश्चिम तक फैला कामरूप सातवीं सदी में उत्कर्ष पर पहुँचा।
- कामरूप के राजाओं ने वर्मन की उपाधि धारण की। यह उपाधि उत्तर, मध्य और पश्चिम भारत के साथ बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश कर्नाटक और तमिलनाडु में भी पाई जाती है।
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Question 5 of 20
5. Question
1 pointsपूर्वी भारत में निम्नलिखित किस काल को रचनात्मक काल कहा गया है?
Correct
व्याख्याः
- पूर्वी भारत में चौथी से सातवीं सदी तक के काल को रचनात्मक काल कहा जाता है। इस काल में पूर्वी मध्य प्रदेश, उत्तरी उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और असम में तथा बांग्लादेश के एक बड़े भाग में संस्कृत विद्या, वैदिक कर्मकाण्ड, वर्णव्यवस्था तथा राजतंत्र फैले और विकसित हुए।
Incorrect
व्याख्याः
- पूर्वी भारत में चौथी से सातवीं सदी तक के काल को रचनात्मक काल कहा जाता है। इस काल में पूर्वी मध्य प्रदेश, उत्तरी उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और असम में तथा बांग्लादेश के एक बड़े भाग में संस्कृत विद्या, वैदिक कर्मकाण्ड, वर्णव्यवस्था तथा राजतंत्र फैले और विकसित हुए।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsगुप्त काल की प्रशासन-पद्धति के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:1. गुप्त राजाओं ने परमेश्वर और परमभट्टारक जैसी उपाधियाँ धारण की।
2. राजपद ज्येष्ठाधिकार की प्रथा पर कायम था।
3. इस काल में सिक्कों पर लक्ष्मी का चित्र अंकित था।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- गुप्त राजाओं ने परमेश्वर, महाराजाधिराज, परमभट्टारक आदि आडंबरपूर्ण उपाधियाँ धारण की थी। अतः कथन (1) सत्य है।
- इस काल में राजपद वंशानुगत था, परन्तु राजसत्ता ज्येष्ठाधिकार की अटल प्रथा के अभाव में सीमित थी। राजसिंहासन हमेशा ज्येष्ठ पुत्र को ही नहीं मिलता था। अतः कथन (2) असत्य है।
- इस काल के सिक्कों पर देवी लक्ष्मी का चित्र अंकित होता था। उनको विष्णु की पत्नी माना जाता था और विष्णु मुख्य देवता हो गए थे। अतः कथन (3) सत्य है।
Incorrect
व्याख्याः
- गुप्त राजाओं ने परमेश्वर, महाराजाधिराज, परमभट्टारक आदि आडंबरपूर्ण उपाधियाँ धारण की थी। अतः कथन (1) सत्य है।
- इस काल में राजपद वंशानुगत था, परन्तु राजसत्ता ज्येष्ठाधिकार की अटल प्रथा के अभाव में सीमित थी। राजसिंहासन हमेशा ज्येष्ठ पुत्र को ही नहीं मिलता था। अतः कथन (2) असत्य है।
- इस काल के सिक्कों पर देवी लक्ष्मी का चित्र अंकित होता था। उनको विष्णु की पत्नी माना जाता था और विष्णु मुख्य देवता हो गए थे। अतः कथन (3) सत्य है।
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsनिम्नलिखित में किसको विष्टि कहा जाता था?
Correct
व्याख्याः
- मध्य और पश्चिम भारत में ग्रामवासियों से सरकारी सेना और अधिकारियों की सेवा के लिये बेगार (निःशुल्क श्रम)भी करवाया जाता था, जो विष्टि कहलाता था।
Incorrect
व्याख्याः
- मध्य और पश्चिम भारत में ग्रामवासियों से सरकारी सेना और अधिकारियों की सेवा के लिये बेगार (निःशुल्क श्रम)भी करवाया जाता था, जो विष्टि कहलाता था।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsगुप्त काल में राज्य के वर्गीकरण के संदर्भ में निम्नलिखित में कौन-सा बढ़ते हुए अनुक्रम है?
Correct
व्याख्याः
- राज्य के वर्गीकरण का बढ़ता अनुक्रम इस प्रकार है – ग्राम > वीथियाँ > विषय > युक्ति > राज्य
- गुप्त राजाओं ने प्रांतीय और स्थानीय शासन की पद्धति चलाई। राज्य कई युक्तियों अर्थात् प्रांतों में विभाजित था और हर युक्ति एक-एक उपरिक के प्रभार में रहती थी। युक्तियाँ कई विषयों अर्थात् ज़िलों में विभाजित थी। हर विषय का प्रभारी विषयपति होता था। पूर्वी भारत में प्रत्येक विषय को वीथियों में बाँटा गया था और वीथियाँ ग्रामों में विभाजित थी।
Incorrect
व्याख्याः
- राज्य के वर्गीकरण का बढ़ता अनुक्रम इस प्रकार है – ग्राम > वीथियाँ > विषय > युक्ति > राज्य
- गुप्त राजाओं ने प्रांतीय और स्थानीय शासन की पद्धति चलाई। राज्य कई युक्तियों अर्थात् प्रांतों में विभाजित था और हर युक्ति एक-एक उपरिक के प्रभार में रहती थी। युक्तियाँ कई विषयों अर्थात् ज़िलों में विभाजित थी। हर विषय का प्रभारी विषयपति होता था। पूर्वी भारत में प्रत्येक विषय को वीथियों में बाँटा गया था और वीथियाँ ग्रामों में विभाजित थी।
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Question 9 of 20
9. Question
1 pointsगुप्त साम्राज्य के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?
1. इस काल में सबसे बड़े अधिकारी कुमारामात्य थे।
2. सामंतों को गरुड़ छाप वाले राजकीय शासनपत्र जारी किये जाते थे।
3. पुरोहितों को दी गई कर मुक्त भूमि में राजकीय अधिकारी शासन चलाते थे।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनियेःCorrect
व्याख्याः
- गुप्त साम्राज्य के सबसे बड़े अधिकारी कुमारामात्य होते थे। उन्हें राजा उनके प्रांत में ही नियुक्त करता था, वे नकद वेतन पाते थे | अतः कथन (1) सत्य है।
- गुप्त राजा सामंतों को गरुड़ छाप वाले राजकीय शासन-पत्र जारी करते थे। अतः कथन (2) सत्य है।
- उल्लेखनीय है कि सीमावर्ती सामंतों को तीन ज़िम्मेवारियाँ पूरी करनी होती थी। पहली, वे सम्राट के दरबार में उपस्थित होकर सम्मान प्रकट करते दूसरी, नज़राना चढ़ाते और तीसरी, विवाहार्थ अपनी पुत्री समर्पित करते थे। इसके बदले उन्हें अपने क्षेत्र पर अधिकार का शासनपत्र (सनद) मिलता था।
- इस काल में पुरोहितों और अन्य धर्माचार्यों को करमुक्त भूमि दानस्वरूप जाती थी और उन्हें वहा से सभी कर उगाहने का अधिकार भी दे दिया जाता, जो अन्यथा राजकोष में जाते|उन्हें जो ग्राम दे दिये जाते थे उनमें राजा के अधिकारियों और अमलों को प्रवेश करने का हक नहीं रहता था, अतः कथन (3) असत्य है।
Incorrect
व्याख्याः
- गुप्त साम्राज्य के सबसे बड़े अधिकारी कुमारामात्य होते थे। उन्हें राजा उनके प्रांत में ही नियुक्त करता था, वे नकद वेतन पाते थे | अतः कथन (1) सत्य है।
- गुप्त राजा सामंतों को गरुड़ छाप वाले राजकीय शासन-पत्र जारी करते थे। अतः कथन (2) सत्य है।
- उल्लेखनीय है कि सीमावर्ती सामंतों को तीन ज़िम्मेवारियाँ पूरी करनी होती थी। पहली, वे सम्राट के दरबार में उपस्थित होकर सम्मान प्रकट करते दूसरी, नज़राना चढ़ाते और तीसरी, विवाहार्थ अपनी पुत्री समर्पित करते थे। इसके बदले उन्हें अपने क्षेत्र पर अधिकार का शासनपत्र (सनद) मिलता था।
- इस काल में पुरोहितों और अन्य धर्माचार्यों को करमुक्त भूमि दानस्वरूप जाती थी और उन्हें वहा से सभी कर उगाहने का अधिकार भी दे दिया जाता, जो अन्यथा राजकोष में जाते|उन्हें जो ग्राम दे दिये जाते थे उनमें राजा के अधिकारियों और अमलों को प्रवेश करने का हक नहीं रहता था, अतः कथन (3) असत्य है।
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Question 10 of 20
10. Question
1 pointsगुप्त काल में जारी की गई स्वर्णमुद्राओं को निम्नलिखित में किस नाम से पुकारा जाता था?
Correct
व्याख्याः
- प्राचीन भारत के गुप्त राजाओं ने सबसे अधिक स्वर्णमुद्राएँ जारी की, जो उनके अभिलेखों में दीनार कही गई है।
Incorrect
व्याख्याः
- प्राचीन भारत के गुप्त राजाओं ने सबसे अधिक स्वर्णमुद्राएँ जारी की, जो उनके अभिलेखों में दीनार कही गई है।
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Question 11 of 20
11. Question
1 pointsगुप्त काल की अर्थव्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
1. इस काल में चांदी के सिक्के जारी किये गए।
2. इस काल में सुदूर व्यापार (रोमन व्यापार) में ह्रास हो गया था।
3. किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।
उपर्युक्त कथनों में कौन-से सत्य हैं?Correct
व्याख्याः
- गुप्त शासकों ने गुजरात विजय के बाद बड़ी संख्या में चांदी के सिक्के जारी किये, जो केवल स्थानीय लेन-देन मे चलते थे, क्योंकि पश्चिमी क्षत्रपों के यहाँ चांदी के सिक्कों का महत्त्वपूर्ण स्थान था। अतः कथन (1) सत्य है।
- पूर्वकाल की तुलना में इस काल में सुदूर व्यापार में ह्रास हो गया। 550 ई. तक भारत पूर्वी रोमन के साथ कुछ-कुछ व्यापार कर रहा था लेकिन 550 ई. के आस-पास पूर्वी रोमन ने चीनियों से रेशम पैदा करने की कला सीख ली। इससे भारत के निर्यात एवं व्यापार पर बुरा असर पड़ा। अतः कथन (2) सत्य है।
- गुप्त काल में ब्राह्मण पुरोहितों का भू-स्वामी के रूप में उदय होने से किसानों के हितों पर विपरीत प्रभाव पड़ा और उनकी आर्थिक स्थिति में गिरावट आई। मध्य और पश्चिमी भारत में किसानों से बेगार लिया जाने लगा। अतः कथन (3) असत्य है।
Incorrect
व्याख्याः
- गुप्त शासकों ने गुजरात विजय के बाद बड़ी संख्या में चांदी के सिक्के जारी किये, जो केवल स्थानीय लेन-देन मे चलते थे, क्योंकि पश्चिमी क्षत्रपों के यहाँ चांदी के सिक्कों का महत्त्वपूर्ण स्थान था। अतः कथन (1) सत्य है।
- पूर्वकाल की तुलना में इस काल में सुदूर व्यापार में ह्रास हो गया। 550 ई. तक भारत पूर्वी रोमन के साथ कुछ-कुछ व्यापार कर रहा था लेकिन 550 ई. के आस-पास पूर्वी रोमन ने चीनियों से रेशम पैदा करने की कला सीख ली। इससे भारत के निर्यात एवं व्यापार पर बुरा असर पड़ा। अतः कथन (2) सत्य है।
- गुप्त काल में ब्राह्मण पुरोहितों का भू-स्वामी के रूप में उदय होने से किसानों के हितों पर विपरीत प्रभाव पड़ा और उनकी आर्थिक स्थिति में गिरावट आई। मध्य और पश्चिमी भारत में किसानों से बेगार लिया जाने लगा। अतः कथन (3) असत्य है।
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Question 12 of 20
12. Question
1 pointsगुप्तकालीन समाज के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में कौन-सा असत्य है?
Correct
व्याख्याः
- गुप्त काल में स्त्रियाँ पुनर्विवाह कर सकती थी, यदि पति खो जाए, मृत्य हो जाए, संन्यास ले ले। अतः कथन (c) असत्य है जबकि अन्य तीनों कथन सत्य हैं।
- गुप्त काल में स्त्रियों और शूद्रों की सामाजिक स्थिति में सुधार आया था। उन्हें रामायण, महाभारत और पुराण सुनने का अधिकार प्राप्त हुआ। उनके लिये कृष्ण का पूजन विहित किया गया। उल्लेखनीय है कि इस काल में उच्च वर्ग की स्त्रियों को स्वतंत्र जीवन-निर्वाह का साधन प्राप्त नहीं था,परन्तु निचले दो वर्णों की स्त्रियों की स्वतंत्र जीवन-निर्वाह का अधिकार मिल गया था।
- पाँचवीं सदी में रचित नारद स्मृति में ब्राह्मणों को मिले विशेषाधिकारों का वर्णन किया गया है।
- इस काल में पितृसत्तात्मक व्यवस्था में पत्नी को निजी संपत्ति समझा जाने लगा और मृत्यु में भी साथ देने की उम्मीद की जाने लगी। इस काल में सती-प्रथा का प्रचलन था, इसका उदाहरण 510 ई. में एक अभिलेख से मिलता है।
Incorrect
व्याख्याः
- गुप्त काल में स्त्रियाँ पुनर्विवाह कर सकती थी, यदि पति खो जाए, मृत्य हो जाए, संन्यास ले ले। अतः कथन (c) असत्य है जबकि अन्य तीनों कथन सत्य हैं।
- गुप्त काल में स्त्रियों और शूद्रों की सामाजिक स्थिति में सुधार आया था। उन्हें रामायण, महाभारत और पुराण सुनने का अधिकार प्राप्त हुआ। उनके लिये कृष्ण का पूजन विहित किया गया। उल्लेखनीय है कि इस काल में उच्च वर्ग की स्त्रियों को स्वतंत्र जीवन-निर्वाह का साधन प्राप्त नहीं था,परन्तु निचले दो वर्णों की स्त्रियों की स्वतंत्र जीवन-निर्वाह का अधिकार मिल गया था।
- पाँचवीं सदी में रचित नारद स्मृति में ब्राह्मणों को मिले विशेषाधिकारों का वर्णन किया गया है।
- इस काल में पितृसत्तात्मक व्यवस्था में पत्नी को निजी संपत्ति समझा जाने लगा और मृत्यु में भी साथ देने की उम्मीद की जाने लगी। इस काल में सती-प्रथा का प्रचलन था, इसका उदाहरण 510 ई. में एक अभिलेख से मिलता है।
-
Question 13 of 20
13. Question
1 pointsगुप्त काल में बौद्ध धर्म के संदर्भ में निम्नलिखित में कौन-सा/से सत्य है/हैं?1. इस काल में बौद्ध धर्म को राजाश्रय मिलना समाप्त हो गया।
2. नालंदा बौद्ध शिक्षा का केन्द्र बन गया।
3. इस काल में वैष्णव संप्रदाय अधिक लोकप्रिय हुआ।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:Correct
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
- गुप्त काल में बौद्ध धर्म को राजाश्रय मिलना समाप्त हो गया। जो स्थान अशोक व कनष्कि काल में था, वह अब नहीं रहा।
- इस काल में कुछ स्तूपों और विहारों का निर्माण हुआ और नालंदा बौद्ध शिक्षा का केंद्र बन गया।
- इस काल में आकर महायान बौद्ध धर्म की तुलना में भागवत या वैष्णव संप्रदाय अधिक प्रभावी हो गया। इसने अवतारवाद का उपदेश दिया और इतिहास को विष्णु के दस अवतारों के चक्र के रूप में प्रतिपादित किया।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
- गुप्त काल में बौद्ध धर्म को राजाश्रय मिलना समाप्त हो गया। जो स्थान अशोक व कनष्कि काल में था, वह अब नहीं रहा।
- इस काल में कुछ स्तूपों और विहारों का निर्माण हुआ और नालंदा बौद्ध शिक्षा का केंद्र बन गया।
- इस काल में आकर महायान बौद्ध धर्म की तुलना में भागवत या वैष्णव संप्रदाय अधिक प्रभावी हो गया। इसने अवतारवाद का उपदेश दिया और इतिहास को विष्णु के दस अवतारों के चक्र के रूप में प्रतिपादित किया।
-
Question 14 of 20
14. Question
1 pointsगुप्त काल में धार्मिक आस्थाओं के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. इस काल में विष्णु मुख्य देवता हो गए।
2. भागवत धर्म में भक्ति और अहिंसा मुख्य तत्त्व हो गए।
3. इस काल में मूर्तिपूजा का ब्राह्मणीय धर्म में कोई स्थान नहीं था।
4. इस काल में विष्णु सहस्त्रनाम की रचना हुई थी।
उपर्युक्त कथनों में कौन-से सत्य हैं?Correct
व्याख्याः
- भागवत धर्म का केंद्र बिंदु भगवत् या विष्णु की पूजा है। गुप्त काल में विष्णु के दस अवतारों में का वर्णन किया गया है। छठी सदी में आकर विष्णु की गणना शिव और ब्रह्मा के साथ त्रिदेव में होने लगी। परंतु फिर भी यह मुख्य देवता हो गया। अतः कथन (1) सत्य है।
- भागवत संप्रदाय के मुख्य तत्त्व है भक्ति और अहिंसा। भक्ति का अर्थ प्रेममय निष्ठा निवेदन और अहिंसा का अर्थ है किसी जीव का वध नहीं करना है अतः कथन (2) सत्य है।
- गुप्त काल में मूर्तिपूजा ब्राह्मणीय धर्म का सामान्य लक्षण हो गई। अतः कथन (3) असत्य है।
- उल्लेखनीय है कि गुप्तवंशीय राजाओं ने विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के प्रति सहनशीलता का मार्ग अपनाया।
- इस काल में विष्णु के उपासकों के लिये विष्णु सहस्त्रनाम आदि बहुत से स्रोत लिखे गए। अतः कथन (4) सत्य है।
Incorrect
व्याख्याः
- भागवत धर्म का केंद्र बिंदु भगवत् या विष्णु की पूजा है। गुप्त काल में विष्णु के दस अवतारों में का वर्णन किया गया है। छठी सदी में आकर विष्णु की गणना शिव और ब्रह्मा के साथ त्रिदेव में होने लगी। परंतु फिर भी यह मुख्य देवता हो गया। अतः कथन (1) सत्य है।
- भागवत संप्रदाय के मुख्य तत्त्व है भक्ति और अहिंसा। भक्ति का अर्थ प्रेममय निष्ठा निवेदन और अहिंसा का अर्थ है किसी जीव का वध नहीं करना है अतः कथन (2) सत्य है।
- गुप्त काल में मूर्तिपूजा ब्राह्मणीय धर्म का सामान्य लक्षण हो गई। अतः कथन (3) असत्य है।
- उल्लेखनीय है कि गुप्तवंशीय राजाओं ने विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के प्रति सहनशीलता का मार्ग अपनाया।
- इस काल में विष्णु के उपासकों के लिये विष्णु सहस्त्रनाम आदि बहुत से स्रोत लिखे गए। अतः कथन (4) सत्य है।
-
Question 15 of 20
15. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से किस काल को भारत का स्वर्णयुग कहा जाता है?
Correct
व्याख्याः
- गुप्त काल प्राचीन भारत का ‘स्वर्णयुग’ कहा जाता है। क्योंकि इस काल में साहित्य, विज्ञान एवं कला के उत्कर्ष, भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार, धार्मिक सहिष्णुता एवं आर्थिक समृद्धि , श्रेष्ठ शासन व्यवस्था और राजनीतिक एकता का काल था।
Incorrect
व्याख्याः
- गुप्त काल प्राचीन भारत का ‘स्वर्णयुग’ कहा जाता है। क्योंकि इस काल में साहित्य, विज्ञान एवं कला के उत्कर्ष, भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार, धार्मिक सहिष्णुता एवं आर्थिक समृद्धि , श्रेष्ठ शासन व्यवस्था और राजनीतिक एकता का काल था।
-
Question 16 of 20
16. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. समुद्रगुप्त को सिक्कों पर वीणा बजाते हुए दिखाया गया है।
2. चंद्रगुप्त प्रथम का दरबार नवरत्न से अलंकृत था।
3. अजंता की चित्रावली गुप्तकालीन बौद्ध कला का श्रेष्ठ उदाहरण है।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- समुद्रगुप्त को सिक्कों पर वीणा बजाते हुए दिखाया गया है, अतः कथन (1) सत्य है।
- उल्लेखनीय है कि समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त द्वितीय दोनों कला साहित्य के संपोषक हुए हैं।
- चंद्रगुप्त द्वितीय का दरबार नवरत्न से अलंकृत था। नवरत्नों में- कालिदास, धनवन्तरि, क्षपणक, अमरसिंह, शंकु, वेताल भट्ट , घटकर्पर, वराहमिहिर तथा वररुचि जैसे विद्वान थे। अतः कथन (2) असत्य है।
- गुप्त काल में सारनाथ और मथुरा में बुद्ध की सुंदर प्रतिमाएँ बनीं परंतु गुप्तकालीन बौद्ध कला का सर्वश्रेष्ठ नमूना है,अजंता की चित्रावली, अतः कथन (3) सत्य है।
Incorrect
व्याख्याः
- समुद्रगुप्त को सिक्कों पर वीणा बजाते हुए दिखाया गया है, अतः कथन (1) सत्य है।
- उल्लेखनीय है कि समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त द्वितीय दोनों कला साहित्य के संपोषक हुए हैं।
- चंद्रगुप्त द्वितीय का दरबार नवरत्न से अलंकृत था। नवरत्नों में- कालिदास, धनवन्तरि, क्षपणक, अमरसिंह, शंकु, वेताल भट्ट , घटकर्पर, वराहमिहिर तथा वररुचि जैसे विद्वान थे। अतः कथन (2) असत्य है।
- गुप्त काल में सारनाथ और मथुरा में बुद्ध की सुंदर प्रतिमाएँ बनीं परंतु गुप्तकालीन बौद्ध कला का सर्वश्रेष्ठ नमूना है,अजंता की चित्रावली, अतः कथन (3) सत्य है।
-
Question 17 of 20
17. Question
1 pointsनिम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजियेः
(लेखक) (रचनाएँ)
1. शूद्रक : मृच्छकटिक
2. कालिदास : अभिज्ञानशाकुन्तलम्
3. अमर सिंह : रोमक सिद्धांत
उपर्युक्त युग्मों में कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं:Correct
व्याख्याः युग्मों का सही सुमेलन इस प्रकार है।
(लेखक) (रचनाएँ)
1. शूद्रक : मृच्छकटिक
2. कालिदास : अभिज्ञानशाकुन्तलम्
3. अमर सिंह : अमरकोश- उल्लेखनीय है कि शूद्रक का लिखा नाटक मृच्छकटिक या माटी की खिलौना-गाड़ी है इसमें निर्धन ब्राह्मण के साथ गणिका का प्रेम वर्णित है। प्राचीन नाटकों में इसे सर्वोत्कृष्ट कोटि का माना गया है। कालिदास का अभिज्ञानशाकुन्तलम् विश्व की सौ उत्कृष्टतम साहित्यिक कृतियों में से एक है।
Incorrect
व्याख्याः युग्मों का सही सुमेलन इस प्रकार है।
(लेखक) (रचनाएँ)
1. शूद्रक : मृच्छकटिक
2. कालिदास : अभिज्ञानशाकुन्तलम्
3. अमर सिंह : अमरकोश- उल्लेखनीय है कि शूद्रक का लिखा नाटक मृच्छकटिक या माटी की खिलौना-गाड़ी है इसमें निर्धन ब्राह्मण के साथ गणिका का प्रेम वर्णित है। प्राचीन नाटकों में इसे सर्वोत्कृष्ट कोटि का माना गया है। कालिदास का अभिज्ञानशाकुन्तलम् विश्व की सौ उत्कृष्टतम साहित्यिक कृतियों में से एक है।
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Question 18 of 20
18. Question
1 pointsगुप्त काल के नाटकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. इस काल के नाटक दुखांत हैं।
2. नाटकों की भाषाओं में वर्णभेद दिखाई देता है।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- भारत में लिखे गए गुप्त काल के नाटकों के बारे में दो बातें उल्लेखनीय हैं:
- इस काल के सभी नाटक सुखांत हैं। दुखांत नाटक का एक भी उदाहरण नहीं मिलता। अतः कथन (1) असत्य है।
- इस काल के नाटकों की भाषाओं में वर्ण विभाजन दिखाई पड़ता है। इस काल में उच्च वर्ण के लोग संस्कृत तथा शूद्र और स्त्री वर्ग प्राकृत भाषा बोलते थे, अतः कथन (2) असत्य है।
Incorrect
व्याख्याः
- भारत में लिखे गए गुप्त काल के नाटकों के बारे में दो बातें उल्लेखनीय हैं:
- इस काल के सभी नाटक सुखांत हैं। दुखांत नाटक का एक भी उदाहरण नहीं मिलता। अतः कथन (1) असत्य है।
- इस काल के नाटकों की भाषाओं में वर्ण विभाजन दिखाई पड़ता है। इस काल में उच्च वर्ण के लोग संस्कृत तथा शूद्र और स्त्री वर्ग प्राकृत भाषा बोलते थे, अतः कथन (2) असत्य है।
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Question 19 of 20
19. Question
1 pointsगुप्त काल में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. आर्यभटीय गणित के क्षेत्र का महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है।
2. इसके रचयिता आर्यभट पाटलिपुत्र के निवासी थे।
3. ईसा की पाँचवीं सदी के आरंभ में भारत में दाशमिक पद्धति का ज्ञान था।
उपर्युक्त कथनों में कौन-से सत्य हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
- आर्यभटीय गणित के क्षेत्र का महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है।
- इसके रचयिता आर्यभट पाटलिपुत्र के रहने वाले थे।
- इलाहाबाद के अभिलेख से ज्ञात होता है कि ईसा की पाँचवीं सदी के आरंभ में भारत में दाशमिक पद्धति ज्ञात थी।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
- आर्यभटीय गणित के क्षेत्र का महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है।
- इसके रचयिता आर्यभट पाटलिपुत्र के रहने वाले थे।
- इलाहाबाद के अभिलेख से ज्ञात होता है कि ईसा की पाँचवीं सदी के आरंभ में भारत में दाशमिक पद्धति ज्ञात थी।
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Question 20 of 20
20. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. कात्यायन स्मृति के अनुसार स्त्रियों को भूमि में अधिकार प्राप्त था।
2. रोमक सिद्धांत नामक पुस्तक का विषय गणित है।
3. गुप्त काल में बना झाँसी के देवगढ़ मंदिर का निर्माण हुआ।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- छठी सदी के स्मृतिकार कात्यायन का कहना है कि स्त्री अपने स्त्रीधन के साथ अपनी अचल सम्पत्ति को भी बेच सकती थी और गिरवी रख सकती थी। इससे यह पता चलता है कि स्त्रियों को भूमि पर अधिकार था। अतः कथन (1) सत्य है।
- रोमक सिद्धांत नामक पुस्तक खगोलशास्त्र विषय से संबंधित है। इस पर यूनानी विद्वानों का प्रभाव है। अतः कथन (2) असत्य है।
- इस काल में वास्तुकला पिछड़ी हुई थी। वास्तुकला के नाम पर हमें ईंट के बने कुछ मंदिर उत्तर प्रदेश में मिले हैं। इसमें कानपुर के भीतरगाँव, गाजीपुर के भीतरी और झाँसी के देवगढ़ में ईंट का मंदिर उल्लेखनीय हैं। अतः कथन (3) सत्य है।
- उल्लेखनीय है कि गुप्त काल में मंदिर निर्माण कला का जन्म हुआ था। देवगढ़ का दशावतार मंदिर भारतीय मंदिर निर्माण में शिखर का संभवतः पहला उदाहरण है।
Incorrect
व्याख्याः
- छठी सदी के स्मृतिकार कात्यायन का कहना है कि स्त्री अपने स्त्रीधन के साथ अपनी अचल सम्पत्ति को भी बेच सकती थी और गिरवी रख सकती थी। इससे यह पता चलता है कि स्त्रियों को भूमि पर अधिकार था। अतः कथन (1) सत्य है।
- रोमक सिद्धांत नामक पुस्तक खगोलशास्त्र विषय से संबंधित है। इस पर यूनानी विद्वानों का प्रभाव है। अतः कथन (2) असत्य है।
- इस काल में वास्तुकला पिछड़ी हुई थी। वास्तुकला के नाम पर हमें ईंट के बने कुछ मंदिर उत्तर प्रदेश में मिले हैं। इसमें कानपुर के भीतरगाँव, गाजीपुर के भीतरी और झाँसी के देवगढ़ में ईंट का मंदिर उल्लेखनीय हैं। अतः कथन (3) सत्य है।
- उल्लेखनीय है कि गुप्त काल में मंदिर निर्माण कला का जन्म हुआ था। देवगढ़ का दशावतार मंदिर भारतीय मंदिर निर्माण में शिखर का संभवतः पहला उदाहरण है।