प्राचीन-भारत टेस्ट 3
प्राचीन-भारत टेस्ट 3
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इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न एन.सी.ई.आर.टी. पर आधारित है|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsकदंब राज्य के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?1. इसकी स्थापना मयूरशर्मन ने की।
2. यह उत्तरी कर्नाटक और कोंकण तक फैला था।
3. इसकी राजधानी कोलार थी।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनियेःCorrect
व्याख्याः
- कदंब राज्य की स्थापना मयूरशर्मन ने की| अतः कथन (1) सत्य है।
- उल्लेखनीय है कि जब वह पढ़ने के लिये कांची आया तो पल्लवों द्वारा वहाँ से अपमानित कर निकाल दिया गया। उसने पल्लवों से अपने अपमान का बदला युद्ध करके लिया, परंतु वह पल्लवों से हार गया फिर भी पल्लवों ने मयूरशर्मन को राजचिह्न देकर कदंबों की राजसत्ता को मान्यता दी।
- कदंबों ने चौथी सदी में उत्तरी कर्नाटक और कोंकण में अपनी सत्ता कायम की, अतः कथन (2) सत्य है।
- मयूरशर्मन ने अपनी राजधानी कर्नाटक के उत्तरी केनरा ज़िले के वैजयन्ती या बनवासी में बनाई। अतः कथन (3) असत्य है।
Incorrect
व्याख्याः
- कदंब राज्य की स्थापना मयूरशर्मन ने की| अतः कथन (1) सत्य है।
- उल्लेखनीय है कि जब वह पढ़ने के लिये कांची आया तो पल्लवों द्वारा वहाँ से अपमानित कर निकाल दिया गया। उसने पल्लवों से अपने अपमान का बदला युद्ध करके लिया, परंतु वह पल्लवों से हार गया फिर भी पल्लवों ने मयूरशर्मन को राजचिह्न देकर कदंबों की राजसत्ता को मान्यता दी।
- कदंबों ने चौथी सदी में उत्तरी कर्नाटक और कोंकण में अपनी सत्ता कायम की, अतः कथन (2) सत्य है।
- मयूरशर्मन ने अपनी राजधानी कर्नाटक के उत्तरी केनरा ज़िले के वैजयन्ती या बनवासी में बनाई। अतः कथन (3) असत्य है।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से किस राजवंश ने दक्षिण कर्नाटक में अपने राज्य की स्थापना की?
Correct
व्याख्याः
- पल्लवों के समकालीन दक्षिणी कर्नाटक में गंगा राजाओं ने अपनी सत्ता स्थापित की। उनका राज्य पूरब में पल्लवों के राज्य और पश्चिम में कदंबों के राज्य के बीच था। उनकी सबसे पहले राजधानी कोलार थी। उल्लेखनीय है कि गंगा राजाओं ने भूमि अनुदान का लाभ अधिकतर जैनों को ही दिया।
Incorrect
व्याख्याः
- पल्लवों के समकालीन दक्षिणी कर्नाटक में गंगा राजाओं ने अपनी सत्ता स्थापित की। उनका राज्य पूरब में पल्लवों के राज्य और पश्चिम में कदंबों के राज्य के बीच था। उनकी सबसे पहले राजधानी कोलार थी। उल्लेखनीय है कि गंगा राजाओं ने भूमि अनुदान का लाभ अधिकतर जैनों को ही दिया।
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Question 3 of 20
3. Question
1 pointsचालुक्य राजा पुलकेशिन द्वितीय के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. ऐहोल अभिलेख से उसके बारे में जानकारी मिलती है।
2. उसका दरबारी कवि रविकीर्ति था।
3. उसने पल्लवों को हराकर वेंगी प्रान्त जीता था।
उपर्युक्त कथनों में कौन-से सत्य हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
- ऐहोल अभिलेख से चालुक्य राजा पुलकेशिन द्वितीय के बारे में जानकारी मिलती है।
- उल्लेखनीय है कि इसमें हर्ष-पुलकेशिन द्वितीय के युद्ध का विवरण मिलता है।
- रविकीर्ति उसका दरबारी कवि था। उसके द्वारा रचित उसकी प्रशस्ति (गुण वर्णन) ऐहोल अभिलेख में उत्कीर्ण है।
- पुलकेशिन द्वितीय ने 610 ई. के आस-पास कृष्णा और गोदावरी का दोआब, जो वेंगी नाम से प्रसिद्ध हुआ, पल्लवों से जीत लिया था। यहाँ पर मुख्य राजवंश की एक शाखा स्थापित की गई जो वेंगी का पूर्वी चालुक्य रामवंश कहलाने लगे।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
- ऐहोल अभिलेख से चालुक्य राजा पुलकेशिन द्वितीय के बारे में जानकारी मिलती है।
- उल्लेखनीय है कि इसमें हर्ष-पुलकेशिन द्वितीय के युद्ध का विवरण मिलता है।
- रविकीर्ति उसका दरबारी कवि था। उसके द्वारा रचित उसकी प्रशस्ति (गुण वर्णन) ऐहोल अभिलेख में उत्कीर्ण है।
- पुलकेशिन द्वितीय ने 610 ई. के आस-पास कृष्णा और गोदावरी का दोआब, जो वेंगी नाम से प्रसिद्ध हुआ, पल्लवों से जीत लिया था। यहाँ पर मुख्य राजवंश की एक शाखा स्थापित की गई जो वेंगी का पूर्वी चालुक्य रामवंश कहलाने लगे।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. चालुक्य राजा नरसिंहवर्मन ने वातापीकोण्ड की उपाधि धारण की।
2. राष्ट्रकूटों ने पल्लवों के प्रभुत्व को समाप्त किया।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पल्लव राजा नरसिंहवर्मन और चालुक्य राजा पुलकेशिन के संघर्ष के मध्य 642 ई. के आस-पास पल्लव राजा ने पुलकेशिन को पराजित कर वातापी पर अधिकार करते हुए वातापीकोण्ड अर्थात् वातापी-विजेता की उपाधि धारण की। अतः कथन (1) सत्य है।
- आठवीं सदी के पूर्वार्द्ध में चालुक्य राजा विक्रमादित्य द्वितीय ने कांची को तीन बार पराजित कर लगभग 740 ई. में पल्लवों को पूरी तरह समाप्त किया, परंतु चालुक्यों को 757 ई. में राष्ट्रकूटों ने समाप्त कर दिया था। अतः कथन (2) असत्य है।
Incorrect
व्याख्याः
- पल्लव राजा नरसिंहवर्मन और चालुक्य राजा पुलकेशिन के संघर्ष के मध्य 642 ई. के आस-पास पल्लव राजा ने पुलकेशिन को पराजित कर वातापी पर अधिकार करते हुए वातापीकोण्ड अर्थात् वातापी-विजेता की उपाधि धारण की। अतः कथन (1) सत्य है।
- आठवीं सदी के पूर्वार्द्ध में चालुक्य राजा विक्रमादित्य द्वितीय ने कांची को तीन बार पराजित कर लगभग 740 ई. में पल्लवों को पूरी तरह समाप्त किया, परंतु चालुक्यों को 757 ई. में राष्ट्रकूटों ने समाप्त कर दिया था। अतः कथन (2) असत्य है।
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Question 5 of 20
5. Question
1 pointsछठी से आठवीं सदी के बीच दक्षिण भारत में धर्म के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?1. विष्णु और शिव लोकप्रिय देवता बन गए।
2. पल्लव राजाओं ने आराध्य देवताओं की प्रतिमा स्थापना के लिये मंदिरों का निर्माण करवाया।
3. पुलकेशिन द्वितीय ने मामल्लपुरम की स्थापना की।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनियेःCorrect
व्याख्याः
- दक्षिण भारत में यज्ञानुष्ठानों के अलावा ब्रह्मा, विष्णु और शिव की पूजा लोकप्रिय हो गई। विष्णु और शिव की पूजा पहले से ज्यादा होने लगी| अतः कथन (1) सत्य है।
- पल्लव राजाओं ने सातवीं और आठवीं सदी में अपने आराध्य देवताओं की प्रतिमा स्थापित करने के लिये बहुत-से प्रस्तर मंदिर बनवाए, इनमें सबसे प्रसिद्ध महाबलिपुरम के सात रथ वाला मंदिर है। अतः कथन (2) सत्य है।
- सातवीं सदी में नरसिंहवर्मन ने प्रसिद्ध बंदरगाह शहर महाबलिपुरम या मामल्लपुरम की स्थापना की। अतः कथन (3) असत्य है।
Incorrect
व्याख्याः
- दक्षिण भारत में यज्ञानुष्ठानों के अलावा ब्रह्मा, विष्णु और शिव की पूजा लोकप्रिय हो गई। विष्णु और शिव की पूजा पहले से ज्यादा होने लगी| अतः कथन (1) सत्य है।
- पल्लव राजाओं ने सातवीं और आठवीं सदी में अपने आराध्य देवताओं की प्रतिमा स्थापित करने के लिये बहुत-से प्रस्तर मंदिर बनवाए, इनमें सबसे प्रसिद्ध महाबलिपुरम के सात रथ वाला मंदिर है। अतः कथन (2) सत्य है।
- सातवीं सदी में नरसिंहवर्मन ने प्रसिद्ध बंदरगाह शहर महाबलिपुरम या मामल्लपुरम की स्थापना की। अतः कथन (3) असत्य है।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsदक्षिण भारत के धार्मिक संप्रदायों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. वैष्णव संप्रदाय नायन्नार संतों ने फैलाया।
2. शैव संप्रदाय आल्वार संतों ने फैलाया।
3. दक्षिण भारत में मंदिरों को भूमि अनुदान देने की प्रथा थी।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- दक्षिण भारत में सातवीं सदी से वैष्णवप्रवर आल्वार संतों ने वैष्णव संप्रदाय फैलाया। अतः कथन (1) असत्य है।
- नायन्नार संतों ने शैव संप्रदाय फैलाया। अतः कथन (2) असत्य है।
- उल्लेखनीय है कि सातवीं सदी में दक्षिण भारत के लोगों के धार्मिक जीवन में भक्ति मार्ग को लोकप्रिय बनाने में आल्वारों और नायन्नारों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- आठवीं सदी के बाद मंदिरों के रखरखाव के लिये भूमि अनुदान देने की प्रथा का प्रचलन हुआ। यह भूमिदान दीवारों पर अभिलिखित कर दिये जाते थे। अतः कथन (3) सत्य है।
Incorrect
व्याख्याः
- दक्षिण भारत में सातवीं सदी से वैष्णवप्रवर आल्वार संतों ने वैष्णव संप्रदाय फैलाया। अतः कथन (1) असत्य है।
- नायन्नार संतों ने शैव संप्रदाय फैलाया। अतः कथन (2) असत्य है।
- उल्लेखनीय है कि सातवीं सदी में दक्षिण भारत के लोगों के धार्मिक जीवन में भक्ति मार्ग को लोकप्रिय बनाने में आल्वारों और नायन्नारों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- आठवीं सदी के बाद मंदिरों के रखरखाव के लिये भूमि अनुदान देने की प्रथा का प्रचलन हुआ। यह भूमिदान दीवारों पर अभिलिखित कर दिये जाते थे। अतः कथन (3) सत्य है।
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsनिम्नलिखित में किस राजवंश ने कांची में कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण करवाया?
Correct
व्याख्याः
- आठवीं सदी में कांची में कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण पल्लवों ने करवाया। यह मंदिर किसी चट्टान को काटकर नहीं बल्कि स्वतंत्र संरचना के रूप में बनवाया।
- उल्लेखनीय है कि इस मंदिर का निर्माण 685-705 ई. में पल्लव वंश के नरसिंहवर्मन ने करवाया था।
Incorrect
व्याख्याः
- आठवीं सदी में कांची में कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण पल्लवों ने करवाया। यह मंदिर किसी चट्टान को काटकर नहीं बल्कि स्वतंत्र संरचना के रूप में बनवाया।
- उल्लेखनीय है कि इस मंदिर का निर्माण 685-705 ई. में पल्लव वंश के नरसिंहवर्मन ने करवाया था।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsपट्टडकल के मंदिरों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. पापनाथ मंदिर का बुर्ज उत्तर भारतीय शैली में बना है।
2.विरूपाक्ष मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना है।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- पापनाथ मंदिर (लगभग 680 ई.) की लम्बाई तीस मीटर है और इसका बुर्ज उत्तर भारतीय शैली में बना है, यह छोटा और नीचा हैं।
- विरूपाक्ष मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना है। इसका शिखर बहुत ही ऊँचा, आयताकार और कई मंज़िलों वाला है। उसकी दीवारें रामायण के दृश्यों वाली सुन्दर-सुन्दर मूर्तियों से सजी है।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- पापनाथ मंदिर (लगभग 680 ई.) की लम्बाई तीस मीटर है और इसका बुर्ज उत्तर भारतीय शैली में बना है, यह छोटा और नीचा हैं।
- विरूपाक्ष मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना है। इसका शिखर बहुत ही ऊँचा, आयताकार और कई मंज़िलों वाला है। उसकी दीवारें रामायण के दृश्यों वाली सुन्दर-सुन्दर मूर्तियों से सजी है।
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Question 9 of 20
9. Question
1 pointsदक्षिण भारत में प्रशासनिक व्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित में कौन-सा कथन असत्य है?
Correct
व्याख्याः
- दक्षिण भारत में तीन प्रकार के गाँव दिखाई देते हैं- उर, सभा और नगरम्। इनमें ‘उर’ सबसे प्रचलित थे, जिसमें किसान रहते थे। ऐसे गाँवों में ग्राम-प्रधान का यह कर्त्तव्य होता था कि गाँव वालों से कर वसूल करे। सभा कोटि के गाँव ब्रह्मदेय अर्थात् ब्राह्मणों को दिये जाते थे। ऐसे गाँवों पर अनुदान प्राप्तकर्त्ता व्यक्ति का अधिकार होता था। नगरम् में व्यापारियों और वाणिकों का मिला-जुला वास होता था और उन्हीं का प्रभाव होता था। अतः कथन (c) असत्य है, जबकि अन्य तीनों कथन सत्य हैं।
- राजा किसानों से नियमित कर लेता था। फसल के भूमि कर में लेने के अतिरिक्त राजा किसानों से अन्न, स्वर्ण, गुड़ आदि वस्तुएँ लेता था। इसके अतिरिक्त राजा को विष्टि अर्थात् बेगार का अधिकार था।
Incorrect
व्याख्याः
- दक्षिण भारत में तीन प्रकार के गाँव दिखाई देते हैं- उर, सभा और नगरम्। इनमें ‘उर’ सबसे प्रचलित थे, जिसमें किसान रहते थे। ऐसे गाँवों में ग्राम-प्रधान का यह कर्त्तव्य होता था कि गाँव वालों से कर वसूल करे। सभा कोटि के गाँव ब्रह्मदेय अर्थात् ब्राह्मणों को दिये जाते थे। ऐसे गाँवों पर अनुदान प्राप्तकर्त्ता व्यक्ति का अधिकार होता था। नगरम् में व्यापारियों और वाणिकों का मिला-जुला वास होता था और उन्हीं का प्रभाव होता था। अतः कथन (c) असत्य है, जबकि अन्य तीनों कथन सत्य हैं।
- राजा किसानों से नियमित कर लेता था। फसल के भूमि कर में लेने के अतिरिक्त राजा किसानों से अन्न, स्वर्ण, गुड़ आदि वस्तुएँ लेता था। इसके अतिरिक्त राजा को विष्टि अर्थात् बेगार का अधिकार था।
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Question 10 of 20
10. Question
1 pointsहर्ष के राज्य के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. यह थानेसर का शासक था।
2. उसने पाटलिपुत्र को अपनी राजधानी बनाया था।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः हर्ष हरियाणा स्थित थानेसर का शासक था। उसने अन्य सभी सामंतों पर प्रभुता स्थापित की। थानेसर स्थित हर्ष के टीलों की खुदाई में कुछ ईंटों की इमारतों से साक्ष्य मिले हैं। अतः कथन (1) सत्य है।
हर्ष ने कन्नौज को राजधानी बनाया, यहाँ से उसने चारों ओर अपना प्रभुत्व फैलाया। अतः कथन (2) असत्य है।
उल्लेखनीय है कि पाटलिपुत्र के पतन का एक महत्त्वपूर्ण कारण व्यापार में गिरावट था। व्यापार में गिरावट से मुद्रा की कमी हुई जिससे अधिकारियों व सैनिकों को नकद वेतन के बदले भूमि अनुदान दिया जाने लगा, त्यों ही नगर का महत्त्व समाप्त हो गया और वास्तविक शक्ति स्कन्धावारों अर्थात् फौजी पड़ावों में चली गई और बड़े भू-भाग पर प्रभुत्व रखने वाले सैनिकों का स्थान महत्त्वपूर्ण हो गया।Incorrect
व्याख्याः हर्ष हरियाणा स्थित थानेसर का शासक था। उसने अन्य सभी सामंतों पर प्रभुता स्थापित की। थानेसर स्थित हर्ष के टीलों की खुदाई में कुछ ईंटों की इमारतों से साक्ष्य मिले हैं। अतः कथन (1) सत्य है।
हर्ष ने कन्नौज को राजधानी बनाया, यहाँ से उसने चारों ओर अपना प्रभुत्व फैलाया। अतः कथन (2) असत्य है।
उल्लेखनीय है कि पाटलिपुत्र के पतन का एक महत्त्वपूर्ण कारण व्यापार में गिरावट था। व्यापार में गिरावट से मुद्रा की कमी हुई जिससे अधिकारियों व सैनिकों को नकद वेतन के बदले भूमि अनुदान दिया जाने लगा, त्यों ही नगर का महत्त्व समाप्त हो गया और वास्तविक शक्ति स्कन्धावारों अर्थात् फौजी पड़ावों में चली गई और बड़े भू-भाग पर प्रभुत्व रखने वाले सैनिकों का स्थान महत्त्वपूर्ण हो गया। -
Question 11 of 20
11. Question
1 pointsहर्ष के संबंध में निम्नलिखित कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?
1. चीनी यात्री ह्वेन-सांग उसके राज्य में 15 वर्षों तक रहा था।
2. बाणभट्ट उसका दरबारी कवि था।
3. उसको अंतिम हिंदू सम्राट कहा जाता है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनियेःCorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
- चीनी यात्री ह्वेन-सांग ईसा की सातवीं सदी में भारत आया और लगभग पंद्रह वर्ष तक रहा।
- बाणभट्ट हर्ष का दरबारी कवि था। हर्ष के शासन काल का आरंभिक इतिहास बाणभट्ट से ज्ञात होता है।
- हर्ष को भारत का अंतिम हिंदू सम्राट कहा गया है, लेकिन वह न तो कट्टर हिंदू था और न ही पूरे देश का शासक क्योंकि उसका राज्य कश्मीर को छोड़कर उत्तर-भारत तक सीमित था।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
- चीनी यात्री ह्वेन-सांग ईसा की सातवीं सदी में भारत आया और लगभग पंद्रह वर्ष तक रहा।
- बाणभट्ट हर्ष का दरबारी कवि था। हर्ष के शासन काल का आरंभिक इतिहास बाणभट्ट से ज्ञात होता है।
- हर्ष को भारत का अंतिम हिंदू सम्राट कहा गया है, लेकिन वह न तो कट्टर हिंदू था और न ही पूरे देश का शासक क्योंकि उसका राज्य कश्मीर को छोड़कर उत्तर-भारत तक सीमित था।
-
Question 12 of 20
12. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. हर्ष का पूर्वी भारत के राजा पुलकेशिन् से युद्ध हुआ।
2. इसका दक्षिण की ओर मुकाबला शैव राजा शशांक से भी हुआ।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन असत्य हैं।
- हर्ष का पूर्वी भारत में युद्ध गौड़ के शैव राजा शशांक से हुआ था। 619 ई. में शशांक की मृत्यु के साथ ही यह संघर्ष समाप्त हुआ।
- उसके दक्षिण की ओर विजय अभियान को नर्मदा के तट पर चालुक्य वंश के राजा पुलकेशिन् ने रोका। पुलकेशिन् आधुनिक कर्नाटक और महाराष्ट्र के बड़े भू-भाग पर शासन करता था।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन असत्य हैं।
- हर्ष का पूर्वी भारत में युद्ध गौड़ के शैव राजा शशांक से हुआ था। 619 ई. में शशांक की मृत्यु के साथ ही यह संघर्ष समाप्त हुआ।
- उसके दक्षिण की ओर विजय अभियान को नर्मदा के तट पर चालुक्य वंश के राजा पुलकेशिन् ने रोका। पुलकेशिन् आधुनिक कर्नाटक और महाराष्ट्र के बड़े भू-भाग पर शासन करता था।
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. हर्षचरित नामक पुस्तक की रचना हर्ष ने की थी।
2. चालुक्य राजा पुलकेशिन् की राजधानी बादामी थी।
3. हर्ष का प्रशासन गुप्त काल के समान था।
उपर्युक्त कथनों में कौन-से सत्य हैं?Correct
व्याख्याः
- ‘हर्षचरित’ नामक पुस्तक की रचना हर्ष के दरबारी कवि बाणभट्ट ने की थी। इससे हर्ष के शासन काल का आरंभिक इतिहास ज्ञात होता है। अतः कथन (1) असत्य है।
- चालुक्य राजा पुलकेशिन् की राजधानी कर्नाटक में आधुनिक बीजापुर जिले के बादामी में थी। अतः कथन (2) सत्य है।
- हर्ष की प्रशासन प्रणाली गुप्तों के समान थी। अंतर इतना था कि हर्ष का प्रशासन अधिक सामंतिक और विकेंद्रित था। अतः कथन (3) सत्य है।
Incorrect
व्याख्याः
- ‘हर्षचरित’ नामक पुस्तक की रचना हर्ष के दरबारी कवि बाणभट्ट ने की थी। इससे हर्ष के शासन काल का आरंभिक इतिहास ज्ञात होता है। अतः कथन (1) असत्य है।
- चालुक्य राजा पुलकेशिन् की राजधानी कर्नाटक में आधुनिक बीजापुर जिले के बादामी में थी। अतः कथन (2) सत्य है।
- हर्ष की प्रशासन प्रणाली गुप्तों के समान थी। अंतर इतना था कि हर्ष का प्रशासन अधिक सामंतिक और विकेंद्रित था। अतः कथन (3) सत्य है।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsसम्राट हर्ष ने बौद्ध धार्मिक सम्मेलनों का आयोजन किस स्थान पर करवाया?
Correct
व्याख्याः
- हर्ष आरंभिक जीवन में शैव था, परंतु धीरे-धीरे बौद्ध धर्म का महान संपोषक हो गया। उसने महायान के सिद्धांतों का प्रचार करने के लिये कन्नौज में एक विशाल सम्मेलन का आयोजन करवाया।
- कन्नौज के बाद उसने प्रयाग में भी महासम्मेलन का आयोजन करवाया।
Incorrect
व्याख्याः
- हर्ष आरंभिक जीवन में शैव था, परंतु धीरे-धीरे बौद्ध धर्म का महान संपोषक हो गया। उसने महायान के सिद्धांतों का प्रचार करने के लिये कन्नौज में एक विशाल सम्मेलन का आयोजन करवाया।
- कन्नौज के बाद उसने प्रयाग में भी महासम्मेलन का आयोजन करवाया।
-
Question 15 of 20
15. Question
1 pointsनिम्नलिखित में किसकी रचना हर्ष द्वारा की गई है?
Correct
व्याख्याः
- हर्ष द्वारा तीन नाटकों की रचना की थी- प्रियदर्शिका, रत्नावली और नागानंद |
- उल्लेखनीय है कि मध्यकाल के बहुत-से लेखकों का मानना है कि ये तीनों नाटक धावक नामक कवि ने हर्ष से पुरस्कार लेकर लिखे।
Incorrect
व्याख्याः
- हर्ष द्वारा तीन नाटकों की रचना की थी- प्रियदर्शिका, रत्नावली और नागानंद |
- उल्लेखनीय है कि मध्यकाल के बहुत-से लेखकों का मानना है कि ये तीनों नाटक धावक नामक कवि ने हर्ष से पुरस्कार लेकर लिखे।
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Question 16 of 20
16. Question
1 pointsहर्ष के प्रशासन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. इसने पदाधिकारियों को शासन-पत्र के द्वारा भूमि देने की प्रथा चलाई।
2. इसकी राजकीय आय चार भागों में बाँटी जाती थी।
3. इसके राज्य में सुदृढ़ विधि-व्यवस्था थी।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- हर्ष ने राज्य में पदाधिकारियों को शासन पत्र (सनद) के द्वारा ज़मीन देने की प्रथा चलाई। इसके साथ ही राज्य की समर्पित सेवाओं के लिये पुरोहितों को भूमिदान देने की परंपरा जारी रही। अतः कथन (1) सत्य है।
- हर्ष की राजकीय आय चार भागों में बाँटी जाती थी। एक भाग राजा के खर्च के लिये रखा जाता था, दूसरा भाग विद्वानों के खर्च के लिये, तीसरा भाग पदाधिकारियों और अमलों के बंदोबस्त के लिये और चौथा भाग धार्मिक कार्यों के लिये। अतः कथन (2) सत्य है।
- हर्ष के साम्राज्य में विधि-व्यवस्था अच्छी नहीं थी। ह्वेन-सांग की सुरक्षा प्रबंध राज्य द्वारा करने के बाद भी उसकी सम्पत्ति को डाकुओं ने छीन लिया था। अतः कथन (3) असत्य है।
Incorrect
व्याख्याः
- हर्ष ने राज्य में पदाधिकारियों को शासन पत्र (सनद) के द्वारा ज़मीन देने की प्रथा चलाई। इसके साथ ही राज्य की समर्पित सेवाओं के लिये पुरोहितों को भूमिदान देने की परंपरा जारी रही। अतः कथन (1) सत्य है।
- हर्ष की राजकीय आय चार भागों में बाँटी जाती थी। एक भाग राजा के खर्च के लिये रखा जाता था, दूसरा भाग विद्वानों के खर्च के लिये, तीसरा भाग पदाधिकारियों और अमलों के बंदोबस्त के लिये और चौथा भाग धार्मिक कार्यों के लिये। अतः कथन (2) सत्य है।
- हर्ष के साम्राज्य में विधि-व्यवस्था अच्छी नहीं थी। ह्वेन-सांग की सुरक्षा प्रबंध राज्य द्वारा करने के बाद भी उसकी सम्पत्ति को डाकुओं ने छीन लिया था। अतः कथन (3) असत्य है।
-
Question 17 of 20
17. Question
1 pointsनिम्नलिखित में कौन-सा/से चीनी यात्री ने बौद्ध शिक्षा केंद्र नालंदा की यात्रा की?
Correct
व्याख्याः
- ह्वेनसांग 629 ई. से लेकर 645 ई. तक भारत में रहा। वह नालंदा महाविहार अर्थात् बौद्ध विश्वविद्यालय में नालंदा में पढ़ने के लिये और भारत से बौद्ध ग्रंथ बटोर कर ले जाने के लिये आया था।
- चीनी यात्री इ-त्सिंग 670 ई. में नालंदा आया। उसके अनुसार नालंदा विश्वविद्यालय का भरण-पोषण दो सौ गाँवों के राजस्व से होता था।
Incorrect
व्याख्याः
- ह्वेनसांग 629 ई. से लेकर 645 ई. तक भारत में रहा। वह नालंदा महाविहार अर्थात् बौद्ध विश्वविद्यालय में नालंदा में पढ़ने के लिये और भारत से बौद्ध ग्रंथ बटोर कर ले जाने के लिये आया था।
- चीनी यात्री इ-त्सिंग 670 ई. में नालंदा आया। उसके अनुसार नालंदा विश्वविद्यालय का भरण-पोषण दो सौ गाँवों के राजस्व से होता था।
-
Question 18 of 20
18. Question
1 pointsकलिंग राज्य के संदर्भ में निम्नलिखत कथनों पर विचार कीजियेः1. यह महानदी के दक्षिण में उड़ीसा के समुद्र तट पर स्थित था।
2. इसका प्रसिद्ध राजा खारवेल था।
3. हाथी दाँत और मोती का व्यापार रोम राज्य के साथ होता था।
4. इसकी राजधानी कलिंग थी।
उपर्युक्त कथनों में कौन-से सत्य हैं?Correct
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
- कलिंग राज्य महानदी के दक्षिण में स्थित था। इसका उत्कर्ष अशोक के काल में हुआ था।
- कलिंग के राजा खारवेल ने सुदृढ़ राज्य की स्थापना की थी।
- उड़ीसा के बंदरगाहों से मोती, हाथी दाँत और मलमल का अच्छा व्यापार चलता था। खुदाई के दौरान रोम की बहुत-सी वस्तुएँ मिली हैं, इससे सिद्ध होता है कि कलिंग और रोम के मध्य व्यापारिक सम्बंध थे।
- कलिंग राज्य की राजधानी भुवनेश्वर से 60 किलोमीटर दूरी पर कलिंग नगरी थी।
Incorrect
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
- कलिंग राज्य महानदी के दक्षिण में स्थित था। इसका उत्कर्ष अशोक के काल में हुआ था।
- कलिंग के राजा खारवेल ने सुदृढ़ राज्य की स्थापना की थी।
- उड़ीसा के बंदरगाहों से मोती, हाथी दाँत और मलमल का अच्छा व्यापार चलता था। खुदाई के दौरान रोम की बहुत-सी वस्तुएँ मिली हैं, इससे सिद्ध होता है कि कलिंग और रोम के मध्य व्यापारिक सम्बंध थे।
- कलिंग राज्य की राजधानी भुवनेश्वर से 60 किलोमीटर दूरी पर कलिंग नगरी थी।
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Question 19 of 20
19. Question
1 pointsचौथी से छठी सदी तक उड़ीसा में स्थापित हुए राज्यों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण माठर वंश का राज्य था।
2. इनको पितृभक्त वंश भी कहते हैं।
3. वशिष्ठ वंश ने अग्रहार (न्यास परिषद) की स्थापना की थी।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- चौथी से छठी सदी तक उड़ीसा में स्थापित राज्यों में पाँच राज्यों की स्पष्ट पहचान की जा सकती है, उनमें माठर वंश का राज्य महत्त्वपूर्ण था। उनका राज्य महानदी और कृष्णा नदी के बीच फैला हुआ था। अतः कथन (1) सत्य है।
- माठर वंश को पितृभक्त वंश भी कहा जाता था। अतःकथन (2)सत्य है|
- उल्लेखनीय है कि वशिष्ठ, नल और मान वंश के राज्य माठर वंश के पड़ोसी और समकालीन थे। वशिष्ठ वंश का राजा दक्षिण कलिंग में आंध्र की सीमाओं पर था। नल वंश का राज्य महाकांतर के वन्य प्रदेश में और मान वंश का राज्य महानदी के पार उत्तर के समुद्र तटवर्ती क्षेत्र में था।
- माठरों ने एक प्रकार के न्यास स्थापित किये, जो अग्रहार कहलाते थे। इस न्यास में कुछ भूमि और गाँव वालों से प्राप्त होने वाली आय होती थी, इन अग्रहारों का उद्देश्य पठन-पाठन और धार्मिक अनुष्ठानों में लगे बाह्मणों का भरण-पोषण करना था। अतः कथन (3) असत्य है।
Incorrect
व्याख्याः
- चौथी से छठी सदी तक उड़ीसा में स्थापित राज्यों में पाँच राज्यों की स्पष्ट पहचान की जा सकती है, उनमें माठर वंश का राज्य महत्त्वपूर्ण था। उनका राज्य महानदी और कृष्णा नदी के बीच फैला हुआ था। अतः कथन (1) सत्य है।
- माठर वंश को पितृभक्त वंश भी कहा जाता था। अतःकथन (2)सत्य है|
- उल्लेखनीय है कि वशिष्ठ, नल और मान वंश के राज्य माठर वंश के पड़ोसी और समकालीन थे। वशिष्ठ वंश का राजा दक्षिण कलिंग में आंध्र की सीमाओं पर था। नल वंश का राज्य महाकांतर के वन्य प्रदेश में और मान वंश का राज्य महानदी के पार उत्तर के समुद्र तटवर्ती क्षेत्र में था।
- माठरों ने एक प्रकार के न्यास स्थापित किये, जो अग्रहार कहलाते थे। इस न्यास में कुछ भूमि और गाँव वालों से प्राप्त होने वाली आय होती थी, इन अग्रहारों का उद्देश्य पठन-पाठन और धार्मिक अनुष्ठानों में लगे बाह्मणों का भरण-पोषण करना था। अतः कथन (3) असत्य है।
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Question 20 of 20
20. Question
1 pointsनिम्नलिखित में किस राजवंश ने वर्ष को बारह चन्द्रमास में विभाजित किया था?
Correct
व्याख्याः
- माठरों ने पाँचवी सदी के मध्य से वर्ष को बारह चन्द्रमासों में विभाजित किया, इससे मौसम की सही प्रकार से जानकारी हुई जो कृषि-कार्यों में उपयोगी सिद्ध हुआ।
Incorrect
व्याख्याः
- माठरों ने पाँचवी सदी के मध्य से वर्ष को बारह चन्द्रमासों में विभाजित किया, इससे मौसम की सही प्रकार से जानकारी हुई जो कृषि-कार्यों में उपयोगी सिद्ध हुआ।