आधुनिक भारत टेस्ट 11
आधुनिक भारत टेस्ट 11
Quiz-summary
0 of 20 questions completed
Questions:
- 1
- 2
- 3
- 4
- 5
- 6
- 7
- 8
- 9
- 10
- 11
- 12
- 13
- 14
- 15
- 16
- 17
- 18
- 19
- 20
Information
इस टेस्ट में सम्मिलित प्रश्न एन.सी.ई.आर.टी. पर आधारित है|
You have already completed the quiz before. Hence you can not start it again.
Quiz is loading...
You must sign in or sign up to start the quiz.
You have to finish following quiz, to start this quiz:
Results
0 of 20 questions answered correctly
Your time:
Time has elapsed
You have reached 0 of 0 points, (0)
Average score |
|
Your score |
|
Categories
- Not categorized 0%
- 1
- 2
- 3
- 4
- 5
- 6
- 7
- 8
- 9
- 10
- 11
- 12
- 13
- 14
- 15
- 16
- 17
- 18
- 19
- 20
- Answered
- Review
-
Question 1 of 20
1. Question
1 pointsवाराणसी में प्रथम संस्कृत कॉलेज की स्थापना किसने की?
Correct
व्याख्याः
जोनाथन डंकन ने 1791 में हिंदू कानून और दर्शन के अध्ययन के लिये वाराणसी में संस्कृत कॉलेज स्थापित किया।Incorrect
व्याख्याः
जोनाथन डंकन ने 1791 में हिंदू कानून और दर्शन के अध्ययन के लिये वाराणसी में संस्कृत कॉलेज स्थापित किया। -
Question 2 of 20
2. Question
1 pointsब्रिटिश काल में किस एक्ट में विद्वान भारतीयों को बढ़ावा देने तथा तथा देश में आधुनिक विज्ञानों के ज्ञान को प्रोत्साहित करने के सिद्धांत को शामिल किया गया?
Correct
व्याख्याः
1813 के चार्टर एक्ट में विद्वान भारतीयों को बढ़ावा देने तथा देश में आधुनिक विज्ञानों के ज्ञान को प्रोत्साहित करने का सिद्धांत शामिल किया गया। इस एक्ट के तहत ईस्ट इंडिया कंपनी को इस उद्देश्य के लिये एक लाख रुपए खर्च करने का निर्देश दिया गया। मगर 1823 तक कंपनी के अधिकारियों ने इस काम के लिये यह तुच्छ रकम भी नहीं दी।Incorrect
व्याख्याः
1813 के चार्टर एक्ट में विद्वान भारतीयों को बढ़ावा देने तथा देश में आधुनिक विज्ञानों के ज्ञान को प्रोत्साहित करने का सिद्धांत शामिल किया गया। इस एक्ट के तहत ईस्ट इंडिया कंपनी को इस उद्देश्य के लिये एक लाख रुपए खर्च करने का निर्देश दिया गया। मगर 1823 तक कंपनी के अधिकारियों ने इस काम के लिये यह तुच्छ रकम भी नहीं दी। -
Question 3 of 20
3. Question
1 pointsस्वतंत्रता से पूर्व ब्रिटिश सरकार द्वारा आधुनिक शिक्षा के प्रसार के मुख्य उद्देश्य थे-1. भारतीय लोगों को आधुनिक बनाना ताकि वे राजनैतिक गतिविधियों में भाग ले सकें।
2. प्रशासनिक खर्च कम करने के लिये।
3. भारत में ब्रिटिश वस्तुओं के बाज़ार के विस्तार के लिये।
कूटःCorrect
व्याख्याः
ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में आधुनिक शिक्षा के प्रसार का मुख्य कारण था प्रशासन का खर्च कम करना। इसके लिये ब्रिटिश सरकार शिक्षित भारतीयों की संख्या बढ़ाना चाहती थी जिससे प्रशासन और बढ़ते ब्रिटिश व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के छोटे कर्मचारियों की बढ़ी हुई ज़रूरतों को पूरा किया जा सके। शिक्षित भारतीय अपेक्षाकृत सस्ते पड़ते थे।अंग्रेज़ों की शिक्षा नीति का एक अन्य प्रयोजन इस धारणा से निकला था कि शिक्षित भारतीय इंग्लैंड में बनी वस्तुओं के बाज़ार का भारत में विस्तार करेंगे। अंत में पाश्चात्य शिक्षा भारतीय जनता को ब्रिटिश शासन स्वीकार करने के लिये प्रेरित करेगी।
Incorrect
व्याख्याः
ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में आधुनिक शिक्षा के प्रसार का मुख्य कारण था प्रशासन का खर्च कम करना। इसके लिये ब्रिटिश सरकार शिक्षित भारतीयों की संख्या बढ़ाना चाहती थी जिससे प्रशासन और बढ़ते ब्रिटिश व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के छोटे कर्मचारियों की बढ़ी हुई ज़रूरतों को पूरा किया जा सके। शिक्षित भारतीय अपेक्षाकृत सस्ते पड़ते थे।अंग्रेज़ों की शिक्षा नीति का एक अन्य प्रयोजन इस धारणा से निकला था कि शिक्षित भारतीय इंग्लैंड में बनी वस्तुओं के बाज़ार का भारत में विस्तार करेंगे। अंत में पाश्चात्य शिक्षा भारतीय जनता को ब्रिटिश शासन स्वीकार करने के लिये प्रेरित करेगी।
-
Question 4 of 20
4. Question
1 pointsऔपनिवेशिक काल में ‘अधोगामी निस्यंदन सिद्धांत’ (Downward Filtration theory) का संबंध किससे था?
Correct
व्याख्याः
औपनिवेशिक काल में शिक्षा पर खर्च की कमी को पूरा करने के लिये ब्रिटिश अधिकारियों ने तथाकथित अधोगामी निस्यंदन सिद्धांत या नीचे की ओर छन जाने के सिद्धांत (Downword Filtration Therory) का सहारा लिया। चूँकि शिक्षा के मद में दी गई धनराशि के द्वारा मुट्ठी भर लोगों को ही शिक्षित किया जा सकता था, इसलिये यह तय हुआ कि उसे उच्च और मध्यम वर्गों के थोड़े से लोगों से आशा की जाती थी कि वे जनसाधारण को शिक्षित करने और उनके बीच आधुनिक विचारों का प्रचार करने का काम अपने ऊपर लेंगे।Incorrect
व्याख्याः
औपनिवेशिक काल में शिक्षा पर खर्च की कमी को पूरा करने के लिये ब्रिटिश अधिकारियों ने तथाकथित अधोगामी निस्यंदन सिद्धांत या नीचे की ओर छन जाने के सिद्धांत (Downword Filtration Therory) का सहारा लिया। चूँकि शिक्षा के मद में दी गई धनराशि के द्वारा मुट्ठी भर लोगों को ही शिक्षित किया जा सकता था, इसलिये यह तय हुआ कि उसे उच्च और मध्यम वर्गों के थोड़े से लोगों से आशा की जाती थी कि वे जनसाधारण को शिक्षित करने और उनके बीच आधुनिक विचारों का प्रचार करने का काम अपने ऊपर लेंगे। -
Question 5 of 20
5. Question
1 pointsभारत में सर्वप्रथम इंजीनियरिंग कालेज की स्थापना किस जगह हुई?
Correct
व्याख्याः
देश में सर्वप्रथम इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना 1847 में रुड़की में हुई।Incorrect
व्याख्याः
देश में सर्वप्रथम इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना 1847 में रुड़की में हुई। -
Question 6 of 20
6. Question
1 points1773 के रेगुलेटिंग एक्ट को पास करने के प्रमुख कारण थे-
1. भारत में स्थित कंपनी के अधिकारियों और सैनिकों पर नियंत्रण करना।
2. कंपनी को प्राप्त विशेषाधिकारों पर मुक्त व्यापार और पूंजीवाद का प्रतिनिधित्व करने वाले अर्थशात्रियों द्वारा आलोचना करना।
3. कंपनी के हितों तथा ब्रिटिश समाज के प्रभावशाली लोगों के बीच संतुलन कायम करना।
4. ब्रिटिश सरकार द्वारा विश्व के अन्य भागों में होने वाले युद्धों के खर्च का बोझ कम करना।
कूटःCorrect
व्याख्याः
केवल कथन (4) गलत है। कंपनी के द्वारा दिये जा रहे लाभांश की ऊँची दरों और उसके अधिकारियों द्वारा भारी संपत्ति लेकर स्वदेश लौटने के कारण ब्रिटिश समाज के दूसरे वर्गों में ईर्ष्या की आग भड़क गई। साथ ही 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध में ब्रिटेन की राजनीति अत्यंत भ्रष्ट हो चुकी थी। कंपनी और उसके अधिकारियों ने अपने एजेंटों के लिये पैसे के बल पर हाउस ऑफ कामंस की सदस्यताएँ प्राप्त की थीं।कंपनी को प्राप्त विशेषाधिकार के कारण अन्य व्यापारी, उद्योगपति तथा ब्रिटेन में मुक्त उद्यम की उभरती हुई शक्तियों ने भी चोट की क्योंकि वे भी भारत की विशाल संपदा पर अपना अधिकार चाहते थे।
अंत में कंपनी के हितों तथा ब्रिटिश समाज के प्रभावशाली वर्गों के बीच संतुलन कायम करने के लिये 1773 का रेगुलेटिंग एक्ट पास किया गया।
Incorrect
व्याख्याः
केवल कथन (4) गलत है। कंपनी के द्वारा दिये जा रहे लाभांश की ऊँची दरों और उसके अधिकारियों द्वारा भारी संपत्ति लेकर स्वदेश लौटने के कारण ब्रिटिश समाज के दूसरे वर्गों में ईर्ष्या की आग भड़क गई। साथ ही 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध में ब्रिटेन की राजनीति अत्यंत भ्रष्ट हो चुकी थी। कंपनी और उसके अधिकारियों ने अपने एजेंटों के लिये पैसे के बल पर हाउस ऑफ कामंस की सदस्यताएँ प्राप्त की थीं।कंपनी को प्राप्त विशेषाधिकार के कारण अन्य व्यापारी, उद्योगपति तथा ब्रिटेन में मुक्त उद्यम की उभरती हुई शक्तियों ने भी चोट की क्योंकि वे भी भारत की विशाल संपदा पर अपना अधिकार चाहते थे।
अंत में कंपनी के हितों तथा ब्रिटिश समाज के प्रभावशाली वर्गों के बीच संतुलन कायम करने के लिये 1773 का रेगुलेटिंग एक्ट पास किया गया।
-
Question 7 of 20
7. Question
1 points1773 के रेगुलेटिंग एक्ट के अंतर्गत निम्न में से कौन-से प्रावधान शामिल थे?1. पूर्व के साथ व्यापार पर कंपनी का एकाधिकार समाप्त कर दिया गया।
2. कंपनी के कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स के गठन में परिवर्तन कर उसकी गतिविधियाँ ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत लाई गईं।
3. भारत में कंपनी के अधिकारियों की नियुक्ति ब्रिटिश सरकार के द्वारा की जाने लगी। कूटःCorrect
व्याख्याः
पहला कथन असत्य है। 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट के तहत कंपनी का पूर्व के साथ व्यापार पर एकाधिकार बना रहा।दूसरा कथन सत्य है। इस कानून के कारण कंपनी के कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स के गठन में परिवर्तन हुआ तथा उनकी गतिविधियाँ ब्रिटिश सरकार की निगरानी में आ गईं।
तीसरा कथन असत्य है। भारत में अपने अधिकारी नियुक्त करने का कंपनी का बहुमूल्य अधिकार उसी के हाथ में बना रहा।
Incorrect
व्याख्याः
पहला कथन असत्य है। 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट के तहत कंपनी का पूर्व के साथ व्यापार पर एकाधिकार बना रहा।दूसरा कथन सत्य है। इस कानून के कारण कंपनी के कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स के गठन में परिवर्तन हुआ तथा उनकी गतिविधियाँ ब्रिटिश सरकार की निगरानी में आ गईं।
तीसरा कथन असत्य है। भारत में अपने अधिकारी नियुक्त करने का कंपनी का बहुमूल्य अधिकार उसी के हाथ में बना रहा।
-
Question 8 of 20
8. Question
1 points1784 के पिट का इंडिया एक्ट के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
Correct
व्याख्याः
कथन (c)असत्य है। रेगुलेटिंग एक्ट के दोषों तथा ब्रिटिश राजनीति के उतार-चढ़ाव के कारण 1784 में एक कानून बनाना पड़ा जिसे पिट का इंडिया एक्ट कहा जाता है। इस कानून ने बंबई और मद्रास प्रेसिडेंसियों को युद्ध, कूटनीति और राजस्व के मामलों में स्पष्ट शब्दों में बंगाल के अधीन कर दिया। इस कानून के साथ भारत में ब्रिटिश विजय का एक नया युग आरंभ हुआIncorrect
व्याख्याः
कथन (c)असत्य है। रेगुलेटिंग एक्ट के दोषों तथा ब्रिटिश राजनीति के उतार-चढ़ाव के कारण 1784 में एक कानून बनाना पड़ा जिसे पिट का इंडिया एक्ट कहा जाता है। इस कानून ने बंबई और मद्रास प्रेसिडेंसियों को युद्ध, कूटनीति और राजस्व के मामलों में स्पष्ट शब्दों में बंगाल के अधीन कर दिया। इस कानून के साथ भारत में ब्रिटिश विजय का एक नया युग आरंभ हुआ -
Question 9 of 20
9. Question
1 pointsकिस एक्ट के तहत भारतीय व्यापार पर ईस्ट इंडिया कंपनी का एकाधिकार समाप्त कर सभी ब्रिटिश नागरिकों को भारत के साथ व्यापार करने की छूट दी गई-
Correct
व्याख्याः
- 1813 के चार्टर एक्ट के अनुसार भारतीय व्यापार पर कंपनी का एकाधिकार समाप्त कर दिया गया और सभी ब्रिटिश नागरिकों को भारत के साथ व्यापार करने की छूट दे दी गई परन्तु चाय के व्यापार और चीन के साथ व्यापार पर कंपनी का एकाधिकार बना रहा।
- भारत की सरकार तथा उसका राजस्व भी कंपनी के हाँथों में बना रहा।
- 1833 के चार्टर एक्ट ने चाय के व्यापार तथा चीन के साथ व्यापार पर कंपनी का एकाधिकार समाप्त कर दिया।
Incorrect
व्याख्याः
- 1813 के चार्टर एक्ट के अनुसार भारतीय व्यापार पर कंपनी का एकाधिकार समाप्त कर दिया गया और सभी ब्रिटिश नागरिकों को भारत के साथ व्यापार करने की छूट दे दी गई परन्तु चाय के व्यापार और चीन के साथ व्यापार पर कंपनी का एकाधिकार बना रहा।
- भारत की सरकार तथा उसका राजस्व भी कंपनी के हाँथों में बना रहा।
- 1833 के चार्टर एक्ट ने चाय के व्यापार तथा चीन के साथ व्यापार पर कंपनी का एकाधिकार समाप्त कर दिया।
-
Question 10 of 20
10. Question
1 pointsभारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद के विभिन्न चरणों के संबंध में कौन-सा/से युग्म सही सुमेलित है/हैं?
1. 1757 – 1813 : वाणिज्यिक नीति
2. 1813 – 1860 : औद्योगिक मुक्त व्यापार
3. 1860 के बाद : मुक्त व्यापार की नीति
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद मुख्यत: तीन चरणों से गुजरा। ये विभिन्न चरण भारत के आर्थिक अधिशेष को हड़पने के विभिन्न उपायों पर आधारित थे। भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद और आर्थिक शोषण के तीन चरण निम्न हैं –
1. वाणिज्यिक नीति : 1757 से 1813
2. औद्योगिक मुक्त व्यापार : 1813 से 1860
3. मुक्त व्यापार की नीति : 1860 के बाद की अवस्थाआरंभिक चरण अर्थात 17वीं 18वीं शताब्दी में ब्रिटिश उपनिवेशवाद का मुख्य उद्देश्य भारत के साथ व्यापार करने के बहाने उसे लूटना था। आगे चलकर 19वीं शताब्दी में भारत का प्रयोग ब्रिटेन में बनी हुई औद्योगिक वस्तुओं के लिए मुख्य बाजार के रूप में किया गया। 1860 के बाद भारत स्थित ब्रिटिश उद्योगपतिओं द्वारा देश में पूँजी-विनियोग की प्रक्रिया आरंभ की गई।
Incorrect
व्याख्याः भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद मुख्यत: तीन चरणों से गुजरा। ये विभिन्न चरण भारत के आर्थिक अधिशेष को हड़पने के विभिन्न उपायों पर आधारित थे। भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद और आर्थिक शोषण के तीन चरण निम्न हैं –
1. वाणिज्यिक नीति : 1757 से 1813
2. औद्योगिक मुक्त व्यापार : 1813 से 1860
3. मुक्त व्यापार की नीति : 1860 के बाद की अवस्थाआरंभिक चरण अर्थात 17वीं 18वीं शताब्दी में ब्रिटिश उपनिवेशवाद का मुख्य उद्देश्य भारत के साथ व्यापार करने के बहाने उसे लूटना था। आगे चलकर 19वीं शताब्दी में भारत का प्रयोग ब्रिटेन में बनी हुई औद्योगिक वस्तुओं के लिए मुख्य बाजार के रूप में किया गया। 1860 के बाद भारत स्थित ब्रिटिश उद्योगपतिओं द्वारा देश में पूँजी-विनियोग की प्रक्रिया आरंभ की गई।
-
Question 11 of 20
11. Question
1 points1813 में ब्रिटिश सरकार द्वारा अपनाई गई मुक्त व्यापार की नीति के प्रभावों के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः
1. इस नीति के कारण खेतिहर भारत को इंग्लैंड का आर्थिक उपनिवेश बनना पड़ा।
2. भारत में ब्रिटिश माल तथा ब्रिटेन में भारत निर्मित सामान बिना किसी शुल्क के साथ आने-जाने लगे।
3. ब्रिटिश अधिकारियों तथा राजनेताओं ने ज़मीन का लगान घटाने की पैरवी की।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- ब्रिटिश सरकार द्वारा 1813 में भारत के संदर्भ में अपनाई गई मुक्त व्यापार की नीति का मुख्य उद्देश्य भारत को ब्रिटेन के कारखानों के माल का उपभोक्ता तथा कच्चे माल का निर्यातक बनाना था। इस नीति के कारण खेतिहर भारत को अब औद्योगिक इंग्लैंड का आर्थिक उपनिवेश बनना पड़ा।
- दूसरा कथन असत्य है। भारत पर लादी गई मुक्त व्यापार की नीति एकतरफा थी। भारत के दरवाज़े तो विदेशी सामानों के लिये खुले छोड़ दिये गए, मगर जो भारतीय माल ब्रिटिश मालों से प्रतियोगिता कर सकते थे, उन पर ब्रिटेन में प्रवेश के लिये भारी आयात-शुल्क लगा दिये गए।
- अनेक ब्रिटिश अधिकारियों, राजनीतिक नेताओं तथा व्यापारियों ने ज़मीन का लगान घटाने की पैरवी की ताकि किसान बेहतर स्थिति में हों और विदेशी कारखानों में बना माल खरीद सकें। उन्होंने भारत के पश्चिमीकरण का समर्थन भी किया ताकि अधिकाधिक भारतीयों में पश्चिमी मालों के प्रति रुचि का विकास हो सके।
Incorrect
व्याख्याः
- ब्रिटिश सरकार द्वारा 1813 में भारत के संदर्भ में अपनाई गई मुक्त व्यापार की नीति का मुख्य उद्देश्य भारत को ब्रिटेन के कारखानों के माल का उपभोक्ता तथा कच्चे माल का निर्यातक बनाना था। इस नीति के कारण खेतिहर भारत को अब औद्योगिक इंग्लैंड का आर्थिक उपनिवेश बनना पड़ा।
- दूसरा कथन असत्य है। भारत पर लादी गई मुक्त व्यापार की नीति एकतरफा थी। भारत के दरवाज़े तो विदेशी सामानों के लिये खुले छोड़ दिये गए, मगर जो भारतीय माल ब्रिटिश मालों से प्रतियोगिता कर सकते थे, उन पर ब्रिटेन में प्रवेश के लिये भारी आयात-शुल्क लगा दिये गए।
- अनेक ब्रिटिश अधिकारियों, राजनीतिक नेताओं तथा व्यापारियों ने ज़मीन का लगान घटाने की पैरवी की ताकि किसान बेहतर स्थिति में हों और विदेशी कारखानों में बना माल खरीद सकें। उन्होंने भारत के पश्चिमीकरण का समर्थन भी किया ताकि अधिकाधिक भारतीयों में पश्चिमी मालों के प्रति रुचि का विकास हो सके।
-
Question 12 of 20
12. Question
1 pointsनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. भारत में पहली तार लाइन का आरंभ कलकत्ता और आगरा के बीच किया गया।
2. भारत में डाक-टिकटों को आरंभ करने का श्रेय कार्नवालिस को दिया जाता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। अंग्रेज़ों ने भारत में एक कुशल और आधुनिक डाक-प्रणाली कायम की तथा तार की व्यवस्था की शुरुआत की। 1853 में कलकत्ता और आगरा के बीच पहली तार लाइन का आरंभ किया गया।
- दूसरा कथन असत्य है। लॉर्ड डलहौजी के समय ही डाक-टिकटों एवं तार लाइनों का आरंभ किया गया।
Incorrect
व्याख्याः
- पहला कथन सत्य है। अंग्रेज़ों ने भारत में एक कुशल और आधुनिक डाक-प्रणाली कायम की तथा तार की व्यवस्था की शुरुआत की। 1853 में कलकत्ता और आगरा के बीच पहली तार लाइन का आरंभ किया गया।
- दूसरा कथन असत्य है। लॉर्ड डलहौजी के समय ही डाक-टिकटों एवं तार लाइनों का आरंभ किया गया।
-
Question 13 of 20
13. Question
1 pointsभारत में रेलवे लाइन का विकास किस गवर्नर जनरल के काल में हुआ?
Correct
व्याख्याः
- भारत में रेलवे लाइन के विकास का कार्य सर्वप्रथम डलहौजी के समय में शुरू हुआ। 1849 में भारत का गवर्नर-जनरल बनने वाला लॉर्ड डलहौजी भारत में तेज़ी से रेल-लाइन बिछाने का पक्का समर्थक था।
- बंबई और ठाणे के बीच पहली रेल लाइन यातायात के लिये 1853 में शुरू की गई।
Incorrect
व्याख्याः
- भारत में रेलवे लाइन के विकास का कार्य सर्वप्रथम डलहौजी के समय में शुरू हुआ। 1849 में भारत का गवर्नर-जनरल बनने वाला लॉर्ड डलहौजी भारत में तेज़ी से रेल-लाइन बिछाने का पक्का समर्थक था।
- बंबई और ठाणे के बीच पहली रेल लाइन यातायात के लिये 1853 में शुरू की गई।
-
Question 14 of 20
14. Question
1 points19वीं शताब्दी में भारत में रेलवे के विकास के प्रमुख उद्देश्य थे-1. ब्रिटिश पूंजीपतियों को लाभ पहुँचाना।
2. भारतीय जनता का आर्थिक एवं राजनीतिक विकास करना।
3. भारत में वस्तुओं के आंतरिक आवागमन को प्रोत्साहित करना।
कूटःCorrect
व्याख्याः
- केवल पहला कथन सत्य है। ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप तथा विभिन्न उपनिवेशों के कारण वहाँ के उद्योगपतियों एवं अधिकारियों के पास काफी पूंजी इकट्ठा हो गई थी। इस कारण से भारत सरकार ने उनको निश्चित लाभांश का आश्वासन देकर उनकी पूंजी को रेलवे के विकास में लगाया। जिस कारण से ब्रिटेन के उद्योग धंधों के साथ-साथ वहाँ के लोगों को रोज़गार के रूप में काफी लाभ हुआ।
- रेलों की योजना तैयार करने, उनका निर्माण तथा प्रबंध में भारत और उसकी जनता के आर्थिक और राजनीतिक विकास को महत्त्व नहीं दिया गया। इसके विपरीत खास ध्यान भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के आर्थिक, राजनीतिक और सैनिक हितों की पूर्ति का रखा गया।
- रेल-भाड़े को इस प्रकार तय किया गया था कि आयात-निर्यात को बढ़ावा मिले तथा वस्तुओं के आवागमन को हतोत्साहित किया जा सके।
Incorrect
व्याख्याः
- केवल पहला कथन सत्य है। ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप तथा विभिन्न उपनिवेशों के कारण वहाँ के उद्योगपतियों एवं अधिकारियों के पास काफी पूंजी इकट्ठा हो गई थी। इस कारण से भारत सरकार ने उनको निश्चित लाभांश का आश्वासन देकर उनकी पूंजी को रेलवे के विकास में लगाया। जिस कारण से ब्रिटेन के उद्योग धंधों के साथ-साथ वहाँ के लोगों को रोज़गार के रूप में काफी लाभ हुआ।
- रेलों की योजना तैयार करने, उनका निर्माण तथा प्रबंध में भारत और उसकी जनता के आर्थिक और राजनीतिक विकास को महत्त्व नहीं दिया गया। इसके विपरीत खास ध्यान भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के आर्थिक, राजनीतिक और सैनिक हितों की पूर्ति का रखा गया।
- रेल-भाड़े को इस प्रकार तय किया गया था कि आयात-निर्यात को बढ़ावा मिले तथा वस्तुओं के आवागमन को हतोत्साहित किया जा सके।
-
Question 15 of 20
15. Question
1 pointsभारत में ‘इस्तमरारी बंदोबस्त’ का आरंभ किसके प्रशासन काल में किया गया?
Correct
व्याख्याः
- लॉर्ड कार्नवालिस ने 1793 में इस्तमरारी बंदोबस्त का आरंभ किया। इसे स्थायी बंदोबस्त, जागीरदारी आदि भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है।
Incorrect
व्याख्याः
- लॉर्ड कार्नवालिस ने 1793 में इस्तमरारी बंदोबस्त का आरंभ किया। इसे स्थायी बंदोबस्त, जागीरदारी आदि भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है।
-
Question 16 of 20
16. Question
1 pointsभारत में इस्तमरारी (स्थायी) बंदोबस्त का आरंभ किन प्रांतों से किया गया?
Correct
व्याख्याः
- कार्नवालिस ने 1793 में बंगाल और बिहार में इस्तमरारी (स्थायी) बंदोबस्त की प्रथा का आरंभ किया।
Incorrect
व्याख्याः
- कार्नवालिस ने 1793 में बंगाल और बिहार में इस्तमरारी (स्थायी) बंदोबस्त की प्रथा का आरंभ किया।
-
Question 17 of 20
17. Question
1 pointsइस्तमरारी (स्थायी) व्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः1. ज़मींदारों और मालगुज़ारों को भू-स्वामी बना दिया गया।
2. रैयत (किसान) द्वारा लगान सीधे सरकार को दिया जाता था।
3. कर (लगान) की रकम को हमेशा के लिये निश्चित कर दिया गया।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- कार्नवालिस द्वारा शुरू की गई इस्तमरारी (स्थायी बंदोबस्त) के अंतर्गत ज़मींदारों और मालगुज़ारों को भू-स्वामी बना दिया गया। ज़मींदार अब अपने इलाके की सारी ज़मीन के मालिक बन गए। उनके स्वामित्व के अधिकार को वंशानुगत और हस्तांतरणीय बना दिया गया।
- दूसरा कथन गलत है। किसानों से लगान (कर) वसूलने की ज़िम्मेदारी ज़मींदारों को थी। ज़मींदारों को किसानों से जो भी लगान मिलता, उसका 10/11 भाग उन्हें सरकार को देना पड़ता था और केवल 1/11 भाग अपने पास रख सकते थे।
- इस व्यवस्था के तहत लगान की रकम हमेशा के लिये निश्चित कर दी गई थी। अगर किसी कारण से फसल नष्ट हो जाए तो भी ज़मींदार को लगान की निश्चित रकम सरकार को तय तिथि को नियमपूर्वक चुकानी पड़ती थी, वरना उसकी ज़मीन बेच दी जाती थी।
Incorrect
व्याख्याः
- कार्नवालिस द्वारा शुरू की गई इस्तमरारी (स्थायी बंदोबस्त) के अंतर्गत ज़मींदारों और मालगुज़ारों को भू-स्वामी बना दिया गया। ज़मींदार अब अपने इलाके की सारी ज़मीन के मालिक बन गए। उनके स्वामित्व के अधिकार को वंशानुगत और हस्तांतरणीय बना दिया गया।
- दूसरा कथन गलत है। किसानों से लगान (कर) वसूलने की ज़िम्मेदारी ज़मींदारों को थी। ज़मींदारों को किसानों से जो भी लगान मिलता, उसका 10/11 भाग उन्हें सरकार को देना पड़ता था और केवल 1/11 भाग अपने पास रख सकते थे।
- इस व्यवस्था के तहत लगान की रकम हमेशा के लिये निश्चित कर दी गई थी। अगर किसी कारण से फसल नष्ट हो जाए तो भी ज़मींदार को लगान की निश्चित रकम सरकार को तय तिथि को नियमपूर्वक चुकानी पड़ती थी, वरना उसकी ज़मीन बेच दी जाती थी।
-
Question 18 of 20
18. Question
1 pointsब्रिटिशों द्वारा भारत के दक्षिण और दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में रैयतवाड़ी व्यवस्था को लागू करने का प्रमुख कारण था-
1. इन क्षेत्रों में बड़ी जागीर वाले ज़मींदारों का अभाव।
2. स्थायी बंदोबस्त में कंपनी को वित्तीय रूप से घाटा।
3. आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ क्षेत्र।
कूटःCorrect
व्याख्याः
ब्रिटिशों ने भारत के दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में कर की एक नई व्यवस्था लागू की जिसे रैयतवाड़ी बंदोबस्त कहते हैं। ब्रिटिश अधिकारियों का मत था कि इन क्षेत्रों में बड़ी जागीरों वाले ऐसे ज़मींदार नहीं हैं जिनके साथ मालगुज़ारी (लगान) के बंदोबस्त किये जा सकें और इसलिये वहाँ ज़मींदारी प्रथा लागू करने से स्थिति उलट-पुलट जाएगी। इसलिये उन्होंने सीधे वास्तविक काश्तकारों के साथ बंदोबस्त किया। अंग्रेज़ अधिकारियों को यह भी अहसास हुआ कि स्थायी बंदोबस्त की प्रथा में कंपनी वित्तीय दृष्टि से घाटा उठा रही है, क्योंकि उन्हें मालगुज़ारी में ज़मींदारों को हिस्सा देना पड़ता था और वे ज़मीन से होने वाली अतिरिक्त आय से वंचित रह जाते थे।Incorrect
व्याख्याः
ब्रिटिशों ने भारत के दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में कर की एक नई व्यवस्था लागू की जिसे रैयतवाड़ी बंदोबस्त कहते हैं। ब्रिटिश अधिकारियों का मत था कि इन क्षेत्रों में बड़ी जागीरों वाले ऐसे ज़मींदार नहीं हैं जिनके साथ मालगुज़ारी (लगान) के बंदोबस्त किये जा सकें और इसलिये वहाँ ज़मींदारी प्रथा लागू करने से स्थिति उलट-पुलट जाएगी। इसलिये उन्होंने सीधे वास्तविक काश्तकारों के साथ बंदोबस्त किया। अंग्रेज़ अधिकारियों को यह भी अहसास हुआ कि स्थायी बंदोबस्त की प्रथा में कंपनी वित्तीय दृष्टि से घाटा उठा रही है, क्योंकि उन्हें मालगुज़ारी में ज़मींदारों को हिस्सा देना पड़ता था और वे ज़मीन से होने वाली अतिरिक्त आय से वंचित रह जाते थे। -
Question 19 of 20
19. Question
1 pointsरैयतवाड़ी बंदोबस्त के संदर्भ में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजियेः1. किसानों द्वारा लगान सीधे सरकार को दिया जाता था।
2. किसान को ज़मीन का वास्तविक मालिक माना जाता था।
3. करों (मालगुज़ारी) का निर्धारण समय-समय पर किया जाता था।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?Correct
व्याख्याः
- ब्रिटिश सरकार द्वारा दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम भारत में ज़मींदारों के अभाव में रैयतवाड़ी व्यवस्था लागू की गई। इस व्यवस्था में किसान (काश्तकार) ज़मीन के जिस टुकड़े को जोतता-बोता था उसका मालिक मान लिया जाता था। शर्त यह थी कि वह उस ज़मीन का लगान देता रहे।
- इस व्यवस्था के अंतर्गत कोई स्थायी बंदोबस्त नहीं किया गया। प्रत्येक बीस-तीस वर्ष पर इसका पुनर्निर्धारण किया जाता था और तब आमतौर पर मालगुज़ारी (लगान) बढ़ा दी जाती थी।
Incorrect
व्याख्याः
- ब्रिटिश सरकार द्वारा दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम भारत में ज़मींदारों के अभाव में रैयतवाड़ी व्यवस्था लागू की गई। इस व्यवस्था में किसान (काश्तकार) ज़मीन के जिस टुकड़े को जोतता-बोता था उसका मालिक मान लिया जाता था। शर्त यह थी कि वह उस ज़मीन का लगान देता रहे।
- इस व्यवस्था के अंतर्गत कोई स्थायी बंदोबस्त नहीं किया गया। प्रत्येक बीस-तीस वर्ष पर इसका पुनर्निर्धारण किया जाता था और तब आमतौर पर मालगुज़ारी (लगान) बढ़ा दी जाती थी।
-
Question 20 of 20
20. Question
1 pointsइस व्यवस्था में मालगुज़ारी का बंदोबस्त अलग-अलग गाँवों या जागीरों के आधार पर उन ज़मींदारों या उन परिवार के मुखियाओं के साथ किया गया जो सामूहिक रूप से उस गाँव या जागीर का भू-स्वामी होने का दावा करते थे।ऊपर दिया गया विवरण अंग्रेज़ों द्वारा लगाई गई कौन-सी भू-राजस्व व्यवस्था से संबंधित है?
Correct
व्याख्याः
गंगा के दोआब में पश्चिमोत्तर प्रांत में, मध्य भारत के कुछ भागों में और पंजाब में ज़मींदारी प्रथा का एक संशोधित रूप लागू किया गया जिसे महालवाड़ी प्रथा कहा जाता है। इस व्यवस्था में मालगुज़ारी का बंदोबस्त अलग-अलग गाँवों या जागीरों (महलों) के आधार पर उन ज़मींदारों या उन परिवार के मुखियाओं के साथ किया गया जो सामूहिक रूप से उस गाँव या जागीर का भू-स्वामी होने का दावा करते थे।Incorrect
व्याख्याः
गंगा के दोआब में पश्चिमोत्तर प्रांत में, मध्य भारत के कुछ भागों में और पंजाब में ज़मींदारी प्रथा का एक संशोधित रूप लागू किया गया जिसे महालवाड़ी प्रथा कहा जाता है। इस व्यवस्था में मालगुज़ारी का बंदोबस्त अलग-अलग गाँवों या जागीरों (महलों) के आधार पर उन ज़मींदारों या उन परिवार के मुखियाओं के साथ किया गया जो सामूहिक रूप से उस गाँव या जागीर का भू-स्वामी होने का दावा करते थे।