भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत टेस्ट 6
भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत टेस्ट 6
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Information
इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न कक्षा 11 की पुस्तक भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत (एन.सी.ई.आर.टी.) पर आधारित है| यदि आप ‘भौतिक भूगोल’ विषय की अधिक जानकारी नहीं रखते है तो इस टेस्ट को देने से पहले आप पुस्तक का रिविजन अवश्य करें|
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Question 1 of 20
1. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन की अपेक्षा अधिक ऊँचाई पर पाई जाती है।
2. कार्बन डाइऑक्साइड सौर विकिरण के लिये पारदर्शी एवं पार्थिव विकिरण के लिये अपारदर्शी है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। ऑक्सीजन वायुमंडल में पृथ्वी की सतह से 120 किमी. ऊँचाई तक पाई जाती है जबकि कार्बन डाइऑक्साइड पृथ्वी की सतह से 90 किमी. की ऊँचाई तक ही पाई जाती है।
- दूसरा कथन सत्य है। कार्बन डाइऑक्साइड गैस सौर विकिरण के लिये पारदर्शी है, लेकिन पार्थिव विकिरण के लिये अपारदर्शी है। यह सौर विकिरण के एक अंश को सोख लेती है तथा इसके कुछ भाग को पृथ्वी की सतह की ओर परावर्तित कर देती है।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। ऑक्सीजन वायुमंडल में पृथ्वी की सतह से 120 किमी. ऊँचाई तक पाई जाती है जबकि कार्बन डाइऑक्साइड पृथ्वी की सतह से 90 किमी. की ऊँचाई तक ही पाई जाती है।
- दूसरा कथन सत्य है। कार्बन डाइऑक्साइड गैस सौर विकिरण के लिये पारदर्शी है, लेकिन पार्थिव विकिरण के लिये अपारदर्शी है। यह सौर विकिरण के एक अंश को सोख लेती है तथा इसके कुछ भाग को पृथ्वी की सतह की ओर परावर्तित कर देती है।
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Question 2 of 20
2. Question
1 pointsजलवाष्प के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
Correct
व्याख्याः पहला कथन असत्य है। जलवाष्प वायुमंडल में उपस्थित ऐसी परिवर्तनीय गैस है जो ऊँचाई के साथ घटती जाती है। गर्म तथा आर्द्र उष्ण कटिबंध में यह हवा के आयतन का 4 प्रतिशत होती है, जबकि ध्रुवों जैसे ठंडे तथा रेगिस्तानी शुष्क प्रदेशों में यह हवा के आयतन के 1 प्रतिशत भाग से भी कम होती है।
Incorrect
व्याख्याः पहला कथन असत्य है। जलवाष्प वायुमंडल में उपस्थित ऐसी परिवर्तनीय गैस है जो ऊँचाई के साथ घटती जाती है। गर्म तथा आर्द्र उष्ण कटिबंध में यह हवा के आयतन का 4 प्रतिशत होती है, जबकि ध्रुवों जैसे ठंडे तथा रेगिस्तानी शुष्क प्रदेशों में यह हवा के आयतन के 1 प्रतिशत भाग से भी कम होती है।
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Question 3 of 20
3. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. वायुमंडल में धूलकणों का सबसे अधिक जमाव उपोष्ण और शीतोष्ण प्रदेशों में होता है।
2. धूल और नमक के कण आर्द्रताग्राही केंद्र की तरह कार्य करते हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- वायुमंडल में छोटे-छोटे ठोस कणों को भी रखने की क्षमता होती है। ये छोटे कण विभिन्न स्रोतों जैसे- समुद्री नमक, महीन मिट्टी, धुएँ की कालिमा, राख, पराग, धूल तथा उल्काओं के टूटे हुए कण से निकलते हैं। धूलकणों का सबसे अधिक जमाव उपोष्ण और शीतोष्ण प्रदेशों में सूखी हवा के कारण होता है, जो विषुवत् और ध्रुवीय प्रदेशों की तुलना में यहाँ अधिक मात्रा में होते हैं।
- धूल और नमक के कण आर्द्रताग्राही केंद्र की तरह कार्य करते हैं जिसके चारों ओर जलवाष्प संघनित होकर मेघों का निर्माण करती है।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- वायुमंडल में छोटे-छोटे ठोस कणों को भी रखने की क्षमता होती है। ये छोटे कण विभिन्न स्रोतों जैसे- समुद्री नमक, महीन मिट्टी, धुएँ की कालिमा, राख, पराग, धूल तथा उल्काओं के टूटे हुए कण से निकलते हैं। धूलकणों का सबसे अधिक जमाव उपोष्ण और शीतोष्ण प्रदेशों में सूखी हवा के कारण होता है, जो विषुवत् और ध्रुवीय प्रदेशों की तुलना में यहाँ अधिक मात्रा में होते हैं।
- धूल और नमक के कण आर्द्रताग्राही केंद्र की तरह कार्य करते हैं जिसके चारों ओर जलवाष्प संघनित होकर मेघों का निर्माण करती है।
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Question 4 of 20
4. Question
1 pointsवायुमंडल को पाँच विभिन्न स्तरों में बाँटने का आधार है-
Correct
व्याख्याः तापमान की स्थिति के अनुसार वायुमंडल को पाँच विभिन्न संस्तरों में बाँटा गया है। ये हैं: क्षोभमंडल, समताप मंडल, मध्यमंडल, बाह्य वायुमंडल तथा बहिर्मंडल।
Incorrect
व्याख्याः तापमान की स्थिति के अनुसार वायुमंडल को पाँच विभिन्न संस्तरों में बाँटा गया है। ये हैं: क्षोभमंडल, समताप मंडल, मध्यमंडल, बाह्य वायुमंडल तथा बहिर्मंडल।
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Question 5 of 20
5. Question
1 pointsकथनः क्षोभमंडल की ऊँचाई विषुवत् वृत्त पर सबसे अधिक है।
कारणः विषुवत् वृत्त पर वायु का प्रवाह तेज़ होता है।
कूटःCorrect
व्याख्याः क्षोभमंडल वायुमंडल का सबसे नीचे का संस्तर है। इसकी ऊँचाई सतह से लगभग 13 किमी. तक है तथा यह ध्रुवों के निकट 8 किमी. तथा विषुवत् वृत्त पर 18 किमी. की ऊँचाई तक है। क्षोभमंडल की मोटाई विषुवत् वृत्त पर सबसे अधिक है, क्योंकि तेज़ वायु प्रवाह के कारण ताप का अधिक ऊँचाई तक संवहन होता है।
Incorrect
व्याख्याः क्षोभमंडल वायुमंडल का सबसे नीचे का संस्तर है। इसकी ऊँचाई सतह से लगभग 13 किमी. तक है तथा यह ध्रुवों के निकट 8 किमी. तथा विषुवत् वृत्त पर 18 किमी. की ऊँचाई तक है। क्षोभमंडल की मोटाई विषुवत् वृत्त पर सबसे अधिक है, क्योंकि तेज़ वायु प्रवाह के कारण ताप का अधिक ऊँचाई तक संवहन होता है।
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Question 6 of 20
6. Question
1 pointsनीचे दिये गए कथनों को ध्यानपूर्वक पढ़िये:
1. इस संस्तर में धूलकण तथा जलवाष्प मौजूद होते हैं।
2. इस संस्तर में मौसम में परिवर्तन होता है।
3. जैविक क्रिया के लिये यह संस्तर सबसे महत्त्वपूर्ण है।
उपरोक्त कथन संबंधित है-Correct
व्याख्याः क्षोभमंडल में धूलकण तथा जलवाष्प मौजूद होते हैं। मौसम में परिवर्तन इसी संस्तर में होता है। इस संस्तर में प्रत्येक 165 मीटर की ऊँचाई पर तापमान 1º सेंटीग्रेड घटता जाता है। जैविक क्रिया के लिये यह सबसे महत्त्वपूर्ण संस्तर है।
Incorrect
व्याख्याः क्षोभमंडल में धूलकण तथा जलवाष्प मौजूद होते हैं। मौसम में परिवर्तन इसी संस्तर में होता है। इस संस्तर में प्रत्येक 165 मीटर की ऊँचाई पर तापमान 1º सेंटीग्रेड घटता जाता है। जैविक क्रिया के लिये यह सबसे महत्त्वपूर्ण संस्तर है।
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Question 7 of 20
7. Question
1 pointsओज़ोन परत पाई जाती है-
Correct
व्याख्याः ओज़ोन परत समताप मंडल में पाई जाती है। यह परत पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर पृथ्वी को ऊर्जा के तीव्र तथा हानिकारक तत्त्वों से बचाती है।
Incorrect
व्याख्याः ओज़ोन परत समताप मंडल में पाई जाती है। यह परत पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर पृथ्वी को ऊर्जा के तीव्र तथा हानिकारक तत्त्वों से बचाती है।
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Question 8 of 20
8. Question
1 pointsवायुमंडल की किस परत से पृथ्वी के द्वारा भेजी गई रेडियो तरंगें, वापस पृथ्वी पर लौट आती हैं?
Correct
व्याख्याः आयनमंडल, मध्यमंडल के ऊपर 80 से 400 किलोमीटर के बीच स्थित होता है। इसमें विद्युत आवेशित कण पाए जाते हैं, जिन्हें आयन कहते हैं। इसलिये इसे आयनमंडल के नाम से जाना जाता है। पृथ्वी के द्वारा भेजी गई रेडियो तरंगें इस संस्तर के द्वारा वापस पृथ्वी पर लौट आती हैं।
Incorrect
व्याख्याः आयनमंडल, मध्यमंडल के ऊपर 80 से 400 किलोमीटर के बीच स्थित होता है। इसमें विद्युत आवेशित कण पाए जाते हैं, जिन्हें आयन कहते हैं। इसलिये इसे आयनमंडल के नाम से जाना जाता है। पृथ्वी के द्वारा भेजी गई रेडियो तरंगें इस संस्तर के द्वारा वापस पृथ्वी पर लौट आती हैं।
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Question 9 of 20
9. Question
1 pointsपृथ्वी के वायुमंडल को पाँच विभिन्न संस्तरों में बाँटा गया है। किन संस्तरों में ऊँचाई में वृद्धि के साथ तापमान में भी वृद्धि होती है?
1. क्षोभमंडल
2. समताप मंडल
3. मध्यमंडल
4. आयनमंडल
कूटःCorrect
व्याख्याः
- क्षोभमंडल व मध्यमंडल में ऊँचाई बढ़ने के साथ तापमान में वृद्धि नहीं,बल्कि कमी होती है।
- समाताप मंडल, आयनमंडल तथा बहिर्मंडल में ऊँचाई बढ़ने के साथ तापमान में वृद्धि होती है।
Incorrect
व्याख्याः
- क्षोभमंडल व मध्यमंडल में ऊँचाई बढ़ने के साथ तापमान में वृद्धि नहीं,बल्कि कमी होती है।
- समाताप मंडल, आयनमंडल तथा बहिर्मंडल में ऊँचाई बढ़ने के साथ तापमान में वृद्धि होती है।
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Question 10 of 20
10. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-से अपरदनकारी व निक्षेपणकारी दोनों कारक हैं?
1. प्रवाहित जल
2. भूमिगत जल
3. हिमनद
4. पवन
कूटःCorrect
व्याख्याः भूतल पर परिवर्तन अनेक भू-आकृतिक कारकों के द्वारा किये गए अपरदन से होता है। निक्षेपण की प्रक्रिया बेसिनों, घाटियों व निचले स्थलरूपों को भर कर धरातलीय स्वरूप को परिवर्तित करती है। अपरदन के पश्चात् निक्षेपण होता है और निक्षेपित तल फिर से अपरदित होते हैं। प्रवाहित जल, भूतिगत जल, हिमनद, पवनें व समुद्री तरंगें प्रबल अपरदनकारी व निक्षेपणकारी कारक हैं जिनके साथ अपक्षय व बृहत् क्षरण भी सहायक होकर भूतल को आकार देते हैं और बदलते हैं। ये भू-आकृतिक कारक लंबे समय तक कार्य करते हुए क्रमबद्ध बदलाव लाते हैं। जिसके परिणामस्वरूप स्थल रूपों का क्रमिक विकास होता है।
Incorrect
व्याख्याः भूतल पर परिवर्तन अनेक भू-आकृतिक कारकों के द्वारा किये गए अपरदन से होता है। निक्षेपण की प्रक्रिया बेसिनों, घाटियों व निचले स्थलरूपों को भर कर धरातलीय स्वरूप को परिवर्तित करती है। अपरदन के पश्चात् निक्षेपण होता है और निक्षेपित तल फिर से अपरदित होते हैं। प्रवाहित जल, भूतिगत जल, हिमनद, पवनें व समुद्री तरंगें प्रबल अपरदनकारी व निक्षेपणकारी कारक हैं जिनके साथ अपक्षय व बृहत् क्षरण भी सहायक होकर भूतल को आकार देते हैं और बदलते हैं। ये भू-आकृतिक कारक लंबे समय तक कार्य करते हुए क्रमबद्ध बदलाव लाते हैं। जिसके परिणामस्वरूप स्थल रूपों का क्रमिक विकास होता है।
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Question 11 of 20
11. Question
1 pointsनदियों द्वारा प्रवाहित जल की किस अवस्था में अधोमुखी कटाव के द्वारा जलप्रपात व सोपानी जलप्रपात लुप्त हो जाते हैं?
Correct
व्याख्याः नदियों द्वारा प्रवाहित जल की प्रारंभिक अवस्थाओं (तरुणावस्था) में अधोमुखी कटाव अधिक होता है जिससे अनियमितताएँ, जैसे- जलप्रपात व सोपानी जलप्रपात आदि लुप्त हो जाते हैं।
Incorrect
व्याख्याः नदियों द्वारा प्रवाहित जल की प्रारंभिक अवस्थाओं (तरुणावस्था) में अधोमुखी कटाव अधिक होता है जिससे अनियमितताएँ, जैसे- जलप्रपात व सोपानी जलप्रपात आदि लुप्त हो जाते हैं।
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Question 12 of 20
12. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से किस भू-आकृतिक निर्माण के कारक के द्वारा सम्प्राय मैदान का विकास होता है?
Correct
व्याख्याः आर्द्र प्रदेशों में, जहाँ अत्यधिक वर्षा होती है, प्रवाहित जल सबसे महत्त्वपूर्ण भू-आकृतिक कारक है, जो धरातल के निम्नीकरण के लिये उत्तरदायी है। प्रवाहित जल की प्रारंभिक अवस्थाओं में अधोमुखी कटाव अधिक होता है, मध्यावस्था में, सरिताएँ नदी तल में धीमा कटाव करती हैं और घाटियों में पार्श्व अपरदन अधिक होता है। कालांतर में, घाटियों के किनारों की ढाल मंद होती जाती है। इसी प्रकार अपवाह बेसिन के मध्य विभाजक तब तक निम्न होते जाते हैं, जब तक ये पूर्णतः समतल नही हो जाते और अंततः एक धीमे उच्चावच का निर्माण होता है, जिसमें यत्र-तत्र अवरोधी चट्टानों के अवशेष दिखाई देते हैं जिन्हें मोनाडनोक (Monadanox) कहते हैं। नदी द्वारा निर्मित इस प्रकार के मैदान, सम्प्राय मैदान या पेनीप्लेन (Peneplain) कहलाते हैं।
Incorrect
व्याख्याः आर्द्र प्रदेशों में, जहाँ अत्यधिक वर्षा होती है, प्रवाहित जल सबसे महत्त्वपूर्ण भू-आकृतिक कारक है, जो धरातल के निम्नीकरण के लिये उत्तरदायी है। प्रवाहित जल की प्रारंभिक अवस्थाओं में अधोमुखी कटाव अधिक होता है, मध्यावस्था में, सरिताएँ नदी तल में धीमा कटाव करती हैं और घाटियों में पार्श्व अपरदन अधिक होता है। कालांतर में, घाटियों के किनारों की ढाल मंद होती जाती है। इसी प्रकार अपवाह बेसिन के मध्य विभाजक तब तक निम्न होते जाते हैं, जब तक ये पूर्णतः समतल नही हो जाते और अंततः एक धीमे उच्चावच का निर्माण होता है, जिसमें यत्र-तत्र अवरोधी चट्टानों के अवशेष दिखाई देते हैं जिन्हें मोनाडनोक (Monadanox) कहते हैं। नदी द्वारा निर्मित इस प्रकार के मैदान, सम्प्राय मैदान या पेनीप्लेन (Peneplain) कहलाते हैं।
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Question 13 of 20
13. Question
1 pointsप्रवाहित जल से निर्मित प्रत्येक अवस्था की स्थलरूप संबंधी विशेषताओं के संबंध में कौन-सा/से युग्म सही सुमेलित है/हैं?
1. युवावस्था – उथली V-आकार की घाटी
2. प्रौढ़ावस्था – प्राकृतिक तटबंध
3. वृद्धावस्था – गोखुर झील
कूटःCorrect
व्याख्याः केवल (1) और (3) युग्म सही सुमेलित हैं।
- युवावस्था में नदियाँ उथली V-आकार की घाटी बनाती हैं जिनमें बाढ़ के मैदान लगभग अनुपस्थित या संकरें बाढ़ के मैदान मुख्य नदी के साथ-साथ पाए जाते हैं। जल विभाजक अत्यधिक चौड़े व समतल होते हैं, जिनमें दलदल व झीलें होती हैं।
- प्रौढ़ावस्था में नदियों में जल की मात्रा अधिक होती है और सहायक नदियाँ भी इसमें आकर मिलती हैं। नदी घाटियाँ V-आकार की होती हैं लेकिन गहरी होती हैं। मुख्य नदी के व्यापक और विस्तृत होने से विस्तृत बाढ़ के मैदान बन जाते हैं, जिसमें घाटी के भीतर ही नदी विसर्प बनाती हुई प्रवाहित होती है। इस अवस्था में नदियों के द्वारा प्राकृतिक तटबंध का निर्माण नहीं किया जाता।
- वृद्धावस्था में छोटी सहायक नदियाँ कम होती हैं और ढाल मंद होता है। नदियाँ स्वतंत्र रूप से विस्तृत बाढ़ के मैदानों में बहती हुई नदी विसर्प, प्राकृतिक तटबंध, गोखुर झील आदि बनाती हैं। विभाजक विस्तृत तथा समतल होते हैं जिनमें झील, दलदल पाए जाते हैं।
Incorrect
व्याख्याः केवल (1) और (3) युग्म सही सुमेलित हैं।
- युवावस्था में नदियाँ उथली V-आकार की घाटी बनाती हैं जिनमें बाढ़ के मैदान लगभग अनुपस्थित या संकरें बाढ़ के मैदान मुख्य नदी के साथ-साथ पाए जाते हैं। जल विभाजक अत्यधिक चौड़े व समतल होते हैं, जिनमें दलदल व झीलें होती हैं।
- प्रौढ़ावस्था में नदियों में जल की मात्रा अधिक होती है और सहायक नदियाँ भी इसमें आकर मिलती हैं। नदी घाटियाँ V-आकार की होती हैं लेकिन गहरी होती हैं। मुख्य नदी के व्यापक और विस्तृत होने से विस्तृत बाढ़ के मैदान बन जाते हैं, जिसमें घाटी के भीतर ही नदी विसर्प बनाती हुई प्रवाहित होती है। इस अवस्था में नदियों के द्वारा प्राकृतिक तटबंध का निर्माण नहीं किया जाता।
- वृद्धावस्था में छोटी सहायक नदियाँ कम होती हैं और ढाल मंद होता है। नदियाँ स्वतंत्र रूप से विस्तृत बाढ़ के मैदानों में बहती हुई नदी विसर्प, प्राकृतिक तटबंध, गोखुर झील आदि बनाती हैं। विभाजक विस्तृत तथा समतल होते हैं जिनमें झील, दलदल पाए जाते हैं।
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Question 14 of 20
14. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सी स्थलाकृतियाँ नदियों द्वारा अपरदन के फलस्वरूप बनीं हैं?
1. गॉर्ज
2. गभीरभूत विसर्प
3. कैनियन
4. नदी वेदिकाएँ
कूटःCorrect
व्याख्याः नदियों द्वारा अपरदन के फलस्वरूप बनने वाली स्थलाकृतियाँ, हैं- घाटियाँ (V-आकार घाटी, गॉर्ज, कैनियन), जलगर्तिका तथा अवनमित कुंड, अंधः कर्तित विसर्प या गभीरभूत विसर्प तथा नदी वेदिकाएँ।
Incorrect
व्याख्याः नदियों द्वारा अपरदन के फलस्वरूप बनने वाली स्थलाकृतियाँ, हैं- घाटियाँ (V-आकार घाटी, गॉर्ज, कैनियन), जलगर्तिका तथा अवनमित कुंड, अंधः कर्तित विसर्प या गभीरभूत विसर्प तथा नदी वेदिकाएँ।
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Question 15 of 20
15. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सा कथन जलगर्तिका (Potholes) को परिभाषित करता है?
Correct
व्याख्याःपहाड़ी क्षेत्रों में नदी तल में अपरदित छोटे चट्टानी टुकड़े छोटे गर्तों में फँसकर वृत्ताकार रूप में घूमते हैं जिन्हें जलगर्तिका कहते हैं। एक बार छोटे व उथले गर्तों के बन जाने पर कंकड़, पत्थर व गोलाश्म इन गर्तों में एकत्रित हो जाते हैं और प्रवाहित जल के साथ घूमते हैं और धीरे-धीरे इन गर्तों का आकार बढ़ता जाता है। ये गर्त आपस में मिल जाते हैं और कालांतर में नदी घाटी गहरी होती जाती है।
Incorrect
व्याख्याःपहाड़ी क्षेत्रों में नदी तल में अपरदित छोटे चट्टानी टुकड़े छोटे गर्तों में फँसकर वृत्ताकार रूप में घूमते हैं जिन्हें जलगर्तिका कहते हैं। एक बार छोटे व उथले गर्तों के बन जाने पर कंकड़, पत्थर व गोलाश्म इन गर्तों में एकत्रित हो जाते हैं और प्रवाहित जल के साथ घूमते हैं और धीरे-धीरे इन गर्तों का आकार बढ़ता जाता है। ये गर्त आपस में मिल जाते हैं और कालांतर में नदी घाटी गहरी होती जाती है।
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Question 16 of 20
16. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सी स्थलाकृतियाँ नदियों के द्वारा निक्षेपित पदार्थों से बनी हैं?
1. जलोढ़ पंख
2. डेल्टा
3. प्राकृतिक तटबंध
4. नदी वेदिकाएँ
कूटःCorrect
व्याख्याः
- नदियों द्वारा निक्षेपित पदार्थों के द्वारा निर्मित स्थलस्वरूप निम्न हैं- जलोढ़ पंख, डेल्टा, बाढ़ मैदान, प्राकृतिक तटबंध, विसर्पी रोधिका तथा नदी विसर्प।
- नदी वेदिकाएँ मुख्यतः नदियों के अपरदन के फलस्वरूप निर्मित स्थलाकृति है, क्योंकि ये निक्षेपित बाढ़ मैदानों के लंबवत् अपरदन से निर्मित होती हैं।
Incorrect
व्याख्याः
- नदियों द्वारा निक्षेपित पदार्थों के द्वारा निर्मित स्थलस्वरूप निम्न हैं- जलोढ़ पंख, डेल्टा, बाढ़ मैदान, प्राकृतिक तटबंध, विसर्पी रोधिका तथा नदी विसर्प।
- नदी वेदिकाएँ मुख्यतः नदियों के अपरदन के फलस्वरूप निर्मित स्थलाकृति है, क्योंकि ये निक्षेपित बाढ़ मैदानों के लंबवत् अपरदन से निर्मित होती हैं।
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Question 17 of 20
17. Question
1 pointsगुम्फित नदी प्रारूप के विकास के लिये कौन-सी दशाएँ आवश्यक हैं?
1. नदी तट पर अपरदन एवं निक्षेपण।
2. नदी में जल की मात्रा।
3. नदी में जलोढ़ की अधिक मात्रा ।
कूटःCorrect
व्याख्याः गुम्फित नदी प्रारूप के लिये तटों पर अपरदन व निक्षेप आवश्यक है या जब नदी में जल की मात्रा कम तथा जलोढ़ अधिक हो जाएँ, तब चैनल में ही रेत, मिट्टी, बजरी आदि की लंबी अवरोधिकाओं का जमाव हो जाता है और नदी चैनल कई जल वितरिकाओं में बँट जाता है जल प्रवाह की ये वितरिकाएँ आपस में मिल जाती हैं और फिर पतली-पतली उपधाराओं में बँट जाती हैं। इस प्रकार एक गुम्फित नदी प्रारूप का विकास होता है।
Incorrect
व्याख्याः गुम्फित नदी प्रारूप के लिये तटों पर अपरदन व निक्षेप आवश्यक है या जब नदी में जल की मात्रा कम तथा जलोढ़ अधिक हो जाएँ, तब चैनल में ही रेत, मिट्टी, बजरी आदि की लंबी अवरोधिकाओं का जमाव हो जाता है और नदी चैनल कई जल वितरिकाओं में बँट जाता है जल प्रवाह की ये वितरिकाएँ आपस में मिल जाती हैं और फिर पतली-पतली उपधाराओं में बँट जाती हैं। इस प्रकार एक गुम्फित नदी प्रारूप का विकास होता है।
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Question 18 of 20
18. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. प्राकृतिक तटबंध स्थलरूप का संबंध बाढ़ के मैदान से है।
2. बाढ़ व डेल्टाई मैदानों में नदियों द्वारा विकसित लूप को विसर्प कहा जाता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- प्राकृतिक तटबंध और विसर्पी रोधिका आदि कुछ महत्त्वपूर्ण स्थलरूप हैं जो बाढ़ के मैदानों से संबंधित हैं। प्राकृतिक तटबंध बड़ी नदियों के किनारे पर पाए जाते हैं। बाढ़ के दौरान जब जल तटों पर फैलता है, तो जल का वेग कम होने के कारण बड़े आकार का मलबा नदी के पार्श्व तटों पर लंबे कटकों के रूप में जमा हो जाता है। प्राकृतिक तटबंध नदी के साथ ऊँचे और नदी से दूर मंद ढाल वाले होते हैं। जब नदी का जल कम हो जाता है या नदी क्षैतिज अवस्था में अपना मार्ग बदलती है तो यह क्रमबद्ध प्राकृतिक तटबंध बनाती है।
- विस्तृत बाढ व डेल्टा मैदानों में नदियाँ शायद ही सीधे मार्गों में बहती होंगी। बाढ़ या डेल्टाई मैदानों पर लूप जैसे चैनल प्रारूप विकसित होते हैं- जिन्हें विसर्प कहा जाता है। विसर्प एक स्थलरूप न होकर एक प्रकार का चैनल प्रारूप है।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- प्राकृतिक तटबंध और विसर्पी रोधिका आदि कुछ महत्त्वपूर्ण स्थलरूप हैं जो बाढ़ के मैदानों से संबंधित हैं। प्राकृतिक तटबंध बड़ी नदियों के किनारे पर पाए जाते हैं। बाढ़ के दौरान जब जल तटों पर फैलता है, तो जल का वेग कम होने के कारण बड़े आकार का मलबा नदी के पार्श्व तटों पर लंबे कटकों के रूप में जमा हो जाता है। प्राकृतिक तटबंध नदी के साथ ऊँचे और नदी से दूर मंद ढाल वाले होते हैं। जब नदी का जल कम हो जाता है या नदी क्षैतिज अवस्था में अपना मार्ग बदलती है तो यह क्रमबद्ध प्राकृतिक तटबंध बनाती है।
- विस्तृत बाढ व डेल्टा मैदानों में नदियाँ शायद ही सीधे मार्गों में बहती होंगी। बाढ़ या डेल्टाई मैदानों पर लूप जैसे चैनल प्रारूप विकसित होते हैं- जिन्हें विसर्प कहा जाता है। विसर्प एक स्थलरूप न होकर एक प्रकार का चैनल प्रारूप है।
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Question 19 of 20
19. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से किन प्रदेशों में रासायनिक अपक्षय प्रक्रिया यांत्रिक अपक्षय प्रक्रिया की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली होती है?
Correct
व्याख्याः चूना-पत्थर या डोलोमाइट, जिनमें कैल्शियम कार्बोनेट की प्रधानता होती है, उनमें धरातलीय या भौम जल, रासायनिक प्रक्रिया के द्वारा (घोलीकरण व अवक्षेपण) अनेक स्थलरूपों को विकसित करते हैं।
Incorrect
व्याख्याः चूना-पत्थर या डोलोमाइट, जिनमें कैल्शियम कार्बोनेट की प्रधानता होती है, उनमें धरातलीय या भौम जल, रासायनिक प्रक्रिया के द्वारा (घोलीकरण व अवक्षेपण) अनेक स्थलरूपों को विकसित करते हैं।
-
Question 20 of 20
20. Question
1 pointsकार्स्ट स्थलाकृतियों (Karst topography) का निर्माण होता है-
Correct
व्याख्याः किसी भी चूना-पत्थर या डोलोमाइट चट्टानों के क्षेत्र में भौम जल द्वारा घुलनप्रक्रिया और उसके निक्षेपण प्रक्रिया से बने स्थलरूपों को कार्स्ट स्थलाकृति (Karst topography) का नाम दिया गया है। यह नाम एड्रियाटिक सागर के साथ बालकन कार्स्ट क्षेत्र में उपस्थित लाइमस्टोन चट्टानों पर विकसित स्थलाकृतियों पर आधारित है। अपरदनात्मक तथा निक्षेपणात्मक-दोनों प्रकार के स्थलरूप कार्स्ट स्थलाकृतियों की विशेषताएँ हैं।
Incorrect
व्याख्याः किसी भी चूना-पत्थर या डोलोमाइट चट्टानों के क्षेत्र में भौम जल द्वारा घुलनप्रक्रिया और उसके निक्षेपण प्रक्रिया से बने स्थलरूपों को कार्स्ट स्थलाकृति (Karst topography) का नाम दिया गया है। यह नाम एड्रियाटिक सागर के साथ बालकन कार्स्ट क्षेत्र में उपस्थित लाइमस्टोन चट्टानों पर विकसित स्थलाकृतियों पर आधारित है। अपरदनात्मक तथा निक्षेपणात्मक-दोनों प्रकार के स्थलरूप कार्स्ट स्थलाकृतियों की विशेषताएँ हैं।
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