आधुनिक भारत टेस्ट 12
आधुनिक भारत टेस्ट 12
Quiz-summary
0 of 20 questions completed
Questions:
- 1
- 2
- 3
- 4
- 5
- 6
- 7
- 8
- 9
- 10
- 11
- 12
- 13
- 14
- 15
- 16
- 17
- 18
- 19
- 20
Information
इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न एन.सी.ई.आर.टी. पर आधारित है|
You have already completed the quiz before. Hence you can not start it again.
Quiz is loading...
You must sign in or sign up to start the quiz.
You have to finish following quiz, to start this quiz:
Results
0 of 20 questions answered correctly
Your time:
Time has elapsed
You have reached 0 of 0 points, (0)
Average score |
|
Your score |
|
Categories
- Not categorized 0%
- 1
- 2
- 3
- 4
- 5
- 6
- 7
- 8
- 9
- 10
- 11
- 12
- 13
- 14
- 15
- 16
- 17
- 18
- 19
- 20
- Answered
- Review
-
Question 1 of 20
1. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. पुर्तगालियों ने जब गोवा पर अधिकार किया, तब वायसराय अलफांसो-डी-अलबुकर्क था।
2. 16वीं सदी के आरंभ में पुर्तगालियों ने फारस में स्थित हरमुज़ से लेकर मलाया में स्थित मलक्का तक एशिया के पूरे समुद्र तट पर कब्ज़ा कर लिया था।
3. दक्षिण भारत के तटीय क्षेत्रों में कब्ज़ा करने के कारण पुर्तगालियों को मुगलों के साथ संघर्ष करना पड़ा।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पुर्तगालियों ने 1510 में गोवा पर अधिकार कर लिया, तब उस समय वायसराय अलफांसो-डि-अलबुकर्क था।
- इस समय फारस की खाड़ी में स्थित हरमुज से लेकर मलाया में स्थित मलक्का और इंडोनेशिया के स्पाइस आइलैंड तक एशिया के पूरे समुद्र तट पर पुर्तगालियों ने अधिकार जमा लिया।
- पुर्तगालियों ने भारत के तटीय क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया था। चूँकि दक्षिण भारत मुगल साम्राज्य से बाहर था, इसलिये मुगलों की ताकत का सामना उनकों नहीं करना पड़ा।
Incorrect
व्याख्याः
- पुर्तगालियों ने 1510 में गोवा पर अधिकार कर लिया, तब उस समय वायसराय अलफांसो-डि-अलबुकर्क था।
- इस समय फारस की खाड़ी में स्थित हरमुज से लेकर मलाया में स्थित मलक्का और इंडोनेशिया के स्पाइस आइलैंड तक एशिया के पूरे समुद्र तट पर पुर्तगालियों ने अधिकार जमा लिया।
- पुर्तगालियों ने भारत के तटीय क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया था। चूँकि दक्षिण भारत मुगल साम्राज्य से बाहर था, इसलिये मुगलों की ताकत का सामना उनकों नहीं करना पड़ा।
-
Question 2 of 20
2. Question
1 points16 वीं सदी के यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों के संघर्ष के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
Correct
व्याख्याः
- 16 वीं सदी के उत्तरार्द्ध में इंग्लैंड, हॉलैंड और फ्राँस जैसी उभरती हुई व्यापारिक शक्तियों ने विश्व व्यापार पर स्पेनी और पुर्तगाली एकाधिकार के खिलाफ एक कड़ा संघर्ष छेड़ दिया। इस संघर्ष में स्पेन और पुर्तगाल की हार हुई।
- दूसरा कथन गलत है। इंडोनेशिया पर डच व्यापारियों का अधिकार हो गया। डचों की खास दिलचस्पी भारत में नहीं बल्कि इंडोनेशिया के जावा, सुमात्रा और स्पाइस आईलैंड जैसे द्वीपों में थी, जहाँ मसाले खूब पैदा होते थे।
- भारत, श्रीलंका और मलाया पर अंग्रेज़ों का अधिकार स्थापित हुआ।
Incorrect
व्याख्याः
- 16 वीं सदी के उत्तरार्द्ध में इंग्लैंड, हॉलैंड और फ्राँस जैसी उभरती हुई व्यापारिक शक्तियों ने विश्व व्यापार पर स्पेनी और पुर्तगाली एकाधिकार के खिलाफ एक कड़ा संघर्ष छेड़ दिया। इस संघर्ष में स्पेन और पुर्तगाल की हार हुई।
- दूसरा कथन गलत है। इंडोनेशिया पर डच व्यापारियों का अधिकार हो गया। डचों की खास दिलचस्पी भारत में नहीं बल्कि इंडोनेशिया के जावा, सुमात्रा और स्पाइस आईलैंड जैसे द्वीपों में थी, जहाँ मसाले खूब पैदा होते थे।
- भारत, श्रीलंका और मलाया पर अंग्रेज़ों का अधिकार स्थापित हुआ।
-
Question 3 of 20
3. Question
1 pointsकौन-सा अंग्रेज़ अधिकारी 1615 में जहाँगीर से मिलकर मुगल साम्राज्य के सभी भागों में व्यापार करने और फैक्टरियाँ खोलने का अधिकार देने वाला एक शाही फरमान जारी कराने में सफल रहा?
Correct
व्याख्याः
1599 में मर्चेंट एडवेंचर्स नाम से जाने वाले कुछ व्यापारियों ने पूर्व से व्यापार करने के लिये एक कंपनी बनाई। इसे ही ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम से जाना जाता है।
कंपनी ने कैप्टन हॉकिंस को जहाँगीर के दरबार में शाही आज्ञा लेने के लिये भेजा। परिणामस्वरूप एक शाही फरमान मिलने के बाद पश्चिमी तट की अनेक जगहों पर अंग्रेज़ कंपनी को फैक्टरियाँ खोलने की आज्ञा मिल गई। इस समय व्यापारिक केंद्रों को फैक्टरी के नाम से जाना जाता था।
अंग्रेज़ इस छूट से संतुष्ट नहीं थे। 1615 में सर टॉमस रो मुगल दरबार पहुँचा। टॉमस रो मुगल साम्राज्य के सभी भागों में व्यापार करने और फैक्टरियाँ खोलने का अधिकार देने वाला शाही फरमान जारी कराने में सफल रहा।Incorrect
व्याख्याः
1599 में मर्चेंट एडवेंचर्स नाम से जाने वाले कुछ व्यापारियों ने पूर्व से व्यापार करने के लिये एक कंपनी बनाई। इसे ही ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम से जाना जाता है।
कंपनी ने कैप्टन हॉकिंस को जहाँगीर के दरबार में शाही आज्ञा लेने के लिये भेजा। परिणामस्वरूप एक शाही फरमान मिलने के बाद पश्चिमी तट की अनेक जगहों पर अंग्रेज़ कंपनी को फैक्टरियाँ खोलने की आज्ञा मिल गई। इस समय व्यापारिक केंद्रों को फैक्टरी के नाम से जाना जाता था।
अंग्रेज़ इस छूट से संतुष्ट नहीं थे। 1615 में सर टॉमस रो मुगल दरबार पहुँचा। टॉमस रो मुगल साम्राज्य के सभी भागों में व्यापार करने और फैक्टरियाँ खोलने का अधिकार देने वाला शाही फरमान जारी कराने में सफल रहा। -
Question 4 of 20
4. Question
1 pointsईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी पहली फैक्ट्री को किस स्थान पर स्थापित किया?
Correct
व्याख्याः
- दिसंबर 1600 को महारानी एलिजाबेथ ने एक रॉयल चार्टर के द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी को पूर्व से व्यापार करने का एकाधिकार दे दिया। 1608 में इस कंपनी ने भारत के पश्चिमी तट पर सूरत में एक फैक्टरी खोली।
Incorrect
व्याख्याः
- दिसंबर 1600 को महारानी एलिजाबेथ ने एक रॉयल चार्टर के द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी को पूर्व से व्यापार करने का एकाधिकार दे दिया। 1608 में इस कंपनी ने भारत के पश्चिमी तट पर सूरत में एक फैक्टरी खोली।
-
Question 5 of 20
5. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. अंग्रेज़ों ने बंबई को फ्राँसीसियों से प्राप्त किया।
2. अंग्रेज़ों ने दक्षिण भारत में अपनी पहली फैक्टरी कोचीन में स्थापित की।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन असत्य हैं।
- जब इंग्लैंड के सम्राट चार्ल्स द्वितीय ने एक पुर्तगाली राजकुमारी से शादी की तो पुर्तगालियों ने उसे बंबई का द्वीप दहेज़ में दे दिया। बंबई के रूप में अंग्रेज़ों को एक बड़ा और आसानी से रक्षा कर सकने योग्य बंदरगाह प्राप्त हुआ।
- अंग्रेज़ों ने दक्षिण में अपनी पहली फैक्टरी मसूलीपट्टनम में 1611 में स्थापित की।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त दोनों कथन असत्य हैं।
- जब इंग्लैंड के सम्राट चार्ल्स द्वितीय ने एक पुर्तगाली राजकुमारी से शादी की तो पुर्तगालियों ने उसे बंबई का द्वीप दहेज़ में दे दिया। बंबई के रूप में अंग्रेज़ों को एक बड़ा और आसानी से रक्षा कर सकने योग्य बंदरगाह प्राप्त हुआ।
- अंग्रेज़ों ने दक्षिण में अपनी पहली फैक्टरी मसूलीपट्टनम में 1611 में स्थापित की।
-
Question 6 of 20
6. Question
1 points1686 ई. में औरंगज़ेब द्वारा अंग्रेज़ व्यापारियों को बंगाल स्थित उनकी फैक्टरियों से खदेड़ने का प्रमुख कारण था-
Correct
व्याख्याः
ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में राजनीतिक सत्ता स्थापित करके भारतीय राजस्व को प्राप्त करने और इस देश को इसी के साधनों से जीतने का प्रयास किया। इसी क्रम में जब 1686 में अंग्रेज़ों ने हुगली को तहस-नहस कर दिया और मुगल सम्राट के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी, तब दोनों के बीच शत्रुता की शुरुआत हो गई। अंग्रेज़ों ने स्थिति को गलत समझा और मुगलों की शक्ति को कम करके आँका। युद्ध का अंत अंग्रेज़ों के लिये घातक रहा। उन्हें बंगाल स्थित उनकी फैक्टरियों से खदेड़ दिया गया और उन्हें गंगा नदी के मुहाने पर एक द्वीप में शरण लेनी पड़ी, जो बीमारी का गढ़ था।Incorrect
व्याख्याः
ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में राजनीतिक सत्ता स्थापित करके भारतीय राजस्व को प्राप्त करने और इस देश को इसी के साधनों से जीतने का प्रयास किया। इसी क्रम में जब 1686 में अंग्रेज़ों ने हुगली को तहस-नहस कर दिया और मुगल सम्राट के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी, तब दोनों के बीच शत्रुता की शुरुआत हो गई। अंग्रेज़ों ने स्थिति को गलत समझा और मुगलों की शक्ति को कम करके आँका। युद्ध का अंत अंग्रेज़ों के लिये घातक रहा। उन्हें बंगाल स्थित उनकी फैक्टरियों से खदेड़ दिया गया और उन्हें गंगा नदी के मुहाने पर एक द्वीप में शरण लेनी पड़ी, जो बीमारी का गढ़ था। -
Question 7 of 20
7. Question
1 points16वीं-17वीं सदी में ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा स्थापित फैक्टरी के संबंध में कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?1. अंग्रेज़ों द्वारा स्थापित फैक्टरियों में वस्तुओं का उत्पादन किया जाता था।
2. इन्होंने मद्रास फैक्टरी के इर्द-गिर्द ‘फोर्ट सेंट जॉर्ज’ नाम का एक किला बनाया।
कूटःCorrect
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। 16वीं-17वीं सदी में कंपनी की कोई भी फैक्टरी एक किलाबंद क्षेत्र जैसी होती थी जिसके अंदर गोदाम, दफ्तर और कंपनी के कर्मचारियों के लिये घर होते थे। इन फैक्टरियों में उत्पादन का कोई कार्य नहीं होता था।
- दूसरा कथन सत्य है। 1639 में मद्रास के राजा से अंग्रेज़ों ने पट्टा ले लिया। राजा ने उस जगह की किलेबंदी करने, उसका प्रशासन चलाने और सिक्के ढ़ालने की अनुमति इस शर्त पर दी कि मद्रास बंदरगाह से प्राप्त चुंगी का आधा भाग राजा को दिया जाएगा। यहाँ अंग्रेज़ों ने अपनी फैक्टरी के इर्द-गिर्द एक छोटा-सा किला बनाया जिसका नाम फोर्ट सेंट जॉर्ज पड़ा।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन असत्य है। 16वीं-17वीं सदी में कंपनी की कोई भी फैक्टरी एक किलाबंद क्षेत्र जैसी होती थी जिसके अंदर गोदाम, दफ्तर और कंपनी के कर्मचारियों के लिये घर होते थे। इन फैक्टरियों में उत्पादन का कोई कार्य नहीं होता था।
- दूसरा कथन सत्य है। 1639 में मद्रास के राजा से अंग्रेज़ों ने पट्टा ले लिया। राजा ने उस जगह की किलेबंदी करने, उसका प्रशासन चलाने और सिक्के ढ़ालने की अनुमति इस शर्त पर दी कि मद्रास बंदरगाह से प्राप्त चुंगी का आधा भाग राजा को दिया जाएगा। यहाँ अंग्रेज़ों ने अपनी फैक्टरी के इर्द-गिर्द एक छोटा-सा किला बनाया जिसका नाम फोर्ट सेंट जॉर्ज पड़ा।
-
Question 8 of 20
8. Question
1 pointsफ्राँसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
Correct
व्याख्याः
दूसरा कथन गलत है। फ्राँसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी पूरी तरह फ्राँस सरकार पर निर्भर थी, जो अनुदान, कर्ज़ और दूसरी सुविधाएँ देकर उसकी सहायता करती रहती थी फलस्वरूप उस पर सरकार का बहुत अधिक नियंत्रण था।Incorrect
व्याख्याः
दूसरा कथन गलत है। फ्राँसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी पूरी तरह फ्राँस सरकार पर निर्भर थी, जो अनुदान, कर्ज़ और दूसरी सुविधाएँ देकर उसकी सहायता करती रहती थी फलस्वरूप उस पर सरकार का बहुत अधिक नियंत्रण था। -
Question 9 of 20
9. Question
1 pointsभारत में ब्रिटिश राजनीतिक सत्ता का आरंभ किस युद्ध से माना जाता है?
Correct
व्याख्याः
भारत में ब्रिटिश राजनीतिक सत्ता का आरंभ 1757 के प्लासी युद्ध से माना जाता है। इस युद्ध में अंग्रेज़ ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को हरा दिया था।Incorrect
व्याख्याः
भारत में ब्रिटिश राजनीतिक सत्ता का आरंभ 1757 के प्लासी युद्ध से माना जाता है। इस युद्ध में अंग्रेज़ ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को हरा दिया था। -
Question 10 of 20
10. Question
1 points1717 में मुगल सम्राट द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को दिये गए शाही फरमान से कौन-से अधिकार प्राप्त हुए?1. कंपनी को बिना कर चुकाए बंगाल से अपने सामान के आयात-निर्यात की छूट प्राप्त हो गई
2. भारतीय व्यापारियों एवं कंपनी के कर की दर को एक समान कर दिया गया।
3. कलकत्ता से होने वाले व्यापार पर कर वसूलने का अधिकार कंपनी को प्राप्त हो गया।
कूटःCorrect
व्याख्याः
- केवल पहला व दूसरा कथन ही सत्य है। 1717 में मुगल सम्राट के एक शाही फरमान द्वारा अंग्रेज़ों को बहुमूल्य विशेषाधिकार मिले। इस फरमान के अनुसार कंपनी को बिना कर चुकाए बंगाल से अपने सामान का आयात-निर्यात करने की आज़ादी प्राप्त थी और इन मालों की आवा जाही पर पास या दस्तक जारी करने का अधिकार था। कंपनी के कर्मचारियों को भी निजी व्यापार की छूट थी, हालाँकि उनको फरमान की सुरक्षा प्राप्त न थी। उनको वही कर देने पड़ते थे जो भारतीय व्यापारियों को देने पड़ते थे।
- यह फरमान कंपनी और बंगाल के नवाब के बीच झगड़े की मूल वजह बन गया। इससे एक तो बंगाल की सरकार को राजस्व की हानि होती थी तो दूसरे कंपनी के कर्मचारी दस्तक का दुरुपयोग निजी व्यापार के कर न चुकाने के लिये करते थे।
Incorrect
व्याख्याः
- केवल पहला व दूसरा कथन ही सत्य है। 1717 में मुगल सम्राट के एक शाही फरमान द्वारा अंग्रेज़ों को बहुमूल्य विशेषाधिकार मिले। इस फरमान के अनुसार कंपनी को बिना कर चुकाए बंगाल से अपने सामान का आयात-निर्यात करने की आज़ादी प्राप्त थी और इन मालों की आवा जाही पर पास या दस्तक जारी करने का अधिकार था। कंपनी के कर्मचारियों को भी निजी व्यापार की छूट थी, हालाँकि उनको फरमान की सुरक्षा प्राप्त न थी। उनको वही कर देने पड़ते थे जो भारतीय व्यापारियों को देने पड़ते थे।
- यह फरमान कंपनी और बंगाल के नवाब के बीच झगड़े की मूल वजह बन गया। इससे एक तो बंगाल की सरकार को राजस्व की हानि होती थी तो दूसरे कंपनी के कर्मचारी दस्तक का दुरुपयोग निजी व्यापार के कर न चुकाने के लिये करते थे।
-
Question 11 of 20
11. Question
1 pointsप्लासी युद्ध के प्रमुख कारण थे-
1. कंपनी के द्वारा कलकत्ता की किलेबंदी करना।
2. कलकत्ता आने वाले भारतीय माल पर कंपनी के द्वारा भारी महसूल (कर) लगाना।
3. सिराजुद्दौला के द्वारा कासिम बाज़ार की अंग्रेज़ फैक्टरी पर कब्ज़ा करना।
कूटःCorrect
व्याख्याः
- 1756 में जब सिराजुद्दौला बंगाल का नवाब बना तो उसने अंग्रेज़ों के सामने मांग रखी कि वे जिन शर्तों पर मुर्शीद कुली खाँ के जमाने में व्यापार करते थे, उन्हीं शर्तों पर अब व्यापार करें। अंग्रेज़ों ने इस बात को मानने से इनकार कर दिया। वे अपने माल पर नवाब को कर चुकाने को तैयार नहीं हुए, बल्कि उल्टे उन्होंने भारतीय माल पर भारी महसूल लगा दिये, जो कलकत्ता आते थे (कलकत्ता अब कंपनी के नियंत्रण में था।)
- कंपनी ने कलकत्ता की किलेबंदी शुरू की, क्योंकि उसे चंद्रनगर में जमे फ्राँसीसियों के साथ युद्ध की आशंका थी। सिराजुद्दौला ने इसे अपनी संप्रभुता पर चोट समझा और कंपनी को आज्ञा दी कि वे अपनी किलेबंदी को गिरा दें। कंपनी ने इसको मानने से इनकार कर दिया और नवाब की इच्छा के खिलाफ बंगाल में अपनी शर्तों पर व्यापार करने पर अड़ी रही।
- सिराजुद्दौला अंग्रेज़ों की चालों के दूरगामी प्रभाव को समझता था तथा उसने अंग्रेज़ों से अपने देश के कानूनों को मनवाने का निर्णय किया। इसके परिणामस्वरूप सिराज ने कासिम बाज़ार की अंग्रेज़ फैक्टरी पर कब्ज़ा कर लिया और फिर कलकत्ता की ओर कूच करके 20 जून, 1756 को फोर्ट विलियम पर अधिकार कर लिया।
- विभिन्न घटनाओं के परिणामस्वरूप ही कंपनी और सिराजुद्दौला की सेनाएं 23 जून, 1757 को प्लासी के मैदान में एक-दूसरे से टकराईं। इस युद्ध में सिराजुद्दौला, मीर ज़ाफर के बेटे मीरन के हाथों मारा गया।
Incorrect
व्याख्याः
- 1756 में जब सिराजुद्दौला बंगाल का नवाब बना तो उसने अंग्रेज़ों के सामने मांग रखी कि वे जिन शर्तों पर मुर्शीद कुली खाँ के जमाने में व्यापार करते थे, उन्हीं शर्तों पर अब व्यापार करें। अंग्रेज़ों ने इस बात को मानने से इनकार कर दिया। वे अपने माल पर नवाब को कर चुकाने को तैयार नहीं हुए, बल्कि उल्टे उन्होंने भारतीय माल पर भारी महसूल लगा दिये, जो कलकत्ता आते थे (कलकत्ता अब कंपनी के नियंत्रण में था।)
- कंपनी ने कलकत्ता की किलेबंदी शुरू की, क्योंकि उसे चंद्रनगर में जमे फ्राँसीसियों के साथ युद्ध की आशंका थी। सिराजुद्दौला ने इसे अपनी संप्रभुता पर चोट समझा और कंपनी को आज्ञा दी कि वे अपनी किलेबंदी को गिरा दें। कंपनी ने इसको मानने से इनकार कर दिया और नवाब की इच्छा के खिलाफ बंगाल में अपनी शर्तों पर व्यापार करने पर अड़ी रही।
- सिराजुद्दौला अंग्रेज़ों की चालों के दूरगामी प्रभाव को समझता था तथा उसने अंग्रेज़ों से अपने देश के कानूनों को मनवाने का निर्णय किया। इसके परिणामस्वरूप सिराज ने कासिम बाज़ार की अंग्रेज़ फैक्टरी पर कब्ज़ा कर लिया और फिर कलकत्ता की ओर कूच करके 20 जून, 1756 को फोर्ट विलियम पर अधिकार कर लिया।
- विभिन्न घटनाओं के परिणामस्वरूप ही कंपनी और सिराजुद्दौला की सेनाएं 23 जून, 1757 को प्लासी के मैदान में एक-दूसरे से टकराईं। इस युद्ध में सिराजुद्दौला, मीर ज़ाफर के बेटे मीरन के हाथों मारा गया।
-
Question 12 of 20
12. Question
1 pointsप्लासी के युद्ध के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत के किन क्षेत्रों में मुक्त व्यापार का निर्विवाद अधिकार प्राप्त हुआ?
1. बंगाल
2. उड़ीसा
3. अवध
4. संयुक्त प्रांत
कूCorrect
व्याख्याः
प्लासी के युद्ध के बाद अंग्रेज़ों ने मीर ज़ाफर को बंगाल का नवाब घोषित किया और फिर उससे अपना इनाम मांगने लगे। कंपनी को बंगाल, बिहार और उड़ीसा में मुक्त व्यापार का निर्विवाद अधिकार मिल गया। कंपनी को कलकत्ता के पास चौबीस परगना की ज़मींदारी भी मिली।Incorrect
व्याख्याः
प्लासी के युद्ध के बाद अंग्रेज़ों ने मीर ज़ाफर को बंगाल का नवाब घोषित किया और फिर उससे अपना इनाम मांगने लगे। कंपनी को बंगाल, बिहार और उड़ीसा में मुक्त व्यापार का निर्विवाद अधिकार मिल गया। कंपनी को कलकत्ता के पास चौबीस परगना की ज़मींदारी भी मिली। -
Question 13 of 20
13. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. मीर ज़ाफर के बाद अंग्रेज़ों ने मीर कासिम को बंगाल का नवाब बनाया।
2. मीर कासिम ने बंगाल में आंतरिक व्यापार पर लगने वाले सभी महसूल (कर) खत्म कर दिये।
3. मीर कासिम ने यूरोपीय तर्ज़ पर एक आधुनिक और अनुशासित सेना खड़ी करने का प्रयास किया।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- उपरोक्त सभी कथन सही हैं। प्लासी के युद्ध के बाद अंग्रेज़ों ने मीर ज़ाफर को बंगाल का नवाब बनाया। मगर वह जल्दी ही पछताने लगा। मीर ज़ाफर को जल्दी ही पता चल गया कि कंपनी और उसके अधिकारियों की सभी मांगे पूरी कर पाना असंभव है। परिणामस्वरूप अंग्रेज़ों ने मीर ज़ाफर की जगह मीर कासिम को बंगाल का नवाब बनाया।
- मीर कासिम भी अंग्रेज़ों की शोषणकारी नीतियों को जल्दी ही समझ गया और जल्द ही वह बंगाल में उनकी स्थिति और चालों के लिये खतरा बन गया। मीर कासिम एक योग्य और कुशल शासक था, इसलिये उसने सार्वजनिक अव्यवस्था को संभालने, राजस्व प्रशासन से भ्रष्टाचार मिटाकर अपनी आय बढ़ाने और यूरोपीय तर्र्ज़ पर एक आधुनिक सेना खड़ी करने का प्रयास किया।
- मीर कासिम ने 1717 के फरमान का दुरुपयोग रोकने की कोशिश की, क्योंकि कंपनी के नौकर अपने भारतीय व्यापारी मित्रों को दस्तक (पास) बेच देते थे और इस तरह से वे करों से बच जाते थे। इन दुरुपयोगों के कारण ईमानदार भारतीय व्यापारी बेईमानी से भरी प्रतियोगिता में बर्बाद होने लगे। इसलिये नवाब ने एक कड़ा कदम उठाया और आंतरिक व्यापार में सभी महसूल (कर) खत्म कर दिये। इस तरह उसने अपनी प्रजा को वही छूटें दे दीं जो अंग्रेज़ों ने बलपूर्वक प्राप्त की थी।
Incorrect
व्याख्याः
- उपरोक्त सभी कथन सही हैं। प्लासी के युद्ध के बाद अंग्रेज़ों ने मीर ज़ाफर को बंगाल का नवाब बनाया। मगर वह जल्दी ही पछताने लगा। मीर ज़ाफर को जल्दी ही पता चल गया कि कंपनी और उसके अधिकारियों की सभी मांगे पूरी कर पाना असंभव है। परिणामस्वरूप अंग्रेज़ों ने मीर ज़ाफर की जगह मीर कासिम को बंगाल का नवाब बनाया।
- मीर कासिम भी अंग्रेज़ों की शोषणकारी नीतियों को जल्दी ही समझ गया और जल्द ही वह बंगाल में उनकी स्थिति और चालों के लिये खतरा बन गया। मीर कासिम एक योग्य और कुशल शासक था, इसलिये उसने सार्वजनिक अव्यवस्था को संभालने, राजस्व प्रशासन से भ्रष्टाचार मिटाकर अपनी आय बढ़ाने और यूरोपीय तर्र्ज़ पर एक आधुनिक सेना खड़ी करने का प्रयास किया।
- मीर कासिम ने 1717 के फरमान का दुरुपयोग रोकने की कोशिश की, क्योंकि कंपनी के नौकर अपने भारतीय व्यापारी मित्रों को दस्तक (पास) बेच देते थे और इस तरह से वे करों से बच जाते थे। इन दुरुपयोगों के कारण ईमानदार भारतीय व्यापारी बेईमानी से भरी प्रतियोगिता में बर्बाद होने लगे। इसलिये नवाब ने एक कड़ा कदम उठाया और आंतरिक व्यापार में सभी महसूल (कर) खत्म कर दिये। इस तरह उसने अपनी प्रजा को वही छूटें दे दीं जो अंग्रेज़ों ने बलपूर्वक प्राप्त की थी।
-
Question 14 of 20
14. Question
1 points1764 के बक्सर के युद्ध में ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध किन शासकों का गठजोड़ था?
Correct
व्याख्याः
अंग्रेज़ों के साथ अनेक लड़ाइयों के बाद कंपनी ने 1763 में मीर कासिम को बंगाल के नवाब के पद से हटा दिया। तब वह अवध भाग गया जहाँ उसने अवध के नवाब शुजाउद्दौला और भगोड़े मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय के साथ समझौता कर लिया। 22 अक्तूबर, 1764 को अंग्रेज़ों ने इन तीनों की सम्मिलित सेना को बक्सर के युद्ध में पराजित किया।Incorrect
व्याख्याः
अंग्रेज़ों के साथ अनेक लड़ाइयों के बाद कंपनी ने 1763 में मीर कासिम को बंगाल के नवाब के पद से हटा दिया। तब वह अवध भाग गया जहाँ उसने अवध के नवाब शुजाउद्दौला और भगोड़े मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय के साथ समझौता कर लिया। 22 अक्तूबर, 1764 को अंग्रेज़ों ने इन तीनों की सम्मिलित सेना को बक्सर के युद्ध में पराजित किया। -
Question 15 of 20
15. Question
1 points‘बक्सर की लड़ाई’ के परिणाम के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः1. इस युद्ध ने अंग्रेज़ों को बंगाल, बिहार और उड़ीसा का निर्विवाद शासक बना दिया।
2. क्लाइव को दोबारा बंगाल का गवर्नर बनाया गया।
3. अंग्रेज़ों ने मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय को कौरा और इलाहाबाद ज़िले जीत कर दिये।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- बक्सर की लड़ाई ने अंग्रेज़ी सेना की श्रेष्ठता को सिद्ध कर दिया। इस युद्ध ने अंग्रेज़ों को बंगाल, बिहार और उड़ीसा का निर्विवाद शासक बना दिया और अवध भी उनकी दया का मोहताज हो गया।
- 1765 में क्लाइव को पुनः बंगाल का गवर्नर बनाकर वापस लाया गया। उसने बंगाल में सत्ता पाने और शासन के सारे अधिकार नवाब से छीनकर कंपनी को दे दिये।
- बक्सर की लड़ाई के बाद कंपनी ने शाह आलम द्वितीय से बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी (राजस्व वसूलने का अधिकार) प्राप्त कर ली। इस तरह बंगाल के ऊपर कंपनी के नियंत्रण को कानूनी मान्यता मिल गई क्योंकि मुगल बादशाह अभी भी साम्राज्य का नाममात्र का प्रमुख था। बदले में कंपनी ने शाह आलम द्वितीय को 26 लाख रुपए दिये और उसे कौरा और इलाहाबाद ज़िले भी जीतकर दिये।
Incorrect
व्याख्याः उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
- बक्सर की लड़ाई ने अंग्रेज़ी सेना की श्रेष्ठता को सिद्ध कर दिया। इस युद्ध ने अंग्रेज़ों को बंगाल, बिहार और उड़ीसा का निर्विवाद शासक बना दिया और अवध भी उनकी दया का मोहताज हो गया।
- 1765 में क्लाइव को पुनः बंगाल का गवर्नर बनाकर वापस लाया गया। उसने बंगाल में सत्ता पाने और शासन के सारे अधिकार नवाब से छीनकर कंपनी को दे दिये।
- बक्सर की लड़ाई के बाद कंपनी ने शाह आलम द्वितीय से बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी (राजस्व वसूलने का अधिकार) प्राप्त कर ली। इस तरह बंगाल के ऊपर कंपनी के नियंत्रण को कानूनी मान्यता मिल गई क्योंकि मुगल बादशाह अभी भी साम्राज्य का नाममात्र का प्रमुख था। बदले में कंपनी ने शाह आलम द्वितीय को 26 लाख रुपए दिये और उसे कौरा और इलाहाबाद ज़िले भी जीतकर दिये।
-
Question 16 of 20
16. Question
1 points18वीं सदी में कंपनी द्वारा बंगाल में लागू की गई ‘दोहरी’ या ‘द्वैध’ व्यवस्था के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः1. बंगाल के राजस्व पर कंपनी का नियंत्रण था।
2. पुलिस और न्यायिक शक्तियों पर नवाब का नियंत्रण था।
3. प्रशासन का दायित्व कंपनी और उसके अधिकारियों पर था।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?Correct
व्याख्याः
- बक्सर की लड़ाई के बाद 1765 से ईस्ट इंडिया कंपनी बंगाल की वास्तविक स्वामी बन गई। दीवान के रूप में कंपनी सीधे ही राजस्व वसूलने लगी। अतः पहला कथन सत्य है।
- दूसरा व तीसरा कथन असत्य है। कंपनी को बंगाल में उप-सूबेदार नामांकित करने का अधिकार मिल गया। इस तरह कंपनी का पुलिस और न्यायिक शक्तियों पर पूरा नियंत्रण स्थापित हो गया। इसी व्यवस्था को ‘दोहरी’ या ‘द्वैध’ शासन व्यवस्था कहा जाता है। इस व्यवस्था के अंतर्गत कंपनी का सत्ता पर तो पूरा अधिकार हो गया जबकि उसके ऊपर कोई ज़िम्मेदारी नहीं थी। प्रशासन का दायित्व नवाब और उसके पदाधिकारियों पर था, परन्तु इनका निर्वाह करने की शक्ति उनके पास नहीं थी।
Incorrect
व्याख्याः
- बक्सर की लड़ाई के बाद 1765 से ईस्ट इंडिया कंपनी बंगाल की वास्तविक स्वामी बन गई। दीवान के रूप में कंपनी सीधे ही राजस्व वसूलने लगी। अतः पहला कथन सत्य है।
- दूसरा व तीसरा कथन असत्य है। कंपनी को बंगाल में उप-सूबेदार नामांकित करने का अधिकार मिल गया। इस तरह कंपनी का पुलिस और न्यायिक शक्तियों पर पूरा नियंत्रण स्थापित हो गया। इसी व्यवस्था को ‘दोहरी’ या ‘द्वैध’ शासन व्यवस्था कहा जाता है। इस व्यवस्था के अंतर्गत कंपनी का सत्ता पर तो पूरा अधिकार हो गया जबकि उसके ऊपर कोई ज़िम्मेदारी नहीं थी। प्रशासन का दायित्व नवाब और उसके पदाधिकारियों पर था, परन्तु इनका निर्वाह करने की शक्ति उनके पास नहीं थी।
-
Question 17 of 20
17. Question
1 pointsबंगाल के प्रशासन की दोहरी व्यवस्था के अंतर्गत कंपनी की लागत-पूंजी के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है?
Correct
व्याख्याः
बंगाल में प्रशासन की ‘दोहरी’ या ‘द्वैध’ व्यवस्था के अंतर्गत कंपनी के पदाधिकारियों ने बंगाल की संपदा को दोनों हाथों से लूटा। कंपनी ने भारतीय माल खरीदने के लिये इंग्लैंड से धन भेजना बंद कर दिया। इसके स्थान पर वे बंगाल से प्राप्त राजस्व से ही भारतीय माल खरीदते और इसे विदेशों में बेचते। इस धन को कंपनी की लागत-पूंजी समझा जाता था इसे कंपनी के लाभ के रूप में स्वीकार किया जाता था।Incorrect
व्याख्याः
बंगाल में प्रशासन की ‘दोहरी’ या ‘द्वैध’ व्यवस्था के अंतर्गत कंपनी के पदाधिकारियों ने बंगाल की संपदा को दोनों हाथों से लूटा। कंपनी ने भारतीय माल खरीदने के लिये इंग्लैंड से धन भेजना बंद कर दिया। इसके स्थान पर वे बंगाल से प्राप्त राजस्व से ही भारतीय माल खरीदते और इसे विदेशों में बेचते। इस धन को कंपनी की लागत-पूंजी समझा जाता था इसे कंपनी के लाभ के रूप में स्वीकार किया जाता था। -
Question 18 of 20
18. Question
1 pointsवॉरेन हेस्टिंग्स के समय 1775 से 1782 तक भारत में ब्रिटिश शक्ति के लिये अशुभ घड़ी थी। इसका प्रमुख कारण था-1. अंग्रेज़ों का मराठा, मैसूर तथा हैदराबाद के निज़ाम के गठजोड़ के विरुद्ध सामना करना।
2. अमेरिकी जनता का अंग्रेज़ों के विरुद्ध विद्रोह करना।
3. अंग्रेज़ों का बंगाल पर से नियंत्रण का समाप्त होना।
कूटःCorrect
व्याख्याः
- 1775 से 1782 तक का समय भारत में ब्रिटिश शक्ति के लिये बहुत अशुभ घड़ी थी। सभी मराठा सरदार, पेशवा नाना फड़नवीस की ओर से एक हो गए। दक्षिण भारत के शासक भी अपने बीच अंग्रेज़ों की उपस्थिति से चिढ़े हुए थे और इस घड़ी का फायदा उठाकर हैदर अली और निज़ाम ने कंपनी के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। इस तरह अब अंग्रेज़ों को मराठों, मैसूर और हैदराबाद के शक्तिशाली गठजोड़ का सामना करना पड़ा।
- 1776 में अमेरिकी जनता ने अंग्रेज़ों के खिलाफ विद्रोह कर दिया। इस लड़ाई में अंग्रेज़ों की लगतार हार हो रही थी। फ्राँसीसी अपने प्रतिद्वंद्वियों की इन कठिनाइयों का फायदा उठाना चाहते थे और उसका भी मुकाबला अंग्रेज़ों को करना पड़ रहा था।
Incorrect
व्याख्याः
- 1775 से 1782 तक का समय भारत में ब्रिटिश शक्ति के लिये बहुत अशुभ घड़ी थी। सभी मराठा सरदार, पेशवा नाना फड़नवीस की ओर से एक हो गए। दक्षिण भारत के शासक भी अपने बीच अंग्रेज़ों की उपस्थिति से चिढ़े हुए थे और इस घड़ी का फायदा उठाकर हैदर अली और निज़ाम ने कंपनी के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। इस तरह अब अंग्रेज़ों को मराठों, मैसूर और हैदराबाद के शक्तिशाली गठजोड़ का सामना करना पड़ा।
- 1776 में अमेरिकी जनता ने अंग्रेज़ों के खिलाफ विद्रोह कर दिया। इस लड़ाई में अंग्रेज़ों की लगतार हार हो रही थी। फ्राँसीसी अपने प्रतिद्वंद्वियों की इन कठिनाइयों का फायदा उठाना चाहते थे और उसका भी मुकाबला अंग्रेज़ों को करना पड़ रहा था।
-
Question 19 of 20
19. Question
1 points‘सालबाई की संधि’ का संबंध किस युद्ध से है?
Correct
व्याख्याः
प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध “सालबाई की संधि” के साथ स्थगित हुआ। इस युद्ध में किसी की जीत नहीं हुई, किंतु अंग्रेज़ इससे 20 वर्षों के लिये मराठों की ओर से निश्चित हो गए। इस समय मराठा भारत की सबसे बड़ी शक्ति थी जो ब्रिटिश कंपनी को चुनौती दे सकती थी। इसके अलावा सालबाई की संधि के कारण अंग्रेज़ मैसूर पर दबाव डालने में सफल रहे, क्योंकि मराठों ने उनसे वादा किया कि वे हैदर अली से अपनी खोई हुई ज़मीन वापस लेने में अंग्रेज़ों की सहायता करेंगे। इस प्रकार अंग्रेज़ एक बार फिर भारतीय शासकों में फूट डालने में सफल रहे।Incorrect
व्याख्याः
प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध “सालबाई की संधि” के साथ स्थगित हुआ। इस युद्ध में किसी की जीत नहीं हुई, किंतु अंग्रेज़ इससे 20 वर्षों के लिये मराठों की ओर से निश्चित हो गए। इस समय मराठा भारत की सबसे बड़ी शक्ति थी जो ब्रिटिश कंपनी को चुनौती दे सकती थी। इसके अलावा सालबाई की संधि के कारण अंग्रेज़ मैसूर पर दबाव डालने में सफल रहे, क्योंकि मराठों ने उनसे वादा किया कि वे हैदर अली से अपनी खोई हुई ज़मीन वापस लेने में अंग्रेज़ों की सहायता करेंगे। इस प्रकार अंग्रेज़ एक बार फिर भारतीय शासकों में फूट डालने में सफल रहे। -
Question 20 of 20
20. Question
1 pointsलॉर्ड वेलेजली ने भारत में अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिये कौन-से उपाए अपनाए?
1. सहायक संधि प्रथा
2. खुला युद्ध
3. पहले से अधीन बनाए जा चुके शासकों के इलाकों को हड़पना
4. राज्य विलय का सिद्धांत
कूटःCorrect
व्याख्याः
भारत में ब्रिटिश शासन का दूसरा बड़ा प्रसार लॉर्ड वेलेजली (1798-1805) के काल में हुआ। वेलेजली ने फैसला किया कि जितने अधिक भारतीय राज्य संभव हो ब्रिटिश नियंत्रण में लाए जाएँ। अपने राजनीतिक उद्देश्य को पूरा करने के लिये वेलेजली ने तीन उपायों का सहारा लिया- सहायक संधि प्रथा, खुला युद्ध और पहले से अधीन बनाए जा चुके शासकों का इलाका हड़पना।Incorrect
व्याख्याः
भारत में ब्रिटिश शासन का दूसरा बड़ा प्रसार लॉर्ड वेलेजली (1798-1805) के काल में हुआ। वेलेजली ने फैसला किया कि जितने अधिक भारतीय राज्य संभव हो ब्रिटिश नियंत्रण में लाए जाएँ। अपने राजनीतिक उद्देश्य को पूरा करने के लिये वेलेजली ने तीन उपायों का सहारा लिया- सहायक संधि प्रथा, खुला युद्ध और पहले से अधीन बनाए जा चुके शासकों का इलाका हड़पना।